‘आत्ममंथन’ की दिव्य ज्योति से आलोकित होगा 78वां वार्षिक निरंकारी संत समागम; समालखा में तैयारियाँ समापन की ओर

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के सान्निध्य में 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक चलेगा भक्ति और मानवता का महासंगम; लाखों श्रद्धालु होंगे शामिल काशीपुर, 25 अक्टूबर 2025 (समय बोल रहा ) – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में आयोजित होने वाले 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियाँ संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में अब अपने अंतिम चरण में हैं। यह समागम 31 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 तक आयोजित होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से असंख्य श्रद्धालु भक्त आत्मीयता के इस उत्सव में भाग लेंगे। प्रेम, ज्ञान और भक्ति का पावन संगम संत निरंकारी मंडल के सचिव श्री जोगिंदर सुखीजा के अनुसार, यह समागम केवल एक वार्षिक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, प्रेम और भक्ति का पावन संगम है। यह आयोजन 'आत्ममंथन' की दिव्य भूमि है, जहाँ प्रत्येक साधक अपने अंतर्मन में झाँकने, आत्मचिंतन करने और आत्मिक चेतना को जागृत करने की प्रेरणा प्राप्त करता है। समागम में मानवता, विश्वबंधुत्व और आपसी सौहार्द की भावनाओं को आत्मसात करने पर विशेष बल दिया जाता है। भव्यता के साथ हो रही है तैयारी समागम स्थल, जो एक विशाल मैदान था, अब हज़ारों स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा भावना के कारण एक भव्य शामियानों की सुंदर नगरी में बदल चुका है। हज़ारों श्रद्धालु पूर्ण तन्मयता और समर्पण भाव से दिन-रात सेवाओं में जुटे हुए हैं। विशाल पंडाल: पंडालों में भक्तों के लिए सुव्यवस्थित बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। अत्याधुनिक डिस्प्ले: प्रवचन, भजन और विचारों को प्रभावी रूप से दर्शाने हेतु समूचे परिसर में अत्याधुनिक एल.ई.डी. स्क्रीन स्थापित की जा रही हैं, ताकि दूरस्थ स्थानों पर बैठे श्रद्धालु भी सत्संग का लाभ ले सकें। समुचित प्रबंधन: पूरे समागम परिसर को चार प्रमुख खंडों में विभाजित किया गया है, जिससे संचालन, आवागमन और सुविधाओं का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित हो सके। मुंबई के भक्तों द्वारा निर्मित भव्य स्वागत द्वार पिछले वर्षों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, इस वर्ष भी मुंबई के श्रद्धालु भक्तों द्वारा निर्मित मुख्य स्वागत द्वार अपनी कलात्मक भव्यता के साथ समागम की आध्यात्मिक रूपरेखा का प्रतिबिंब बनकर उभरा है। यह द्वार समर्पण और सृजनशीलता का सजीव उदाहरण है और समस्त मानवता को प्रेम और समभाव से आमंत्रित करता है। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की मंगलकामना है कि हर श्रद्धालु इस समागम में प्रेम, सम्मान और समुचित सुविधा का अनुभव करते हुए आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण हो। (यह समस्त जानकारी स्थानीय निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई।)

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के सान्निध्य में 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक चलेगा भक्ति और मानवता का महासंगम; लाखों श्रद्धालु होंगे शामिल

काशीपुर, 25 अक्टूबर 2025 (समय बोल रहा ) – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में आयोजित होने वाले 78वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियाँ संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में अब अपने अंतिम चरण में हैं। यह समागम 31 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 तक आयोजित होने जा रहा है, जिसमें देश-विदेश से असंख्य श्रद्धालु भक्त आत्मीयता के इस उत्सव में भाग लेंगे।

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प्रेम, ज्ञान और भक्ति का पावन संगम

संत निरंकारी मंडल के सचिव श्री जोगिंदर सुखीजा के अनुसार, यह समागम केवल एक वार्षिक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, प्रेम और भक्ति का पावन संगम है। यह आयोजन ‘आत्ममंथन’ की दिव्य भूमि है, जहाँ प्रत्येक साधक अपने अंतर्मन में झाँकने, आत्मचिंतन करने और आत्मिक चेतना को जागृत करने की प्रेरणा प्राप्त करता है। समागम में मानवता, विश्वबंधुत्व और आपसी सौहार्द की भावनाओं को आत्मसात करने पर विशेष बल दिया जाता है।

भव्यता के साथ हो रही है तैयारी

समागम स्थल, जो एक विशाल मैदान था, अब हज़ारों स्वयंसेवकों की निःस्वार्थ सेवा भावना के कारण एक भव्य शामियानों की सुंदर नगरी में बदल चुका है। हज़ारों श्रद्धालु पूर्ण तन्मयता और समर्पण भाव से दिन-रात सेवाओं में जुटे हुए हैं।

  • विशाल पंडाल: पंडालों में भक्तों के लिए सुव्यवस्थित बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
  • अत्याधुनिक डिस्प्ले: प्रवचन, भजन और विचारों को प्रभावी रूप से दर्शाने हेतु समूचे परिसर में अत्याधुनिक एल.ई.डी. स्क्रीन स्थापित की जा रही हैं, ताकि दूरस्थ स्थानों पर बैठे श्रद्धालु भी सत्संग का लाभ ले सकें।
  • समुचित प्रबंधन: पूरे समागम परिसर को चार प्रमुख खंडों में विभाजित किया गया है, जिससे संचालन, आवागमन और सुविधाओं का समुचित प्रबंधन सुनिश्चित हो सके।

मुंबई के भक्तों द्वारा निर्मित भव्य स्वागत द्वार

पिछले वर्षों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, इस वर्ष भी मुंबई के श्रद्धालु भक्तों द्वारा निर्मित मुख्य स्वागत द्वार अपनी कलात्मक भव्यता के साथ समागम की आध्यात्मिक रूपरेखा का प्रतिबिंब बनकर उभरा है। यह द्वार समर्पण और सृजनशीलता का सजीव उदाहरण है और समस्त मानवता को प्रेम और समभाव से आमंत्रित करता है।

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की मंगलकामना है कि हर श्रद्धालु इस समागम में प्रेम, सम्मान और समुचित सुविधा का अनुभव करते हुए आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण हो।

(यह समस्त जानकारी स्थानीय निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा द्वारा दी गई।)

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