देहरादून, 30 मई, 2025 ( समय बोल रहा )- अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत के ऐतिहासिक फैसले के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे न्याय की बड़ी जीत बताया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी, मनवीर सिंह चौहान ने दोषियों को मिली सज़ा को सुखद और संतोषजनक करार देते हुए कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक सबक है, जो इस दुखद मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस की प्रतिक्रिया को दुर्भाग्यपूर्ण और विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित बताया, और जोर देकर कहा कि जिन लोगों ने लगातार जांच एजेंसियों की ईमानदारी पर सवाल उठाए थे, उन्हें अब अदालत के इस स्पष्ट और निर्णायक फैसले का सम्मान करना चाहिए। श्री चौहान ने इस बात पर विशेष बल दिया कि अदालत ने अपने निर्णय में तथ्यों और पुख्ता सबूतों को आधार बनाया है। उन्होंने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी भूमिका शुरू से ही दुष्प्रचार फैलाने और ओछी राजनीति करने की रही है, जो अब सबके सामने उजागर हो चुकी है। कांग्रेस लगातार अंकिता मामले में "लचर पैरवी" का आरोप लगाती रही, लेकिन अदालत का यह फैसला उनकी उन सभी मनगढ़ंत आशंकाओं और दुष्प्रचार को निरर्थक साबित कर गया है। श्री चौहान ने कहा, "आखिरकार, न्याय मिला है, और यही सबसे महत्वपूर्ण है।" उन्होंने अंकिता के नाम पर निकाली गईं तमाम "राजनीतिक यात्राओं" पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन यात्राओं का मूल उद्देश्य अंकिता को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि राजनीतिक तुष्टि और लाभ प्राप्त करना था, और इस फैसले के बाद उनकी यह कुत्सित मंशा पूरी नहीं हो पाई है। जांच एजेंसियों की भूमिका और कांग्रेस का दोहरा मापदंड श्री चौहान ने भावुक होते हुए कहा कि अंकिता केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड प्रदेश की बेटी थी। उनके परिजनों के दुख में समस्त देवभूमिवासी शामिल थे। उन्होंने जांच एजेंसियों की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने दोषियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए हर संभव साक्ष्य एकत्रित किए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब जांच एजेंसियां पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ साक्ष्य जुटाने और मामले की गहन विवेचना कर रही थीं, तब कांग्रेस सहित कुछ अन्य दल जानबूझकर "नई थ्योरी" सामने लाने की साजिश रच रहे थे और दुष्प्रचार फैलाने का प्रयास कर रहे थे। कांग्रेस के दोहरे रवैये पर श्री चौहान ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "यह विडंबना है कि कांग्रेस एक तरफ अंकिता के हत्यारों को मिली सज़ा को 'संतोषजनक' बता रही है, और दूसरी तरफ उसी फैसले पर सवाल भी उठा रही है।" उन्होंने याद दिलाया कि जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की गहन और विस्तृत जांच के दौरान कोई भी ऐसी बात सामने नहीं आई, जो कांग्रेस के दुष्प्रचार को बल देती हो। उनका सारा खेल केवल "दुष्प्रचार" तक ही सीमित रहा और सच्चाई से कोसों दूर था। मुख्यमंत्री धामी का सक्रिय सहयोग और न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान श्री चौहान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री धामी ने इस मुद्दे पर शुरुआत से ही बारीकी से नज़र रखी और जांच एजेंसियों को पूरी तरह से स्वतंत्रता (फ्री हैंड) दी, ताकि जांच में कोई भी बाधा न आए और पूरी पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पूर्व में न्यायालय भी जांच एजेंसियों के कार्य की सराहना कर चुका है, जो उनकी विश्वसनीयता और निष्पक्षता का अकाट्य प्रमाण है। श्री चौहान ने बताया कि पैरवी के दौरान, अंकिता के परिजनों की राय और उनकी मांगों का पूरा सम्मान रखा गया, यह सुनिश्चित करते हुए कि न्याय की प्रक्रिया में उनकी भावनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता मिले। उन्होंने कहा कि अंकिता के परिजन इस फैसले को संतोषजनक बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को अपने राजनीतिक स्वार्थवश यह न्याय "हज़म" नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस की अवसरवादिता और जनता का जवाब भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी ने कांग्रेस पर राजनीतिक अवसरवादिता का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस की इस अवसरवादिता का जनता सही समय पर जवाब देगी।" उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस का वास्तविक ध्येय अंकिता को न्याय दिलाना कभी नहीं रहा, बल्कि उनका एकमात्र उद्देश्य इस दुखद घटना पर राजनीति करना था। यह फैसला, भाजपा के अनुसार, न केवल अंकिता को न्याय दिलाता है, बल्कि उन सभी राजनीतिक साजिशों और पैंतरेबाज़ियों को भी बेनकाब करता है, जो इस दुखद समय का लाभ उठाने का प्रयास कर रहे थे। भाजपा का दृढ़ विश्वास है कि यह फैसला सच्चाई और न्याय की जीत का प्रतीक है, और यह हमारी न्याय प्रणाली की अखंडता और ईमानदारी को दर्शाता है, भले ही कुछ लोग इसे अपने राजनीतिक लाभ के लिए बदनाम करने की कोशिश करें।

अंकिता हत्याकांड: कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, न्याय की जीत

देहरादून, 30 मई, 2025 ( समय बोल रहा )- अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत के ऐतिहासिक फैसले के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे न्याय की बड़ी जीत बताया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी, मनवीर सिंह चौहान ने दोषियों को मिली सज़ा को सुखद और संतोषजनक करार देते हुए कहा कि यह फैसला…

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देहरादून, 24 मई 2025 (समय बोल रहा): (कर्नल) उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति अब जमीन पर बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए धामी सरकार द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई ने एक नई मिसाल कायम की है, जिससे जनता का सरकार पर भरोसा और भी मजबूत हुआ है। इसी क्रम में आज एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए, हल्द्वानी स्थित सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की टीम ने जनपद बागेश्वर के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी सूबोध शुक्ला (सेवानिवृत्त कर्नल) को 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है। शिकायत और ट्रैप ऑपरेशन: ऐसे दबोचे गए रिश्वतखोर अधिकारी विजिलेंस विभाग को 1064 टोल फ्री नंब

उत्तराखंड में रिश्वत का ‘खेल’ खत्म! विजिलेंस का बड़ा धमाका, कर्नल भी नहीं बचे!

देहरादून, 24 मई 2025 (समय बोल रहा): (कर्नल) उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अब जमीन पर बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए धामी सरकार द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई ने एक नई मिसाल कायम की है, जिससे…

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देहरादून 17 मई 2025 (समय बोल रहा) : उत्तराखंड सरकार ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया है। इस नई पहल के तहत, राज्य की महिलाओं को अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए परियोजना लागत का 75 प्रतिशत तक या अधिकतम डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहायता (सब्सिडी) प्रदान की जाएगी। इस महत्वपूर्ण योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 30 करोड़ रुपये का पर्याप्त बजट आवंटित किया है। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के पहले वर्ष में ही कम से कम दो हजार महिलाओं को इस लाभकारी पहल का सीधा लाभ पहुंचाया जा सके। राज्य सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने इस योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह कदम उत्तराखंड की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें समाज में एक सम्मानित और मजबूत स्थान दिलाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तराखंड की महिलाओं में अद्वितीय प्रतिभा और असीम क्षमता मौजूद है, और इस योजना के माध्यम से उन्हें अपने सपनों को साकार करने तथा स्वरोजगार के नए अवसर सृजित करने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। सरकार का दृढ़ विश्वास है कि जब राज्य की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी, तो न केवल उनके परिवारों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान सुनिश्चित होगा, बल्कि इससे राज्य की समग्र अर्थव्यवस्था को भी एक नई गति और मजबूती मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत, उत्तराखंड की इच्छुक महिलाएं विभिन्न प्रकार के व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार के समक्ष अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। इन व्यवसायों में मुख्य रूप से हस्तशिल्प कला से जुड़े उद्यम, आकर्षक बुटीक, खाद्य प्रसंस्करण की छोटी इकाइयाँ, सिलाई और कढ़ाई केंद्र, छोटे स्तर पर वस्तुओं का उत्पादन करने वाली इकाइयाँ, कृषि क्षेत्र पर आधारित व्यवसाय और अन्य विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाले उद्यम शामिल हो सकते हैं। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए, प्रत्येक महिला आवेदक को अपने प्रस्तावित व्यवसाय की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। इस रिपोर्ट में व्यवसाय की पूरी योजना, उसमें आने वाली अनुमानित लागत और उससे प्राप्त होने वाले संभावित लाभों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार ने इस महत्वपूर्ण योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए एक सरल, सुगम और पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है। इच्छुक महिलाओं को योजना के लिए आवेदन करने और इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए जल्द ही एक आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल और एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, जिला स्तर पर भी संबंधित सरकारी विभाग महिलाओं को आवेदन प्रक्रिया को समझने और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में हर संभव सहायता प्रदान करेंगे, ताकि कोई भी पात्र महिला इस योजना के लाभ से वंचित न रहे। सरकार ने इस योजना के पहले वर्ष में ही राज्य की कम से कम दो हजार महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार का मानना है कि यह प्रारंभिक चरण राज्य की महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा। योजना की सफलता और महिलाओं से मिलने वाली सकारात्मक प्रतिक्रिया के आधार पर, भविष्य में इस योजना का दायरा और अधिक विस्तृत किया जा सकता है, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। राज्य सरकार ने इस दूरदर्शी योजना के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 30 करोड़ रुपये का पर्याप्त बजट आवंटित किया है। यह वित्तीय प्रावधान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उत्तराखंड सरकार राज्य की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर और प्रतिबद्ध है। आवंटित की गई यह धनराशि मुख्य रूप से पात्र महिलाओं को सब्सिडी के वितरण, उन्हें व्यवसाय से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने पर खर्च की जाएगी। सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि इस योजना के माध्यम से न केवल महिलाओं को वित्तीय सहायता मिले, बल्कि उन्हें सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चलाने के लिए आवश्यक कौशल और उचित मार्गदर्शन भी प्राप्त हो सके। उत्तराखंड के विभिन्न महिला संगठनों और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार की इस पहल का दिल खोलकर स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह योजना उत्तराखंड की महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए एक सुनहरा और ऐतिहासिक अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने राज्य सरकार से इस योजना के प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का पुरजोर आग्रह किया है, ताकि इसका वास्तविक लाभ सही मायने में जरूरतमंद और उद्यमी बनने की प्रबल इच्छा रखने वाली महिलाओं तक पहुंच सके। यह योजना उत्तराखंड सरकार की राज्य की महिलाओं के समग्र कल्याण और उनके सतत विकास के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस महत्वपूर्ण पहल से राज्य में महिला उद्यमिता को एक नई ऊर्जा और प्रोत्साहन मिलेगा, और महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगी, बल्कि वे राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। राज्य सरकार का यह सराहनी

उत्तराखंड की महिलाओं के लिए सुनहरा अवसर: व्यवसाय शुरू करने पर 75% सब्सिडी

देहरादून 17 मई 2025 (समय बोल रहा) : उत्तराखंड सरकार ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया है। इस नई पहल के तहत, राज्य की महिलाओं को अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के…

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उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है, क्योंकि एक तरफ पंचायतीराज एक्ट में अपेक्षित संशोधन अभी तक नहीं हो पाया है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का निर्धारण भी सरकार द्वारा लंबित है। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, राज्य सरकार की निगाहें इस समय राजभवन पर टिकी हुई हैं, जहां पंचायतीराज एक्ट में संशोधन से संबंधित अध्यादेश स्वीकृति के लिए विचाराधीन है। ऐसे में, उम्मीद जताई जा रही है कि यदि राजभवन से इस अध्यादेश को हरी झंडी मिल जाती है, तो राज्य निर्वाचन आयोग इसी माह के अंत तक पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी कर सकता है। वर्तमान में, उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतें प्रशासकों के भरोसे संचालित हो रही हैं। राज्य सरकार ने ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों को ही प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी है। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है क्योंकि त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच वर्ष का संवैधानिक कार्यकाल पिछले वर्ष नवंबर और दिसंबर महीने में ही समाप्त हो चुका था। चुनाव प्रक्रिया को समय पर पूरा न कर पाने के कारण, राज्य सरकार के लिए पंचायतों में प्रशासकों को नियुक्त करना एक मजबूरी बन गया था ताकि स्थानीय स्तर पर शासन और विकास कार्य सुचारू रूप से चलते रहें। उत्तराखंड के 13 जिलों में से हरिद्वार जिले को छोड़कर बाकी सभी 12 जिलों में पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। हरिद्वार जिले में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों के साथ ही आयोजित किए जाते हैं। प्रदेश के शेष 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर, 30 नवंबर और 1 दिसंबर को समाप्त हो गया था। इसके बावजूद, राज्य सरकार विभिन्न आवश्यक औपचारिकताओं को समय पर पूरा नहीं कर पाई, जिसके कारण चुनाव प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। पंचायतीराज एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, प्रशासकों का कार्यकाल अधिकतम छह महीने का ही हो सकता है। यह छह महीने की समय सीमा इसी महीने मई में समाप्त होने वाली है। स्पष्ट है कि राज्य सरकार को इस समय सीमा के भीतर पंचायत चुनावों को लेकर कोई ठोस निर्णय लेना होगा। यदि सरकार वास्तव में पंचायत चुनाव कराना चाहती है, तो उसे सबसे पहले संशोधित पंचायती राज एक्ट को लागू करवाना होगा। इसके पश्चात ही ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण किया जा सकेगा। सरकार की यह पूरी तैयारी होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए विधिवत अधिसूचना जारी करने की स्थिति में आएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया में हो रही देरी के बावजूद, राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त सुशील कुमार सार्वजनिक रूप से यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को संपन्न कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आयोग की ओर से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है। अब केवल ओबीसी आरक्षण का निर्धारण ही शेष रह गया है। इस प्रकार, पंचायत चुनावों को लेकर जो मुख्य अड़चन है, वह तकनीकी रूप से पंचायती राज एक्ट के संशोधन पर अटकी हुई है। इस संशोधन के लागू होने के बाद ही ओबीसी आरक्षण के निर्धारण पर अंतिम फैसला लिया जा सकेगा। वर्तमान स्थिति यह है कि संशोधन से संबंधित अध्यादेश फिलहाल राज्यपाल के कार्यालय यानी राजभवन में विचाराधीन है, और सरकार को इसकी स्वीकृति का बेसब्री से इंतजार है। राज्य सरकार के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रशासकों का छह महीने का कार्यकाल समाप्त होने से पहले यदि चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होती है, तो पंचायतों के कामकाज पर और भी अधिक अनिश्चितता का माहौल बन सकता है। इसलिए, सरकार की पूरी कोशिश है कि राजभवन से जल्द ही अध्यादेश को मंजूरी मिल जाए ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके और स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल किया जा सके। अब सभी की निगाहें राजभवन पर टिकी हुई हैं कि कब वहां से इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को हरी झंडी मिलती है और उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनावों का रास्ता साफ होता है।

पंचायत चुनाव पर लटकी तलवार: राजभवन की हरी झंडी का इंतजार, मई अंत तक आ सकती है चुनाव अधिसूचना

देहरादून, 14 मई 2025 (समय बोल रहा) उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है, क्योंकि एक तरफ पंचायतीराज एक्ट में अपेक्षित संशोधन अभी तक नहीं हो पाया है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण…

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काशीपुर, 18 मई 2025 (समय बोल रहा)  – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की काशीपुर जिला इकाई ने तीन महत्वपूर्ण मंडलों – भरतपुर मेधवाला, काशीपुर जिले के जसपुर क्षेत्र के जसपुर नगर और महुवाडावरा में अपनी कार्यकारिणी का विस्तार किया है। जिला प्रभारी पुष्कर सिंह काला और जिला अध्यक्ष मनोज पाल की सहमति से यह पुनर्गठन किया गया, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ को मजबूत करना और आगामी राजनीतिक गतिविधियों के लिए संगठन को तैयार करना है। भरतपुर मेधवाला मंडल में नई नियुक्तियाँ भरतपुर मेधवाला मंडल में मंडल अध्यक्ष के बाद, निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है: मंडल उपाध्यक्ष: राजू ठाकुर, लक्ष्मी भण्डारी, सुरेश लोहिया, और अनुज शर्मा। मंडल महामंत्री: हरप्रीत सिंह और सत्यपाल जाटव। मंडल मंत्री: पुनीत बाटला, कीर्तन देवी, अंकुर जाटव, और नवल सिंह। मंडल कोषाध्यक्ष: दीपक गिरी। मंडल कार्यालय मंत्री: चरणजीत सिंह। मंडल मीडिया संयोजक: जितेन्द्र यादव। मंडल आईटी संयोजक: भास्कर तिवारी। मंडल सोशल मीडिया संयोजक: हरदीप सिंह। जसपुर नगर मंडल में कार्यकारिणी विस्तार काशीपुर जिले के जसपुर क्षेत्र के जसपुर नगर मंडल में मंडल अध्यक्ष के बाद, निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है: मंडल उपाध्यक्ष: अशोक खन्ना, अनीता पवार, विनोद प्रजापति, और दीपक राणा। मंडल महामंत्री: रविमणि चौहान और विशाल कश्यप। मंडल मंत्री: ललित शर्मा, नीलकंवल, हृदेश चौहान, और गौरव प्रजापति। मंडल कोषाध्यक्ष: संजय अग्रवाल। मंडल कार्यालय मंत्री: श्रीमती मोहिनी शर्मा। मंडल मीडिया संयोजक: रिं तांशु पंडित। मंडल आईटी संयोजक: अंजली रानी। मंडल सोशल मीडिया संयोजक: मनोज कुमार एडवोकेट। महुवाडावरा मंडल में नई नियुक्तियाँ महुवाडावरा मंडल में मंडल अध्यक्ष के बाद, निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है: मंडल उपाध्यक्ष: राजेंद्र सिंह, मंदीप चौधरी, मंदीप चौहान, और माया सैनी। मंडल महामंत्री: शुभम चौहान और विमल सागर। मंडल मंत्री: सिंदू सिंह, नीरज मीणा, नीतू चौहान, और ब्रह्मपाल सिंह। मंडल कोषाध्यक्ष: महिपाल गुप्ता जी। मंडल कार्यालय संयोजक: दयाराम सिंह। मंडल मीडिया संयोजक: सीताराम सिंह सैनी। मंडल आईटी संयोजक: अभिषेक चौहान। मंडल सोशल मीडिया संयोजक: खिलेन्द्र सैनी। संगठनात्मक महत्व और पार्टी की रणनीति इन तीनों मंडलों में कार्यकारिणी का विस्तार भाजपा की संगठनात्मक मजबूती को दर्शाता है। जिला अध्यक्ष मनोज पाल ने कहा, "यह नियुक्तियाँ पार्टी को जमीनी स्तर पर और अधिक प्रभावी बनाएंगी। हम सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे पार्टी की विचारधारा और नीतियों के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करेंगे।" जिला प्रभारी पुष्कर सिंह काला ने इस अवसर पर कहा, "यह संगठनात्मक फेरबदल आगामी राजनीतिक गतिविधियों और चुनावी तैयारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। एक मजबूत मंडल संगठन जमीनी स्तर पर पार्टी की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने और जनसमर्थन जुटाने में सहायक होगा।" राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह कदम उत्तराखंड में अपने सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। आगामी स्थानीय और क्षेत्रीय चुनावों को देखते हुए, पार्टी हर स्तर पर अपनी तैयारियों को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इन तीनों मंडलों में नई टीम पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं तक पहुंचने और पार्टी की नीतियों को बढ़ावा देने में। नवनियुक्त पदाधिकारियों के समक्ष अब मंडल में पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने, नए सदस्यों को जोड़ने और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी। उनकी कार्यशैली और समर्पण ही इन मंडलों में भाजपा की भविष्य की सफलता की दिशा तय करेगी।

चारधाम यात्रा के शुभारंभ पर कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ यात्रा’ पर भाजपा का प्रहार: ‘राज्य विरोधी और विघ्नकारी कदम’ करार

देहरादून, 29 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ) भाजपा ने चारधाम यात्रा के शुभारंभ के दिन कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ यात्रा’ को राज्यविरोधी, पवित्र कार्यों में विघ्न डालने वाला और जनविरोधी करार दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के अभियान को “बिल्ली के…

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देहरादून, 26 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रशासन ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में सामान्य वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ने का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के तहत दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों को राहत दी गई है। आतंकी हमले के बाद बढ़ाई गई सतर्कता हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। हमले के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सुरक्षा कड़ी करने और संभावित खतरों का मूल्यांकन कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड पुलिस ने तत्काल एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद राज्य में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर कार्रवाई करते हुए निर्धारित तिथि तक भारत छोड़ने का आदेश जारी किया है। कितने पाकिस्तानी नागरिक उत्तराखंड में मौजूद प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में करीब 250 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश नागरिक सामान्य वीजा पर हैं, जो रोजगार, पारिवारिक मुलाकात या धार्मिक कारणों से भारत आए हुए हैं। दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों को इस आदेश से छूट दी गई है, क्योंकि वे भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया में होते हैं या विशेष परिस्थितियों में दीर्घकालिक निवास की अनुमति प्राप्त करते हैं। आदेश के मुख्य बिंदु लक्षित नागरिक: सामान्य वीजा धारक पाकिस्तानी नागरिक। निर्धारित समयसीमा: 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ना अनिवार्य। छूट: दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों पर आदेश लागू नहीं होगा। कार्रवाई: आदेश का उल्लंघन करने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिलों को दिए गए निर्देश उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान करें और उन्हें आदेश की जानकारी देकर समयसीमा के भीतर वापसी सुनिश्चित करें। साथ ही, होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में ठहरे विदेशी नागरिकों का सत्यापन भी तेज कर दिया गया है। विदेशी नागरिकों पर निगरानी बढ़ी आदेश के बाद सभी जिलों में विदेशी नागरिकों, विशेषकर पाकिस्तानी मूल के लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलते ही तत्काल जांच कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय खुफिया इकाइयों (LIUs) को भी सक्रिय कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को समय रहते रोका जा सके। सरकार का सख्त रुख उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और संभावित खतरों को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही आम जनता से भी सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तत्काल पुलिस को देने की अपील की गई है। दीर्घकालिक वीजा धारकों को क्यों मिली छूट दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारक वे पाकिस्तानी नागरिक होते हैं जो विशेष मानवीय आधार पर भारत में दीर्घकालिक निवास की अनुमति प्राप्त करते हैं। इनमें विभाजन के समय भारत से पाकिस्तान गए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोग शामिल होते हैं, जो वापस भारत आकर नागरिकता लेना चाहते हैं। इस मानवीय आधार को ध्यान में रखते हुए उन्हें इस आदेश से बाहर रखा गया है। आम जनता से सहयोग की अपील उत्तराखंड पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। अगर किसी को कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को सूचित करें। उत्तराखंड पुलिस जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है। उत्तराखंड पुलिस का यह आदेश राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और किसी भी संभावित खतरे को टालने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन का प्रयास है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखते हुए सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। राज्य सरकार और पुलिस का यह सख्त रुख दिखाता है कि उत्तराखंड आतंरिक सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।

उत्तराखंड में 250 पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी पर प्रशासन अलर्ट, 27 अप्रैल तक लौटने का आदेश, एलटीवी धारकों को राहत

देहरादून, 26 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ):जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रशासन ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में सामान्य वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ने का…

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वक्फ संपत्ति सुधारों को लेकर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ गरीब और जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण में होगा। भाजपा आगामी 20 अप्रैल से 5 मई तक राज्यभर में 'वक्फ जनजागरण अभियान' चलाने जा रही है, जिसका उद्देश्य इस कानून के जरिए समाज के वंचित वर्गों तक मदद पहुंचाना है। गरीबों का हक सिर्फ गरीबों को मिलेगा: धामी प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित वक्फ जनजागरण कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसी धार्मिक छेड़छाड़ के, वक्फ की एक-एक इंच भूमि की जांच होगी। उन्होंने कहा कि अब इन संपत्तियों पर किसी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका इस्तेमाल गरीब मुस्लिम महिलाओं, तलाकशुदा महिलाओं, विधवाओं और अनाथ बच्चों के लिए किया जाए। पीएम आवास, अस्पताल और स्कूलों के लिए होगा इस्तेमाल मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि जो भी वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जों से मुक्त कराई जाएंगी, उन पर पीएम आवास, अस्पताल, स्कूल और समुदायिक भवन जैसी जनसेवा की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड में भी ऐसे कामों की योजना तैयार की जा रही है। विपक्ष पर साधा निशाना धामी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर वर्षों से कब्जा रहा है, लेकिन विपक्ष ने कभी यह प्रयास नहीं किया कि उनका सही उपयोग हो। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ की संपत्तियां होते हुए भी गरीबों को कोई लाभ नहीं दिया गया। अब यह कानून इस काले कारोबार और जमीनों पर कब्जे को रोकने का काम करेगा। कानून का सही उद्देश्य समझाना जरूरी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि यह कानून समाज में व्याप्त भ्रम और भय को दूर करने का माध्यम बनेगा। उन्होंने बताया कि 2013 और 1995 में कांग्रेस सरकारों की नीतियों के चलते वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल हुआ। भाजपा सरकार अब इन गलतियों को सुधार रही है। सभी जिलों में कार्यशालाएं होंगी प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार ने जानकारी दी कि 20 से 22 अप्रैल तक सभी जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इन कार्यशालाओं में जनजागरण अभियान की रणनीति, कार्यक्रम और संवाद के माध्यम से मुस्लिम समाज को कानून के फायदों से अवगत कराया जाएगा। भाजपा का स्पष्ट संदेश: कोई तुष्टिकरण नहीं कार्यशाला में प्रदेश वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने वक्फ बोर्ड की पुरानी गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अतीत में इस बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ। उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में बड़ी संख्या में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता शामिल रहे हैं। देवभूमि में कड़ाई से लागू होगा नया कानून सीएम धामी ने कहा कि उनकी सरकार पहले ही राज्य की डेमोग्राफी को सुरक्षित रखने के लिए यूसीसी, धर्मांतरण विरोधी कानून जैसे कड़े फैसले ले चुकी है और अब वक्फ संशोधन कानून को भी सख्ती से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग करके यह सुनिश्चित करेंगे कि गरीबों को उनका हक मिले।" भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे मौजूद इस कार्यशाला में कई वरिष्ठ नेता शामिल रहे जिनमें राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रभारी मुकेश कोली, प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार, विधायक खजान दास, अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष इंतजार हुसैन समेत कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। भाजपा उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में बड़ी संख्या में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता शामिल रहे हैं।प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित वक्फ जनजागरण कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसी धार्मिक छेड़छाड़ के, वक्फ की एक-एक इंच भूमि की जांच होगी।

वक्फ की संपत्तियों का उपयोग गरीब मुस्लिम वर्ग के कल्याण में सुनिश्चित होगा: मुख्यमंत्री धामी

भाजपा 20 अप्रैल से चलाएगी वक्फ जनजागरण अभियान, सभी जिलों में होंगे कार्यक्रम देहरादून, 18 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वक्फ संपत्ति सुधारों को लेकर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ गरीब और जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण में होगा। भाजपा…

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देहरादून, 18 अप्रैल (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के डोईवाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हर्रावाला इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान डीजे की तेज आवाज को बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया है। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है। देहरादून घटना का पूरा विवरण यह घटना देर रात की है, जब हर्रावाला क्षेत्र में एक जागरण का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में भारी भीड़ जुटी थी और तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा था। रात के समय डीजे की आवाज को लेकर आसपास के लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी। शिकायत मिलने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और आयोजकों से डीजे की आवाज कम करने को कहा। प्रारंभिक रूप से आयोजकों और डीजे ऑपरेटर ने आवाज कम कर दी, लेकिन कुछ समय बाद फिर से डीजे की आवाज बढ़ा दी गई। आवाज अत्यधिक तेज होने के कारण इलाके में रहने वाले अन्य नागरिकों को परेशानी होने लगी। इसके बाद पुलिस दोबारा घटनास्थल पर पहुंची और डीजे को पूरी तरह से बंद कराने की कोशिश की। बातचीत से बढ़ा विवाद, हमला कर दिया पुलिस टीम द्वारा डीजे बंद कराए जाने को लेकर कुछ स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। बताया जा रहा है कि कुछ युवक नशे में भी थे। विवाद बढ़ता गया और देखते ही देखते कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। इस दौरान एक सिपाही को सिर पर गंभीर चोट आई, जिससे वह लहूलुहान हो गया। घायल सिपाही को तुरंत 108 एंबुलेंस की मदद से स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई घटना की सूचना मिलते ही थाना डोईवाला से और फोर्स मौके पर पहुंची। भीड़ को नियंत्रित किया गया और हंगामा कर रहे आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने बताया कि इस घटना में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने, पुलिस पर हमला करने और शांति भंग करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में इस तरह का बर्ताव निंदनीय है और इससे क्षेत्र की शांति व्यवस्था प्रभावित होती है। वहीं कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि आयोजक बिना अनुमति के कार्यक्रम करवा रहे थे। प्रशासन ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश प्रशासन ने साफ किया है कि इस तरह के मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। जिले के सभी थाना क्षेत्रों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे आयोजनों पर सख्त निगरानी रखी जाए और बिना अनुमति के डीजे बजाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। क्या कहते हैं नियम सरकारी नियमों के अनुसार रात 10 बजे के बाद किसी भी प्रकार का तेज ध्वनि वाला कार्यक्रम आयोजित करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में आयोजकों और हमलावरों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सार देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में जागरण कार्यक्रम के दौरान DJ की तेज आवाज बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। हर्रावाला इलाके की इस घटना में एक सिपाही घायल हो गया। भीड़ ने पुलिसकर्मी के सिर पर हमला किया, जिससे खून बहने लगा। पुलिसकर्मी ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

देहरादून: डीजे बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला, एक सिपाही घायल, सात आरोपी गिरफ्तार

देहरादून, 18 अप्रैल (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के डोईवाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हर्रावाला इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान डीजे की तेज आवाज को बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से…

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देहरादून, 15 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा): उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (UBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम की तारीख की आधिकारिक घोषणा कर दी है। बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट 2025 को 19 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 11 बजे घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों का इंतजार खत्म होने वाला है। इस बार उत्तराखंड बोर्ड ने परीक्षाएं समय पर आयोजित कीं और मूल्यांकन कार्य भी निर्धारित समयसीमा में पूरा कर लिया गया, जिससे रिकॉर्ड समय में परिणाम घोषित किया जा रहा है। बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर आएगा रिजल्ट उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं का रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइटों पर उपलब्ध होगा: ubse.uk.gov.in uaresults.nic.in छात्र अपना रिजल्ट रोल नंबर और जन्मतिथि दर्ज करके देख सकेंगे। इसके अलावा रिजल्ट डिजिलॉकर ऐप, एसएमएस सुविधा और कुछ निजी रिजल्ट वेबसाइट्स पर भी उपलब्ध रहेगा। 2.5 लाख से अधिक छात्रों ने दी परीक्षा उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं परीक्षाएं 15 फरवरी से 6 मार्च 2025 तक आयोजित की गई थीं। इस वर्ष: लगभग 1.3 लाख छात्र 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए। वहीं 1.2 लाख छात्र 12वीं की परीक्षा में बैठे। छात्रों का कहना है कि प्रश्नपत्र सामान्य स्तर के थे और पढ़ाई के अनुसार प्रश्न पूछे गए थे। शिक्षा मंत्री करेंगे रिजल्ट जारी राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की सचिव नीता तिवारी 19 अप्रैल को प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से सुबह 11 बजे परिणाम जारी करेंगे। इसके तुरंत बाद छात्र वेबसाइट पर अपने अंक देख सकेंगे। एक अधिकारी ने बताया: “इस बार उत्तराखंड बोर्ड ने परिणामों को पारदर्शी और समय पर जारी करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। छात्रों की मेहनत का फल उन्हें जल्द मिलेगा।” पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार रिजल्ट की उम्मीदें ज्यादा पिछले वर्ष 10वीं कक्षा का पास प्रतिशत 85.17 प्रतिशत और 12वीं कक्षा का पास प्रतिशत 82.63 प्रतिशत रहा था। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का पास प्रतिशत इससे बेहतर हो सकता है क्योंकि छात्रों ने पूरे वर्ष ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ाई की। लड़कियों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद पिछले वर्षों की तरह इस बार भी लड़कियों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, हर साल लड़कियां बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर अंक प्राप्त कर रही हैं। क्या करें यदि असंतुष्ट हों रिजल्ट से? यदि कोई छात्र अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं है तो वह उत्तराखंड बोर्ड की वेबसाइट के माध्यम से पुनर्मूल्यांकन (Re-evaluation) या उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी के लिए आवेदन कर सकता है। यह प्रक्रिया रिजल्ट जारी होने के कुछ दिन बाद शुरू होगी। वहीं जिन छात्रों को एक या दो विषयों में अंक कम मिले हैं या वे फेल हो गए हैं, उनके लिए पूरक परीक्षा (Compartment Exam) का आयोजन जून 2025 में किया जाएगा। रिजल्ट देखने के लिए क्या रखें पास? छात्रों को रिजल्ट देखने के लिए निम्नलिखित चीज़ें तैयार रखनी चाहिए: रोल नंबर जन्मतिथि इंटरनेट कनेक्शन मोबाइल या कंप्यूटर बोर्ड की वेबसाइट पर कभी-कभी ट्रैफिक अधिक होने के कारण धीमा हो सकता है, ऐसे में छात्रों को संयम बनाए रखने की सलाह दी जाती है। निष्कर्ष: उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं के लाखों छात्रों के लिए 19 अप्रैल 2025 एक बड़ा दिन होने जा रहा है। सुबह 11 बजे जैसे ही शिक्षा मंत्री रिजल्ट जारी करेंगे, छात्रों की मेहनत का परिणाम सामने आ जाएगा। समय बोल रहा की ओर से सभी विद्यार्थियों को ढेरों शुभकामनाएं — उम्मीद है कि आप सभी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे।इस बार उत्तराखंड बोर्ड ने परीक्षाएं समय पर आयोजित कीं और मूल्यांकन कार्य भी निर्धारित समयसीमा में पूरा कर लिया गया, जिससे रिकॉर्ड समय में परिणाम घोषित किया जा रहा है।  

उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं रिजल्ट 2025: 19 अप्रैल को सुबह 11 बजे होगा जारी, छात्रों में उत्साह का माहौल

देहरादून, 15 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा):उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (UBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम की तारीख की आधिकारिक घोषणा कर दी है। बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट 2025 को 19 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 11 बजे घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही लाखों छात्रों और उनके…

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देहरादून, 11 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लगा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने शुक्रवार को बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा कर दी है। अब सभी स्लैब में प्रति यूनिट दरें पहले की तुलना में अधिक हो जाएंगी। इस निर्णय से आम जनता खासकर घरेलू उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। नई बिजली दरें इस प्रकार हैं: 100 यूनिट तक: पहले 3.40 रुपए प्रति यूनिट थी, अब यह बढ़कर 3.65 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। 101 से 200 यूनिट तक: दर 4.90 रुपए से बढ़कर 5.25 रुपए प्रति यूनिट कर दी गई है। 201 से 400 यूनिट तक: अब 6.70 रुपए की बजाय 7.15 रुपए प्रति यूनिट देना होगा। 400 यूनिट से अधिक: दर 7.35 रुपए से बढ़कर 7.80 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। यह वृद्धि राज्य के लगभग सभी घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी। वृद्धि के पीछे का कारण राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि यह वृद्धि उत्पादन लागत, वितरण खर्च और ट्रांसमिशन लागत में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए की गई है। अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में ऊर्जा की लागत लगातार बढ़ी है, जिससे यह निर्णय लेना अपरिहार्य हो गया था। उपभोक्ताओं में नाराजगी बिजली दरों में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद आम नागरिकों में नाराजगी देखने को मिली है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले ही महंगाई की मार से आम आदमी परेशान है, और अब बिजली की कीमतों में इजाफा उनकी परेशानियों को और बढ़ा देगा। देहरादून निवासी रेखा रावत ने कहा, “महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ रही है, अब बिजली का बिल भी बढ़ेगा तो घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ जाएगा।” वहीं, हल्द्वानी के कारोबारी संजीव जोशी ने इसे छोटे व्यापारियों के लिए अतिरिक्त आर्थिक दबाव बताया। राजनीतिक प्रतिक्रियाएं विपक्षी दलों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इस निर्णय की आलोचना की है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “सरकार लगातार आम जनता पर बोझ डाल रही है। जब राज्य में राजस्व वसूली में वृद्धि हो रही है तो आम लोगों पर भार क्यों डाला जा रहा है?” वहीं, सत्ताधारी दल का कहना है कि यह निर्णय नियामक आयोग द्वारा तकनीकी और आर्थिक समीक्षा के बाद लिया गया है और इससे ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी। सरकारी पक्ष ऊर्जा विभाग के सचिव ने कहा कि यह बढ़ोतरी आवश्यक थी ताकि प्रदेश में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बनाए रखा जा सके। “बिजली आपूर्ति में निरंतरता और गुणवत्ता के लिए निवेश की आवश्यकता है, और यह वृद्धि उसी दिशा में एक जरूरी कदम है,” उन्होंने कहा। जल्द होगी लागू राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय की गई नई दरें आगामी बिलिंग साइकिल से लागू की जाएंगी। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर पड़ेगा। निष्कर्ष बिजली दरों में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब देशभर में महंगाई की चर्चा है। उत्तराखंड में इस फैसले के दूरगामी प्रभाव देखे जा सकते हैं। उपभोक्ता जहां इससे परेशान हैं, वहीं सरकार और आयोग इसे ऊर्जा आपूर्ति की मजबूती के लिए जरूरी बता रहे हैं। देखना होगा कि आने वाले समय में सरकार इस बढ़ोतरी को लेकर किसी तरह की राहत देती है या नहीं।इस निर्णय से आम जनता खासकर घरेलू उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।यह वृद्धि राज्य के लगभग सभी घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी।

उत्तराखंड में बिजली दरों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को झटका, सभी स्लैब में बढ़े दाम

देहरादून, 11 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लगा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने शुक्रवार को बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा कर दी है। अब सभी स्लैब में प्रति यूनिट दरें पहले की तुलना में अधिक हो जाएंगी। इस निर्णय से आम जनता खासकर घरेलू उपभोक्ताओं पर…

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