काशीपुर का सबसे बड़ा ‘कोर्ट कांड’: ACJM परिसर में वकीलों ने एक-दूसरे को पीटा, महिला पुलिसकर्मी भी घायल!


काशीपुर, 21 मई 2025 (समय बोल रहा): काशीपुर के न्यायिक इतिहास में एक ऐसी अभूतपूर्व और शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने पूरे न्यायपालिका और अधिवक्ता समुदाय को गहरा आघात पहुंचाया है। एसीजेएम (अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) कोर्ट परिसर के भीतर ही दो वकीलों के बीच भयंकर हिंसक झड़प हो गई, जिसमें एक वकील गंभीर रूप से घायल हो गया। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम के बीच-बचाव करने आई एक कर्तव्यनिष्ठ महिला पुलिसकर्मी भी चोटिल हो गईं, जिन्हें तत्काल उपचार के लिए स्थानीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। इस अप्रत्याशित और निंदनीय घटना को लेकर स्थानीय पुलिस ने गंभीरता से जांच-पड़ताल शुरू कर दी है और मामले की सच्चाई जानने के लिए हर पहलू से छानबीन की जा रही है।
न्याय के मंदिर में मर्यादा भंग: वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प
जानकारी के अनुसार, यह चौंकाने वाली और दुर्भाग्यपूर्ण घटना आज दोपहर एसीजेएम कोर्ट परिसर के मुख्य गलियारे में घटित हुई। घायल वकील की पहचान एडवोकेट राकेश चौधरी के रूप में हुई है, जबकि उन पर हमला करने वाले दूसरे वकील का नाम एडवोकेट विनय पाल बताया जा रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों वकीलों के बीच किसी मामूली बात को लेकर अचानक तीखी बहस शुरू हो गई। यह बहस जल्द ही गाली-गलौज और धक्का-मुक्की में बदल गई, और देखते ही देखते यह हिंसक हाथापाई तक पहुंच गई। बताया जा रहा है कि एडवोकेट विनय पाल ने एडवोकेट राकेश चौधरी पर जोरदार हमला कर दिया, जिससे वह चोटिल होकर जमीन पर गिर पड़े। इस घटना से कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी मच गई और अन्य वकीलों व वहां मौजूद लोगों में दहशत फैल गई।
बीच-बचाव करने आई महिला पुलिसकर्मी भी हुईं घायल
इस हिंसक झड़प और बिगड़ती स्थिति को देखकर वहां सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात एक महिला पुलिसकर्मी, जिसका नाम सुमन बताया जा रहा है, ने तुरंत हस्तक्षेप किया। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दोनों झगड़ रहे वकीलों को अलग करने का साहसपूर्ण प्रयास किया। इसी बीच-बचाव के दौरान हुई धक्का-मुक्की में महिला पुलिसकर्मी सुमन भी चोटिल हो गईं। उनके शरीर पर कई जगह चोटें आई हैं। घायल महिला पुलिसकर्मी सुमन को तत्काल एंबुलेंस से उपचार के लिए स्थानीय चिकित्सालय ले जाया गया है, जहां डॉक्टरों द्वारा उनका इलाज किया जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार, उनकी स्थिति फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। वहीं, हमले में घायल हुए एडवोकेट राकेश चौधरी को भी तुरंत उपचार के लिए एल्डिहाइड चिकित्सालय लाया गया।
काशीपुर के न्यायिक इतिहास में काला अध्याय: पहली बार ऐसी शर्मनाक घटना
इस घटना ने न केवल काशीपुर के न्यायिक समुदाय को बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। कोर्ट परिसर, जिसे न्याय, शांति और कानून-व्यवस्था का सर्वोच्च प्रतीक माना जाता है, के भीतर इस प्रकार की हिंसक घटना का होना बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है। काशीपुर अधिवक्ता संघ से जुड़े वरिष्ठ सदस्यों और स्थानीय वकीलों का कहना है कि यह काशीपुर के न्यायिक इतिहास में संभवतः पहली बार है जब कोर्ट परिसर के भीतर वकीलों के बीच इस हद तक की हिंसक झड़प हुई हो। इस घटना ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की गरिमा, पवित्रता और कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। यह वकीलों जैसे जिम्मेदार पेशे की मर्यादा को भी भंग करती है।
पुलिस ने शुरू की गहन जांच-पड़ताल: दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तुरंत हरकत में आई और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची। पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया, प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की और आवश्यक साक्ष्य जुटाए। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस पूरे घटनाक्रम की गहन जांच-पड़ताल शुरू कर दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की पूरी तस्वीर और घटना के पीछे के वास्तविक कारणों का पता चलने के बाद ही दोषी वकीलों के खिलाफ कानून सम्मत सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि क्या यह कोई पूर्वनियोजित हमला था या किसी तात्कालिक विवाद का परिणाम।
अधिवक्ता समुदाय में रोष और सुरक्षा की मांग
इस घटना को लेकर काशीपुर के अधिवक्ता समुदाय में भी भारी रोष और असंतोष व्याप्त है। कई वकीलों ने इस हिंसक घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण, शर्मनाक और न्याय के पवित्र पेशे की गरिमा के खिलाफ बताया है। उन्होंने एक स्वर में मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच की जाए तथा दोषी वकीलों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ बार काउंसिल द्वारा भी सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। अधिवक्ता संघ ने कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की भी मांग की है।
यह घटना न केवल वकीलों के पेशे की पवित्रता और गरिमा को धूमिल करती है, बल्कि न्याय के मंदिर में आने वाले आम लोगों की सुरक्षा के प्रति भी गंभीर चिंताएं बढ़ाती है। पुलिस प्रशासन पर इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करने का भारी दबाव है ताकि कोर्ट परिसर में कानून और व्यवस्था बनी रहे और आम जनता का न्यायपालिका पर विश्वास कायम रहे। अब सभी की निगाहें पुलिस जांच पर टिकी हैं कि कब इस जघन्य घटना के पीछे का पूरा सच सामने आता है और दोषी वकीलों को उनके किए की सजा भुगतनी पड़ती है। यह घटना निश्चित रूप से काशीपुर के न्यायिक इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गई है।