कात्यायनी फैक्ट्री का काला धुआं बना मुसीबत: प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

काशीपुर , 30 मई 2025 (समय बोल रहा) काशीपुर क्षेत्र में स्थित कात्यायनी फैक्ट्री ( कात्यायनी प्राइवेट लिमिटेड ) नामक टिशू पेपर फैक्ट्री से निकलने वाला घना काला धुआं अब स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बन गया है। फैक्ट्री की चिमनियों से हर दिन निकलने वाला यह धुआं न केवल वायु प्रदूषण फैला रहा है, बल्कि लोगों का जीना भी मुश्किल कर रहा है। स्थानीय लोग लगातार इस समस्या को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन न तो फैक्ट्री प्रबंधन और न ही प्रशासन इस पर कोई ध्यान दे रहा है। "हर सांस में ज़हर घुला है" – स्थानीय लोगों का आरोप स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। सुबह उठते ही आँखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएँ आम हो चुकी हैं। लोगों का कहना है कि यह धुआं न सिर्फ हवा को दूषित कर रहा है, बल्कि उनके घरों तक भी पहुँच रहा है। एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया, “हमारी उम्र हो चुकी है, अब सांस लेने में भी डर लगता है। इस काले धुएँ ने जीवन दूभर बना दिया है। बच्चे खांसी से परेशान हैं और कई बार तो घर में भी धुएँ जैसी बदबू आती है।” वहीं एक महिला ने कहा, “हम कपड़े बाहर सुखाते हैं तो उन पर काली परत जम जाती है। घर के दरवाज़े-खिड़कियां बंद रखने के बावजूद यह धुआं अंदर आ जाता है। क्या हम ज़हर में जीने के लिए मजबूर हैं?” कात्यायनी फैक्ट्री प्रशासन का गैर-जिम्मेदाराना रवैया जब "समय बोल रहा" की टीम ने इस गंभीर मुद्दे पर फैक्ट्री के जनरल मैनेजर श्री कपिल गौतम से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जीएम की यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है – क्या फैक्ट्री प्रबंधन इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा? क्या उन्हें अपने सामाजिक और कानूनी दायित्वों की कोई परवाह नहीं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री ने प्रदूषण नियंत्रण के कोई ठोस इंतज़ाम नहीं किए हैं। यदि धुआं नियंत्रित करने की तकनीक होती, तो यह समस्या इतनी विकराल नहीं होती। प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग की चुप्पी पर नाराज़गी स्थानीय जनता अब सीधे तौर पर प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को कटघरे में खड़ा कर रही है। लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतें दर्ज करवाई गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “क्या प्रदूषण अधिकारी केवल फाइलों पर साइन करने के लिए हैं? क्या उन्हें यह धुआं दिखाई नहीं देता? जब सब कुछ सामने हो रहा है, फिर भी आँखें मूँद लेना, यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं मिलीभगत ज़रूर है।” स्थानीय लोगों की एकजुटता और आंदोलन की चेतावनी स्थिति से त्रस्त होकर अब स्थानीय लोग एकजुट हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि फैक्ट्री को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किए गए, तो वे ज़िला मुख्यालय पर धरना देंगे और सोशल मीडिया व मीडिया के ज़रिए इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाएंगे। लोगों की मांग – तुरंत कार्रवाई हो स्थानीय लोगों की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं: कात्यायनी फैक्ट्री को प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए। चिमनियों में आधुनिक धुआं नियंत्रण तकनीक लगाई जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा फैक्ट्री का निरीक्षण किया जाए। सिर्फ कात्यायनी नहीं, यह पूरे क्षेत्र की समस्या यह मामला केवल एक फैक्ट्री तक सीमित नहीं है। काशीपुर क्षेत्र में कई ऐसी फैक्ट्रियाँ कार्यरत हैं जो पर्यावरणीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरा क्षेत्र साँस लेने लायक नहीं बचेगा। "समय बोल रहा" की अपील हम प्रशासन और संबंधित विभागों से अपील करते हैं कि इस मामले को गंभीरता से लें। कात्यायनी प्राइवेट लिमिटेड जैसे संस्थानों को ज़िम्मेदारी के साथ संचालन करना चाहिए। हम जनता के साथ खड़े हैं और इस मुद्दे को तब तक उठाते रहेंगे, जब तक समाधान न हो।
कात्यायनी फैक्ट्री का काला धुआं बना मुसीबत: प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

काशीपुर , 30 मई 2025 (समय बोल रहा)

काशीपुर क्षेत्र में स्थित कात्यायनी फैक्ट्री ( कात्यायनी प्राइवेट लिमिटेड ) नामक टिशू पेपर फैक्ट्री से निकलने वाला घना काला धुआं अब स्थानीय निवासियों के लिए एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट बन गया है। फैक्ट्री की चिमनियों से हर दिन निकलने वाला यह धुआं न केवल वायु प्रदूषण फैला रहा है, बल्कि लोगों का जीना भी मुश्किल कर रहा है। स्थानीय लोग लगातार इस समस्या को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन न तो फैक्ट्री प्रबंधन और न ही प्रशासन इस पर कोई ध्यान दे रहा है।


“हर सांस में ज़हर घुला है” – स्थानीय लोगों का आरोप

स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। सुबह उठते ही आँखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएँ आम हो चुकी हैं। लोगों का कहना है कि यह धुआं न सिर्फ हवा को दूषित कर रहा है, बल्कि उनके घरों तक भी पहुँच रहा है।

एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया, “हमारी उम्र हो चुकी है, अब सांस लेने में भी डर लगता है। इस काले धुएँ ने जीवन दूभर बना दिया है। बच्चे खांसी से परेशान हैं और कई बार तो घर में भी धुएँ जैसी बदबू आती है।” वहीं एक महिला ने कहा, “हम कपड़े बाहर सुखाते हैं तो उन पर काली परत जम जाती है। घर के दरवाज़े-खिड़कियां बंद रखने के बावजूद यह धुआं अंदर आ जाता है। क्या हम ज़हर में जीने के लिए मजबूर हैं?”


कात्यायनी फैक्ट्री प्रशासन का गैर-जिम्मेदाराना रवैया

जब “समय बोल रहा” की टीम ने इस गंभीर मुद्दे पर फैक्ट्री के जनरल मैनेजर श्री कपिल गौतम से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जीएम की यह चुप्पी कई सवाल खड़े करती है – क्या फैक्ट्री प्रबंधन इस समस्या को गंभीरता से नहीं ले रहा? क्या उन्हें अपने सामाजिक और कानूनी दायित्वों की कोई परवाह नहीं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री ने प्रदूषण नियंत्रण के कोई ठोस इंतज़ाम नहीं किए हैं। यदि धुआं नियंत्रित करने की तकनीक होती, तो यह समस्या इतनी विकराल नहीं होती।


प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग की चुप्पी पर नाराज़गी

स्थानीय जनता अब सीधे तौर पर प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को कटघरे में खड़ा कर रही है। लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतें दर्ज करवाई गईं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “क्या प्रदूषण अधिकारी केवल फाइलों पर साइन करने के लिए हैं? क्या उन्हें यह धुआं दिखाई नहीं देता? जब सब कुछ सामने हो रहा है, फिर भी आँखें मूँद लेना, यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं मिलीभगत ज़रूर है।”


स्थानीय लोगों की एकजुटता और आंदोलन की चेतावनी

स्थिति से त्रस्त होकर अब स्थानीय लोग एकजुट हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि फैक्ट्री को नियंत्रित करने के उपाय नहीं किए गए, तो वे ज़िला मुख्यालय पर धरना देंगे और सोशल मीडिया व मीडिया के ज़रिए इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाएंगे।


लोगों की मांग – तुरंत कार्रवाई हो

स्थानीय लोगों की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:

  1. कात्यायनी फैक्ट्री को प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए।
  2. चिमनियों में आधुनिक धुआं नियंत्रण तकनीक लगाई जाए।
  3. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा फैक्ट्री का निरीक्षण किया जाए।

सिर्फ कात्यायनी नहीं, यह पूरे क्षेत्र की समस्या

यह मामला केवल एक फैक्ट्री तक सीमित नहीं है। काशीपुर क्षेत्र में कई ऐसी फैक्ट्रियाँ कार्यरत हैं जो पर्यावरणीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन कर रही हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरा क्षेत्र साँस लेने लायक नहीं बचेगा।


“समय बोल रहा” की अपील

हम प्रशासन और संबंधित विभागों से अपील करते हैं कि इस मामले को गंभीरता से लें। कात्यायनी प्राइवेट लिमिटेड जैसे संस्थानों को ज़िम्मेदारी के साथ संचालन करना चाहिए। हम जनता के साथ खड़े हैं और इस मुद्दे को तब तक उठाते रहेंगे, जब तक समाधान न हो।

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