उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत देहरादून, 09 जून, 2025 (समय बोल रहा ) उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव आया है। पूर्व में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने और जुलाई में प्रस्तावित चुनावों में देरी के कारण, राज्य सरकार ने पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए नए प्रशासकों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। अब जिला पंचायतों की कमान जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट संभालेंगे, क्षेत्र पंचायतों का जिम्मा उपजिलाधिकारी देखेंगे, और ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) प्रशासक होंगे। यह निर्णय तब लिया गया है जब वर्ष 2019 में गठित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और नए चुनाव अभी संभव नहीं हो सके हैं। इस बदलाव का सीधा असर प्रदेश की लाखों ग्रामीण जनता पर पड़ेगा। कार्यकाल समाप्ति और चुनाव में देरी: क्यों पड़ी प्रशासकों की जरूरत? उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 की धारा-130 (6) के तहत, वर्ष 2019 में गठित प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इन पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, शासन ने पूर्व में अधिसूचना संख्या-256316/XII(1)/2024-86(15)/2013/ई-68985 दिनांक 26.11.2024 और अन्य संबंधित अधिसूचनाओं के माध्यम से ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार संबंधित जिलाधिकारियों को दिया था। ये प्रशासक कार्यकाल समाप्ति की तिथि से छह महीने तक या नई पंचायतों के गठन तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किए गए थे। हालांकि, इन नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल भी अब समाप्त हो चुका है। ग्राम पंचायतों में 27 मई 2025 को, क्षेत्र पंचायतों में 29 मई 2025 को, और जिला पंचायतों में 01 जून 2025 को कार्यकाल समाप्त हो गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि "अति अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण" त्रिस्तरीय पंचायतों का सामान्य निर्वाचन, प्रशासकों के कार्यकाल समाप्ति की तिथि से पूर्व कराया जाना साध्य नहीं हो सका है। इसी अप्रत्याशित देरी के कारण, अब नई अंतरिम व्यवस्था लागू की गई है। नई प्रशासकीय व्यवस्था: कौन संभालेगा किसकी कमान? वर्तमान की "अपरिहार्य परिस्थिति" को देखते हुए, प्रदेश में जुलाई 2025 में प्रस्तावित आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (हरिद्वार को छोड़कर) प्रक्रिया संपन्न होने तक या नवीन पंचायतों के गठन तक, अथवा 31 जुलाई 2025 (जो भी पहले हो) तक, कार्यहित, जनहित और पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए नए अधिकारियों को प्रशासक के रूप में अधिकृत किया गया है। यह निर्णय प्रमोद कुमार बिजलवान, समीक्षा अधिकारी, पंचायती राज विभाग द्वारा 09/06/2025 को जारी अधिसूचना (संख्या: 305002 जैनराज बिंदु-1 /XII(1)/2025/86(15)/2013/ई-68985) में विस्तृत रूप से बताया गया है। नई व्यवस्था के तहत, निम्नवत् अधिकारियों को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी गई है: जिला पंचायतों में: संबंधित जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट को जिला पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह दिखाता है कि जिला स्तर पर शासन ने सबसे उच्च अधिकारी पर भरोसा जताया है ताकि विकास कार्य और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। क्षेत्र पंचायतों में: संबंधित उपजिलाधिकारी (अपनी क्षेत्राधिकारिता में) क्षेत्र पंचायतों का कार्यभार संभालेंगे। उपजिलाधिकारी की नियुक्ति से ब्लॉक स्तर पर प्रभावी निगरानी और निर्णय लेने की क्षमता बनी रहेगी। ग्राम पंचायतों में: संबंधित विकासखंड में तैनात सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को ग्राम पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह पद ग्रामीण स्तर पर सीधे जनता से जुड़ा होता है और योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने और नई निर्वाचित पंचायतों के गठन तक ग्रामीण विकास कार्य और जन सेवाएं बाधित न हों। पुरानी शर्तों का यथावत् रहना और आगे की राह अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में प्रशासक नियुक्त किए जाने संबंधी प्रस्तर-1 में उल्लिखित पूर्व निर्गत अधिसूचनाओं में निहित शेष शर्ते यथावत रहेंगी। इसका अर्थ है कि प्रशासकों के अधिकार और जिम्मेदारियां पूर्व में निर्धारित नियमों के अनुरूप ही होंगी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था के सुचारू संचालन की आवश्यकता है। हरिद्वार जिले को इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है, संभवतः वहां की चुनावी या प्रशासनिक स्थिति अलग होने के कारण। अब सभी की निगाहें जुलाई 2025 में होने वाले प्रस्तावित पंचायत चुनावों पर टिकी हैं, जो नई निर्वाचित पंचायतों को सत्ता में लाएंगे और ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से स्थापित करेंगे। इस बीच, नए प्रशासक जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और विकास कार्यों को गति देने की चुनौती का सामना करेंगे।

उत्तराखंड में ‘प्रशासक राज’ का नया दौर: पंचायतों में बड़े बदलाव, अब ये अधिकारी संभालेंगे कमान! जानिए पूरी खबर

देहरादून, 09 जून, 2025 (समय बोल रहा ) उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव आया है। पूर्व में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने और जुलाई में प्रस्तावित चुनावों में देरी के कारण, राज्य सरकार ने पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए नए प्रशासकों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी…

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देहरादून, 06 जून, 2025 (समय बोल रहा ) - देवभूमि उत्तराखंड में पर्यटन सीजन चरम पर है, और राज्य के खूबसूरत पहाड़ों और धार्मिक स्थलों पर सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। लेकिन इसी दौरान, कुछ पर्यटकों द्वारा सड़कों पर हुड़दंग करने, वाहनों में शराब पीकर उत्पात मचाने और अनधिकृत रूप से कारों में हूटर बजाने की घटनाओं ने चिंता बढ़ा दी है। इन बढ़ती घटनाओं पर लगाम कसने के लिए, उत्तराखंड पुलिस ने अब कड़ा रुख अपनाया है। रेंज कार्यालय से एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत ऐसे अनुशासनहीन पर्यटकों को गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस का यह कदम राज्य की शांति व्यवस्था और पर्यटकों के लिए एक सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पर्यटन सीजन में अनुशासनहीनता: बढ़ती शिकायतें और वायरल वीडियो उत्तराखंड, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के कारण देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य रहा है। वर्तमान में, पर्यटन सीजन चरम पर है, और गढ़वाल मंडल के चारों धामों (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) से लेकर प्रमुख पर्यटक स्थलों जैसे देहरादून, मसूरी, धनोल्टी, चकराता, टिहरी, हर्षिल और अन्य स्थलों पर सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। यह राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए तो सुखद है, लेकिन इसी के साथ कुछ अप्रिय घटनाएं भी सामने आ रही हैं। हाल के दिनों में, गढ़वाल के अलग-अलग जिलों से पर्यटकों के उत्पात मचाने, सार्वजनिक स्थानों पर मारपीट करने, और वाहनों से खतरनाक स्टंटबाजी करने की कई शिकायतें मिली हैं। इन घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुए हैं, जिससे राज्य की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। ये वीडियो न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं, बल्कि अन्य पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए भी असहजता और भय का माहौल पैदा कर रहे हैं। इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए, पुलिस प्रशासन अब सख्त कार्रवाई करने को मजबूर हुआ है। पुलिस का 'जीरो टॉलरेंस' अभियान: हुड़दंगियों पर होगी कड़ी कार्रवाई इन बढ़ती शिकायतों और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो को देखते हुए, रेंज कार्यालय ने अब 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाने का फैसला किया है। इसके तहत, एक विशेष अभियान शुरू किया गया है जिसका सीधा उद्देश्य उन पर्यटकों पर शिकंजा कसना है जो उत्तराखंड आकर कानून का उल्लंघन करते हैं और सार्वजनिक शांति भंग करते हैं। पुलिस अब सड़कों पर खुलेआम शराब पीने, वाहनों में शराब पीकर उत्पात मचाने, तेज संगीत बजाकर शोरगुल करने, और विशेष रूप से अनधिकृत रूप से कारों में हूटर या सायरन बजाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेगी। पुलिस स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि पर्यटन का अर्थ अनुशासनहीनता या अराजकता नहीं है। राज्य में सभी का स्वागत है, लेकिन कानून का सम्मान करना अनिवार्य है। इस अभियान में उन व्यक्तियों को भी लक्ष्य किया जाएगा जो खतरनाक ड्राइविंग या स्टंटबाजी करके अपनी और दूसरों की जान खतरे में डालते हैं। अभियान के तहत गिरफ्तारी और कानूनी प्रावधान इस विशेष अभियान के दौरान, पुलिस टीम सादे कपड़ों में और यूनिफॉर्म में विभिन्न पर्यटक स्थलों और प्रमुख मार्गों पर तैनात रहेंगी। सीसीटीवी कैमरों और स्थानीय लोगों से मिली सूचनाओं के आधार पर भी कार्रवाई की जाएगी। जो भी पर्यटक इन गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे, उन्हें मौके पर ही गिरफ्तार किया जाएगा। पुलिस ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता (IPC) और मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज करेगी। शराब पीकर हंगामा करने पर आईपीसी की धाराओं के साथ-साथ आबकारी अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है। अनधिकृत रूप से हूटर या सायरन बजाने पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना और अन्य दंड का प्रावधान है। स्टंटबाजी या रैश ड्राइविंग के मामलों में न केवल भारी जुर्माना लगेगा, बल्कि ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है और गंभीर मामलों में कारावास की सजा भी हो सकती है। पुलिस का लक्ष्य इन सख्त कार्रवाइयों के माध्यम से एक मिसाल कायम करना है ताकि अन्य लोग ऐसी गलतियां करने से पहले सौ बार सोचें। स्थानीय निवासियों और अन्य पर्यटकों को मिलेगी राहत पुलिस के इस विशेष अभियान से स्थानीय निवासियों और अन्य शांतिप्रिय पर्यटकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। हुड़दंग और उत्पात मचाने वाले तत्वों के कारण अक्सर स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और शांत वातावरण भंग होता है। इसके अलावा, जो पर्यटक शांति और प्रकृति का आनंद लेने आते हैं, उन्हें भी ऐसे अप्रिय व्यवहार के कारण असुविधा होती है। पुलिस के इस कदम से पर्यटन का वास्तविक अनुभव बेहतर होगा, और राज्य की छवि एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में मजबूत होगी। यह अभियान न केवल कानून का राज स्थापित करेगा, बल्कि पर्यटन के लिए एक अधिक सम्मानजनक और सुखद वातावरण भी बनाएगा, जिससे उत्तराखंड अपनी देवभूमि की पहचान को बरकरार रख सके। पुलिस ने सभी पर्यटकों से अपील की है कि वे राज्य के कानूनों का पालन करें और अपनी यात्रा को शांतिपूर्ण और सुखद बनाएं।

उत्तराखंड में हुड़दंगियों की खैर नहीं! सड़कों पर शराब पीकर उत्पात मचाने और हूटर बजाने वालों पर पुलिस सख्त, विशेष अभियान शुरू

देहरादून, 06 जून, 2025 (समय बोल रहा ) – देवभूमि उत्तराखंड में पर्यटन सीजन चरम पर है, और राज्य के खूबसूरत पहाड़ों और धार्मिक स्थलों पर सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। लेकिन इसी दौरान, कुछ पर्यटकों द्वारा सड़कों पर हुड़दंग करने, वाहनों में शराब पीकर उत्पात मचाने और अनधिकृत रूप से कारों में…

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देहरादून, 30 मई, 2025 ( समय बोल रहा )- अंकिता भंडारी हत्याकांड में अदालत के ऐतिहासिक फैसले के बाद, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे न्याय की बड़ी जीत बताया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी, मनवीर सिंह चौहान ने दोषियों को मिली सज़ा को सुखद और संतोषजनक करार देते हुए कहा कि यह फैसला उन सभी लोगों के लिए एक सबक है, जो इस दुखद मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने विपक्षी कांग्रेस की प्रतिक्रिया को दुर्भाग्यपूर्ण और विशुद्ध रूप से राजनीति से प्रेरित बताया, और जोर देकर कहा कि जिन लोगों ने लगातार जांच एजेंसियों की ईमानदारी पर सवाल उठाए थे, उन्हें अब अदालत के इस स्पष्ट और निर्णायक फैसले का सम्मान करना चाहिए। श्री चौहान ने इस बात पर विशेष बल दिया कि अदालत ने अपने निर्णय में तथ्यों और पुख्ता सबूतों को आधार बनाया है। उन्होंने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी भूमिका शुरू से ही दुष्प्रचार फैलाने और ओछी राजनीति करने की रही है, जो अब सबके सामने उजागर हो चुकी है। कांग्रेस लगातार अंकिता मामले में "लचर पैरवी" का आरोप लगाती रही, लेकिन अदालत का यह फैसला उनकी उन सभी मनगढ़ंत आशंकाओं और दुष्प्रचार को निरर्थक साबित कर गया है। श्री चौहान ने कहा, "आखिरकार, न्याय मिला है, और यही सबसे महत्वपूर्ण है।" उन्होंने अंकिता के नाम पर निकाली गईं तमाम "राजनीतिक यात्राओं" पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इन यात्राओं का मूल उद्देश्य अंकिता को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि राजनीतिक तुष्टि और लाभ प्राप्त करना था, और इस फैसले के बाद उनकी यह कुत्सित मंशा पूरी नहीं हो पाई है। जांच एजेंसियों की भूमिका और कांग्रेस का दोहरा मापदंड श्री चौहान ने भावुक होते हुए कहा कि अंकिता केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड प्रदेश की बेटी थी। उनके परिजनों के दुख में समस्त देवभूमिवासी शामिल थे। उन्होंने जांच एजेंसियों की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने दोषियों को कटघरे में खड़ा करने के लिए हर संभव साक्ष्य एकत्रित किए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब जांच एजेंसियां पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ साक्ष्य जुटाने और मामले की गहन विवेचना कर रही थीं, तब कांग्रेस सहित कुछ अन्य दल जानबूझकर "नई थ्योरी" सामने लाने की साजिश रच रहे थे और दुष्प्रचार फैलाने का प्रयास कर रहे थे। कांग्रेस के दोहरे रवैये पर श्री चौहान ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "यह विडंबना है कि कांग्रेस एक तरफ अंकिता के हत्यारों को मिली सज़ा को 'संतोषजनक' बता रही है, और दूसरी तरफ उसी फैसले पर सवाल भी उठा रही है।" उन्होंने याद दिलाया कि जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की गहन और विस्तृत जांच के दौरान कोई भी ऐसी बात सामने नहीं आई, जो कांग्रेस के दुष्प्रचार को बल देती हो। उनका सारा खेल केवल "दुष्प्रचार" तक ही सीमित रहा और सच्चाई से कोसों दूर था। मुख्यमंत्री धामी का सक्रिय सहयोग और न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान श्री चौहान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री धामी ने इस मुद्दे पर शुरुआत से ही बारीकी से नज़र रखी और जांच एजेंसियों को पूरी तरह से स्वतंत्रता (फ्री हैंड) दी, ताकि जांच में कोई भी बाधा न आए और पूरी पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पूर्व में न्यायालय भी जांच एजेंसियों के कार्य की सराहना कर चुका है, जो उनकी विश्वसनीयता और निष्पक्षता का अकाट्य प्रमाण है। श्री चौहान ने बताया कि पैरवी के दौरान, अंकिता के परिजनों की राय और उनकी मांगों का पूरा सम्मान रखा गया, यह सुनिश्चित करते हुए कि न्याय की प्रक्रिया में उनकी भावनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता मिले। उन्होंने कहा कि अंकिता के परिजन इस फैसले को संतोषजनक बता रहे हैं, लेकिन कांग्रेस को अपने राजनीतिक स्वार्थवश यह न्याय "हज़म" नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस की अवसरवादिता और जनता का जवाब भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी ने कांग्रेस पर राजनीतिक अवसरवादिता का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस की इस अवसरवादिता का जनता सही समय पर जवाब देगी।" उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस का वास्तविक ध्येय अंकिता को न्याय दिलाना कभी नहीं रहा, बल्कि उनका एकमात्र उद्देश्य इस दुखद घटना पर राजनीति करना था। यह फैसला, भाजपा के अनुसार, न केवल अंकिता को न्याय दिलाता है, बल्कि उन सभी राजनीतिक साजिशों और पैंतरेबाज़ियों को भी बेनकाब करता है, जो इस दुखद समय का लाभ उठाने का प्रयास कर रहे थे। भाजपा का दृढ़ विश्वास है कि यह फैसला सच्चाई और न्याय की जीत का प्रतीक है, और यह हमारी न्याय प्रणाली की अखंडता और ईमानदारी को दर्शाता है, भले ही कुछ लोग इसे अपने राजनीतिक लाभ के लिए बदनाम करने की कोशिश करें।

अंकिता हत्याकांड: कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, न्याय की जीत

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देहरादून, 24 मई 2025 (समय बोल रहा): (कर्नल) उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति अब जमीन पर बड़े पैमाने पर दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए धामी सरकार द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई ने एक नई मिसाल कायम की है, जिससे जनता का सरकार पर भरोसा और भी मजबूत हुआ है। इसी क्रम में आज एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए, हल्द्वानी स्थित सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की टीम ने जनपद बागेश्वर के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी सूबोध शुक्ला (सेवानिवृत्त कर्नल) को 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया है। शिकायत और ट्रैप ऑपरेशन: ऐसे दबोचे गए रिश्वतखोर अधिकारी विजिलेंस विभाग को 1064 टोल फ्री नंब

उत्तराखंड में रिश्वत का ‘खेल’ खत्म! विजिलेंस का बड़ा धमाका, कर्नल भी नहीं बचे!

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देहरादून 17 मई 2025 (समय बोल रहा) : उत्तराखंड सरकार ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया है। इस नई पहल के तहत, राज्य की महिलाओं को अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिए परियोजना लागत का 75 प्रतिशत तक या अधिकतम डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक सहायता (सब्सिडी) प्रदान की जाएगी। इस महत्वपूर्ण योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 30 करोड़ रुपये का पर्याप्त बजट आवंटित किया है। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के पहले वर्ष में ही कम से कम दो हजार महिलाओं को इस लाभकारी पहल का सीधा लाभ पहुंचाया जा सके। राज्य सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने इस योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह कदम उत्तराखंड की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें समाज में एक सम्मानित और मजबूत स्थान दिलाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तराखंड की महिलाओं में अद्वितीय प्रतिभा और असीम क्षमता मौजूद है, और इस योजना के माध्यम से उन्हें अपने सपनों को साकार करने तथा स्वरोजगार के नए अवसर सृजित करने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। सरकार का दृढ़ विश्वास है कि जब राज्य की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी, तो न केवल उनके परिवारों का सामाजिक और आर्थिक उत्थान सुनिश्चित होगा, बल्कि इससे राज्य की समग्र अर्थव्यवस्था को भी एक नई गति और मजबूती मिलेगी। इस योजना के अंतर्गत, उत्तराखंड की इच्छुक महिलाएं विभिन्न प्रकार के व्यवसाय शुरू करने के लिए सरकार के समक्ष अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकती हैं। इन व्यवसायों में मुख्य रूप से हस्तशिल्प कला से जुड़े उद्यम, आकर्षक बुटीक, खाद्य प्रसंस्करण की छोटी इकाइयाँ, सिलाई और कढ़ाई केंद्र, छोटे स्तर पर वस्तुओं का उत्पादन करने वाली इकाइयाँ, कृषि क्षेत्र पर आधारित व्यवसाय और अन्य विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाले उद्यम शामिल हो सकते हैं। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए, प्रत्येक महिला आवेदक को अपने प्रस्तावित व्यवसाय की एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। इस रिपोर्ट में व्यवसाय की पूरी योजना, उसमें आने वाली अनुमानित लागत और उससे प्राप्त होने वाले संभावित लाभों का स्पष्ट रूप से उल्लेख करना अनिवार्य होगा। राज्य सरकार ने इस महत्वपूर्ण योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए एक सरल, सुगम और पूरी तरह से पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है। इच्छुक महिलाओं को योजना के लिए आवेदन करने और इसके बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए जल्द ही एक आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल और एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, जिला स्तर पर भी संबंधित सरकारी विभाग महिलाओं को आवेदन प्रक्रिया को समझने और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में हर संभव सहायता प्रदान करेंगे, ताकि कोई भी पात्र महिला इस योजना के लाभ से वंचित न रहे। सरकार ने इस योजना के पहले वर्ष में ही राज्य की कम से कम दो हजार महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार का मानना है कि यह प्रारंभिक चरण राज्य की महिलाओं को उद्यमिता के क्षेत्र में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा। योजना की सफलता और महिलाओं से मिलने वाली सकारात्मक प्रतिक्रिया के आधार पर, भविष्य में इस योजना का दायरा और अधिक विस्तृत किया जा सकता है, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। राज्य सरकार ने इस दूरदर्शी योजना के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 30 करोड़ रुपये का पर्याप्त बजट आवंटित किया है। यह वित्तीय प्रावधान स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि उत्तराखंड सरकार राज्य की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर और प्रतिबद्ध है। आवंटित की गई यह धनराशि मुख्य रूप से पात्र महिलाओं को सब्सिडी के वितरण, उन्हें व्यवसाय से संबंधित आवश्यक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने और योजना के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने पर खर्च की जाएगी। सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि इस योजना के माध्यम से न केवल महिलाओं को वित्तीय सहायता मिले, बल्कि उन्हें सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चलाने के लिए आवश्यक कौशल और उचित मार्गदर्शन भी प्राप्त हो सके। उत्तराखंड के विभिन्न महिला संगठनों और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार की इस पहल का दिल खोलकर स्वागत किया है। उनका मानना है कि यह योजना उत्तराखंड की महिलाओं के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए एक सुनहरा और ऐतिहासिक अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने राज्य सरकार से इस योजना के प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने का पुरजोर आग्रह किया है, ताकि इसका वास्तविक लाभ सही मायने में जरूरतमंद और उद्यमी बनने की प्रबल इच्छा रखने वाली महिलाओं तक पहुंच सके। यह योजना उत्तराखंड सरकार की राज्य की महिलाओं के समग्र कल्याण और उनके सतत विकास के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह उम्मीद की जा रही है कि इस महत्वपूर्ण पहल से राज्य में महिला उद्यमिता को एक नई ऊर्जा और प्रोत्साहन मिलेगा, और महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से स्वतंत्र होंगी, बल्कि वे राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। राज्य सरकार का यह सराहनी

उत्तराखंड की महिलाओं के लिए सुनहरा अवसर: व्यवसाय शुरू करने पर 75% सब्सिडी

देहरादून 17 मई 2025 (समय बोल रहा) : उत्तराखंड सरकार ने राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ाने और उन्हें उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से एक महत्वाकांक्षी योजना का शुभारंभ किया है। इस नई पहल के तहत, राज्य की महिलाओं को अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के…

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उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत देहरादून, 09 जून, 2025 (समय बोल रहा ) उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव आया है। पूर्व में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने और जुलाई में प्रस्तावित चुनावों में देरी के कारण, राज्य सरकार ने पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए नए प्रशासकों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। अब जिला पंचायतों की कमान जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट संभालेंगे, क्षेत्र पंचायतों का जिम्मा उपजिलाधिकारी देखेंगे, और ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) प्रशासक होंगे। यह निर्णय तब लिया गया है जब वर्ष 2019 में गठित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और नए चुनाव अभी संभव नहीं हो सके हैं। इस बदलाव का सीधा असर प्रदेश की लाखों ग्रामीण जनता पर पड़ेगा। कार्यकाल समाप्ति और चुनाव में देरी: क्यों पड़ी प्रशासकों की जरूरत? उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 की धारा-130 (6) के तहत, वर्ष 2019 में गठित प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इन पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, शासन ने पूर्व में अधिसूचना संख्या-256316/XII(1)/2024-86(15)/2013/ई-68985 दिनांक 26.11.2024 और अन्य संबंधित अधिसूचनाओं के माध्यम से ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार संबंधित जिलाधिकारियों को दिया था। ये प्रशासक कार्यकाल समाप्ति की तिथि से छह महीने तक या नई पंचायतों के गठन तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किए गए थे। हालांकि, इन नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल भी अब समाप्त हो चुका है। ग्राम पंचायतों में 27 मई 2025 को, क्षेत्र पंचायतों में 29 मई 2025 को, और जिला पंचायतों में 01 जून 2025 को कार्यकाल समाप्त हो गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि "अति अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण" त्रिस्तरीय पंचायतों का सामान्य निर्वाचन, प्रशासकों के कार्यकाल समाप्ति की तिथि से पूर्व कराया जाना साध्य नहीं हो सका है। इसी अप्रत्याशित देरी के कारण, अब नई अंतरिम व्यवस्था लागू की गई है। नई प्रशासकीय व्यवस्था: कौन संभालेगा किसकी कमान? वर्तमान की "अपरिहार्य परिस्थिति" को देखते हुए, प्रदेश में जुलाई 2025 में प्रस्तावित आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (हरिद्वार को छोड़कर) प्रक्रिया संपन्न होने तक या नवीन पंचायतों के गठन तक, अथवा 31 जुलाई 2025 (जो भी पहले हो) तक, कार्यहित, जनहित और पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए नए अधिकारियों को प्रशासक के रूप में अधिकृत किया गया है। यह निर्णय प्रमोद कुमार बिजलवान, समीक्षा अधिकारी, पंचायती राज विभाग द्वारा 09/06/2025 को जारी अधिसूचना (संख्या: 305002 जैनराज बिंदु-1 /XII(1)/2025/86(15)/2013/ई-68985) में विस्तृत रूप से बताया गया है। नई व्यवस्था के तहत, निम्नवत् अधिकारियों को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी गई है: जिला पंचायतों में: संबंधित जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट को जिला पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह दिखाता है कि जिला स्तर पर शासन ने सबसे उच्च अधिकारी पर भरोसा जताया है ताकि विकास कार्य और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। क्षेत्र पंचायतों में: संबंधित उपजिलाधिकारी (अपनी क्षेत्राधिकारिता में) क्षेत्र पंचायतों का कार्यभार संभालेंगे। उपजिलाधिकारी की नियुक्ति से ब्लॉक स्तर पर प्रभावी निगरानी और निर्णय लेने की क्षमता बनी रहेगी। ग्राम पंचायतों में: संबंधित विकासखंड में तैनात सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को ग्राम पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह पद ग्रामीण स्तर पर सीधे जनता से जुड़ा होता है और योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने और नई निर्वाचित पंचायतों के गठन तक ग्रामीण विकास कार्य और जन सेवाएं बाधित न हों। पुरानी शर्तों का यथावत् रहना और आगे की राह अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में प्रशासक नियुक्त किए जाने संबंधी प्रस्तर-1 में उल्लिखित पूर्व निर्गत अधिसूचनाओं में निहित शेष शर्ते यथावत रहेंगी। इसका अर्थ है कि प्रशासकों के अधिकार और जिम्मेदारियां पूर्व में निर्धारित नियमों के अनुरूप ही होंगी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था के सुचारू संचालन की आवश्यकता है। हरिद्वार जिले को इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है, संभवतः वहां की चुनावी या प्रशासनिक स्थिति अलग होने के कारण। अब सभी की निगाहें जुलाई 2025 में होने वाले प्रस्तावित पंचायत चुनावों पर टिकी हैं, जो नई निर्वाचित पंचायतों को सत्ता में लाएंगे और ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से स्थापित करेंगे। इस बीच, नए प्रशासक जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और विकास कार्यों को गति देने की चुनौती का सामना करेंगे।

पंचायत चुनाव पर लटकी तलवार: राजभवन की हरी झंडी का इंतजार, मई अंत तक आ सकती है चुनाव अधिसूचना

देहरादून, 14 मई 2025 (समय बोल रहा) उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है, क्योंकि एक तरफ पंचायतीराज एक्ट में अपेक्षित संशोधन अभी तक नहीं हो पाया है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण…

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देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से, भाजपा ने अब ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए व्यापक स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। यह कदम भाजपा की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य जमीनी स्तर तक अपनी पैठ बनाना है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री मनवीर चौहान ने इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट के निर्देश पर, राज्य के सभी जिलों में ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए योग्य और अनुभवी पदाधिकारियों को प्रभारी घोषित कर दिया गया है। यह नियुक्तियां पार्टी की संगठनात्मक शक्ति और आगामी चुनावों के प्रति उसकी गंभीरता को दर्शाती हैं। ब्लॉक प्रमुख चुनाव: ग्रामीण सत्ता की दूसरी सबसे बड़ी सीढ़ी ग्राम प्रधान के बाद, ब्लॉक प्रमुख का पद ग्रामीण सत्ता संरचना की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है। ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत समिति (ब्लॉक पंचायत) का मुखिया होता है, जो कई ग्राम पंचायतों को जोड़कर बनता है। यह पद ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, फंड्स के वितरण और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक समन्वय में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो पहले ग्राम पंचायत चुनावों में चुनकर आते हैं। ऐसे में, ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए प्रभारियों की नियुक्ति भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि वे क्षेत्र पंचायत सदस्यों के बीच अपना प्रभाव स्थापित कर सकें और पार्टी समर्थित उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकें। भाजपा की रणनीति: जमीनी स्तर पर पकड़ और संगठनात्मक मजबूती भाजपा ने इन प्रभारियों की नियुक्ति करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पंचायत चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है। इन प्रभारियों का मुख्य कार्य संबंधित ब्लॉकों में चुनावी रणनीति तैयार करना, योग्य उम्मीदवारों की पहचान करना और उन्हें समर्थन देना, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतें। यह कदम भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को फायदा मिल सकता है। इन नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और उन्हें पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास कर रही है। जिलावार प्रभारियों की लंबी सूची: अनुभवी नेताओं पर भरोसा भाजपा ने ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए जिन प्रभारियों की घोषणा की है, उनमें पार्टी के कई अनुभवी और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सूची प्रदेश के सभी जिलों और उनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न ब्लॉकों को कवर करती है, जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा ने इस चुनाव के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है: उत्तरकाशी जनपद: नौगांव ब्लॉक: डॉ. विजय बडोनी पुरोला ब्लॉक: श्री सत्ये सिंह राणा मोरी ब्लॉक: श्री नारायण सिंह चौहान चिनयौलीसैन: श्री जगत सिंह चौहान भटवाड़ी: श्री राम सुंदर नौटियाल डूंडा: श्री धन सिंह नेगी चमोली जनपद: दसौली: श्री राजकुमार पुरोहित पोखरी: श्री हरक सिंह नेगी ज्योतिर्मठ: श्री रामचंद्र गौड़ नंदा नगर: श्री समीर मिश्रा नारायणबगड़: श्री रघुवीर सिंह बिष्ट थराली: श्री गजेंद्र सिंह रावत देवल: श्री विनोद नेगी गैरसैण: श्री कृष्ण मणि थपलियाल कर्णप्रयाग: श्री विक्रम भंडारी रुद्रप्रयाग जनपद: अगस्तमुनि: श्री रमेश गाड़िया ऊखीमठ: श्री वाचस्पति सेमवाल जखोली: श्री रमेश मैखुरी टिहरी जनपद: भिलंगना: श्री अतर सिंह तोमर कीर्ति नगर: श्री विनोद रतूड़ी देवप्रयाग: श्री जोत सिंह बिष्ट नरेंद्र नगर: श्री रविंद्र राणा प्रताप नगर: श्री महावीर सिंह रंगड़ जाखड़ीधार: श्री सुभाष रमोला चंबा: श्री दिनेश घने थौलधार: श्री विनोद सुयाल जौनपुर: श्री खेम सिंह चौहान देहरादून जनपद: कालसी: श्री दिगंबर नेगी चकराता: श्री भुवन विक्रम डबराल विकासनगर: श्री यशपाल नेगी सहसपुर: श्री संजय गुप्ता रायपुर: श्री ओमवीर राघव डोईवाला: श्री नलिन भट्ट पौड़ी जनपद: पौड़ी: श्री ऋषि कंडवाल कोट: श्री वीरेंद्र रावत क्लजीखाल: श्री सुधीर जोशी खिर्सू: श्री मीरा रतूड़ी थलीसैंण: श्रीमती सुषमा रावत पाबो: श्री यशपाल बेनाम पोखडा: श्री जगमोहन रावत एकेश्वर: श्री विकास कुकरेती बीरोंखाल: श्री गिरीश पैन्यूली कोटद्वार: यमकेश्वर श्री मुकेश कोली द्वारीखाल: श्री शमशेर सिंह पुंडीर दुगड्डा: श्री संदीप गुप्ता नैनीडांडा: श्री महावीर कुकरेती जहरीखाल: श्री उमेश त्रिपाठी रिखणीखाल: श्री राजेंद्र अन्थवाल पिथौरागढ़ जनपद: धारचूला: श्री धन सिंह धामी मुनस्यारी: श्री अशोक नबियाल मुनकोट: श्री गणेश भंडारी डीडीहाट: श्री राजेंद्र सिंह रावत कनालीछीना: श्री राकेश देवाल पिथौरागढ़: श्री भूपेश पंत बेरीनाग: श्री बसंत जोशी गंगोलीहाट: श्री ललित पंत बागेश्वर जनपद: कपकोट: श्री इंद्र सिंह फर्स्वाण बागेश्वर: श्री देवेंद्र गोस्वामी गरुड़: श्री शिव सिंह बिष्ट रानीखेत (अल्मोड़ा जिला): द्वाराहाट: श्री अनिल शाही चौखुटिया: श्री पूरन सांगला साल्ट: श्री प्रेम शर्मा स्याल्दे: श्री सुरेंद्र मनराल ताड़ीखेत: श्री पूरन चंद नैनवाल भिकियासैंण: श्री सुभाष पांडे अल्मोड़ा जनपद: ताकुला: श्री अरविंद बिष्ट भैंसियाछाना: श्री रमेश बहुगुणा हवालबाग: श्री गौरव पांडे धौलादेवी: श्री रवि रौतेला लमगड़ा: श्री ललित लटवाल चंपावत जनपद: बाराकोट: श्री श्याम नारायण पांडे पाटी: श्री सतीश पांडे लोहाघाट: श्री शंकर पांडे चंपावत: श्री शंकर कोरंगा नैनीताल जनपद: धारी: श्री दीपक मेहरा ओखल कांडा: श्री चंदन सिंह बिष्ट रामगढ़: श्री मोहन पाल भीमताल: श्री प्रदीप जनौटी बेतालघाट: श्री देवेंद्र ढेला हल्द्वानी: श्री गोपाल रावत कोटा बाग: श्री तरुण बंसल रामनगर: श्री गुंजन सुखीजा उधमसिंह नगर जनपद: जसपुर: सरदार मंजीत सिंह बाजपुर: श्री राम मेहरोत्रा काशीपुर: श्री विवेक सक्सेना गदरपुर: श्री प्रदीप बिष्ट रुद्रपुर: श्री दिनेश आर्य सितारगंज: श्री दान सिंह रावत खटीमा: श्री उत्तम दत्ता आगामी चुनावी बिसात और सियासी हलचल इन नियुक्तियों से स्पष्ट है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव की बिसात पर अपनी चालें चलना शुरू कर दिया है। यह कदम राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करेगा और अन्य राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करेगा। ब्लॉक प्रमुख चुनाव सीधे तौर पर भले ही पार्टी सिंबल पर न लड़े जाते हों, लेकिन इन पर सत्ताधारी दल का दबदबा काफी महत्वपूर्ण होता है। भाजपा का लक्ष्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक हर स्तर पर अपने समर्थित प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या सुनिश्चित करना है, ताकि राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को ग्रामीण स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह 'मास्टरस्ट्रोक' रणनीति ब्लॉक प्रमुख चुनावों में कितनी सफल होती है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता का समीकरण कैसे बदलता है।

चारधाम यात्रा के शुभारंभ पर कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ यात्रा’ पर भाजपा का प्रहार: ‘राज्य विरोधी और विघ्नकारी कदम’ करार

देहरादून, 29 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ) भाजपा ने चारधाम यात्रा के शुभारंभ के दिन कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ यात्रा’ को राज्यविरोधी, पवित्र कार्यों में विघ्न डालने वाला और जनविरोधी करार दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के अभियान को “बिल्ली के…

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देहरादून, 26 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रशासन ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में सामान्य वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ने का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के तहत दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों को राहत दी गई है। आतंकी हमले के बाद बढ़ाई गई सतर्कता हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। हमले के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सुरक्षा कड़ी करने और संभावित खतरों का मूल्यांकन कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड पुलिस ने तत्काल एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद राज्य में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर कार्रवाई करते हुए निर्धारित तिथि तक भारत छोड़ने का आदेश जारी किया है। कितने पाकिस्तानी नागरिक उत्तराखंड में मौजूद प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में करीब 250 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश नागरिक सामान्य वीजा पर हैं, जो रोजगार, पारिवारिक मुलाकात या धार्मिक कारणों से भारत आए हुए हैं। दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों को इस आदेश से छूट दी गई है, क्योंकि वे भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया में होते हैं या विशेष परिस्थितियों में दीर्घकालिक निवास की अनुमति प्राप्त करते हैं। आदेश के मुख्य बिंदु लक्षित नागरिक: सामान्य वीजा धारक पाकिस्तानी नागरिक। निर्धारित समयसीमा: 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ना अनिवार्य। छूट: दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों पर आदेश लागू नहीं होगा। कार्रवाई: आदेश का उल्लंघन करने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिलों को दिए गए निर्देश उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान करें और उन्हें आदेश की जानकारी देकर समयसीमा के भीतर वापसी सुनिश्चित करें। साथ ही, होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में ठहरे विदेशी नागरिकों का सत्यापन भी तेज कर दिया गया है। विदेशी नागरिकों पर निगरानी बढ़ी आदेश के बाद सभी जिलों में विदेशी नागरिकों, विशेषकर पाकिस्तानी मूल के लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलते ही तत्काल जांच कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय खुफिया इकाइयों (LIUs) को भी सक्रिय कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को समय रहते रोका जा सके। सरकार का सख्त रुख उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और संभावित खतरों को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही आम जनता से भी सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तत्काल पुलिस को देने की अपील की गई है। दीर्घकालिक वीजा धारकों को क्यों मिली छूट दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारक वे पाकिस्तानी नागरिक होते हैं जो विशेष मानवीय आधार पर भारत में दीर्घकालिक निवास की अनुमति प्राप्त करते हैं। इनमें विभाजन के समय भारत से पाकिस्तान गए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोग शामिल होते हैं, जो वापस भारत आकर नागरिकता लेना चाहते हैं। इस मानवीय आधार को ध्यान में रखते हुए उन्हें इस आदेश से बाहर रखा गया है। आम जनता से सहयोग की अपील उत्तराखंड पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। अगर किसी को कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को सूचित करें। उत्तराखंड पुलिस जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है। उत्तराखंड पुलिस का यह आदेश राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और किसी भी संभावित खतरे को टालने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन का प्रयास है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखते हुए सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। राज्य सरकार और पुलिस का यह सख्त रुख दिखाता है कि उत्तराखंड आतंरिक सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।

उत्तराखंड में 250 पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी पर प्रशासन अलर्ट, 27 अप्रैल तक लौटने का आदेश, एलटीवी धारकों को राहत

देहरादून, 26 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ):जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रशासन ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में सामान्य वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ने का…

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वक्फ संपत्ति सुधारों को लेकर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ गरीब और जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण में होगा। भाजपा आगामी 20 अप्रैल से 5 मई तक राज्यभर में 'वक्फ जनजागरण अभियान' चलाने जा रही है, जिसका उद्देश्य इस कानून के जरिए समाज के वंचित वर्गों तक मदद पहुंचाना है। गरीबों का हक सिर्फ गरीबों को मिलेगा: धामी प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित वक्फ जनजागरण कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसी धार्मिक छेड़छाड़ के, वक्फ की एक-एक इंच भूमि की जांच होगी। उन्होंने कहा कि अब इन संपत्तियों पर किसी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका इस्तेमाल गरीब मुस्लिम महिलाओं, तलाकशुदा महिलाओं, विधवाओं और अनाथ बच्चों के लिए किया जाए। पीएम आवास, अस्पताल और स्कूलों के लिए होगा इस्तेमाल मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि जो भी वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जों से मुक्त कराई जाएंगी, उन पर पीएम आवास, अस्पताल, स्कूल और समुदायिक भवन जैसी जनसेवा की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड में भी ऐसे कामों की योजना तैयार की जा रही है। विपक्ष पर साधा निशाना धामी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर वर्षों से कब्जा रहा है, लेकिन विपक्ष ने कभी यह प्रयास नहीं किया कि उनका सही उपयोग हो। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ की संपत्तियां होते हुए भी गरीबों को कोई लाभ नहीं दिया गया। अब यह कानून इस काले कारोबार और जमीनों पर कब्जे को रोकने का काम करेगा। कानून का सही उद्देश्य समझाना जरूरी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि यह कानून समाज में व्याप्त भ्रम और भय को दूर करने का माध्यम बनेगा। उन्होंने बताया कि 2013 और 1995 में कांग्रेस सरकारों की नीतियों के चलते वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल हुआ। भाजपा सरकार अब इन गलतियों को सुधार रही है। सभी जिलों में कार्यशालाएं होंगी प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार ने जानकारी दी कि 20 से 22 अप्रैल तक सभी जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इन कार्यशालाओं में जनजागरण अभियान की रणनीति, कार्यक्रम और संवाद के माध्यम से मुस्लिम समाज को कानून के फायदों से अवगत कराया जाएगा। भाजपा का स्पष्ट संदेश: कोई तुष्टिकरण नहीं कार्यशाला में प्रदेश वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने वक्फ बोर्ड की पुरानी गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अतीत में इस बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ। उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में बड़ी संख्या में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता शामिल रहे हैं। देवभूमि में कड़ाई से लागू होगा नया कानून सीएम धामी ने कहा कि उनकी सरकार पहले ही राज्य की डेमोग्राफी को सुरक्षित रखने के लिए यूसीसी, धर्मांतरण विरोधी कानून जैसे कड़े फैसले ले चुकी है और अब वक्फ संशोधन कानून को भी सख्ती से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग करके यह सुनिश्चित करेंगे कि गरीबों को उनका हक मिले।" भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे मौजूद इस कार्यशाला में कई वरिष्ठ नेता शामिल रहे जिनमें राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रभारी मुकेश कोली, प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार, विधायक खजान दास, अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष इंतजार हुसैन समेत कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। भाजपा उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में बड़ी संख्या में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता शामिल रहे हैं।प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित वक्फ जनजागरण कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसी धार्मिक छेड़छाड़ के, वक्फ की एक-एक इंच भूमि की जांच होगी।

वक्फ की संपत्तियों का उपयोग गरीब मुस्लिम वर्ग के कल्याण में सुनिश्चित होगा: मुख्यमंत्री धामी

भाजपा 20 अप्रैल से चलाएगी वक्फ जनजागरण अभियान, सभी जिलों में होंगे कार्यक्रम देहरादून, 18 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वक्फ संपत्ति सुधारों को लेकर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ गरीब और जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण में होगा। भाजपा…

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देहरादून, 18 अप्रैल (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के डोईवाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हर्रावाला इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान डीजे की तेज आवाज को बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया है। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है। देहरादून घटना का पूरा विवरण यह घटना देर रात की है, जब हर्रावाला क्षेत्र में एक जागरण का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में भारी भीड़ जुटी थी और तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा था। रात के समय डीजे की आवाज को लेकर आसपास के लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी। शिकायत मिलने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और आयोजकों से डीजे की आवाज कम करने को कहा। प्रारंभिक रूप से आयोजकों और डीजे ऑपरेटर ने आवाज कम कर दी, लेकिन कुछ समय बाद फिर से डीजे की आवाज बढ़ा दी गई। आवाज अत्यधिक तेज होने के कारण इलाके में रहने वाले अन्य नागरिकों को परेशानी होने लगी। इसके बाद पुलिस दोबारा घटनास्थल पर पहुंची और डीजे को पूरी तरह से बंद कराने की कोशिश की। बातचीत से बढ़ा विवाद, हमला कर दिया पुलिस टीम द्वारा डीजे बंद कराए जाने को लेकर कुछ स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। बताया जा रहा है कि कुछ युवक नशे में भी थे। विवाद बढ़ता गया और देखते ही देखते कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। इस दौरान एक सिपाही को सिर पर गंभीर चोट आई, जिससे वह लहूलुहान हो गया। घायल सिपाही को तुरंत 108 एंबुलेंस की मदद से स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई घटना की सूचना मिलते ही थाना डोईवाला से और फोर्स मौके पर पहुंची। भीड़ को नियंत्रित किया गया और हंगामा कर रहे आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने बताया कि इस घटना में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने, पुलिस पर हमला करने और शांति भंग करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में इस तरह का बर्ताव निंदनीय है और इससे क्षेत्र की शांति व्यवस्था प्रभावित होती है। वहीं कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि आयोजक बिना अनुमति के कार्यक्रम करवा रहे थे। प्रशासन ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश प्रशासन ने साफ किया है कि इस तरह के मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। जिले के सभी थाना क्षेत्रों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे आयोजनों पर सख्त निगरानी रखी जाए और बिना अनुमति के डीजे बजाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। क्या कहते हैं नियम सरकारी नियमों के अनुसार रात 10 बजे के बाद किसी भी प्रकार का तेज ध्वनि वाला कार्यक्रम आयोजित करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में आयोजकों और हमलावरों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सार देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में जागरण कार्यक्रम के दौरान DJ की तेज आवाज बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। हर्रावाला इलाके की इस घटना में एक सिपाही घायल हो गया। भीड़ ने पुलिसकर्मी के सिर पर हमला किया, जिससे खून बहने लगा। पुलिसकर्मी ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

देहरादून: डीजे बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला, एक सिपाही घायल, सात आरोपी गिरफ्तार

देहरादून, 18 अप्रैल (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के डोईवाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हर्रावाला इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान डीजे की तेज आवाज को बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से…

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