उत्तराखंड में घरेलू हिंसा के दो संगीन मामले: पत्नी पर बंदूक तानता था पति, तो दूसरी तरफ शर्ट जलने पर हुई मारपीट; डीएम ने बंदूक का लाइसेंस रद्द किया

उत्तराखंड 04 अगस्त 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में घरेलू हिंसा के दो अलग-अलग और बेहद परेशान करने वाले मामले सामने आए हैं, जिन्होंने पारिवारिक रिश्तों में पनप रही हिंसा और आक्रोश की भयावहता को उजागर किया है। एक मामले में, एक महिला ने डीएम से गुहार लगाई कि उसका पति बात-बात पर बंदूक तानकर उसे धमकाता है, जबकि दूसरे मामले में एक मामूली सी बात—बेटे की शर्ट जल जाने पर—दंपति के बीच जमकर मारपीट हुई। इन दोनों घटनाओं ने न केवल पुलिस और प्रशासन को सख्त कार्रवाई के लिए मजबूर किया है, बल्कि समाज में गहराती घरेलू हिंसा की समस्या पर भी चिंताजनक सवाल खड़े किए हैं।
बंदूक की नोक पर दहशत का माहौल, डीएम ने लाइसेंस रद्द कर दिया
उत्तराखंड में घरेलू हिंसा का एक सनसनीखेज मामला तब सामने आया, जब एक महिला ने सीधे जिलाधिकारी सविन बंसल से मिलकर अपनी आपबीती सुनाई। महिला ने जिलाधिकारी को एक लिखित शिकायत पत्र सौंपकर बताया कि उसका पति दहेज की मांग को लेकर उसे अक्सर प्रताड़ित करता है। यह प्रताड़ना सिर्फ मौखिक नहीं है, बल्कि उसका पति आए दिन घर में अपनी लाइसेंसी बंदूक तानकर उसे और उसके बच्चों को डराता-धमकाता है। महिला ने कहा कि इस लगातार मानसिक उत्पीड़न के कारण वह भारी दबाव में जी रही है और उसे अपनी और अपने परिवार की जान का खतरा महसूस होता है।
शिकायत की गंभीरता को समझते हुए, डीएम सविन बंसल ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “लोक शांति, पारिवारिक सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा” को बनाए रखने के लिए इस तरह के कृत्य को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। डीएम ने आरोपी पति के शस्त्र लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने नेहरू कॉलोनी थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि आरोपी की बंदूक को तुरंत जब्त कर सरकारी पुलिस अभिरक्षा में रखा जाए। जिलाधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी पति को अपने बचाव में अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यह प्रशासनिक कार्रवाई न केवल महिला को सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि ऐसे लोगों के लिए भी एक कड़ा संदेश है जो लाइसेंसी हथियारों का दुरुपयोग कर अपने ही परिवार को डराते-धमकाते हैं।
बेटे की शर्ट जली तो झगड़ा, मारपीट के बाद दर्ज हुआ केस
इसी तरह घरेलू हिंसा का एक और मामला सामने आया है, जो बताता है कि कैसे छोटे-छोटे घरेलू विवाद भी हिंसक रूप ले सकते हैं। नेहरू कॉलोनी थाने में ऋताक्षी हूजा नामक एक महिला ने अपने पति अर्जुन हूजा के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौज और मानसिक उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया है।
पुलिस के अनुसार, दंपति के बीच पहले से ही तलाक का केस चल रहा है, जिसके कारण वे एक ही घर में अलग-अलग रह रहे हैं। गत 17 जुलाई की सुबह, ऋताक्षी ने अपने 5 वर्षीय बेटे की शर्ट प्रेस करने के लिए अपने पति अर्जुन से कहा। आरोप है कि प्रेस करते वक्त अर्जुन से शर्ट जल गई। इस पर ऋताक्षी ने आपत्ति जताई तो अर्जुन आग-बबूला हो गया। बात कहासुनी से शुरू हुई और देखते ही देखते गाली-गलौज और मारपीट तक जा पहुंची। इस घटना के बाद ऋताक्षी ने तत्काल नेहरू कॉलोनी थाने में शिकायत दर्ज कराई। थानाध्यक्ष संजीत कुमार ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अर्जुन के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। यह घटना दर्शाती है कि पारिवारिक तनाव और रिश्तों में कड़वाहट किस तरह एक छोटी सी गलती को भी बड़े झगड़े और हिंसा में बदल सकती है।
समाधान की ओर: एक मजबूत समाज की जरूरत
ये दोनों मामले घरेलू हिंसा की विभिन्न परतों को उजागर करते हैं। एक तरफ, जहां बंदूकों का इस्तेमाल कर शारीरिक और मानसिक भय का माहौल बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर, छोटी-छोटी बातों पर होने वाली हिंसा भी पारिवारिक रिश्तों की बुनियाद को कमजोर कर रही है। इन मामलों में प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई प्रशंसनीय है। डीएम द्वारा लाइसेंसी बंदूक को जब्त करने का निर्णय यह दिखाता है कि प्रशासनिक स्तर पर भी ऐसी शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। इसी तरह, पुलिस द्वारा घरेलू विवाद में भी तत्काल केस दर्ज करना यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को न्याय मिल सके।
यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे मामलों में पीड़ित को खुलकर सामने आने और अपनी आवाज उठाने का हौसला मिले। समाज को भी घरेलू हिंसा के खिलाफ एक मजबूत और संवेदनशील माहौल बनाने की जरूरत है, जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस करें और उन्हें बिना किसी डर के मदद मिल सके। इन घटनाओं से यह साफ है कि घरेलू हिंसा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी उतनी ही आवश्यक है।