देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के हित में कई बड़े निर्णय लिए हैं। इनमें राज्य की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी मिलना और विधवा व वृद्धावस्था पेंशन को लेकर लिया गया एक बड़ा सामाजिक निर्णय सबसे अहम हैं, जो सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। पंचायत चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण, इस कैबिनेट बैठक की आधिकारिक ब्रीफिंग नहीं हो पाई। हालांकि, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इन फैसलों को राज्य के विकास और सामाजिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। उत्तराखंड की ऊर्जा क्रांति: पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मंजूरी कैबिनेट बैठक का सबसे महत्वपूर्ण फैसला उत्तराखंड की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी देना है। यह एक गेमचेंजर पॉलिसी साबित हो सकती है, खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए जहां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपार संभावनाएं हैं। जियोथर्मल ऊर्जा, धरती की आंतरिक गर्मी का उपयोग कर बिजली उत्पादन करने की तकनीक है, जो स्वच्छ, निरंतर और पर्यावरण के अनुकूल होती है। उत्तराखंड में भूगर्भीय ताप (जियोथर्मल) की क्षमता व्यापक है, विशेषकर हिमालयी क्षेत्रों में। इस नीति को मंजूरी मिलने से राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के अन्वेषण, विकास और दोहन का रास्ता खुल गया है। यह न केवल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सहायक होगा। इससे राज्य में नए निवेश आकर्षित होंगे, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। यह फैसला उत्तराखंड को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लाखों परिवारों को राहत: अब बेटे के 18 साल पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन समाज कल्याण विभाग से जुड़ा एक और ऐतिहासिक और मानवीय फैसला कैबिनेट ने लिया है, जो सीधे तौर पर समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबके को राहत पहुंचाएगा। अब तक के नियमों के तहत, विधवा या वृद्धावस्था पेंशन अक्सर तब रोक दी जाती थी जब पेंशन धारक का पुत्र 18 वर्ष का हो जाता था, यह मानते हुए कि अब वह अपनी माँ या बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल कर सकता है। लेकिन, कैबिनेट ने इस नियम में बड़ा बदलाव करते हुए यह निर्णय लिया है कि पुत्र के 18 साल पूरे होने पर भी वृद्धावस्था और विधवा पेंशन मिलती रहेगी। यह उन लाखों माताओं और बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत है जो अक्सर अपने बच्चों के बालिग होने के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर रहते हैं और पेंशन पर ही निर्भर होते हैं। यह फैसला समाज के एक बड़े वर्ग को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा और उन्हें अनिश्चितता के दौर में आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। यह धामी सरकार की सामाजिक संवेदनशीलता और कल्याणकारी नीतियों का प्रतीक माना जा रहा है। बुनियादी ढांचे और सुशासन पर भी अहम मुहर कैबिनेट बैठक में केवल ऊर्जा और सामाजिक कल्याण ही नहीं, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे और सुशासन से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी मुहर लगी है। सूत्रों के मुताबिक, इन प्रस्तावों में शामिल हैं: पुलों की वहन क्षमता का उन्नयन: पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के तहत प्रदेश में 'बी' ग्रेड के पुलों को 'ए' ग्रेड में अपग्रेड किए जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) की स्थापना को भी मंजूरी दी गई है, जो इन पुलों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए अध्ययन और योजना तैयार करेगी। यह निर्णय पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां मजबूत पुल सड़कें और आवागमन की जीवनरेखा होते हैं। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और दुर्घटनाओं का जोखिम भी कम होगा। डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी: राज्य कर विभाग में डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह लैब डिजिटल अपराधों, साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय घोटालों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे राज्य की जांच एजेंसियों की क्षमताएं बढ़ेंगी और वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। वित्त सेवा संवर्ग का पुनर्गठन: उत्तराखंड के वित्त सेवा संवर्ग के पुनर्गठन को भी मंजूरी मिल गई है। यह कदम राज्य के वित्तीय प्रबंधन को और अधिक कुशल और आधुनिक बनाने की दिशा में उठाया गया है। सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण: सतर्कता विभाग के संशोधित ढांचे को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत इसमें पदों की संख्या बढ़ाकर 152 कर दी गई है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और राज्य में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूत करेगा। खनिज अन्वेषण और फाउंडेशन न्यास: उत्तराखंड राज्य खनिज अन्वेषण न्यास, 2025 और उत्तराखंड जिला खनिज फाउंडेशन न्यास, 2025 को प्रख्यापित किए जाने को भी मंजूरी मिली है। यह राज्य के खनिज संसाधनों के अन्वेषण, प्रबंधन और खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान करेगा। धामी सरकार का 'समग्र विकास' विजन ये सभी फैसले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 'समग्र विकास' और 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन को दर्शाते हैं। एक ओर जहां जियोथर्मल पॉलिसी और पुलों का उन्नयन राज्य के आर्थिक और भौतिक विकास को गति देगा, वहीं विधवा/वृद्धा पेंशन में बदलाव और सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण सामाजिक न्याय और सुशासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते इन फैसलों का विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इन महत्वपूर्ण निर्णयों को जनता के सामने रखेगी और इनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू होगी। यह कैबिनेट बैठक निश्चित रूप से उत्तराखंड के भविष्य के लिए कई नई राहें खोलेगी।

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक का ऐतिहासिक फैसला: राज्य की पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मिली हरी झंडी, अब बेटे के 18 साल पूरे होने पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन! आम आदमी को बड़ी राहत

देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के…

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देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया है। इन दलों पर आरोप है कि वे पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। आयोग के इस कदम ने इन दलों के लिए 21 जुलाई की शाम 5 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है, जिसके बाद उनके अंतिम डीलिस्टिंग (पंजीकरण रद्द करने) का निर्णय लिया जाएगा। यह कार्रवाई उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। क्यों चला आयोग का 'डंडा'? शर्तों पर खरे नहीं उतर रहे कई दल भारत निर्वाचन आयोग, देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और उनके कामकाज पर कड़ी नजर रखता है। आयोग के निर्देशानुसार, उत्तराखंड में कुल 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPPs) हैं। ये वो दल होते हैं, जिन्हें राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त वोट प्रतिशत या सीटें नहीं मिली होतीं, लेकिन वे चुनाव आयोग के पास पंजीकृत होते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग की जांच में सामने आया है कि इन 42 दलों में से कई ऐसे हैं जो 'पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल' बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इन शर्तों में मुख्य रूप से शामिल हैं: नियमित आंतरिक चुनाव: दलों को अपने भीतर नियमित रूप से संगठनात्मक चुनाव कराने होते हैं, ताकि आंतरिक लोकतंत्र बना रहे। वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करना: वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दलों को हर साल अपनी आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपनी होती है। योगदान रिपोर्ट दाखिल करना: दलों को अपने प्राप्त चंदे (कंट्रीब्यूशन) की जानकारी आयोग को देनी होती है। चुनावी गतिविधियों में भागीदारी: दलों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे लगातार चुनाव (विधानसभा या लोकसभा) में भाग लें, भले ही वे सीटें न जीतें। सक्रिय कार्यालय का पता: आयोग ने विशेष रूप से यह भी पाया है कि इन दलों के कार्यालय का कोई सही या सक्रिय पता नहीं है। यानी ये दल केवल कागजों पर मौजूद हैं, जमीनी स्तर पर इनकी कोई सक्रियता नहीं दिख रही है। आयोग ने इन्हीं मानदंडों के आधार पर उत्तराखंड के 6 ऐसे विशिष्ट दलों की पहचान की है, जिन्हें अब नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। अस्तित्व पर खतरा: 21 जुलाई शाम 5 बजे की डेडलाइन नोटिस प्राप्त करने वाले इन 6 दलों को 21 जुलाई, शाम 5 बजे तक अपना जवाब चुनाव आयोग को भेजना होगा। इस जवाब में उन्हें यह साबित करना होगा कि वे आयोग द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं या क्यों उन्हें डीलिस्ट नहीं किया जाना चाहिए। यदि ये दल निर्धारित समय-सीमा के भीतर संतोषजनक जवाब प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं या अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं दे पाते हैं, तो भारत निर्वाचन आयोग इनकी अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय लेगा। डीलिस्टिंग का अर्थ है कि इन दलों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा, और वे अब चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दल नहीं रह जाएंगे। क्यों महत्वपूर्ण है यह कार्रवाई? पारदर्शिता और जवाबदेही की पहल चुनाव आयोग द्वारा यह कार्रवाई केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि देश भर में ऐसे निष्क्रिय और गैर-अनुपालनकारी राजनीतिक दलों के खिलाफ अभियान का हिस्सा है। आयोग का मुख्य उद्देश्य है कि: राजनीतिक प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना: ऐसे दल जो केवल कागजों पर मौजूद हैं और जिनका कोई वास्तविक राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, उन्हें प्रणाली से हटाना। फंडिंग में पारदर्शिता: कई बार ऐसे निष्क्रिय दलों का उपयोग धन के लेन-देन या कर चोरी के लिए भी किया जाता है। आयोग ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहता है। संसाधनों का कुशल उपयोग: चुनाव आयोग के सीमित संसाधनों का उपयोग केवल सक्रिय और वास्तविक राजनीतिक दलों के लिए हो। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना: केवल वास्तविक और सक्रिय दल ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लें, जिससे राजनीतिक प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़े। यह कदम उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक नई बहस छेड़ सकता है, खासकर उन छोटे दलों के बीच जो अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रभाव और चुनौतियाँ: क्या खोएंगे ये दल? यदि इन 6 दलों का पंजीकरण रद्द होता है, तो उन्हें कई लाभों से वंचित होना पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं: निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) की निःशुल्क प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार। सार्वजनिक प्रसारकों (जैसे दूरदर्शन और आकाशवाणी) पर मुफ्त हवाई समय। चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवारों के लिए साझा चुनाव चिह्न की सुविधा (यदि आयोग द्वारा आवंटित की जाती है)। डीलिस्ट होने के बाद, यदि ये दल भविष्य में चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो उन्हें नए सिरे से पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह चुनौती इन दलों के लिए उनके अस्तित्व को बचाने की आखिरी लड़ाई साबित हो सकती है। चुनाव आयोग का यह कदम स्पष्ट संदेश है कि राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा और केवल कागजों पर पंजीकृत होकर ही राजनीतिक दल बने नहीं रहा जा सकता। उत्तराखंड में जिन दलों को नोटिस मिला है, उन्हें अब 21 जुलाई तक अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूत दलीलें और प्रमाण पेश करने होंगे। इस फैसले से राज्य की छोटी राजनीतिक पार्टियों के कामकाज में निश्चित रूप से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही देखने को मिलेगी।

उत्तराखंड की सियासत में भूचाल! चुनाव आयोग का ‘डंडा’ चला, 6 राजनीतिक दलों पर लटकी ‘अस्तित्व’ की तलवार, 21 जुलाई तक ‘आखिरी मौका’

देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया…

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काशीपुर, 07 जुलाई 2025 (समय बोल रहा) — उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का आज देहरादून जाते समय काशीपुर के कुंडा क्षेत्र में अल्प विश्राम के दौरान भव्य स्वागत किया गया। वे कुछ देर के लिए रॉयल हवेली में रुके थे, जहां बड़ी संख्या में स्थानीय कार्यकर्ता एवं गणमान्य लोग उनके दर्शन के लिए पहुंचे। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने उनका पारंपरिक ढंग से फूलमालाओं और अंगवस्त्रों से अभिनंदन किया। कोश्यारी जी ने सभी कार्यकर्ताओं का स्नेहपूर्वक आभार व्यक्त किया और संगठन के प्रति उनके समर्पण और निष्ठा की सराहना की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने जताया सम्मान कोश्यारी जी के स्वागत समारोह में भाग लेने वालों में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता, पूर्व सांसद प्रतिनिधि और स्थानीय नेता शामिल थे। मुख्य रूप से उपस्थित लोगों में शामिल थे: पूर्व सांसद प्रतिनिधि रवि साहनी , भाजपा नेता दीपकोश्यारी ,शीतल जोशी,अंकुरकुमार ,हिमांशु शर्मा,राज्य मंत्री अंबिका चौधरी,सुरेश लोहिया ,अनूप सिंह,अभिषेक गोयल, जे.एस. नरूला ,प्रगट सिंह ,आनंद वैश्य ,ईश्वर चंद्र गुप्ता ,बच्चू अरोरा ,अजय शंकर कार्यकर्ताओं ने उन्हें सम्मानित कर उनके योगदान को याद किया और कहा कि कोश्यारी जी का जीवन सभी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कोश्यारी का संदेश: "निष्ठा ही संगठन की ताकत है" संक्षिप्त बातचीत में श्री कोश्यारी ने कहा कि कार्यकर्ताओं की निष्ठा और प्रतिबद्धता ही किसी संगठन की असली ताकत होती है। उन्होंने कहा: " आप सभी का समर्पण ही संगठन को मजबूत बनाता है। यह देख कर हर्ष होता है कि कार्यकर्ता अब भी उसी भावना से कार्य कर रहे हैं जैसे पहले किया करते थे।" उन्होंने कार्यकर्ताओं से संगठन के साथ ईमानदारी और अनुशासन से जुड़े रहने का आग्रह किया। सामाजिक सरोकार और सादगी की मिसाल भगत सिंह कोश्यारी का जीवन हमेशा सादगी, पारदर्शिता और राष्ट्रभक्ति से जुड़ा रहा है। चाहे मुख्यमंत्री के रूप में रहा उनका कार्यकाल हो या महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में निभाई गई जिम्मेदारियाँ, उन्होंने हमेशा लोकहित को प्राथमिकता दी। कोश्यारी जी के इस अनौपचारिक पड़ाव ने यह एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि वे न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि जनता के प्रिय जननायक भी हैं। उनका व्यवहार, बोलने का अंदाज और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद लोगों को सहज महसूस कराता है। जनता से जुड़ाव बना रहा अटूट कोश्यारी जी अब सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनका जुड़ाव जनता से आज भी उतना ही प्रबल है। यह बात उनके काशीपुर आगमन पर कार्यकर्ताओं और नागरिकों की भारी उपस्थिति ने सिद्ध कर दी। लोग अपने नेता को देखने और सम्मान देने के लिए स्वयं आगे बढ़कर आए। वर्तमान में भी प्रासंगिक व्यक्तित्व जहां राजनीति में बदलाव और नई पीढ़ी का प्रवेश हो रहा है, वहीं कोश्यारी जैसे वरिष्ठ नेताओं की भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में सामने आती है। उनके अनुभव, विचार और नेतृत्व क्षमता आज भी युवाओं के लिए सीखने योग्य हैं।

जन-जन के नायक, हिमालय पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का काशीपुर में भव्य स्वागत

काशीपुर, 07 जुलाई 2025 (समय बोल रहा) — उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का आज देहरादून जाते समय काशीपुर के कुंडा क्षेत्र में अल्प विश्राम के दौरान भव्य स्वागत किया गया। वे कुछ देर के लिए रॉयल हवेली में रुके थे, जहां बड़ी संख्या में स्थानीय कार्यकर्ता एवं…

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देहरादून, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शनिवार, 5 जुलाई को समाप्त हो गई, और जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले और चिंताजनक हैं। प्रदेशभर में ग्राम प्रधान के पदों के लिए तो नामांकन का 'महाकुंभ' देखने को मिला, नेताओं और स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह दिखा, लेकिन इसके ठीक विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए उम्मीद के मुताबिक नामांकन दाखिल नहीं हो पाए। इस स्थिति ने राज्य निर्वाचन आयोग और ग्रामीण लोकतंत्र के विशेषज्ञों को सकते में डाल दिया है, क्योंकि इन शुरुआती आंकड़ों से साफ संकेत मिल रहा है कि इस बार पंचायती राज व्यवस्था में बड़ी संख्या में पद रिक्त रह सकते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। अंकों की जुबानी, उदासीनता की कहानी: सदस्य पदों पर सन्नाटा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों ने इस असमानता को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। नामांकन के पहले तीन दिनों में, चुनाव आयोग के समक्ष कुल 66,418 पदों के लिए केवल 32,239 नामांकन दाखिल हुए थे। यह अपने आप में एक बड़ा गैप दिखाता है, लेकिन जब हम इसे पदों के अनुसार देखते हैं तो स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। ग्राम प्रधान पद पर बंपर नामांकन: ग्राम प्रधान के कुल 7,499 पदों के लिए, पहले तीन दिनों में ही रिकॉर्ड तोड़ 15,917 नामांकन दर्ज हुए। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस प्रतिष्ठित पद को लेकर ग्रामीण आबादी में कितना जबरदस्त उत्साह और प्रतिस्पर्धा है। कई सीटों पर तो एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतरने को तैयार दिख रहे हैं। शनिवार को अंतिम दिन यह आंकड़ा और भी तेजी से बढ़ा, हालांकि खबर लिखे जाने तक आयोग द्वारा अंतिम और पूर्ण आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। प्रधान का पद गांव के मुखिया का होता है, जिसके पास विकास योजनाओं पर निर्णय लेने और करोड़ों के फंड्स का प्रबंधन करने का अधिकार होता है, शायद यही वजह है कि यह पद लोगों के लिए इतना आकर्षक है। ग्राम पंचायत सदस्य पद पर 'उदासीनता' का सन्नाटा: इसके ठीक विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य के कुल 55,587 पदों के लिए पहले तीन दिनों में मात्र 7,235 नामांकन ही आए। यह आंकड़ा बेहद निराशाजनक है, क्योंकि यह कुल पदों का 15% भी नहीं है। अंतिम दिन भी इस पद के लिए नामांकन को लेकर कोई खास उत्साह या भीड़ देखने को नहीं मिली, जो प्रधान पद के लिए उमड़ी भीड़ से बिल्कुल अलग था। यह आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए आमजन की रुचि अपेक्षा से कहीं अधिक कम है। कई वार्डों में तो एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ है, जिससे ये सीटें सीधे तौर पर खाली रहने के कगार पर हैं। क्यों आई यह 'उदासीनता'? सत्ता-विहीन पदों का आकर्षण कम सवाल उठता है कि आखिर ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई कहे जाने वाले ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए इतनी उदासीनता क्यों है? विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं: सत्ता और संसाधनों का अभाव: ग्राम प्रधान के पास सीधे तौर पर विकास कार्यों के लिए धन का आवंटन और निर्णय लेने की शक्ति होती है। इसके विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य के पास न तो कोई बड़ा फंड होता है और न ही निर्णय लेने की सीधी शक्ति। उनका काम मुख्य रूप से ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेना और प्रधान के फैसलों पर मुहर लगाना होता है, जिससे यह पद 'सत्ता-विहीन' या कम प्रभावशाली माना जाता है। कम सामाजिक सम्मान: प्रधान पद की तुलना में ग्राम पंचायत सदस्य के पद को सामाजिक रूप से कम महत्वपूर्ण माना जाता है, जिससे लोग इस पद के लिए समय और धन खर्च करने को तैयार नहीं होते। जागरूकता की कमी: ग्रामीण आबादी में ग्राम पंचायत सदस्य के वास्तविक कर्तव्यों, अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भूमिका के बारे में जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकती है। अभियान का खर्च: भले ही यह एक छोटा पद हो, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए कुछ न्यूनतम खर्च तो आता ही है। जब पद में कोई सीधा लाभ या प्रतिष्ठा न हो, तो लोग उस पर पैसा खर्च करने से कतराते हैं। बढ़ती शहरीकरण की प्रवृत्ति: ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का शहरों की ओर पलायन भी एक कारण हो सकता है, जिससे सक्रिय युवा भागीदारी कम हो रही है। आगे की प्रक्रिया: जांच से मतदान तक का चुनावी कार्यक्रम नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग अब अगले चरण में प्रवेश करेगा। नामांकन पत्रों की जांच: 7 से 9 जुलाई तक राज्य निर्वाचन आयोग दोनों चरणों के लिए दाखिल हुए सभी नामांकन पत्रों की गहन जांच करेगा। इस दौरान यह देखा जाएगा कि सभी आवेदन वैध हैं और उम्मीदवारों ने नियमों का पालन किया है। नाम वापसी का अवसर: नामांकन पत्रों की जांच के बाद, इच्छुक उम्मीदवार 10 और 11 जुलाई को अपने नाम वापस ले सकेंगे। इसके बाद ही चुनाव मैदान में बचे उम्मीदवारों की अंतिम सूची स्पष्ट हो पाएगी। चुनाव चिह्न आवंटन: नाम वापसी के बाद, चुनाव मैदान में टिके उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। पहले चरण के लिए चुनाव चिह्न का आवंटन: 14 जुलाई दूसरे चरण के लिए चुनाव चिह्न का आवंटन: 18 जुलाई मतदान की तिथियां: पहले चरण का मतदान: 24 जुलाई दूसरे चरण का मतदान: 28 जुलाई परिणामों की घोषणा: दोनों चरणों के लिए डाले गए मतों की गणना के बाद, परिणामों की घोषणा 31 जुलाई को की जाएगी। लोकतंत्र पर सवाल और आयोग की चुनौती त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के लिए पर्याप्त नामांकन होना तो अच्छी बात है, लेकिन सदस्य पदों के लिए यह उदासीनता निश्चित रूप से चिंता का विषय है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी को लेकर एक गहरी जागरूकता की कमी और राजनीतिक उदासीनता को दर्शाता है। अगर बड़ी संख्या में सदस्य पद खाली रह जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर पंचायती राज व्यवस्था के सुचारु संचालन और ग्रामीण स्तर पर प्रभावी प्रतिनिधित्व को प्रभावित करेगा। आगामी दिनों में राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती होगी कि इन रिक्त पदों पर पुनः चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए या किसी वैकल्पिक व्यवस्था (जैसे नामित प्रतिनिधियों की व्यवस्था, यदि कानूनी ढांचा इसकी अनुमति देता है) पर विचार किया जाए। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची में कितनी विविधता और वास्तविक प्रतिस्पर्धा नजर आती है। इस पूरी प्रक्रिया पर ग्रामीण विकास और लोकतांत्रिक सुदृढ़ता के लिए गहन चिंतन की आवश्यकता है।

55 हजार ग्राम पंचायत सदस्य पद ‘लावारिस’? उत्तराखंड पंचायत चुनाव में चौंकाने वाली तस्वीर, क्या खाली रह जाएंगी हजारों गांवों की सीटें?

देहरादून, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शनिवार, 5 जुलाई को समाप्त हो गई, और जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले और चिंताजनक हैं। प्रदेशभर में ग्राम प्रधान के पदों के लिए तो नामांकन का ‘महाकुंभ’…

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टनकपुर, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के टनकपुर से आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा का आगाज़ हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर पर्यटक आवास गृह से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक पवित्र मार्ग है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में यह अब भौगोलिक सीमाओं को लांघते हुए शिव से साक्षात्कार का एक सशक्त माध्यम बन गई है, जहां पहले सप्ताह भर का समय लगता था, वह अब कुछ ही घंटों में संभव हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वयं उपस्थित होकर यात्रियों का न केवल पारंपरिक रूप से स्वागत किया, बल्कि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े स्मृति चिह्न और मालाएं भेंट कर उन्हें भावभीनी विदाई भी दी। विविधता में एकता: 11 राज्यों से आए 45 श्रद्धालुओं का पहला दल इस ऐतिहासिक कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल में देश के विभिन्न कोनों से आए कुल 45 श्रद्धालु शामिल हैं। यह दल भारत की आध्यात्मिक विविधता में एकता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता है। इन यात्रियों में 32 पुरुष और 13 महिलाएं हैं, जो छत्तीसगढ़, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे 11 विभिन्न राज्यों से अपनी आस्था और भक्ति के साथ इस पवित्र यात्रा के लिए टनकपुर पहुंचे थे। यह तथ्य स्वयं में दर्शाता है कि कैलाश मानसरोवर की आध्यात्मिक ऊर्जा देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक यात्री से संवाद किया। उन्होंने यात्रियों का देवभूमि उत्तराखंड में हार्दिक स्वागत किया और उनसे उनकी यात्रा संबंधी तैयारियों और अपेक्षाओं के बारे में जानकारी ली। सीएम ने बताया कि उनकी सरकार यात्रा को सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। सीएम धामी का संबोधन: केवल यात्रा नहीं, आत्मिक जागरण का मार्ग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं और जनता को संबोधित करते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा के आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मिक और आध्यात्मिक जागरण का मार्ग है।" सीएम ने जोर देकर कहा कि जो श्रद्धालु इस अद्वितीय यात्रा के सहभागी बन रहे हैं, वे केवल एक भौगोलिक यात्रा नहीं कर रहे, बल्कि वे समर्पण और आत्म-साक्षात्कार की एक गहरी अनुभूति लेकर जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की भूमि के धार्मिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि "उत्तराखंड की पवित्र धरती के कण-कण में भगवान शिव का वास है। यह देवभूमि अनादि काल से ही आध्यात्मिकता का केंद्र रही है और कैलाश मानसरोवर की यात्रा इसी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।" पीएम मोदी का दूरदर्शी नेतृत्व: सीमाओं को लांघती 'शिव से साक्षात्कार' की यात्रा अपने संबोधन में मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़ संकल्प की विशेष सराहना की। उन्होंने कहा कि पहले जिस कैलाश मानसरोवर यात्रा में दुर्गम रास्तों और कठिन परिस्थितियों के कारण सात दिन या उससे भी अधिक का समय लगता था, अब वह प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से कुछ ही घंटों में संभव हो सकी है। यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि है जिसने श्रद्धालुओं के लिए इस पवित्र धाम तक पहुंच को बहुत आसान बना दिया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और दृढ़ संकल्प से यह यात्रा अब केवल एक भौगोलिक मार्ग नहीं रही, बल्कि यह सीमाओं को लांघते हुए शिव से साक्षात्कार का एक सशक्त माध्यम बन गई है।" इसका सीधा अर्थ यह है कि आधारभूत संरचना के विकास और बेहतर कनेक्टिविटी के कारण श्रद्धालु अब कम समय और अधिक सुविधा के साथ इस पवित्र स्थान तक पहुंच पा रहे हैं, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा और भी सुगम बन गई है। राज्य सरकार की प्रतिबद्धता: सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा मुख्यमंत्री धामी ने यह भी दोहराया कि उत्तराखंड सरकार कैलाश मानसरोवर यात्रा को प्रत्येक यात्री के लिए सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए पूरी तरह समर्पित है। उन्होंने बताया कि यात्रा मार्ग के प्रत्येक पड़ाव पर श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। इनमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, आरामदायक आवास व्यवस्था, पौष्टिक भोजन, पुख्ता सुरक्षा और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि श्रद्धालुओं को अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। यह प्रतिबद्धता श्रद्धालुओं को बिना किसी चिंता के अपनी यात्रा पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने अंत में भगवान भोलेनाथ से सभी यात्रियों की सफल, मंगलमय और सुरक्षित यात्रा की कामना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगी, बल्कि उत्तराखंड की देवभूमि छवि को भी और मजबूत करेगी। आध्यात्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा कैलाश मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने और उसके पहले दल को मुख्यमंत्री द्वारा रवाना किया जाना उत्तराखंड में आध्यात्मिक पर्यटन को एक नई गति देगा। यह न केवल राज्य की आय में वृद्धि करेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। कैलाश मानसरोवर जैसे पवित्र स्थलों तक आसान पहुंच से देश-विदेश के अधिक से अधिक श्रद्धालु उत्तराखंड की ओर आकर्षित होंगे, जिससे राज्य की पहचान एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में और भी प्रगाढ़ होगी। यह यात्रा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक स्तर पर भी प्रदर्शित करेगी।

इतिहास रचते हुए कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला दल निकला! CM धामी ने टनकपुर से दी हरी झंडी, पीएम मोदी के ‘विजन’ से अब घंटों में शिव के दर्शन

टनकपुर, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के टनकपुर से आज एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा का आगाज़ हुआ। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर पर्यटक आवास गृह से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक…

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देहरादून, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे एसटीएफ के 'ऑपरेशन प्रहार' को बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने एक ऐसे शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने मात्र एक महीने के भीतर 4.35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। इस ठग का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि सिविल इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी है, जिसने अपनी तकनीकी समझ का दुरुपयोग कर फर्जी मैट्रीमोनियल साइट्स, व्हाट्सएप कॉलिंग और नकली क्रिप्टो एप्लीकेशन्स के ज़रिए भोले-भाले लोगों को करोड़ों का चूना लगाया। यह गिरफ्तारी साइबर अपराध के लगातार बढ़ते जाल को उजागर करती है और बताती है कि कैसे पढ़े-लिखे लोग भी गलत रास्ते पर चलकर वित्तीय अपराधों के मास्टरमाइंड बन रहे हैं। शादी के नाम पर दोस्ती, फिर क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट का 'जाल' इस बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा नैनीताल निवासी एक पीड़ित की शिकायत के बाद हुआ। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उसकी sangam.com नामक एक लोकप्रिय मैट्रीमोनियल वेबसाइट पर 'आरुषि रॉय' (Aroshi Roy) नाम की एक महिला से पहचान हुई थी। ऑनलाइन हुई यह पहचान कुछ समय बाद व्हाट्सएप चैट और कॉलिंग तक पहुंच गई, जहां महिला ने पीड़ित से विश्वास कायम किया। धोखेबाज महिला ने खुद को कंबोडिया में एक बड़े कपड़े के व्यापारी के रूप में पेश किया और पीड़ित को बताया कि वह क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर भारी मुनाफा कमा रही है। विश्वास जीतने के लिए, उसने पीड़ित को 'Ban' नामक एक एप्लीकेशन के ज़रिए क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए राजी किया। शुरुआती लेनदेन में, जालसाजों ने छोटी रकम वापस लौटाकर पीड़ित का भरोसा जीता, जिससे पीड़ित को लगा कि यह एक वैध और मुनाफे वाला निवेश है। इस तरह से भरोसा जीतने के बाद, धोखेबाजों ने पीड़ित से लगभग ₹62.50 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में जमा करवा लिए। जब पीड़ित को अपने पैसों की वापसी में दिक्कत आने लगी और संपर्क टूट गया, तब उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुका है। फर्जी 'Banocoin' ऐप से दिखाते थे मुनाफा, लालच में फँसते थे लोग इस साइबर गैंग की स्क्रिप्ट बेहद चालाकी और सोच-समझकर तैयार की गई थी। पीड़ितों को जाल में फंसाने के लिए, जालसाज 'Banocoin' नामक एक फर्जी एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते थे। इस ऐप पर, उन्हें निवेशित राशि पर फर्जी मुनाफा दिखाया जाता था। यह दिखावटी मुनाफा निवेशकों को और अधिक पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित करता था। इस लालच में आकर, कई लोग लाखों रुपये तक गंवा बैठे। पुलिस जांच में जो सामने आया वह और भी चौंकाने वाला था। आरोपी फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर मैट्रीमोनियल साइट्स पर महिलाओं का प्रोफाइल बनाकर चैटिंग करता था। शुरुआती पहचान के बाद, वह व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़ितों से संपर्क साधता था और अपनी मीठी बातों और भरोसेमंद आवाज के जरिए उन्हें अपने जाल में फंसाता था। यह एक बेहद ही परिष्कृत तरीका था जिससे पीड़ितों को पता ही नहीं चल पाता था कि वे एक शातिर ठग के चंगुल में फंस रहे हैं। तमिलनाडु से दबोचा गया इंजीनियर ठग: पहले भी दर्जनभर मुकदमे उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर थाना कुमाऊं टीम ने तकनीकी विश्लेषण और खुफिया जानकारी के आधार पर इस ठगी के मास्टरमाइंड तक पहुंच बनाई। आरोपी वेल्मुरुगन (VELMURUGAN S/O KUPPUSAMY) को तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी साइबर अपराध के खिलाफ एसटीएफ की लगातार सक्रियता का प्रमाण है। प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को पता चला कि वेल्मुरुगन एक सिविल इंजीनियरिंग डिग्रीधारी है, जो यह साबित करता है कि साइबर अपराधी अब केवल अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं, बल्कि तकनीकी रूप से कुशल पेशेवर भी इस दलदल में फंस रहे हैं। पूछताछ में यह भी सामने आया कि सिर्फ एक महीने में आरोपी के बैंक खातों से 4.35 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है! यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि यह सिर्फ एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि वेल्मुरुगन देशभर में फैले एक बड़े और संगठित साइबर गैंग की एक महत्वपूर्ण कड़ी हो सकता है। वेल्मुरुगन का आपराधिक इतिहास भी लंबा है। उसके खिलाफ पहले से ही तमिलनाडु के विभिन्न साइबर थानों में चार मामले दर्ज हैं: FIR No. 102/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कोयंबटूर, तमिलनाडु FIR No. 188/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कोयंबटूर, तमिलनाडु FIR No. 47/2024, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, मदुरई, तमिलनाडु FIR No. 28/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कांचीपुरम, तमिलनाडु यह दर्शाता है कि यह अपराधी लंबे समय से साइबर धोखाधड़ी के धंधे में लिप्त था। STF का दृढ़ संकल्प: "अब नहीं बख्शे जाएंगे साइबर शातिर" वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक STF नवनीत सिंह के निर्देशन में, साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने इस पूरे घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंस्पेक्टर अरुण कुमार की अगुवाई वाली टीम ने तकनीकी विश्लेषण, विभिन्न बैंक खातों की जांच, व्हाट्सएप डेटा और सर्विस प्रोवाइडर्स से प्राप्त डाटा का गहन अध्ययन किया, जिसके आधार पर आरोपी तक पहुंचा जा सका। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को हल्द्वानी जेल भेज दिया गया है, और आगे की पूछताछ और जांच जारी है ताकि इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके। एसटीएफ ने स्पष्ट संदेश दिया है कि साइबर अपराधियों को अब बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ 'ऑपरेशन प्रहार' लगातार जारी रहेगा। जनता को STF की चेतावनी: “लालच में आए तो लुट गए समझो" साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, एसटीएफ ने आम जनता के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है, जिसका शीर्षक है: “लालच में आए तो लुट गए समझो।" आयोग ने लोगों को इन बिंदुओं पर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है: फर्जी मैट्रीमोनियल साइट्स से अत्यधिक सतर्क रहें। ऑनलाइन पहचान पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। व्हाट्सएप कॉलिंग या किसी भी सोशल मीडिया पर अजनबियों से दोस्ती करने से पहले उनकी विश्वसनीयता की पूरी जांच करें। कोई भी फर्जी एप्लिकेशन, जैसे Banocoin या इसी तरह के अन्य प्लेटफॉर्म, पर इन्वेस्टमेंट करने से बचें। ये अक्सर बड़े मुनाफे का लालच देकर आपको फंसाते हैं। YouTube लाइक, सब्सक्राइब और टेलीग्राम चैनल पर दिख रहे आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर अक्सर एक बड़ा जाल होते हैं। इनकी हकीकत जाने बिना निवेश न करें। सोशल मीडिया पर किसी से भी दोस्ती करने से पहले अत्यधिक सतर्कता बरतें और अपनी निजी जानकारी साझा न करें। किसी भी फर्जी कॉल या वेबसाइट पर अपनी बैंक डिटेल्स, ओटीपी, पिन या अन्य गोपनीय जानकारी कभी भी शेयर न करें। यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो बिना देर किए तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या अपने नजदीकी साइबर थाना से संपर्क करें। यह गिरफ्तारी साइबर अपराधों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की दृढ़ता को दर्शाती है, लेकिन जनता की जागरूकता और सावधानी ही ऐसे अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।

बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड में STF का ‘ऑपरेशन प्रहार’ सफल! 62 लाख की ठगी का मास्टरमाइंड इंजीनियर गिरफ्तार, 4.35 करोड़ के लेनदेन का सनसनीखेज खुलासा

देहरादून, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे एसटीएफ के ‘ऑपरेशन प्रहार’ को बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने एक ऐसे शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने मात्र एक महीने के भीतर 4.35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम…

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भीमताल, नैनीताल, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के नैनीताल जिले के खूबसूरत भीमताल क्षेत्र में मंगलवार का दिन एक गहरे सदमे में बदल गया। यहां मूसाताल में नहाने के दौरान भारतीय वायुसेना के दो युवा जवानों की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। यह हृदयविदारक घटना तब घटी जब वे अपने दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए भीमताल और नैनीताल घूमने आए थे। इस हादसे ने न सिर्फ उनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है, बल्कि पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता के मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खुशियों की तलाश में आए थे, मौत ने गले लगाया पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, मृतकों की पहचान प्रिंस यादव और साहिल के रूप में हुई है। दोनों ही भारतीय वायुसेना में कार्यरत थे और पंजाब के पठानकोट से अपने छह अन्य दोस्तों के साथ उत्तराखंड की नैसर्गिक सुंदरता का आनंद लेने आए थे। उनके ग्रुप में कुल आठ लोग थे, जिनमें चार युवक और चार युवतियां शामिल थे। मंगलवार को यह समूह भीमताल के आसपास घूम रहा था, और दोपहर के समय वे मूसाताल पहुंचे। पुलिस के मुताबिक, तालाब के शांत किनारे पर घूमने के दौरान प्रिंस और साहिल ने गर्मी से राहत पाने के लिए पानी में उतरने का फैसला किया। शायद उन्हें तालाब की गहराई का अंदाजा नहीं था या फिर वे मौज-मस्ती के मूड में थे। कुछ ही देर में, दोनों गहरे पानी में फंस गए और डूबने लगे। उनके दोस्तों ने जब उन्हें डूबता देखा तो तुरंत शोर मचाया और मदद के लिए चिल्लाए, लेकिन अफसोस कि उस समय आसपास कोई ऐसा व्यक्ति मौजूद नहीं था जो उन्हें बचा सके। पल भर में खुशियों भरा माहौल चीख-पुकार और निराशा में बदल गया। स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से निकाले गए शव घटना की सूचना मिलते ही भावली के क्षेत्राधिकारी (सीओ) प्रमोद साह और उनकी पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से बचाव अभियान शुरू किया। काफी मशक्कत के बाद दोनों जवानों के शवों को तालाब से बाहर निकाला गया। पुलिस ने मृतकों के शवों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है, ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा सके। इस दुखद घटना के बाद मृतकों के साथ आए उनके बाकी दोस्त गहरे सदमे में हैं। उनकी छुट्टियां पल भर में मातम में बदल गईं। घटना की जानकारी तुरंत मृतकों के परिजनों को दे दी गई, जिसके बाद उनके घरों में कोहराम मच गया। प्रियजनों को खोने का असहनीय दर्द उनके परिवारों और दोस्तों को हमेशा सालता रहेगा। सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी: लापरवाही बनी जानलेवा पुलिस ने इस घटना के बाद एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है कि मूसाताल जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा को लेकर स्पष्ट चेतावनी बोर्ड लगाए गए हैं और तालाब में नहाने की सख्त मनाही है। इसके बावजूद पर्यटक अक्सर लापरवाही बरतते हैं और बिना सोचे-समझे खतरनाक स्थानों पर उतर जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसे होते हैं। सीओ प्रमोद साह ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हम लगातार लोगों को ऐसे खतरनाक स्थानों पर न जाने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने के लिए आगाह कर रहे हैं। जगह-जगह चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए हैं, लेकिन जब लोग नियमों को तोड़ते हैं और लापरवाही करते हैं तो ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण हादसे होते ही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस आगे से ऐसे क्षेत्रों में निगरानी और बढ़ाएगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता पर उठे गंभीर सवाल यह दर्दनाक घटना एक बार फिर उत्तराखंड में पर्यटक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटकों के बीच जागरूकता की कमी पर कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या केवल चेतावनी बोर्ड लगा देना ही पर्याप्त है? क्या इन खतरनाक क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को और अधिक सतर्कता और निगरानी नहीं बढ़ानी चाहिए? क्या पर्यटकों को सुरक्षा नियमों और संभावित खतरों के बारे में अधिक प्रभावी ढंग से जागरूक करने की आवश्यकता नहीं है? स्थानीय लोगों का भी मानना है कि पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है। खासकर ऐसे ताल और झरने जो गहरे और खतरनाक हो सकते हैं, वहां पर बैरिकेडिंग की जानी चाहिए और पर्यटकों की निगरानी के लिए प्रशिक्षित कर्मचारियों की तैनाती होनी चाहिए। इसके अलावा, जागरूकता अभियानों के माध्यम से पर्यटकों को जिम्मेदारी से व्यवहार करने और नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करना भी आवश्यक है। यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करने पर ध्यान दे रहे हैं या उनकी सुरक्षा भी हमारी प्राथमिकता है। अगर हम चाहते हैं कि उत्तराखंड एक सुरक्षित और खुशनुमा पर्यटन स्थल बना रहे, तो हमें सुरक्षा व्यवस्था को लेकर और अधिक गंभीर और संवेदनशील होना होगा। प्रिंस यादव और साहिल की असामयिक मृत्यु एक चेतावनी है कि लापरवाही और सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी कितनी भारी पड़ सकती है। उम्मीद है कि इस घटना से सबक लेते हुए प्रशासन और पर्यटक दोनों ही भविष्य में अधिक सतर्क और जिम्मेदार बनेंगे, ताकि ऐसे हृदयविदारक हादसों को टाला जा सके।

नैनीताल में दर्दनाक हादसा: मूसाताल में नहाते वक्त वायुसेना के दो जवानों की डूबकर मौत, छुट्टियां बनी मातम

भीमताल, नैनीताल, 2 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के नैनीताल जिले के खूबसूरत भीमताल क्षेत्र में मंगलवार का दिन एक गहरे सदमे में बदल गया। यहां मूसाताल में नहाने के दौरान भारतीय वायुसेना के दो युवा जवानों की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। यह हृदयविदारक घटना तब घटी जब वे अपने…

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हल्द्वानी, 1 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा) – भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन हल्द्वानी-कुमाऊं के लिए आज एक बेहद खास और गर्व का दिन है। हल्द्वानी मॉड्यूल से उप महासचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे कुलदीप सिंह बवेजा को स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह सिर्फ उनके लिए एक बड़ी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे कुमाऊं क्षेत्र और देवभूमि उत्तराखंड के लिए भी एक ऐतिहासिक सम्मान है। बवेजा की यह उपलब्धि इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि पहाड़ की प्रतिभा और मजबूत नेतृत्व क्षमता दूर दिल्ली तक अपनी सशक्त जगह बना सकती है, और वहां भी अपना डंका बजा सकती है। संघर्ष और समर्पण का सफर: हल्द्वानी से राष्ट्रीय पटल तक कुलदीप सिंह बवेजा का सफर कड़ी मेहनत, निष्ठा और कर्मचारियों के हितों के प्रति अटूट समर्पण का प्रतीक है। हल्द्वानी-कुमाऊं मॉड्यूल में उप महासचिव रहते हुए उन्होंने स्थानीय स्तर पर बैंक कर्मचारियों की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए अथक प्रयास किए। उनके इसी समर्पण और प्रभावी कार्यशैली ने उन्हें संगठन के भीतर एक विश्वसनीय और लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित किया। अब उन्हें भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सर्किल भारतीय स्टेट बैंक के विशालकाय नेटवर्क का एक अहम हिस्सा है, जो न केवल दिल्ली बल्कि कई अन्य प्रमुख क्षेत्रों के हजारों कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रतिष्ठित पद पर उत्तराखंड से आने वाले किसी व्यक्ति का चुना जाना, जिसने अपनी जड़ें पहाड़ में जमाई हों, यह दर्शाता है कि संगठन ने उनके अनुभव, नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता पर पूरा भरोसा जताया है। बवेजा की यह नियुक्ति केवल उनके व्यक्तिगत करियर में एक बड़ा मुकाम नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवा पेशेवरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है जो छोटे शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने का सपना देखते हैं। कुमाऊं भर में जश्न का माहौल: नेता का हुआ भव्य स्वागत कुलदीप सिंह बवेजा की इस महत्वपूर्ण नियुक्ति की खबर हल्द्वानी, काठगोदाम और कुमाऊं मंडल की भारतीय स्टेट बैंक की सभी शाखाओं के कर्मचारियों तक तेजी से पहुंची। यह खबर सुनते ही पूरे बैंकिंग समुदाय में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई। कर्मचारियों ने इसे अपने सामूहिक प्रयासों और साझा प्रतिनिधित्व की एक बड़ी जीत के रूप में देखा। आज हल्द्वानी के प्रशासनिक कार्यालय कुसुमखेड़ा में स्टेट बैंक कर्मचारियों ने अपने नव-नियुक्त अध्यक्ष का गर्मजोशी से स्वागत किया। पूरे परिसर का माहौल उत्साह और गर्व से सराबोर था। कर्मचारी नेताओं और सामान्य सदस्यों ने एकजुट होकर कुलदीप सिंह बवेजा को फूल-मालाओं से लाद दिया। 'बवेजा जिंदाबाद', 'कर्मचारी एकता जिंदाबाद' और 'पहाड़ का गौरव जिंदाबाद' जैसे गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। इस ऐतिहासिक पल का जश्न मनाने के लिए कर्मचारियों ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाईं और बधाई दी। यह स्वागत समारोह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं था, बल्कि यह बवेजा के प्रति कर्मचारियों के गहरे सम्मान, अटूट विश्वास और उनके नेतृत्व में संगठन के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदों का प्रतीक था। इस विशेष अवसर पर स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन के कई वरिष्ठ और सक्रिय नेता भी उपस्थित रहे, जिन्होंने कुलदीप सिंह बवेजा को बधाई दी और उनके नेतृत्व में संगठन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। इनमें प्रमुख रूप से सहायक महासचिव चंदन सिंह बिष्ट, क्षेत्रीय सचिव ओम प्रकाश नियोलिया, आंचलिक सचिव रमेश बिष्ट, लोकेश गुरुरानी, हेम आर्या, राजेंद्र सिंह भोजक सहित अन्य कई कर्मचारी नेता और सदस्य शामिल थे, जिनकी उपस्थिति ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। SBI कर्मचारियों के हितों के लिए बनेंगे मजबूत आवाज़: आगे की चुनौतियाँ और उम्मीदें स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल के अध्यक्ष के रूप में, कुलदीप सिंह बवेजा के कंधों पर अब एक बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आ गई है। उनका प्राथमिक कर्तव्य भारतीय स्टेट बैंक के हजारों कर्मचारियों के हितों की मजबूती से पैरवी करना होगा। इसमें उनकी चिंताओं को प्रबंधन के समक्ष उठाना, बेहतर सेवा शर्तों, वेतन वृद्धि, भत्तों और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के लिए सक्रिय रूप से बातचीत करना शामिल है। आज के तेजी से बदलते बैंकिंग परिदृश्य में, जहां डिजिटलीकरण और नई नीतियों के कारण कर्मचारियों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में उनके अधिकारों का संरक्षण और उनकी समस्याओं का समाधान एक जटिल और सतत प्रयास है। इसके लिए दूरदर्शिता, प्रभावी संचार कौशल और मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता होती है। बवेजा का जमीनी स्तर से जुड़ाव और कुमाऊं क्षेत्र की समस्याओं की गहरी समझ उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कर्मचारियों के मुद्दों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करेगी। उम्मीद की जा रही है कि उनके नेतृत्व में संगठन और भी मजबूत होगा और कर्मचारियों की आवाज को अधिक सशक्त ढंग से सुना जाएगा। उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण: पहाड़ की प्रतिभा का वैश्विक स्तर पर प्रभाव कुलदीप सिंह बवेजा की यह उपलब्धि न केवल हल्द्वानी और कुमाऊं, बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए असाधारण गौरव का विषय है। यह एक बार फिर साबित करता है कि प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प किसी भी भौगोलिक या सामाजिक सीमा के मोहताज नहीं होते। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य, जहां अक्सर अवसरों की कमी महसूस की जाती है, वहां से निकलकर राष्ट्रीय स्तर के बैंकिंग संगठन के शीर्ष पद पर पहुंचना युवा पीढ़ी के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। यह प्रदेश के युवाओं को यह संदेश देता है कि कड़ी मेहनत और सही दिशा में प्रयास करने से किसी भी क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। बवेजा की यह सफलता उत्तराखंड को राष्ट्रीय परिदृश्य पर एक बार फिर प्रतिष्ठित करेगी, और यह दर्शाती है कि हमारे राज्य के लोग विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। उम्मीद है कि उनका नेतृत्व न केवल भारतीय स्टेट बैंक के कर्मचारियों के लिए बेहतर भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि उत्तराखंड के नाम को भी राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक चमकाएगा। यह उपलब्धि वाकई में पहाड़ की प्रतिभा का दिल्ली में बजता हुआ डंका है।

उत्तराखंड को ऐतिहासिक गौरव! हल्द्वानी के कुलदीप सिंह बवेजा बने SBI स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल अध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रतिभा का दिल्ली में बजा डंका

हल्द्वानी, 1 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा) – भारतीय स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन हल्द्वानी-कुमाऊं के लिए आज एक बेहद खास और गर्व का दिन है। हल्द्वानी मॉड्यूल से उप महासचिव के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे कुलदीप सिंह बवेजा को स्टेट बैंक स्टाफ एसोसिएशन दिल्ली सर्किल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह सिर्फ…

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देहरादून, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, जहाँ शांति और धार्मिकता की उम्मीद की जाती है, वहाँ 'आशियाना गेस्ट हाउस' की आड़ में चल रहे एक बड़े जिस्मफरोशी के रैकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। राजा रोड स्थित इस गेस्ट हाउस पर पुलिस टीम ने छापा मारा तो गेस्ट हाउस की दीवारों के पीछे चल रहे जिस्म के धंधे का पर्दाफाश हो गया, जिसने देवभूमि की पवित्र छवि पर एक बार फिर कालिख पोत दी है। पुलिस ने मौके से 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सभी बाहरी राज्यों के बताए जा रहे हैं। 'आशियाना गेस्ट हाउस' बना था देह व्यापार का अड्डा मिली जानकारी के अनुसार, देहरादून के राजा रोड स्थित 'आशियाना गेस्ट हाउस' लंबे समय से पुलिस की नजर में था। पुलिस को सूचना मिल रही थी कि इस गेस्ट हाउस में देह व्यापार का अवैध धंधा खुलेआम चल रहा है। इस गेस्ट हाउस को जिस्मफरोशी का एक अड्डा बना दिया गया था, जहाँ ग्राहकों को फोन पर बुलाया जाता था और उन्हें अवैध तरीके से देह व्यापार की सुविधा मुहैया कराई जाती थी। यह एक सुनियोजित रैकेट था, जो गेस्ट हाउस की आड़ में बेखौफ चल रहा था। पुलिस के आला अधिकारियों को इस संबंध में गुप्त सूचना मिली, जिसके बाद एक गोपनीय ऑपरेशन की योजना बनाई गई। इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए विशेष रूप से एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) और नगर पुलिस की संयुक्त टीम का गठन किया गया, ताकि छापेमारी को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जा सके और आरोपियों को मौके पर ही पकड़ा जा सके। छापेमारी का मंजर: आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए युवक-युवतियां शुक्रवार देर रात AHTU और नगर पुलिस की संयुक्त टीम ने अचानक 'आशियाना गेस्ट हाउस' पर छापा मार दिया। पुलिस की टीम जब गेस्ट हाउस के अंदर दाखिल हुई, तो वहाँ का नजारा चौंकाने वाला था। पुलिस ने देखा कि गेस्ट हाउस के अलग-अलग कमरों में युवक और युवतियां आपत्तिजनक हालत में पकड़े गए। यह स्थिति गेस्ट हाउस में चल रहे अवैध धंधे का स्पष्ट प्रमाण थी। छापेमारी के दौरान पुलिस ने मौके से बड़ी मात्रा में आपत्तिजनक सामान और नगदी भी बरामद की। इन बरामदगियों ने पुष्टि कर दी कि गेस्ट हाउस का उपयोग सिर्फ ठहरने के लिए नहीं, बल्कि अनैतिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। पुलिस ने तुरंत सभी संबंधित व्यक्तियों को हिरासत में ले लिया और आगे की कार्रवाई शुरू की। गैंग का सरगना और बाहरी राज्यों से कनेक्शन पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि इस पूरे देह व्यापार के रैकेट को नरेंद्र सिंह रावत नाम के एक शख्स ने गेस्ट हाउस को लीज पर लेकर चला रहा था। लीज पर गेस्ट हाउस लेने का मकसद ही इसकी आड़ में इस अवैध धंधे को संचालित करना था। पुलिस अब नरेंद्र सिंह रावत की तलाश में जुट गई है और उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है। इस रेड में कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार है: तापस शाहू कमलेश निक्का देवी संजीत कुमार गुल्ली देवी मनु गुरंग सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस के अनुसार, ये सभी गिरफ्तार आरोपी बिहार और बंगाल जैसे बाहरी राज्यों के रहने वाले हैं। यह दर्शाता है कि यह रैकेट सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि अंतर-राज्यीय स्तर पर भी फैला हुआ हो सकता है, जहाँ बाहर से युवतियों को लाकर इस धंधे में धकेला जा रहा था। पुलिस अब इस गैंग के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रही है, जिसमें इसके सरगना और अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी शामिल है। देवभूमि की छवि पर दाग और पुलिस की चुनौतियाँ देहरादून, जिसे अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक महत्व और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, ऐसी घटनाओं से उसकी 'देवभूमि' की छवि पर गहरा दाग लगता है। इस तरह के अनैतिक और अवैध धंधे न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पेश करते हैं, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों के क्षरण का भी कारण बनते हैं। पुलिस लगातार ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान चला रही है, जो नशे और देह व्यापार जैसे अवैध धंधों में लिप्त हैं। यह रेड पुलिस की सतर्कता और 'देवभूमि' को अपराध मुक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में भी ऐसे किसी भी अवैध कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस प्रशासन जनता से भी अपील कर रहा है कि वे ऐसी किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल पुलिस को दें, ताकि समय रहते इन पर अंकुश लगाया

देहरादून में ‘आशियाना गेस्ट हाउस’ पर पुलिस का छापा: दीवारों के पीछे चल रहा था जिस्मफरोशी का धंधा, 6 गिरफ्तार, देवभूमि की छवि पर दाग!

देहरादून, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में, जहाँ शांति और धार्मिकता की उम्मीद की जाती है, वहाँ ‘आशियाना गेस्ट हाउस’ की आड़ में चल रहे एक बड़े जिस्मफरोशी के रैकेट का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। राजा रोड स्थित इस गेस्ट हाउस पर पुलिस टीम ने…

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नैनीताल, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – नैनीताल जिले के कोटाबाग में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक कमल नगरकोटी ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर खाकर खुदकुशी कर ली। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि परिजनों ने सीधे तौर पर पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका दावा है कि सिपाही परमजीत सिंह की पिटाई से क्षुब्ध होकर युवक ने यह आत्मघाती कदम उठाया। इस आरोप के बाद शनिवार को गुस्साए ग्रामीणों ने कोटाबाग चौकी को घेर लिया और आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के साथ-साथ पूरी चौकी को निलंबित करने की मांग पर अड़ गए। इस विरोध प्रदर्शन में स्थानीय विधायक बंशीधर भगत भी ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए, जिनकी अचानक तबियत बिगड़ने से स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। परिजनों का गंभीर आरोप: पुलिस की कथित 'मार' ने ली युवक की जान जानकारी के अनुसार, कोटाबाग निवासी कमल नगरकोटी (उम्र लगभग 20-25 वर्ष) ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर का सेवन कर लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। हालांकि, इस मौत के बाद जो आरोप सामने आए हैं, वे बेहद गंभीर हैं। कमल के परिजनों का स्पष्ट आरोप है कि सिपाही परमजीत सिंह ने कमल के साथ मारपीट की थी, जिससे वह अत्यधिक मानसिक रूप से परेशान हो गया था। परिजनों के मुताबिक, पुलिस की इसी कथित पिटाई और उत्पीड़न से क्षुब्ध होकर कमल ने जहर खाने जैसा घातक कदम उठाया और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। पुलिस की ओर से अभी तक इस आरोप पर विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह दावा स्थानीय स्तर पर बड़ा आक्रोश पैदा कर रहा है। घटना के बाद से परिवार गहरे सदमे में है और न्याय की गुहार लगा रहा है। यह आरोप पुलिस के आचरण और उसकी जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जनता का आक्रोश: चौकी का घेराव और विधायक का समर्थन कमल नगरकोटी की मौत और पुलिस पर लगे आरोपों के बाद स्थानीय ग्रामीण आक्रोशित हो गए। शनिवार को बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने कोटाबाग पुलिस चौकी का घेराव कर लिया। उनकी मांग थी कि आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कठोर कार्रवाई की जाए और पूरी कोटाबाग चौकी को निलंबित किया जाए। ग्रामीणों का कहना था कि इस तरह की घटनाएँ पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े करती हैं और उन्हें न्याय मिलना चाहिए। ग्रामीणों के इस धरने को स्थानीय विधायक बंशीधर भगत का भी समर्थन मिला। विधायक भगत भी ग्रामीणों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। हालांकि, धरने पर बैठे विधायक भगत की अचानक तबियत बिगड़ गई, जिससे मौके पर अफरा-तफरी मच गई। डॉक्टरों को तुरंत बुलाया गया जिन्होंने उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। यह घटनाक्रम पुलिस और प्रशासन पर दबाव को और बढ़ा रहा है। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि जब तक एसएसपी खुद मौके पर नहीं आते और पुलिस चौकी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते, वे धरना खत्म नहीं करेंगे। एसएसपी का बयान: जांच जारी, न्याय का आश्वासन मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसएसपी नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बताया कि कमल नगरकोटी नाम के युवक की जहर खाकर मौत हुई है। एसएसपी मीणा ने यह भी पुष्टि की कि पुलिस इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। उनका बयान बताता है कि पुलिस आरोपों को गंभीरता से ले रही है, और जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ पाएगी। पुलिस का कहना है कि वे निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। आत्महत्या के पीछे के वास्तविक कारणों और पुलिस पर लगे आरोपों की सच्चाई का पता लगाने के लिए फॉरेंसिक जांच और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रशासन को इस मामले में पारदर्शिता बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। एक ही परिवार में दूसरी संदिग्ध मौत: 'भावना नगरकोटी' का मामला भी जुड़ा इस दुखद घटना ने एक और दर्दनाक पहलू को उजागर किया है, जो इस मामले को और अधिक संवेदनशील बनाता है। आपको बता दें कि कुछ दिन पूर्व इसी परिवार की एक अन्य महिला भावना नगरकोटी की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इस खबर को 'कुमाऊं क्रांति समाचार' में भी प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। उस समय मृतका के भाई ने अपनी बहन के ससुराल पक्ष पर उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया था। एक ही परिवार में कुछ ही समय के भीतर दो सदस्यों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, जिनमें से एक में सीधे पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं, कई सवाल खड़े करती है। यह डबल ट्रेजेडी परिवार पर दुखों का पहाड़ बनकर टूट पड़ी है। स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी चिंता है कि क्या इन दोनों घटनाओं के बीच कोई संबंध है, और क्या यह परिवार किसी बड़े उत्पीड़न का शिकार है। पुलिस को इन दोनों मामलों की गहराई से और पारदर्शिता के साथ जांच करनी होगी ताकि सच्चाई सामने आ सके और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। यह घटना पुलिस-जनता संबंधों और समाज में कमजोर वर्गों की सुरक्षा पर भी गंभीर चिंतन की मांग करती है।

नैनीताल: ‘डबल ट्रेजेडी’ से दहला कोटाबाग! पुलिस की ‘मार’ से युवक की आत्महत्या, MLA बंशीधर भगत भी धरने पर बैठे, बिगड़ी तबियत; उसी परिवार में दूसरी मौत ने बढ़ाई हलचल!

नैनीताल, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – नैनीताल जिले के कोटाबाग में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक युवक कमल नगरकोटी ने संदिग्ध परिस्थितियों में जहर खाकर खुदकुशी कर ली। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि परिजनों ने सीधे तौर पर पुलिस पर गंभीर…

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