संत समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा जी का संदेश: मानवता को अपनाएं, प्रेम और सेवा से जीवन को संवारे

a group of people standing around a building

पिंपरी-पुणे, काशीपुर (24 जनवरी 2025): महाराष्ट्र में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के शुभारंभ पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने मानवता के प्रति एक प्रेरणादायक संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मनुष्य के रूप में जन्म लेने के बाद, जब हम मानवीय गुणों को अपनाते हैं, तभी सही मायनों में इंसान कहलाते हैं।” इस तीन दिवसीय समागम में महाराष्ट्र और देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भक्त और प्रभु प्रेमी उपस्थित हुए।

संदेश: विज्ञान और मानवता का समन्वय

सतगुरु माता जी ने विज्ञान और तकनीक के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका उपयोग जब सद्बुद्धि और सकारात्मकता के साथ किया जाता है, तो यह मानव जीवन को सुकून और प्रगति का मार्ग प्रदान करता है। लेकिन जहां इनका दुरुपयोग होता है, वहां यह विनाश का कारण बन जाता है। उन्होंने ब्रह्मज्ञान के माध्यम से आत्मज्ञान की महत्ता पर जोर दिया, जिससे मानव के भीतर परोपकार, अपनत्व और प्रेम का भाव विकसित होता है।

भव्य शोभायात्रा का आयोजन

समागम के पहले दिन, मिलिट्री डेयरी फार्म के विशाल मैदानों में सतगुरु माता सुदीक्षा जी और निरंकारी राजपिता रमित जी के आगमन पर एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। श्रद्धालुओं ने अपने सतगुरु का गर्मजोशी से स्वागत किया। शोभायात्रा में मिशन की शिक्षाओं को प्रदर्शित करती विभिन्न झांकियां पेश की गईं।

इन झांकियों में “मानव एकता,” “सद्गुणों का विस्तार,” और “स्वच्छ जल, स्वच्छ मन” जैसे विषयों को उजागर किया गया। पुणे, कोल्हापुर, मुंबई, नासिक, नागपुर सहित अन्य राज्यों और जिलों से आए श्रद्धालुओं ने अपनी कला और भक्ति से दर्शकों का मन मोह लिया।

सतगुरु माता जी का स्वागत और आशीर्वाद

समागम स्थल पर पहुंचते ही सतगुरु माता सुदीक्षा जी और निरंकारी राजपिता रमित जी का फूलों से सजे खुले वाहन में भव्य स्वागत किया गया। श्रद्धालुओं ने “घन निरंकार के जयघोष” के साथ अपने प्रेम और भक्ति को प्रकट किया। दिव्य युगल ने अपनी मुस्कान और आशीर्वाद के साथ श्रद्धालुओं की भावनाओं को स्वीकारा।

समाज में मानवता का संदेश

सतगुरु माता जी ने अपने संदेश में कहा कि ब्रह्मज्ञान के माध्यम से जब इंसान परमात्मा को जीवन का हिस्सा बनाता है, तो उसके भीतर सुमति जागृत होती है। यह सुमति उसे अपने-पराए के भाव से ऊपर उठाकर मानवता की सेवा और प्रेम की ओर प्रेरित करती है।

समागम का उद्देश्य

इस समागम का उद्देश्य मानवता, एकता और परोपकार का प्रसार करना है। यह कार्यक्रम न केवल अध्यात्म का संगम है, बल्कि यह विश्वभर में भाईचारे और शांति का संदेश भी देता है।

उत्साहपूर्ण वातावरण

समागम के दौरान श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा गया। भक्ति और अध्यात्म का यह संगम एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करता नजर आया।

इस तीन दिवसीय समागम के साथ, सतगुरु माता सुदीक्षा जी के संदेश ने लाखों लोगों को जीवन में प्रेम, सेवा और मानवता को अपनाने की प्रेरणा दी।

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