Samay

देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के हित में कई बड़े निर्णय लिए हैं। इनमें राज्य की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी मिलना और विधवा व वृद्धावस्था पेंशन को लेकर लिया गया एक बड़ा सामाजिक निर्णय सबसे अहम हैं, जो सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। पंचायत चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण, इस कैबिनेट बैठक की आधिकारिक ब्रीफिंग नहीं हो पाई। हालांकि, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इन फैसलों को राज्य के विकास और सामाजिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। उत्तराखंड की ऊर्जा क्रांति: पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मंजूरी कैबिनेट बैठक का सबसे महत्वपूर्ण फैसला उत्तराखंड की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी देना है। यह एक गेमचेंजर पॉलिसी साबित हो सकती है, खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए जहां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपार संभावनाएं हैं। जियोथर्मल ऊर्जा, धरती की आंतरिक गर्मी का उपयोग कर बिजली उत्पादन करने की तकनीक है, जो स्वच्छ, निरंतर और पर्यावरण के अनुकूल होती है। उत्तराखंड में भूगर्भीय ताप (जियोथर्मल) की क्षमता व्यापक है, विशेषकर हिमालयी क्षेत्रों में। इस नीति को मंजूरी मिलने से राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के अन्वेषण, विकास और दोहन का रास्ता खुल गया है। यह न केवल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सहायक होगा। इससे राज्य में नए निवेश आकर्षित होंगे, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। यह फैसला उत्तराखंड को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लाखों परिवारों को राहत: अब बेटे के 18 साल पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन समाज कल्याण विभाग से जुड़ा एक और ऐतिहासिक और मानवीय फैसला कैबिनेट ने लिया है, जो सीधे तौर पर समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबके को राहत पहुंचाएगा। अब तक के नियमों के तहत, विधवा या वृद्धावस्था पेंशन अक्सर तब रोक दी जाती थी जब पेंशन धारक का पुत्र 18 वर्ष का हो जाता था, यह मानते हुए कि अब वह अपनी माँ या बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल कर सकता है। लेकिन, कैबिनेट ने इस नियम में बड़ा बदलाव करते हुए यह निर्णय लिया है कि पुत्र के 18 साल पूरे होने पर भी वृद्धावस्था और विधवा पेंशन मिलती रहेगी। यह उन लाखों माताओं और बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत है जो अक्सर अपने बच्चों के बालिग होने के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर रहते हैं और पेंशन पर ही निर्भर होते हैं। यह फैसला समाज के एक बड़े वर्ग को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा और उन्हें अनिश्चितता के दौर में आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। यह धामी सरकार की सामाजिक संवेदनशीलता और कल्याणकारी नीतियों का प्रतीक माना जा रहा है। बुनियादी ढांचे और सुशासन पर भी अहम मुहर कैबिनेट बैठक में केवल ऊर्जा और सामाजिक कल्याण ही नहीं, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे और सुशासन से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी मुहर लगी है। सूत्रों के मुताबिक, इन प्रस्तावों में शामिल हैं: पुलों की वहन क्षमता का उन्नयन: पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के तहत प्रदेश में 'बी' ग्रेड के पुलों को 'ए' ग्रेड में अपग्रेड किए जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) की स्थापना को भी मंजूरी दी गई है, जो इन पुलों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए अध्ययन और योजना तैयार करेगी। यह निर्णय पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां मजबूत पुल सड़कें और आवागमन की जीवनरेखा होते हैं। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और दुर्घटनाओं का जोखिम भी कम होगा। डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी: राज्य कर विभाग में डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह लैब डिजिटल अपराधों, साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय घोटालों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे राज्य की जांच एजेंसियों की क्षमताएं बढ़ेंगी और वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। वित्त सेवा संवर्ग का पुनर्गठन: उत्तराखंड के वित्त सेवा संवर्ग के पुनर्गठन को भी मंजूरी मिल गई है। यह कदम राज्य के वित्तीय प्रबंधन को और अधिक कुशल और आधुनिक बनाने की दिशा में उठाया गया है। सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण: सतर्कता विभाग के संशोधित ढांचे को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत इसमें पदों की संख्या बढ़ाकर 152 कर दी गई है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और राज्य में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूत करेगा। खनिज अन्वेषण और फाउंडेशन न्यास: उत्तराखंड राज्य खनिज अन्वेषण न्यास, 2025 और उत्तराखंड जिला खनिज फाउंडेशन न्यास, 2025 को प्रख्यापित किए जाने को भी मंजूरी मिली है। यह राज्य के खनिज संसाधनों के अन्वेषण, प्रबंधन और खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान करेगा। धामी सरकार का 'समग्र विकास' विजन ये सभी फैसले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 'समग्र विकास' और 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन को दर्शाते हैं। एक ओर जहां जियोथर्मल पॉलिसी और पुलों का उन्नयन राज्य के आर्थिक और भौतिक विकास को गति देगा, वहीं विधवा/वृद्धा पेंशन में बदलाव और सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण सामाजिक न्याय और सुशासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते इन फैसलों का विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इन महत्वपूर्ण निर्णयों को जनता के सामने रखेगी और इनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू होगी। यह कैबिनेट बैठक निश्चित रूप से उत्तराखंड के भविष्य के लिए कई नई राहें खोलेगी।

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक का ऐतिहासिक फैसला: राज्य की पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मिली हरी झंडी, अब बेटे के 18 साल पूरे होने पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन! आम आदमी को बड़ी राहत

देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के…

Read More
देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया है। इन दलों पर आरोप है कि वे पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। आयोग के इस कदम ने इन दलों के लिए 21 जुलाई की शाम 5 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है, जिसके बाद उनके अंतिम डीलिस्टिंग (पंजीकरण रद्द करने) का निर्णय लिया जाएगा। यह कार्रवाई उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। क्यों चला आयोग का 'डंडा'? शर्तों पर खरे नहीं उतर रहे कई दल भारत निर्वाचन आयोग, देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और उनके कामकाज पर कड़ी नजर रखता है। आयोग के निर्देशानुसार, उत्तराखंड में कुल 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPPs) हैं। ये वो दल होते हैं, जिन्हें राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त वोट प्रतिशत या सीटें नहीं मिली होतीं, लेकिन वे चुनाव आयोग के पास पंजीकृत होते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग की जांच में सामने आया है कि इन 42 दलों में से कई ऐसे हैं जो 'पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल' बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इन शर्तों में मुख्य रूप से शामिल हैं: नियमित आंतरिक चुनाव: दलों को अपने भीतर नियमित रूप से संगठनात्मक चुनाव कराने होते हैं, ताकि आंतरिक लोकतंत्र बना रहे। वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करना: वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दलों को हर साल अपनी आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपनी होती है। योगदान रिपोर्ट दाखिल करना: दलों को अपने प्राप्त चंदे (कंट्रीब्यूशन) की जानकारी आयोग को देनी होती है। चुनावी गतिविधियों में भागीदारी: दलों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे लगातार चुनाव (विधानसभा या लोकसभा) में भाग लें, भले ही वे सीटें न जीतें। सक्रिय कार्यालय का पता: आयोग ने विशेष रूप से यह भी पाया है कि इन दलों के कार्यालय का कोई सही या सक्रिय पता नहीं है। यानी ये दल केवल कागजों पर मौजूद हैं, जमीनी स्तर पर इनकी कोई सक्रियता नहीं दिख रही है। आयोग ने इन्हीं मानदंडों के आधार पर उत्तराखंड के 6 ऐसे विशिष्ट दलों की पहचान की है, जिन्हें अब नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। अस्तित्व पर खतरा: 21 जुलाई शाम 5 बजे की डेडलाइन नोटिस प्राप्त करने वाले इन 6 दलों को 21 जुलाई, शाम 5 बजे तक अपना जवाब चुनाव आयोग को भेजना होगा। इस जवाब में उन्हें यह साबित करना होगा कि वे आयोग द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं या क्यों उन्हें डीलिस्ट नहीं किया जाना चाहिए। यदि ये दल निर्धारित समय-सीमा के भीतर संतोषजनक जवाब प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं या अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं दे पाते हैं, तो भारत निर्वाचन आयोग इनकी अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय लेगा। डीलिस्टिंग का अर्थ है कि इन दलों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा, और वे अब चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दल नहीं रह जाएंगे। क्यों महत्वपूर्ण है यह कार्रवाई? पारदर्शिता और जवाबदेही की पहल चुनाव आयोग द्वारा यह कार्रवाई केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि देश भर में ऐसे निष्क्रिय और गैर-अनुपालनकारी राजनीतिक दलों के खिलाफ अभियान का हिस्सा है। आयोग का मुख्य उद्देश्य है कि: राजनीतिक प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना: ऐसे दल जो केवल कागजों पर मौजूद हैं और जिनका कोई वास्तविक राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, उन्हें प्रणाली से हटाना। फंडिंग में पारदर्शिता: कई बार ऐसे निष्क्रिय दलों का उपयोग धन के लेन-देन या कर चोरी के लिए भी किया जाता है। आयोग ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहता है। संसाधनों का कुशल उपयोग: चुनाव आयोग के सीमित संसाधनों का उपयोग केवल सक्रिय और वास्तविक राजनीतिक दलों के लिए हो। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना: केवल वास्तविक और सक्रिय दल ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लें, जिससे राजनीतिक प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़े। यह कदम उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक नई बहस छेड़ सकता है, खासकर उन छोटे दलों के बीच जो अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रभाव और चुनौतियाँ: क्या खोएंगे ये दल? यदि इन 6 दलों का पंजीकरण रद्द होता है, तो उन्हें कई लाभों से वंचित होना पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं: निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) की निःशुल्क प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार। सार्वजनिक प्रसारकों (जैसे दूरदर्शन और आकाशवाणी) पर मुफ्त हवाई समय। चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवारों के लिए साझा चुनाव चिह्न की सुविधा (यदि आयोग द्वारा आवंटित की जाती है)। डीलिस्ट होने के बाद, यदि ये दल भविष्य में चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो उन्हें नए सिरे से पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह चुनौती इन दलों के लिए उनके अस्तित्व को बचाने की आखिरी लड़ाई साबित हो सकती है। चुनाव आयोग का यह कदम स्पष्ट संदेश है कि राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा और केवल कागजों पर पंजीकृत होकर ही राजनीतिक दल बने नहीं रहा जा सकता। उत्तराखंड में जिन दलों को नोटिस मिला है, उन्हें अब 21 जुलाई तक अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूत दलीलें और प्रमाण पेश करने होंगे। इस फैसले से राज्य की छोटी राजनीतिक पार्टियों के कामकाज में निश्चित रूप से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही देखने को मिलेगी।

उत्तराखंड की सियासत में भूचाल! चुनाव आयोग का ‘डंडा’ चला, 6 राजनीतिक दलों पर लटकी ‘अस्तित्व’ की तलवार, 21 जुलाई तक ‘आखिरी मौका’

देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया…

Read More
नैनीताल, 7 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के नैनीताल में सैलानियों की स्टंटबाजी का एक और खतरनाक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। ज्योलिकोट क्षेत्र में एक तेज़ रफ्तार चलती हरियाणा नंबर की कार से, उसमें सवार कुछ पर्यटक सनरूफ और खिड़कियों से बाहर झांककर जानलेवा तरीके से फोटो खिंचवाते हुए नजर आए। इस खतरनाक स्टंट को देखकर सोशल मीडिया पर भारी नाराजगी फैल गई और आम लोगों ने नैनीताल पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल चालान काटा, बल्कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करने की सख्त चेतावनी भी दी है। यह घटना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि सोशल मीडिया पर लाइक्स बटोरने का जुनून किस हद तक लोगों की जान जोखिम में डाल रहा है। तेज रफ्तार कार, खतरनाक पोज़: वायरल वीडियो की पूरी कहानी वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक हरियाणा नंबर की तेज रफ्तार कार ज्योलिकोट क्षेत्र से गुजर रही है। कार में सवार कुछ युवक और युवतियां, सनरूफ से बाहर निकलकर और खिड़कियों से आधा शरीर बाहर निकालकर खतरनाक तरीके से पोज दे रहे हैं। वे चलती गाड़ी में अपनी जान जोखिम में डालकर फोटो और वीडियो बना रहे थे, संभवतः सोशल मीडिया पर 'रील्स' या पोस्ट डालने के उद्देश्य से। इस तरह की हरकतें न केवल उनमें सवार व्यक्तियों के लिए बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए भी बड़ा खतरा पैदा करती हैं। वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हजारों लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। गुस्साए यूजर्स ने इसे 'लापरवाही की हद' और 'पर्यटन स्थलों पर अराजकता' करार दिया। बड़ी संख्या में लोगों ने नैनीताल पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को टैग करते हुए ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। एसएसपी का त्वरित संज्ञान: तुरंत हुई चालानी कार्रवाई और काउंसलिंग नैनीताल जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रह्लाद नारायण मीणा ने वायरल वीडियो का तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए संबंधित वाहन और उसके चालक को तत्काल चिन्हित करने के निर्देश दिए। एसएसपी के निर्देशों पर हरकत में आई पुलिस टीम ने फुटेज के आधार पर वाहन नंबर का पता लगाया और हरियाणा नंबर की उस गाड़ी को ट्रेस कर लिया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए वाहन चालक के खिलाफ चालानी कार्रवाई की। वाहन चालक पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत निर्धारित धाराओं में जुर्माना लगाया गया। सिर्फ चालान तक ही बात नहीं रुकी, पुलिस ने कार में सवार परिवार के अन्य सदस्यों की भी काउंसलिंग की। इस काउंसलिंग का उद्देश्य उन्हें उनके गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के खतरों से अवगत कराना और भविष्य में ऐसी गलतियों को दोहराने से रोकना था। पुलिस के मुताबिक, पूछताछ के दौरान वाहन चालक ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए पुलिस से माफी मांगी। उसने भविष्य में कभी भी ऐसी लापरवाही न करने का वादा भी किया। यह पुलिस की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई का परिणाम था कि अपराधियों को भागने का मौका नहीं मिला और उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ। सड़क हादसों पर लगाम: एसएसपी के सख्त निर्देश और पुलिस की अपील नैनीताल जनपद में सड़क हादसों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने सभी थाना प्रभारियों और यातायात पुलिस को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के तहत, अब जिले में ड्रंक एंड ड्राइव (शराब पीकर गाड़ी चलाना), ओवरस्पीडिंग (तेज रफ्तार), रैश ड्राइविंग (लापरवाह ड्राइविंग) और स्टंटबाजी के खिलाफ एक विशेष और सघन अभियान चलाया जाएगा। पुलिस ऐसी किसी भी गतिविधि पर कड़ी नजर रखेगी जो सड़क सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है। नैनीताल पुलिस ने आम जनता, विशेषकर पर्यटकों से एक सख्त अपील जारी की है: "चलती गाड़ी में किसी भी तरह की स्टंटबाजी न करें।" "सनरूफ का मतलब खतरनाक पोज़ देना नहीं है। यह सुविधा यात्रियों के आराम और आनंद के लिए है, न कि जान जोखिम में डालकर स्टंट करने के लिए।" "सोशल मीडिया पर फोटो सेशन के चक्कर में अपनी और दूसरों की जान को खतरे में डालकर हादसे को न बुलाओ।" 'लाइक्स की भूख' और सड़क सुरक्षा: एक गंभीर चेतावनी यह घटना एक बार फिर इस कड़वी सच्चाई की ओर इशारा करती है कि सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलोवर्स बटोरने की भूख, लोगों की अपनी और दूसरों की जान के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकती है। पर्यटक स्थलों पर लोग अक्सर अपनी यात्रा को यादगार बनाने और सोशल मीडिया पर 'अलग' दिखने के लिए ऐसी खतरनाक हरकतें कर बैठते हैं, जो अंततः गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं। नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं, यदि पर्यटक खुद ही नियमों को तोड़ने लगेंगे और खतरनाक स्टंट करेंगे, तो फिर दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सकेगा? यह एक गंभीर सवाल है जो पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटकों की नैतिकता पर विचार करने को मजबूर करता है। नैनीताल पुलिस की यह सख्त चेतावनी है कि अब अगर उत्तराखंड की सड़कों पर किसी भी तरह की स्टंटबाजी की गई, तो सिर्फ वीडियो वायरल नहीं होगा, बल्कि तुरंत चालान कटेगा और कानूनी केस भी साथ में चलेगा। पुलिस ने स्पष्ट संदेश दिया है: "सैर पर आइए, देवभूमि उत्तराखंड के संस्कार लेकर जाइए, स्टंट नहीं।" यह संदेश न केवल पर्यटकों के लिए है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो सड़क सुरक्षा नियमों को हल्के में लेते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं। उम्मीद है कि इस कार्रवाई से सबक लिया जाएगा और भविष्य में ऐसी लापरवाहियां रुकेंगी।

नैनीताल में ‘रील्स’ का जुनून पड़ा महंगा! चलती कार से स्टंट कर रहे हरियाणा के पर्यटक पर गिरी गाज, पुलिस ने काटा चालान और दी सख्त चेतावनी: ‘अब वीडियो नहीं, सीधा केस चलेगा

नैनीताल, 7 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के नैनीताल में सैलानियों की स्टंटबाजी का एक और खतरनाक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। ज्योलिकोट क्षेत्र में एक तेज़ रफ्तार चलती हरियाणा नंबर की कार से, उसमें सवार कुछ पर्यटक सनरूफ और खिड़कियों…

Read More
काशीपुर, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के काशीपुर शहर में शनिवार की तड़के एक हृदयविदारक सड़क हादसे ने मानवता को झकझोर कर रख दिया। महाराणा प्रताप चौक स्थित आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) के ठीक नीचे सो रहे एक खानाबदोश परिवार पर काल बनकर एक तेज रफ्तार डंपर गुजरा। इस भीषण दुर्घटना में 40 वर्षीय अर्जुन नामक व्यक्ति की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी राजवती गंभीर रूप से घायल हो गईं। हादसे के बाद डंपर चालक अपनी गाड़ी छोड़कर अंधेरे का फायदा उठाते हुए मौके से फरार हो गया, जिसने लोगों में गहरा आक्रोश भर दिया है। तड़के 5:30 बजे मौत बनकर आया डंपर, खुशियां मातम में बदलीं यह दुखद घटना शनिवार की तड़के लगभग 5:30 बजे घटी। महाराणा प्रताप चौक पर स्थित रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे, जहां अक्सर रात में गरीब और खानाबदोश परिवार आसरा लेते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर निवासी अर्जुन पुत्र द्वारिका अपनी पत्नी राजवती के साथ सो रहे थे। उनके लिए यह जगह ही उनका 'घर' थी, जहां वे दिनभर की थकान के बाद रात में कुछ पल की शांति तलाशते थे। लेकिन, उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि सुबह की पहली किरण से पहले ही उन पर मौत टूट पड़ेगी। एक बेहद तेज रफ्तार डंपर ने लापरवाह तरीके से चलाते हुए सीधे उसी जगह पर चढ़ गया, जहां अर्जुन और राजवती सो रहे थे। डंपर के नीचे आते ही अर्जुन को संभलने का मौका भी नहीं मिला और वह बुरी तरह कुचल गए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, उनकी पत्नी राजवती को भी गंभीर चोटें आईं और वह दर्द से कराह उठीं। इस क्षणभंगुर हादसे ने एक हंसते-खेलते परिवार की खुशियों को पल भर में मातम में बदल दिया। स्थानीय लोगों ने दौड़ाई मदद, अस्पताल में मृत घोषित हादसे की जोरदार आवाज सुनकर और सुबह की गतिविधियों के लिए जग रहे कुछ लोगों की नजर जब इस भयावह मंजर पर पड़ी, तो वे तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े। उन्होंने देखा कि डंपर एक व्यक्ति को कुचल चुका है और उसकी पत्नी घायल अवस्था में पड़ी है। लोगों ने बिना देर किए, घायल राजवती और खून से लथपथ अर्जुन को एलडी भट्ट राजकीय अस्पताल पहुंचाया। हालांकि, अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने अर्जुन को मृत घोषित कर दिया, जिससे वहां मौजूद लोगों और राजवती के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं थी। राजवती को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया है, जहां उनका उपचार जारी है। उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है, लेकिन पति को खोने का सदमा उन्हें बुरी तरह से तोड़ चुका है। इस घटना ने एक बार फिर महानगरों और कस्बों में फुटपाथ पर या खुले में सो रहे लोगों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे के बाद चालक फरार, डंपर जब्त: पुलिस जांच में जुटी इस जघन्य हादसे के बाद, डंपर चालक ने मानवता को शर्मसार करते हुए घटनास्थल पर रुकने या घायलों की मदद करने के बजाय, अपनी गाड़ी वहीं छोड़कर अंधेरे का फायदा उठाते हुए मौके से फरार हो गया। यह उसका असंवेदनशील रवैया ही था, जिसने लोगों में भारी गुस्सा और आक्रोश भर दिया। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तुरंत हरकत में आई। पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंचा, जहां उन्होंने स्थिति का जायजा लिया। पुलिस ने मृतक अर्जुन के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त डंपर को जब्त कर लिया है और उसे थाने ले जाया गया है। पुलिस ने अज्ञात डंपर चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उसकी तलाश शुरू कर दी है। पुलिस आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है, साथ ही डंपर के मालिक और उसके चालक के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फरार चालक को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। खानाबदोश परिवारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल यह घटना केवल एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि उन हजारों बेघर और खानाबदोश परिवारों की दुखद सच्चाई को भी उजागर करती है, जिन्हें रात में सड़कों के किनारे, पुलों के नीचे या खुले में सोने पर मजबूर होना पड़ता है। उनके पास कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं होता, जिससे वे हर पल दुर्घटनाओं और अन्य खतरों के साये में जीते हैं। सर्दी हो या गर्मी, बारिश हो या तूफान, ये लोग हर मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर होते हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा संचालित रैन बसेरे या शेल्टर होम अक्सर इनकी संख्या के मुकाबले अपर्याप्त होते हैं, या इन तक इनकी पहुंच नहीं हो पाती। इस हादसे ने एक बार फिर इन वंचित तबकों की सुरक्षा और आश्रय की आवश्यकता पर विचार करने के लिए मजबूर किया है। क्या प्रशासन को ऐसे संवेदनशील स्थानों पर रात में गश्त बढ़ानी चाहिए या इन लोगों को सुरक्षित आश्रय स्थलों में पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाने चाहिए? सड़क सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रश्न यह दुर्घटना काशीपुर में भारी वाहनों, विशेषकर डंपरों और ट्रकों द्वारा तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाने की बढ़ती प्रवृत्ति को भी दर्शाता है। तड़के के समय सड़कें अक्सर खाली होती हैं, और चालक अक्सर गति सीमा का उल्लंघन करते हैं, जिससे ऐसे गंभीर हादसे हो जाते हैं। पुलिस और परिवहन विभाग को भारी वाहनों की गति और चालकों के व्यवहार पर अधिक सख्त निगरानी रखने की आवश्यकता है। इस दुखद घटना ने स्थानीय समुदाय में गहरा शोक व्यक्त किया है। लोगों ने अर्जुन की असामयिक मृत्यु पर दुख व्यक्त किया है और राजवती के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। यह हादसा हमें यह भी याद दिलाता है कि सड़क पर सुरक्षा केवल नियमों का पालन करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें दूसरों के जीवन के प्रति संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी भी शामिल है, खासकर उन लोगों के प्रति जो सबसे कमजोर और असुरक्षित हैं। उम्मीद है कि इस घटना से सबक लिया जाएगा और भविष्य में ऐसे निर्मम हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।

काशीपुर में भीषण हादसा: आरओबी के नीचे सो रहे खानाबदोश को तेज रफ्तार डंपर ने कुचला, मौके पर मौत; पत्नी घायल, चालक फरार

काशीपुर, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के काशीपुर शहर में शनिवार की तड़के एक हृदयविदारक सड़क हादसे ने मानवता को झकझोर कर रख दिया। महाराणा प्रताप चौक स्थित आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) के ठीक नीचे सो रहे एक खानाबदोश परिवार पर काल बनकर एक तेज रफ्तार डंपर गुजरा। इस भीषण दुर्घटना…

Read More
टनकपुर, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के टनकपुर से आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा का आगाज़ हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर पर्यटक आवास गृह से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र मार्ग है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह अब भौगोलिक सीमाओं को लांघते हुए शिव से साक्षात्कार का एक सशक्त माध्यम बन गई है, जहां पहले सप्ताह भर का समय लगता था, वह अब कुछ ही घंटों में संभव हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वयं उपस्थित होकर यात्रियों का न केवल पारंपरिक रूप से स्वागत किया, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े स्मृति चिह्न और मालाएं भेंट कर उन्हें भावभीनी विदाई भी दी। विविधता में एकता: 11 राज्यों से आए 45 श्रद्धालुओं का पहला दल इस ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल में देश के विभिन्न कोनों से आए कुल 45 श्रद्धालु शामिल हैं। यह दल भारत की आध्यात्मिक विविधता में एकता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है। इन यात्रियों में 32 पुरुष और 13 महिलाएं हैं, जो छत्तीसगढ़, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे 11 विभिन्न राज्यों से अपनी आस्था और भक्ति के साथ इस पवित्र यात्रा के लिए टनकपुर पहुंचे थे। यह तथ्य स्वयं में दर्शाता है कि कैलाश मानसरोवर की आध्यात्मिक ऊर्जा देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक यात्री से संवाद किया। उन्होंने यात्रियों का देवभूमि उत्तराखंड में हार्दिक स्वागत किया और उनसे उनकी यात्रा संबंधी तैयारियों और अपेक्षाओं के बारे में जानकारी ली। सीएम ने बताया कि उनकी सरकार यात्रा को सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सीएम धामी का संबोधन: केवल यात्रा नहीं, आत्मिक जागरण का मार्ग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं और जनता को संबोधित करते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मिक और आध्यात्मिक जागरण का मार्ग है।" सीएम ने जोर देकर कहा कि जो श्रद्धालु इस अद्वितीय यात्रा के सहभागी बन रहे हैं, वे केवल एक भौगोलिक यात्रा नहीं कर रहे, बल्कि वे समर्पण और आत्म-साक्षात्कार की एक गहरी अनुभूति लेकर जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की भूमि के धार्मिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि "उत्तराखंड की पवित्र धरती के कण-कण में भगवान शिव का वास है। यह देवभूमि अनादि काल से ही आध्यात्मिकता का केंद्र रही है और कैलाश मानसरोवर की यात्रा इसी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।" पीएम मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व: सीमाओं को लांघती 'शिव से साक्षात्कार' की यात्रा अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़ संकल्प की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि पहले जिस कैलाश मानसरोवर यात्रा में दुर्गम रास्तों और कठिन परिस्थितियों के कारण सात दिन या उससे भी अधिक का समय लगता था, अब वह प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से कुछ ही घंटों में संभव हो सकी है। यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि है जिसने श्रद्धालुओं के लिए इस पवित्र धाम तक पहुंच को बहुत आसान बना दिया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़ संकल्प से यह यात्रा अब केवल एक भौगोलिक मार्ग नहीं रही, बल्कि यह सीमाओं को लांघते हुए शिव से साक्षात्कार का एक सशक्त माध्यम बन गई है।" इसका सीधा अर्थ यह है कि आधारभूत संरचना के विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के कारण श्रद्धालु अब कम समय और अधिक सुविधा के साथ इस पवित्र स्थान तक पहुंच पा रहे हैं, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा और भी सुगम बन गई है। राज्य सरकार की प्रतिबद्धता: सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा मुख्यमंत्री धामी ने यह भी दोहराया कि उत्तराखंड सरकार कैलाश मानसरोवर यात्रा को प्रत्येक यात्री के लिए सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने बताया कि यात्रा मार्ग के प्रत्येक पड़ाव पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इनमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, आरामदायक आवास व्यवस्था, पौष्टिक भोजन, पुख्ता सुरक्षा और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि श्रद्धालुओं को अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। यह प्रतिबद्धता श्रद्धालुओं को बिना किसी चिंता के अपनी यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने अंत में भगवान भोलेनाथ से सभी यात्रियों की सफल, मंगलमय और सुरक्षित यात्रा की कामना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी, बल्कि उत्तराखंड की देवभूमि छवि को भी और मजबूत करेगी। आध्यात्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा कैलाश मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने और उसके पहले दल को मुख्यमंत्री द्वारा रवाना किया जाना उत्तराखंड में आध्यात्मिक पर्यटन को एक नई गति देगा। यह न केवल राज्य की आय में वृद्धि करेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। कैलाश मानसरोवर जैसे पवित्र स्थलों तक आसान पहुंच से देश-विदेश के अधिक से अधिक श्रद्धालु उत्तराखंड की ओर आकर्षित होंगे, जिससे राज्य की पहचान एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में और भी प्रगाढ़ होगी। यह यात्रा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक स्तर पर भी प्रदर्शित करेगी।

इतिहास रचते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला दल निकला! CM धामी ने टनकपुर से दी हरी झंडी, पीएम मोदी के ‘विजन’ से अब घंटों में शिव के दर्शन

टनकपुर, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के टनकपुर से आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा का आगाज़ हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर पर्यटक आवास गृह से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक…

Read More
देहरादून, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे एसटीएफ के 'ऑपरेशन प्रहार' को बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने एक ऐसे शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने मात्र एक महीने के भीतर 4.35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। इस ठग का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि सिविल इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी है, जिसने अपनी तकनीकी समझ का दुरुपयोग कर फर्जी मैट्रीमोनियल साइट्स, व्हाट्सएप कॉलिंग और नकली क्रिप्टो एप्लीकेशन्स के ज़रिए भोले-भाले लोगों को करोड़ों का चूना लगाया। यह गिरफ्तारी साइबर अपराध के लगातार बढ़ते जाल को उजागर करती है और बताती है कि कैसे पढ़े-लिखे लोग भी गलत रास्ते पर चलकर वित्तीय अपराधों के मास्टरमाइंड बन रहे हैं। शादी के नाम पर दोस्ती, फिर क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट का 'जाल' इस बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा नैनीताल निवासी एक पीड़ित की शिकायत के बाद हुआ। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उसकी sangam.com नामक एक लोकप्रिय मैट्रीमोनियल वेबसाइट पर 'आरुषि रॉय' (Aroshi Roy) नाम की एक महिला से पहचान हुई थी। ऑनलाइन हुई यह पहचान कुछ समय बाद व्हाट्सएप चैट और कॉलिंग तक पहुंच गई, जहां महिला ने पीड़ित से विश्वास कायम किया। धोखेबाज महिला ने खुद को कंबोडिया में एक बड़े कपड़े के व्यापारी के रूप में पेश किया और पीड़ित को बताया कि वह क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर भारी मुनाफा कमा रही है। विश्वास जीतने के लिए, उसने पीड़ित को 'Ban' नामक एक एप्लीकेशन के ज़रिए क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए राजी किया। शुरुआती लेनदेन में, जालसाजों ने छोटी रकम वापस लौटाकर पीड़ित का भरोसा जीता, जिससे पीड़ित को लगा कि यह एक वैध और मुनाफे वाला निवेश है। इस तरह से भरोसा जीतने के बाद, धोखेबाजों ने पीड़ित से लगभग ₹62.50 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में जमा करवा लिए। जब पीड़ित को अपने पैसों की वापसी में दिक्कत आने लगी और संपर्क टूट गया, तब उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुका है। फर्जी 'Banocoin' ऐप से दिखाते थे मुनाफा, लालच में फँसते थे लोग इस साइबर गैंग की स्क्रिप्ट बेहद चालाकी और सोच-समझकर तैयार की गई थी। पीड़ितों को जाल में फंसाने के लिए, जालसाज 'Banocoin' नामक एक फर्जी एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते थे। इस ऐप पर, उन्हें निवेशित राशि पर फर्जी मुनाफा दिखाया जाता था। यह दिखावटी मुनाफा निवेशकों को और अधिक पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित करता था। इस लालच में आकर, कई लोग लाखों रुपये तक गंवा बैठे। पुलिस जांच में जो सामने आया वह और भी चौंकाने वाला था। आरोपी फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर मैट्रीमोनियल साइट्स पर महिलाओं का प्रोफाइल बनाकर चैटिंग करता था। शुरुआती पहचान के बाद, वह व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़ितों से संपर्क साधता था और अपनी मीठी बातों और भरोसेमंद आवाज के जरिए उन्हें अपने जाल में फंसाता था। यह एक बेहद ही परिष्कृत तरीका था जिससे पीड़ितों को पता ही नहीं चल पाता था कि वे एक शातिर ठग के चंगुल में फंस रहे हैं। तमिलनाडु से दबोचा गया इंजीनियर ठग: पहले भी दर्जनभर मुकदमे उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर थाना कुमाऊं टीम ने तकनीकी विश्लेषण और खुफिया जानकारी के आधार पर इस ठगी के मास्टरमाइंड तक पहुंच बनाई। आरोपी वेल्मुरुगन (VELMURUGAN S/O KUPPUSAMY) को तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी साइबर अपराध के खिलाफ एसटीएफ की लगातार सक्रियता का प्रमाण है। प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को पता चला कि वेल्मुरुगन एक सिविल इंजीनियरिंग डिग्रीधारी है, जो यह साबित करता है कि साइबर अपराधी अब केवल अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं, बल्कि तकनीकी रूप से कुशल पेशेवर भी इस दलदल में फंस रहे हैं। पूछताछ में यह भी सामने आया कि सिर्फ एक महीने में आरोपी के बैंक खातों से 4.35 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है! यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि यह सिर्फ एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि वेल्मुरुगन देशभर में फैले एक बड़े और संगठित साइबर गैंग की एक महत्वपूर्ण कड़ी हो सकता है। वेल्मुरुगन का आपराधिक इतिहास भी लंबा है। उसके खिलाफ पहले से ही तमिलनाडु के विभिन्न साइबर थानों में चार मामले दर्ज हैं: FIR No. 102/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कोयंबटूर, तमिलनाडु FIR No. 188/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कोयंबटूर, तमिलनाडु FIR No. 47/2024, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, मदुरई, तमिलनाडु FIR No. 28/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कांचीपुरम, तमिलनाडु यह दर्शाता है कि यह अपराधी लंबे समय से साइबर धोखाधड़ी के धंधे में लिप्त था। STF का दृढ़ संकल्प: "अब नहीं बख्शे जाएंगे साइबर शातिर" वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक STF नवनीत सिंह के निर्देशन में, साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने इस पूरे घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंस्पेक्टर अरुण कुमार की अगुवाई वाली टीम ने तकनीकी विश्लेषण, विभिन्न बैंक खातों की जांच, व्हाट्सएप डेटा और सर्विस प्रोवाइडर्स से प्राप्त डाटा का गहन अध्ययन किया, जिसके आधार पर आरोपी तक पहुंचा जा सका। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को हल्द्वानी जेल भेज दिया गया है, और आगे की पूछताछ और जांच जारी है ताकि इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके। एसटीएफ ने स्पष्ट संदेश दिया है कि साइबर अपराधियों को अब बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ 'ऑपरेशन प्रहार' लगातार जारी रहेगा। जनता को STF की चेतावनी: “लालच में आए तो लुट गए समझो" साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, एसटीएफ ने आम जनता के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है, जिसका शीर्षक है: “लालच में आए तो लुट गए समझो।" आयोग ने लोगों को इन बिंदुओं पर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है: फर्जी मैट्रीमोनियल साइट्स से अत्यधिक सतर्क रहें। ऑनलाइन पहचान पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। व्हाट्सएप कॉलिंग या किसी भी सोशल मीडिया पर अजनबियों से दोस्ती करने से पहले उनकी विश्वसनीयता की पूरी जांच करें। कोई भी फर्जी एप्लिकेशन, जैसे Banocoin या इसी तरह के अन्य प्लेटफॉर्म, पर इन्वेस्टमेंट करने से बचें। ये अक्सर बड़े मुनाफे का लालच देकर आपको फंसाते हैं। YouTube लाइक, सब्सक्राइब और टेलीग्राम चैनल पर दिख रहे आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर अक्सर एक बड़ा जाल होते हैं। इनकी हकीकत जाने बिना निवेश न करें। सोशल मीडिया पर किसी से भी दोस्ती करने से पहले अत्यधिक सतर्कता बरतें और अपनी निजी जानकारी साझा न करें। किसी भी फर्जी कॉल या वेबसाइट पर अपनी बैंक डिटेल्स, ओटीपी, पिन या अन्य गोपनीय जानकारी कभी भी शेयर न करें। यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो बिना देर किए तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या अपने नजदीकी साइबर थाना से संपर्क करें। यह गिरफ्तारी साइबर अपराधों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की दृढ़ता को दर्शाती है, लेकिन जनता की जागरूकता और सावधानी ही ऐसे अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।

बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड में STF का ‘ऑपरेशन प्रहार’ सफल! 62 लाख की ठगी का मास्टरमाइंड इंजीनियर गिरफ्तार, 4.35 करोड़ के लेनदेन का सनसनीखेज खुलासा

देहरादून, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे एसटीएफ के ‘ऑपरेशन प्रहार’ को बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने एक ऐसे शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने मात्र एक महीने के भीतर 4.35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम…

Read More
रामनगर, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के रामनगर स्थित मालधन चौड़ इलाके में बीती रात एक सनसनीखेज और दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है। 2 जुलाई की रात करीब 9:30 बजे, गौतम नगर नंबर 5 निवासी अनुज कुमार नामक एक युवक ने अपने ही मोहल्ले के जोगेन्द्र सिंह पर चाकू से गले पर जानलेवा वार कर दिया। यह हमला तब हुआ जब आरोपी ने रात के अंधेरे का फायदा उठाते हुए दीवार फांदकर पीड़ित के घर में घुसपैठ की। इस घटना ने स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है और कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंधेरे का फायदा उठा, दीवार फांदकर घर में घुसा हमलावर घटना 2 जुलाई की रात लगभग 9:30 बजे की बताई जा रही है। गौतम नगर नंबर 5 में अपने घर पर मौजूद जोगेन्द्र सिंह को शायद अंदाजा भी नहीं था कि उनकी जान पर इतना बड़ा खतरा मंडरा रहा है। पुलिस से मिली प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हमलावर अनुज कुमार, जो कि जोगेन्द्र सिंह के ही मोहल्ले का रहने वाला बताया गया है, ने रात के अंधेरे और सन्नाटे का फायदा उठाया। उसने चुपचाप जोगेन्द्र सिंह के घर की दीवार फांदकर अंदर प्रवेश किया। घर में घुसने के बाद, आरोपी ने जोगेन्द्र सिंह पर अचानक हमला बोल दिया और सीधे उनके गले पर चाकू से वार कर दिया। यह हमला इतना अचानक और घातक था कि जोगेन्द्र सिंह गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़े। घटना के समय घर में मौजूद परिजनों और आस-पड़ोस के लोगों ने जब शोर सुना, तो वे तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े। उन्होंने जोगेन्द्र सिंह को लहूलुहान अवस्था में पाया। यह मंजर देख सभी हक्के-बक्के रह गए। गंभीर रूप से घायल जोगेन्द्र सिंह अस्पताल में भर्ती, मुकदमा दर्ज हमले के तुरंत बाद, गंभीर रूप से घायल जोगेन्द्र सिंह को उनके परिजनों द्वारा बिना देर किए अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों की टीम ने उनकी हालत की गंभीरता को देखते हुए तुरंत उपचार शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि जोगेन्द्र सिंह की हालत नाजुक बनी हुई है और वे जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। यह हमला कितना गंभीर था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आरोपी ने सीधे गले जैसे संवेदनशील हिस्से पर वार किया था। घटना के बाद, पीड़ित जोगेन्द्र सिंह के छोटे भाई सुरेश चंद्र ने रामनगर थाने में घटना की पूरी जानकारी देते हुए एक तहरीर (शिकायत) दी। पुलिस ने शिकायत के आधार पर तत्काल कार्रवाई करते हुए FIR नंबर 243/25 के तहत भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं 109 और 332 (सी) में मुकदमा दर्ज कर लिया है। धारा 109 आमतौर पर आपराधिक साजिश या उकसाने से संबंधित हो सकती है, जबकि 332(सी) जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाने या हत्या के प्रयास से संबंधित धाराओं के समकक्ष हो सकती है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी। पुलिस की त्वरित कार्रवाई: आरोपी अनुज कुमार गिरफ्तार, वारदात का चाकू बरामद इस सनसनीखेज वारदात के बाद मालधन इलाके में लोगों के बीच गहरी चिंता और नाराजगी का माहौल था। ऐसी घटना ने स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए थे। हालांकि, रामनगर पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए जनता के गुस्से को शांत करने और अपराधियों को संदेश देने का काम किया। पुलिस टीम ने घटना के तुरंत बाद आरोपी की तलाश शुरू कर दी। स्थानीय खुफिया तंत्र और अन्य जानकारी के आधार पर पुलिस ने घेराबंदी की और आखिरकार आरोपी अनुज कुमार को मालधन इलाके से दबोच लिया गया। गिरफ्तारी के समय, पुलिस ने वारदात में इस्तेमाल किया गया धारदार चाकू भी उसके पास से बरामद कर लिया। यह चाकू ही इस जघन्य अपराध का सबसे बड़ा सबूत है। पुलिस ने आरोपी अनुज कुमार को हिरासत में ले लिया है और उससे घटना के पीछे के मकसद और अन्य संबंधित जानकारी के लिए गहन पूछताछ की जा रही है। (तस्वीर में, गिरफ्तार किए गए आरोपी अनुज कुमार को पुलिसकर्मियों के साथ थाने के बाहर खड़े देखा जा सकता है, जिसके हाथ में वारदात में प्रयुक्त चाकू एक सफेद बॉक्स में रखा हुआ है।) वारदात के पीछे का मकसद अभी भी रहस्य, पुलिस जांच जारी फिलहाल, इस जानलेवा हमले के पीछे का वास्तविक मकसद अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। पुलिस विभिन्न पहलुओं से मामले की जांच कर रही है। प्रारंभिक जांच में किसी पुरानी रंजिश, व्यक्तिगत विवाद, या किसी अन्य कारण की संभावना पर गौर किया जा रहा है। स्थानीय लोग भी इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर किस वजह से अनुज कुमार ने अपने ही मोहल्ले के व्यक्ति पर इतना घातक हमला किया। पुलिस का कहना है कि आरोपी से पूछताछ के बाद ही हमले के वास्तविक कारण का पता चल पाएगा। समुदाय में दहशत और सुरक्षा पर सवाल मालधन चौड़ जैसे शांत इलाके में ऐसी हिंसक घटना ने समुदाय में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अपने घरों और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इस घटना ने एक बार फिर रामनगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों ने पुलिस प्रशासन से क्षेत्र में गश्त बढ़ाने और असामाजिक तत्वों पर कड़ी नजर रखने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो सके। पुलिस अधिकारियों ने जनता को आश्वासन दिया है कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। जोगेन्द्र सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की जा रही है और पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही इस घटना के पीछे का पूरा सच सामने आ जाएगा।

रामनगर में सनसनीखेज वारदात: दीवार फांदकर घर में घुसे हमलावर ने युवक का गला रेता, आरोपी गिरफ्तार – मौके से चाकू बरामद!

रामनगर, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के रामनगर स्थित मालधन चौड़ इलाके में बीती रात एक सनसनीखेज और दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है। 2 जुलाई की रात करीब 9:30 बजे, गौतम नगर नंबर 5 निवासी अनुज कुमार नामक एक युवक ने अपने…

Read More
भीमताल, नैनीताल, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के नैनीताल जिले के खूबसूरत भीमताल क्षेत्र में मंगलवार का दिन एक गहरे सदमे में बदल गया। यहां मूसाताल में नहाने के दौरान भारतीय वायुसेना के दो युवा जवानों की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। यह हृदयविदारक घटना तब घटी जब वे अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए भीमताल और नैनीताल घूमने आए थे। इस हादसे ने न सिर्फ उनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है, बल्कि पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता के मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुशियों की तलाश में आए थे, मौत ने गले लगाया पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मृतकों की पहचान प्रिंस यादव और साहिल के रूप में हुई है। दोनों ही भारतीय वायुसेना में कार्यरत थे और पंजाब के पठानकोट से अपने छह अन्य दोस्तों के साथ उत्तराखंड की नैसर्गिक सुंदरता का आनंद लेने आए थे। उनके ग्रुप में कुल आठ लोग थे, जिनमें चार युवक और चार युवतियां शामिल थे। मंगलवार को यह समूह भीमताल के आसपास घूम रहा था, और दोपहर के समय वे मूसाताल पहुंचे। पुलिस के मुताबिक, तालाब के शांत किनारे पर घूमने के दौरान प्रिंस और साहिल ने गर्मी से राहत पाने के लिए पानी में उतरने का फैसला किया। शायद उन्हें तालाब की गहराई का अंदाजा नहीं था या फिर वे मौज-मस्ती के मूड में थे। कुछ ही देर में, दोनों गहरे पानी में फंस गए और डूबने लगे। उनके दोस्तों ने जब उन्हें डूबता देखा तो तुरंत शोर मचाया और मदद के लिए चिल्लाए, लेकिन अफसोस कि उस समय आसपास कोई ऐसा व्यक्ति मौजूद नहीं था जो उन्हें बचा सके। पल भर में खुशियों भरा माहौल चीख-पुकार और निराशा में बदल गया। स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से निकाले गए शव घटना की सूचना मिलते ही भावली के क्षेत्राधिकारी (सीओ) प्रमोद साह और उनकी पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से बचाव अभियान शुरू किया। काफी मशक्कत के बाद दोनों जवानों के शवों को तालाब से बाहर निकाला गया। पुलिस ने मृतकों के शवों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है, ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके। इस दुखद घटना के बाद मृतकों के साथ आए उनके बाकी दोस्त गहरे सदमे में हैं। उनकी छुट्टियां पल भर में मातम में बदल गईं। घटना की जानकारी तुरंत मृतकों के परिजनों को दे दी गई, जिसके बाद उनके घरों में कोहराम मच गया। प्रियजनों को खोने का असहनीय दर्द उनके परिवारों और दोस्तों को हमेशा सालता रहेगा। सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी: लापरवाही बनी जानलेवा पुलिस ने इस घटना के बाद एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है कि मूसाताल जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा को लेकर स्पष्ट चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं और तालाब में नहाने की सख्त मनाही है। इसके बावजूद पर्यटक अक्सर लापरवाही बरतते हैं और बिना सोचे-समझे खतरनाक स्थानों पर उतर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसे होते हैं। सीओ प्रमोद साह ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हम लगातार लोगों को ऐसे खतरनाक स्थानों पर न जाने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने के लिए आगाह कर रहे हैं। जगह-जगह चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए हैं, लेकिन जब लोग नियमों को तोड़ते हैं और लापरवाही करते हैं तो ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसे होते ही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस आगे से ऐसे क्षेत्रों में निगरानी और बढ़ाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता पर उठे गंभीर सवाल यह दर्दनाक घटना एक बार फिर उत्तराखंड में पर्यटक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटकों के बीच जागरूकता की कमी पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या केवल चेतावनी बोर्ड लगा देना ही पर्याप्त है? क्या इन खतरनाक क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को और अधिक सतर्कता और निगरानी नहीं बढ़ानी चाहिए? क्या पर्यटकों को सुरक्षा नियमों और संभावित खतरों के बारे में अधिक प्रभावी ढंग से जागरूक करने की आवश्यकता नहीं है? स्थानीय लोगों का भी मानना है कि पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है। खासकर ऐसे ताल और झरने जो गहरे और खतरनाक हो सकते हैं, वहां पर बैरिकेडिंग की जानी चाहिए और पर्यटकों की निगरानी के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए। इसके अलावा, जागरूकता अभियानों के माध्यम से पर्यटकों को जिम्मेदारी से व्यवहार करने और नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना भी आवश्यक है। यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करने पर ध्यान दे रहे हैं या उनकी सुरक्षा भी हमारी प्राथमिकता है। अगर हम चाहते हैं कि उत्तराखंड एक सुरक्षित और खुशनुमा पर्यटन स्थल बना रहे, तो हमें सुरक्षा व्यवस्था को लेकर और अधिक गंभीर और संवेदनशील होना होगा। प्रिंस यादव और साहिल की असामयिक मृत्यु एक चेतावनी है कि लापरवाही और सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी कितनी भारी पड़ सकती है। उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेते हुए प्रशासन और पर्यटक दोनों ही भविष्य में अधिक सतर्क और जिम्मेदार बनेंगे, ताकि ऐसे हृदयविदारक हादसों को टाला जा सके।

नैनीताल में दर्दनाक हादसा: मूसाताल में नहाते वक्त वायुसेना के दो जवानों की डूबकर मौत, छुट्टियां बनी मातम

भीमताल, नैनीताल, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के नैनीताल जिले के खूबसूरत भीमताल क्षेत्र में मंगलवार का दिन एक गहरे सदमे में बदल गया। यहां मूसाताल में नहाने के दौरान भारतीय वायुसेना के दो युवा जवानों की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। यह हृदयविदारक घटना तब घटी जब वे अपने…

Read More
रुद्रपुर, 3 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के गन्ना किसानों और चीनी मिल कर्मियों की दुर्दशा एक बार फिर सुर्खियों में है। उधम सिंह नगर जिले के नादेही स्थित चीनी मिल के कर्मचारियों का सब्र अब जवाब दे चुका है। पिछले पांच महीनों से वेतन न मिलने से नाराज सैकड़ों मिल कर्मियों ने आज नादेही चीनी मिल गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन-प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है, जिससे उनके सामने गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। बच्चों की स्कूल फीस से लेकर घर के जरूरी खर्चों तक, सब कुछ ठप पड़ गया है। कर्मियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनका बकाया वेतन जारी नहीं किया जाता, उनका यह विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा। भुखमरी की कगार पर परिवार: 'बच्चों के स्कूल खुल गए, फीस कहां से दें?' नादेही चीनी मिल के कर्मचारियों का दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। पिछले पांच महीने से वेतन न मिलने के कारण उनके परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। आज गुरुवार को नादेही चीनी मिल गेट पर बड़ी संख्या में मिल कर्मी एकत्र हुए। हाथों में तख्तियां लिए और गुस्से में नारे लगाते हुए उन्होंने मिल प्रशासन और सरकार के खिलाफ अपना रोष व्यक्त किया। प्रदर्शन के दौरान श्रमिक नेताओं ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि यह सिर्फ वेतन का मामला नहीं है, बल्कि सैकड़ों परिवारों के अस्तित्व का सवाल है। श्रमिक नेता राजेंद्र कुमार, प्रभुनाथ सिंह, अंकुश कुमार और जसविंदर सिंह ने संयुक्त रूप से कहा, "बच्चों के स्कूल खुल गए हैं। हम कैसे उनकी स्कूल फीस भरें? उनकी नई ड्रेस, कॉपी-किताबें खरीदने के पैसे नहीं हैं। पांच महीने से वेतन न मिलने के कारण हमारे घरेलू खर्चे चलाना भी मुश्किल हो गया है।" उन्होंने आगे बताया कि रोजमर्रा की जरूरतें, राशन, बिजली-पानी के बिल, दवाइयां – सब कुछ बकाया है। आर्थिक तंगी के चलते उनका जीवन दूभर हो गया है। शासन-प्रशासन पर गंभीर आरोप: 'क्यों नहीं ली जा रही हमारी सुध?' कर्मचारियों का आरोप है कि इस गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद शासन और प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली है। मिल प्रबंधन भी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए है, जिससे कर्मचारियों में भारी निराशा और गुस्सा है। उनका कहना है कि वे लगातार अपनी मांगों को उठा रहे हैं, ज्ञापन सौंप रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। यह स्थिति कर्मचारियों को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि क्या सरकार और संबंधित विभाग उनकी समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं हैं। राजेंद्र कुमार ने प्रदर्शन के दौरान भावुक होते हुए कहा, "हमें अब केवल न्यायपालिका पर भरोसा है। अगर सरकार और प्रशासन हमारी नहीं सुनेंगे, तो हम कानून का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होंगे।" यह बयान दर्शाता है कि कर्मचारी अब अपने अधिकारों के लिए अंतिम कानूनी विकल्प पर विचार कर रहे हैं। इस प्रदर्शन में रणजीत सिंह, लियाकत हुसैन, रूस्तम, चंद्रशेखर, सुमित सहित कई अन्य श्रमिक भी मौजूद रहे, जिन्होंने अपनी उपस्थिति से आंदोलन को मजबूती प्रदान की। विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा: 'जब तक वेतन नहीं, तब तक शांत नहीं!' चीनी मिल कर्मियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने निर्णय लिया है कि अपने बकाया वेतन को पूर्व की भांति बहाल किए जाने तक उनका विरोध प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा। यह आंदोलन तब तक चलेगा जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं कर दिया जाता। यह स्थिति नादेही चीनी मिल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय है। चीनी मिलें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती हैं, और कर्मचारियों को वेतन न मिलना न केवल उनके परिवारों को प्रभावित करता है, बल्कि स्थानीय बाजार और समग्र आर्थिक गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर डालता है। सरकार को जल्द से जल्द इस मामले में हस्तक्षेप कर कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए ताकि उनके घरों में फिर से खुशहाली लौट सके और मिल का संचालन सुचारू रूप से चल सके।

उत्तराखंड: ‘पांच महीने से कर्मियों को नहीं मिला वेतन!’ नादेही चीनी मिल कर्मियों का फूटा गुस्सा, मिल गेट पर जोरदार प्रदर्शन, गहराया आर्थिक संकट

रुद्रपुर, 3 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के गन्ना किसानों और चीनी मिल कर्मियों की दुर्दशा एक बार फिर सुर्खियों में है। उधम सिंह नगर जिले के नादेही स्थित चीनी मिल के कर्मचारियों का सब्र अब जवाब दे चुका है। पिछले पांच महीनों से वेतन न मिलने से नाराज सैकड़ों मिल…

Read More
काशीपुर, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – वित्तीय धोखाधड़ी और चेक अनादरण (बाउंस) के एक महत्वपूर्ण मामले में, काशीपुर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) पायल सिंह की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने चेक बाउंस के दोषी पाए गए व्यक्ति को तीन माह के कारावास के साथ-साथ 2 लाख 5 हजार रुपये (₹2.05 लाख) के भारी जुर्माने से दंडित किया है। यह फैसला वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता और विश्वास सुनिश्चित करने की दिशा में एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। क्या था मामला? विश्वास के बदले मिला धोखा यह मामला मोहल्ला पक्काकोट निवासी सिमरन पत्नी शंकर द्वारा अधिवक्ता देवेंद्र कुमार पाल के माध्यम से न्यायालय में दायर किए गए एक परिवाद (शिकायत) से जुड़ा है। सिमरन ने अपनी शिकायत में बताया कि उसी मोहल्ले के निवासी अशरफी लाल ने उनसे 11 दिसंबर, 2020 को 1 लाख 80 हजार रुपये (₹1.80 लाख) की बड़ी रकम बतौर उधार ली थी। यह लेन-देन आपसी विश्वास और परिचित होने के नाते किया गया था। उधार ली गई इस राशि के भुगतान के एवज में, अशरफी लाल ने सिमरन को दो चेक जारी किए थे। ये चेक उधार की राशि लौटाने के लिए थे और यह एक कानूनी दस्तावेज होता है जो भुगतान का आश्वासन देता है। सिमरन ने जब इन चेकों को उनके भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया, तो दुर्भाग्यवश, दोनों चेक बाउंस हो गए। इसका अर्थ था कि अशरफी लाल के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं थी, या किसी अन्य तकनीकी कारण से बैंक ने भुगतान करने से इनकार कर दिया था। चेक बाउंस होना नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत एक गंभीर अपराध है, क्योंकि यह वित्तीय लेनदेन में भरोसे को तोड़ता है। कानूनी प्रक्रिया और न्यायालय का अवलोकन चेक बाउंस होने के बाद, सिमरन ने कई बार अशरफी लाल से संपर्क करने का प्रयास किया ताकि वे अपनी उधार ली गई रकम वापस पा सकें, लेकिन जब सभी प्रयास विफल हो गए, तो उन्होंने कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया। उन्होंने अपने अधिवक्ता देवेंद्र कुमार पाल के माध्यम से न्यायालय में परिवाद दायर किया और अशरफी लाल के खिलाफ नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत मुकदमा चलाने की अपील की। मामले की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) पायल सिंह की अदालत में चली। इस दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। परिवादी सिमरन के अधिवक्ता ने चेकों के बाउंस होने, उधार के प्रमाण और अशरफी लाल की भुगतान करने में विफलता से संबंधित सभी साक्ष्यों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। इसमें बैंक की मेमो, लेन-देन के रिकॉर्ड और अन्य संबंधित दस्तावेज शामिल थे। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अशरफी लाल का पक्ष रखा, हालांकि उनके तर्क और प्रस्तुत साक्ष्य न्यायालय को संतुष्ट नहीं कर पाए। न्यायालय ने मामले की गंभीरता को समझते हुए, अधिवक्ताओं की बहस को ध्यानपूर्वक सुना। इसके साथ ही, पत्रावली में उपलब्ध सभी साक्ष्यों और दस्तावेजों का बारीकी से अवलोकन किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए और न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखा जाए। न्यायालय का फैसला: सजा और आर्थिक दंड अधिवक्ताओं की बहस और सभी साक्ष्यों की गहन समीक्षा के बाद, न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अशरफी लाल ने चेक बाउंस कर कानून का उल्लंघन किया है। न्यायालय ने अशरफी लाल को चेक बाउंस के मामले में दोषसिद्ध घोषित किया। दोषसिद्ध होने के बाद, न्यायालय ने अशरफी लाल को तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई। यह सजा यह सुनिश्चित करती है कि दोषी को उसके कृत्य के लिए व्यक्तिगत रूप से भी जवाबदेह ठहराया जाए। कारावास की सजा के अतिरिक्त, न्यायालय ने अशरफी लाल पर 2 लाख 5 हजार रुपये (₹2.05 लाख) का आर्थिक जुर्माना भी लगाया। यह जुर्माना उधार ली गई मूल राशि (₹1.80 लाख) से अधिक है, जो नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत एक सामान्य प्रावधान है। इस एक्ट के तहत अक्सर जुर्माने की राशि चेक की राशि के दोगुने तक हो सकती है, ताकि दोषी पर वित्तीय दबाव पड़े और वह भविष्य में ऐसे अपराधों से बचे। यह अतिरिक्त राशि परिवादी सिमरन को हुए नुकसान की भरपाई और आरोपी के लिए दंड के तौर पर भी कार्य करती है। अधिवक्ता की भूमिका और न्यायिक प्रक्रिया का महत्व इस पूरे मामले में परिवादी सिमरन के अधिवक्ता देवेंद्र कुमार पाल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। उन्होंने प्रभावी ढंग से सिमरन का पक्ष न्यायालय के समक्ष रखा, सभी आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत किए और कानूनी दांव-पेच के बीच अपने मुवक्किल को न्याय दिलाने में सफल रहे। यह फैसला दर्शाता है कि कानूनी प्रक्रिया और एक कुशल अधिवक्ता के माध्यम से न्याय प्राप्त किया जा सकता है, भले ही वित्तीय धोखाधड़ी के मामले जटिल हों। यह निर्णय न केवल सिमरन को न्याय दिलाता है, बल्कि समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि वित्तीय लेनदेन में ईमानदारी और चेकों का सम्मान करना आवश्यक है। चेक बाउंस जैसे मामलों में सख्त सजा वित्तीय प्रणाली में विश्वास बनाए रखने और धोखाधड़ी को हतोत्साहित करने में सहायक होती है। काशीपुर की न्यायिक व्यवस्था द्वारा सुनाया गया यह फैसला निश्चित रूप से भविष्य में ऐसे मामलों में एक मिसाल के तौर पर देखा जाएगा और लोगों को वित्तीय व्यवहार में अधिक सतर्क रहने के लिए प्रेरित करेगा।

चेक बाउंस मामले में कड़ा फैसला: काशीपुर में दोषी को 3 माह का कारावास और ₹2.05 लाख का जुर्माना

काशीपुर, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – वित्तीय धोखाधड़ी और चेक अनादरण (बाउंस) के एक महत्वपूर्ण मामले में, काशीपुर की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) पायल सिंह की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने चेक बाउंस के दोषी पाए गए व्यक्ति को तीन माह के कारावास के साथ-साथ…

Read More