उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत देहरादून, 09 जून, 2025 (समय बोल रहा ) उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव आया है। पूर्व में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने और जुलाई में प्रस्तावित चुनावों में देरी के कारण, राज्य सरकार ने पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए नए प्रशासकों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। अब जिला पंचायतों की कमान जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट संभालेंगे, क्षेत्र पंचायतों का जिम्मा उपजिलाधिकारी देखेंगे, और ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) प्रशासक होंगे। यह निर्णय तब लिया गया है जब वर्ष 2019 में गठित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और नए चुनाव अभी संभव नहीं हो सके हैं। इस बदलाव का सीधा असर प्रदेश की लाखों ग्रामीण जनता पर पड़ेगा। कार्यकाल समाप्ति और चुनाव में देरी: क्यों पड़ी प्रशासकों की जरूरत? उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 की धारा-130 (6) के तहत, वर्ष 2019 में गठित प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इन पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, शासन ने पूर्व में अधिसूचना संख्या-256316/XII(1)/2024-86(15)/2013/ई-68985 दिनांक 26.11.2024 और अन्य संबंधित अधिसूचनाओं के माध्यम से ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार संबंधित जिलाधिकारियों को दिया था। ये प्रशासक कार्यकाल समाप्ति की तिथि से छह महीने तक या नई पंचायतों के गठन तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किए गए थे। हालांकि, इन नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल भी अब समाप्त हो चुका है। ग्राम पंचायतों में 27 मई 2025 को, क्षेत्र पंचायतों में 29 मई 2025 को, और जिला पंचायतों में 01 जून 2025 को कार्यकाल समाप्त हो गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि "अति अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण" त्रिस्तरीय पंचायतों का सामान्य निर्वाचन, प्रशासकों के कार्यकाल समाप्ति की तिथि से पूर्व कराया जाना साध्य नहीं हो सका है। इसी अप्रत्याशित देरी के कारण, अब नई अंतरिम व्यवस्था लागू की गई है। नई प्रशासकीय व्यवस्था: कौन संभालेगा किसकी कमान? वर्तमान की "अपरिहार्य परिस्थिति" को देखते हुए, प्रदेश में जुलाई 2025 में प्रस्तावित आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (हरिद्वार को छोड़कर) प्रक्रिया संपन्न होने तक या नवीन पंचायतों के गठन तक, अथवा 31 जुलाई 2025 (जो भी पहले हो) तक, कार्यहित, जनहित और पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए नए अधिकारियों को प्रशासक के रूप में अधिकृत किया गया है। यह निर्णय प्रमोद कुमार बिजलवान, समीक्षा अधिकारी, पंचायती राज विभाग द्वारा 09/06/2025 को जारी अधिसूचना (संख्या: 305002 जैनराज बिंदु-1 /XII(1)/2025/86(15)/2013/ई-68985) में विस्तृत रूप से बताया गया है। नई व्यवस्था के तहत, निम्नवत् अधिकारियों को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी गई है: जिला पंचायतों में: संबंधित जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट को जिला पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह दिखाता है कि जिला स्तर पर शासन ने सबसे उच्च अधिकारी पर भरोसा जताया है ताकि विकास कार्य और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। क्षेत्र पंचायतों में: संबंधित उपजिलाधिकारी (अपनी क्षेत्राधिकारिता में) क्षेत्र पंचायतों का कार्यभार संभालेंगे। उपजिलाधिकारी की नियुक्ति से ब्लॉक स्तर पर प्रभावी निगरानी और निर्णय लेने की क्षमता बनी रहेगी। ग्राम पंचायतों में: संबंधित विकासखंड में तैनात सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को ग्राम पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह पद ग्रामीण स्तर पर सीधे जनता से जुड़ा होता है और योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने और नई निर्वाचित पंचायतों के गठन तक ग्रामीण विकास कार्य और जन सेवाएं बाधित न हों। पुरानी शर्तों का यथावत् रहना और आगे की राह अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में प्रशासक नियुक्त किए जाने संबंधी प्रस्तर-1 में उल्लिखित पूर्व निर्गत अधिसूचनाओं में निहित शेष शर्ते यथावत रहेंगी। इसका अर्थ है कि प्रशासकों के अधिकार और जिम्मेदारियां पूर्व में निर्धारित नियमों के अनुरूप ही होंगी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था के सुचारू संचालन की आवश्यकता है। हरिद्वार जिले को इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है, संभवतः वहां की चुनावी या प्रशासनिक स्थिति अलग होने के कारण। अब सभी की निगाहें जुलाई 2025 में होने वाले प्रस्तावित पंचायत चुनावों पर टिकी हैं, जो नई निर्वाचित पंचायतों को सत्ता में लाएंगे और ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से स्थापित करेंगे। इस बीच, नए प्रशासक जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और विकास कार्यों को गति देने की चुनौती का सामना करेंगे।

पंचायत चुनाव पर लटकी तलवार: राजभवन की हरी झंडी का इंतजार, मई अंत तक आ सकती है चुनाव अधिसूचना

देहरादून, 14 मई 2025 (समय बोल रहा) उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है, क्योंकि एक तरफ पंचायतीराज एक्ट में अपेक्षित संशोधन अभी तक नहीं हो पाया है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण…

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देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से, भाजपा ने अब ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए व्यापक स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। यह कदम भाजपा की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य जमीनी स्तर तक अपनी पैठ बनाना है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री मनवीर चौहान ने इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट के निर्देश पर, राज्य के सभी जिलों में ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए योग्य और अनुभवी पदाधिकारियों को प्रभारी घोषित कर दिया गया है। यह नियुक्तियां पार्टी की संगठनात्मक शक्ति और आगामी चुनावों के प्रति उसकी गंभीरता को दर्शाती हैं। ब्लॉक प्रमुख चुनाव: ग्रामीण सत्ता की दूसरी सबसे बड़ी सीढ़ी ग्राम प्रधान के बाद, ब्लॉक प्रमुख का पद ग्रामीण सत्ता संरचना की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है। ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत समिति (ब्लॉक पंचायत) का मुखिया होता है, जो कई ग्राम पंचायतों को जोड़कर बनता है। यह पद ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, फंड्स के वितरण और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक समन्वय में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो पहले ग्राम पंचायत चुनावों में चुनकर आते हैं। ऐसे में, ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए प्रभारियों की नियुक्ति भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि वे क्षेत्र पंचायत सदस्यों के बीच अपना प्रभाव स्थापित कर सकें और पार्टी समर्थित उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकें। भाजपा की रणनीति: जमीनी स्तर पर पकड़ और संगठनात्मक मजबूती भाजपा ने इन प्रभारियों की नियुक्ति करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पंचायत चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है। इन प्रभारियों का मुख्य कार्य संबंधित ब्लॉकों में चुनावी रणनीति तैयार करना, योग्य उम्मीदवारों की पहचान करना और उन्हें समर्थन देना, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतें। यह कदम भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को फायदा मिल सकता है। इन नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और उन्हें पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास कर रही है। जिलावार प्रभारियों की लंबी सूची: अनुभवी नेताओं पर भरोसा भाजपा ने ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए जिन प्रभारियों की घोषणा की है, उनमें पार्टी के कई अनुभवी और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सूची प्रदेश के सभी जिलों और उनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न ब्लॉकों को कवर करती है, जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा ने इस चुनाव के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है: उत्तरकाशी जनपद: नौगांव ब्लॉक: डॉ. विजय बडोनी पुरोला ब्लॉक: श्री सत्ये सिंह राणा मोरी ब्लॉक: श्री नारायण सिंह चौहान चिनयौलीसैन: श्री जगत सिंह चौहान भटवाड़ी: श्री राम सुंदर नौटियाल डूंडा: श्री धन सिंह नेगी चमोली जनपद: दसौली: श्री राजकुमार पुरोहित पोखरी: श्री हरक सिंह नेगी ज्योतिर्मठ: श्री रामचंद्र गौड़ नंदा नगर: श्री समीर मिश्रा नारायणबगड़: श्री रघुवीर सिंह बिष्ट थराली: श्री गजेंद्र सिंह रावत देवल: श्री विनोद नेगी गैरसैण: श्री कृष्ण मणि थपलियाल कर्णप्रयाग: श्री विक्रम भंडारी रुद्रप्रयाग जनपद: अगस्तमुनि: श्री रमेश गाड़िया ऊखीमठ: श्री वाचस्पति सेमवाल जखोली: श्री रमेश मैखुरी टिहरी जनपद: भिलंगना: श्री अतर सिंह तोमर कीर्ति नगर: श्री विनोद रतूड़ी देवप्रयाग: श्री जोत सिंह बिष्ट नरेंद्र नगर: श्री रविंद्र राणा प्रताप नगर: श्री महावीर सिंह रंगड़ जाखड़ीधार: श्री सुभाष रमोला चंबा: श्री दिनेश घने थौलधार: श्री विनोद सुयाल जौनपुर: श्री खेम सिंह चौहान देहरादून जनपद: कालसी: श्री दिगंबर नेगी चकराता: श्री भुवन विक्रम डबराल विकासनगर: श्री यशपाल नेगी सहसपुर: श्री संजय गुप्ता रायपुर: श्री ओमवीर राघव डोईवाला: श्री नलिन भट्ट पौड़ी जनपद: पौड़ी: श्री ऋषि कंडवाल कोट: श्री वीरेंद्र रावत क्लजीखाल: श्री सुधीर जोशी खिर्सू: श्री मीरा रतूड़ी थलीसैंण: श्रीमती सुषमा रावत पाबो: श्री यशपाल बेनाम पोखडा: श्री जगमोहन रावत एकेश्वर: श्री विकास कुकरेती बीरोंखाल: श्री गिरीश पैन्यूली कोटद्वार: यमकेश्वर श्री मुकेश कोली द्वारीखाल: श्री शमशेर सिंह पुंडीर दुगड्डा: श्री संदीप गुप्ता नैनीडांडा: श्री महावीर कुकरेती जहरीखाल: श्री उमेश त्रिपाठी रिखणीखाल: श्री राजेंद्र अन्थवाल पिथौरागढ़ जनपद: धारचूला: श्री धन सिंह धामी मुनस्यारी: श्री अशोक नबियाल मुनकोट: श्री गणेश भंडारी डीडीहाट: श्री राजेंद्र सिंह रावत कनालीछीना: श्री राकेश देवाल पिथौरागढ़: श्री भूपेश पंत बेरीनाग: श्री बसंत जोशी गंगोलीहाट: श्री ललित पंत बागेश्वर जनपद: कपकोट: श्री इंद्र सिंह फर्स्वाण बागेश्वर: श्री देवेंद्र गोस्वामी गरुड़: श्री शिव सिंह बिष्ट रानीखेत (अल्मोड़ा जिला): द्वाराहाट: श्री अनिल शाही चौखुटिया: श्री पूरन सांगला साल्ट: श्री प्रेम शर्मा स्याल्दे: श्री सुरेंद्र मनराल ताड़ीखेत: श्री पूरन चंद नैनवाल भिकियासैंण: श्री सुभाष पांडे अल्मोड़ा जनपद: ताकुला: श्री अरविंद बिष्ट भैंसियाछाना: श्री रमेश बहुगुणा हवालबाग: श्री गौरव पांडे धौलादेवी: श्री रवि रौतेला लमगड़ा: श्री ललित लटवाल चंपावत जनपद: बाराकोट: श्री श्याम नारायण पांडे पाटी: श्री सतीश पांडे लोहाघाट: श्री शंकर पांडे चंपावत: श्री शंकर कोरंगा नैनीताल जनपद: धारी: श्री दीपक मेहरा ओखल कांडा: श्री चंदन सिंह बिष्ट रामगढ़: श्री मोहन पाल भीमताल: श्री प्रदीप जनौटी बेतालघाट: श्री देवेंद्र ढेला हल्द्वानी: श्री गोपाल रावत कोटा बाग: श्री तरुण बंसल रामनगर: श्री गुंजन सुखीजा उधमसिंह नगर जनपद: जसपुर: सरदार मंजीत सिंह बाजपुर: श्री राम मेहरोत्रा काशीपुर: श्री विवेक सक्सेना गदरपुर: श्री प्रदीप बिष्ट रुद्रपुर: श्री दिनेश आर्य सितारगंज: श्री दान सिंह रावत खटीमा: श्री उत्तम दत्ता आगामी चुनावी बिसात और सियासी हलचल इन नियुक्तियों से स्पष्ट है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव की बिसात पर अपनी चालें चलना शुरू कर दिया है। यह कदम राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करेगा और अन्य राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करेगा। ब्लॉक प्रमुख चुनाव सीधे तौर पर भले ही पार्टी सिंबल पर न लड़े जाते हों, लेकिन इन पर सत्ताधारी दल का दबदबा काफी महत्वपूर्ण होता है। भाजपा का लक्ष्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक हर स्तर पर अपने समर्थित प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या सुनिश्चित करना है, ताकि राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को ग्रामीण स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह 'मास्टरस्ट्रोक' रणनीति ब्लॉक प्रमुख चुनावों में कितनी सफल होती है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता का समीकरण कैसे बदलता है।

चारधाम यात्रा के शुभारंभ पर कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ यात्रा’ पर भाजपा का प्रहार: ‘राज्य विरोधी और विघ्नकारी कदम’ करार

देहरादून, 29 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ) भाजपा ने चारधाम यात्रा के शुभारंभ के दिन कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ यात्रा’ को राज्यविरोधी, पवित्र कार्यों में विघ्न डालने वाला और जनविरोधी करार दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के अभियान को “बिल्ली के…

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देहरादून, 26 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रशासन ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में सामान्य वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ने का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के तहत दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों को राहत दी गई है। आतंकी हमले के बाद बढ़ाई गई सतर्कता हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई और देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। हमले के बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को सुरक्षा कड़ी करने और संभावित खतरों का मूल्यांकन कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। उत्तराखंड पुलिस ने तत्काल एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद राज्य में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर कार्रवाई करते हुए निर्धारित तिथि तक भारत छोड़ने का आदेश जारी किया है। कितने पाकिस्तानी नागरिक उत्तराखंड में मौजूद प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में करीब 250 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं। इनमें से अधिकांश नागरिक सामान्य वीजा पर हैं, जो रोजगार, पारिवारिक मुलाकात या धार्मिक कारणों से भारत आए हुए हैं। दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों को इस आदेश से छूट दी गई है, क्योंकि वे भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया में होते हैं या विशेष परिस्थितियों में दीर्घकालिक निवास की अनुमति प्राप्त करते हैं। आदेश के मुख्य बिंदु लक्षित नागरिक: सामान्य वीजा धारक पाकिस्तानी नागरिक। निर्धारित समयसीमा: 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ना अनिवार्य। छूट: दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारकों पर आदेश लागू नहीं होगा। कार्रवाई: आदेश का उल्लंघन करने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिलों को दिए गए निर्देश उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान करें और उन्हें आदेश की जानकारी देकर समयसीमा के भीतर वापसी सुनिश्चित करें। साथ ही, होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाओं में ठहरे विदेशी नागरिकों का सत्यापन भी तेज कर दिया गया है। विदेशी नागरिकों पर निगरानी बढ़ी आदेश के बाद सभी जिलों में विदेशी नागरिकों, विशेषकर पाकिस्तानी मूल के लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना मिलते ही तत्काल जांच कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय खुफिया इकाइयों (LIUs) को भी सक्रिय कर दिया गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को समय रहते रोका जा सके। सरकार का सख्त रुख उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और संभावित खतरों को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। साथ ही आम जनता से भी सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तत्काल पुलिस को देने की अपील की गई है। दीर्घकालिक वीजा धारकों को क्यों मिली छूट दीर्घकालिक वीजा (LTV) धारक वे पाकिस्तानी नागरिक होते हैं जो विशेष मानवीय आधार पर भारत में दीर्घकालिक निवास की अनुमति प्राप्त करते हैं। इनमें विभाजन के समय भारत से पाकिस्तान गए हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोग शामिल होते हैं, जो वापस भारत आकर नागरिकता लेना चाहते हैं। इस मानवीय आधार को ध्यान में रखते हुए उन्हें इस आदेश से बाहर रखा गया है। आम जनता से सहयोग की अपील उत्तराखंड पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें और पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें। अगर किसी को कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को सूचित करें। उत्तराखंड पुलिस जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है। उत्तराखंड पुलिस का यह आदेश राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और किसी भी संभावित खतरे को टालने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन का प्रयास है कि कानून व्यवस्था को बनाए रखते हुए सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। राज्य सरकार और पुलिस का यह सख्त रुख दिखाता है कि उत्तराखंड आतंरिक सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।

उत्तराखंड में 250 पाकिस्तानी नागरिकों की मौजूदगी पर प्रशासन अलर्ट, 27 अप्रैल तक लौटने का आदेश, एलटीवी धारकों को राहत

देहरादून, 26 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ):जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर आ गई हैं। इसी कड़ी में उत्तराखंड प्रशासन ने भी बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य में सामान्य वीजा पर रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल 2025 तक भारत छोड़ने का…

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वक्फ संपत्ति सुधारों को लेकर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ गरीब और जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण में होगा। भाजपा आगामी 20 अप्रैल से 5 मई तक राज्यभर में 'वक्फ जनजागरण अभियान' चलाने जा रही है, जिसका उद्देश्य इस कानून के जरिए समाज के वंचित वर्गों तक मदद पहुंचाना है। गरीबों का हक सिर्फ गरीबों को मिलेगा: धामी प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित वक्फ जनजागरण कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसी धार्मिक छेड़छाड़ के, वक्फ की एक-एक इंच भूमि की जांच होगी। उन्होंने कहा कि अब इन संपत्तियों पर किसी प्रकार का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका इस्तेमाल गरीब मुस्लिम महिलाओं, तलाकशुदा महिलाओं, विधवाओं और अनाथ बच्चों के लिए किया जाए। पीएम आवास, अस्पताल और स्कूलों के लिए होगा इस्तेमाल मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि जो भी वक्फ संपत्तियां अवैध कब्जों से मुक्त कराई जाएंगी, उन पर पीएम आवास, अस्पताल, स्कूल और समुदायिक भवन जैसी जनसेवा की सुविधाएं विकसित की जाएंगी। उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड में भी ऐसे कामों की योजना तैयार की जा रही है। विपक्ष पर साधा निशाना धामी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों पर वर्षों से कब्जा रहा है, लेकिन विपक्ष ने कभी यह प्रयास नहीं किया कि उनका सही उपयोग हो। उन्होंने कहा कि लाखों करोड़ की संपत्तियां होते हुए भी गरीबों को कोई लाभ नहीं दिया गया। अब यह कानून इस काले कारोबार और जमीनों पर कब्जे को रोकने का काम करेगा। कानून का सही उद्देश्य समझाना जरूरी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम ने कहा कि यह कानून समाज में व्याप्त भ्रम और भय को दूर करने का माध्यम बनेगा। उन्होंने बताया कि 2013 और 1995 में कांग्रेस सरकारों की नीतियों के चलते वक्फ संपत्तियों का गलत इस्तेमाल हुआ। भाजपा सरकार अब इन गलतियों को सुधार रही है। सभी जिलों में कार्यशालाएं होंगी प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार ने जानकारी दी कि 20 से 22 अप्रैल तक सभी जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। इन कार्यशालाओं में जनजागरण अभियान की रणनीति, कार्यक्रम और संवाद के माध्यम से मुस्लिम समाज को कानून के फायदों से अवगत कराया जाएगा। भाजपा का स्पष्ट संदेश: कोई तुष्टिकरण नहीं कार्यशाला में प्रदेश वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने वक्फ बोर्ड की पुरानी गड़बड़ियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अतीत में इस बोर्ड को मिले असीमित अधिकारों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हुआ। उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में बड़ी संख्या में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता शामिल रहे हैं। देवभूमि में कड़ाई से लागू होगा नया कानून सीएम धामी ने कहा कि उनकी सरकार पहले ही राज्य की डेमोग्राफी को सुरक्षित रखने के लिए यूसीसी, धर्मांतरण विरोधी कानून जैसे कड़े फैसले ले चुकी है और अब वक्फ संशोधन कानून को भी सख्ती से लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हम वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग करके यह सुनिश्चित करेंगे कि गरीबों को उनका हक मिले।" भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे मौजूद इस कार्यशाला में कई वरिष्ठ नेता शामिल रहे जिनमें राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी, अल्पसंख्यक मोर्चा प्रभारी मुकेश कोली, प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार, विधायक खजान दास, अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष इंतजार हुसैन समेत कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। भाजपा उन्होंने दावा किया कि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने वालों में बड़ी संख्या में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के नेता शामिल रहे हैं।प्रदेश भाजपा मुख्यालय में आयोजित वक्फ जनजागरण कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि बिना किसी धार्मिक छेड़छाड़ के, वक्फ की एक-एक इंच भूमि की जांच होगी।

वक्फ की संपत्तियों का उपयोग गरीब मुस्लिम वर्ग के कल्याण में सुनिश्चित होगा: मुख्यमंत्री धामी

भाजपा 20 अप्रैल से चलाएगी वक्फ जनजागरण अभियान, सभी जिलों में होंगे कार्यक्रम देहरादून, 18 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा) मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को वक्फ संपत्ति सुधारों को लेकर एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब वक्फ संपत्तियों का उपयोग सिर्फ गरीब और जरूरतमंद मुस्लिम समुदाय के कल्याण में होगा। भाजपा…

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देहरादून, 18 अप्रैल (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के डोईवाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हर्रावाला इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान डीजे की तेज आवाज को बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गया है। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और घटना की जांच शुरू कर दी गई है। देहरादून घटना का पूरा विवरण यह घटना देर रात की है, जब हर्रावाला क्षेत्र में एक जागरण का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में भारी भीड़ जुटी थी और तेज आवाज में डीजे बजाया जा रहा था। रात के समय डीजे की आवाज को लेकर आसपास के लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी। शिकायत मिलने पर स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और आयोजकों से डीजे की आवाज कम करने को कहा। प्रारंभिक रूप से आयोजकों और डीजे ऑपरेटर ने आवाज कम कर दी, लेकिन कुछ समय बाद फिर से डीजे की आवाज बढ़ा दी गई। आवाज अत्यधिक तेज होने के कारण इलाके में रहने वाले अन्य नागरिकों को परेशानी होने लगी। इसके बाद पुलिस दोबारा घटनास्थल पर पहुंची और डीजे को पूरी तरह से बंद कराने की कोशिश की। बातचीत से बढ़ा विवाद, हमला कर दिया पुलिस टीम द्वारा डीजे बंद कराए जाने को लेकर कुछ स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। बताया जा रहा है कि कुछ युवक नशे में भी थे। विवाद बढ़ता गया और देखते ही देखते कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। इस दौरान एक सिपाही को सिर पर गंभीर चोट आई, जिससे वह लहूलुहान हो गया। घायल सिपाही को तुरंत 108 एंबुलेंस की मदद से स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई घटना की सूचना मिलते ही थाना डोईवाला से और फोर्स मौके पर पहुंची। भीड़ को नियंत्रित किया गया और हंगामा कर रहे आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने बताया कि इस घटना में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने, पुलिस पर हमला करने और शांति भंग करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में इस तरह का बर्ताव निंदनीय है और इससे क्षेत्र की शांति व्यवस्था प्रभावित होती है। वहीं कुछ लोगों ने आरोप लगाया है कि आयोजक बिना अनुमति के कार्यक्रम करवा रहे थे। प्रशासन ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश प्रशासन ने साफ किया है कि इस तरह के मामलों में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। जिले के सभी थाना क्षेत्रों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे आयोजनों पर सख्त निगरानी रखी जाए और बिना अनुमति के डीजे बजाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। क्या कहते हैं नियम सरकारी नियमों के अनुसार रात 10 बजे के बाद किसी भी प्रकार का तेज ध्वनि वाला कार्यक्रम आयोजित करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद नियमों का उल्लंघन करना अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में आयोजकों और हमलावरों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सार देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में जागरण कार्यक्रम के दौरान DJ की तेज आवाज बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। हर्रावाला इलाके की इस घटना में एक सिपाही घायल हो गया। भीड़ ने पुलिसकर्मी के सिर पर हमला किया, जिससे खून बहने लगा। पुलिसकर्मी ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

देहरादून: डीजे बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला, एक सिपाही घायल, सात आरोपी गिरफ्तार

देहरादून, 18 अप्रैल (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के डोईवाला थाना क्षेत्र अंतर्गत हर्रावाला इलाके में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान डीजे की तेज आवाज को बंद कराने पहुंची पुलिस टीम पर हमला कर दिया गया। इस हमले में एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से…

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देहरादून, 15 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा): उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (UBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम की तारीख की आधिकारिक घोषणा कर दी है। बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट 2025 को 19 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 11 बजे घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों का इंतजार खत्म होने वाला है। इस बार उत्तराखंड बोर्ड ने परीक्षाएं समय पर आयोजित कीं और मूल्यांकन कार्य भी निर्धारित समयसीमा में पूरा कर लिया गया, जिससे रिकॉर्ड समय में परिणाम घोषित किया जा रहा है। बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर आएगा रिजल्ट उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं का रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइटों पर उपलब्ध होगा: ubse.uk.gov.in uaresults.nic.in छात्र अपना रिजल्ट रोल नंबर और जन्मतिथि दर्ज करके देख सकेंगे। इसके अलावा रिजल्ट डिजिलॉकर ऐप, एसएमएस सुविधा और कुछ निजी रिजल्ट वेबसाइट्स पर भी उपलब्ध रहेगा। 2.5 लाख से अधिक छात्रों ने दी परीक्षा उत्तराखंड बोर्ड की 10वीं और 12वीं परीक्षाएं 15 फरवरी से 6 मार्च 2025 तक आयोजित की गई थीं। इस वर्ष: लगभग 1.3 लाख छात्र 10वीं की परीक्षा में शामिल हुए। वहीं 1.2 लाख छात्र 12वीं की परीक्षा में बैठे। छात्रों का कहना है कि प्रश्नपत्र सामान्य स्तर के थे और पढ़ाई के अनुसार प्रश्न पूछे गए थे। शिक्षा मंत्री करेंगे रिजल्ट जारी राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की सचिव नीता तिवारी 19 अप्रैल को प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से सुबह 11 बजे परिणाम जारी करेंगे। इसके तुरंत बाद छात्र वेबसाइट पर अपने अंक देख सकेंगे। एक अधिकारी ने बताया: “इस बार उत्तराखंड बोर्ड ने परिणामों को पारदर्शी और समय पर जारी करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। छात्रों की मेहनत का फल उन्हें जल्द मिलेगा।” पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार रिजल्ट की उम्मीदें ज्यादा पिछले वर्ष 10वीं कक्षा का पास प्रतिशत 85.17 प्रतिशत और 12वीं कक्षा का पास प्रतिशत 82.63 प्रतिशत रहा था। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार का पास प्रतिशत इससे बेहतर हो सकता है क्योंकि छात्रों ने पूरे वर्ष ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से पढ़ाई की। लड़कियों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद पिछले वर्षों की तरह इस बार भी लड़कियों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना जताई जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, हर साल लड़कियां बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर अंक प्राप्त कर रही हैं। क्या करें यदि असंतुष्ट हों रिजल्ट से? यदि कोई छात्र अपने रिजल्ट से संतुष्ट नहीं है तो वह उत्तराखंड बोर्ड की वेबसाइट के माध्यम से पुनर्मूल्यांकन (Re-evaluation) या उत्तरपुस्तिका की फोटोकॉपी के लिए आवेदन कर सकता है। यह प्रक्रिया रिजल्ट जारी होने के कुछ दिन बाद शुरू होगी। वहीं जिन छात्रों को एक या दो विषयों में अंक कम मिले हैं या वे फेल हो गए हैं, उनके लिए पूरक परीक्षा (Compartment Exam) का आयोजन जून 2025 में किया जाएगा। रिजल्ट देखने के लिए क्या रखें पास? छात्रों को रिजल्ट देखने के लिए निम्नलिखित चीज़ें तैयार रखनी चाहिए: रोल नंबर जन्मतिथि इंटरनेट कनेक्शन मोबाइल या कंप्यूटर बोर्ड की वेबसाइट पर कभी-कभी ट्रैफिक अधिक होने के कारण धीमा हो सकता है, ऐसे में छात्रों को संयम बनाए रखने की सलाह दी जाती है। निष्कर्ष: उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं के लाखों छात्रों के लिए 19 अप्रैल 2025 एक बड़ा दिन होने जा रहा है। सुबह 11 बजे जैसे ही शिक्षा मंत्री रिजल्ट जारी करेंगे, छात्रों की मेहनत का परिणाम सामने आ जाएगा। समय बोल रहा की ओर से सभी विद्यार्थियों को ढेरों शुभकामनाएं — उम्मीद है कि आप सभी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे।इस बार उत्तराखंड बोर्ड ने परीक्षाएं समय पर आयोजित कीं और मूल्यांकन कार्य भी निर्धारित समयसीमा में पूरा कर लिया गया, जिससे रिकॉर्ड समय में परिणाम घोषित किया जा रहा है।  

उत्तराखंड बोर्ड 10वीं और 12वीं रिजल्ट 2025: 19 अप्रैल को सुबह 11 बजे होगा जारी, छात्रों में उत्साह का माहौल

देहरादून, 15 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा):उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद (UBSE) ने 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम की तारीख की आधिकारिक घोषणा कर दी है। बोर्ड द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, उत्तराखंड बोर्ड रिजल्ट 2025 को 19 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 11 बजे घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही लाखों छात्रों और उनके…

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देहरादून, 11 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लगा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने शुक्रवार को बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा कर दी है। अब सभी स्लैब में प्रति यूनिट दरें पहले की तुलना में अधिक हो जाएंगी। इस निर्णय से आम जनता खासकर घरेलू उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। नई बिजली दरें इस प्रकार हैं: 100 यूनिट तक: पहले 3.40 रुपए प्रति यूनिट थी, अब यह बढ़कर 3.65 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। 101 से 200 यूनिट तक: दर 4.90 रुपए से बढ़कर 5.25 रुपए प्रति यूनिट कर दी गई है। 201 से 400 यूनिट तक: अब 6.70 रुपए की बजाय 7.15 रुपए प्रति यूनिट देना होगा। 400 यूनिट से अधिक: दर 7.35 रुपए से बढ़कर 7.80 रुपए प्रति यूनिट हो गई है। यह वृद्धि राज्य के लगभग सभी घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी। वृद्धि के पीछे का कारण राज्य विद्युत नियामक आयोग ने कहा है कि यह वृद्धि उत्पादन लागत, वितरण खर्च और ट्रांसमिशन लागत में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए की गई है। अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में ऊर्जा की लागत लगातार बढ़ी है, जिससे यह निर्णय लेना अपरिहार्य हो गया था। उपभोक्ताओं में नाराजगी बिजली दरों में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद आम नागरिकों में नाराजगी देखने को मिली है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि पहले ही महंगाई की मार से आम आदमी परेशान है, और अब बिजली की कीमतों में इजाफा उनकी परेशानियों को और बढ़ा देगा। देहरादून निवासी रेखा रावत ने कहा, “महंगाई दिन-ब-दिन बढ़ रही है, अब बिजली का बिल भी बढ़ेगा तो घर का बजट पूरी तरह से बिगड़ जाएगा।” वहीं, हल्द्वानी के कारोबारी संजीव जोशी ने इसे छोटे व्यापारियों के लिए अतिरिक्त आर्थिक दबाव बताया। राजनीतिक प्रतिक्रियाएं विपक्षी दलों ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इस निर्णय की आलोचना की है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “सरकार लगातार आम जनता पर बोझ डाल रही है। जब राज्य में राजस्व वसूली में वृद्धि हो रही है तो आम लोगों पर भार क्यों डाला जा रहा है?” वहीं, सत्ताधारी दल का कहना है कि यह निर्णय नियामक आयोग द्वारा तकनीकी और आर्थिक समीक्षा के बाद लिया गया है और इससे ऊर्जा क्षेत्र की स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी। सरकारी पक्ष ऊर्जा विभाग के सचिव ने कहा कि यह बढ़ोतरी आवश्यक थी ताकि प्रदेश में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बनाए रखा जा सके। “बिजली आपूर्ति में निरंतरता और गुणवत्ता के लिए निवेश की आवश्यकता है, और यह वृद्धि उसी दिशा में एक जरूरी कदम है,” उन्होंने कहा। जल्द होगी लागू राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा तय की गई नई दरें आगामी बिलिंग साइकिल से लागू की जाएंगी। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर पड़ेगा। निष्कर्ष बिजली दरों में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब देशभर में महंगाई की चर्चा है। उत्तराखंड में इस फैसले के दूरगामी प्रभाव देखे जा सकते हैं। उपभोक्ता जहां इससे परेशान हैं, वहीं सरकार और आयोग इसे ऊर्जा आपूर्ति की मजबूती के लिए जरूरी बता रहे हैं। देखना होगा कि आने वाले समय में सरकार इस बढ़ोतरी को लेकर किसी तरह की राहत देती है या नहीं।इस निर्णय से आम जनता खासकर घरेलू उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।यह वृद्धि राज्य के लगभग सभी घरेलू और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी।

उत्तराखंड में बिजली दरों में बढ़ोतरी से उपभोक्ताओं को झटका, सभी स्लैब में बढ़े दाम

देहरादून, 11 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लगा है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने शुक्रवार को बिजली दरों में वृद्धि की घोषणा कर दी है। अब सभी स्लैब में प्रति यूनिट दरें पहले की तुलना में अधिक हो जाएंगी। इस निर्णय से आम जनता खासकर घरेलू उपभोक्ताओं पर…

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उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत देहरादून, 09 जून, 2025 (समय बोल रहा ) उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव आया है। पूर्व में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त होने और जुलाई में प्रस्तावित चुनावों में देरी के कारण, राज्य सरकार ने पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए नए प्रशासकों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। अब जिला पंचायतों की कमान जिलाधिकारी/जिला मजिस्ट्रेट संभालेंगे, क्षेत्र पंचायतों का जिम्मा उपजिलाधिकारी देखेंगे, और ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) प्रशासक होंगे। यह निर्णय तब लिया गया है जब वर्ष 2019 में गठित पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और नए चुनाव अभी संभव नहीं हो सके हैं। इस बदलाव का सीधा असर प्रदेश की लाखों ग्रामीण जनता पर पड़ेगा। कार्यकाल समाप्ति और चुनाव में देरी: क्यों पड़ी प्रशासकों की जरूरत? उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 की धारा-130 (6) के तहत, वर्ष 2019 में गठित प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (जनपद हरिद्वार को छोड़कर) का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। इन पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, शासन ने पूर्व में अधिसूचना संख्या-256316/XII(1)/2024-86(15)/2013/ई-68985 दिनांक 26.11.2024 और अन्य संबंधित अधिसूचनाओं के माध्यम से ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के लिए प्रशासकों की नियुक्ति का अधिकार संबंधित जिलाधिकारियों को दिया था। ये प्रशासक कार्यकाल समाप्ति की तिथि से छह महीने तक या नई पंचायतों के गठन तक, जो भी पहले हो, के लिए नियुक्त किए गए थे। हालांकि, इन नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल भी अब समाप्त हो चुका है। ग्राम पंचायतों में 27 मई 2025 को, क्षेत्र पंचायतों में 29 मई 2025 को, और जिला पंचायतों में 01 जून 2025 को कार्यकाल समाप्त हो गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि "अति अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण" त्रिस्तरीय पंचायतों का सामान्य निर्वाचन, प्रशासकों के कार्यकाल समाप्ति की तिथि से पूर्व कराया जाना साध्य नहीं हो सका है। इसी अप्रत्याशित देरी के कारण, अब नई अंतरिम व्यवस्था लागू की गई है। नई प्रशासकीय व्यवस्था: कौन संभालेगा किसकी कमान? वर्तमान की "अपरिहार्य परिस्थिति" को देखते हुए, प्रदेश में जुलाई 2025 में प्रस्तावित आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (हरिद्वार को छोड़कर) प्रक्रिया संपन्न होने तक या नवीन पंचायतों के गठन तक, अथवा 31 जुलाई 2025 (जो भी पहले हो) तक, कार्यहित, जनहित और पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए नए अधिकारियों को प्रशासक के रूप में अधिकृत किया गया है। यह निर्णय प्रमोद कुमार बिजलवान, समीक्षा अधिकारी, पंचायती राज विभाग द्वारा 09/06/2025 को जारी अधिसूचना (संख्या: 305002 जैनराज बिंदु-1 /XII(1)/2025/86(15)/2013/ई-68985) में विस्तृत रूप से बताया गया है। नई व्यवस्था के तहत, निम्नवत् अधिकारियों को प्रशासक की जिम्मेदारी सौंपी गई है: जिला पंचायतों में: संबंधित जिलाधिकारी / जिला मजिस्ट्रेट को जिला पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह दिखाता है कि जिला स्तर पर शासन ने सबसे उच्च अधिकारी पर भरोसा जताया है ताकि विकास कार्य और प्रशासनिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे। क्षेत्र पंचायतों में: संबंधित उपजिलाधिकारी (अपनी क्षेत्राधिकारिता में) क्षेत्र पंचायतों का कार्यभार संभालेंगे। उपजिलाधिकारी की नियुक्ति से ब्लॉक स्तर पर प्रभावी निगरानी और निर्णय लेने की क्षमता बनी रहेगी। ग्राम पंचायतों में: संबंधित विकासखंड में तैनात सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) को ग्राम पंचायतों का प्रशासक नियुक्त किया गया है। यह पद ग्रामीण स्तर पर सीधे जनता से जुड़ा होता है और योजनाओं के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि चुनावी प्रक्रिया पूरी होने और नई निर्वाचित पंचायतों के गठन तक ग्रामीण विकास कार्य और जन सेवाएं बाधित न हों। पुरानी शर्तों का यथावत् रहना और आगे की राह अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि प्रदेश की त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार को छोड़कर) में प्रशासक नियुक्त किए जाने संबंधी प्रस्तर-1 में उल्लिखित पूर्व निर्गत अधिसूचनाओं में निहित शेष शर्ते यथावत रहेंगी। इसका अर्थ है कि प्रशासकों के अधिकार और जिम्मेदारियां पूर्व में निर्धारित नियमों के अनुरूप ही होंगी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था के सुचारू संचालन की आवश्यकता है। हरिद्वार जिले को इस व्यवस्था से बाहर रखा गया है, संभवतः वहां की चुनावी या प्रशासनिक स्थिति अलग होने के कारण। अब सभी की निगाहें जुलाई 2025 में होने वाले प्रस्तावित पंचायत चुनावों पर टिकी हैं, जो नई निर्वाचित पंचायतों को सत्ता में लाएंगे और ग्रामीण स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से स्थापित करेंगे। इस बीच, नए प्रशासक जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने और विकास कार्यों को गति देने की चुनौती का सामना करेंगे।

अब पंचायत चुनावों की वोटर लिस्ट मिलेगी ऑनलाइन, घर बैठे जांचें अपना नाम – आयोग इस सप्ताह करेगा जारी

देहरादून, 10 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)।उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारी जोरों पर है। इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को और अधिक सुविधा देने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। आयोग पहली बार पंचायत चुनावों की मतदाता सूची को ऑनलाइन उपलब्ध कराने जा रहा है, ताकि ग्रामीण मतदाता भी डिजिटल…

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देहरादून, 2 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। (आंगनबाड़ी भर्ती ) उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने करीब सात हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है। इस बहुप्रतीक्षित भर्ती प्रक्रिया के तहत हजारों महिलाओं को न केवल रोजगार का अवसर मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विकास और पोषण के लिए कार्यरत व्यवस्था को भी सशक्त बनाया जाएगा। जनवरी में निकली थी आंगनबाड़ी भर्ती की विज्ञप्ति वर्ष 2025 की शुरुआत में ही राज्य सरकार द्वारा लगभग 7000 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इन पदों पर आवेदन के लिए प्रदेशभर से हजारों महिलाओं और युवतियों ने ऑनलाइन आवेदन किया। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के पद शामिल हैं, जो बाल विकास परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 20 अप्रैल तक पूरी होगी आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया मंगलवार को विधानसभा भवन के सभागार में आयोजित बैठक के दौरान महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों और परियोजना अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 20 अप्रैल 2025 तक यह भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। इसके बाद मई महीने में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे। मोबाइल और सिम भी मिलेगा आंगनबाड़ी केंद्र को मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि नई नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी उपलब्ध कराए जाएंगे। यह सिम विशेष रूप से संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र को अलॉट किया जाएगा ताकि कार्यकत्रियों के बीच विभागीय संचार बेहतर हो सके। साथ ही प्रत्येक कार्यकत्री को दो हजार रुपये का रिचार्ज भत्ता भी दिया जाएगा और विभाग की ओर से इंटरनेट डाटा खर्च का वहन भी किया जाएगा। कल्याण कोष से आर्थिक सुरक्षा का खाका तैयार बैठक में मंत्री ने यह भी बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए आंगनबाड़ी कल्याण कोष से बेटियों की शिक्षा, विवाह, या हादसे की स्थिति में परिवार को आर्थिक मदद देने हेतु एक विस्तृत योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। यह योजना कार्यकत्रियों और उनके परिवारों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी। नई महिला नीति भी जल्द आएगी सामने रेखा आर्या ने बताया कि राज्य की नई महिला नीति लगभग तैयार हो चुकी है, जिसे अगली कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। इस नीति में महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए व्यापक दिशा-निर्देश और योजनाएं शामिल होंगी। इसमें एकल महिलाओं, विधवाओं और वृद्धावस्था की महिलाओं के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया है। ‘मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना’ में भी होंगे संशोधन बैठक के दौरान मंत्री ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना में कुछ आवश्यक संशोधन किए गए हैं, जिन्हें जल्द ही कैबिनेट से अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। इस योजना के तहत एकल महिलाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण, प्रशिक्षण और विपणन सहायता जैसे लाभ दिए जाएंगे। छह जिलों में बनेगा 50-बेड का महिला छात्रावास महिला शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंत्री ने बताया कि प्रदेश के छह जनपदों में 50-बेड के नए महिला आवासीय छात्रावासों की स्थापना के लिए सरकार की मंजूरी मिल चुकी है। ये छात्रावास उन युवतियों के लिए लाभदायक होंगे, जो उच्च शिक्षा के लिए अपने गांवों से दूर जाकर पढ़ाई करती हैं। महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य में महिला सशक्तिकरण और बाल विकास की दिशा में एक सशक्त पहल है। जहां एक ओर 7000 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर आंगनबाड़ी सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। रेखा आर्या ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिका भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता बरती जाए, ताकि योग्य अभ्यर्थियों को ही मौका मिल सके।

20 अप्रैल तक पूरी होगी उत्तराखंड की आंगनबाड़ी भर्ती, जानिए कौन होगा चयनित

देहरादून, 2 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। (आंगनबाड़ी भर्ती ) उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने करीब सात हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है। इस बहुप्रतीक्षित भर्ती प्रक्रिया के तहत हजारों महिलाओं को न केवल रोजगार का…

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देहरादून, 10 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की रणभेरी बजते ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपनी रणनीति पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने और पंचायती राज व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से, भाजपा ने अब ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए व्यापक स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है। यह कदम भाजपा की दूरगामी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य जमीनी स्तर तक अपनी पैठ बनाना है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री मनवीर चौहान ने इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट के निर्देश पर, राज्य के सभी जिलों में ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए योग्य और अनुभवी पदाधिकारियों को प्रभारी घोषित कर दिया गया है। यह नियुक्तियां पार्टी की संगठनात्मक शक्ति और आगामी चुनावों के प्रति उसकी गंभीरता को दर्शाती हैं। ब्लॉक प्रमुख चुनाव: ग्रामीण सत्ता की दूसरी सबसे बड़ी सीढ़ी ग्राम प्रधान के बाद, ब्लॉक प्रमुख का पद ग्रामीण सत्ता संरचना की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी माना जाता है। ब्लॉक प्रमुख, क्षेत्र पंचायत समिति (ब्लॉक पंचायत) का मुखिया होता है, जो कई ग्राम पंचायतों को जोड़कर बनता है। यह पद ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन, फंड्स के वितरण और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक समन्वय में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, ब्लॉक प्रमुख का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता, बल्कि क्षेत्र पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है, जो पहले ग्राम पंचायत चुनावों में चुनकर आते हैं। ऐसे में, ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के लिए प्रभारियों की नियुक्ति भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि वे क्षेत्र पंचायत सदस्यों के बीच अपना प्रभाव स्थापित कर सकें और पार्टी समर्थित उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित कर सकें। भाजपा की रणनीति: जमीनी स्तर पर पकड़ और संगठनात्मक मजबूती भाजपा ने इन प्रभारियों की नियुक्ति करके यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पंचायत चुनावों को कितनी गंभीरता से ले रही है। इन प्रभारियों का मुख्य कार्य संबंधित ब्लॉकों में चुनावी रणनीति तैयार करना, योग्य उम्मीदवारों की पहचान करना और उन्हें समर्थन देना, स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित करना और यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीतें। यह कदम भाजपा को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ और मजबूत करने में मदद करेगा, जिससे भविष्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी पार्टी को फायदा मिल सकता है। इन नियुक्तियों के माध्यम से भाजपा ग्रामीण मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाने और उन्हें पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास कर रही है। जिलावार प्रभारियों की लंबी सूची: अनुभवी नेताओं पर भरोसा भाजपा ने ब्लॉक प्रमुख चुनावों के लिए जिन प्रभारियों की घोषणा की है, उनमें पार्टी के कई अनुभवी और जमीनी स्तर पर सक्रिय नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह सूची प्रदेश के सभी जिलों और उनके अंतर्गत आने वाले विभिन्न ब्लॉकों को कवर करती है, जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा ने इस चुनाव के लिए व्यापक स्तर पर तैयारी की है: उत्तरकाशी जनपद: नौगांव ब्लॉक: डॉ. विजय बडोनी पुरोला ब्लॉक: श्री सत्ये सिंह राणा मोरी ब्लॉक: श्री नारायण सिंह चौहान चिनयौलीसैन: श्री जगत सिंह चौहान भटवाड़ी: श्री राम सुंदर नौटियाल डूंडा: श्री धन सिंह नेगी चमोली जनपद: दसौली: श्री राजकुमार पुरोहित पोखरी: श्री हरक सिंह नेगी ज्योतिर्मठ: श्री रामचंद्र गौड़ नंदा नगर: श्री समीर मिश्रा नारायणबगड़: श्री रघुवीर सिंह बिष्ट थराली: श्री गजेंद्र सिंह रावत देवल: श्री विनोद नेगी गैरसैण: श्री कृष्ण मणि थपलियाल कर्णप्रयाग: श्री विक्रम भंडारी रुद्रप्रयाग जनपद: अगस्तमुनि: श्री रमेश गाड़िया ऊखीमठ: श्री वाचस्पति सेमवाल जखोली: श्री रमेश मैखुरी टिहरी जनपद: भिलंगना: श्री अतर सिंह तोमर कीर्ति नगर: श्री विनोद रतूड़ी देवप्रयाग: श्री जोत सिंह बिष्ट नरेंद्र नगर: श्री रविंद्र राणा प्रताप नगर: श्री महावीर सिंह रंगड़ जाखड़ीधार: श्री सुभाष रमोला चंबा: श्री दिनेश घने थौलधार: श्री विनोद सुयाल जौनपुर: श्री खेम सिंह चौहान देहरादून जनपद: कालसी: श्री दिगंबर नेगी चकराता: श्री भुवन विक्रम डबराल विकासनगर: श्री यशपाल नेगी सहसपुर: श्री संजय गुप्ता रायपुर: श्री ओमवीर राघव डोईवाला: श्री नलिन भट्ट पौड़ी जनपद: पौड़ी: श्री ऋषि कंडवाल कोट: श्री वीरेंद्र रावत क्लजीखाल: श्री सुधीर जोशी खिर्सू: श्री मीरा रतूड़ी थलीसैंण: श्रीमती सुषमा रावत पाबो: श्री यशपाल बेनाम पोखडा: श्री जगमोहन रावत एकेश्वर: श्री विकास कुकरेती बीरोंखाल: श्री गिरीश पैन्यूली कोटद्वार: यमकेश्वर श्री मुकेश कोली द्वारीखाल: श्री शमशेर सिंह पुंडीर दुगड्डा: श्री संदीप गुप्ता नैनीडांडा: श्री महावीर कुकरेती जहरीखाल: श्री उमेश त्रिपाठी रिखणीखाल: श्री राजेंद्र अन्थवाल पिथौरागढ़ जनपद: धारचूला: श्री धन सिंह धामी मुनस्यारी: श्री अशोक नबियाल मुनकोट: श्री गणेश भंडारी डीडीहाट: श्री राजेंद्र सिंह रावत कनालीछीना: श्री राकेश देवाल पिथौरागढ़: श्री भूपेश पंत बेरीनाग: श्री बसंत जोशी गंगोलीहाट: श्री ललित पंत बागेश्वर जनपद: कपकोट: श्री इंद्र सिंह फर्स्वाण बागेश्वर: श्री देवेंद्र गोस्वामी गरुड़: श्री शिव सिंह बिष्ट रानीखेत (अल्मोड़ा जिला): द्वाराहाट: श्री अनिल शाही चौखुटिया: श्री पूरन सांगला साल्ट: श्री प्रेम शर्मा स्याल्दे: श्री सुरेंद्र मनराल ताड़ीखेत: श्री पूरन चंद नैनवाल भिकियासैंण: श्री सुभाष पांडे अल्मोड़ा जनपद: ताकुला: श्री अरविंद बिष्ट भैंसियाछाना: श्री रमेश बहुगुणा हवालबाग: श्री गौरव पांडे धौलादेवी: श्री रवि रौतेला लमगड़ा: श्री ललित लटवाल चंपावत जनपद: बाराकोट: श्री श्याम नारायण पांडे पाटी: श्री सतीश पांडे लोहाघाट: श्री शंकर पांडे चंपावत: श्री शंकर कोरंगा नैनीताल जनपद: धारी: श्री दीपक मेहरा ओखल कांडा: श्री चंदन सिंह बिष्ट रामगढ़: श्री मोहन पाल भीमताल: श्री प्रदीप जनौटी बेतालघाट: श्री देवेंद्र ढेला हल्द्वानी: श्री गोपाल रावत कोटा बाग: श्री तरुण बंसल रामनगर: श्री गुंजन सुखीजा उधमसिंह नगर जनपद: जसपुर: सरदार मंजीत सिंह बाजपुर: श्री राम मेहरोत्रा काशीपुर: श्री विवेक सक्सेना गदरपुर: श्री प्रदीप बिष्ट रुद्रपुर: श्री दिनेश आर्य सितारगंज: श्री दान सिंह रावत खटीमा: श्री उत्तम दत्ता आगामी चुनावी बिसात और सियासी हलचल इन नियुक्तियों से स्पष्ट है कि भाजपा ने पंचायत चुनाव की बिसात पर अपनी चालें चलना शुरू कर दिया है। यह कदम राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा करेगा और अन्य राजनीतिक दलों, विशेषकर कांग्रेस को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर करेगा। ब्लॉक प्रमुख चुनाव सीधे तौर पर भले ही पार्टी सिंबल पर न लड़े जाते हों, लेकिन इन पर सत्ताधारी दल का दबदबा काफी महत्वपूर्ण होता है। भाजपा का लक्ष्य ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक हर स्तर पर अपने समर्थित प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या सुनिश्चित करना है, ताकि राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को ग्रामीण स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की यह 'मास्टरस्ट्रोक' रणनीति ब्लॉक प्रमुख चुनावों में कितनी सफल होती है और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सत्ता का समीकरण कैसे बदलता है।

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