रुद्रपुर में ‘ड्रग्स फ्री देवभूमि’ अभियान: चौमेला में चला जागरूकता कार्यक्रम, नशे के खिलाफ पुलिस और प्रशासन सख्त!

रुद्रपुर, 13 जून, 2025 (समय बोल रहा ) - उत्तराखंड को 'नशा मुक्त' बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ, सितारगंज में 'नशा मुक्त भारत अभियान' और 'ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन 2025' के तहत एक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया के कड़े निर्देशों के क्रम में, चौमेला स्थित सितारगंज में आयोजित इस अभियान में बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना और उन्हें इस सामाजिक बुराई से लड़ने के लिए सशक्त बनाना था। यह अभियान उत्तराखंड सरकार के 2025 तक राज्य को पूरी तरह नशा मुक्त बनाने के संकल्प का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अभियान का लक्ष्य: 'ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन 2025' उत्तराखंड सरकार ने 'ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन 2025' की शुरुआत की है, जिसका स्पष्ट लक्ष्य आगामी वर्ष 2025 तक पूरे राज्य को नशा मुक्त बनाना है। यह एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण, लेकिन आवश्यक लक्ष्य है, क्योंकि नशा समाज के हर वर्ग, विशेषकर युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इस मिशन में राज्य पुलिस की अहम भूमिका है, जो नशा तस्करों पर नकेल कसने, नशे की लत से ग्रसित लोगों को मुख्यधारा में लाने और इस गंभीर सामाजिक समस्या से निपटने के लिए विभिन्न प्रयासों को क्रियान्वित कर रही है। पुलिस विभाग लगातार छापेमारी, जागरूकता कार्यक्रमों और पुनर्वास प्रयासों के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाने में जुटा है। जिला प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन ने बताया कि चौमेला, सितारगंज में आयोजित जागरूकता अभियान में चाइल्ड हेल्पलाइन से केंद्र समन्वयक चांदनी रावत और गोविंद सिंह पांगती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उपस्थित महिलाओं, बच्चों और अन्य सभी लोगों को नशा मुक्ति और ड्रग्स से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि नशा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन को किस तरह पूरी तरह से तबाह कर देता है। नशे की लत न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि परिवारों को तोड़ती है और समाज में अपराधों को भी बढ़ावा देती है। बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा: हेल्पलाइन और कानूनी प्रावधानों की जानकारी जागरूकता अभियान के दौरान नशा मुक्ति के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां भी साझा की गईं। चाइल्ड हेल्पलाइन के प्रतिनिधियों ने विस्तार से बताया कि चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 बच्चों की मदद के लिए कैसे काम करता है। किसी भी बच्चे को संकट में देखने पर या उसके साथ हो रहे दुर्व्यवहार की सूचना देने के लिए इस नंबर का उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम में पोक्सो एक्ट (POCSO Act), बाल श्रम, बाल विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया। लोगों को इन कानूनों के प्रावधानों और उनसे संबंधित अपराधों के बारे में जागरूक किया गया, ताकि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें। पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 की भी जानकारी दी गई, जिसे आपात स्थिति में किसी भी तरह की पुलिस सहायता के लिए डायल किया जा सकता है। इन जानकारियों का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को शोषण और हिंसा से बचाना और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करना था। सामुदायिक भागीदारी: सोशल वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मियों का योगदान इस जागरूकता अभियान को सफल बनाने में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण रही। चौमेला गांव की सोशल वर्कर पुष्पा पानू और आंगनवाड़ी सहायिका बबली ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी उपस्थित थे, जिन्होंने अभियान को अपना समर्थन दिया। स्थानीय सोशल वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर अधिक प्रभावी बनाया, क्योंकि वे सीधे समुदाय से जुड़े हुए हैं और लोगों के बीच विश्वास पैदा करने में सक्षम हैं। उनकी भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया कि संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे और वे नशे के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका समझ सकें। ऐसे अभियानों की सफलता के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामुदायिक भागीदारी भी बेहद आवश्यक होती है। यह दिखाता है कि जब समाज के विभिन्न वर्ग एक साथ आते हैं, तो किसी भी सामाजिक बुराई से निपटना संभव हो जाता है। लगातार निरीक्षण और भविष्य की रणनीति जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया के निर्देशानुसार, यह केवल एक शुरुआती कदम है। जनपद में नशा मुक्त भारत अभियान और ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन के अंतर्गत ऐसे जागरूकता कार्यक्रम और नशे के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। पुलिस और प्रशासन का लक्ष्य है कि नशा तस्करों के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त किया जाए और युवाओं को नशे की गिरफ्त में आने से बचाया जाए। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगातार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह अभियान एक स्वस्थ, सुरक्षित और नशा मुक्त उत्तराखंड के नि

रुद्रपुर, 13 जून, 2025 (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड को ‘नशा मुक्त’ बनाने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ, सितारगंज में ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ और ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन 2025′ के तहत एक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया के कड़े निर्देशों के क्रम में, चौमेला स्थित सितारगंज में आयोजित इस अभियान में बड़ी संख्या में महिलाओं, बच्चों और स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को नशे के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करना और उन्हें इस सामाजिक बुराई से लड़ने के लिए सशक्त बनाना था। यह अभियान उत्तराखंड सरकार के 2025 तक राज्य को पूरी तरह नशा मुक्त बनाने के संकल्प का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।


अभियान का लक्ष्य: ‘ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन 2025’

उत्तराखंड सरकार ने ‘ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन 2025’ की शुरुआत की है, जिसका स्पष्ट लक्ष्य आगामी वर्ष 2025 तक पूरे राज्य को नशा मुक्त बनाना है। यह एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण, लेकिन आवश्यक लक्ष्य है, क्योंकि नशा समाज के हर वर्ग, विशेषकर युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इस मिशन में राज्य पुलिस की अहम भूमिका है, जो नशा तस्करों पर नकेल कसने, नशे की लत से ग्रसित लोगों को मुख्यधारा में लाने और इस गंभीर सामाजिक समस्या से निपटने के लिए विभिन्न प्रयासों को क्रियान्वित कर रही है। पुलिस विभाग लगातार छापेमारी, जागरूकता कार्यक्रमों और पुनर्वास प्रयासों के माध्यम से इस अभियान को सफल बनाने में जुटा है।

जिला प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन ने बताया कि चौमेला, सितारगंज में आयोजित जागरूकता अभियान में चाइल्ड हेल्पलाइन से केंद्र समन्वयक चांदनी रावत और गोविंद सिंह पांगती ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उपस्थित महिलाओं, बच्चों और अन्य सभी लोगों को नशा मुक्ति और ड्रग्स से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि नशा व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक जीवन को किस तरह पूरी तरह से तबाह कर देता है। नशे की लत न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि परिवारों को तोड़ती है और समाज में अपराधों को भी बढ़ावा देती है।


बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा: हेल्पलाइन और कानूनी प्रावधानों की जानकारी

जागरूकता अभियान के दौरान नशा मुक्ति के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां भी साझा की गईं। चाइल्ड हेल्पलाइन के प्रतिनिधियों ने विस्तार से बताया कि चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 बच्चों की मदद के लिए कैसे काम करता है। किसी भी बच्चे को संकट में देखने पर या उसके साथ हो रहे दुर्व्यवहार की सूचना देने के लिए इस नंबर का उपयोग किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम में पोक्सो एक्ट (POCSO Act), बाल श्रम, बाल विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया। लोगों को इन कानूनों के प्रावधानों और उनसे संबंधित अपराधों के बारे में जागरूक किया गया, ताकि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें। पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 की भी जानकारी दी गई, जिसे आपात स्थिति में किसी भी तरह की पुलिस सहायता के लिए डायल किया जा सकता है। इन जानकारियों का उद्देश्य बच्चों और महिलाओं को शोषण और हिंसा से बचाना और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करना था।


सामुदायिक भागीदारी: सोशल वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मियों का योगदान

इस जागरूकता अभियान को सफल बनाने में स्थानीय समुदाय की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण रही। चौमेला गांव की सोशल वर्कर पुष्पा पानू और आंगनवाड़ी सहायिका बबली ने इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी उपस्थित थे, जिन्होंने अभियान को अपना समर्थन दिया। स्थानीय सोशल वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर अधिक प्रभावी बनाया, क्योंकि वे सीधे समुदाय से जुड़े हुए हैं और लोगों के बीच विश्वास पैदा करने में सक्षम हैं।

उनकी भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया कि संदेश अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे और वे नशे के खिलाफ लड़ाई में अपनी भूमिका समझ सकें। ऐसे अभियानों की सफलता के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ सामुदायिक भागीदारी भी बेहद आवश्यक होती है। यह दिखाता है कि जब समाज के विभिन्न वर्ग एक साथ आते हैं, तो किसी भी सामाजिक बुराई से निपटना संभव हो जाता है।


लगातार निरीक्षण और भविष्य की रणनीति

जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया के निर्देशानुसार, यह केवल एक शुरुआती कदम है। जनपद में नशा मुक्त भारत अभियान और ड्रग्स फ्री देवभूमि मिशन के अंतर्गत ऐसे जागरूकता कार्यक्रम और नशे के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी रहेगी। पुलिस और प्रशासन का लक्ष्य है कि नशा तस्करों के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त किया जाए और युवाओं को नशे की गिरफ्त में आने से बचाया जाए। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी लगातार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह अभियान एक स्वस्थ, सुरक्षित और नशा मुक्त उत्तराखंड के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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