खनन माफियाओं का दुस्साहस: रामनगर में वन विभाग की टीम पर हमला, फायरिंग कर पकड़ा गया डंपर

रामनगर ,30 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ) — उत्तराखंड के नैनीताल जिले के रामनगर क्षेत्र में शनिवार दोपहर अवैध खनन को लेकर वन विभाग और खनन माफियाओं के बीच हुई झड़प एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर रही है कि आखिर राज्य में अवैध खनन पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है। रामनगर के सुल्तानपुर पट्टी इलाके में हुई इस घटना में वन विभाग की टीम पर तस्करों ने हमला किया और अपने वाहन छुड़ाने का प्रयास किया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि वन विभाग को आत्मरक्षा में एक डंपर के टायर पर गोली चलानी पड़ी।
अवैध खनन की सूचना पर पहुंची टीम
वन विभाग को जानकारी मिली थी कि कुछ वाहन अवैध रूप से नदी से रेती, बजरी और मौरंग (RBM) भरकर बिना रॉयल्टी और वैध दस्तावेजों के ले जा रहे हैं। इस सूचना के बाद तराई पश्चिमी वन प्रभाग के निर्देश पर उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन क्षेत्राधिकारी और वन सुरक्षा बल के साथ एक संयुक्त टीम मौके पर पहुंची।
टीम ने दो डंपर—UK18CA-6449 और UK08CA-6345—को रोका और जांच शुरू की। दोनों वाहनों के पास खनिज ढुलाई का कोई वैध दस्तावेज नहीं था, जिससे स्पष्ट हुआ कि यह खनिज तस्करी का मामला है। जब टीम इन डंपरों को जब्त कर बन्नाखेड़ा रेंज परिसर की ओर ला रही थी, तभी स्थिति अचानक से तनावपूर्ण हो गई।
स्कॉर्पियो, थार और बाइक सवारों ने किया हमला
जैसे ही टीम ग्राम रतनपुरा के पास पहुंची, अचानक एक स्कॉर्पियो, एक थार और कुछ मोटरसाइकिलों पर सवार दर्जनों लोग आए। यह लोग डंपर स्वामी और उनके साथी बताए जा रहे हैं। इन्होंने टीम को घेरकर जबरन डंपर छुड़ाने की कोशिश की। इस दौरान वन विभाग की टीम के साथ हाथापाई भी हुई। तस्करों ने टीम के ऊपर दबाव बनाकर जब्त वाहन को छुड़ाने की कोशिश की।
आत्मरक्षा में चली गोली
स्थिति बेकाबू होती देख टीम ने तत्काल 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को बुलाया, लेकिन पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही हालात तनावपूर्ण हो चुके थे। तस्कर किसी भी कीमत पर डंपर छुड़ाना चाहते थे। अंत में मजबूरी में वन विभाग की टीम को डंपर UK18CA-6449 के टायर पर दो राउंड गोली चलानी पड़ी, जिससे वाहन वहीं रुक गया और तस्करों की कोशिश विफल हो गई।
डंपर को सुरक्षित रूप से बन्नाखेड़ा रेंज परिसर और दूसरे डंपर UK08CA-6345 को सुल्तानपुर पट्टी पुलिस चौकी में सुरक्षित खड़ा करवा दिया गया।
पूरी कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में
इस पूरी कार्रवाई का नेतृत्व उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन क्षेत्राधिकारी चंदन सिंह बिष्ट, वन दरोगा अजय कुमार, वन आरक्षी मनमोहन सिंह, मुराद अली, सुंदर बिष्ट, और वाहन चालक कर रहे थे। सभी ने साहसिक ढंग से तस्करों का सामना किया और डंपर को जब्त करने में सफलता प्राप्त की।
राज्य में लगातार बढ़ रही हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई पहला मामला नहीं है जब वन विभाग की टीम को तस्करों के साथ संघर्ष करना पड़ा हो। उत्तराखंड में अवैध खनन एक बड़ी समस्या बन चुका है। विशेषकर तराई क्षेत्र में यह धंधा संगठित रूप से चलाया जा रहा है। खनन माफिया इतने दुस्साहसी हो चुके हैं कि अब वे सरकारी अधिकारियों और कर्मियों पर हमला करने से भी नहीं हिचकते।
हाल ही में उधम सिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल जिलों में भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जहां खनन माफियाओं ने वन विभाग की टीम पर हमला किया है या फरार हो गए हैं। यह स्थिति कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बनती जा रही है।
कानून सख्त लेकिन कार्रवाई धीमी
उत्तराखंड सरकार ने अवैध खनन को रोकने के लिए कई सख्त कानून बनाए हैं। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन कानूनों को लागू करने में प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी और राजनीतिक हस्तक्षेप अक्सर रुकावट बन जाते हैं। यही कारण है कि तस्कर बिना डर के खनन करते हैं और अधिकारी जब रोकते हैं तो उल्टा उन्हें ही निशाना बना लेते हैं।
जनता और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी
इस प्रकार की घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि केवल प्रशासन की नहीं, जनता की भी जिम्मेदारी है कि वे अवैध खनन की सूचना तुरंत संबंधित विभागों को दें और कार्रवाई में सहयोग करें। साथ ही, सरकार को चाहिए कि वह वन विभाग की टीमों को बेहतर सुरक्षा संसाधन और कानूनी सहायता प्रदान करे ताकि वे बिना डर के अपनी ड्यूटी निभा सकें।
खनन माफियाओं की हिम्मत
रामनगर की यह घटना उत्तराखंड में खनन माफियाओं की हिम्मत और प्रशासन की चुनौतियों को उजागर करती है। अगर समय रहते इन पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो राज्य की प्राकृतिक संपदा के साथ-साथ सरकारी कर्मचारी और आम जनता भी खतरे में पड़ सकती है।