अब पंचायत चुनावों की वोटर लिस्ट मिलेगी ऑनलाइन, घर बैठे जांचें अपना नाम – आयोग इस सप्ताह करेगा जारी

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है, क्योंकि एक तरफ पंचायतीराज एक्ट में अपेक्षित संशोधन अभी तक नहीं हो पाया है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का निर्धारण भी सरकार द्वारा लंबित है। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, राज्य सरकार की निगाहें इस समय राजभवन पर टिकी हुई हैं, जहां पंचायतीराज एक्ट में संशोधन से संबंधित अध्यादेश स्वीकृति के लिए विचाराधीन है। ऐसे में, उम्मीद जताई जा रही है कि यदि राजभवन से इस अध्यादेश को हरी झंडी मिल जाती है, तो राज्य निर्वाचन आयोग इसी माह के अंत तक पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी कर सकता है। वर्तमान में, उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतें प्रशासकों के भरोसे संचालित हो रही हैं। राज्य सरकार ने ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों को ही प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी है। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है क्योंकि त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच वर्ष का संवैधानिक कार्यकाल पिछले वर्ष नवंबर और दिसंबर महीने में ही समाप्त हो चुका था। चुनाव प्रक्रिया को समय पर पूरा न कर पाने के कारण, राज्य सरकार के लिए पंचायतों में प्रशासकों को नियुक्त करना एक मजबूरी बन गया था ताकि स्थानीय स्तर पर शासन और विकास कार्य सुचारू रूप से चलते रहें। उत्तराखंड के 13 जिलों में से हरिद्वार जिले को छोड़कर बाकी सभी 12 जिलों में पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। हरिद्वार जिले में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों के साथ ही आयोजित किए जाते हैं। प्रदेश के शेष 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर, 30 नवंबर और 1 दिसंबर को समाप्त हो गया था। इसके बावजूद, राज्य सरकार विभिन्न आवश्यक औपचारिकताओं को समय पर पूरा नहीं कर पाई, जिसके कारण चुनाव प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। पंचायतीराज एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, प्रशासकों का कार्यकाल अधिकतम छह महीने का ही हो सकता है। यह छह महीने की समय सीमा इसी महीने मई में समाप्त होने वाली है। स्पष्ट है कि राज्य सरकार को इस समय सीमा के भीतर पंचायत चुनावों को लेकर कोई ठोस निर्णय लेना होगा। यदि सरकार वास्तव में पंचायत चुनाव कराना चाहती है, तो उसे सबसे पहले संशोधित पंचायती राज एक्ट को लागू करवाना होगा। इसके पश्चात ही ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण किया जा सकेगा। सरकार की यह पूरी तैयारी होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए विधिवत अधिसूचना जारी करने की स्थिति में आएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया में हो रही देरी के बावजूद, राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त सुशील कुमार सार्वजनिक रूप से यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को संपन्न कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आयोग की ओर से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है। अब केवल ओबीसी आरक्षण का निर्धारण ही शेष रह गया है। इस प्रकार, पंचायत चुनावों को लेकर जो मुख्य अड़चन है, वह तकनीकी रूप से पंचायती राज एक्ट के संशोधन पर अटकी हुई है। इस संशोधन के लागू होने के बाद ही ओबीसी आरक्षण के निर्धारण पर अंतिम फैसला लिया जा सकेगा। वर्तमान स्थिति यह है कि संशोधन से संबंधित अध्यादेश फिलहाल राज्यपाल के कार्यालय यानी राजभवन में विचाराधीन है, और सरकार को इसकी स्वीकृति का बेसब्री से इंतजार है। राज्य सरकार के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रशासकों का छह महीने का कार्यकाल समाप्त होने से पहले यदि चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होती है, तो पंचायतों के कामकाज पर और भी अधिक अनिश्चितता का माहौल बन सकता है। इसलिए, सरकार की पूरी कोशिश है कि राजभवन से जल्द ही अध्यादेश को मंजूरी मिल जाए ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके और स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल किया जा सके। अब सभी की निगाहें राजभवन पर टिकी हुई हैं कि कब वहां से इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को हरी झंडी मिलती है और उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनावों का रास्ता साफ होता है।

देहरादून, 10 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारी जोरों पर है। इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को और अधिक सुविधा देने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। आयोग पहली बार पंचायत चुनावों की मतदाता सूची को ऑनलाइन उपलब्ध कराने जा रहा है, ताकि ग्रामीण मतदाता भी डिजिटल माध्यम से अपना नाम सूची में देख सकें।

इस निर्णय से न सिर्फ पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल सशक्तिकरण की दिशा में यह एक अहम कदम होगा।


एनआईसी और आयोग की बैठक में हुआ अंतिम निर्णय

राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राहुल गोयल ने बताया कि मंगलवार को आयोग के अधिकारियों और एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के बीच बैठक हुई। बैठक में पंचायत चुनावों के लिए तैयार मतदाता सूचियों को आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने पर अंतिम निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि आगामी दो से तीन दिनों में मतदाता सूची वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी जाएगी।


हर पंचायत में पहले से पहुंचाई गई थी मतदाता सूची

इस बार निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को जागरूक करने के लिए पहले ही कदम उठाए हैं। पहली बार हर पंचायत क्षेत्र में मतदाता सूची की हार्ड कॉपी पहुंचाई गई थी ताकि लोग समय रहते अपना नाम जांच सकें और अगर कोई गलती हो तो उसे ठीक कराया जा सके। इसके लिए प्रदेशभर में विशेष संशोधन अभियान भी चलाया गया था।


बैलेट पेपरों की छपाई शुरू, कुछ जिलों में भेजे भी गए

राज्य निर्वाचन आयोग ने नौ जिलों के लिए पंचायत चुनावों हेतु बैलेट पेपर छपवाकर संबंधित जिलों में भेज दिए हैं। हरिद्वार में फिलहाल चुनाव नहीं होंगे। बाकी तीन जिलों के लिए प्रक्रिया जारी है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी जिलों को समय पर चुनाव सामग्री मिल सके और चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो।


ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार लाएगी अध्यादेश

उत्तराखंड सरकार पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण देने की दिशा में भी सक्रिय है। इसके लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन आवश्यक है। सूत्रों के अनुसार पंचायती राज विभाग ने इसके लिए अध्यादेश तैयार कर लिया है, जिसे शीघ्र ही कैबिनेट की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।

यह अध्यादेश एकल सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है, जिसमें प्रत्येक पंचायत में ओबीसी आरक्षण की स्थिति स्पष्ट की गई है। सरकार का यह कदम सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


डिजिटल लोकतंत्र की ओर एक कदम

मतदाता सूची को ऑनलाइन करना न केवल एक तकनीकी बदलाव है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और सहभागिता को भी बढ़ावा देगा। इससे लोग समय पर अपनी जानकारी जांच सकेंगे और चुनावों में सक्रिय भागीदारी कर सकेंगे। साथ ही इससे निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।


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