काशीपुर के दुर्गापुर दोहरे हत्याकांड में न्याय की जीत: 10 दोषियों को आजीवन कारावास की कठोर सजा

काशीपुर, 28 मई 2025 (समय बोल रहा): काशीपुर के कुंडा थाना क्षेत्र में करीब दस साल नौ महीने पहले हुए बहुचर्चित और जघन्य दोहरा हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई है। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश चंद्र आर्या की अदालत ने इस निर्मम वारदात के 10 दोषियों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 20 हजार 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस ऐतिहासिक फैसले से पीड़ित परिवार को लंबे इंतजार और अथक संघर्ष के बाद न्याय मिला है, जिससे क्षेत्र में कानून का राज स्थापित होने का संदेश गया है। क्या था दुर्गापुर दोहरा हत्याकांड? एक दशक पुराना वह खूनी विवाद यह सनसनीखेज मामला 24 अगस्त 2014 को कुंडा थाने में दर्ज किया गया था। ग्राम दुर्गापुर निवासी बचन सिंह ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में बताया था कि उनका बेटा हरनाम सिंह उर्फ हनी गांव में सक्रिय कच्ची शराब बेचने वालों का लगातार विरोध करता था। हनी की यह ईमानदारी और विरोध ही उसकी दुश्मनी का कारण बन गई। बचन सिंह के अनुसार, कच्ची शराब बेचने वाले कुछ लोग, जिनमें कश्मीर सिंह उर्फ शीरी, जसवंत सिंह उर्फ नंदी, विंदर सिंह (सभी निवासी दुर्गापुर), लखविंदर सिंह उर्फ वीरी (ग्राम किलावली), जस्सा सिंह, मंगल सिंह उर्फ मंगत, बबलू सिंह, पासी सिंह, पप्पी सिंह (सभी निवासी ग्राम नवलपुर) और दारा सिंह शामिल थे, हनी से इसी बात पर पुरानी रंजिश रखते थे। बचन सिंह ने अपनी शिकायत में आगे बताया कि 21 अगस्त 2014 की दोपहर को ये सभी आरोपी उनके घर आए थे। उस समय हरनाम सिंह उर्फ हनी घर पर मौजूद नहीं था। आरोपियों ने बचन सिंह को धमकी देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि वे अपने बेटे हरनाम को समझा लें, वरना वे उसे जान से मार देंगे। यह धमकी इस बात का संकेत थी कि आरोपी अपने अवैध धंधे में किसी भी तरह की बाधा बर्दाश्त नहीं करेंगे। खूनी रात: बहाने से बुलाया और कर दी निर्मम हत्या अगले ही दिन, यानी 22 अगस्त 2014 की शाम को, अब्दुल रहमान निवासी गुज्जर डेरा तुमड़िया डाम ने हरनाम सिंह उर्फ हनी को एक बहाने से अपने डेरे पर बुलाया। आरोप है कि यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। डेरे पर पहले से ही मौजूद सभी आरोपी, जिनमें ऊपर उल्लिखित सभी दस लोग शामिल थे, ने मिलकर हमसाज होकर हरनाम सिंह उर्फ हनी और उसके साथी कुलवंत सिंह उर्फ गोले की बेरहमी से हत्या कर दी। इस निर्मम वारदात को अंजाम देने के बाद, हत्यारों ने दोनों शवों को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से जंगल में फेंक दिया। दो दिनों तक दोनों युवक लापता रहे, जिससे उनके परिवारों में चिंता और भय का माहौल था। आखिरकार, 24 अगस्त को, हरनाम सिंह उर्फ हनी और कुलवंत सिंह उर्फ गोले के शव मच्छी कोटा के पास से बरामद किए गए। शवों की बरामदगी की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और लोग सकते में आ गए। लंबी कानूनी लड़ाई और अभियोजन पक्ष के पुख्ता सबूतों ने दिलाई जीत पुलिस ने बचन सिंह की शिकायत के आधार पर तत्काल हत्या का केस दर्ज किया और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की। पुलिस जांच में कुछ और लोगों की इस दोहरे हत्याकांड में लिप्तता सामने आई, जिसके बाद कुल दस लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह मामला काशीपुर की तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश चंद्र आर्या की अदालत में लंबे समय तक विचाराधीन रहा। मुकदमे की सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ 18 गवाहों को अदालत के समक्ष पेश किया। इन गवाहों के बयानों को पुख्ता साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने घटना की कड़ियों को जोड़ने और आरोपियों के अपराध को साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अदालत ने सभी गवाहों के बयानों और पेश किए गए सबूतों पर गहनता से विचार-विमर्श किया। न्याय की जीत: 10 दोषियों को कठोर आजीवन कारावास लंबे इंतजार और गहन सुनवाई के बाद, अदालत ने इस जघन्य दोहरे हत्याकांड के लिए निम्नलिखित दस दोषियों को दोषी ठहराया और उन्हें कठोर आजीवन कारावास की ऐतिहासिक सजा सुनाई: जसवंत सिंह उर्फ नंदी जसवंत सिंह उर्फ जस्सा भगत सिंह उर्फ भगत प्रकाश सिंह उर्फ पासी लखवीर सिंह उर्फ वीरी दारा सिंह प्रकाश सिंह चांदी सिंह लाल सिंह उर्फ बलविंदर सिंह बलविंदर सिंह उर्फ विंदर अदालत ने आजीवन कारावास की सजा के अतिरिक्त प्रत्येक दोषी पर 20,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अपराध में लिप्त होते हैं, कि कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता और उन्हें अंततः अपने किए की सजा भुगतनी पड़ती है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय मिला है, जिससे न्यायपालिका में उनका विश्वास और मजबूत हुआ है। यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवारों को राहत देगा, बल्कि समाज में कानून के प्रति सम्मान और अपराधियों के मन में भय

काशीपुर, 28 मई 2025 (समय बोल रहा): काशीपुर के कुंडा थाना क्षेत्र में करीब दस साल नौ महीने पहले हुए बहुचर्चित और जघन्य दोहरा हत्याकांड में आखिरकार न्याय की जीत हुई है। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश चंद्र आर्या की अदालत ने इस निर्मम वारदात के 10 दोषियों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 20 हजार 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इस ऐतिहासिक फैसले से पीड़ित परिवार को लंबे इंतजार और अथक संघर्ष के बाद न्याय मिला है, जिससे क्षेत्र में कानून का राज स्थापित होने का संदेश गया है।


क्या था दुर्गापुर दोहरा हत्याकांड? एक दशक पुराना वह खूनी विवाद

यह सनसनीखेज मामला 24 अगस्त 2014 को कुंडा थाने में दर्ज किया गया था। ग्राम दुर्गापुर निवासी बचन सिंह ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में बताया था कि उनका बेटा हरनाम सिंह उर्फ हनी गांव में सक्रिय कच्ची शराब बेचने वालों का लगातार विरोध करता था। हनी की यह ईमानदारी और विरोध ही उसकी दुश्मनी का कारण बन गई। बचन सिंह के अनुसार, कच्ची शराब बेचने वाले कुछ लोग, जिनमें कश्मीर सिंह उर्फ शीरी, जसवंत सिंह उर्फ नंदी, विंदर सिंह (सभी निवासी दुर्गापुर), लखविंदर सिंह उर्फ वीरी (ग्राम किलावली), जस्सा सिंह, मंगल सिंह उर्फ मंगत, बबलू सिंह, पासी सिंह, पप्पी सिंह (सभी निवासी ग्राम नवलपुर) और दारा सिंह शामिल थे, हनी से इसी बात पर पुरानी रंजिश रखते थे।

बचन सिंह ने अपनी शिकायत में आगे बताया कि 21 अगस्त 2014 की दोपहर को ये सभी आरोपी उनके घर आए थे। उस समय हरनाम सिंह उर्फ हनी घर पर मौजूद नहीं था। आरोपियों ने बचन सिंह को धमकी देते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि वे अपने बेटे हरनाम को समझा लें, वरना वे उसे जान से मार देंगे। यह धमकी इस बात का संकेत थी कि आरोपी अपने अवैध धंधे में किसी भी तरह की बाधा बर्दाश्त नहीं करेंगे।


खूनी रात: बहाने से बुलाया और कर दी निर्मम हत्या

अगले ही दिन, यानी 22 अगस्त 2014 की शाम को, अब्दुल रहमान निवासी गुज्जर डेरा तुमड़िया डाम ने हरनाम सिंह उर्फ हनी को एक बहाने से अपने डेरे पर बुलाया। आरोप है कि यह एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा था। डेरे पर पहले से ही मौजूद सभी आरोपी, जिनमें ऊपर उल्लिखित सभी दस लोग शामिल थे, ने मिलकर हमसाज होकर हरनाम सिंह उर्फ हनी और उसके साथी कुलवंत सिंह उर्फ गोले की बेरहमी से हत्या कर दी। इस निर्मम वारदात को अंजाम देने के बाद, हत्यारों ने दोनों शवों को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से जंगल में फेंक दिया।

दो दिनों तक दोनों युवक लापता रहे, जिससे उनके परिवारों में चिंता और भय का माहौल था। आखिरकार, 24 अगस्त को, हरनाम सिंह उर्फ हनी और कुलवंत सिंह उर्फ गोले के शव मच्छी कोटा के पास से बरामद किए गए। शवों की बरामदगी की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और लोग सकते में आ गए।


लंबी कानूनी लड़ाई और अभियोजन पक्ष के पुख्ता सबूतों ने दिलाई जीत

पुलिस ने बचन सिंह की शिकायत के आधार पर तत्काल हत्या का केस दर्ज किया और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की। पुलिस जांच में कुछ और लोगों की इस दोहरे हत्याकांड में लिप्तता सामने आई, जिसके बाद कुल दस लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। यह मामला काशीपुर की तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश मुकेश चंद्र आर्या की अदालत में लंबे समय तक विचाराधीन रहा।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान, अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ 18 गवाहों को अदालत के समक्ष पेश किया। इन गवाहों के बयानों को पुख्ता साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने घटना की कड़ियों को जोड़ने और आरोपियों के अपराध को साबित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अदालत ने सभी गवाहों के बयानों और पेश किए गए सबूतों पर गहनता से विचार-विमर्श किया।


न्याय की जीत: 10 दोषियों को कठोर आजीवन कारावास

लंबे इंतजार और गहन सुनवाई के बाद, अदालत ने इस जघन्य दोहरे हत्याकांड के लिए निम्नलिखित दस दोषियों को दोषी ठहराया और उन्हें कठोर आजीवन कारावास की ऐतिहासिक सजा सुनाई:

  1. जसवंत सिंह उर्फ नंदी
  2. जसवंत सिंह उर्फ जस्सा
  3. भगत सिंह उर्फ भगत
  4. प्रकाश सिंह उर्फ पासी
  5. लखवीर सिंह उर्फ वीरी
  6. दारा सिंह
  7. प्रकाश सिंह
  8. चांदी सिंह
  9. लाल सिंह उर्फ बलविंदर सिंह
  10. बलविंदर सिंह उर्फ विंदर

अदालत ने आजीवन कारावास की सजा के अतिरिक्त प्रत्येक दोषी पर 20,500 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अपराध में लिप्त होते हैं, कि कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता और उन्हें अंततः अपने किए की सजा भुगतनी पड़ती है। इस फैसले से पीड़ित परिवार को लंबे समय से प्रतीक्षित न्याय मिला है, जिससे न्यायपालिका में उनका विश्वास और मजबूत हुआ है। यह निर्णय न केवल पीड़ित परिवारों को राहत देगा, बल्कि समाज में कानून के प्रति सम्मान और अपराधियों के मन में भय भी पैदा करेगा।

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