Headlines
रुद्रपुर, 3 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के गन्ना किसानों और चीनी मिल कर्मियों की दुर्दशा एक बार फिर सुर्खियों में है। उधम सिंह नगर जिले के नादेही स्थित चीनी मिल के कर्मचारियों का सब्र अब जवाब दे चुका है। पिछले पांच महीनों से वेतन न मिलने से नाराज सैकड़ों मिल कर्मियों ने आज नादेही चीनी मिल गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है, जिससे उनके सामने गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। बच्चों की स्कूल फीस से लेकर घर के जरूरी खर्चों तक, सब कुछ ठप पड़ गया है। कर्मियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनका बकाया वेतन जारी नहीं किया जाता, उनका यह विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा। भुखमरी की कगार पर परिवार: 'बच्चों के स्कूल खुल गए, फीस कहां से दें?' नादेही चीनी मिल के कर्मचारियों का दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। पिछले पांच महीने से वेतन न मिलने के कारण उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। आज गुरुवार को नादेही चीनी मिल गेट पर बड़ी संख्या में मिल कर्मी एकत्र हुए। हाथों में तख्तियां लिए और गुस्से में नारे लगाते हुए उन्होंने मिल प्रशासन और सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया। प्रदर्शन के दौरान श्रमिक नेताओं ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि यह सिर्फ वेतन का मामला नहीं है, बल्कि सैकड़ों परिवारों के अस्तित्व का सवाल है। श्रमिक नेता राजेंद्र कुमार, प्रभुनाथ सिंह, अंकुश कुमार और जसविंदर सिंह ने संयुक्त रूप से कहा, "बच्चों के स्कूल खुल गए हैं। हम कैसे उनकी स्कूल फीस भरें? उनकी नई ड्रेस, कॉपी-किताबें खरीदने के पैसे नहीं हैं। पांच महीने से वेतन न मिलने के कारण हमारे घरेलू खर्चे चलाना भी मुश्किल हो गया है।" उन्होंने आगे बताया कि रोजमर्रा की जरूरतें, राशन, बिजली-पानी के बिल, दवाइयां – सब कुछ बकाया है। आर्थिक तंगी के चलते उनका जीवन दूभर हो गया है। शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप: 'क्यों नहीं ली जा रही हमारी सुध?' कर्मचारियों का आरोप है कि इस गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद शासन और प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली है। मिल प्रबंधन भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे कर्मचारियों में भारी निराशा और गुस्सा है। उनका कहना है कि वे लगातार अपनी मांगों को उठा रहे हैं, ज्ञापन सौंप रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। यह स्थिति कर्मचारियों को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या सरकार और संबंधित विभाग उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं हैं। राजेंद्र कुमार ने प्रदर्शन के दौरान भावुक होते हुए कहा, "हमें अब केवल न्यायपालिका पर भरोसा है। अगर सरकार और प्रशासन हमारी नहीं सुनेंगे, तो हम कानून का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे।" यह बयान दर्शाता है कि कर्मचारी अब अपने अधिकारों के लिए अंतिम कानूनी विकल्प पर विचार कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में रणजीत सिंह, लियाकत हुसैन, रूस्तम, चंद्रशेखर, सुमित सहित कई अन्य श्रमिक भी मौजूद रहे, जिन्होंने अपनी उपस्थिति से आंदोलन को मजबूती प्रदान की। विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा: 'जब तक वेतन नहीं, तब तक शांत नहीं!' चीनी मिल कर्मियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने निर्णय लिया है कि अपने बकाया वेतन को पूर्व की भांति बहाल किए जाने तक उनका विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा। यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं कर दिया जाता। यह स्थिति नादेही चीनी मिल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय है। चीनी मिलें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती हैं, और कर्मचारियों को वेतन न मिलना न केवल उनके परिवारों को प्रभावित करता है, बल्कि स्थानीय बाजार और समग्र आर्थिक गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर डालता है। सरकार को जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप कर कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए ताकि उनके घरों में फिर से खुशहाली लौट सके और मिल का संचालन सुचारू रूप से चल सके।

उत्तराखंड: ‘पांच महीने से कर्मियों को नहीं मिला वेतन!’ नादेही चीनी मिल कर्मियों का फूटा गुस्सा, मिल गेट पर जोरदार प्रदर्शन, गहराया आर्थिक संकट

रुद्रपुर, 3 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के गन्ना किसानों और चीनी मिल कर्मियों की दुर्दशा एक बार फिर सुर्खियों में है। उधम सिंह नगर जिले के नादेही स्थित चीनी मिल के कर्मचारियों का सब्र अब जवाब दे चुका है। पिछले पांच महीनों से वेतन न मिलने से नाराज सैकड़ों मिल…

Read More
काशीपुर, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – वित्तीय धोखाधड़ी और चेक अनादरण (बाउंस) के एक महत्वपूर्ण मामले में, काशीपुर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) पायल सिंह की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने चेक बाउंस के दोषी पाए गए व्यक्ति को तीन माह के कारावास के साथ-साथ 2 लाख 5 हजार रुपये (₹2.05 लाख) के भारी जुर्माने से दंडित किया है। यह फैसला वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित करने की दिशा में एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। क्या था मामला? विश्वास के बदले मिला धोखा यह मामला मोहल्ला पक्काकोट निवासी सिमरन पत्नी शंकर द्वारा अधिवक्ता देवेंद्र कुमार पाल के माध्यम से न्यायालय में दायर किए गए एक परिवाद (शिकायत) से जुड़ा है। सिमरन ने अपनी शिकायत में बताया कि उसी मोहल्ले के निवासी अशरफी लाल ने उनसे 11 दिसंबर, 2020 को 1 लाख 80 हजार रुपये (₹1.80 लाख) की बड़ी रकम बतौर उधार ली थी। यह लेन-देन आपसी विश्वास और परिचित होने के नाते किया गया था। उधार ली गई इस राशि के भुगतान के एवज में, अशरफी लाल ने सिमरन को दो चेक जारी किए थे। ये चेक उधार की राशि लौटाने के लिए थे और यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जो भुगतान का आश्वासन देता है। सिमरन ने जब इन चेकों को उनके भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया, तो दुर्भाग्यवश, दोनों चेक बाउंस हो गए। इसका अर्थ था कि अशरफी लाल के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं थी, या किसी अन्य तकनीकी कारण से बैंक ने भुगतान करने से इनकार कर दिया था। चेक बाउंस होना नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत एक गंभीर अपराध है, क्योंकि यह वित्तीय लेनदेन में भरोसे को तोड़ता है। कानूनी प्रक्रिया और न्यायालय का अवलोकन चेक बाउंस होने के बाद, सिमरन ने कई बार अशरफी लाल से संपर्क करने का प्रयास किया ताकि वे अपनी उधार ली गई रकम वापस पा सकें, लेकिन जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो उन्होंने कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया। उन्होंने अपने अधिवक्ता देवेंद्र कुमार पाल के माध्यम से न्यायालय में परिवाद दायर किया और अशरफी लाल के खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा चलाने की अपील की। मामले की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) पायल सिंह की अदालत में चली। इस दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। परिवादी सिमरन के अधिवक्ता ने चेकों के बाउंस होने, उधार के प्रमाण और अशरफी लाल की भुगतान करने में विफलता से संबंधित सभी साक्ष्यों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। इसमें बैंक की मेमो, लेन-देन के रिकॉर्ड और अन्य संबंधित दस्तावेज शामिल थे। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अशरफी लाल का पक्ष रखा, हालांकि उनके तर्क और प्रस्तुत साक्ष्य न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर पाए। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, अधिवक्ताओं की बहस को ध्यानपूर्वक सुना। इसके साथ ही, पत्रावली में उपलब्ध सभी साक्ष्यों और दस्तावेजों का बारीकी से अवलोकन किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए और न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखा जाए। न्यायालय का फैसला: सजा और आर्थिक दंड अधिवक्ताओं की बहस और सभी साक्ष्यों की गहन समीक्षा के बाद, न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अशरफी लाल ने चेक बाउंस कर कानून का उल्लंघन किया है। न्यायालय ने अशरफी लाल को चेक बाउंस के मामले में दोषसिद्ध घोषित किया। दोषसिद्ध होने के बाद, न्यायालय ने अशरफी लाल को तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई। यह सजा यह सुनिश्चित करती है कि दोषी को उसके कृत्य के लिए व्यक्तिगत रूप से भी जवाबदेह ठहराया जाए। कारावास की सजा के अतिरिक्त, न्यायालय ने अशरफी लाल पर 2 लाख 5 हजार रुपये (₹2.05 लाख) का आर्थिक जुर्माना भी लगाया। यह जुर्माना उधार ली गई मूल राशि (₹1.80 लाख) से अधिक है, जो नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत एक सामान्य प्रावधान है। इस एक्ट के तहत अक्सर जुर्माने की राशि चेक की राशि के दोगुने तक हो सकती है, ताकि दोषी पर वित्तीय दबाव पड़े और वह भविष्य में ऐसे अपराधों से बचे। यह अतिरिक्त राशि परिवादी सिमरन को हुए नुकसान की भरपाई और आरोपी के लिए दंड के तौर पर भी कार्य करती है। अधिवक्ता की भूमिका और न्यायिक प्रक्रिया का महत्व इस पूरे मामले में परिवादी सिमरन के अधिवक्ता देवेंद्र कुमार पाल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उन्होंने प्रभावी ढंग से सिमरन का पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा, सभी आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत किए और कानूनी दांव-पेच के बीच अपने मुवक्किल को न्याय दिलाने में सफल रहे। यह फैसला दर्शाता है कि कानूनी प्रक्रिया और एक कुशल अधिवक्ता के माध्यम से न्याय प्राप्त किया जा सकता है, भले ही वित्तीय धोखाधड़ी के मामले जटिल हों। यह निर्णय न केवल सिमरन को न्याय दिलाता है, बल्कि समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि वित्तीय लेनदेन में ईमानदारी और चेकों का सम्मान करना आवश्यक है। चेक बाउंस जैसे मामलों में सख्त सजा वित्तीय प्रणाली में विश्वास बनाए रखने और धोखाधड़ी को हतोत्साहित करने में सहायक होती है। काशीपुर की न्यायिक व्यवस्था द्वारा सुनाया गया यह फैसला निश्चित रूप से भविष्य में ऐसे मामलों में एक मिसाल के तौर पर देखा जाएगा और लोगों को वित्तीय व्यवहार में अधिक सतर्क रहने के लिए प्रेरित करेगा।

चेक बाउंस मामले में कड़ा फैसला: काशीपुर में दोषी को 3 माह का कारावास और ₹2.05 लाख का जुर्माना

काशीपुर, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – वित्तीय धोखाधड़ी और चेक अनादरण (बाउंस) के एक महत्वपूर्ण मामले में, काशीपुर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) पायल सिंह की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने चेक बाउंस के दोषी पाए गए व्यक्ति को तीन माह के कारावास के साथ-साथ…

Read More
हल्द्वानी, 1 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा) – भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन हल्द्वानी-कुमाऊं के लिए आज एक बेहद खास और गर्व का दिन है। हल्द्वानी मॉड्यूल से उप महासचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे कुलदीप सिंह बवेजा को स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह सिर्फ उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे कुमाऊं क्षेत्र और देवभूमि उत्तराखंड के लिए भी एक ऐतिहासिक सम्मान है। बवेजा की यह उपलब्धि इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि पहाड़ की प्रतिभा और मजबूत नेतृत्व क्षमता दूर दिल्ली तक अपनी सशक्त जगह बना सकती है, और वहां भी अपना डंका बजा सकती है। संघर्ष और समर्पण का सफर: हल्द्वानी से राष्ट्रीय पटल तक कुलदीप सिंह बवेजा का सफर कड़ी मेहनत, निष्ठा और कर्मचारियों के हितों के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है। हल्द्वानी-कुमाऊं मॉड्यूल में उप महासचिव रहते हुए उन्होंने स्थानीय स्तर पर बैंक कर्मचारियों की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए अथक प्रयास किए। उनके इसी समर्पण और प्रभावी कार्यशैली ने उन्हें संगठन के भीतर एक विश्वसनीय और लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित किया। अब उन्हें भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सर्किल भारतीय स्टेट बैंक के विशालकाय नेटवर्क का एक अहम हिस्सा है, जो न केवल दिल्ली बल्कि कई अन्य प्रमुख क्षेत्रों के हजारों कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रतिष्ठित पद पर उत्तराखंड से आने वाले किसी व्यक्ति का चुना जाना, जिसने अपनी जड़ें पहाड़ में जमाई हों, यह दर्शाता है कि संगठन ने उनके अनुभव, नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता पर पूरा भरोसा जताया है। बवेजा की यह नियुक्ति केवल उनके व्यक्तिगत करियर में एक बड़ा मुकाम नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवा पेशेवरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है जो छोटे शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का सपना देखते हैं। कुमाऊं भर में जश्न का माहौल: नेता का हुआ भव्य स्वागत कुलदीप सिंह बवेजा की इस महत्वपूर्ण नियुक्ति की खबर हल्द्वानी, काठगोदाम और कुमाऊं मंडल की भारतीय स्टेट बैंक की सभी शाखाओं के कर्मचारियों तक तेजी से पहुंची। यह खबर सुनते ही पूरे बैंकिंग समुदाय में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई। कर्मचारियों ने इसे अपने सामूहिक प्रयासों और साझा प्रतिनिधित्व की एक बड़ी जीत के रूप में देखा। आज हल्द्वानी के प्रशासनिक कार्यालय कुसुमखेड़ा में स्टेट बैंक कर्मचारियों ने अपने नव-नियुक्त अध्यक्ष का गर्मजोशी से स्वागत किया। पूरे परिसर का माहौल उत्साह और गर्व से सराबोर था। कर्मचारी नेताओं और सामान्य सदस्यों ने एकजुट होकर कुलदीप सिंह बवेजा को फूल-मालाओं से लाद दिया। 'बवेजा जिंदाबाद', 'कर्मचारी एकता जिंदाबाद' और 'पहाड़ का गौरव जिंदाबाद' जैसे गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। इस ऐतिहासिक पल का जश्न मनाने के लिए कर्मचारियों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाईं और बधाई दी। यह स्वागत समारोह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह बवेजा के प्रति कर्मचारियों के गहरे सम्मान, अटूट विश्वास और उनके नेतृत्व में संगठन के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदों का प्रतीक था। इस विशेष अवसर पर स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन के कई वरिष्ठ और सक्रिय नेता भी उपस्थित रहे, जिन्होंने कुलदीप सिंह बवेजा को बधाई दी और उनके नेतृत्व में संगठन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। इनमें प्रमुख रूप से सहायक महासचिव चंदन सिंह बिष्ट, क्षेत्रीय सचिव ओम प्रकाश नियोलिया, आंचलिक सचिव रमेश बिष्ट, लोकेश गुरुरानी, हेम आर्या, राजेंद्र सिंह भोजक सहित अन्य कई कर्मचारी नेता और सदस्य शामिल थे, जिनकी उपस्थिति ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। SBI कर्मचारियों के हितों के लिए बनेंगे मजबूत आवाज़: आगे की चुनौतियाँ और उम्मीदें स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल के अध्यक्ष के रूप में, कुलदीप सिंह बवेजा के कंधों पर अब एक बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आ गई है। उनका प्राथमिक कर्तव्य भारतीय स्टेट बैंक के हजारों कर्मचारियों के हितों की मजबूती से पैरवी करना होगा। इसमें उनकी चिंताओं को प्रबंधन के समक्ष उठाना, बेहतर सेवा शर्तों, वेतन वृद्धि, भत्तों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए सक्रिय रूप से बातचीत करना शामिल है। आज के तेजी से बदलते बैंकिंग परिदृश्य में, जहां डिजिटलीकरण और नई नीतियों के कारण कर्मचारियों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में उनके अधिकारों का संरक्षण और उनकी समस्याओं का समाधान एक जटिल और सतत प्रयास है। इसके लिए दूरदर्शिता, प्रभावी संचार कौशल और मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होती है। बवेजा का जमीनी स्तर से जुड़ाव और कुमाऊं क्षेत्र की समस्याओं की गहरी समझ उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कर्मचारियों के मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करेगी। उम्मीद की जा रही है कि उनके नेतृत्व में संगठन और भी मजबूत होगा और कर्मचारियों की आवाज को अधिक सशक्त ढंग से सुना जाएगा। उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण: पहाड़ की प्रतिभा का वैश्विक स्तर पर प्रभाव कुलदीप सिंह बवेजा की यह उपलब्धि न केवल हल्द्वानी और कुमाऊं, बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए असाधारण गौरव का विषय है। यह एक बार फिर साबित करता है कि प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प किसी भी भौगोलिक या सामाजिक सीमा के मोहताज नहीं होते। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य, जहां अक्सर अवसरों की कमी महसूस की जाती है, वहां से निकलकर राष्ट्रीय स्तर के बैंकिंग संगठन के शीर्ष पद पर पहुंचना युवा पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। यह प्रदेश के युवाओं को यह संदेश देता है कि कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास करने से किसी भी क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। बवेजा की यह सफलता उत्तराखंड को राष्ट्रीय परिदृश्य पर एक बार फिर प्रतिष्ठित करेगी, और यह दर्शाती है कि हमारे राज्य के लोग विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। उम्मीद है कि उनका नेतृत्व न केवल भारतीय स्टेट बैंक के कर्मचारियों के लिए बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि उत्तराखंड के नाम को भी राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक चमकाएगा। यह उपलब्धि वाकई में पहाड़ की प्रतिभा का दिल्ली में बजता हुआ डंका है।

उत्तराखंड को ऐतिहासिक गौरव! हल्द्वानी के कुलदीप सिंह बवेजा बने SBI स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल अध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रतिभा का दिल्ली में बजा डंका

हल्द्वानी, 1 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा) – भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन हल्द्वानी-कुमाऊं के लिए आज एक बेहद खास और गर्व का दिन है। हल्द्वानी मॉड्यूल से उप महासचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे कुलदीप सिंह बवेजा को स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह सिर्फ…

Read More
रामनगर, 1 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – रामनगर से करीब 9 किलोमीटर दूर, कालाढूंगी थाना क्षेत्र के बैलपड़ाव चौकी अंतर्गत हल्द्वानी रोड पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। बाइक पर सवार दो भाइयों को अज्ञात वाहन ने जोरदार टक्कर मार दी, जिसमें बाइक चला रहे छोटे भाई की मौके पर ही मौत हो गई। अज्ञात तेज रफ्तार वाहन टक्कर मारने के बाद मौके से फरार हो गया। इस भीषण टक्कर ने एक बार फिर उत्तराखंड की सड़कों पर बढ़ती लापरवाही और तेज रफ्तार के खतरे को उजागर कर दिया है। दर्दनाक मंजर: मौके पर ही छोटे भाई ने तोड़ा दम यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना उस समय हुई जब दो भाई अपनी बाइक पर सवार होकर हल्द्वानी रोड से गुजर रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बाइक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और दोनों भाई सड़क पर गिर पड़े। इस हादसे में बाइक चला रहे छोटे भाई की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि साथ बैठा बड़ा भाई भी घायल हो गया। हादसे के बाद टक्कर मारने वाला अज्ञात वाहन चालक मौके से फरार होने में सफल रहा। स्थानीय लोगों ने तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों की मदद की और पुलिस को सूचना दी। मृतक की पहचान: जसपुर निवासी वीरपाल (22) बैलपड़ाव पुलिस चौकी प्रभारी ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि मृतक युवक की पहचान वीरपाल (उम्र 22 वर्ष) के रूप में हुई है। वीरपाल उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के जसपुर का रहने वाला था। सूचना मिलते ही बैलपड़ाव पुलिस चौकी की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और मृतक वीरपाल के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। घायल भाई को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसका उपचार जारी है। उसके स्वास्थ्य के बारे में फिलहाल विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन वह सदमे में है। वीरपाल की असामयिक मृत्यु से उसके परिवार और क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। परिवार को इस दुखद घटना से गहरा आघात पहुंचा है। अज्ञात वाहन की तलाश में जुटी पुलिस, जांच जारी पुलिस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती टक्कर मारकर फरार हुए अज्ञात वाहन की पहचान करना है। बैलपड़ाव पुलिस चौकी प्रभारी ने बताया कि फिलहाल आरोपी वाहन की पहचान नहीं हो सकी है। पुलिस अब घटनास्थल के आसपास और हल्द्वानी रोड पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है, ताकि आरोपी वाहन और उसके चालक का पता लगाया जा सके। इसके साथ ही, पुलिस अन्य तकनीकी साक्ष्यों और प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के आधार पर भी जांच कर रही है। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया है और जांच को आगे बढ़ा रही है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही आरोपी को पकड़ लिया जाएगा और उसे कानून के कटघरे में खड़ा किया जाएगा। उत्तराखंड की सड़कों पर मंडराता खतरा: तेज रफ्तार और लापरवाही यह दर्दनाक सड़क हादसा एक बार फिर उत्तराखंड की सड़कों पर तेज रफ्तार और लापरवाह वाहनों की वजह से मंडराते खतरे को उजागर करता है। राज्य में आए दिन ऐसे हादसे हो रहे हैं, जिनमें कई बेकसूर लोग अपनी जान गंवा रहे हैं या गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। अक्सर इन हादसों के पीछे ओवरस्पीडिंग, नशे में ड्राइविंग, लापरवाही से वाहन चलाना और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन प्रमुख कारण होते हैं। पुलिस और परिवहन विभाग को सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, जिसमें जागरूकता अभियान, नियमों का सख्त प्रवर्तन और ब्लैक स्पॉट पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना शामिल है। जनता से भी अपील की जाती है कि वे सड़क पर वाहन चलाते समय सावधानी बरतें, गति सीमा का पालन करें और दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें, ताकि ऐसे दुखद हादसों को रोका जा सके। वीरपाल की मौत एक और कड़वी याद है कि सड़क सुरक्षा केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि जीवन की रक्षा का भी सवाल है।

हल्द्वानी रोड पर भीषण हादसा: तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने ली बाइक सवार युवक की जान, बड़ा भाई घायल; पुलिस जांच में जुटी

रामनगर, 1 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – रामनगर से करीब 9 किलोमीटर दूर, कालाढूंगी थाना क्षेत्र के बैलपड़ाव चौकी अंतर्गत हल्द्वानी रोड पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। बाइक पर सवार दो भाइयों को अज्ञात वाहन ने जोरदार टक्कर मार दी, जिसमें बाइक चला रहे छोटे भाई की मौके पर ही…

Read More
देहरादून, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शनिवार, 5 जुलाई को समाप्त हो गई, और जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले और चिंताजनक हैं। प्रदेशभर में ग्राम प्रधान के पदों के लिए तो नामांकन का 'महाकुंभ' देखने को मिला, नेताओं और स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह दिखा, लेकिन इसके ठीक विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए उम्मीद के मुताबिक नामांकन दाखिल नहीं हो पाए। इस स्थिति ने राज्य निर्वाचन आयोग और ग्रामीण लोकतंत्र के विशेषज्ञों को सकते में डाल दिया है, क्योंकि इन शुरुआती आंकड़ों से साफ संकेत मिल रहा है कि इस बार पंचायती राज व्यवस्था में बड़ी संख्या में पद रिक्त रह सकते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। अंकों की जुबानी, उदासीनता की कहानी: सदस्य पदों पर सन्नाटा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों ने इस असमानता को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। नामांकन के पहले तीन दिनों में, चुनाव आयोग के समक्ष कुल 66,418 पदों के लिए केवल 32,239 नामांकन दाखिल हुए थे। यह अपने आप में एक बड़ा गैप दिखाता है, लेकिन जब हम इसे पदों के अनुसार देखते हैं तो स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। ग्राम प्रधान पद पर बंपर नामांकन: ग्राम प्रधान के कुल 7,499 पदों के लिए, पहले तीन दिनों में ही रिकॉर्ड तोड़ 15,917 नामांकन दर्ज हुए। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस प्रतिष्ठित पद को लेकर ग्रामीण आबादी में कितना जबरदस्त उत्साह और प्रतिस्पर्धा है। कई सीटों पर तो एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतरने को तैयार दिख रहे हैं। शनिवार को अंतिम दिन यह आंकड़ा और भी तेजी से बढ़ा, हालांकि खबर लिखे जाने तक आयोग द्वारा अंतिम और पूर्ण आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। प्रधान का पद गांव के मुखिया का होता है, जिसके पास विकास योजनाओं पर निर्णय लेने और करोड़ों के फंड्स का प्रबंधन करने का अधिकार होता है, शायद यही वजह है कि यह पद लोगों के लिए इतना आकर्षक है। ग्राम पंचायत सदस्य पद पर 'उदासीनता' का सन्नाटा: इसके ठीक विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य के कुल 55,587 पदों के लिए पहले तीन दिनों में मात्र 7,235 नामांकन ही आए। यह आंकड़ा बेहद निराशाजनक है, क्योंकि यह कुल पदों का 15% भी नहीं है। अंतिम दिन भी इस पद के लिए नामांकन को लेकर कोई खास उत्साह या भीड़ देखने को नहीं मिली, जो प्रधान पद के लिए उमड़ी भीड़ से बिल्कुल अलग था। यह आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए आमजन की रुचि अपेक्षा से कहीं अधिक कम है। कई वार्डों में तो एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ है, जिससे ये सीटें सीधे तौर पर खाली रहने के कगार पर हैं। क्यों आई यह 'उदासीनता'? सत्ता-विहीन पदों का आकर्षण कम सवाल उठता है कि आखिर ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई कहे जाने वाले ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए इतनी उदासीनता क्यों है? विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं: सत्ता और संसाधनों का अभाव: ग्राम प्रधान के पास सीधे तौर पर विकास कार्यों के लिए धन का आवंटन और निर्णय लेने की शक्ति होती है। इसके विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य के पास न तो कोई बड़ा फंड होता है और न ही निर्णय लेने की सीधी शक्ति। उनका काम मुख्य रूप से ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेना और प्रधान के फैसलों पर मुहर लगाना होता है, जिससे यह पद 'सत्ता-विहीन' या कम प्रभावशाली माना जाता है। कम सामाजिक सम्मान: प्रधान पद की तुलना में ग्राम पंचायत सदस्य के पद को सामाजिक रूप से कम महत्वपूर्ण माना जाता है, जिससे लोग इस पद के लिए समय और धन खर्च करने को तैयार नहीं होते। जागरूकता की कमी: ग्रामीण आबादी में ग्राम पंचायत सदस्य के वास्तविक कर्तव्यों, अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भूमिका के बारे में जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकती है। अभियान का खर्च: भले ही यह एक छोटा पद हो, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए कुछ न्यूनतम खर्च तो आता ही है। जब पद में कोई सीधा लाभ या प्रतिष्ठा न हो, तो लोग उस पर पैसा खर्च करने से कतराते हैं। बढ़ती शहरीकरण की प्रवृत्ति: ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का शहरों की ओर पलायन भी एक कारण हो सकता है, जिससे सक्रिय युवा भागीदारी कम हो रही है। आगे की प्रक्रिया: जांच से मतदान तक का चुनावी कार्यक्रम नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग अब अगले चरण में प्रवेश करेगा। नामांकन पत्रों की जांच: 7 से 9 जुलाई तक राज्य निर्वाचन आयोग दोनों चरणों के लिए दाखिल हुए सभी नामांकन पत्रों की गहन जांच करेगा। इस दौरान यह देखा जाएगा कि सभी आवेदन वैध हैं और उम्मीदवारों ने नियमों का पालन किया है। नाम वापसी का अवसर: नामांकन पत्रों की जांच के बाद, इच्छुक उम्मीदवार 10 और 11 जुलाई को अपने नाम वापस ले सकेंगे। इसके बाद ही चुनाव मैदान में बचे उम्मीदवारों की अंतिम सूची स्पष्ट हो पाएगी। चुनाव चिह्न आवंटन: नाम वापसी के बाद, चुनाव मैदान में टिके उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। पहले चरण के लिए चुनाव चिह्न का आवंटन: 14 जुलाई दूसरे चरण के लिए चुनाव चिह्न का आवंटन: 18 जुलाई मतदान की तिथियां: पहले चरण का मतदान: 24 जुलाई दूसरे चरण का मतदान: 28 जुलाई परिणामों की घोषणा: दोनों चरणों के लिए डाले गए मतों की गणना के बाद, परिणामों की घोषणा 31 जुलाई को की जाएगी। लोकतंत्र पर सवाल और आयोग की चुनौती त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के लिए पर्याप्त नामांकन होना तो अच्छी बात है, लेकिन सदस्य पदों के लिए यह उदासीनता निश्चित रूप से चिंता का विषय है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी को लेकर एक गहरी जागरूकता की कमी और राजनीतिक उदासीनता को दर्शाता है। अगर बड़ी संख्या में सदस्य पद खाली रह जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर पंचायती राज व्यवस्था के सुचारु संचालन और ग्रामीण स्तर पर प्रभावी प्रतिनिधित्व को प्रभावित करेगा। आगामी दिनों में राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती होगी कि इन रिक्त पदों पर पुनः चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए या किसी वैकल्पिक व्यवस्था (जैसे नामित प्रतिनिधियों की व्यवस्था, यदि कानूनी ढांचा इसकी अनुमति देता है) पर विचार किया जाए। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची में कितनी विविधता और वास्तविक प्रतिस्पर्धा नजर आती है। इस पूरी प्रक्रिया पर ग्रामीण विकास और लोकतांत्रिक सुदृढ़ता के लिए गहन चिंतन की आवश्यकता है।

बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 में ऐतिहासिक बदलाव! नतीजे ऑनलाइन, वोटर लिस्ट घर बैठे, खर्च सीमा बढ़ी-निगरानी सख्त; आयोग ने ‘विश्वसनीयता’ को दी नई परिभाषा

देहरादून, 30 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़े और दूरगामी बदलावों की घोषणा की है। इन अभूतपूर्व सुधारों का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक विश्वसनीय, पारदर्शी और जनसुलभ बनाना है। राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील कुमार…

Read More
जसपुर, 30 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड युवा मोर्चा की प्रदेश मंत्री एवं पूर्व सांसद प्रतिनिधि शीतल जोशी ने जसपुर विधानसभा क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को एक छह बिंदुओं का विस्तृत मांग पत्र सौंपा है। जोशी ने इस पत्र के माध्यम से क्षेत्र के विकास और जनहित से जुड़े अहम मुद्दों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई की मांग की है। स्वास्थ्य व्यवस्था सुदृढ़ करने पर जोर शीतल जोशी ने अपने मांग पत्र में जसपुर क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि जसपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पूर्णकालिक रेडियोलॉजिस्ट एवं पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति न होने से आमजन को इलाज में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने इन महत्वपूर्ण पदों पर शीघ्र नियुक्ति करने की मांग की है ताकि क्षेत्रवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें। तीर्थाटन एवं पर्यटन को बढ़ावा देने की वकालत जसपुर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित करते हुए, शीतल जोशी ने क्षेत्र में तीर्थाटन व पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने मांग की है कि जसपुर के प्राचीन तीर्थ स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए। इसके लिए उन्होंने सौंदर्यीकरण परियोजनाओं और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन की योजनाओं को लागू करने की आवश्यकता बताई, जिससे क्षेत्र का आर्थिक विकास हो सके। भूमिहीनों को मालिकाना हक दिलाने की पैरवी मांग पत्र में जसपुर क्षेत्र के उन गरीब और भूमिहीन परिवारों का मुद्दा भी उठाया गया है, जिन्हें वर्ष 2020 में उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के तहत मालिकाना अधिकार मिलने थे, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। शीतल जोशी ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इन परिवारों को शीघ्र अति शीघ्र भूमि का मालिकाना हक दिलाया जाए, जिससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा और सम्मान मिल सके। सड़क सुरक्षा पर चिंता एवं समाधान की मांग आए दिन राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शीतल जोशी ने मुख्यमंत्री से सड़क सुरक्षा के उपाय करने की मांग की। उन्होंने विशेष रूप से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों (ब्लैक स्पॉट) की पहचान कर वहाँ चेतावनी बोर्ड और प्रभावी अवरोधक लगाने की आवश्यकता पर बल दिया है, ताकि सड़क हादसों पर अंकुश लगाया जा सके। जल आपूर्ति योजनाओं के शीघ्र क्रियान्वयन की मांग जसपुर नगर पालिका क्षेत्र में पेयजल संकट को एक गंभीर समस्या बताते हुए, उन्होंने मुख्यमंत्री से स्वीकृत पेयजल योजनाओं को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की। शीतल जोशी ने कहा कि नगर के विभिन्न वार्डों में जल संकट एक बड़ी समस्या बना हुआ है, जिसका त्वरित समाधान किया जाना आवश्यक है। ग्रामीणों को जल जीवन मिशन का लाभ मिले जल जीवन मिशन जैसी महत्वपूर्ण सरकारी योजना का लाभ जसपुर के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने की बात भी मांग पत्र में कही गई है। शीतल जोशी ने अपील की है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत जसपुर ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति शीघ्र सुनिश्चित की जाए, जिससे ग्रामीण आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके। अंत में, शीतल जोशी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अनुरोध किया कि इन सभी 6 सूत्रीय मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए शीघ्र कार्रवाई की जाए ताकि जसपुर की जनता को विभिन्न समस्याओं से राहत मिल सके। उन्होंने विश्वास जताया कि मुख्यमंत्री क्षेत्र की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस दिशा में सकारात्मक निर्णय लेंगे और विकास कार्यों को गति देंगे।

जसपुर की समस्याओं पर शीतल जोशी ने CM धामी को सौंपा 6 सूत्रीय मांग पत्र, स्वास्थ्य-पर्यटन-भूमि अधिकार जैसे मुद्दे उठाए

जसपुर, 30 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – (CM धामी )भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड युवा मोर्चा की प्रदेश मंत्री एवं पूर्व सांसद प्रतिनिधि शीतल जोशी ने जसपुर विधानसभा क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को एक छह बिंदुओं का विस्तृत मांग पत्र सौंपा है। जोशी…

Read More
रामनगर, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में 'ड्रग फ्री देवभूमि' के नारों के बीच रामनगर में सरकार की नीतियों के खिलाफ महिला एकता मंच ने एक बड़ा मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। आने वाली 1 जुलाई से महिला एकता मंच 'नशा नहीं, इलाज दो' अभियान की शुरुआत करेगा, जिसके तहत सरकार के खिलाफ थाली-कनस्तर बजाकर जोरदार हल्ला बोला जाएगा। यह विरोध प्रदर्शन रामनगर विधायक कार्यालय के बाहर दोपहर 12 बजे से शुरू होगा, और इसमें सैकड़ों महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है। महिलाओं का आरोप है कि सरकार मालधन क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार नजरअंदाज कर रही है, वहीं शराब की दुकानों को धड़ाधड़ खोला जा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, शराब की दुकानें मालामाल! महिला एकता मंच का आरोप है कि मालधन क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। मालधन की जनता को डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं, और अस्पताल में इलाज की सुविधा भी न के बराबर है। सबसे गंभीर आरोप यह है कि एक तरफ लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, वहीं दूसरी ओर शराब की दुकानें धड़ाधड़ खोली जा रही हैं, जिससे समाज में नशे का प्रकोप बढ़ रहा है। महिलाओं का सवाल है कि यह कैसा विकास है, जहां शराब को प्राथमिकता दी जा रही है और स्वास्थ्य को हाशिये पर धकेला जा रहा है। मंच ने विशेष रूप से आरोप लगाया है कि अस्पताल की रीढ़ कहे जाने वाले फीजिशियन डॉ. प्रशांत कौशिक और प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. अर्चना कौशिक का तबादला करके स्वास्थ्य व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया गया है। इसके अलावा, अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और 24x7 इमरजेंसी जैसी आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से, पहले से बंद पड़ी गोपाल नगर में शराब की दुकान को फिर से खोल दिया गया है। यह विरोधाभास महिलाओं के गुस्से का मुख्य कारण बन गया है। मांग पत्र सौंपा, समाधान न मिला तो महिलाएं उतरेंगी सड़क पर महिला एकता मंच ने अपनी मांगों को लेकर पहले भी आवाज उठाई थी। 25 जून को मंच द्वारा रामनगर विधायक को एक विस्तृत मांग पत्र सौंपा गया था। इस मांग पत्र में प्रमुख रूप से ये मांगें शामिल थीं: डॉक्टरों के तबादले पर तत्काल रोक लगाई जाए। अस्पताल में नए डॉक्टरों की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए। मालधन क्षेत्र में शराब की दुकानों को बंद किया जाए। कच्ची शराब की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया जाए। मंच का कहना है कि मांग पत्र सौंपने के बाद भी उन्हें कोई ठोस समाधान नहीं मिला। सरकार और प्रशासन की चुप्पी ने महिलाओं को अब सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। उनका साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। चुनावी चेतावनी जारी: 'जो प्रत्याशी आंदोलन के साथ नहीं, जनता सिखाएगी सबक' महिलाओं ने इस अभियान के साथ ही आगामी पंचायत चुनावों के लिए एक कड़ी चेतावनी भी जारी की है। महिला एकता मंच ने स्पष्ट कहा है कि "जो प्रत्याशी इस आंदोलन के साथ नहीं होंगे, उन्हें पंचायत चुनाव में जनता सबक सिखाएगी।" यह चेतावनी उन सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों और उम्मीदवारों के लिए है जो ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। महिलाओं का यह रुख बताता है कि वे अपने स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों को लेकर कितनी गंभीर हैं, और वे इन चुनावों में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने जा रही हैं। इस अभियान में महिला एकता मंच की ममता, पुष्पा, रेखा, कौशल्या, सरस्वती, रजनी, गुड्डी, सावित्री, पिंकी, मंजू, उमा, कमला जैसी अनेक महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगी। ये महिलाएं इस आंदोलन की रीढ़ हैं और अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए एकजुट हो चुकी हैं। आंदोलन का आह्वान: 1 जुलाई को रामनगर विधायक कार्यालय पहुंचें महिला एकता मंच ने रामनगर की जनता से आह्वान किया है कि यदि वे भी 'इलाज मिले, नशा नहीं' के विचार से सहमत हैं, तो वे आने वाली 1 जुलाई को दोपहर 12 बजे रामनगर विधायक कार्यालय पहुंचें। मंच ने सभी से थाली-कनस्तर बजाकर अपना विरोध दर्ज कराने और इस महत्त्वपूर्ण अभियान का हिस्सा बनने की अपील की है। थाली-कनस्तर बजाना अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी आवाज को सशक्त रूप से प्रशासन तक पहुंचाने का एक पारंपरिक और प्रभावी तरीका रहा है। यह आंदोलन सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और शराब की बिक्री पर लगाम लगाने का दबाव बनाने के लिए शुरू किया जा रहा है। देखना होगा कि यह 'थाली-कनस्तर' आंदोलन कितना असर डाल पाता है और क्या महिलाओं की आवाज सुनी जाती है।

रामनगर: ‘नशा नहीं, इलाज दो’ मांग पर सड़क पर महिलाएं, 1 जुलाई से बजाएंगी थाली-कनस्तर, दी सीधी चुनावी चुनौती!

रामनगर, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में ‘ड्रग फ्री देवभूमि’ के नारों के बीच रामनगर में सरकार की नीतियों के खिलाफ महिला एकता मंच ने एक बड़ा मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। आने वाली 1 जुलाई से महिला एकता मंच ‘नशा नहीं, इलाज दो’ अभियान की शुरुआत करेगा, जिसके तहत…

Read More
देहरादून, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, जहाँ शांति और धार्मिकता की उम्मीद की जाती है, वहाँ 'आशियाना गेस्ट हाउस' की आड़ में चल रहे एक बड़े जिस्मफरोशी के रैकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। राजा रोड स्थित इस गेस्ट हाउस पर पुलिस टीम ने छापा मारा तो गेस्ट हाउस की दीवारों के पीछे चल रहे जिस्म के धंधे का पर्दाफाश हो गया, जिसने देवभूमि की पवित्र छवि पर एक बार फिर कालिख पोत दी है। पुलिस ने मौके से 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सभी बाहरी राज्यों के बताए जा रहे हैं। 'आशियाना गेस्ट हाउस' बना था देह व्यापार का अड्डा मिली जानकारी के अनुसार, देहरादून के राजा रोड स्थित 'आशियाना गेस्ट हाउस' लंबे समय से पुलिस की नजर में था। पुलिस को सूचना मिल रही थी कि इस गेस्ट हाउस में देह व्यापार का अवैध धंधा खुलेआम चल रहा है। इस गेस्ट हाउस को जिस्मफरोशी का एक अड्डा बना दिया गया था, जहाँ ग्राहकों को फोन पर बुलाया जाता था और उन्हें अवैध तरीके से देह व्यापार की सुविधा मुहैया कराई जाती थी। यह एक सुनियोजित रैकेट था, जो गेस्ट हाउस की आड़ में बेखौफ चल रहा था। पुलिस के आला अधिकारियों को इस संबंध में गुप्त सूचना मिली, जिसके बाद एक गोपनीय ऑपरेशन की योजना बनाई गई। इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए विशेष रूप से एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) और नगर पुलिस की संयुक्त टीम का गठन किया गया, ताकि छापेमारी को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जा सके और आरोपियों को मौके पर ही पकड़ा जा सके। छापेमारी का मंजर: आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए युवक-युवतियां शुक्रवार देर रात AHTU और नगर पुलिस की संयुक्त टीम ने अचानक 'आशियाना गेस्ट हाउस' पर छापा मार दिया। पुलिस की टीम जब गेस्ट हाउस के अंदर दाखिल हुई, तो वहाँ का नजारा चौंकाने वाला था। पुलिस ने देखा कि गेस्ट हाउस के अलग-अलग कमरों में युवक और युवतियां आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए। यह स्थिति गेस्ट हाउस में चल रहे अवैध धंधे का स्पष्ट प्रमाण थी। छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामान और नगदी भी बरामद की। इन बरामदगियों ने पुष्टि कर दी कि गेस्ट हाउस का उपयोग सिर्फ ठहरने के लिए नहीं, बल्कि अनैतिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। पुलिस ने तुरंत सभी संबंधित व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया और आगे की कार्रवाई शुरू की। गैंग का सरगना और बाहरी राज्यों से कनेक्शन पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि इस पूरे देह व्यापार के रैकेट को नरेंद्र सिंह रावत नाम के एक शख्स ने गेस्ट हाउस को लीज पर लेकर चला रहा था। लीज पर गेस्ट हाउस लेने का मकसद ही इसकी आड़ में इस अवैध धंधे को संचालित करना था। पुलिस अब नरेंद्र सिंह रावत की तलाश में जुट गई है और उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। इस रेड में कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार है: तापस शाहू कमलेश निक्का देवी संजीत कुमार गुल्ली देवी मनु गुरंग सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस के अनुसार, ये सभी गिरफ्तार आरोपी बिहार और बंगाल जैसे बाहरी राज्यों के रहने वाले हैं। यह दर्शाता है कि यह रैकेट सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर-राज्यीय स्तर पर भी फैला हुआ हो सकता है, जहाँ बाहर से युवतियों को लाकर इस धंधे में धकेला जा रहा था। पुलिस अब इस गैंग के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रही है, जिसमें इसके सरगना और अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी शामिल है। देवभूमि की छवि पर दाग और पुलिस की चुनौतियाँ देहरादून, जिसे अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, ऐसी घटनाओं से उसकी 'देवभूमि' की छवि पर गहरा दाग लगता है। इस तरह के अनैतिक और अवैध धंधे न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पेश करते हैं, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों के क्षरण का भी कारण बनते हैं। पुलिस लगातार ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान चला रही है, जो नशे और देह व्यापार जैसे अवैध धंधों में लिप्त हैं। यह रेड पुलिस की सतर्कता और 'देवभूमि' को अपराध मुक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में भी ऐसे किसी भी अवैध कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस प्रशासन जनता से भी अपील कर रहा है कि वे ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल पुलिस को दें, ताकि समय रहते इन पर अंकुश लगाया

देहरादून में ‘आशियाना गेस्ट हाउस’ पर पुलिस का छापा: दीवारों के पीछे चल रहा था जिस्मफरोशी का धंधा, 6 गिरफ्तार, देवभूमि की छवि पर दाग!

देहरादून, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, जहाँ शांति और धार्मिकता की उम्मीद की जाती है, वहाँ ‘आशियाना गेस्ट हाउस’ की आड़ में चल रहे एक बड़े जिस्मफरोशी के रैकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। राजा रोड स्थित इस गेस्ट हाउस पर पुलिस टीम ने…

Read More
नैनीताल, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – नैनीताल जिले के कोटाबाग में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक कमल नगरकोटी ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर खाकर खुदकुशी कर ली। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि परिजनों ने सीधे तौर पर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि सिपाही परमजीत सिंह की पिटाई से क्षुब्ध होकर युवक ने यह आत्मघाती कदम उठाया। इस आरोप के बाद शनिवार को गुस्साए ग्रामीणों ने कोटाबाग चौकी को घेर लिया और आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के साथ-साथ पूरी चौकी को निलंबित करने की मांग पर अड़ गए। इस विरोध प्रदर्शन में स्थानीय विधायक बंशीधर भगत भी ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए, जिनकी अचानक तबियत बिगड़ने से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। परिजनों का गंभीर आरोप: पुलिस की कथित 'मार' ने ली युवक की जान जानकारी के अनुसार, कोटाबाग निवासी कमल नगरकोटी (उम्र लगभग 20-25 वर्ष) ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर का सेवन कर लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। हालांकि, इस मौत के बाद जो आरोप सामने आए हैं, वे बेहद गंभीर हैं। कमल के परिजनों का स्पष्ट आरोप है कि सिपाही परमजीत सिंह ने कमल के साथ मारपीट की थी, जिससे वह अत्यधिक मानसिक रूप से परेशान हो गया था। परिजनों के मुताबिक, पुलिस की इसी कथित पिटाई और उत्पीड़न से क्षुब्ध होकर कमल ने जहर खाने जैसा घातक कदम उठाया और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस की ओर से अभी तक इस आरोप पर विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह दावा स्थानीय स्तर पर बड़ा आक्रोश पैदा कर रहा है। घटना के बाद से परिवार गहरे सदमे में है और न्याय की गुहार लगा रहा है। यह आरोप पुलिस के आचरण और उसकी जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जनता का आक्रोश: चौकी का घेराव और विधायक का समर्थन कमल नगरकोटी की मौत और पुलिस पर लगे आरोपों के बाद स्थानीय ग्रामीण आक्रोशित हो गए। शनिवार को बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने कोटाबाग पुलिस चौकी का घेराव कर लिया। उनकी मांग थी कि आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए और पूरी कोटाबाग चौकी को निलंबित किया जाए। ग्रामीणों का कहना था कि इस तरह की घटनाएँ पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े करती हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए। ग्रामीणों के इस धरने को स्थानीय विधायक बंशीधर भगत का भी समर्थन मिला। विधायक भगत भी ग्रामीणों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। हालांकि, धरने पर बैठे विधायक भगत की अचानक तबियत बिगड़ गई, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। डॉक्टरों को तुरंत बुलाया गया जिन्होंने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। यह घटनाक्रम पुलिस और प्रशासन पर दबाव को और बढ़ा रहा है। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि जब तक एसएसपी खुद मौके पर नहीं आते और पुलिस चौकी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते, वे धरना खत्म नहीं करेंगे। एसएसपी का बयान: जांच जारी, न्याय का आश्वासन मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसएसपी नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि कमल नगरकोटी नाम के युवक की जहर खाकर मौत हुई है। एसएसपी मीणा ने यह भी पुष्टि की कि पुलिस इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। उनका बयान बताता है कि पुलिस आरोपों को गंभीरता से ले रही है, और जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी। पुलिस का कहना है कि वे निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। आत्महत्या के पीछे के वास्तविक कारणों और पुलिस पर लगे आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए फॉरेंसिक जांच और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रशासन को इस मामले में पारदर्शिता बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। एक ही परिवार में दूसरी संदिग्ध मौत: 'भावना नगरकोटी' का मामला भी जुड़ा इस दुखद घटना ने एक और दर्दनाक पहलू को उजागर किया है, जो इस मामले को और अधिक संवेदनशील बनाता है। आपको बता दें कि कुछ दिन पूर्व इसी परिवार की एक अन्य महिला भावना नगरकोटी की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इस खबर को 'कुमाऊं क्रांति समाचार' में भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। उस समय मृतका के भाई ने अपनी बहन के ससुराल पक्ष पर उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया था। एक ही परिवार में कुछ ही समय के भीतर दो सदस्यों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, जिनमें से एक में सीधे पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं, कई सवाल खड़े करती है। यह डबल ट्रेजेडी परिवार पर दुखों का पहाड़ बनकर टूट पड़ी है। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी चिंता है कि क्या इन दोनों घटनाओं के बीच कोई संबंध है, और क्या यह परिवार किसी बड़े उत्पीड़न का शिकार है। पुलिस को इन दोनों मामलों की गहराई से और पारदर्शिता के साथ जांच करनी होगी ताकि सच्चाई सामने आ सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। यह घटना पुलिस-जनता संबंधों और समाज में कमजोर वर्गों की सुरक्षा पर भी गंभीर चिंतन की मांग करती है।

नैनीताल: ‘डबल ट्रेजेडी’ से दहला कोटाबाग! पुलिस की ‘मार’ से युवक की आत्महत्या, MLA बंशीधर भगत भी धरने पर बैठे, बिगड़ी तबियत; उसी परिवार में दूसरी मौत ने बढ़ाई हलचल!

नैनीताल, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – नैनीताल जिले के कोटाबाग में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक कमल नगरकोटी ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर खाकर खुदकुशी कर ली। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि परिजनों ने सीधे तौर पर पुलिस पर गंभीर…

Read More
रामनगर, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – ( 68 किलो गांजे ) उत्तराखंड को 'ड्रग फ्री देवभूमि' बनाने के अभियान के तहत रामनगर कोतवाली पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस ने भारी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ की तस्करी करते हुए एक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी के कब्जे से पुलिस ने कुल 68.02 किलोग्राम गांजा बरामद किया है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनुमानित कीमत 17 लाख रुपये बताई जा रही है। इस बड़ी सफलता ने नशे के खिलाफ पुलिस के अभियान को और मजबूती प्रदान की है। मुखबिर की सटीक सूचना और पुलिस का जाल जानकारी के अनुसार, पुलिस को काफी समय से रामनगर क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी की सूचनाएं मिल रही थीं, जिसके बाद पुलिस लगातार ऐसे तत्वों पर पैनी नजर रख रही थी। इसी क्रम में, बीती देर रात रामनगर कोतवाली पुलिस को अपने मुखबिर तंत्र से एक सटीक सूचना प्राप्त हुई। मुखबिर ने बताया कि एक युवक अपनी टैक्सी का इस्तेमाल कर अवैध गांजे की बड़ी खेप की तस्करी कर रहा है और जल्द ही वह रामनगर क्षेत्र से गुजरने वाला है। सूचना की गंभीरता को देखते हुए, कोतवाली प्रभारी अरुण कुमार सैनी के नेतृत्व में तत्काल एक विशेष टीम का गठन किया गया। इस टीम में उपनिरीक्षक मनोज नयाल, कांस्टेबल गगनदीप सिंह, विपिन शर्मा, संदीप और यशपाल सिंह जैसे तेज-तर्रार पुलिसकर्मी शामिल थे। पुलिस टीम ने मुखबिर द्वारा बताए गए संभावित स्थान पर घेराबंदी की और पूरी मुस्तैदी के साथ इंतजार करने लगी। कुछ ही देर में, मुखबिर द्वारा बताए गए हुलिए का एक व्यक्ति अपनी टैक्सी से वहां पहुंचा। पुलिस ने बिना देर किए उसे रोक लिया और रंगे हाथों धर दबोचा। तस्कर की पहचान और करोड़ों का माल बरामद पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपी की पहचान दानिश पुत्र वाहिद हुसैन के रूप में हुई है, जो रामनगर के ही पूछड़ी टंकी के पास का निवासी बताया गया है। दानिश की उम्र करीब 22 वर्ष है, और वह अपनी टैक्सी का इस्तेमाल कर इस अवैध धंधे को अंजाम दे रहा था। पुलिस ने जब दानिश की टैक्सी की तलाशी ली, तो उसमें से कुल 68.02 किलोग्राम गांजा बरामद हुआ। बरामद गांजे की यह मात्रा काफी अधिक है, जो बताती है कि आरोपी एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। बरामद किए गए इस गांजे की बाजार में अनुमानित कीमत करीब 17 लाख रुपये आंकी गई है। यह एक बड़ी बरामदगी है जो नशे के कारोबार पर रामनगर पुलिस की मजबूत पकड़ को दर्शाती है। पूछताछ में खुला राज: 'आर्तिक' और 'भूरी' का नाम आया सामने गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी दानिश से गहन पूछताछ की। पूछताछ के दौरान दानिश ने चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि यह सारा गांजे का माल आर्तिक और भूरी नाम के दो व्यक्तियों का था। दानिश ने पुलिस को बताया कि आर्तिक और भूरी ने ही उसे पहाड़ से गांजा लाने के लिए 5000 रुपये दिए थे। यह खुलासा इस बात की ओर इशारा करता है कि यह केवल एक स्थानीय धंधा नहीं, बल्कि इसका संबंध पहाड़ों से आने वाले बड़े अंतर्राज्यीय नेटवर्क से हो सकता है। पुलिस अब आर्तिक और भूरी की तलाश में जुट गई है और उनके ठिकानों का पता लगाने के लिए विभिन्न टीमों को सक्रिय कर दिया गया है। उम्मीद है कि दानिश से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस इस पूरे नेटवर्क का खुलासा कर पाएगी और इसमें शामिल अन्य बड़े तस्करों को भी गिरफ्तार कर सकेगी। ड्रग फ्री देवभूमि अभियान को मिली सफलता: कड़ी कानूनी कार्रवाई पुलिस ने आरोपी दानिश के खिलाफ एफआईआर संख्या 238/25, धारा 8/20/60/29 एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। एनडीपीएस एक्ट (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) भारत में मादक पदार्थों से संबंधित अपराधों से निपटने के लिए एक सख्त कानून है। इस एक्ट के तहत इतनी बड़ी मात्रा में गांजा बरामद होने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। यह गिरफ्तारी उत्तराखंड पुलिस द्वारा चलाए जा रहे 'ड्रग फ्री देवभूमि' अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य में नशे के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसका उद्देश्य उत्तराखंड को नशा मुक्त बनाना है। इस तरह की बड़ी बरामदगी और गिरफ्तारियां निश्चित रूप से इस अभियान को और मजबूती प्रदान करेंगी और नशे के तस्करों के मंसूबों पर पानी फेरेंगी। गिरफ्तार आरोपी दानिश को बरामद माल सहित न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाएगा। रामनगर पुलिस ने इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अवैध मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कानून के

रामनगर पुलिस की बड़ी सफलता: 17 लाख की कीमत का 68 किलो गांजे के साथ युवक गिरफ्तार, ‘ड्रग फ्री देवभूमि’ अभियान को मिली सफलता

रामनगर, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – ( 68 किलो गांजे ) उत्तराखंड को ‘ड्रग फ्री देवभूमि’ बनाने के अभियान के तहत रामनगर कोतवाली पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस ने भारी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ की तस्करी करते हुए एक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोपी…

Read More