बिग ब्रेकिंग: उत्तराखंड में STF का ‘ऑपरेशन प्रहार’ सफल! 62 लाख की ठगी का मास्टरमाइंड इंजीनियर गिरफ्तार, 4.35 करोड़ के लेनदेन का सनसनीखेज खुलासा

देहरादून, 4 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में साइबर अपराध के खिलाफ चलाए जा रहे एसटीएफ के ‘ऑपरेशन प्रहार’ को बड़ी सफलता मिली है। साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने एक ऐसे शातिर साइबर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने मात्र एक महीने के भीतर 4.35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। इस ठग का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि यह कोई सामान्य अपराधी नहीं, बल्कि सिविल इंजीनियरिंग की डिग्रीधारी है, जिसने अपनी तकनीकी समझ का दुरुपयोग कर फर्जी मैट्रीमोनियल साइट्स, व्हाट्सएप कॉलिंग और नकली क्रिप्टो एप्लीकेशन्स के ज़रिए भोले-भाले लोगों को करोड़ों का चूना लगाया।
यह गिरफ्तारी साइबर अपराध के लगातार बढ़ते जाल को उजागर करती है और बताती है कि कैसे पढ़े-लिखे लोग भी गलत रास्ते पर चलकर वित्तीय अपराधों के मास्टरमाइंड बन रहे हैं।
शादी के नाम पर दोस्ती, फिर क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट का ‘जाल’
इस बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा नैनीताल निवासी एक पीड़ित की शिकायत के बाद हुआ। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि उसकी sangam.com नामक एक लोकप्रिय मैट्रीमोनियल वेबसाइट पर ‘आरुषि रॉय’ (Aroshi Roy) नाम की एक महिला से पहचान हुई थी। ऑनलाइन हुई यह पहचान कुछ समय बाद व्हाट्सएप चैट और कॉलिंग तक पहुंच गई, जहां महिला ने पीड़ित से विश्वास कायम किया।
धोखेबाज महिला ने खुद को कंबोडिया में एक बड़े कपड़े के व्यापारी के रूप में पेश किया और पीड़ित को बताया कि वह क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर भारी मुनाफा कमा रही है। विश्वास जीतने के लिए, उसने पीड़ित को ‘Ban’ नामक एक एप्लीकेशन के ज़रिए क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए राजी किया। शुरुआती लेनदेन में, जालसाजों ने छोटी रकम वापस लौटाकर पीड़ित का भरोसा जीता, जिससे पीड़ित को लगा कि यह एक वैध और मुनाफे वाला निवेश है। इस तरह से भरोसा जीतने के बाद, धोखेबाजों ने पीड़ित से लगभग ₹62.50 लाख रुपये अलग-अलग बैंक खातों में जमा करवा लिए। जब पीड़ित को अपने पैसों की वापसी में दिक्कत आने लगी और संपर्क टूट गया, तब उसे एहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो चुका है।
फर्जी ‘Banocoin’ ऐप से दिखाते थे मुनाफा, लालच में फँसते थे लोग
इस साइबर गैंग की स्क्रिप्ट बेहद चालाकी और सोच-समझकर तैयार की गई थी। पीड़ितों को जाल में फंसाने के लिए, जालसाज ‘Banocoin’ नामक एक फर्जी एप्लीकेशन का इस्तेमाल करते थे। इस ऐप पर, उन्हें निवेशित राशि पर फर्जी मुनाफा दिखाया जाता था। यह दिखावटी मुनाफा निवेशकों को और अधिक पैसा निवेश करने के लिए प्रेरित करता था। इस लालच में आकर, कई लोग लाखों रुपये तक गंवा बैठे।
पुलिस जांच में जो सामने आया वह और भी चौंकाने वाला था। आरोपी फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल कर मैट्रीमोनियल साइट्स पर महिलाओं का प्रोफाइल बनाकर चैटिंग करता था। शुरुआती पहचान के बाद, वह व्हाट्सएप कॉल के जरिए पीड़ितों से संपर्क साधता था और अपनी मीठी बातों और भरोसेमंद आवाज के जरिए उन्हें अपने जाल में फंसाता था। यह एक बेहद ही परिष्कृत तरीका था जिससे पीड़ितों को पता ही नहीं चल पाता था कि वे एक शातिर ठग के चंगुल में फंस रहे हैं।
तमिलनाडु से दबोचा गया इंजीनियर ठग: पहले भी दर्जनभर मुकदमे
उत्तराखंड एसटीएफ की साइबर थाना कुमाऊं टीम ने तकनीकी विश्लेषण और खुफिया जानकारी के आधार पर इस ठगी के मास्टरमाइंड तक पहुंच बनाई। आरोपी वेल्मुरुगन (VELMURUGAN S/O KUPPUSAMY) को तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी साइबर अपराध के खिलाफ एसटीएफ की लगातार सक्रियता का प्रमाण है।
प्रारंभिक पूछताछ में पुलिस को पता चला कि वेल्मुरुगन एक सिविल इंजीनियरिंग डिग्रीधारी है, जो यह साबित करता है कि साइबर अपराधी अब केवल अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं, बल्कि तकनीकी रूप से कुशल पेशेवर भी इस दलदल में फंस रहे हैं। पूछताछ में यह भी सामने आया कि सिर्फ एक महीने में आरोपी के बैंक खातों से 4.35 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है! यह आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि यह सिर्फ एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि वेल्मुरुगन देशभर में फैले एक बड़े और संगठित साइबर गैंग की एक महत्वपूर्ण कड़ी हो सकता है।
वेल्मुरुगन का आपराधिक इतिहास भी लंबा है। उसके खिलाफ पहले से ही तमिलनाडु के विभिन्न साइबर थानों में चार मामले दर्ज हैं:
- FIR No. 102/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कोयंबटूर, तमिलनाडु
- FIR No. 188/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कोयंबटूर, तमिलनाडु
- FIR No. 47/2024, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, मदुरई, तमिलनाडु
- FIR No. 28/2023, साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, कांचीपुरम, तमिलनाडु
यह दर्शाता है कि यह अपराधी लंबे समय से साइबर धोखाधड़ी के धंधे में लिप्त था।
STF का दृढ़ संकल्प: “अब नहीं बख्शे जाएंगे साइबर शातिर”
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक STF नवनीत सिंह के निर्देशन में, साइबर थाना कुमाऊं की टीम ने इस पूरे घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंस्पेक्टर अरुण कुमार की अगुवाई वाली टीम ने तकनीकी विश्लेषण, विभिन्न बैंक खातों की जांच, व्हाट्सएप डेटा और सर्विस प्रोवाइडर्स से प्राप्त डाटा का गहन अध्ययन किया, जिसके आधार पर आरोपी तक पहुंचा जा सका। गिरफ्तारी के बाद आरोपी को हल्द्वानी जेल भेज दिया गया है, और आगे की पूछताछ और जांच जारी है ताकि इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सके।
एसटीएफ ने स्पष्ट संदेश दिया है कि साइबर अपराधियों को अब बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ ‘ऑपरेशन प्रहार’ लगातार जारी रहेगा।
जनता को STF की चेतावनी: “लालच में आए तो लुट गए समझो”
साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, एसटीएफ ने आम जनता के लिए एक सख्त चेतावनी जारी की है, जिसका शीर्षक है: “लालच में आए तो लुट गए समझो।” आयोग ने लोगों को इन बिंदुओं पर विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है:
- फर्जी मैट्रीमोनियल साइट्स से अत्यधिक सतर्क रहें। ऑनलाइन पहचान पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
- व्हाट्सएप कॉलिंग या किसी भी सोशल मीडिया पर अजनबियों से दोस्ती करने से पहले उनकी विश्वसनीयता की पूरी जांच करें।
- कोई भी फर्जी एप्लिकेशन, जैसे Banocoin या इसी तरह के अन्य प्लेटफॉर्म, पर इन्वेस्टमेंट करने से बचें। ये अक्सर बड़े मुनाफे का लालच देकर आपको फंसाते हैं।
- YouTube लाइक, सब्सक्राइब और टेलीग्राम चैनल पर दिख रहे आकर्षक इन्वेस्टमेंट ऑफर अक्सर एक बड़ा जाल होते हैं। इनकी हकीकत जाने बिना निवेश न करें।
- सोशल मीडिया पर किसी से भी दोस्ती करने से पहले अत्यधिक सतर्कता बरतें और अपनी निजी जानकारी साझा न करें।
- किसी भी फर्जी कॉल या वेबसाइट पर अपनी बैंक डिटेल्स, ओटीपी, पिन या अन्य गोपनीय जानकारी कभी भी शेयर न करें।
- यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो बिना देर किए तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या अपने नजदीकी साइबर थाना से संपर्क करें।
यह गिरफ्तारी साइबर अपराधों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की दृढ़ता को दर्शाती है, लेकिन जनता की जागरूकता और सावधानी ही ऐसे अपराधों से बचने का सबसे बड़ा हथियार है।