चारधाम यात्रा के शुभारंभ पर कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ यात्रा’ पर भाजपा का प्रहार: ‘राज्य विरोधी और विघ्नकारी कदम’ करार

देहरादून, 29 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ) भाजपा ने चारधाम यात्रा के शुभारंभ के दिन कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘संविधान बचाओ यात्रा’ को राज्यविरोधी, पवित्र कार्यों में विघ्न डालने वाला और जनविरोधी करार दिया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के अभियान को “बिल्ली के सौ चूहे खाकर हज को चली” जैसा बताया।
भट्ट ने कहा कि जब प्रदेश में चारधाम यात्रा जैसी पावन और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत हो रही है, तब कांग्रेस का राजनीतिक आंदोलन शुरू करना उसकी नकारात्मक मानसिकता और विकास विरोधी सोच को दर्शाता है। उन्होंने अपील की कि अगर कांग्रेस में थोड़ी भी नैतिकता शेष है तो वह इस कार्यक्रम को तत्काल रद्द करे और यात्रा में सहयोग दे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह यात्रा केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आर्थिक रीढ़ है। ऐसे समय में यात्रा के प्रबंधन में प्रशासन और आम जनता जुटे हैं, तब कांग्रेस द्वारा संविधान बचाओ यात्रा जैसे कार्यक्रम का आयोजन यात्रा में अवरोध उत्पन्न करने का प्रयास है।
भट्ट ने यह भी जोड़ा कि कांग्रेस की यह हरकत और भी दुर्भाग्यपूर्ण तब हो जाती है जब पूरा देश हाल ही में पहल्गाम में हुए आतंकी हमले के कारण दुख और आक्रोश में है। देशवासी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवादियों को जवाब देने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस नकारात्मक राजनीति में लगी हुई है।
कांग्रेस का दोहरा चरित्र: आपातकाल और धारा 356 का उदाहरण
भाजपा नेता ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि संविधान की दुहाई देने वाली पार्टी ही इतिहास में लोकतंत्र की सबसे बड़ी हत्यारी रही है। उन्होंने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया और कहा कि कांग्रेस ने सत्ता बचाने के लिए संसद, न्यायपालिका, मीडिया सभी को बंधक बनाया था।
धारा 356 के दुरुपयोग का हवाला देते हुए भट्ट ने कहा कि देश में 124 बार इस धारा का प्रयोग हुआ, जिनमें 102 बार कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त करने के लिए इसका दुरुपयोग किया।
370, वक्फ कानून और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर भी कांग्रेस घिरी
भट्ट ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान के साथ बार-बार छेड़छाड़ की है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 लागू कर जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग दिखाने का पाप किया। साथ ही वक्फ कानून लाकर उसे भूमि माफियाओं के लिए हथियार बना दिया। वहीं भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के श्राप से मुक्त किया।
राजीव गांधी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट कर कांग्रेस ने न्यायिक स्वतंत्रता का अपमान किया और संविधान के मूल सिद्धांतों को कमजोर किया।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर व्यक्तिगत हमले
भट्ट ने सोनिया गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के जरिए नियंत्रित किया और रिमोट कंट्रोल सरकार चलाने का प्रयास किया। वहीं राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपनी ही सरकार के अध्यादेश को सार्वजनिक रूप से फाड़ता है, वह संविधान बचाने की बात कैसे कर सकता है?
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान को कई बार ठेस पहुंचाई है। उदाहरण के लिए 1951 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ मंदिर उद्घाटन से रोका गया और 2006 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को विदेश यात्रा से बुलाकर अध्यादेश पर हस्ताक्षर कराया गया।
संविधान बचाओ यात्रा: जनता को गुमराह करने की राजनीति
भट्ट ने कांग्रेस की प्रस्तावित संविधान बचाओ यात्रा को पूरी तरह जनभावनाओं को भड़काने वाला, भ्रम फैलाने वाला और लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा देश में अराजकता और अस्थिरता फैलाने की साजिश है। कांग्रेस संविधान की रक्षा नहीं, बल्कि उसकी मूल भावना के साथ खिलवाड़ करना चाहती है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने संविधान के प्रति सच्चा सम्मान दिखाया है — संविधान दिवस मनाकर, डॉ. आंबेडकर को उचित सम्मान देकर और संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बनाए रखकर। इसके विपरीत कांग्रेस ने लोकतंत्र और संविधान के नाम पर सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ साधा है।
कांग्रेस को करनी चाहिए आत्मचिंतन
भट्ट ने अंत में कहा कि कांग्रेस को संविधान की दुहाई देने से पहले अपने अतीत के संविधान विरोधी कृत्यों पर आत्मचिंतन करना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस यदि वास्तव में देशहित में है तो उसे अपनी ‘संविधान बचाओ यात्रा’ को स्थगित कर चारधाम यात्रा में सहयोग देना चाहिए, जिससे देश-प्रदेश का हित और लोक श्रद्धा दोनों सुरक्षित रह सकें।