हरिद्वार में किसानों का महामंथन शुरू! लाल कोठी में 3 दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर का भव्य आगाज, देशभर से उमड़े किसान नेता

हरिद्वार, 16 जून, 2025 (समय बोल रहा ) - देश के अन्नदाताओं के भविष्य और उनके सशक्तिकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल आज हरिद्वार में शुरू हो गई है। लाल कोठी परिसर में एक भव्य तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर का शुभारंभ हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के किसानों के अधिकारों, उनकी ज्वलंत समस्याओं और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर गहन मंथन करना है। 16 से 18 जून तक चलने वाले इस शिविर में देशभर के विभिन्न राज्यों से आए किसान प्रतिनिधि, पदाधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं, जिससे यह आयोजन किसानों के हितों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। राष्ट्रीय चिंतन शिविर का उद्देश्य और भव्य शुरुआत यह राष्ट्रीय चिंतन शिविर ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब देश का कृषि क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), सिंचाई, फसल बीमा, बाजार पहुंच और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए, इस तीन दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया है ताकि इन मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जा सके और ठोस समाधान सुझाए जा सकें। आज सुबह शिविर का भव्य शुभारंभ हुआ, जिसमें देशभर से आए हजारों किसानों और किसान नेताओं की उपस्थिति ने माहौल को जीवंत बना दिया। शिविर स्थल पर किसानों की भारी भीड़ उत्साह और एकजुटता का प्रदर्शन कर रही थी। आयोजकों ने बताया कि इस चिंतन शिविर से निकलने वाले सुझावों और प्रस्तावों को जल्द ही नीति-निर्माताओं तक पहुंचाया जाएगा, ताकि उन्हें सरकारी नीतियों में शामिल किया जा सके और किसानों के जीवन में वास्तविक बदलाव आ सके। यह शिविर केवल चर्चा का मंच नहीं, बल्कि किसानों की आवाज़ को बुलंद करने का एक शक्तिशाली माध्यम बनने वाला है। राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह का गर्मजोशी से स्वागत और प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह के पहुंचने पर किसानों और पदाधिकारियों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। ढोल-नगाड़ों और किसानों के नारों के साथ उनका अभिनंदन किया गया, जिससे शिविर स्थल पर एक ऊर्जावान माहौल बन गया। युद्धवीर सिंह देश के किसान आंदोलनों में एक जाना-माना चेहरा हैं और उनकी उपस्थिति ने किसानों में नया जोश भर दिया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर देश भर से कई प्रमुख किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिनमें शामिल हैं: प्रेम सिंह सहोता, दर्शन सिंह दियोल, बलविंदर सिंह लाड़ी, शेर सिंह, सुखविंदर सिंह पोला, दीदार सिंह, शीतल सिंह, जसवीर सिंह, गुलाब सिंह, हरजिंदर सिंह, पवन सिंह, श्याम अरोड़ा, अर्पित राठी, कमल कुमार, जागीर सिंह, प्रभजोत सिंह, विक्रम सिंह गोराया, बलदेव सिंह, किसन सिंह, और विक्की रंधावा। इन सभी नेताओं की उपस्थिति ने शिविर को एक राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया है और यह दर्शाता है कि किसानों के मुद्दे पर देश के कोने-कोने से प्रतिनिधि एक साथ आए हैं। हजारों किसानों की उपस्थिति और विभिन्न सत्रों में होने वाला व्यापक विचार-विमर्श इस शिविर को निश्चित रूप से ऐतिहासिक बना रहा है। जनसेवा और एकता का संदेश: तीनों दिन चलेगी लंगर व्यवस्था इस राष्ट्रीय चिंतन शिविर की एक और खास बात यह है कि इसमें आने वाले सभी प्रतिभागियों और श्रद्धालुओं के लिए तीनों दिन लंगर की भव्य व्यवस्था की गई है। लंगर, जो सिख धर्म की एक पवित्र परंपरा है, निःस्वार्थ सेवा और समानता का प्रतीक है। इस व्यवस्था के माध्यम से, आयोजकों ने न केवल हजारों लोगों के लिए भोजन का प्रबंध किया है, बल्कि जनसेवा और एकता का एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। लंगर में सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। यह परंपरा यह भी दर्शाती है कि किसान समुदाय न केवल अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है, बल्कि सेवा भाव में भी अग्रणी है। लंगर की व्यवस्था यह भी सुनिश्चित करती है कि देश के दूर-दराज के इलाकों से आए किसानों को भोजन को लेकर किसी तरह की चिंता न करनी पड़े, जिससे वे पूरी तरह से विचार-विमर्श पर ध्यान केंद्रित कर सकें। यह पहल निश्चित रूप से इस शिविर को एक सामाजिक और मानवीय आयाम भी प्रदान करती है, जो केवल राजनीतिक या आर्थिक चर्चा तक सीमित नहीं है। आगे की राह: सुझावों को नीति-निर्माताओं तक पहुंचाना आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि यह तीन दिवसीय चिंतन शिविर केवल विचारों के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें होने वाले विचार-विमर्श और मंथन के बाद जो भी सुझाव, प्रस्ताव और रोडमैप तैयार होंगे, उन्हें एक ठोस दस्तावेज़ के रूप में संकलित किया जाएगा। इस दस्तावेज़ को जल्द ही देश के नीति-निर्माताओं, संबंधित मंत्रालयों और सरकार के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। लक्ष्य यह है कि किसानों द्वारा उठाई गई आवाज को सुना जाए और उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके। यह शिविर किसानों को एक मंच प्रदान करता है जहाँ वे अपनी समस्याओं को खुलकर रख सकते हैं और उनके लिए सामूहिक रूप से समाधान ढूंढ सकते हैं। उम्मीद है कि यह राष्ट्रीय चिंतन शिविर भारतीय कृषि और किसानों के भविष्य के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा और सरकार को ऐ

हरिद्वार, 16 जून, 2025 (समय बोल रहा ) – देश के अन्नदाताओं के भविष्य और उनके सशक्तिकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल आज हरिद्वार में शुरू हो गई है। लाल कोठी परिसर में एक भव्य तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर का शुभारंभ हुआ, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के किसानों के अधिकारों, उनकी ज्वलंत समस्याओं और कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर गहन मंथन करना है। 16 से 18 जून तक चलने वाले इस शिविर में देशभर के विभिन्न राज्यों से आए किसान प्रतिनिधि, पदाधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में शामिल हुए हैं, जिससे यह आयोजन किसानों के हितों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।


राष्ट्रीय चिंतन शिविर का उद्देश्य और भव्य शुरुआत

यह राष्ट्रीय चिंतन शिविर ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब देश का कृषि क्षेत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), सिंचाई, फसल बीमा, बाजार पहुंच और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए, इस तीन दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया है ताकि इन मुद्दों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया जा सके और ठोस समाधान सुझाए जा सकें।

आज सुबह शिविर का भव्य शुभारंभ हुआ, जिसमें देशभर से आए हजारों किसानों और किसान नेताओं की उपस्थिति ने माहौल को जीवंत बना दिया। शिविर स्थल पर किसानों की भारी भीड़ उत्साह और एकजुटता का प्रदर्शन कर रही थी। आयोजकों ने बताया कि इस चिंतन शिविर से निकलने वाले सुझावों और प्रस्तावों को जल्द ही नीति-निर्माताओं तक पहुंचाया जाएगा, ताकि उन्हें सरकारी नीतियों में शामिल किया जा सके और किसानों के जीवन में वास्तविक बदलाव आ सके। यह शिविर केवल चर्चा का मंच नहीं, बल्कि किसानों की आवाज़ को बुलंद करने का एक शक्तिशाली माध्यम बनने वाला है।


राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह का गर्मजोशी से स्वागत और प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह के पहुंचने पर किसानों और पदाधिकारियों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया। ढोल-नगाड़ों और किसानों के नारों के साथ उनका अभिनंदन किया गया, जिससे शिविर स्थल पर एक ऊर्जावान माहौल बन गया। युद्धवीर सिंह देश के किसान आंदोलनों में एक जाना-माना चेहरा हैं और उनकी उपस्थिति ने किसानों में नया जोश भर दिया।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर देश भर से कई प्रमुख किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिनमें शामिल हैं: प्रेम सिंह सहोता, दर्शन सिंह दियोल, बलविंदर सिंह लाड़ी, शेर सिंह, सुखविंदर सिंह पोला, दीदार सिंह, शीतल सिंह, जसवीर सिंह, गुलाब सिंह, हरजिंदर सिंह, पवन सिंह, श्याम अरोड़ा, अर्पित राठी, कमल कुमार, जागीर सिंह, प्रभजोत सिंह, विक्रम सिंह गोराया, बलदेव सिंह, किसन सिंह, और विक्की रंधावा। इन सभी नेताओं की उपस्थिति ने शिविर को एक राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया है और यह दर्शाता है कि किसानों के मुद्दे पर देश के कोने-कोने से प्रतिनिधि एक साथ आए हैं। हजारों किसानों की उपस्थिति और विभिन्न सत्रों में होने वाला व्यापक विचार-विमर्श इस शिविर को निश्चित रूप से ऐतिहासिक बना रहा है।


जनसेवा और एकता का संदेश: तीनों दिन चलेगी लंगर व्यवस्था

इस राष्ट्रीय चिंतन शिविर की एक और खास बात यह है कि इसमें आने वाले सभी प्रतिभागियों और श्रद्धालुओं के लिए तीनों दिन लंगर की भव्य व्यवस्था की गई है। लंगर, जो सिख धर्म की एक पवित्र परंपरा है, निःस्वार्थ सेवा और समानता का प्रतीक है। इस व्यवस्था के माध्यम से, आयोजकों ने न केवल हजारों लोगों के लिए भोजन का प्रबंध किया है, बल्कि जनसेवा और एकता का एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। लंगर में सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देता है। यह परंपरा यह भी दर्शाती है कि किसान समुदाय न केवल अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है, बल्कि सेवा भाव में भी अग्रणी है।

लंगर की व्यवस्था यह भी सुनिश्चित करती है कि देश के दूर-दराज के इलाकों से आए किसानों को भोजन को लेकर किसी तरह की चिंता न करनी पड़े, जिससे वे पूरी तरह से विचार-विमर्श पर ध्यान केंद्रित कर सकें। यह पहल निश्चित रूप से इस शिविर को एक सामाजिक और मानवीय आयाम भी प्रदान करती है, जो केवल राजनीतिक या आर्थिक चर्चा तक सीमित नहीं है।


आगे की राह: सुझावों को नीति-निर्माताओं तक पहुंचाना

आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि यह तीन दिवसीय चिंतन शिविर केवल विचारों के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं रहेगा। इसमें होने वाले विचार-विमर्श और मंथन के बाद जो भी सुझाव, प्रस्ताव और रोडमैप तैयार होंगे, उन्हें एक ठोस दस्तावेज़ के रूप में संकलित किया जाएगा। इस दस्तावेज़ को जल्द ही देश के नीति-निर्माताओं, संबंधित मंत्रालयों और सरकार के उच्चाधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। लक्ष्य यह है कि किसानों द्वारा उठाई गई आवाज को सुना जाए और उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जा सके।

यह शिविर किसानों को एक मंच प्रदान करता है जहाँ वे अपनी समस्याओं को खुलकर रख सकते हैं और उनके लिए सामूहिक रूप से समाधान ढूंढ सकते हैं। उम्मीद है कि यह राष्ट्रीय चिंतन शिविर भारतीय कृषि और किसानों के भविष्य के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा और सरकार को ऐसी नीतियां बनाने के लिए प्रेरित करेगा जो वास्तव में किसानों के हितों की रक्षा करती हों और उन्हें सशक्त बनाती हों।


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