बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 में ऐतिहासिक बदलाव! नतीजे ऑनलाइन, वोटर लिस्ट घर बैठे, खर्च सीमा बढ़ी-निगरानी सख्त; आयोग ने ‘विश्वसनीयता’ को दी नई परिभाषा

देहरादून, 5 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के पहले और दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शनिवार, 5 जुलाई को समाप्त हो गई, और जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले और चिंताजनक हैं। प्रदेशभर में ग्राम प्रधान के पदों के लिए तो नामांकन का 'महाकुंभ' देखने को मिला, नेताओं और स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह दिखा, लेकिन इसके ठीक विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य पदों के लिए उम्मीद के मुताबिक नामांकन दाखिल नहीं हो पाए। इस स्थिति ने राज्य निर्वाचन आयोग और ग्रामीण लोकतंत्र के विशेषज्ञों को सकते में डाल दिया है, क्योंकि इन शुरुआती आंकड़ों से साफ संकेत मिल रहा है कि इस बार पंचायती राज व्यवस्था में बड़ी संख्या में पद रिक्त रह सकते हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। अंकों की जुबानी, उदासीनता की कहानी: सदस्य पदों पर सन्नाटा राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों ने इस असमानता को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। नामांकन के पहले तीन दिनों में, चुनाव आयोग के समक्ष कुल 66,418 पदों के लिए केवल 32,239 नामांकन दाखिल हुए थे। यह अपने आप में एक बड़ा गैप दिखाता है, लेकिन जब हम इसे पदों के अनुसार देखते हैं तो स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। ग्राम प्रधान पद पर बंपर नामांकन: ग्राम प्रधान के कुल 7,499 पदों के लिए, पहले तीन दिनों में ही रिकॉर्ड तोड़ 15,917 नामांकन दर्ज हुए। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इस प्रतिष्ठित पद को लेकर ग्रामीण आबादी में कितना जबरदस्त उत्साह और प्रतिस्पर्धा है। कई सीटों पर तो एक दर्जन से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतरने को तैयार दिख रहे हैं। शनिवार को अंतिम दिन यह आंकड़ा और भी तेजी से बढ़ा, हालांकि खबर लिखे जाने तक आयोग द्वारा अंतिम और पूर्ण आंकड़े जारी नहीं किए गए थे। प्रधान का पद गांव के मुखिया का होता है, जिसके पास विकास योजनाओं पर निर्णय लेने और करोड़ों के फंड्स का प्रबंधन करने का अधिकार होता है, शायद यही वजह है कि यह पद लोगों के लिए इतना आकर्षक है। ग्राम पंचायत सदस्य पद पर 'उदासीनता' का सन्नाटा: इसके ठीक विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य के कुल 55,587 पदों के लिए पहले तीन दिनों में मात्र 7,235 नामांकन ही आए। यह आंकड़ा बेहद निराशाजनक है, क्योंकि यह कुल पदों का 15% भी नहीं है। अंतिम दिन भी इस पद के लिए नामांकन को लेकर कोई खास उत्साह या भीड़ देखने को नहीं मिली, जो प्रधान पद के लिए उमड़ी भीड़ से बिल्कुल अलग था। यह आंकड़े साफ संकेत देते हैं कि ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक भागीदारी के लिए आमजन की रुचि अपेक्षा से कहीं अधिक कम है। कई वार्डों में तो एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ है, जिससे ये सीटें सीधे तौर पर खाली रहने के कगार पर हैं। क्यों आई यह 'उदासीनता'? सत्ता-विहीन पदों का आकर्षण कम सवाल उठता है कि आखिर ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई कहे जाने वाले ग्राम पंचायत सदस्य के पदों के लिए इतनी उदासीनता क्यों है? विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं: सत्ता और संसाधनों का अभाव: ग्राम प्रधान के पास सीधे तौर पर विकास कार्यों के लिए धन का आवंटन और निर्णय लेने की शक्ति होती है। इसके विपरीत, ग्राम पंचायत सदस्य के पास न तो कोई बड़ा फंड होता है और न ही निर्णय लेने की सीधी शक्ति। उनका काम मुख्य रूप से ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेना और प्रधान के फैसलों पर मुहर लगाना होता है, जिससे यह पद 'सत्ता-विहीन' या कम प्रभावशाली माना जाता है। कम सामाजिक सम्मान: प्रधान पद की तुलना में ग्राम पंचायत सदस्य के पद को सामाजिक रूप से कम महत्वपूर्ण माना जाता है, जिससे लोग इस पद के लिए समय और धन खर्च करने को तैयार नहीं होते। जागरूकता की कमी: ग्रामीण आबादी में ग्राम पंचायत सदस्य के वास्तविक कर्तव्यों, अधिकारों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भूमिका के बारे में जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण हो सकती है। अभियान का खर्च: भले ही यह एक छोटा पद हो, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए कुछ न्यूनतम खर्च तो आता ही है। जब पद में कोई सीधा लाभ या प्रतिष्ठा न हो, तो लोग उस पर पैसा खर्च करने से कतराते हैं। बढ़ती शहरीकरण की प्रवृत्ति: ग्रामीण क्षेत्रों से युवाओं का शहरों की ओर पलायन भी एक कारण हो सकता है, जिससे सक्रिय युवा भागीदारी कम हो रही है। आगे की प्रक्रिया: जांच से मतदान तक का चुनावी कार्यक्रम नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग अब अगले चरण में प्रवेश करेगा। नामांकन पत्रों की जांच: 7 से 9 जुलाई तक राज्य निर्वाचन आयोग दोनों चरणों के लिए दाखिल हुए सभी नामांकन पत्रों की गहन जांच करेगा। इस दौरान यह देखा जाएगा कि सभी आवेदन वैध हैं और उम्मीदवारों ने नियमों का पालन किया है। नाम वापसी का अवसर: नामांकन पत्रों की जांच के बाद, इच्छुक उम्मीदवार 10 और 11 जुलाई को अपने नाम वापस ले सकेंगे। इसके बाद ही चुनाव मैदान में बचे उम्मीदवारों की अंतिम सूची स्पष्ट हो पाएगी। चुनाव चिह्न आवंटन: नाम वापसी के बाद, चुनाव मैदान में टिके उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिह्न आवंटित किए जाएंगे। पहले चरण के लिए चुनाव चिह्न का आवंटन: 14 जुलाई दूसरे चरण के लिए चुनाव चिह्न का आवंटन: 18 जुलाई मतदान की तिथियां: पहले चरण का मतदान: 24 जुलाई दूसरे चरण का मतदान: 28 जुलाई परिणामों की घोषणा: दोनों चरणों के लिए डाले गए मतों की गणना के बाद, परिणामों की घोषणा 31 जुलाई को की जाएगी। लोकतंत्र पर सवाल और आयोग की चुनौती त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान पद के लिए पर्याप्त नामांकन होना तो अच्छी बात है, लेकिन सदस्य पदों के लिए यह उदासीनता निश्चित रूप से चिंता का विषय है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक भागीदारी को लेकर एक गहरी जागरूकता की कमी और राजनीतिक उदासीनता को दर्शाता है। अगर बड़ी संख्या में सदस्य पद खाली रह जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर पंचायती राज व्यवस्था के सुचारु संचालन और ग्रामीण स्तर पर प्रभावी प्रतिनिधित्व को प्रभावित करेगा। आगामी दिनों में राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती होगी कि इन रिक्त पदों पर पुनः चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जाए या किसी वैकल्पिक व्यवस्था (जैसे नामित प्रतिनिधियों की व्यवस्था, यदि कानूनी ढांचा इसकी अनुमति देता है) पर विचार किया जाए। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि नाम वापसी के बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची में कितनी विविधता और वास्तविक प्रतिस्पर्धा नजर आती है। इस पूरी प्रक्रिया पर ग्रामीण विकास और लोकतांत्रिक सुदृढ़ता के लिए गहन चिंतन की आवश्यकता है।

देहरादून, 30 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़े और दूरगामी बदलावों की घोषणा की है। इन अभूतपूर्व सुधारों का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक विश्वसनीय, पारदर्शी और जनसुलभ बनाना है। राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील कुमार ने आज इन महत्वपूर्ण बदलावों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ये कदम प्रदेश में चुनावी प्रणाली को आधुनिक बनाने और मतदाताओं का विश्वास मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। आइए जानते हैं, इस बार के पंचायत चुनाव में क्या कुछ नया है और कैसे यह आपकी भागीदारी को आसान बनाएगा।


डिजिटल युग में पंचायत चुनाव: नतीजे और वोटर लिस्ट अब ऑनलाइन

राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार पंचायत चुनाव में पारदर्शिता और सूचना तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल माध्यमों का व्यापक उपयोग करने का निर्णय लिया है। यह पहली बार है जब पंचायत चुनावों के नतीजों को ऑनलाइन जारी किया जाएगा, जिससे हर नागरिक घर बैठे चुनाव परिणाम जान सकेगा।

  • चुनाव परिणाम होंगे रियल टाइम ऑनलाइन: आयोग ने घोषणा की है कि जैसे-जैसे किसी ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत के नतीजे घोषित होते जाएंगे, वे आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://sec.uk.gov.in/ पर रियल टाइम में अपडेट किए जाएंगे। यह सुविधा पहले केवल निकाय चुनावों में उपलब्ध थी, जिसे अब पंचायत चुनावों में भी लागू किया जा रहा है। इससे मतदाताओं को त्वरित और पारदर्शी जानकारी मिलेगी, और अफवाहों पर भी लगाम लगेगी।
  • वोटर लिस्ट भी ऑनलाइन उपलब्ध: पहली बार पंचायत चुनाव की वोटर लिस्ट को भी ऑनलाइन जारी किया गया है। अब मतदाता सीधे आयोग की वेबसाइट https://secresult.uk.gov.in/votersearch/searchvotermapping पर जाकर अपनी ग्राम पंचायत की वोटर लिस्ट देख और डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें नाम सर्च करने की सुविधा भी दी गई है, जिससे मतदाता और प्रत्याशी आसानी से अपने नाम की पुष्टि कर सकते हैं। यह कदम मतदाताओं की सुविधा और चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाएगा।

खर्च सीमा बढ़ी, पर निगरानी और भी सख्त

चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों को प्रचार-प्रसार में सहूलियत देने के लिए विभिन्न पदों के अनुसार चुनावी खर्च की सीमा में बढ़ोतरी की है। यह उम्मीदवारों को अपने संदेश को मतदाताओं तक पहुंचाने के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराएगा। हालांकि, इस बढ़ोतरी के साथ ही चुनाव आयोग ने खर्च की निगरानी को पहले से कहीं अधिक सख्त कर दिया है। चुनावों में धनबल के दुरुपयोग को रोकने के लिए सभी जिलों में विशेष अधिकारी तैनात किए जा रहे हैं, जिन्हें यह अधिकार होगा कि वे कभी भी किसी भी प्रत्याशी से उसके चुनावी खर्च का विस्तृत ब्यौरा मांग सकें।

पद के अनुसार खर्च सीमा का विवरण (रुपयों में):

पदपहले की सीमा (₹)अब की सीमा (₹)
ग्राम प्रधान50,00075,000
ग्राम पंचायत सदस्य10,00010,000
बीडीसी सदस्य50,00075,000
जिला पंचायत सदस्य1,40,0002,00,000
उपप्रधान15,00015,000
कनिष्ठ उपप्रमुख50,00075,000
ज्येष्ठ उपप्रमुख60,0001,00,000
प्रमुख, क्षेत्र पंचायत1,40,0002,00,000
उपाध्यक्ष, जिला पंचायत2,50,0003,00,000
अध्यक्ष, जिला3,50,0004,00,000

निष्पक्ष ड्यूटी आवंटन: रैंडमाइजेशन सॉफ्टवेयर का प्रयोग

चुनाव प्रक्रिया को पूर्णतः पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए आयोग ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस बार चुनाव ड्यूटी आवंटन के लिए विशेष रैंडमाइजेशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। इस प्रणाली के तहत, सभी चुनावी कार्मिकों (अधिकारियों और कर्मचारियों) की नियुक्ति स्वतः कंप्यूटर प्रणाली द्वारा होगी। यह नई व्यवस्था ड्यूटी आवंटन में किसी भी प्रकार के पक्षपात या अनुचित हस्तक्षेप की संभावना को पूरी तरह समाप्त कर देगी, जिससे निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित हो सकेगा।


मतदानकर्मियों की सुरक्षा को प्राथमिकता: 10 लाख रुपये का मुआवजा

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी पर तैनात होने वाले मतदानकर्मियों की सुरक्षा और कल्याण को भी प्राथमिकता दी है। आयोग ने घोषणा की है कि यदि चुनाव ड्यूटी के दौरान किसी मतदानकर्मी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिजनों को ₹10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

आयोग के सचिव राहुल गोयल ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि शासन ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक निर्देश भेजे जा रहे हैं। यह कदम मतदानकर्मियों को मानसिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा, जिससे वे बिना किसी भय के अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे।


विशालकाय चुनावी मशीनरी: 95,909 अधिकारी-कर्मचारी होंगे तैनात

इन चुनावों को सुचारू और प्रभावी ढंग से संपन्न कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने एक विशाल चुनावी मशीनरी को सक्रिय किया है। इस बार कुल 95,909 अधिकारी-कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर तैनात किए जाएंगे। इनमें शामिल हैं:

  • पीठासीन अधिकारी: 11,849
  • मतदान अधिकारी: 47,910
  • सेक्टर मजिस्ट्रेट, जोनल मजिस्ट्रेट, नोडल अधिकारी, प्रभारी अधिकारी: 450
  • सुरक्षाकर्मी: 35,700

इतनी बड़ी संख्या में कर्मियों की तैनाती यह सुनिश्चित करेगी कि मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण, सुव्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से संपन्न हो।


दो चरणों में संपन्न होंगे चुनाव, 31 जुलाई को मतगणना

राज्य में पंचायत चुनाव दो चरणों में संपन्न कराए जाएंगे, जिसकी तिथियां पहले ही घोषित की जा चुकी हैं:

  • पहला चरण: 24 जुलाई, 2025
  • दूसरा चरण: 28 जुलाई, 2025

दोनों चरणों के मतदान के बाद, 31 जुलाई, 2025 को एक साथ मतगणना की जाएगी, जिसके उपरांत परिणामों की औपचारिक घोषणा की जाएगी।

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए ये बड़े बदलाव उत्तराखंड में पंचायत लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। ये सुधार न केवल चुनाव प्रक्रिया की अखंडता बढ़ाएंगे बल्कि मतदाताओं की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करेंगे, जिससे जमीनी स्तर पर एक मजबूत और उत्तरदायी शासन प्रणाली का निर्माण हो सकेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *