रामनगर: ‘नशा नहीं, इलाज दो’ मांग पर सड़क पर महिलाएं, 1 जुलाई से बजाएंगी थाली-कनस्तर, दी सीधी चुनावी चुनौती!

रामनगर, 29 जून, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में ‘ड्रग फ्री देवभूमि’ के नारों के बीच रामनगर में सरकार की नीतियों के खिलाफ महिला एकता मंच ने एक बड़ा मोर्चा खोलने का ऐलान किया है। आने वाली 1 जुलाई से महिला एकता मंच ‘नशा नहीं, इलाज दो’ अभियान की शुरुआत करेगा, जिसके तहत सरकार के खिलाफ थाली-कनस्तर बजाकर जोरदार हल्ला बोला जाएगा। यह विरोध प्रदर्शन रामनगर विधायक कार्यालय के बाहर दोपहर 12 बजे से शुरू होगा, और इसमें सैकड़ों महिलाओं के शामिल होने की उम्मीद है। महिलाओं का आरोप है कि सरकार मालधन क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार नजरअंदाज कर रही है, वहीं शराब की दुकानों को धड़ाधड़ खोला जा रहा है।
स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, शराब की दुकानें मालामाल!
महिला एकता मंच का आरोप है कि मालधन क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय हो गई है। मालधन की जनता को डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं, और अस्पताल में इलाज की सुविधा भी न के बराबर है। सबसे गंभीर आरोप यह है कि एक तरफ लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं, वहीं दूसरी ओर शराब की दुकानें धड़ाधड़ खोली जा रही हैं, जिससे समाज में नशे का प्रकोप बढ़ रहा है। महिलाओं का सवाल है कि यह कैसा विकास है, जहां शराब को प्राथमिकता दी जा रही है और स्वास्थ्य को हाशिये पर धकेला जा रहा है।
मंच ने विशेष रूप से आरोप लगाया है कि अस्पताल की रीढ़ कहे जाने वाले फीजिशियन डॉ. प्रशांत कौशिक और प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. अर्चना कौशिक का तबादला करके स्वास्थ्य व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया गया है। इसके अलावा, अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और 24×7 इमरजेंसी जैसी आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से, पहले से बंद पड़ी गोपाल नगर में शराब की दुकान को फिर से खोल दिया गया है। यह विरोधाभास महिलाओं के गुस्से का मुख्य कारण बन गया है।
मांग पत्र सौंपा, समाधान न मिला तो महिलाएं उतरेंगी सड़क पर
महिला एकता मंच ने अपनी मांगों को लेकर पहले भी आवाज उठाई थी। 25 जून को मंच द्वारा रामनगर विधायक को एक विस्तृत मांग पत्र सौंपा गया था। इस मांग पत्र में प्रमुख रूप से ये मांगें शामिल थीं:
- डॉक्टरों के तबादले पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- अस्पताल में नए डॉक्टरों की जल्द से जल्द नियुक्ति की जाए।
- मालधन क्षेत्र में शराब की दुकानों को बंद किया जाए।
- कच्ची शराब की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष पुलिस टीम का गठन किया जाए।
मंच का कहना है कि मांग पत्र सौंपने के बाद भी उन्हें कोई ठोस समाधान नहीं मिला। सरकार और प्रशासन की चुप्पी ने महिलाओं को अब सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। उनका साफ कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
चुनावी चेतावनी जारी: ‘जो प्रत्याशी आंदोलन के साथ नहीं, जनता सिखाएगी सबक’
महिलाओं ने इस अभियान के साथ ही आगामी पंचायत चुनावों के लिए एक कड़ी चेतावनी भी जारी की है। महिला एकता मंच ने स्पष्ट कहा है कि “जो प्रत्याशी इस आंदोलन के साथ नहीं होंगे, उन्हें पंचायत चुनाव में जनता सबक सिखाएगी।” यह चेतावनी उन सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों और उम्मीदवारों के लिए है जो ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। महिलाओं का यह रुख बताता है कि वे अपने स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों को लेकर कितनी गंभीर हैं, और वे इन चुनावों में इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने जा रही हैं।
इस अभियान में महिला एकता मंच की ममता, पुष्पा, रेखा, कौशल्या, सरस्वती, रजनी, गुड्डी, सावित्री, पिंकी, मंजू, उमा, कमला जैसी अनेक महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगी। ये महिलाएं इस आंदोलन की रीढ़ हैं और अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए एकजुट हो चुकी हैं।
आंदोलन का आह्वान: 1 जुलाई को रामनगर विधायक कार्यालय पहुंचें
महिला एकता मंच ने रामनगर की जनता से आह्वान किया है कि यदि वे भी ‘इलाज मिले, नशा नहीं’ के विचार से सहमत हैं, तो वे आने वाली 1 जुलाई को दोपहर 12 बजे रामनगर विधायक कार्यालय पहुंचें। मंच ने सभी से थाली-कनस्तर बजाकर अपना विरोध दर्ज कराने और इस महत्त्वपूर्ण अभियान का हिस्सा बनने की अपील की है। थाली-कनस्तर बजाना अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी आवाज को सशक्त रूप से प्रशासन तक पहुंचाने का एक पारंपरिक और प्रभावी तरीका रहा है।
यह आंदोलन सरकार पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और शराब की बिक्री पर लगाम लगाने का दबाव बनाने के लिए शुरू किया जा रहा है। देखना होगा कि यह ‘थाली-कनस्तर’ आंदोलन कितना असर डाल पाता है और क्या महिलाओं की आवाज सुनी जाती है।