आपातकाल के 50 साल: काशीपुर में अजय भट्ट बोले- ‘ये देश की आत्मा पर हमला था’; नई पीढ़ी के लिए अहम संदेश

काशीपुर, 25 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आज काशीपुर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गौतमी हाईट्स होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में देश और उत्तराखंड के लोकतंत्र प्रेमियों ने एकजुट होकर आपातकाल के दमनकारी प्रभावों को याद किया और भविष्य में लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहने का सामूहिक संकल्प दोहराया। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यह दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर सजग रहने का संकल्प दिवस है। मुख्य अतिथि अजय भट्ट: "आपातकाल देश की आत्मा पर हमला था" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री एवं नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के सांसद श्री अजय भट्ट उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने आपातकाल के दौर को याद करते हुए उसे भारतीय इतिहास का एक दुखद और चुनौतीपूर्ण अध्याय बताया। श्री भट्ट ने जोर देते हुए कहा, "आपातकाल देश की आत्मा पर हमला था, जिसे देशवासियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष ने पीछे धकेला।" उन्होंने बताया कि कैसे उस दौरान नागरिक अधिकारों का हनन किया गया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई और राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था। भट्ट ने उन गुमनाम नायकों को भी याद किया जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया और लोकतंत्र की बहाली के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी से आह्वान किया कि वे आपातकाल के इतिहास से सबक लें और भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति को पनपने न दें, जो लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर करती हो। उनका यह संबोधन लोकतंत्र के प्रति गहरी निष्ठा और उसकी रक्षा के संकल्प को दर्शाता था। मनोज पाल: "वर्तमान पीढ़ी को आपातकाल की सच्चाई बताना आवश्यक" कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के ऊधमसिंह नगर के जिलाध्यक्ष श्री मनोज पाल ने की। अपने प्रभावशाली संबोधन में उन्होंने आपातकाल के दौरान की सच्चाई को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाने की महत्ता पर जोर दिया। श्री पाल ने कहा, "आपातकाल की सच्चाई को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है ताकि वह जान सकें कि लोकतंत्र कितने संघर्षों से मिला है।" उन्होंने बताया कि कैसे एक लोकतांत्रिक देश में संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था और आम नागरिकों को भय के माहौल में जीना पड़ा था। मनोज पाल ने युवाओं से आग्रह किया कि वे इतिहास को समझें, लोकतंत्र के महत्व को पहचानें और उसे किसी भी कीमत पर कमजोर न पड़ने दें। उन्होंने कहा कि यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि हम उन संघर्षों को याद रखें जिनके बल पर हमें यह स्वतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था मिली है, और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी तानाशाही प्रवृत्तियां कभी सिर न उठा पाएं। प्रमुख नेताओं व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने बढ़ाया गरिमा इस महत्वपूर्ण अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य लोग, नेता और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिन्होंने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया और लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में शामिल थे: काशीपुर विधायक श्री त्रिलोक सिंह चीमा काशीपुर मेयर श्री दीपक बाली पीसीयू अध्यक्ष श्री राम मल्होत्रा पूर्व विधायक डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल प्रदेश मंत्री श्री गुरविंदर सिंह चंडोक गन्ना राज्य मंत्री श्री मनजीत सिंह राजू पूर्व प्रदेश मंत्री श्रीमती सीमा चौहान निवर्तमान जिला महामंत्री श्री मोहन बिष्ट निवर्तमान जिला महामंत्री डॉ. सुदेश मंडल अध्यक्ष श्री राजकुमार गुंबर मंडल अध्यक्ष श्री पंकज छाबड़ा श्री भास्कर तिवारी पार्षद श्रीमती बिना नेगी पार्षद श्रीमती कल्पना राणा पार्षद श्री जसवीर सिंह सैनी इन सभी नेताओं और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इस बात को बल दिया कि लोकतंत्र की रक्षा और आपातकाल जैसे काले अध्याय को याद रखना किसी एक दल या व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे समाज का सामूहिक कर्तव्य है। लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प दिवस कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि 25 जून का दिन केवल इतिहास के एक काले अध्याय को स्मरण करने का नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहने का संकल्प दिवस है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना होगा, और किसी भी ऐसी शक्ति को पनपने नहीं देना होगा जो लोकतांत्रिक संस्थाओं और मूल्यों को कमजोर करना चाहती हो। वक्ताओं ने प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपातकाल ने हमें सिखाया कि लोकतंत्र कितना नाजुक हो सकता है और इसे बनाए रखने के लिए निरंतर चौकसी की आवश्यकता होती है। यह कार्यक्रम एक मजबूत संदेश के साथ संपन्न हुआ कि भारतीय समाज अपने लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए हमेशा खड़ा रहेगा और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट रहेगा। इस आयोजन ने न केवल 50 साल पुरानी घटना को याद किया, बल्कि भविष्य के लिए लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रेरणा

काशीपुर, 25 जून, 2025 – (समय बोल रहा ) – भारतीय लोकतंत्र के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर आज काशीपुर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गौतमी हाईट्स होटल में आयोजित इस कार्यक्रम में देश और उत्तराखंड के लोकतंत्र प्रेमियों ने एकजुट होकर आपातकाल के दमनकारी प्रभावों को याद किया और भविष्य में लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहने का सामूहिक संकल्प दोहराया। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यह दिन केवल स्मरण का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए निरंतर सजग रहने का संकल्प दिवस है।


मुख्य अतिथि अजय भट्ट: “आपातकाल देश की आत्मा पर हमला था”

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री एवं नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के सांसद श्री अजय भट्ट उपस्थित रहे। अपने संबोधन में उन्होंने आपातकाल के दौर को याद करते हुए उसे भारतीय इतिहास का एक दुखद और चुनौतीपूर्ण अध्याय बताया। श्री भट्ट ने जोर देते हुए कहा, “आपातकाल देश की आत्मा पर हमला था, जिसे देशवासियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और संघर्ष ने पीछे धकेला।” उन्होंने बताया कि कैसे उस दौरान नागरिक अधिकारों का हनन किया गया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई और राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था।

भट्ट ने उन गुमनाम नायकों को भी याद किया जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया और लोकतंत्र की बहाली के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी से आह्वान किया कि वे आपातकाल के इतिहास से सबक लें और भविष्य में ऐसी किसी भी स्थिति को पनपने न दें, जो लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर करती हो। उनका यह संबोधन लोकतंत्र के प्रति गहरी निष्ठा और उसकी रक्षा के संकल्प को दर्शाता था।


मनोज पाल: “वर्तमान पीढ़ी को आपातकाल की सच्चाई बताना आवश्यक”

कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के ऊधमसिंह नगर के जिलाध्यक्ष श्री मनोज पाल ने की। अपने प्रभावशाली संबोधन में उन्होंने आपातकाल के दौरान की सच्चाई को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाने की महत्ता पर जोर दिया। श्री पाल ने कहा, “आपातकाल की सच्चाई को वर्तमान पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है ताकि वह जान सकें कि लोकतंत्र कितने संघर्षों से मिला है।” उन्होंने बताया कि कैसे एक लोकतांत्रिक देश में संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था और आम नागरिकों को भय के माहौल में जीना पड़ा था।

मनोज पाल ने युवाओं से आग्रह किया कि वे इतिहास को समझें, लोकतंत्र के महत्व को पहचानें और उसे किसी भी कीमत पर कमजोर न पड़ने दें। उन्होंने कहा कि यह हमारा सामूहिक दायित्व है कि हम उन संघर्षों को याद रखें जिनके बल पर हमें यह स्वतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्था मिली है, और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी तानाशाही प्रवृत्तियां कभी सिर न उठा पाएं।


प्रमुख नेताओं व जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने बढ़ाया गरिमा

इस महत्वपूर्ण अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य लोग, नेता और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे, जिन्होंने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया और लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उपस्थित प्रमुख व्यक्तियों में शामिल थे:

  • काशीपुर विधायक श्री त्रिलोक सिंह चीमा
  • काशीपुर मेयर श्री दीपक बाली
  • पीसीयू अध्यक्ष श्री राम मल्होत्रा
  • पूर्व विधायक डॉ. शैलेन्द्र मोहन सिंघल
  • प्रदेश मंत्री श्री गुरविंदर सिंह चंडोक
  • गन्ना राज्य मंत्री श्री मनजीत सिंह राजू
  • पूर्व प्रदेश मंत्री श्रीमती सीमा चौहान
  • निवर्तमान जिला महामंत्री श्री मोहन बिष्ट
  • निवर्तमान जिला महामंत्री डॉ. सुदेश
  • मंडल अध्यक्ष श्री राजकुमार गुंबर
  • मंडल अध्यक्ष श्री पंकज छाबड़ा
  • श्री भास्कर तिवारी
  • पार्षद श्रीमती बिना नेगी
  • पार्षद श्रीमती कल्पना राणा
  • पार्षद श्री जसवीर सिंह सैनी

इन सभी नेताओं और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने इस बात को बल दिया कि लोकतंत्र की रक्षा और आपातकाल जैसे काले अध्याय को याद रखना किसी एक दल या व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे समाज का सामूहिक कर्तव्य है।


लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प दिवस

कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि 25 जून का दिन केवल इतिहास के एक काले अध्याय को स्मरण करने का नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र की रक्षा के लिए सजग रहने का संकल्प दिवस है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना होगा, और किसी भी ऐसी शक्ति को पनपने नहीं देना होगा जो लोकतांत्रिक संस्थाओं और मूल्यों को कमजोर करना चाहती हो।

वक्ताओं ने प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के महत्व पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपातकाल ने हमें सिखाया कि लोकतंत्र कितना नाजुक हो सकता है और इसे बनाए रखने के लिए निरंतर चौकसी की आवश्यकता होती है। यह कार्यक्रम एक मजबूत संदेश के साथ संपन्न हुआ कि भारतीय समाज अपने लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए हमेशा खड़ा रहेगा और किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट रहेगा। इस आयोजन ने न केवल 50 साल पुरानी घटना को याद किया, बल्कि भविष्य के लिए लोकतंत्र को मजबूत करने की प्रेरणा भी दी।

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