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देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के बाद लिया है, जिससे चुनावी मैदान में उतरे हजारों प्रत्याशियों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। उक्त आदेश जारी करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट, उत्तराखंड, नैनीताल में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य के नाम से योजित थी। माननीय न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए दिनांक 11 जुलाई, 2025 को एक आदेश पारित किया था। आयोग के अनुसार, इस आदेश के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता (clarification) प्राप्त करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड द्वारा न्यायालय में एक प्रार्थना-पत्र दाखिल किया गया है। आयोग का यह कदम कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए लिया गया है, और इस पर हाईकोर्ट में 14 जुलाई, 2025 को पूर्वाह्न में सुनवाई होनी नियत हुई है। चूंकि चुनाव चिन्हों का आवंटन और अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं इसी के बाद होनी थीं, इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया कि जब तक न्यायालय से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिल जाता, तब तक चुनाव चिन्ह आवंटन का कार्य रोक दिया जाए। मैदान में उतरे उम्मीदवारों की रणनीति पर 'ब्रेक' चुनाव चिन्हों का आवंटन स्थगित होने से चुनावी मैदान में उतरे सभी उम्मीदवारों की रणनीति पर अचानक 'ब्रेक' लग गया है। चुनाव चिन्ह मिलने के बाद ही कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान को अंतिम रूप देता है। यह चिन्ह ही उसके पोस्टर, बैनर, और डोर-टू-डोर कैंपेन का मुख्य आधार होता है। कई उम्मीदवारों ने तो चुनाव चिन्ह मिलने की तारीख को देखते हुए पहले ही पोस्टर और अन्य प्रचार सामग्री का डिजाइन तैयार करवा लिया था। एक स्थानीय उम्मीदवार, जो अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे, ने बताया, "हम सब कल के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमने अपने समर्थकों को भी तैयार रहने को कहा था। यह खबर हमारे लिए एक बड़ा झटका है। हमें नहीं पता कि अब हम आगे क्या करें।" एक अन्य प्रत्याशी ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस अनिश्चितता से न केवल उनका समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि चुनाव प्रचार में लगाया गया उनका पैसा भी अधर में लटक गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कानूनी चुनौती चुनाव आयोग की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है। उनका कहना है कि याचिका में शायद वार्डों के आरक्षण, मतदाता सूची या अन्य प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर सवाल उठाए गए होंगे। हालांकि, इससे जमीनी स्तर पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए बहुत परेशानी हो रही है। न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका: निष्पक्ष चुनाव की गारंटी यह घटना एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। भले ही यह कदम चुनावी प्रक्रिया में देरी कर रहा हो, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि पूरा चुनाव निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हो। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के बजाय, न्यायालय से स्पष्टता मांगकर एक सही और कानूनी रूप से मजबूत रास्ता चुना है। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने में आसानी होगी। अब सभी की निगाहें सोमवार सुबह हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस सुनवाई का परिणाम ही यह तय करेगा कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का अगला कदम क्या होगा। अगर हाईकोर्ट आयोग के स्पष्टीकरण से संतुष्ट होता है और उसे आगे बढ़ने की अनुमति देता है, तो चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन अगर न्यायालय कोई नया आदेश देता है या किसी विशेष प्रक्रिया में सुधार के लिए कहता है, तो चुनाव की पूरी समय-सारणी में बदलाव हो सकता है। फिलहाल, चुनाव चिन्हों की प्रतीक्षा कर रहे हजारों उम्मीदवार, उनके समर्थक और राजनीतिक दल सभी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। चुनाव की रणभेरी कुछ समय के लिए शांत हो गई है और सभी उम्मीदवार न्याय के देवता के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना बताती है कि पंचायत चुनाव, जो अक्सर ग्रामीण राजनीति का सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है, अब कानूनी और तकनीकी पेचीदगियों से भी प्रभावित होने लगा है।

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया थमी: हाईकोर्ट के आदेश पर चुनाव चिन्ह आवंटन स्थगित, अनिश्चितता के घेरे में हजारों प्रत्याशी

देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला…

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पटना, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – बिहार की राजधानी पटना के पुनपुन प्रखंड में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रभावशाली नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, बल्कि पूरे इलाके में भय और तनाव का माहौल भी पैदा कर दिया है। मृतक की पहचान भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र केवट के रूप में हुई है, जिन्हें बाइक सवार दो अज्ञात हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया। दिनदहाड़े वारदात: खेत पर गए थे, घात लगाकर किया हमला यह वारदात उस समय हुई जब सुरेंद्र केवट अपने पुनपुन स्थित खेत पर लगे मोटर को बंद करने के लिए गए थे। यह उनका रोजमर्रा का काम था, जिसकी उन्हें शायद ही कोई आशंका रही होगी। इसी दौरान, एक मोटरसाइकिल पर सवार दो अज्ञात बदमाश घात लगाकर वहाँ पहुँचे। उन्होंने बिना किसी चेतावनी के सुरेंद्र केवट पर ताबड़तोड़ चार गोलियां चला दीं। गोलियों की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके की ओर दौड़े, लेकिन तब तक हमलावर बड़ी फुर्ती से वारदात को अंजाम देकर फरार हो चुके थे। गंभीर रूप से घायल सुरेंद्र केवट खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे। उन्हें तुरंत स्थानीय लोगों और परिजनों की मदद से इलाज के लिए पटना एम्स ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन शरीर में अधिक खून बह जाने और गंभीर चोटों के कारण इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। इस खबर के मिलते ही, उनके समर्थकों और परिजनों में कोहराम मच गया और अस्पताल परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई। पुलिस की जांच शुरू: सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस में हड़कंप मच गया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुँचे और मामले की गहन छानबीन शुरू कर दी। पुलिस ने सुरेंद्र केवट की हत्या के संबंध में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी तरह के तनाव या अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों की पहचान के लिए घटनास्थल और उसके आस-पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। इसके अलावा, पुलिस आसपास के लोगों से भी पूछताछ कर रही है, जो घटना के समय मौजूद थे। पुलिस का मानना है कि सीसीटीवी फुटेज और मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर जल्द ही हमलावरों तक पहुंचा जा सकेगा और उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। आपसी रंजिश या राजनीतिक दुश्मनी: हत्या के पीछे की वजह? सुरेंद्र केवट की हत्या को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पुलिस की शुरुआती जांच में आपसी रंजिश या राजनीतिक दुश्मनी को हत्या की मुख्य वजह माना जा रहा है। सुरेंद्र केवट का अपने इलाके में सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव काफी मजबूत था। वे भाजपा के एक सक्रिय और लोकप्रिय नेता थे, जिनकी पहुँच जमीनी स्तर तक थी। उनकी यह सक्रियता कुछ लोगों के लिए परेशानी का सबब हो सकती थी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पंचायत या अन्य स्थानीय चुनावों में किसी तरह की प्रतिद्वंदिता इस जघन्य अपराध की वजह हो सकती है। वहीं, कुछ लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि यह मामला किसी पुराने विवाद या आपसी दुश्मनी का परिणाम हो सकता है। पुलिस दोनों ही पहलुओं पर गहराई से जांच कर रही है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी सबूतों को जुटा रही है। भाजपा में आक्रोश: प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग सुरेंद्र केवट की हत्या की खबर मिलते ही भाजपा के स्थानीय और प्रदेश स्तर के नेताओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस वारदात को लेकर प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है और दोषियों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इस हत्या की निंदा की है और इसे बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का एक और उदाहरण बताया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि एक ऐसे नेता की हत्या जो अपने खेत पर काम करने गया था, यह दर्शाता है कि अपराधियों में कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया है। इलाके में भय का माहौल, सुरक्षा पर गहराया संकट सुरेंद्र केवट जैसे एक प्रभावशाली और जाने-माने व्यक्ति की हत्या से पूरे पुनपुन प्रखंड में भय का माहौल बना हुआ है। लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और उनमें सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है। यह घटना आम लोगों के मन में यह सवाल खड़ा करती है कि जब एक राजनीतिक नेता दिनदहाड़े सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक की क्या स्थिति होगी? फिलहाल, पुलिस की टीमें इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं और उम्मीद है कि जल्द ही हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जब तक अपराधी पकड़े नहीं जाते, तब तक सुरेंद्र केवट के परिवार, भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता के मन में यह आशंका बनी रहेगी कि इस हत्या के पीछे का सच क्या है और क्या यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह घटना बिहार की कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है, जिसका समाधान प्रशासन को जल्द से जल्द करना होगा।

सनसनी: भाजपा नेता की गोली मारकर हत्या! जांच में आपसी रंजिश’ और ‘राजनीतिक दुश्मनी’ की आशंका, आरोपियों की तलाश तेज

पटना, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – बिहार की राजधानी पटना के पुनपुन प्रखंड में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रभावशाली नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, बल्कि…

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देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे 'देवभूमि' के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते हुए, उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने वाले ऐसे ढोंगी बाबाओं के खिलाफ राज्य में 'ऑपरेशन कालनेमि' की शुरुआत की गई है, और इसके पहले ही दिन पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस ऑपरेशन के तहत प्रदेश भर से 38 ढोंगी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है जो भेष बदलकर रह रहा था। 'कालनेमि': धोखेबाज का प्रतीक, ऑपरेशन का नाम पौराणिक कथाओं में 'कालनेमि' एक ऐसा असुर था, जिसने साधु का वेश धारण कर भगवान हनुमान को धोखा देने का प्रयास किया था। ठीक इसी तरह, 'ऑपरेशन कालनेमि' का नाम ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ शुरू किए गए इस अभियान के लिए बिल्कुल सटीक है, जो सनातन धर्म की पवित्रता को ढोंग और धोखाधड़ी से खराब करते हैं। यह ऑपरेशन, पुलिस की तरफ से एक साफ संदेश है कि देवभूमि में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है, जो धर्म की आड़ में आम जनता को ठगने और उनकी भावनाओं को आहत करने का काम करते हैं। पहले ही दिन 38 गिरफ्तारियां, देहरादून और हरिद्वार मुख्य केंद्र पुलिस ने 'ऑपरेशन कालनेमि' के तहत पहले दिन ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इस अभियान के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां दो प्रमुख जिलों से हुईं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र हैं: देहरादून और हरिद्वार। देहरादून में 25 गिरफ्तारियां: राजधानी देहरादून में पुलिस ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई और यहां से कुल 25 ढोंगी बाबाओं को हिरासत में लिया। ये लोग बिना किसी ज्ञान के और गलत इरादों के साथ साधु-संतों का वेश धारण किए हुए थे और लोगों को ठग रहे थे। हरिद्वार में 13 गिरफ्तारियां: वहीं, धार्मिक नगरी हरिद्वार, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं, वहां भी पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 13 ढोंगी बाबाओं को पकड़ा। पुलिस ने बताया कि पकड़े गए इन 38 लोगों में से अधिकतर के पास अपनी पहचान या निवास को साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: बांग्लादेशी भी पकड़ा गया इस ऑपरेशन के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पकड़े गए लोगों में से एक बांग्लादेशी नागरिक भी है, जो साधु का भेष बदलकर उत्तराखंड में रह रहा था। ऐसे व्यक्तियों का धार्मिक वेश में रहना न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्म की आड़ में अन्य गैरकानूनी गतिविधियां भी चल सकती हैं। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी बताया कि पकड़े गए 38 लोगों में से 20 से ज्यादा ऐसे हैं जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं। वे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और अन्य राज्यों से आए हुए हैं। ये लोग अलग-अलग धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खुद को साधु बताकर रह रहे थे। जब पुलिस ने उनसे दस्तावेज मांगे, तो वे कोई भी वैध कागजात नहीं दिखा पाए, जिससे उनके इरादों पर शक और गहरा हो गया। एसएसपी अजय सिंह का सख्त संदेश: 'सनातन धर्म की आड़ में धोखा बर्दाश्त नहीं' देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि, "सनातन धर्म की आड़ में ठगी करने वालों के खिलाफ यह अभियान शुरू किया गया है। पुलिस ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है जो बिना किसी ज्ञान के साधु-संतों का भेष धारण करके लोगों को ठग रहे हैं। ये लोग न केवल भोले-भाले लोगों को चूना लगाते हैं, बल्कि देवभूमि के स्वरूप को भी खराब करने का काम करते हैं। इससे हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचती है।" एसएसपी ने साफ किया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना है जो आस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इन सभी गिरफ्तार लोगों से गहन पूछताछ कर रही है और उनके आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये किसी बड़े आपराधिक गिरोह से जुड़े हैं। समाज पर प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां 'ऑपरेशन कालनेमि' की यह शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, जो धर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा। यह अभियान समाज में यह संदेश भी देगा कि धार्मिक वेशभूषा पहनकर कोई भी व्यक्ति आस्था का दुरुपयोग नहीं कर सकता। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो वैध दस्तावेजों के बिना, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इरादे से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं और यहां की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। पुलिस की यह मुहिम एक लंबी प्रक्रिया है और यह देखना बाकी है कि यह अभियान कितने समय तक चलता है और इससे कितने और ढोंगी बाबाओं को पकड़ा जाता है। लेकिन पहले ही दि

उत्तराखंड में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का हल्लाबोल! देवभूमि में 38 ढोंगी बाबा दबोचे, एक बांग्लादेशी भी गिरफ्तार; सनातन धर्म की आड़ में धोखाधड़ी पर नकेल!

देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते…

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काशीपुर, 11 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में अपराध पर लगाम कसने के लिए चलाए जा रहे अभियानों के तहत, काशीपुर पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। मुखबिर की सटीक सूचना पर कार्रवाई करते हुए, टांडा चौकी पुलिस ने एक युवक को अवैध चाकू के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है और अब उसे न्यायालय में पेश करने की तैयारी की जा रही है। यह घटना गुरुवार की देर रात की है। टांडा चौकी प्रभारी सुनील सूतेडी अपनी टीम के साथ क्षेत्र में गश्त पर थे ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे। इसी दौरान, उन्हें एक विश्वसनीय मुखबिर से सूचना मिली कि राईपुर रोड स्थित फ्लाईओवर के ठीक नीचे एक युवक अवैध हथियार लेकर खड़ा है। सूचना की गंभीरता को समझते हुए, चौकी प्रभारी ने बिना समय गंवाए अपनी टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुंचने का फैसला किया। पुलिस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए फ्लाईओवर के नीचे घेराबंदी की और वहां खड़े एक संदिग्ध युवक को धर दबोचा। पुलिस की अचानक मौजूदगी से युवक घबरा गया और भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन पुलिस टीम ने उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया। पूछताछ करने पर आरोपी ने अपनी पहचान भोला उर्फ शिवम पुत्र त्रिलोकी, निवासी टांडा उज्जैन के रूप में बताई। पुलिस को उस पर संदेह हुआ और जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके कब्जे से एक अवैध चाकू बरामद हुआ। आरोपी इस हथियार को लेकर किस मकसद से वहां खड़ा था, इस बारे में पुलिस आगे की पूछताछ कर रही है। अवैध हथियार मिलने के बाद पुलिस टीम ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद, कोतवाली पुलिस ने टीम के प्रभारी सुनील सूतेडी की तहरीर के आधार पर आरोपी भोला उर्फ शिवम के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी को जल्द ही न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस गिरफ्तारी ने न केवल एक आपराधिक वारदात को रोका है, बल्कि पुलिस की सतर्कता और प्रभावी खुफिया तंत्र (मुखबिरों का जाल) को भी दर्शाया है। इस तरह की कार्रवाई से शहर में अवैध हथियारों की तस्करी और उनके इस्तेमाल पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है, जिससे आम जनता में सुरक्षा का भाव मजबूत होता है।

काशीपुर: टांडा पुलिस की बड़ी सफलता, मुखबिर की सूचना पर अवैध चाकू के साथ युवक गिरफ्तार, आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

काशीपुर, 11 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में अपराध पर लगाम कसने के लिए चलाए जा रहे अभियानों के तहत, काशीपुर पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। मुखबिर की सटीक सूचना पर कार्रवाई करते हुए, टांडा चौकी पुलिस ने एक युवक को अवैध चाकू के साथ गिरफ्तार किया है।…

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काशीपुर, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के काशीपुर में आज एक हृदय विदारक औद्योगिक हादसा सामने आया, जिसने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे, काशीपुर स्थित सूर्य फैक्ट्री में अचानक एक हाइड्रोजन गैस सिलेंडर जोरदार धमाके के साथ फट गया। इस भीषण विस्फोट में एक श्रमिक की मौके पर ही दर्दनाक मृत्यु हो गई, जबकि 10 अन्य श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत नगर के आयुष्मान चिकित्सालय लाया गया, जहां उनका उपचार जारी है। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया और मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी घायलों का हाल जानने अस्पताल पहुंचे। सुबह का शांत माहौल, जोरदार धमाके से दहल उठा काशीपुर गुरुवार की सुबह जब काशीपुर अपने सामान्य कामकाज में व्यस्त था, तभी लगभग 10:30 बजे सूर्य फैक्ट्री से एक भयानक धमाके की आवाज गूंजी, जिसने आसपास के पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। धमाका इतना जबरदस्त था कि फैक्ट्री परिसर में अफरा-तफरी मच गई और धुएं का गुबार आसमान में छा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हाइड्रोजन गैस सिलेंडर फटने के कारण यह हादसा हुआ, जिसकी तीव्रता ने वहां मौजूद श्रमिकों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। विस्फोट की चपेट में आए श्रमिकों में से एक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 10 अन्य बुरी तरह घायल हो गए। घायलों में कई को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें जलने और अंदरूनी चोटें शामिल हैं। फैक्ट्री के भीतर और बाहर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों और अन्य श्रमिकों की मदद से तत्काल बचाव कार्य शुरू किया गया और घायलों को समय रहते नगर के आयुष्मान चिकित्सालय पहुंचाया गया। चिकित्सालय पहुंचते ही डॉक्टरों की टीम ने तुरंत घायलों का उपचार शुरू कर दिया, जो अभी भी जारी है। अस्पताल में घायलों के परिजनों की भीड़ जमा हो गई है, जहां वे अपनों की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं। शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों का दौरा: CM ने भी जताया दुःख, दिए निर्देश हादसे की सूचना मिलते ही राज्य और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। घायलों के कुशलक्षेम जानने के लिए तत्काल मंडलायुक्त/मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, एसएसपी मणिकांत मिश्रा, और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. के.के. अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी आयुष्मान चिकित्सालय पहुंचे। अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर घायल श्रमिकों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। उन्होंने घायलों के परिजनों से भी बातचीत की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मंडलायुक्त और मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत ने चिकित्साधिकारियों से गहन चर्चा की और उन्हें घायलों का हरसंभव बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। रावत ने बताया कि उन्होंने घटना को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी बात की है। मुख्यमंत्री ने इस दुखद घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी घायल श्रमिक को बेहतर उपचार के लिए उच्च चिकित्सालयों में भेजने की आवश्यकता पड़े, तो बिना किसी देरी के भेजा जाए। यह मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और घायलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जांच के आदेश और राहत-बचाव कार्य तेज मंडलायुक्त दीपक रावत ने इस गंभीर घटना की जांच कराने हेतु जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया को तत्काल निर्देश दिए हैं। इस जांच में विस्फोट के कारणों, फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों के पालन, लापरवाही के संभावित बिंदुओं और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के उपायों की पड़ताल की जाएगी। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने भी घायलों को हर संभव बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के.के. अग्रवाल को चिकित्सालय में ही बने रहने और घायलों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, जिलाधिकारी ने सूर्य फैक्ट्री में घटना के मद्देनजर राहत और बचाव कार्यों के लिए तत्काल एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को भी रवाना किया। एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर किसी भी संभावित खतरे को कम करने और आगे के बचाव कार्यों में मदद करेगी। इस दौरान महापौर दीपक बाली, अपर जिलाधिकारी पंकज उपाध्याय, अपर जिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह सहित कई अन्य प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे, जिन्होंने पूरी स्थिति पर नजर रखी और राहत कार्यों में सहयोग किया। औद्योगिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल: क्यों बार-बार हो रहे ऐसे हादसे? काशीपुर की सूर्य फैक्ट्री में हुए इस हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाइड्रोजन एक ज्वलनशील गैस है, जिसके भंडारण और उपयोग में अत्यधिक सावधानी और कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है। यह हादसा दर्शाता है कि इन प्रोटोकॉल का या तो उल्लंघन किया गया या उनमें कहीं न कहीं कमी रह गई। ऐसे औद्योगिक हादसे न केवल जनहानि और संपत्ति का नुकसान करते हैं, बल्कि श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए दीर्घकालिक आघात भी छोड़ जाते हैं। यह घटना एक कड़ा संदेश है कि सरकार और उद्योग जगत को मिलकर औद्योगिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। नियमित निरीक्षण, सुरक्षा उपकरणों का उचित रखरखाव, श्रमिकों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि इस हादसे के पीछे वास्तविक कारण क्या थे और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

काशीपुर में दहला ‘सूर्य फैक्ट्री’: हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट में 1 श्रमिक की दर्दनाक मौत, 10 घायल! CM धामी ने दिया उच्च उपचार का भरोसा, जांच के आदेश

काशीपुर, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के काशीपुर में आज एक हृदय विदारक औद्योगिक हादसा सामने आया, जिसने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे, काशीपुर स्थित सूर्य फैक्ट्री में अचानक एक हाइड्रोजन गैस सिलेंडर जोरदार धमाके के साथ फट गया। इस भीषण विस्फोट में एक…

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देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से, भाजपा ने अब ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए व्यापक स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। यह कदम भाजपा की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य जमीनी स्तर तक अपनी पैठ बनाना है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री मनवीर चौहान ने इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट के निर्देश पर, राज्य के सभी जिलों में ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए योग्य और अनुभवी पदाधिकारियों को प्रभारी घोषित कर दिया गया है। यह नियुक्तियां पार्टी की संगठनात्मक शक्ति और आगामी चुनावों के प्रति उसकी गंभीरता को दर्शाती हैं। ब्लॉक प्रमुख चुनाव: ग्रामीण सत्ता की दूसरी सबसे बड़ी सीढ़ी ग्राम प्रधान के बाद, ब्लॉक प्रमुख का पद ग्रामीण सत्ता संरचना की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है। ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत समिति (ब्लॉक पंचायत) का मुखिया होता है, जो कई ग्राम पंचायतों को जोड़कर बनता है। यह पद ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, फंड्स के वितरण और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक समन्वय में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो पहले ग्राम पंचायत चुनावों में चुनकर आते हैं। ऐसे में, ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए प्रभारियों की नियुक्ति भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि वे क्षेत्र पंचायत सदस्यों के बीच अपना प्रभाव स्थापित कर सकें और पार्टी समर्थित उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकें। भाजपा की रणनीति: जमीनी स्तर पर पकड़ और संगठनात्मक मजबूती भाजपा ने इन प्रभारियों की नियुक्ति करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पंचायत चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है। इन प्रभारियों का मुख्य कार्य संबंधित ब्लॉकों में चुनावी रणनीति तैयार करना, योग्य उम्मीदवारों की पहचान करना और उन्हें समर्थन देना, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतें। यह कदम भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को फायदा मिल सकता है। इन नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और उन्हें पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास कर रही है। जिलावार प्रभारियों की लंबी सूची: अनुभवी नेताओं पर भरोसा भाजपा ने ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए जिन प्रभारियों की घोषणा की है, उनमें पार्टी के कई अनुभवी और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सूची प्रदेश के सभी जिलों और उनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न ब्लॉकों को कवर करती है, जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा ने इस चुनाव के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है: उत्तरकाशी जनपद: नौगांव ब्लॉक: डॉ. विजय बडोनी पुरोला ब्लॉक: श्री सत्ये सिंह राणा मोरी ब्लॉक: श्री नारायण सिंह चौहान चिनयौलीसैन: श्री जगत सिंह चौहान भटवाड़ी: श्री राम सुंदर नौटियाल डूंडा: श्री धन सिंह नेगी चमोली जनपद: दसौली: श्री राजकुमार पुरोहित पोखरी: श्री हरक सिंह नेगी ज्योतिर्मठ: श्री रामचंद्र गौड़ नंदा नगर: श्री समीर मिश्रा नारायणबगड़: श्री रघुवीर सिंह बिष्ट थराली: श्री गजेंद्र सिंह रावत देवल: श्री विनोद नेगी गैरसैण: श्री कृष्ण मणि थपलियाल कर्णप्रयाग: श्री विक्रम भंडारी रुद्रप्रयाग जनपद: अगस्तमुनि: श्री रमेश गाड़िया ऊखीमठ: श्री वाचस्पति सेमवाल जखोली: श्री रमेश मैखुरी टिहरी जनपद: भिलंगना: श्री अतर सिंह तोमर कीर्ति नगर: श्री विनोद रतूड़ी देवप्रयाग: श्री जोत सिंह बिष्ट नरेंद्र नगर: श्री रविंद्र राणा प्रताप नगर: श्री महावीर सिंह रंगड़ जाखड़ीधार: श्री सुभाष रमोला चंबा: श्री दिनेश घने थौलधार: श्री विनोद सुयाल जौनपुर: श्री खेम सिंह चौहान देहरादून जनपद: कालसी: श्री दिगंबर नेगी चकराता: श्री भुवन विक्रम डबराल विकासनगर: श्री यशपाल नेगी सहसपुर: श्री संजय गुप्ता रायपुर: श्री ओमवीर राघव डोईवाला: श्री नलिन भट्ट पौड़ी जनपद: पौड़ी: श्री ऋषि कंडवाल कोट: श्री वीरेंद्र रावत क्लजीखाल: श्री सुधीर जोशी खिर्सू: श्री मीरा रतूड़ी थलीसैंण: श्रीमती सुषमा रावत पाबो: श्री यशपाल बेनाम पोखडा: श्री जगमोहन रावत एकेश्वर: श्री विकास कुकरेती बीरोंखाल: श्री गिरीश पैन्यूली कोटद्वार: यमकेश्वर श्री मुकेश कोली द्वारीखाल: श्री शमशेर सिंह पुंडीर दुगड्डा: श्री संदीप गुप्ता नैनीडांडा: श्री महावीर कुकरेती जहरीखाल: श्री उमेश त्रिपाठी रिखणीखाल: श्री राजेंद्र अन्थवाल पिथौरागढ़ जनपद: धारचूला: श्री धन सिंह धामी मुनस्यारी: श्री अशोक नबियाल मुनकोट: श्री गणेश भंडारी डीडीहाट: श्री राजेंद्र सिंह रावत कनालीछीना: श्री राकेश देवाल पिथौरागढ़: श्री भूपेश पंत बेरीनाग: श्री बसंत जोशी गंगोलीहाट: श्री ललित पंत बागेश्वर जनपद: कपकोट: श्री इंद्र सिंह फर्स्वाण बागेश्वर: श्री देवेंद्र गोस्वामी गरुड़: श्री शिव सिंह बिष्ट रानीखेत (अल्मोड़ा जिला): द्वाराहाट: श्री अनिल शाही चौखुटिया: श्री पूरन सांगला साल्ट: श्री प्रेम शर्मा स्याल्दे: श्री सुरेंद्र मनराल ताड़ीखेत: श्री पूरन चंद नैनवाल भिकियासैंण: श्री सुभाष पांडे अल्मोड़ा जनपद: ताकुला: श्री अरविंद बिष्ट भैंसियाछाना: श्री रमेश बहुगुणा हवालबाग: श्री गौरव पांडे धौलादेवी: श्री रवि रौतेला लमगड़ा: श्री ललित लटवाल चंपावत जनपद: बाराकोट: श्री श्याम नारायण पांडे पाटी: श्री सतीश पांडे लोहाघाट: श्री शंकर पांडे चंपावत: श्री शंकर कोरंगा नैनीताल जनपद: धारी: श्री दीपक मेहरा ओखल कांडा: श्री चंदन सिंह बिष्ट रामगढ़: श्री मोहन पाल भीमताल: श्री प्रदीप जनौटी बेतालघाट: श्री देवेंद्र ढेला हल्द्वानी: श्री गोपाल रावत कोटा बाग: श्री तरुण बंसल रामनगर: श्री गुंजन सुखीजा उधमसिंह नगर जनपद: जसपुर: सरदार मंजीत सिंह बाजपुर: श्री राम मेहरोत्रा काशीपुर: श्री विवेक सक्सेना गदरपुर: श्री प्रदीप बिष्ट रुद्रपुर: श्री दिनेश आर्य सितारगंज: श्री दान सिंह रावत खटीमा: श्री उत्तम दत्ता आगामी चुनावी बिसात और सियासी हलचल इन नियुक्तियों से स्पष्ट है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव की बिसात पर अपनी चालें चलना शुरू कर दिया है। यह कदम राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करेगा और अन्य राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करेगा। ब्लॉक प्रमुख चुनाव सीधे तौर पर भले ही पार्टी सिंबल पर न लड़े जाते हों, लेकिन इन पर सत्ताधारी दल का दबदबा काफी महत्वपूर्ण होता है। भाजपा का लक्ष्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक हर स्तर पर अपने समर्थित प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या सुनिश्चित करना है, ताकि राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को ग्रामीण स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह 'मास्टरस्ट्रोक' रणनीति ब्लॉक प्रमुख चुनावों में कितनी सफल होती है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता का समीकरण कैसे बदलता है।

जमीनी जंग की तैयारी! भाजपा ने उतारे ब्लॉक प्रमुख चुनावों के ‘प्रभारी’, हर ब्लॉक के लिए कमान सौंपी, जानें किसे मिली जिम्मेदारी

देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य…

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देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के हित में कई बड़े निर्णय लिए हैं। इनमें राज्य की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी मिलना और विधवा व वृद्धावस्था पेंशन को लेकर लिया गया एक बड़ा सामाजिक निर्णय सबसे अहम हैं, जो सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। पंचायत चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण, इस कैबिनेट बैठक की आधिकारिक ब्रीफिंग नहीं हो पाई। हालांकि, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इन फैसलों को राज्य के विकास और सामाजिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। उत्तराखंड की ऊर्जा क्रांति: पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मंजूरी कैबिनेट बैठक का सबसे महत्वपूर्ण फैसला उत्तराखंड की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी देना है। यह एक गेमचेंजर पॉलिसी साबित हो सकती है, खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए जहां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपार संभावनाएं हैं। जियोथर्मल ऊर्जा, धरती की आंतरिक गर्मी का उपयोग कर बिजली उत्पादन करने की तकनीक है, जो स्वच्छ, निरंतर और पर्यावरण के अनुकूल होती है। उत्तराखंड में भूगर्भीय ताप (जियोथर्मल) की क्षमता व्यापक है, विशेषकर हिमालयी क्षेत्रों में। इस नीति को मंजूरी मिलने से राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के अन्वेषण, विकास और दोहन का रास्ता खुल गया है। यह न केवल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सहायक होगा। इससे राज्य में नए निवेश आकर्षित होंगे, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। यह फैसला उत्तराखंड को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लाखों परिवारों को राहत: अब बेटे के 18 साल पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन समाज कल्याण विभाग से जुड़ा एक और ऐतिहासिक और मानवीय फैसला कैबिनेट ने लिया है, जो सीधे तौर पर समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबके को राहत पहुंचाएगा। अब तक के नियमों के तहत, विधवा या वृद्धावस्था पेंशन अक्सर तब रोक दी जाती थी जब पेंशन धारक का पुत्र 18 वर्ष का हो जाता था, यह मानते हुए कि अब वह अपनी माँ या बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल कर सकता है। लेकिन, कैबिनेट ने इस नियम में बड़ा बदलाव करते हुए यह निर्णय लिया है कि पुत्र के 18 साल पूरे होने पर भी वृद्धावस्था और विधवा पेंशन मिलती रहेगी। यह उन लाखों माताओं और बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत है जो अक्सर अपने बच्चों के बालिग होने के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर रहते हैं और पेंशन पर ही निर्भर होते हैं। यह फैसला समाज के एक बड़े वर्ग को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा और उन्हें अनिश्चितता के दौर में आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। यह धामी सरकार की सामाजिक संवेदनशीलता और कल्याणकारी नीतियों का प्रतीक माना जा रहा है। बुनियादी ढांचे और सुशासन पर भी अहम मुहर कैबिनेट बैठक में केवल ऊर्जा और सामाजिक कल्याण ही नहीं, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे और सुशासन से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी मुहर लगी है। सूत्रों के मुताबिक, इन प्रस्तावों में शामिल हैं: पुलों की वहन क्षमता का उन्नयन: पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के तहत प्रदेश में 'बी' ग्रेड के पुलों को 'ए' ग्रेड में अपग्रेड किए जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) की स्थापना को भी मंजूरी दी गई है, जो इन पुलों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए अध्ययन और योजना तैयार करेगी। यह निर्णय पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां मजबूत पुल सड़कें और आवागमन की जीवनरेखा होते हैं। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और दुर्घटनाओं का जोखिम भी कम होगा। डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी: राज्य कर विभाग में डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह लैब डिजिटल अपराधों, साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय घोटालों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे राज्य की जांच एजेंसियों की क्षमताएं बढ़ेंगी और वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। वित्त सेवा संवर्ग का पुनर्गठन: उत्तराखंड के वित्त सेवा संवर्ग के पुनर्गठन को भी मंजूरी मिल गई है। यह कदम राज्य के वित्तीय प्रबंधन को और अधिक कुशल और आधुनिक बनाने की दिशा में उठाया गया है। सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण: सतर्कता विभाग के संशोधित ढांचे को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत इसमें पदों की संख्या बढ़ाकर 152 कर दी गई है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और राज्य में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूत करेगा। खनिज अन्वेषण और फाउंडेशन न्यास: उत्तराखंड राज्य खनिज अन्वेषण न्यास, 2025 और उत्तराखंड जिला खनिज फाउंडेशन न्यास, 2025 को प्रख्यापित किए जाने को भी मंजूरी मिली है। यह राज्य के खनिज संसाधनों के अन्वेषण, प्रबंधन और खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान करेगा। धामी सरकार का 'समग्र विकास' विजन ये सभी फैसले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 'समग्र विकास' और 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन को दर्शाते हैं। एक ओर जहां जियोथर्मल पॉलिसी और पुलों का उन्नयन राज्य के आर्थिक और भौतिक विकास को गति देगा, वहीं विधवा/वृद्धा पेंशन में बदलाव और सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण सामाजिक न्याय और सुशासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते इन फैसलों का विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इन महत्वपूर्ण निर्णयों को जनता के सामने रखेगी और इनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू होगी। यह कैबिनेट बैठक निश्चित रूप से उत्तराखंड के भविष्य के लिए कई नई राहें खोलेगी।

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक का ऐतिहासिक फैसला: राज्य की पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मिली हरी झंडी, अब बेटे के 18 साल पूरे होने पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन! आम आदमी को बड़ी राहत

देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के…

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देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया है। इन दलों पर आरोप है कि वे पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। आयोग के इस कदम ने इन दलों के लिए 21 जुलाई की शाम 5 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है, जिसके बाद उनके अंतिम डीलिस्टिंग (पंजीकरण रद्द करने) का निर्णय लिया जाएगा। यह कार्रवाई उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। क्यों चला आयोग का 'डंडा'? शर्तों पर खरे नहीं उतर रहे कई दल भारत निर्वाचन आयोग, देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और उनके कामकाज पर कड़ी नजर रखता है। आयोग के निर्देशानुसार, उत्तराखंड में कुल 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPPs) हैं। ये वो दल होते हैं, जिन्हें राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त वोट प्रतिशत या सीटें नहीं मिली होतीं, लेकिन वे चुनाव आयोग के पास पंजीकृत होते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग की जांच में सामने आया है कि इन 42 दलों में से कई ऐसे हैं जो 'पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल' बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इन शर्तों में मुख्य रूप से शामिल हैं: नियमित आंतरिक चुनाव: दलों को अपने भीतर नियमित रूप से संगठनात्मक चुनाव कराने होते हैं, ताकि आंतरिक लोकतंत्र बना रहे। वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करना: वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दलों को हर साल अपनी आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपनी होती है। योगदान रिपोर्ट दाखिल करना: दलों को अपने प्राप्त चंदे (कंट्रीब्यूशन) की जानकारी आयोग को देनी होती है। चुनावी गतिविधियों में भागीदारी: दलों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे लगातार चुनाव (विधानसभा या लोकसभा) में भाग लें, भले ही वे सीटें न जीतें। सक्रिय कार्यालय का पता: आयोग ने विशेष रूप से यह भी पाया है कि इन दलों के कार्यालय का कोई सही या सक्रिय पता नहीं है। यानी ये दल केवल कागजों पर मौजूद हैं, जमीनी स्तर पर इनकी कोई सक्रियता नहीं दिख रही है। आयोग ने इन्हीं मानदंडों के आधार पर उत्तराखंड के 6 ऐसे विशिष्ट दलों की पहचान की है, जिन्हें अब नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। अस्तित्व पर खतरा: 21 जुलाई शाम 5 बजे की डेडलाइन नोटिस प्राप्त करने वाले इन 6 दलों को 21 जुलाई, शाम 5 बजे तक अपना जवाब चुनाव आयोग को भेजना होगा। इस जवाब में उन्हें यह साबित करना होगा कि वे आयोग द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं या क्यों उन्हें डीलिस्ट नहीं किया जाना चाहिए। यदि ये दल निर्धारित समय-सीमा के भीतर संतोषजनक जवाब प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं या अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं दे पाते हैं, तो भारत निर्वाचन आयोग इनकी अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय लेगा। डीलिस्टिंग का अर्थ है कि इन दलों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा, और वे अब चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दल नहीं रह जाएंगे। क्यों महत्वपूर्ण है यह कार्रवाई? पारदर्शिता और जवाबदेही की पहल चुनाव आयोग द्वारा यह कार्रवाई केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि देश भर में ऐसे निष्क्रिय और गैर-अनुपालनकारी राजनीतिक दलों के खिलाफ अभियान का हिस्सा है। आयोग का मुख्य उद्देश्य है कि: राजनीतिक प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना: ऐसे दल जो केवल कागजों पर मौजूद हैं और जिनका कोई वास्तविक राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, उन्हें प्रणाली से हटाना। फंडिंग में पारदर्शिता: कई बार ऐसे निष्क्रिय दलों का उपयोग धन के लेन-देन या कर चोरी के लिए भी किया जाता है। आयोग ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहता है। संसाधनों का कुशल उपयोग: चुनाव आयोग के सीमित संसाधनों का उपयोग केवल सक्रिय और वास्तविक राजनीतिक दलों के लिए हो। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना: केवल वास्तविक और सक्रिय दल ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लें, जिससे राजनीतिक प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़े। यह कदम उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक नई बहस छेड़ सकता है, खासकर उन छोटे दलों के बीच जो अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रभाव और चुनौतियाँ: क्या खोएंगे ये दल? यदि इन 6 दलों का पंजीकरण रद्द होता है, तो उन्हें कई लाभों से वंचित होना पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं: निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) की निःशुल्क प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार। सार्वजनिक प्रसारकों (जैसे दूरदर्शन और आकाशवाणी) पर मुफ्त हवाई समय। चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवारों के लिए साझा चुनाव चिह्न की सुविधा (यदि आयोग द्वारा आवंटित की जाती है)। डीलिस्ट होने के बाद, यदि ये दल भविष्य में चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो उन्हें नए सिरे से पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह चुनौती इन दलों के लिए उनके अस्तित्व को बचाने की आखिरी लड़ाई साबित हो सकती है। चुनाव आयोग का यह कदम स्पष्ट संदेश है कि राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा और केवल कागजों पर पंजीकृत होकर ही राजनीतिक दल बने नहीं रहा जा सकता। उत्तराखंड में जिन दलों को नोटिस मिला है, उन्हें अब 21 जुलाई तक अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूत दलीलें और प्रमाण पेश करने होंगे। इस फैसले से राज्य की छोटी राजनीतिक पार्टियों के कामकाज में निश्चित रूप से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही देखने को मिलेगी।

उत्तराखंड की सियासत में भूचाल! चुनाव आयोग का ‘डंडा’ चला, 6 राजनीतिक दलों पर लटकी ‘अस्तित्व’ की तलवार, 21 जुलाई तक ‘आखिरी मौका’

देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया…

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नैनीताल, 7 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के नैनीताल में सैलानियों की स्टंटबाजी का एक और खतरनाक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। ज्योलिकोट क्षेत्र में एक तेज़ रफ्तार चलती हरियाणा नंबर की कार से, उसमें सवार कुछ पर्यटक सनरूफ और खिड़कियों से बाहर झांककर जानलेवा तरीके से फोटो खिंचवाते हुए नजर आए। इस खतरनाक स्टंट को देखकर सोशल मीडिया पर भारी नाराजगी फैल गई और आम लोगों ने नैनीताल पुलिस से तत्काल कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल चालान काटा, बल्कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करने की सख्त चेतावनी भी दी है। यह घटना एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि सोशल मीडिया पर लाइक्स बटोरने का जुनून किस हद तक लोगों की जान जोखिम में डाल रहा है। तेज रफ्तार कार, खतरनाक पोज़: वायरल वीडियो की पूरी कहानी वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक हरियाणा नंबर की तेज रफ्तार कार ज्योलिकोट क्षेत्र से गुजर रही है। कार में सवार कुछ युवक और युवतियां, सनरूफ से बाहर निकलकर और खिड़कियों से आधा शरीर बाहर निकालकर खतरनाक तरीके से पोज दे रहे हैं। वे चलती गाड़ी में अपनी जान जोखिम में डालकर फोटो और वीडियो बना रहे थे, संभवतः सोशल मीडिया पर 'रील्स' या पोस्ट डालने के उद्देश्य से। इस तरह की हरकतें न केवल उनमें सवार व्यक्तियों के लिए बल्कि सड़क पर चल रहे अन्य वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए भी बड़ा खतरा पैदा करती हैं। वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हजारों लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। गुस्साए यूजर्स ने इसे 'लापरवाही की हद' और 'पर्यटन स्थलों पर अराजकता' करार दिया। बड़ी संख्या में लोगों ने नैनीताल पुलिस और उत्तराखंड पुलिस को टैग करते हुए ऐसे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। एसएसपी का त्वरित संज्ञान: तुरंत हुई चालानी कार्रवाई और काउंसलिंग नैनीताल जनपद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रह्लाद नारायण मीणा ने वायरल वीडियो का तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए संबंधित वाहन और उसके चालक को तत्काल चिन्हित करने के निर्देश दिए। एसएसपी के निर्देशों पर हरकत में आई पुलिस टीम ने फुटेज के आधार पर वाहन नंबर का पता लगाया और हरियाणा नंबर की उस गाड़ी को ट्रेस कर लिया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए वाहन चालक के खिलाफ चालानी कार्रवाई की। वाहन चालक पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत निर्धारित धाराओं में जुर्माना लगाया गया। सिर्फ चालान तक ही बात नहीं रुकी, पुलिस ने कार में सवार परिवार के अन्य सदस्यों की भी काउंसलिंग की। इस काउंसलिंग का उद्देश्य उन्हें उनके गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के खतरों से अवगत कराना और भविष्य में ऐसी गलतियों को दोहराने से रोकना था। पुलिस के मुताबिक, पूछताछ के दौरान वाहन चालक ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए पुलिस से माफी मांगी। उसने भविष्य में कभी भी ऐसी लापरवाही न करने का वादा भी किया। यह पुलिस की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई का परिणाम था कि अपराधियों को भागने का मौका नहीं मिला और उन्हें अपनी गलती का एहसास भी हुआ। सड़क हादसों पर लगाम: एसएसपी के सख्त निर्देश और पुलिस की अपील नैनीताल जनपद में सड़क हादसों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने सभी थाना प्रभारियों और यातायात पुलिस को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के तहत, अब जिले में ड्रंक एंड ड्राइव (शराब पीकर गाड़ी चलाना), ओवरस्पीडिंग (तेज रफ्तार), रैश ड्राइविंग (लापरवाह ड्राइविंग) और स्टंटबाजी के खिलाफ एक विशेष और सघन अभियान चलाया जाएगा। पुलिस ऐसी किसी भी गतिविधि पर कड़ी नजर रखेगी जो सड़क सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकती है। नैनीताल पुलिस ने आम जनता, विशेषकर पर्यटकों से एक सख्त अपील जारी की है: "चलती गाड़ी में किसी भी तरह की स्टंटबाजी न करें।" "सनरूफ का मतलब खतरनाक पोज़ देना नहीं है। यह सुविधा यात्रियों के आराम और आनंद के लिए है, न कि जान जोखिम में डालकर स्टंट करने के लिए।" "सोशल मीडिया पर फोटो सेशन के चक्कर में अपनी और दूसरों की जान को खतरे में डालकर हादसे को न बुलाओ।" 'लाइक्स की भूख' और सड़क सुरक्षा: एक गंभीर चेतावनी यह घटना एक बार फिर इस कड़वी सच्चाई की ओर इशारा करती है कि सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलोवर्स बटोरने की भूख, लोगों की अपनी और दूसरों की जान के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकती है। पर्यटक स्थलों पर लोग अक्सर अपनी यात्रा को यादगार बनाने और सोशल मीडिया पर 'अलग' दिखने के लिए ऐसी खतरनाक हरकतें कर बैठते हैं, जो अंततः गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं। नैनीताल जैसे पर्यटन स्थल, जहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं, यदि पर्यटक खुद ही नियमों को तोड़ने लगेंगे और खतरनाक स्टंट करेंगे, तो फिर दुर्घटनाओं से कैसे बचा जा सकेगा? यह एक गंभीर सवाल है जो पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटकों की नैतिकता पर विचार करने को मजबूर करता है। नैनीताल पुलिस की यह सख्त चेतावनी है कि अब अगर उत्तराखंड की सड़कों पर किसी भी तरह की स्टंटबाजी की गई, तो सिर्फ वीडियो वायरल नहीं होगा, बल्कि तुरंत चालान कटेगा और कानूनी केस भी साथ में चलेगा। पुलिस ने स्पष्ट संदेश दिया है: "सैर पर आइए, देवभूमि उत्तराखंड के संस्कार लेकर जाइए, स्टंट नहीं।" यह संदेश न केवल पर्यटकों के लिए है, बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो सड़क सुरक्षा नियमों को हल्के में लेते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं। उम्मीद है कि इस कार्रवाई से सबक लिया जाएगा और भविष्य में ऐसी लापरवाहियां रुकेंगी।

नैनीताल में ‘रील्स’ का जुनून पड़ा महंगा! चलती कार से स्टंट कर रहे हरियाणा के पर्यटक पर गिरी गाज, पुलिस ने काटा चालान और दी सख्त चेतावनी: ‘अब वीडियो नहीं, सीधा केस चलेगा

नैनीताल, 7 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के नैनीताल में सैलानियों की स्टंटबाजी का एक और खतरनाक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होते ही पुलिस प्रशासन हरकत में आ गया। ज्योलिकोट क्षेत्र में एक तेज़ रफ्तार चलती हरियाणा नंबर की कार से, उसमें सवार कुछ पर्यटक सनरूफ और खिड़कियों…

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काशीपुर, 07 जुलाई 2025 (समय बोल रहा) — उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का आज देहरादून जाते समय काशीपुर के कुंडा क्षेत्र में अल्प विश्राम के दौरान भव्य स्वागत किया गया। वे कुछ देर के लिए रॉयल हवेली में रुके थे, जहां बड़ी संख्या में स्थानीय कार्यकर्ता एवं गणमान्य लोग उनके दर्शन के लिए पहुंचे। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने उनका पारंपरिक ढंग से फूलमालाओं और अंगवस्त्रों से अभिनंदन किया। कोश्यारी जी ने सभी कार्यकर्ताओं का स्नेहपूर्वक आभार व्यक्त किया और संगठन के प्रति उनके समर्पण और निष्ठा की सराहना की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने जताया सम्मान कोश्यारी जी के स्वागत समारोह में भाग लेने वालों में भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता, पूर्व सांसद प्रतिनिधि और स्थानीय नेता शामिल थे। मुख्य रूप से उपस्थित लोगों में शामिल थे: पूर्व सांसद प्रतिनिधि रवि साहनी , भाजपा नेता दीपकोश्यारी ,शीतल जोशी,अंकुरकुमार ,हिमांशु शर्मा,राज्य मंत्री अंबिका चौधरी,सुरेश लोहिया ,अनूप सिंह,अभिषेक गोयल, जे.एस. नरूला ,प्रगट सिंह ,आनंद वैश्य ,ईश्वर चंद्र गुप्ता ,बच्चू अरोरा ,अजय शंकर कार्यकर्ताओं ने उन्हें सम्मानित कर उनके योगदान को याद किया और कहा कि कोश्यारी जी का जीवन सभी कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कोश्यारी का संदेश: "निष्ठा ही संगठन की ताकत है" संक्षिप्त बातचीत में श्री कोश्यारी ने कहा कि कार्यकर्ताओं की निष्ठा और प्रतिबद्धता ही किसी संगठन की असली ताकत होती है। उन्होंने कहा: " आप सभी का समर्पण ही संगठन को मजबूत बनाता है। यह देख कर हर्ष होता है कि कार्यकर्ता अब भी उसी भावना से कार्य कर रहे हैं जैसे पहले किया करते थे।" उन्होंने कार्यकर्ताओं से संगठन के साथ ईमानदारी और अनुशासन से जुड़े रहने का आग्रह किया। सामाजिक सरोकार और सादगी की मिसाल भगत सिंह कोश्यारी का जीवन हमेशा सादगी, पारदर्शिता और राष्ट्रभक्ति से जुड़ा रहा है। चाहे मुख्यमंत्री के रूप में रहा उनका कार्यकाल हो या महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में निभाई गई जिम्मेदारियाँ, उन्होंने हमेशा लोकहित को प्राथमिकता दी। कोश्यारी जी के इस अनौपचारिक पड़ाव ने यह एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि वे न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि जनता के प्रिय जननायक भी हैं। उनका व्यवहार, बोलने का अंदाज और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद लोगों को सहज महसूस कराता है। जनता से जुड़ाव बना रहा अटूट कोश्यारी जी अब सक्रिय राजनीति में नहीं हैं, लेकिन उनका जुड़ाव जनता से आज भी उतना ही प्रबल है। यह बात उनके काशीपुर आगमन पर कार्यकर्ताओं और नागरिकों की भारी उपस्थिति ने सिद्ध कर दी। लोग अपने नेता को देखने और सम्मान देने के लिए स्वयं आगे बढ़कर आए। वर्तमान में भी प्रासंगिक व्यक्तित्व जहां राजनीति में बदलाव और नई पीढ़ी का प्रवेश हो रहा है, वहीं कोश्यारी जैसे वरिष्ठ नेताओं की भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में सामने आती है। उनके अनुभव, विचार और नेतृत्व क्षमता आज भी युवाओं के लिए सीखने योग्य हैं।

जन-जन के नायक, हिमालय पुत्र और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी का काशीपुर में भव्य स्वागत

काशीपुर, 07 जुलाई 2025 (समय बोल रहा) — उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का आज देहरादून जाते समय काशीपुर के कुंडा क्षेत्र में अल्प विश्राम के दौरान भव्य स्वागत किया गया। वे कुछ देर के लिए रॉयल हवेली में रुके थे, जहां बड़ी संख्या में स्थानीय कार्यकर्ता एवं…

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