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बाजपुर, 15 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा ) : वन विभाग और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार को बाजपुर-हल्द्वानी मार्ग पर स्थित एक अमरूद के बगीचे में छापेमारी कर खैर की 11 गिल्टे (गोल लट्ठे) बरामद किए हैं। इस अवैध लकड़ी की अनुमानित कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है। मौके से एक बड़ा तराजू भी बरामद हुआ है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अवैध रूप से काटी गई इस लकड़ी को यहीं पर तौलकर बेचने की तैयारी चल रही थी। हालांकि, छापेमारी दल के पहुंचने से पहले ही आरोपी मौके से फरार होने में सफल रहा, जिसकी तलाश में अब सघन अभियान चलाया जा रहा है। मुखबिर की सूचना पर हुई कार्रवाई यह कार्रवाई वन विभाग को मिली एक खुफिया सूचना के आधार पर की गई। मुखबिर ने बताया था कि हल्द्वानी रोड पर स्थित एक निजी अमरूद के बाग में खैर की भारी मात्रा में अवैध लकड़ी का भंडारण किया गया है, और जल्द ही इसे ठिकाने लगाने की योजना है। सूचना की गंभीरता को देखते हुए, वन विभाग के अधिकारियों ने तत्काल एसओजी टीम के साथ समन्वय स्थापित किया और सोमवार दोपहर बाद बगीचे पर छापा मारने का निर्णय लिया गया। छापेमारी दल जब बगीचे के भीतर दाखिल हुआ, तो उन्हें पेड़ों के झुरमुट में सावधानी से छिपाकर रखे गए खैर के विशालकाय 11 गिल्टे मिले। इन गिल्टों का आकार और गुणवत्ता यह दर्शाती है कि यह लकड़ी काफी मूल्यवान है। एसओजी प्रभारी अशोक टम्टा ने समय बोल रहा को जानकारी देते हुए बताया, "हमें मिली सटीक सूचना पर यह सफल कार्रवाई की गई है। बरामद की गई खैर की लकड़ी की गुणवत्ता काफी अच्छी है, और हमने इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये निर्धारित की है। यह लकड़ी अवैध रूप से काटी गई प्रतीत होती है, और इसकी तस्करी की तैयारी थी।" तस्करी के संकेत और आगे की जांच टम्टा ने आगे स्पष्ट किया, "बरामद लकड़ी के साथ जो तराजू मिला है, वह यह दर्शाता है कि मौके पर ही खरीद-फरोख्त की जा रही थी। हालांकि, हमारे पहुंचने से पहले ही संदिग्ध व्यक्ति फरार हो गया। बरामद खैर की लकड़ी और तराजू को रामनगर स्थित वन विभाग की वर्कशॉप में सुरक्षित रखवा दिया गया है। हम फरार आरोपी की पहचान और उसकी गिरफ्तारी के लिए विभिन्न स्तरों पर जांच कर रहे हैं।" खैर का पेड़ (Acacia catechu) अपनी अत्यंत मूल्यवान लकड़ी के लिए जाना जाता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से कत्था निर्माण, टिकाऊ फर्नीचर, कृषि उपकरण और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इसकी धीमी वृद्धि दर और उच्च आर्थिक मूल्य के कारण, खैर की अवैध कटाई और तस्करी उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में एक गंभीर पर्यावरणीय और कानूनी चुनौती बनी हुई है। अवैध रूप से खैर काटना न केवल वनों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। वन विभाग की अपील और चुनौती वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में वन संपदा की सुरक्षा के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। अवैध लकड़ी के व्यापार में शामिल सिंडिकेट को तोड़ने के लिए खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है और ऐसे मामलों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाती है। इस विशेष मामले में, जांच दल अब आसपास के क्षेत्रों में सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा है और स्थानीय मुखबिरों से और जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है ताकि फरार आरोपी को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके। यह भी पता लगाया जा रहा है कि यह लकड़ी कहां से लाई गई थी और इसका अंतिम गंतव्य क्या था। स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने वन विभाग की इस कार्रवाई का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने सरकार और प्रशासन से वन कानूनों को और मजबूत करने तथा अवैध कटाई को रोकने के लिए निगरानी प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की अपील की है। यह घटना एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डालती है कि उत्तराखंड के वन संसाधनों को बचाने के लिए निरंतर सतर्कता और समुदाय की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।

बाजपुर में 11 गिल्टे खैर की अवैध लकड़ी बरामद; वन विभाग और एसओजी की संयुक्त कार्रवाई, आरोपी फरार

बाजपुर, 15 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा ) : वन विभाग और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार को बाजपुर-हल्द्वानी मार्ग पर स्थित एक अमरूद के बगीचे में छापेमारी कर खैर की 11 गिल्टे (गोल लट्ठे) बरामद किए हैं। इस अवैध लकड़ी की अनुमानित कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है।…

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देहरादून, 14 जुलाई 2025 ( समय बोल रहा )– उत्तराखंड में पंचायत उपचुनावों को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में आज एक बड़ा फैसला आया, जिससे चुनावी प्रक्रिया में आई अनिश्चितता समाप्त हो गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (चुनाव चिन्ह) आवंटन की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बहाल कर दिया है। न्यायालय ने न केवल आयोग को कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी, बल्कि इस तरह के चुनाव को 'सुचारू रूप से जारी रखने' की मंजूरी भी दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव प्रक्रिया अब नहीं रुकेगी। बीते दिन की अनिश्चितता और आज का फैसला दरअसल, रिट याचिका संख्या 503 (एम०बी०) 2025 – शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य में 11 जुलाई 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद, आयोग के सामने कुछ कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता थी। इसी कारण, आयोग ने 13 जुलाई 2025 को आदेश संख्या 1759 के माध्यम से, 14 जुलाई 2025 को होने वाली प्रतीक आवंटन की कार्यवाही को दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था। राज्य भर के उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और आम जनता की नजरें हाई कोर्ट पर टिकी थीं, क्योंकि इस फैसले पर ही चुनाव का भविष्य टिका था। आज, 14 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में, माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए। न्यायालय ने आयोग को आश्वस्त किया कि वह निर्धारित चुनावी प्रक्रिया को जारी रख सकता है। न्यायालय के इस रुख के बाद, निर्वाचन आयोग ने बिना किसी देरी के, चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए संशोधित कार्यक्रम जारी कर दिया। संशोधित कार्यक्रम जारी: आज ही शुरू हुआ काम, कल भी जारी रहेगा उच्च न्यायालय से निर्देश प्राप्त होते ही, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड ने एक संशोधित आदेश जारी किया। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि: आज 14 जुलाई 2025 को दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक निर्वाचन प्रतीक आवंटन की कार्यवाही संचालित की जाएगी। शेष निर्वाचन प्रतीक आवंटन की प्रक्रिया 15 जुलाई 2025 को प्रातः 8:00 बजे से कार्य समाप्ति तक पूरी कराई जाएगी। इस फैसले ने उन हजारों उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत लाई है, जो पिछले 24 घंटों से अनिश्चितता के दौर में थे। प्रतीक आवंटन के बिना, वे अपनी चुनाव प्रचार सामग्री जैसे पोस्टर, बैनर और पैम्फलेट नहीं बनवा पा रहे थे, जिससे उनकी तैयारियों में बाधा आ रही थी। अब प्रक्रिया फिर से शुरू होने से उनके अभियान में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आयोग ने अधिकारियों को दिए तत्काल निर्देश राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना (संशोधित) संख्या 1303, दिनांक 28 जून 2025 को इस सीमा तक संशोधित माना है, जिसका सीधा अर्थ है कि केवल प्रतीक आवंटन का कार्यक्रम बदला है, बाकी सभी चुनावी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न कराई जाएंगी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया अब बिना किसी रुकावट के चलेगी। यह आदेश समस्त जिलाधिकारियों, उप जिला निर्वाचन अधिकारियों, सचिव पंचायतीराज एवं संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से भेज दिया गया है ताकि जमीनी स्तर पर भी किसी तरह का कोई भ्रम न रहे और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जा सके। यह कदम यह भी दर्शाता है कि प्रशासन और न्यायपालिका के बीच बेहतरीन समन्वय है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया जा रहा है। कानूनी प्रक्रिया और लोकतंत्र की जीत यह पूरा घटनाक्रम यह साबित करता है कि भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। भले ही एक याचिका के कारण कुछ समय के लिए चुनावी प्रक्रिया रुकी, लेकिन यह सुनिश्चित किया गया कि पूरी प्रक्रिया कानूनी रूप से सही और न्यायसंगत हो। उच्च न्यायालय ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द सुनवाई की और स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए, जिससे चुनाव में देरी नहीं हुई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के हित में है। अब वे अपने अभियान को बिना किसी कानूनी डर के आगे बढ़ा सकते हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार में तेजी आएगी और मतदाता भी पूरे उत्साह के साथ मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। इस कानूनी उलझन का समाधान होने के बाद, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल फिर से गरमा गया है। अब सभी की निगाहें 15 जुलाई की सुबह पर टिकी हैं, जब शेष उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिन्ह आवंटित होंगे और वे पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे।

ब्रेकिंग न्यूज़: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को हाईकोर्ट की मंजूरी, अब नहीं रुकेगा चुनाव चिन्ह आवंटन

देहरादून, 14 जुलाई 2025 ( समय बोल रहा )– उत्तराखंड में पंचायत उपचुनावों को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में आज एक बड़ा फैसला आया, जिससे चुनावी प्रक्रिया में आई अनिश्चितता समाप्त हो गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (चुनाव चिन्ह) आवंटन की प्रक्रिया को…

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काशीपुर, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – पत्रकारिता के मूल्यों को स्थापित करने, पत्रकारों के हितों की रक्षा करने और उन्हें एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आज काशीपुर में 'पत्रकार प्रेस परिषद भारत' की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में हुई इस बैठक में परिषद की काशीपुर इकाई का विधिवत गठन किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से विभिन्न पदों पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई। बैठक की अध्यक्षता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने की, जिनकी उपस्थिति में संगठन के विस्तार को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। अध्यक्ष पद पर अजय सक्सेना का मनोनयन, जिला स्तर पर भी काशीपुर का दबदबा बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने काशीपुर इकाई के अध्यक्ष पद के लिए अजय कुमार सक्सेना के नाम का मनोनयन किया। अजय सक्सेना के नाम की घोषणा होते ही सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, जिससे पता चलता है कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था। प्रदेश अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि काशीपुर पत्रकारिता का एक मह

काशीपुर में पत्रकार प्रेस परिषद भारत की नई इकाई का गठन: अजय सक्सेना बने अध्यक्ष, प्रकाश जोशी को मिली जिला सचिव की जिम्मेदारी

काशीपुर, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – पत्रकारिता के मूल्यों को स्थापित करने, पत्रकारों के हितों की रक्षा करने और उन्हें एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आज काशीपुर में ‘पत्रकार प्रेस परिषद भारत’ की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में हुई इस बैठक में परिषद…

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देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के बाद लिया है, जिससे चुनावी मैदान में उतरे हजारों प्रत्याशियों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। उक्त आदेश जारी करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट, उत्तराखंड, नैनीताल में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य के नाम से योजित थी। माननीय न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए दिनांक 11 जुलाई, 2025 को एक आदेश पारित किया था। आयोग के अनुसार, इस आदेश के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता (clarification) प्राप्त करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड द्वारा न्यायालय में एक प्रार्थना-पत्र दाखिल किया गया है। आयोग का यह कदम कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए लिया गया है, और इस पर हाईकोर्ट में 14 जुलाई, 2025 को पूर्वाह्न में सुनवाई होनी नियत हुई है। चूंकि चुनाव चिन्हों का आवंटन और अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं इसी के बाद होनी थीं, इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया कि जब तक न्यायालय से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिल जाता, तब तक चुनाव चिन्ह आवंटन का कार्य रोक दिया जाए। मैदान में उतरे उम्मीदवारों की रणनीति पर 'ब्रेक' चुनाव चिन्हों का आवंटन स्थगित होने से चुनावी मैदान में उतरे सभी उम्मीदवारों की रणनीति पर अचानक 'ब्रेक' लग गया है। चुनाव चिन्ह मिलने के बाद ही कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान को अंतिम रूप देता है। यह चिन्ह ही उसके पोस्टर, बैनर, और डोर-टू-डोर कैंपेन का मुख्य आधार होता है। कई उम्मीदवारों ने तो चुनाव चिन्ह मिलने की तारीख को देखते हुए पहले ही पोस्टर और अन्य प्रचार सामग्री का डिजाइन तैयार करवा लिया था। एक स्थानीय उम्मीदवार, जो अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे, ने बताया, "हम सब कल के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमने अपने समर्थकों को भी तैयार रहने को कहा था। यह खबर हमारे लिए एक बड़ा झटका है। हमें नहीं पता कि अब हम आगे क्या करें।" एक अन्य प्रत्याशी ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस अनिश्चितता से न केवल उनका समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि चुनाव प्रचार में लगाया गया उनका पैसा भी अधर में लटक गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कानूनी चुनौती चुनाव आयोग की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है। उनका कहना है कि याचिका में शायद वार्डों के आरक्षण, मतदाता सूची या अन्य प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर सवाल उठाए गए होंगे। हालांकि, इससे जमीनी स्तर पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए बहुत परेशानी हो रही है। न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका: निष्पक्ष चुनाव की गारंटी यह घटना एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। भले ही यह कदम चुनावी प्रक्रिया में देरी कर रहा हो, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि पूरा चुनाव निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हो। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के बजाय, न्यायालय से स्पष्टता मांगकर एक सही और कानूनी रूप से मजबूत रास्ता चुना है। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने में आसानी होगी। अब सभी की निगाहें सोमवार सुबह हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस सुनवाई का परिणाम ही यह तय करेगा कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का अगला कदम क्या होगा। अगर हाईकोर्ट आयोग के स्पष्टीकरण से संतुष्ट होता है और उसे आगे बढ़ने की अनुमति देता है, तो चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन अगर न्यायालय कोई नया आदेश देता है या किसी विशेष प्रक्रिया में सुधार के लिए कहता है, तो चुनाव की पूरी समय-सारणी में बदलाव हो सकता है। फिलहाल, चुनाव चिन्हों की प्रतीक्षा कर रहे हजारों उम्मीदवार, उनके समर्थक और राजनीतिक दल सभी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। चुनाव की रणभेरी कुछ समय के लिए शांत हो गई है और सभी उम्मीदवार न्याय के देवता के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना बताती है कि पंचायत चुनाव, जो अक्सर ग्रामीण राजनीति का सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है, अब कानूनी और तकनीकी पेचीदगियों से भी प्रभावित होने लगा है।

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया थमी: हाईकोर्ट के आदेश पर चुनाव चिन्ह आवंटन स्थगित, अनिश्चितता के घेरे में हजारों प्रत्याशी

देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला…

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पटना, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – बिहार की राजधानी पटना के पुनपुन प्रखंड में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रभावशाली नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, बल्कि पूरे इलाके में भय और तनाव का माहौल भी पैदा कर दिया है। मृतक की पहचान भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र केवट के रूप में हुई है, जिन्हें बाइक सवार दो अज्ञात हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया। दिनदहाड़े वारदात: खेत पर गए थे, घात लगाकर किया हमला यह वारदात उस समय हुई जब सुरेंद्र केवट अपने पुनपुन स्थित खेत पर लगे मोटर को बंद करने के लिए गए थे। यह उनका रोजमर्रा का काम था, जिसकी उन्हें शायद ही कोई आशंका रही होगी। इसी दौरान, एक मोटरसाइकिल पर सवार दो अज्ञात बदमाश घात लगाकर वहाँ पहुँचे। उन्होंने बिना किसी चेतावनी के सुरेंद्र केवट पर ताबड़तोड़ चार गोलियां चला दीं। गोलियों की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके की ओर दौड़े, लेकिन तब तक हमलावर बड़ी फुर्ती से वारदात को अंजाम देकर फरार हो चुके थे। गंभीर रूप से घायल सुरेंद्र केवट खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे। उन्हें तुरंत स्थानीय लोगों और परिजनों की मदद से इलाज के लिए पटना एम्स ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन शरीर में अधिक खून बह जाने और गंभीर चोटों के कारण इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। इस खबर के मिलते ही, उनके समर्थकों और परिजनों में कोहराम मच गया और अस्पताल परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई। पुलिस की जांच शुरू: सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस में हड़कंप मच गया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुँचे और मामले की गहन छानबीन शुरू कर दी। पुलिस ने सुरेंद्र केवट की हत्या के संबंध में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी तरह के तनाव या अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों की पहचान के लिए घटनास्थल और उसके आस-पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। इसके अलावा, पुलिस आसपास के लोगों से भी पूछताछ कर रही है, जो घटना के समय मौजूद थे। पुलिस का मानना है कि सीसीटीवी फुटेज और मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर जल्द ही हमलावरों तक पहुंचा जा सकेगा और उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। आपसी रंजिश या राजनीतिक दुश्मनी: हत्या के पीछे की वजह? सुरेंद्र केवट की हत्या को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पुलिस की शुरुआती जांच में आपसी रंजिश या राजनीतिक दुश्मनी को हत्या की मुख्य वजह माना जा रहा है। सुरेंद्र केवट का अपने इलाके में सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव काफी मजबूत था। वे भाजपा के एक सक्रिय और लोकप्रिय नेता थे, जिनकी पहुँच जमीनी स्तर तक थी। उनकी यह सक्रियता कुछ लोगों के लिए परेशानी का सबब हो सकती थी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पंचायत या अन्य स्थानीय चुनावों में किसी तरह की प्रतिद्वंदिता इस जघन्य अपराध की वजह हो सकती है। वहीं, कुछ लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि यह मामला किसी पुराने विवाद या आपसी दुश्मनी का परिणाम हो सकता है। पुलिस दोनों ही पहलुओं पर गहराई से जांच कर रही है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी सबूतों को जुटा रही है। भाजपा में आक्रोश: प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग सुरेंद्र केवट की हत्या की खबर मिलते ही भाजपा के स्थानीय और प्रदेश स्तर के नेताओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस वारदात को लेकर प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है और दोषियों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इस हत्या की निंदा की है और इसे बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का एक और उदाहरण बताया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि एक ऐसे नेता की हत्या जो अपने खेत पर काम करने गया था, यह दर्शाता है कि अपराधियों में कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया है। इलाके में भय का माहौल, सुरक्षा पर गहराया संकट सुरेंद्र केवट जैसे एक प्रभावशाली और जाने-माने व्यक्ति की हत्या से पूरे पुनपुन प्रखंड में भय का माहौल बना हुआ है। लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और उनमें सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है। यह घटना आम लोगों के मन में यह सवाल खड़ा करती है कि जब एक राजनीतिक नेता दिनदहाड़े सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक की क्या स्थिति होगी? फिलहाल, पुलिस की टीमें इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं और उम्मीद है कि जल्द ही हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जब तक अपराधी पकड़े नहीं जाते, तब तक सुरेंद्र केवट के परिवार, भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता के मन में यह आशंका बनी रहेगी कि इस हत्या के पीछे का सच क्या है और क्या यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह घटना बिहार की कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है, जिसका समाधान प्रशासन को जल्द से जल्द करना होगा।

सनसनी: भाजपा नेता की गोली मारकर हत्या! जांच में आपसी रंजिश’ और ‘राजनीतिक दुश्मनी’ की आशंका, आरोपियों की तलाश तेज

पटना, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – बिहार की राजधानी पटना के पुनपुन प्रखंड में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रभावशाली नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, बल्कि…

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देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे 'देवभूमि' के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते हुए, उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने वाले ऐसे ढोंगी बाबाओं के खिलाफ राज्य में 'ऑपरेशन कालनेमि' की शुरुआत की गई है, और इसके पहले ही दिन पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस ऑपरेशन के तहत प्रदेश भर से 38 ढोंगी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है जो भेष बदलकर रह रहा था। 'कालनेमि': धोखेबाज का प्रतीक, ऑपरेशन का नाम पौराणिक कथाओं में 'कालनेमि' एक ऐसा असुर था, जिसने साधु का वेश धारण कर भगवान हनुमान को धोखा देने का प्रयास किया था। ठीक इसी तरह, 'ऑपरेशन कालनेमि' का नाम ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ शुरू किए गए इस अभियान के लिए बिल्कुल सटीक है, जो सनातन धर्म की पवित्रता को ढोंग और धोखाधड़ी से खराब करते हैं। यह ऑपरेशन, पुलिस की तरफ से एक साफ संदेश है कि देवभूमि में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है, जो धर्म की आड़ में आम जनता को ठगने और उनकी भावनाओं को आहत करने का काम करते हैं। पहले ही दिन 38 गिरफ्तारियां, देहरादून और हरिद्वार मुख्य केंद्र पुलिस ने 'ऑपरेशन कालनेमि' के तहत पहले दिन ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इस अभियान के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां दो प्रमुख जिलों से हुईं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र हैं: देहरादून और हरिद्वार। देहरादून में 25 गिरफ्तारियां: राजधानी देहरादून में पुलिस ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई और यहां से कुल 25 ढोंगी बाबाओं को हिरासत में लिया। ये लोग बिना किसी ज्ञान के और गलत इरादों के साथ साधु-संतों का वेश धारण किए हुए थे और लोगों को ठग रहे थे। हरिद्वार में 13 गिरफ्तारियां: वहीं, धार्मिक नगरी हरिद्वार, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं, वहां भी पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 13 ढोंगी बाबाओं को पकड़ा। पुलिस ने बताया कि पकड़े गए इन 38 लोगों में से अधिकतर के पास अपनी पहचान या निवास को साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: बांग्लादेशी भी पकड़ा गया इस ऑपरेशन के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पकड़े गए लोगों में से एक बांग्लादेशी नागरिक भी है, जो साधु का भेष बदलकर उत्तराखंड में रह रहा था। ऐसे व्यक्तियों का धार्मिक वेश में रहना न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्म की आड़ में अन्य गैरकानूनी गतिविधियां भी चल सकती हैं। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी बताया कि पकड़े गए 38 लोगों में से 20 से ज्यादा ऐसे हैं जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं। वे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और अन्य राज्यों से आए हुए हैं। ये लोग अलग-अलग धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खुद को साधु बताकर रह रहे थे। जब पुलिस ने उनसे दस्तावेज मांगे, तो वे कोई भी वैध कागजात नहीं दिखा पाए, जिससे उनके इरादों पर शक और गहरा हो गया। एसएसपी अजय सिंह का सख्त संदेश: 'सनातन धर्म की आड़ में धोखा बर्दाश्त नहीं' देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि, "सनातन धर्म की आड़ में ठगी करने वालों के खिलाफ यह अभियान शुरू किया गया है। पुलिस ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है जो बिना किसी ज्ञान के साधु-संतों का भेष धारण करके लोगों को ठग रहे हैं। ये लोग न केवल भोले-भाले लोगों को चूना लगाते हैं, बल्कि देवभूमि के स्वरूप को भी खराब करने का काम करते हैं। इससे हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचती है।" एसएसपी ने साफ किया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना है जो आस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इन सभी गिरफ्तार लोगों से गहन पूछताछ कर रही है और उनके आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये किसी बड़े आपराधिक गिरोह से जुड़े हैं। समाज पर प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां 'ऑपरेशन कालनेमि' की यह शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, जो धर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा। यह अभियान समाज में यह संदेश भी देगा कि धार्मिक वेशभूषा पहनकर कोई भी व्यक्ति आस्था का दुरुपयोग नहीं कर सकता। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो वैध दस्तावेजों के बिना, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इरादे से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं और यहां की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। पुलिस की यह मुहिम एक लंबी प्रक्रिया है और यह देखना बाकी है कि यह अभियान कितने समय तक चलता है और इससे कितने और ढोंगी बाबाओं को पकड़ा जाता है। लेकिन पहले ही दि

उत्तराखंड में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का हल्लाबोल! देवभूमि में 38 ढोंगी बाबा दबोचे, एक बांग्लादेशी भी गिरफ्तार; सनातन धर्म की आड़ में धोखाधड़ी पर नकेल!

देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते…

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काशीपुर, 11 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में अपराध पर लगाम कसने के लिए चलाए जा रहे अभियानों के तहत, काशीपुर पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। मुखबिर की सटीक सूचना पर कार्रवाई करते हुए, टांडा चौकी पुलिस ने एक युवक को अवैध चाकू के साथ गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है और अब उसे न्यायालय में पेश करने की तैयारी की जा रही है। यह घटना गुरुवार की देर रात की है। टांडा चौकी प्रभारी सुनील सूतेडी अपनी टीम के साथ क्षेत्र में गश्त पर थे ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे। इसी दौरान, उन्हें एक विश्वसनीय मुखबिर से सूचना मिली कि राईपुर रोड स्थित फ्लाईओवर के ठीक नीचे एक युवक अवैध हथियार लेकर खड़ा है। सूचना की गंभीरता को समझते हुए, चौकी प्रभारी ने बिना समय गंवाए अपनी टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुंचने का फैसला किया। पुलिस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए फ्लाईओवर के नीचे घेराबंदी की और वहां खड़े एक संदिग्ध युवक को धर दबोचा। पुलिस की अचानक मौजूदगी से युवक घबरा गया और भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन पुलिस टीम ने उसे सफलतापूर्वक पकड़ लिया। पूछताछ करने पर आरोपी ने अपनी पहचान भोला उर्फ शिवम पुत्र त्रिलोकी, निवासी टांडा उज्जैन के रूप में बताई। पुलिस को उस पर संदेह हुआ और जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके कब्जे से एक अवैध चाकू बरामद हुआ। आरोपी इस हथियार को लेकर किस मकसद से वहां खड़ा था, इस बारे में पुलिस आगे की पूछताछ कर रही है। अवैध हथियार मिलने के बाद पुलिस टीम ने आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद, कोतवाली पुलिस ने टीम के प्रभारी सुनील सूतेडी की तहरीर के आधार पर आरोपी भोला उर्फ शिवम के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी को जल्द ही न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस गिरफ्तारी ने न केवल एक आपराधिक वारदात को रोका है, बल्कि पुलिस की सतर्कता और प्रभावी खुफिया तंत्र (मुखबिरों का जाल) को भी दर्शाया है। इस तरह की कार्रवाई से शहर में अवैध हथियारों की तस्करी और उनके इस्तेमाल पर अंकुश लगाने में मदद मिलती है, जिससे आम जनता में सुरक्षा का भाव मजबूत होता है।

काशीपुर: टांडा पुलिस की बड़ी सफलता, मुखबिर की सूचना पर अवैध चाकू के साथ युवक गिरफ्तार, आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज

काशीपुर, 11 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में अपराध पर लगाम कसने के लिए चलाए जा रहे अभियानों के तहत, काशीपुर पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। मुखबिर की सटीक सूचना पर कार्रवाई करते हुए, टांडा चौकी पुलिस ने एक युवक को अवैध चाकू के साथ गिरफ्तार किया है।…

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काशीपुर, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के काशीपुर में आज एक हृदय विदारक औद्योगिक हादसा सामने आया, जिसने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे, काशीपुर स्थित सूर्य फैक्ट्री में अचानक एक हाइड्रोजन गैस सिलेंडर जोरदार धमाके के साथ फट गया। इस भीषण विस्फोट में एक श्रमिक की मौके पर ही दर्दनाक मृत्यु हो गई, जबकि 10 अन्य श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों को तुरंत नगर के आयुष्मान चिकित्सालय लाया गया, जहां उनका उपचार जारी है। घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया और मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी घायलों का हाल जानने अस्पताल पहुंचे। सुबह का शांत माहौल, जोरदार धमाके से दहल उठा काशीपुर गुरुवार की सुबह जब काशीपुर अपने सामान्य कामकाज में व्यस्त था, तभी लगभग 10:30 बजे सूर्य फैक्ट्री से एक भयानक धमाके की आवाज गूंजी, जिसने आसपास के पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। धमाका इतना जबरदस्त था कि फैक्ट्री परिसर में अफरा-तफरी मच गई और धुएं का गुबार आसमान में छा गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हाइड्रोजन गैस सिलेंडर फटने के कारण यह हादसा हुआ, जिसकी तीव्रता ने वहां मौजूद श्रमिकों को संभलने का मौका तक नहीं दिया। विस्फोट की चपेट में आए श्रमिकों में से एक की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 10 अन्य बुरी तरह घायल हो गए। घायलों में कई को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें जलने और अंदरूनी चोटें शामिल हैं। फैक्ट्री के भीतर और बाहर चीख-पुकार मच गई। स्थानीय लोगों और अन्य श्रमिकों की मदद से तत्काल बचाव कार्य शुरू किया गया और घायलों को समय रहते नगर के आयुष्मान चिकित्सालय पहुंचाया गया। चिकित्सालय पहुंचते ही डॉक्टरों की टीम ने तुरंत घायलों का उपचार शुरू कर दिया, जो अभी भी जारी है। अस्पताल में घायलों के परिजनों की भीड़ जमा हो गई है, जहां वे अपनों की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं। शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों का दौरा: CM ने भी जताया दुःख, दिए निर्देश हादसे की सूचना मिलते ही राज्य और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। घायलों के कुशलक्षेम जानने के लिए तत्काल मंडलायुक्त/मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, एसएसपी मणिकांत मिश्रा, और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. के.के. अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी आयुष्मान चिकित्सालय पहुंचे। अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर घायल श्रमिकों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। उन्होंने घायलों के परिजनों से भी बातचीत की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। मंडलायुक्त और मुख्यमंत्री के सचिव दीपक रावत ने चिकित्साधिकारियों से गहन चर्चा की और उन्हें घायलों का हरसंभव बेहतर उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। रावत ने बताया कि उन्होंने घटना को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी बात की है। मुख्यमंत्री ने इस दुखद घटना पर गहरा दुःख व्यक्त किया है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी घायल श्रमिक को बेहतर उपचार के लिए उच्च चिकित्सालयों में भेजने की आवश्यकता पड़े, तो बिना किसी देरी के भेजा जाए। यह मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और घायलों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जांच के आदेश और राहत-बचाव कार्य तेज मंडलायुक्त दीपक रावत ने इस गंभीर घटना की जांच कराने हेतु जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया को तत्काल निर्देश दिए हैं। इस जांच में विस्फोट के कारणों, फैक्ट्री में सुरक्षा मानकों के पालन, लापरवाही के संभावित बिंदुओं और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के उपायों की पड़ताल की जाएगी। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने भी घायलों को हर संभव बेहतरीन इलाज उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. के.के. अग्रवाल को चिकित्सालय में ही बने रहने और घायलों के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, जिलाधिकारी ने सूर्य फैक्ट्री में घटना के मद्देनजर राहत और बचाव कार्यों के लिए तत्काल एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम को भी रवाना किया। एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर किसी भी संभावित खतरे को कम करने और आगे के बचाव कार्यों में मदद करेगी। इस दौरान महापौर दीपक बाली, अपर जिलाधिकारी पंकज उपाध्याय, अपर जिलाधिकारी अभय प्रताप सिंह सहित कई अन्य प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे, जिन्होंने पूरी स्थिति पर नजर रखी और राहत कार्यों में सहयोग किया। औद्योगिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल: क्यों बार-बार हो रहे ऐसे हादसे? काशीपुर की सूर्य फैक्ट्री में हुए इस हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाइड्रोजन एक ज्वलनशील गैस है, जिसके भंडारण और उपयोग में अत्यधिक सावधानी और कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है। यह हादसा दर्शाता है कि इन प्रोटोकॉल का या तो उल्लंघन किया गया या उनमें कहीं न कहीं कमी रह गई। ऐसे औद्योगिक हादसे न केवल जनहानि और संपत्ति का नुकसान करते हैं, बल्कि श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए दीर्घकालिक आघात भी छोड़ जाते हैं। यह घटना एक कड़ा संदेश है कि सरकार और उद्योग जगत को मिलकर औद्योगिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। नियमित निरीक्षण, सुरक्षा उपकरणों का उचित रखरखाव, श्रमिकों के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण और सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना अनिवार्य है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि इस हादसे के पीछे वास्तविक कारण क्या थे और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।

काशीपुर में दहला ‘सूर्य फैक्ट्री’: हाइड्रोजन सिलेंडर ब्लास्ट में 1 श्रमिक की दर्दनाक मौत, 10 घायल! CM धामी ने दिया उच्च उपचार का भरोसा, जांच के आदेश

काशीपुर, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के काशीपुर में आज एक हृदय विदारक औद्योगिक हादसा सामने आया, जिसने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे, काशीपुर स्थित सूर्य फैक्ट्री में अचानक एक हाइड्रोजन गैस सिलेंडर जोरदार धमाके के साथ फट गया। इस भीषण विस्फोट में एक…

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देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से, भाजपा ने अब ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए व्यापक स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। यह कदम भाजपा की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य जमीनी स्तर तक अपनी पैठ बनाना है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री मनवीर चौहान ने इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट के निर्देश पर, राज्य के सभी जिलों में ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए योग्य और अनुभवी पदाधिकारियों को प्रभारी घोषित कर दिया गया है। यह नियुक्तियां पार्टी की संगठनात्मक शक्ति और आगामी चुनावों के प्रति उसकी गंभीरता को दर्शाती हैं। ब्लॉक प्रमुख चुनाव: ग्रामीण सत्ता की दूसरी सबसे बड़ी सीढ़ी ग्राम प्रधान के बाद, ब्लॉक प्रमुख का पद ग्रामीण सत्ता संरचना की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है। ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत समिति (ब्लॉक पंचायत) का मुखिया होता है, जो कई ग्राम पंचायतों को जोड़कर बनता है। यह पद ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, फंड्स के वितरण और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक समन्वय में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो पहले ग्राम पंचायत चुनावों में चुनकर आते हैं। ऐसे में, ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए प्रभारियों की नियुक्ति भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि वे क्षेत्र पंचायत सदस्यों के बीच अपना प्रभाव स्थापित कर सकें और पार्टी समर्थित उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकें। भाजपा की रणनीति: जमीनी स्तर पर पकड़ और संगठनात्मक मजबूती भाजपा ने इन प्रभारियों की नियुक्ति करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पंचायत चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है। इन प्रभारियों का मुख्य कार्य संबंधित ब्लॉकों में चुनावी रणनीति तैयार करना, योग्य उम्मीदवारों की पहचान करना और उन्हें समर्थन देना, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतें। यह कदम भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को फायदा मिल सकता है। इन नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और उन्हें पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास कर रही है। जिलावार प्रभारियों की लंबी सूची: अनुभवी नेताओं पर भरोसा भाजपा ने ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए जिन प्रभारियों की घोषणा की है, उनमें पार्टी के कई अनुभवी और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सूची प्रदेश के सभी जिलों और उनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न ब्लॉकों को कवर करती है, जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा ने इस चुनाव के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है: उत्तरकाशी जनपद: नौगांव ब्लॉक: डॉ. विजय बडोनी पुरोला ब्लॉक: श्री सत्ये सिंह राणा मोरी ब्लॉक: श्री नारायण सिंह चौहान चिनयौलीसैन: श्री जगत सिंह चौहान भटवाड़ी: श्री राम सुंदर नौटियाल डूंडा: श्री धन सिंह नेगी चमोली जनपद: दसौली: श्री राजकुमार पुरोहित पोखरी: श्री हरक सिंह नेगी ज्योतिर्मठ: श्री रामचंद्र गौड़ नंदा नगर: श्री समीर मिश्रा नारायणबगड़: श्री रघुवीर सिंह बिष्ट थराली: श्री गजेंद्र सिंह रावत देवल: श्री विनोद नेगी गैरसैण: श्री कृष्ण मणि थपलियाल कर्णप्रयाग: श्री विक्रम भंडारी रुद्रप्रयाग जनपद: अगस्तमुनि: श्री रमेश गाड़िया ऊखीमठ: श्री वाचस्पति सेमवाल जखोली: श्री रमेश मैखुरी टिहरी जनपद: भिलंगना: श्री अतर सिंह तोमर कीर्ति नगर: श्री विनोद रतूड़ी देवप्रयाग: श्री जोत सिंह बिष्ट नरेंद्र नगर: श्री रविंद्र राणा प्रताप नगर: श्री महावीर सिंह रंगड़ जाखड़ीधार: श्री सुभाष रमोला चंबा: श्री दिनेश घने थौलधार: श्री विनोद सुयाल जौनपुर: श्री खेम सिंह चौहान देहरादून जनपद: कालसी: श्री दिगंबर नेगी चकराता: श्री भुवन विक्रम डबराल विकासनगर: श्री यशपाल नेगी सहसपुर: श्री संजय गुप्ता रायपुर: श्री ओमवीर राघव डोईवाला: श्री नलिन भट्ट पौड़ी जनपद: पौड़ी: श्री ऋषि कंडवाल कोट: श्री वीरेंद्र रावत क्लजीखाल: श्री सुधीर जोशी खिर्सू: श्री मीरा रतूड़ी थलीसैंण: श्रीमती सुषमा रावत पाबो: श्री यशपाल बेनाम पोखडा: श्री जगमोहन रावत एकेश्वर: श्री विकास कुकरेती बीरोंखाल: श्री गिरीश पैन्यूली कोटद्वार: यमकेश्वर श्री मुकेश कोली द्वारीखाल: श्री शमशेर सिंह पुंडीर दुगड्डा: श्री संदीप गुप्ता नैनीडांडा: श्री महावीर कुकरेती जहरीखाल: श्री उमेश त्रिपाठी रिखणीखाल: श्री राजेंद्र अन्थवाल पिथौरागढ़ जनपद: धारचूला: श्री धन सिंह धामी मुनस्यारी: श्री अशोक नबियाल मुनकोट: श्री गणेश भंडारी डीडीहाट: श्री राजेंद्र सिंह रावत कनालीछीना: श्री राकेश देवाल पिथौरागढ़: श्री भूपेश पंत बेरीनाग: श्री बसंत जोशी गंगोलीहाट: श्री ललित पंत बागेश्वर जनपद: कपकोट: श्री इंद्र सिंह फर्स्वाण बागेश्वर: श्री देवेंद्र गोस्वामी गरुड़: श्री शिव सिंह बिष्ट रानीखेत (अल्मोड़ा जिला): द्वाराहाट: श्री अनिल शाही चौखुटिया: श्री पूरन सांगला साल्ट: श्री प्रेम शर्मा स्याल्दे: श्री सुरेंद्र मनराल ताड़ीखेत: श्री पूरन चंद नैनवाल भिकियासैंण: श्री सुभाष पांडे अल्मोड़ा जनपद: ताकुला: श्री अरविंद बिष्ट भैंसियाछाना: श्री रमेश बहुगुणा हवालबाग: श्री गौरव पांडे धौलादेवी: श्री रवि रौतेला लमगड़ा: श्री ललित लटवाल चंपावत जनपद: बाराकोट: श्री श्याम नारायण पांडे पाटी: श्री सतीश पांडे लोहाघाट: श्री शंकर पांडे चंपावत: श्री शंकर कोरंगा नैनीताल जनपद: धारी: श्री दीपक मेहरा ओखल कांडा: श्री चंदन सिंह बिष्ट रामगढ़: श्री मोहन पाल भीमताल: श्री प्रदीप जनौटी बेतालघाट: श्री देवेंद्र ढेला हल्द्वानी: श्री गोपाल रावत कोटा बाग: श्री तरुण बंसल रामनगर: श्री गुंजन सुखीजा उधमसिंह नगर जनपद: जसपुर: सरदार मंजीत सिंह बाजपुर: श्री राम मेहरोत्रा काशीपुर: श्री विवेक सक्सेना गदरपुर: श्री प्रदीप बिष्ट रुद्रपुर: श्री दिनेश आर्य सितारगंज: श्री दान सिंह रावत खटीमा: श्री उत्तम दत्ता आगामी चुनावी बिसात और सियासी हलचल इन नियुक्तियों से स्पष्ट है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव की बिसात पर अपनी चालें चलना शुरू कर दिया है। यह कदम राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करेगा और अन्य राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करेगा। ब्लॉक प्रमुख चुनाव सीधे तौर पर भले ही पार्टी सिंबल पर न लड़े जाते हों, लेकिन इन पर सत्ताधारी दल का दबदबा काफी महत्वपूर्ण होता है। भाजपा का लक्ष्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक हर स्तर पर अपने समर्थित प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या सुनिश्चित करना है, ताकि राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को ग्रामीण स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह 'मास्टरस्ट्रोक' रणनीति ब्लॉक प्रमुख चुनावों में कितनी सफल होती है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता का समीकरण कैसे बदलता है।

जमीनी जंग की तैयारी! भाजपा ने उतारे ब्लॉक प्रमुख चुनावों के ‘प्रभारी’, हर ब्लॉक के लिए कमान सौंपी, जानें किसे मिली जिम्मेदारी

देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य…

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रुद्रपुर, 30 अगस्त 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी 31 अगस्त (रविवार) से दो दिवसीय जनपद भ्रमण पर आ रहे हैं। इस दौरे के दौरान वे खटीमा में कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, जिसमें उत्तराखंड आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देना और एक नए केंद्र का उद्घाटन करना शामिल है। उनका यह दौरा प्रशासनिक और सार्वजनिक दोनों मायनों में बेहद अहम माना जा रहा है। प्राप्त कार्यक्रम के अनुसार, मुख्यमंत्री 31 अगस्त को नई दिल्ली एयरपोर्ट से वायुयान द्वारा प्रस्थान कर शाम 05:20 बजे पंतनगर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। पंतनगर से वे शाम 05:30 बजे हेलीकॉप्टर द्वारा लोहियाहेड हेलीपैड, खटीमा के लिए उड़ान भरेंगे, जहाँ वे 05:40 बजे पहुंचेंगे। इसके बाद, वे कार द्वारा अपने निजी आवास, नगला तराई, खटीमा जाकर रात्रि विश्राम करेंगे। शहीदों को श्रद्धांजलि और 'साथी केंद्र' का उद्घाटन अगले दिन, 01 सितंबर (सोमवार) को मुख्यमंत्री धामी का कार्यक्रम काफी व्यस्त रहेगा। सुबह 09:30 बजे से 10:30 बजे तक, वे खटीमा में उत्तराखंड आंदोलन के दौरान शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों की स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह कार्यक्रम राज्य निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीदों के सम्मान में आयोजित किया गया है। यह शहीदों के बलिदान को याद करने और नई पीढ़ी को राज्य के इतिहास से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इसके बाद, मुख्यमंत्री सुबह 11 बजे हेमवती नंदन बहुगुणा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, खटीमा में स्थापित 'साथी केंद्र' का उद्घाटन करेंगे। यह केंद्र आईटीआई कानपुर के सहयोग से स्थापित किया गया है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य छात्रों और युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करना है। यह केंद्र युवाओं को रोजगार के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रशासनिक और जनहितैषी उद्देश्य मुख्यमंत्री का यह दौरा केवल सार्वजनिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई प्रशासनिक और जनहितैषी उद्देश्य भी हैं। इस दौरे के दौरान, मुख्यमंत्री जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी कर सकते हैं। वे विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति का जायजा लेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी पात्र लोगों तक इन योजनाओं का लाभ पहुँच रहा है या नहीं। खटीमा, मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र होने के कारण, इस दौरे का विशेष महत्व है। स्थानीय जनता को उम्मीद है कि इस दौरे से उनके क्षेत्र में विकास कार्यों को और गति मिलेगी। मुख्यमंत्री का यह दौरा न केवल राज्य निर्माण के शहीदों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि यह खटीमा में शिक्षा के क्षेत्र में नई पहल को बढ़ावा देने और स्थानीय लोगों की समस्याओं को सीधे जानने का भी एक माध्यम है। यह दौरा उत्तराखंड सरकार की जनता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जहाँ मुख्यमंत्री स्वयं जमीनी स्तर पर जाकर विकास कार्यों का निरीक्षण करते हैं और लोगों से सीधे संवाद स्थापित करते हैं।

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक का ऐतिहासिक फैसला: राज्य की पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मिली हरी झंडी, अब बेटे के 18 साल पूरे होने पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन! आम आदमी को बड़ी राहत

देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के…

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