उत्तराखंड का ‘छिपा खजाना’ सामने आया! स्पेस सेंटर ने खोजे 400 से ज़्यादा ऐतिहासिक किले और गढ़, जानिए आपके ज़िले में कितने!

देहरादून, 19 जून, 2025 (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए तो जाना ही जाता है, लेकिन अब इसकी ऐतिहासिक विरासत का एक विशाल और ‘छिपा हुआ खजाना’ भी सामने आया है। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के वैज्ञानिकों ने 15 साल के गहन अध्ययन के बाद राज्य के अलग-अलग हिस्सों में 400 से ज़्यादा ऐतिहासिक किले और गढ़ों की खोज की है। यह चौंकाने वाला खुलासा राज्य के इतिहास और पारंपरिक संरचनाओं के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से बदल देगा। अब तक जहां लोगों को केवल 52 गढ़ और किले होने की जानकारी थी, वहीं यूसैक ने कुल 403 किलों की पुष्टि की है, जिनमें 235 गढ़ और 168 किले शामिल हैं।
15 साल का अध्ययन: यूसैक की ऐतिहासिक खोज
उत्तराखंड अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है। परमार, कत्यूर, और चंद जैसे शक्तिशाली राजवंशों ने सदियों तक इस क्षेत्र पर शासन किया और इसके इतिहास को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई। इन राजवंशों ने अपनी सुरक्षा और शासन व्यवस्था के लिए गढ़ों और किलों का निर्माण किया था। राज्य की इसी अनमोल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को जानने और संरक्षित करने के उद्देश्य से उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) ने एक महत्वाकांक्षी अध्ययन परियोजना हाथ में ली।
यूसैक के वैज्ञानिकों ने 2008 से 2023 तक पूरे 15 वर्षों तक राज्य के सभी जिलों में व्यापक सर्वे किया। इस दौरान, उन्होंने अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और जमीनी सर्वेक्षण दोनों का उपयोग करते हुए ऐतिहासिक स्थलों की पहचान की और उनका गहन अध्ययन किया। इस विस्तृत शोध के परिणामस्वरूप, यूसैक ने कुल 403 गढ़ों और किलों की पुष्टि की है। यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक आम जनता और कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स में उत्तराखंड में बमुश्किल 52 गढ़ और किले होने की ही जानकारी थी। इस नई खोज ने राज्य की सैन्य वास्तुकला और सामरिक इतिहास की एक बिल्कुल नई तस्वीर पेश की है। खोजे गए इन 403 संरचनाओं में 235 गढ़ (Garrisons) और 168 किले (Forts) शामिल हैं, जो राज्य के विभिन्न भूभागों में फैले हुए हैं।
पौड़ी में सर्वाधिक किले: सामरिक महत्व का प्रमाण
यूसैक द्वारा किए गए अध्ययन में एक और दिलचस्प तथ्य सामने आया है कि पौड़ी जिले में सर्वाधिक 108 किले दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके कई महत्वपूर्ण कारण हैं। प्रमुख कारणों में से एक यह है कि पौड़ी जिले में स्थित श्रीनगर, गढ़वाल राजवंश की राजधानी हुआ करती थी। राजधानी होने के नाते, इसकी सुरक्षा के लिए आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में किलों और गढ़ों का निर्माण स्वाभाविक था।
इसके अलावा, पौड़ी जिला भौगोलिक रूप से कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र की सीमा पर स्थित है। यह एक सामरिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान था, जहां दोनों क्षेत्रों के राजवंशों के बीच अक्सर संघर्ष होते रहते थे। अपनी सीमाओं की रक्षा और नियंत्रण बनाए रखने के लिए, विभिन्न शासकों ने पौड़ी और उसके आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में किलेबंद संरचनाएं बनवाईं। पौड़ी में सर्वाधिक किले होने के पीछे यही मुख्य सामरिक और ऐतिहासिक कारण बताए जा रहे हैं, जो इस जिले को उत्तराखंड के किलेबंद इतिहास का केंद्र बिंदु बनाता है।
अन्य जिलों में भी मौजूद हैं गढ़ और किले: एक विस्तृत सूची
यूसैक के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन ने राज्य के अन्य जिलों में भी मौजूद गढ़ों और किलों की विस्तृत जानकारी प्रदान की है। यह जानकारी उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में फैली ऐतिहासिक वास्तुकला की विविधता को दर्शाती है:
- अल्मोड़ा: आठ गढ़ और 29 किले
- बागेश्वर: एक गढ़ और 11 किले
- चमोली: 15 गढ़ और पांच किले
- चम्पावत: 17 किले
- देहरादून: 19 गढ़
- हरिद्वार: चार गढ़
- नैनीताल: 18 किले
- रुद्रप्रयाग: 19 गढ़ और तीन किले
- उत्तरकाशी: 18 गढ़ और छह किले
- ऊधमसिंह नगर: एक किला
यह भी रोचक है कि इस अध्ययन में कुछ गढ़ों की स्थिति राज्य की सीमाओं से भी जुड़ी हुई पाई गई है। तीन गढ़ हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित हैं, जबकि दो गढ़ उत्तर प्रदेश की सीमा में भी पाए गए हैं। यह तथ्य इन ऐतिहासिक संरचनाओं के क्षेत्रीय महत्व और राज्यों के बीच प्राचीन काल में रहे संबंधों को दर्शाता है।
विरासत संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा: आगे की राह
इस खोज का उत्तराखंड के पर्यटन और विरासत संरक्षण पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। ये 403 ऐतिहासिक किले और गढ़ राज्य के पर्यटन मानचित्र पर नए आकर्षण जोड़ सकते हैं। इनके उचित संरक्षण और विकास से न केवल इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं को आकर्षित किया जा सकेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। इन स्थलों का दस्तावेजीकरण और सार्वजनिक प्रदर्शन उत्तराखंड की समृद्ध ऐतिहासिक पहचान को दुनिया के सामने लाने में मदद करेगा। यूसैक की यह खोज वास्तव में उत्तराखंड के लिए एक ‘छिपा हुआ खजाना’ है, जिसे अब दुनिया देख सकती है और उसकी समृद्ध विरासत को समझ सकती है।