सहकारिता चुनाव स्थगित: नैनीताल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

हाईकोर्ट का आदेश: पुरानी नियमावली से होंगे चुनाव नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि सहकारिता समितियों के चुनाव पुरानी नियमावली के अनुसार ही कराए जाएं। अदालत ने एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह आदेश उत्तराखंड राज्य में सहकारिता समितियों के चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया गया। अदालत की नाराजगी: बार-बार स्थगन पर जताई आपत्ति हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बार-बार चुनावों को टालने पर नाराजगी जाहिर की। अदालत ने कहा कि सहकारिता समितियों के चुनाव लंबे समय से अटके हुए हैं, जिससे समितियों का प्रबंधन प्रभावित हो रहा है। सरकार को जल्द से जल्द चुनाव कार्यक्रम जारी करने और उसे लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। निकाय चुनावों के बाद सहकारिता चुनावों पर नजर उत्तराखंड में हाल ही में नगर निकाय चुनाव संपन्न हुए हैं, जिसके बाद अब सहकारिता चुनावों की प्रक्रिया तेज हो गई थी। प्रशासन ने 25 फरवरी को चुनाव कराने की योजना बनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह प्रक्रिया दोबारा ठप हो गई है। हाईकोर्ट ने क्यों दिया यह फैसला? याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील दी थी कि सरकार सहकारिता चुनावों में नई नियमावली लागू करके राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। अदालत ने इन दलीलों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होने चाहिए और इसके लिए पुरानी नियमावली को लागू रखना ही उचित होगा। आगे की रणनीति: सरकार को पेश करना होगा नया कार्यक्रम अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। उसे अदालत के निर्देशों के अनुरूप चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा और शीघ्र चुनाव कार्यक्रम पेश करना होगा। यदि सरकार इस आदेश का पालन नहीं करती है, तो यह अवमानना का मामला भी बन सकता है। उत्तराखंड की सहकारिता समितियों पर असर इस फैसले का सीधा असर उत्तराखंड की सहकारिता समितियों पर पड़ेगा, जहां चुनावों के माध्यम से समितियों के नए प्रबंधन का गठन होना था। अदालत के इस हस्त


नैनीताल 25 फरवरी 2025 (समय बोल रहा )

हाईकोर्ट का आदेश: पुरानी नियमावली से होंगे चुनाव

नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि सहकारिता समितियों के चुनाव पुरानी नियमावली के अनुसार ही कराए जाएं। अदालत ने एकलपीठ के फैसले को बरकरार रखते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह आदेश उत्तराखंड राज्य में सहकारिता समितियों के चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया गया।

अदालत की नाराजगी: बार-बार स्थगन पर जताई आपत्ति

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बार-बार चुनावों को टालने पर नाराजगी जाहिर की। अदालत ने कहा कि सहकारिता समितियों के चुनाव लंबे समय से अटके हुए हैं, जिससे समितियों का प्रबंधन प्रभावित हो रहा है। सरकार को जल्द से जल्द चुनाव कार्यक्रम जारी करने और उसे लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

निकाय चुनावों के बाद सहकारिता चुनावों पर नजर

उत्तराखंड में हाल ही में नगर निकाय चुनाव संपन्न हुए हैं, जिसके बाद अब सहकारिता चुनावों की प्रक्रिया तेज हो गई थी। प्रशासन ने 25 फरवरी को चुनाव कराने की योजना बनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह प्रक्रिया दोबारा ठप हो गई है।

हाईकोर्ट ने क्यों दिया यह फैसला?

याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील दी थी कि सरकार सहकारिता चुनावों में नई नियमावली लागू करके राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। अदालत ने इन दलीलों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होने चाहिए और इसके लिए पुरानी नियमावली को लागू रखना ही उचित होगा।

आगे की रणनीति: सरकार को पेश करना होगा नया कार्यक्रम

अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड सरकार के सामने नई चुनौती खड़ी हो गई है। उसे अदालत के निर्देशों के अनुरूप चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा और शीघ्र चुनाव कार्यक्रम पेश करना होगा। यदि सरकार इस आदेश का पालन नहीं करती है, तो यह अवमानना का मामला भी बन सकता है।

उत्तराखंड की सहकारिता समितियों पर असर

इस फैसले का सीधा असर उत्तराखंड की सहकारिता समितियों पर पड़ेगा, जहां चुनावों के माध्यम से समितियों के नए प्रबंधन का गठन होना था। अदालत के इस हस्तक्षेप के बाद समितियों में अस्थायी प्रशासनिक व्यवस्था बनी रह सकती है।

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