सावधान! गर्मियों की छुट्टियों में सफर बना आफत: ट्रेनों की लेटलतीफी ने छीनी यात्रियों की ‘खुशी’, अब प्लेटफॉर्म पर घंटों इंतजार!

नई दिल्ली, 28 मई 2025 (समय बोल रहा): देश भर के स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, और इसी के साथ लाखों लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने या पहाड़ों की ठंडी वादियों में घूमने का प्लान बनाकर निकल पड़े हैं। लेकिन, छुट्टियों के इस खुशनुमा माहौल में भी ट्रेनों की अनियंत्रित लेटलतीफी ने रेल यात्रियों की मुसीबतें कई गुना बढ़ा दी हैं। दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल समेत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, गोरखपुर और मुजफ्फरनगर जैसे प्रमुख रूटों पर चलने वाली ट्रेनें घंटों देरी से पहुंच रही हैं, जिससे यात्रियों को भीषण गर्मी में प्लेटफॉर्म पर लंबा और थकाऊ इंतजार करने को मजबूर होना पड़ रहा है। राप्तीगंगा एक्सप्रेस की बदहाली: चार घंटे की देरी ने यात्रियों को रुलाया ट्रेनों की देरी का ताजा और सबसे बड़ा उदाहरण गोरखपुर से आने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस का है। देहरादून रेलवे स्टेशन अधीक्षक रविंद्र कुमार ने बताया कि यह महत्वपूर्ण ट्रेन मंगलवार को अपने निर्धारित समय से करीब चार घंटे की देरी से शाम छह बजे देहरादून पहुंची। इतनी बड़ी देरी के कारण, इस ट्रेन को देहरादून से भी अपने अगले गंतव्य के लिए तीन घंटे 45 मिनट की देरी से रात सात बजे रवाना किया जा सका। ट्रेनों की इस भयावह अनियमितता ने यात्रियों को, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को, भारी असुविधा में डाल दिया है। मैदानी शहरों की तपिश से पहाड़ों का रुख, पर रेलवे की चुनौती मई-जून का महीना आते ही, मैदानी इलाकों में गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है। ऐसे में लाखों लोग मैदानी शहरों की तपिश से राहत पाने के लिए पर्वतीय राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं। स्कूलों की गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने से यह भीड़ और भी बढ़ जाती है, क्योंकि परिवार बच्चों के साथ हिल स्टेशनों की तरफ पलायन करते हैं। इन पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के लिए रेलवे अक्सर परिवहन का सबसे किफायती और पसंदीदा साधन होता है। लेकिन, ट्रेनों की लगातार देरी उनके सफर को आरामदायक रहने के बजाय एक दुःस्वप्न में बदल रही है। समर स्पेशल ट्रेनों की भी यही कहानी: वेटिंग लिस्ट और निराशा रेलवे विभाग ने गर्मियों के सीजन में यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और उनकी सुविधा के लिए कई समर स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। ये ट्रेनें यूपी के कई शहरों सहित दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात और राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण रूटों पर अतिरिक्त सेवाएं प्रदान कर रही हैं। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, इन समर स्पेशल ट्रेनों में भी सीटों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है। इसका मतलब है कि यात्रियों को, विशेषकर जो आखिरी समय में टिकट बुक करते हैं, कंफर्म सीट नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी मुश्किल पैदा कर रही है, जिन्होंने पहले से अपनी छुट्टियों की योजना बना रखी है और अब टिकट न मिलने के कारण अपनी यात्रा रद्द करने या महंगी वैकल्पिक व्यवस्था करने पर मजबूर हैं। रेलवे को सुधारने होंगे इंतजाम: यात्रियों को चाहिए समयबद्ध और आरामदायक सफर ट्रेनों की यह लगातार लेटलतीफी सीधे तौर पर लाखों यात्रियों की यात्रा योजनाओं को प्रभावित कर रही है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ रहा है। खासकर ऐसे समय में जब बच्चे छुट्टी पर होते हैं और परिवार एक साथ यात्रा करना चाहते हैं, ट्रेनों का समय पर न चलना निराशाजनक है। रेलवे प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर तुरंत और गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्हें ट्रेनों के संचालन को सुचारु बनाने और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। समय पर ट्रेनों का चलना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि इससे रेलवे की विश्वसनीयता और छवि भी मजबूत होगी।

नई दिल्ली, 28 मई 2025 (समय बोल रहा): देश भर के स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, और इसी के साथ लाखों लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने या पहाड़ों की ठंडी वादियों में घूमने का प्लान बनाकर निकल पड़े हैं। लेकिन, छुट्टियों के इस खुशनुमा माहौल में भी ट्रेनों की अनियंत्रित लेटलतीफी ने रेल यात्रियों की मुसीबतें कई गुना बढ़ा दी हैं। दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल समेत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, गोरखपुर और मुजफ्फरनगर जैसे प्रमुख रूटों पर चलने वाली ट्रेनें घंटों देरी से पहुंच रही हैं, जिससे यात्रियों को भीषण गर्मी में प्लेटफॉर्म पर लंबा और थकाऊ इंतजार करने को मजबूर होना पड़ रहा है।


राप्तीगंगा एक्सप्रेस की बदहाली: चार घंटे की देरी ने यात्रियों को रुलाया

ट्रेनों की देरी का ताजा और सबसे बड़ा उदाहरण गोरखपुर से आने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस का है। देहरादून रेलवे स्टेशन अधीक्षक रविंद्र कुमार ने बताया कि यह महत्वपूर्ण ट्रेन मंगलवार को अपने निर्धारित समय से करीब चार घंटे की देरी से शाम छह बजे देहरादून पहुंची। इतनी बड़ी देरी के कारण, इस ट्रेन को देहरादून से भी अपने अगले गंतव्य के लिए तीन घंटे 45 मिनट की देरी से रात सात बजे रवाना किया जा सका। ट्रेनों की इस भयावह अनियमितता ने यात्रियों को, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को, भारी असुविधा में डाल दिया है।


मैदानी शहरों की तपिश से पहाड़ों का रुख, पर रेलवे की चुनौती

मई-जून का महीना आते ही, मैदानी इलाकों में गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है। ऐसे में लाखों लोग मैदानी शहरों की तपिश से राहत पाने के लिए पर्वतीय राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं। स्कूलों की गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने से यह भीड़ और भी बढ़ जाती है, क्योंकि परिवार बच्चों के साथ हिल स्टेशनों की तरफ पलायन करते हैं। इन पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के लिए रेलवे अक्सर परिवहन का सबसे किफायती और पसंदीदा साधन होता है। लेकिन, ट्रेनों की लगातार देरी उनके सफर को आरामदायक रहने के बजाय एक दुःस्वप्न में बदल रही है।


समर स्पेशल ट्रेनों की भी यही कहानी: वेटिंग लिस्ट और निराशा

रेलवे विभाग ने गर्मियों के सीजन में यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और उनकी सुविधा के लिए कई समर स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। ये ट्रेनें यूपी के कई शहरों सहित दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात और राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण रूटों पर अतिरिक्त सेवाएं प्रदान कर रही हैं। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, इन समर स्पेशल ट्रेनों में भी सीटों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है। इसका मतलब है कि यात्रियों को, विशेषकर जो आखिरी समय में टिकट बुक करते हैं, कंफर्म सीट नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी मुश्किल पैदा कर रही है, जिन्होंने पहले से अपनी छुट्टियों की योजना बना रखी है और अब टिकट न मिलने के कारण अपनी यात्रा रद्द करने या महंगी वैकल्पिक व्यवस्था करने पर मजबूर हैं।


रेलवे को सुधारने होंगे इंतजाम: यात्रियों को चाहिए समयबद्ध और आरामदायक सफर

ट्रेनों की यह लगातार लेटलतीफी सीधे तौर पर लाखों यात्रियों की यात्रा योजनाओं को प्रभावित कर रही है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ रहा है। खासकर ऐसे समय में जब बच्चे छुट्टी पर होते हैं और परिवार एक साथ यात्रा करना चाहते हैं, ट्रेनों का समय पर न चलना निराशाजनक है। रेलवे प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर तुरंत और गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्हें ट्रेनों के संचालन को सुचारु बनाने और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। समय पर ट्रेनों का चलना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि इससे रेलवे की विश्वसनीयता और छवि भी मजबूत होगी।

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