उत्तरकाशी के थान गांव में ऐतिहासिक शिव महापुराण कथा और श्री जमदग्नि ऋषि मंदिर का भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह

उत्तरकाशी के थान गांव में ऐतिहासिक शिव महापुराण कथा और श्री जमदग्नि ऋषि मंदिर का भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह

उत्तरकाशी, 30 जनवरी 2025: उत्तरकाशी जिले की बड़कोट तहसील के थान गांव में इन दिनों आध्यात्मिक और धार्मिक आस्था का विशेष माहौल देखने को मिल रहा है। नगाण थोक के सभी गांवों के सहयोग से यहां 11 दिवसीय सामूहिक शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन क्षेत्र की धार्मिक परंपराओं को सुदृढ़ करने के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बना हुआ है।

18वीं शताब्दी में निर्मित श्री जमदग्नि ऋषि मंदिर का जीर्णोद्धार

इस शुभ अवसर का सबसे महत्वपूर्ण पहलू श्री जमदग्नि ऋषि के प्राचीन मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण है। यह मंदिर 18वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था और वर्षों से पूरे क्षेत्र एवं ग्रामीणों की आस्था का केंद्र रहा है। केदारखंड में भी इस स्थान का विस्तार से उल्लेख मिलता है। स्थानीय लोगों ने अपने संसाधनों और श्रमदान से इस ऐतिहासिक मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसे भव्य स्वरूप प्रदान किया है। इसके साथ ही मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी विधिवत संपन्न की जा रही है, जिससे पूरे क्षेत्र में धार्मिक उल्लास का माहौल बना हुआ है।

शिव महापुराण कथा में संत लवदास जी महाराज का प्रवचन

शिव महापुराण कथा के मुख्य प्रवक्ता प्रसिद्ध संत लवदास जी महाराज हैं, जो भक्तों को भगवान शिव की महिमा और दिव्य लीलाओं से परिचित करा रहे हैं। उनकी आध्यात्मिक वाणी से श्रद्धालु गहरी भक्ति में लीन हो रहे हैं। प्रतिदिन कथा में भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हो रहे हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से भक्ति का आनंद ले रहे हैं।

धार्मिक उत्साह और सामूहिक सहभागिता

यह आयोजन क्षेत्रवासियों के सामूहिक प्रयास और धार्मिक आस्था का प्रतीक बन गया है। मंदिर पुनर्निर्माण और शिव महापुराण कथा के इस ऐतिहासिक आयोजन में सभी ग्रामीणों ने तन, मन और धन से योगदान दिया है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित हो रहा है।

चतुर्थ दिवस की कथा: वैवाहिक जीवन में विश्वास का महत्व

शिव महापुराण की चंचुला और बिंदुक की कथा के माध्यम से संत लवदास महाराज ने बताया कि पति-पत्नी के बीच विश्वास और ईमानदारी का विशेष महत्व है। यदि दोनों एक-दूसरे का भरोसा तोड़ते हैं, तो वैवाहिक जीवन में स्थायित्व नहीं रह सकता।

कथा सारांश:
बिंदुक और चंचुला विवाह के बाद एक-दूसरे से दूर हो गए। बिंदुक का मन अन्य स्त्रियों में भटक गया, जबकि चंचुला ने धैर्य रखा। लेकिन जब बिंदुक की उपेक्षा बढ़ी, तो चंचुला का भी मन विचलित हो गया। बाद में, बिंदुक की मृत्यु हो गई और चंचुला ने शिव कथा सुनकर आत्मज्ञान प्राप्त किया। उसकी आत्मा शिवलोक पहुंची, जहां देवी पार्वती ने उसे मोक्ष दिलाने की प्रार्थना की। इस कथा का संदेश यही है कि वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी को एक-दूसरे पर विश्वास बनाए रखना चाहिए।

समारोह में श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति

थान गांव के नगाण थोक के मस्सू, सुकण, गौल, फूलधार, स्यालब, पालर और स्यालना ग्रामीणों द्वारा इस आयोजन को सफल बनाने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ क्षेत्रवासियों द्वारा शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर मंडप आचार्य विरोश नौटियाल, मधुवन डिमरी, पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण, चंद्रमणी सेमवाल, विकास डिमरी, संदीप खंडूरी, मनमोहन बिजल्वाण, राजेश डिमरी, यमदग्नी ऋषि मंदिर समिति अध्यक्ष हरदेव चौहान, प्यारचंद सिंह, दरमियान सिंह, वीरेंद्र सिंह, एलएम सिंह, जोगेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, केंद्र सिंह, भागीराम चौहान, गजेन्द्र सिंह, भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान, शांति प्रसाद डिमरी, सुशील प्रसाद डिमरी सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

यह आयोजन न केवल धार्मिक परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का कार्य कर रहा है बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिक सहयोग की भावना को भी मजबूत कर रहा है।

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