17वें कृषि विज्ञान सम्मेलन में राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया उद्घाटन, सतत कृषि विकास पर दिया जोर

रुद्रपुर, 20 फरवरी 2025 (SamayBolRaha) – गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर में आयोजित 17वें कृषि विज्ञान सम्मेलन एवं प्रदर्शनी समारोह का उद्घाटन उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह ने किया। तीन दिवसीय इस आयोजन में उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और किसानों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं उद्यमियों को संबोधित किया। भारतीय कृषि की चुनौतियां और समाधान अपने उद्घाटन भाषण में राज्यपाल ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन, घटते प्राकृतिक संसाधन और तकनीकी उन्नति जैसी चुनौतियां कृषि क्षेत्र के सामने हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होंने सतत कृषि को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण, जैविक खेती, प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसी तकनीकों को अपनाना जरूरी हो गया है। इसके अलावा, ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो टेक्नोलॉजी और स्मार्ट फार्मिंग जैसी नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करके किसानों की उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार किया जा सकता है। किसानों के लिए तकनीकी और सरकारी योजनाओं की जानकारी जरूरी राज्यपाल ने कहा कि सरकार और वैज्ञानिक समुदाय को मिलकर ऐसी योजनाएं बनानी होंगी, जिससे तकनीकी ज्ञान और संसाधन सीधे किसानों तक पहुंच सकें। किसानों को सरकारी योजनाओं, वित्तीय सहायता और नवीनतम शोधों की पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे इनका लाभ उठा सकें। उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र की संभावनाएं राज्यपाल ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की विशेषताओं और चुनौतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यहां की कृषि योग्य भूमि सीमित है, लेकिन पारंपरिक फसलें जैसे मोटे अनाज (मडुवा, झंगोरा) पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इसलिए इन फसलों का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैविक खेती का केंद्र बन सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। राज्य सरकार ने मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया है, जो भारत सरकार के मिलेट मिशन के अनुरूप है। डिजिटल कृषि और किसान उत्पादक संगठन (FPO) का महत्व राज्यपाल ने किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स से जोड़ने पर जोर दिया, ताकि वे अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FPO) और सहकारी समितियों को मजबूत करने की आवश्यकता बताई, जिससे किसान सीधे बाजार से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए। कृषि को लाभकारी उद्यम बनाने की जरूरत राज्यपाल ने कहा कि कृषि को सिर्फ एक परंपरा के रूप में नहीं, बल्कि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, डेयरी फार्मिंग और कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध होंगे तो लोग पलायन नहीं करेंगे और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। कृषि विज्ञान सम्मेलन का महत्व यह अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन विभिन्न शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, छात्रों और किसानों को अपने शोध और अनुभव साझा करने का मंच प्रदान करता है। इस अवसर पर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया। इस दौरान कुलपति डॉ. एम.एस. चौहान, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, एसएसपी मणिकांत मिश्रा, अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी, एएसपी निहारिका तोमर और कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक मौजूद रहे। निष्कर्ष राज्यपाल ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने सभी किसानों और वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे सतत कृषि को बढ़ावा दें, तकनीक को अपनाएं और कृषि को एक समृद्ध क्षेत्र बनाएं। मुख्य बिंदु: ✅ सतत कृषि अपनाने पर जोर ✅ डिजिटल कृषि और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का महत्व ✅ उत्तराखंड में जैविक और मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा ✅ किसान उत्पादक संगठन और ई-कॉमर्स से जुड़ने की अपील ✅ जलवायु अनुकूल फसलें और जल संरक्षण की जरूरत

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रुद्रपुर, 20 फरवरी 2025 (SamayBolRaha) – गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर में आयोजित 17वें कृषि विज्ञान सम्मेलन एवं प्रदर्शनी समारोह का उद्घाटन उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह ने किया। तीन दिवसीय इस आयोजन में उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और किसानों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों एवं उद्यमियों को संबोधित किया।

भारतीय कृषि की चुनौतियां और समाधान

अपने उद्घाटन भाषण में राज्यपाल ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश रहा है, लेकिन वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन, घटते प्राकृतिक संसाधन और तकनीकी उन्नति जैसी चुनौतियां कृषि क्षेत्र के सामने हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए उन्होंने सतत कृषि को अपनाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि जल संरक्षण, जैविक खेती, प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसी तकनीकों को अपनाना जरूरी हो गया है। इसके अलावा, ड्रोन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनो टेक्नोलॉजी और स्मार्ट फार्मिंग जैसी नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करके किसानों की उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार किया जा सकता है।

किसानों के लिए तकनीकी और सरकारी योजनाओं की जानकारी जरूरी

राज्यपाल ने कहा कि सरकार और वैज्ञानिक समुदाय को मिलकर ऐसी योजनाएं बनानी होंगी, जिससे तकनीकी ज्ञान और संसाधन सीधे किसानों तक पहुंच सकें। किसानों को सरकारी योजनाओं, वित्तीय सहायता और नवीनतम शोधों की पूरी जानकारी होनी चाहिए ताकि वे इनका लाभ उठा सकें।

उत्तराखंड में कृषि क्षेत्र की संभावनाएं

राज्यपाल ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि की विशेषताओं और चुनौतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यहां की कृषि योग्य भूमि सीमित है, लेकिन पारंपरिक फसलें जैसे मोटे अनाज (मडुवा, झंगोरा) पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इसलिए इन फसलों का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड जैविक खेती का केंद्र बन सकता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। राज्य सरकार ने मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया है, जो भारत सरकार के मिलेट मिशन के अनुरूप है।

डिजिटल कृषि और किसान उत्पादक संगठन (FPO) का महत्व

राज्यपाल ने किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स से जोड़ने पर जोर दिया, ताकि वे अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, किसान उत्पादक संगठन (FPO) और सहकारी समितियों को मजबूत करने की आवश्यकता बताई, जिससे किसान सीधे बाजार से जुड़ सकें।

उन्होंने कहा कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए।

कृषि को लाभकारी उद्यम बनाने की जरूरत

राज्यपाल ने कहा कि कृषि को सिर्फ एक परंपरा के रूप में नहीं, बल्कि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित करने की जरूरत है। इसके लिए मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, डेयरी फार्मिंग और कृषि पर्यटन जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध होंगे तो लोग पलायन नहीं करेंगे और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी

कृषि विज्ञान सम्मेलन का महत्व

यह अंतरराष्ट्रीय कृषि विज्ञान सम्मेलन विभिन्न शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, छात्रों और किसानों को अपने शोध और अनुभव साझा करने का मंच प्रदान करता है। इस अवसर पर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया।

इस दौरान कुलपति डॉ. एम.एस. चौहान, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, एसएसपी मणिकांत मिश्रा, अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी, एएसपी निहारिका तोमर और कई प्रतिष्ठित वैज्ञानिक मौजूद रहे।

निष्कर्ष

राज्यपाल ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में कृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने सभी किसानों और वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे सतत कृषि को बढ़ावा दें, तकनीक को अपनाएं और कृषि को एक समृद्ध क्षेत्र बनाएं

मुख्य बिंदु:

सतत कृषि अपनाने पर जोर
डिजिटल कृषि और स्मार्ट टेक्नोलॉजी का महत्व
उत्तराखंड में जैविक और मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा
किसान उत्पादक संगठन और ई-कॉमर्स से जुड़ने की अपील
जलवायु अनुकूल फसलें और जल संरक्षण की जरूरत


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