उत्तराखंड UCC विवाह पंजीकरण: 26 जुलाई तक ‘फ्री’ रजिस्ट्रेशन, फिर लगेगा शुल्क और जुर्माना भी; तुरंत जानें पूरी प्रक्रिया!

देहरादून, 07 जून, 2025 (समय बोल रहा) - उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत विवाह पंजीकरण को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण ऐलान किया है। अब राज्य में विवाह पंजीकरण 26 जुलाई, 2025 तक बिल्कुल निशुल्क होगा। यह आदेश शासन की ओर से शुक्रवार को ही जारी कर दिए गए हैं, जिससे नागरिकों को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने साफ कर दिया है कि इस तय तारीख के बाद विवाह पंजीकरण के लिए शुल्क तो लगेगा ही, बल्कि कुछ मामलों में जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यह कदम विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को गति देने और अधिक से अधिक लोगों को समय रहते पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित करने हेतु उठाया गया है। निशुल्क पंजीकरण की अवधि और उसके बाद का शुल्क उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने और नागरिकों को सुविधा प्रदान करने के लिए विवाह पंजीकरण शुल्क को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। यह निलंबन 26 जुलाई, 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि के दौरान, जो भी विवाह यूसीसी के तहत पंजीकृत होते हैं, उनका पंजीकरण पूर्णतः निशुल्क होगा। रुड़की नगर निगम के नगर आयुक्त राकेश चंद तिवारी ने इस संबंध में पुष्टि करते हुए बताया कि यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण का शुल्क अब 26 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस अवधि के बीच जो भी विवाह पंजीकरण करता है, उसका यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण निशुल्क होगा। हालांकि, यदि कोई नागरिक यह पंजीकरण किसी सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) सेंटर के माध्यम से कराता है, तो उसे केवल सीएससी सेंटर को उनकी सेवा के लिए 50 रुपये का शुल्क देना होगा। यह शुल्क सरकारी पंजीकरण शुल्क से अलग है और सीएससी की सेवाओं के लिए देय होगा। 26 जुलाई के बाद नियम और जुर्माना: किसको देना होगा शुल्क और किसको जुर्माना? शासन की ओर से जारी निर्देशों में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि 26 जुलाई, 2025 के बाद यदि कोई विवाह यूसीसी के तहत पंजीकृत किया जाता है, तो उस पर शुल्क के साथ-साथ जुर्माना भी लगेगा। यह नियम विशेष रूप से उन विवाहों पर लागू होगा जो 26 मार्च, 2010 के पश्चात संपन्न हुए हैं और जिनका पंजीकरण अभी तक नहीं हुआ है। मूल रूप से, समान नागरिक संहिता 27 जनवरी, 2025 को लागू की गई थी, जिसके तहत सभी विवाहित लोगों को अनिवार्य रूप से यूसीसी के अंतर्गत अपने विवाह का पंजीकरण करना था। पंजीकरण के लिए पहले 250 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया था। अब, 26 जुलाई के बाद यह 250 रुपये का शुल्क फिर से लागू हो जाएगा, और यदि विवाह 26 मार्च, 2010 के बाद हुआ है और उसका पंजीकरण तय समय सीमा में नहीं कराया गया है, तो उस पर अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह दंड उन लोगों के लिए है जिन्होंने पहले अनिवार्य पंजीकरण का पालन नहीं किया या अब समय सीमा के भीतर निशुल्क पंजीकरण का लाभ नहीं उठा रहे हैं। पूर्व में पंजीकृत विवाहों के लिए भी महत्वपूर्ण निर्देश यह महत्वपूर्ण है कि यह आदेश केवल नए विवाहों के लिए ही नहीं है, बल्कि उन नागरिकों के लिए भी है जिन्होंने अपने विवाह को पहले ही किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत करवा लिया है। वे नागरिक जिन्होंने अपने विवाह को पहले ही उत्तराखंड विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक, 2010 या किसी अन्य वैयक्तिक कानून (Personal Law) के अंतर्गत पंजीकृत करवा लिया है, उन्हें भी इस पंजीकरण की जानकारी अथवा 'एक्नॉलेजमेंट' (acknowledgment) समान नागरिक संहिता पोर्टल पर देना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया केवल सूचनात्मक है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के सभी विवाहों का विवरण यूसीसी के केंद्रीय डेटाबेस में उपलब्ध हो। यह एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि यूसीसी के तहत सभी विवाहों का एक एकीकृत रिकॉर्ड बन सके और भविष्य में किसी भी तरह की विसंगति या कानूनी उलझन से बचा जा सके। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे इस जानकारी को यूसीसी पोर्टल पर अवश्य अपडेट करें। पंजीकरण की स्थिति और सरकार की अपील राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक समान नागरिक संहिता के तहत 1 लाख 90 हजार से अधिक विवाहों का सफलतापूर्वक ऑनलाइन पंजीकरण किया जा चुका है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि नागरिक इस नए कानून के प्रति जागरूक हैं और इसका पालन कर रहे हैं। राज्य सरकार नागरिकों से अपील करती है कि वे इस निशुल्क पंजीकरण की समय सीमा का अधिकतम लाभ उठाएं। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि नागरिक 26 जुलाई तक का इंतजार न करें और जल्द से जल्द इस सुविधा का उपयोग करते हुए यूसीसी के अंतर्गत अपने विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित करें। यह न केवल उन्हें शुल्क और जुर्माने से बचाएगा, बल्कि यूसीसी के सुचारु क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा, जिससे सभी के लिए समानता और एकरूपता की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ेगा।

देहरादून, 07 जून, 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत विवाह पंजीकरण को लेकर एक बड़ा और महत्वपूर्ण ऐलान किया है। अब राज्य में विवाह पंजीकरण 26 जुलाई, 2025 तक बिल्कुल निशुल्क होगा। यह आदेश शासन की ओर से शुक्रवार को ही जारी कर दिए गए हैं, जिससे नागरिकों को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने साफ कर दिया है कि इस तय तारीख के बाद विवाह पंजीकरण के लिए शुल्क तो लगेगा ही, बल्कि कुछ मामलों में जुर्माना भी देना पड़ सकता है। यह कदम विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को गति देने और अधिक से अधिक लोगों को समय रहते पंजीकरण कराने के लिए प्रेरित करने हेतु उठाया गया है।


निशुल्क पंजीकरण की अवधि और उसके बाद का शुल्क

उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने और नागरिकों को सुविधा प्रदान करने के लिए विवाह पंजीकरण शुल्क को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है। यह निलंबन 26 जुलाई, 2025 तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि के दौरान, जो भी विवाह यूसीसी के तहत पंजीकृत होते हैं, उनका पंजीकरण पूर्णतः निशुल्क होगा।

रुड़की नगर निगम के नगर आयुक्त राकेश चंद तिवारी ने इस संबंध में पुष्टि करते हुए बताया कि यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण का शुल्क अब 26 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस अवधि के बीच जो भी विवाह पंजीकरण करता है, उसका यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण निशुल्क होगा। हालांकि, यदि कोई नागरिक यह पंजीकरण किसी सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) सेंटर के माध्यम से कराता है, तो उसे केवल सीएससी सेंटर को उनकी सेवा के लिए 50 रुपये का शुल्क देना होगा। यह शुल्क सरकारी पंजीकरण शुल्क से अलग है और सीएससी की सेवाओं के लिए देय होगा।


26 जुलाई के बाद नियम और जुर्माना: किसको देना होगा शुल्क और किसको जुर्माना?

शासन की ओर से जारी निर्देशों में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि 26 जुलाई, 2025 के बाद यदि कोई विवाह यूसीसी के तहत पंजीकृत किया जाता है, तो उस पर शुल्क के साथ-साथ जुर्माना भी लगेगा। यह नियम विशेष रूप से उन विवाहों पर लागू होगा जो 26 मार्च, 2010 के पश्चात संपन्न हुए हैं और जिनका पंजीकरण अभी तक नहीं हुआ है।

मूल रूप से, समान नागरिक संहिता 27 जनवरी, 2025 को लागू की गई थी, जिसके तहत सभी विवाहित लोगों को अनिवार्य रूप से यूसीसी के अंतर्गत अपने विवाह का पंजीकरण करना था। पंजीकरण के लिए पहले 250 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया था। अब, 26 जुलाई के बाद यह 250 रुपये का शुल्क फिर से लागू हो जाएगा, और यदि विवाह 26 मार्च, 2010 के बाद हुआ है और उसका पंजीकरण तय समय सीमा में नहीं कराया गया है, तो उस पर अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह दंड उन लोगों के लिए है जिन्होंने पहले अनिवार्य पंजीकरण का पालन नहीं किया या अब समय सीमा के भीतर निशुल्क पंजीकरण का लाभ नहीं उठा रहे हैं।


पूर्व में पंजीकृत विवाहों के लिए भी महत्वपूर्ण निर्देश

यह महत्वपूर्ण है कि यह आदेश केवल नए विवाहों के लिए ही नहीं है, बल्कि उन नागरिकों के लिए भी है जिन्होंने अपने विवाह को पहले ही किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत करवा लिया है। वे नागरिक जिन्होंने अपने विवाह को पहले ही उत्तराखंड विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण विधेयक, 2010 या किसी अन्य वैयक्तिक कानून (Personal Law) के अंतर्गत पंजीकृत करवा लिया है, उन्हें भी इस पंजीकरण की जानकारी अथवा ‘एक्नॉलेजमेंट’ (acknowledgment) समान नागरिक संहिता पोर्टल पर देना अनिवार्य है।

यह प्रक्रिया केवल सूचनात्मक है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के सभी विवाहों का विवरण यूसीसी के केंद्रीय डेटाबेस में उपलब्ध हो। यह एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि यूसीसी के तहत सभी विवाहों का एक एकीकृत रिकॉर्ड बन सके और भविष्य में किसी भी तरह की विसंगति या कानूनी उलझन से बचा जा सके। नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे इस जानकारी को यूसीसी पोर्टल पर अवश्य अपडेट करें।


पंजीकरण की स्थिति और सरकार की अपील

राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक समान नागरिक संहिता के तहत 1 लाख 90 हजार से अधिक विवाहों का सफलतापूर्वक ऑनलाइन पंजीकरण किया जा चुका है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि नागरिक इस नए कानून के प्रति जागरूक हैं और इसका पालन कर रहे हैं।

राज्य सरकार नागरिकों से अपील करती है कि वे इस निशुल्क पंजीकरण की समय सीमा का अधिकतम लाभ उठाएं। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि नागरिक 26 जुलाई तक का इंतजार न करें और जल्द से जल्द इस सुविधा का उपयोग करते हुए यूसीसी के अंतर्गत अपने विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित करें। यह न केवल उन्हें शुल्क और जुर्माने से बचाएगा, बल्कि यूसीसी के सुचारु क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा, जिससे सभी के लिए समानता और एकरूपता की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ेगा।


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