रामनगर मे टांडा चौराहे पर ‘मौत के डिवाइडर’ से टकराई कार, काशीपुर की ओर से आ रहे 24 वर्षीय युवक की मौत

काशीपुर, 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – काशीपुर के टांडा चौराहे पर एक बार फिर एक भीषण सड़क हादसा हुआ है, जिसने एक युवा जिंदगी को असमय लील लिया। गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे, रामनगर की ओर से काशीपुर आ रही एक तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर सड़क के बीच बने डिवाइडर से टकरा गई। इस दर्दनाक हादसे में कार में सवार चार लोगों में से एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई। यह दुर्घटना एक बार फिर टांडा चौराहे पर बने उस डिवाइडर पर सवाल खड़े कर रही है, जिसे स्थानीय लोग 'मौत का डिवाइडर' कहते हैं क्योंकि यह बनने के बाद से कई लोगों की जान ले चुका है। दोपहर में हुआ हादसा: तेज रफ्तार बनी काल यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना दिन के उजाले में तब घटी जब रामनगर-काशीपुर मार्ग पर वाहनों की सामान्य आवाजाही थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुरुवार दोपहर लगभग 2 बजे, रामनगर की दिशा से काशीपुर की ओर एक तेज गति से आ रही कार काशीपुर के टांडा चौराहे पर पहुंचते ही अनियंत्रित हो गई। चालक वाहन पर नियंत्रण नहीं रख सका और कार सीधे सड़क के बीच बने डिवाइडर से जा टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, और उसमें सवार लोगों को गंभीर चोटें आईं। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी और उसमें सवार चार लोगों में से एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। अन्य घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार जारी है। उनकी विस्तृत स्थिति के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन उन्हें भी गंभीर चोटें आने की आशंका है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। मृतक की पहचान: मुरादाबाद का आदित्य (24) इस दर्दनाक हादसे में अपनी जान गंवाने वाले युवक की पहचान आदित्य (उम्र 24 वर्ष) के रूप में हुई है। वह मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के निवासी श्री सत्येंद्र सिंह के पुत्र थे। आदित्य की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार और दोस्तों को गहरे सदमे में डाल दिया है। एक युवा और होनहार जीवन का सड़क हादसे में यूं समाप्त हो जाना बेहद दुखद है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। उनके परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है, और वे काशीपुर के लिए रवाना हो चुके हैं। यह घटना एक बार फिर सड़क सुरक्षा के महत्व और वाहन चालकों द्वारा गति सीमा का पालन करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। दिन के समय भी अत्यधिक गति दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन सकती है। टांडा चौराहे का 'मौत का डिवाइडर': चिंता का सबब इस दुर्घटना ने एक बार फिर काशीपुर के टांडा चौराहे पर बने डिवाइडर की डिजाइन और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिवाइडर बनने के बाद से ही हादसों का सबब बना हुआ है। कई बार इसे 'मौत का डिवाइडर' या 'ब्लैक स्पॉट' भी कहा जाता है, क्योंकि यहां पहले भी कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह चौराहा काशीपुर और रामनगर के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है, और यहां की भौगोलिक स्थिति तथा वाहनों की तेज गति इसे और खतरनाक बना देती है। जानकारों के अनुसार, इस डिवाइडर की बनावट में कुछ खामियां हो सकती हैं। जैसे: अस्पष्ट साइनेज: डिवाइडर से पहले पर्याप्त चेतावनी संकेत या रिफ्लेक्टिव मार्कर न होने से चालक को अचानक इसका सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे तेज़ गति में हों। डिजाइन संबंधी मुद्दे: कुछ डिवाइडर ऐसे बनाए जाते हैं जिनकी शुरुआती ऊंचाई या ढलान ठीक नहीं होती, जिससे तेज रफ्तार वाहनों के टकराने की आशंका बढ़ जाती है। चालकों की लापरवाही: ओवरस्पीडिंग, लापरवाही से ड्राइविंग, या ध्यान भंग होना भी ऐसे हादसों को जन्म देता है। स्थानीय प्रशासन और लोक निर्माण विभाग को इस डिवाइडर की डिजाइन और सुरक्षा उपायों की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है। यहां स्पष्ट चेतावनी बोर्ड, रिफ्लेक्टर और गति नियंत्रित करने वाले उपाय जैसे स्पीड ब्रेकर या रंबल स्ट्रिप्स लगाने अनिवार्य हो गए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके और यह चौराहा लोगों के लिए सुरक्षित बन सके। पुलिस जांच जारी: सड़क सुरक्षा पर गंभीर मंथन की जरूरत हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। पुलिस ने क्षतिग्रस्त कार को हटाकर मार्ग को सामान्य किया और घटना के संबंध में आवश्यक साक्ष्य जुटाए। पुलिस ने आवश्यक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है। दुर्घटना कैसे हुई, कहीं चालक नशे में तो नहीं था, या वाहन की गति क्या थी, इन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। जरूरत पड़ने पर तकनीकी विशेषज्ञों की मदद भी ली जाएगी। यह दुखद घटना उत्तराखंड में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं की ओर भी ध्यान खींचती है। सड़कों की स्थिति और चालकों की लापरवाही, दोनों ही दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। सरकार और संबंधित विभागों को ब्लैक स्पॉट की पहचान करने, सड़कों के बुनियादी ढांचे में सुधार करने, और सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियानों को तेज करने की आवश्यकता है। वाहन चालकों को भी वाहन चलाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, गति सीमा का पालन करना चाहिए, और थकान या नशे की हालत में वाहन चलाने से बचना चाहिए। आदित्य की मृत्यु एक दुखद रिमाइंडर है कि सड़क पर एक छोटी सी चूक या बुनियादी ढांचे की खामी कितनी भारी पड़ सकती है। इस घटना से सबक लेकर टांडा चौराहे पर सुरक्षा उपायों को तत्काल मजबूत करने की उम्मीद की जा रही है, ताकि यह 'मौत का डिवाइडर' फिर किसी की जान न ले सके।

रामनगर 28 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – रामनगर के टांडा चौराहे पर एक बार फिर एक भीषण सड़क हादसा हुआ है, जिसने एक युवा जिंदगी को असमय लील लिया। गुरुवार दोपहर करीब 2 बजे, काशीपुर की ओर से रामनगर आ रही एक तेज रफ्तार कार अनियंत्रित होकर सड़क के बीच बने डिवाइडर से टकरा गई। इस दर्दनाक हादसे में कार में सवार चार लोगों में से एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई। यह दुर्घटना एक बार फिर टांडा चौराहे पर बने उस डिवाइडर पर सवाल खड़े कर रही है, जिसे स्थानीय लोग ‘मौत का डिवाइडर’ कहते हैं क्योंकि यह बनने के बाद से कई लोगों की जान ले चुका है।


दोपहर में हुआ हादसा: तेज रफ्तार बनी काल

यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना दिन के उजाले में तब घटी जब रामनगर-काशीपुर मार्ग पर वाहनों की सामान्य आवाजाही थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, गुरुवार दोपहर लगभग 2 बजे, काशीपुर की दिशा से रामनगर की ओर एक तेज गति से आ रही कार रामनगर के टांडा चौराहे पर पहुंचते ही अनियंत्रित हो गई। चालक वाहन पर नियंत्रण नहीं रख सका और कार सीधे सड़क के बीच बने डिवाइडर से जा टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि कार का अगला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया, और उसमें सवार लोगों को गंभीर चोटें आईं।

हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी और उसमें सवार चार लोगों में से एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। अन्य घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उनका उपचार जारी है। उनकी विस्तृत स्थिति के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन उन्हें भी गंभीर चोटें आने की आशंका है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।


मृतक की पहचान: मुरादाबाद का आदित्य (24)

इस दर्दनाक हादसे में अपनी जान गंवाने वाले युवक की पहचान आदित्य (उम्र 24 वर्ष) के रूप में हुई है। वह मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के निवासी श्री सत्येंद्र सिंह के पुत्र थे। आदित्य की असामयिक मृत्यु ने उनके परिवार और दोस्तों को गहरे सदमे में डाल दिया है। एक युवा और होनहार जीवन का सड़क हादसे में यूं समाप्त हो जाना बेहद दुखद है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। उनके परिजनों को घटना की सूचना दे दी गई है, और वे काशीपुर के लिए रवाना हो चुके हैं।

यह घटना एक बार फिर सड़क सुरक्षा के महत्व और वाहन चालकों द्वारा गति सीमा का पालन करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। दिन के समय भी अत्यधिक गति दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन सकती है।


टांडा चौराहे का ‘मौत का डिवाइडर’: चिंता का सबब

इस दुर्घटना ने एक बार फिर रामनगर के टांडा चौराहे पर बने डिवाइडर की डिजाइन और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों और सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिवाइडर बनने के बाद से ही हादसों का सबब बना हुआ है। कई बार इसे ‘मौत का डिवाइडर’ या ‘ब्लैक स्पॉट’ भी कहा जाता है, क्योंकि यहां पहले भी कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यह चौराहा रामनगर और काशीपुर के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है, और यहां की भौगोलिक स्थिति तथा वाहनों की तेज गति इसे और खतरनाक बना देती है।

जानकारों के अनुसार, इस डिवाइडर की बनावट में कुछ खामियां हो सकती हैं। जैसे:

  • अस्पष्ट साइनेज: डिवाइडर से पहले पर्याप्त चेतावनी संकेत या रिफ्लेक्टिव मार्कर न होने से चालक को अचानक इसका सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे तेज़ गति में हों।
  • डिजाइन संबंधी मुद्दे: कुछ डिवाइडर ऐसे बनाए जाते हैं जिनकी शुरुआती ऊंचाई या ढलान ठीक नहीं होती, जिससे तेज रफ्तार वाहनों के टकराने की आशंका बढ़ जाती है।
  • चालकों की लापरवाही: ओवरस्पीडिंग, लापरवाही से ड्राइविंग, या ध्यान भंग होना भी ऐसे हादसों को जन्म देता है।

स्थानीय प्रशासन और लोक निर्माण विभाग को इस डिवाइडर की डिजाइन और सुरक्षा उपायों की तत्काल समीक्षा करने की आवश्यकता है। यहां स्पष्ट चेतावनी बोर्ड, रिफ्लेक्टर और गति नियंत्रित करने वाले उपाय जैसे स्पीड ब्रेकर या रंबल स्ट्रिप्स लगाने अनिवार्य हो गए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सके और यह चौराहा लोगों के लिए सुरक्षित बन सके।


पुलिस जांच जारी: सड़क सुरक्षा पर गंभीर मंथन की जरूरत

हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य शुरू किया। पुलिस ने क्षतिग्रस्त कार को हटाकर मार्ग को सामान्य किया और घटना के संबंध में आवश्यक साक्ष्य जुटाए। पुलिस ने आवश्यक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है और आगे की जांच जारी है। दुर्घटना कैसे हुई, कहीं चालक नशे में तो नहीं था, या वाहन की गति क्या थी, इन सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। जरूरत पड़ने पर तकनीकी विशेषज्ञों की मदद भी ली जाएगी।

यह दुखद घटना उत्तराखंड में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं की ओर भी ध्यान खींचती है। सड़कों की स्थिति और चालकों की लापरवाही, दोनों ही दुर्घटनाओं का कारण बन रही हैं। सरकार और संबंधित विभागों को ब्लैक स्पॉट की पहचान करने, सड़कों के बुनियादी ढांचे में सुधार करने, और सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियानों को तेज करने की आवश्यकता है। वाहन चालकों को भी वाहन चलाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, गति सीमा का पालन करना चाहिए, और थकान या नशे की हालत में वाहन चलाने से बचना चाहिए।

आदित्य की मृत्यु एक दुखद रिमाइंडर है कि सड़क पर एक छोटी सी चूक या बुनियादी ढांचे की खामी कितनी भारी पड़ सकती है। इस घटना से सबक लेकर टांडा चौराहे पर सुरक्षा उपायों को तत्काल मजबूत करने की उम्मीद की जा रही है, ताकि यह ‘मौत का डिवाइडर’ फिर किसी की जान न ले सके।


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