उत्तराखंड में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का हल्लाबोल! देवभूमि में 38 ढोंगी बाबा दबोचे, एक बांग्लादेशी भी गिरफ्तार; सनातन धर्म की आड़ में धोखाधड़ी पर नकेल!

देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे 'देवभूमि' के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते हुए, उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने वाले ऐसे ढोंगी बाबाओं के खिलाफ राज्य में 'ऑपरेशन कालनेमि' की शुरुआत की गई है, और इसके पहले ही दिन पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस ऑपरेशन के तहत प्रदेश भर से 38 ढोंगी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है जो भेष बदलकर रह रहा था। 'कालनेमि': धोखेबाज का प्रतीक, ऑपरेशन का नाम पौराणिक कथाओं में 'कालनेमि' एक ऐसा असुर था, जिसने साधु का वेश धारण कर भगवान हनुमान को धोखा देने का प्रयास किया था। ठीक इसी तरह, 'ऑपरेशन कालनेमि' का नाम ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ शुरू किए गए इस अभियान के लिए बिल्कुल सटीक है, जो सनातन धर्म की पवित्रता को ढोंग और धोखाधड़ी से खराब करते हैं। यह ऑपरेशन, पुलिस की तरफ से एक साफ संदेश है कि देवभूमि में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है, जो धर्म की आड़ में आम जनता को ठगने और उनकी भावनाओं को आहत करने का काम करते हैं। पहले ही दिन 38 गिरफ्तारियां, देहरादून और हरिद्वार मुख्य केंद्र पुलिस ने 'ऑपरेशन कालनेमि' के तहत पहले दिन ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इस अभियान के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां दो प्रमुख जिलों से हुईं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र हैं: देहरादून और हरिद्वार। देहरादून में 25 गिरफ्तारियां: राजधानी देहरादून में पुलिस ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई और यहां से कुल 25 ढोंगी बाबाओं को हिरासत में लिया। ये लोग बिना किसी ज्ञान के और गलत इरादों के साथ साधु-संतों का वेश धारण किए हुए थे और लोगों को ठग रहे थे। हरिद्वार में 13 गिरफ्तारियां: वहीं, धार्मिक नगरी हरिद्वार, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं, वहां भी पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 13 ढोंगी बाबाओं को पकड़ा। पुलिस ने बताया कि पकड़े गए इन 38 लोगों में से अधिकतर के पास अपनी पहचान या निवास को साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: बांग्लादेशी भी पकड़ा गया इस ऑपरेशन के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पकड़े गए लोगों में से एक बांग्लादेशी नागरिक भी है, जो साधु का भेष बदलकर उत्तराखंड में रह रहा था। ऐसे व्यक्तियों का धार्मिक वेश में रहना न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्म की आड़ में अन्य गैरकानूनी गतिविधियां भी चल सकती हैं। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी बताया कि पकड़े गए 38 लोगों में से 20 से ज्यादा ऐसे हैं जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं। वे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और अन्य राज्यों से आए हुए हैं। ये लोग अलग-अलग धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खुद को साधु बताकर रह रहे थे। जब पुलिस ने उनसे दस्तावेज मांगे, तो वे कोई भी वैध कागजात नहीं दिखा पाए, जिससे उनके इरादों पर शक और गहरा हो गया। एसएसपी अजय सिंह का सख्त संदेश: 'सनातन धर्म की आड़ में धोखा बर्दाश्त नहीं' देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि, "सनातन धर्म की आड़ में ठगी करने वालों के खिलाफ यह अभियान शुरू किया गया है। पुलिस ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है जो बिना किसी ज्ञान के साधु-संतों का भेष धारण करके लोगों को ठग रहे हैं। ये लोग न केवल भोले-भाले लोगों को चूना लगाते हैं, बल्कि देवभूमि के स्वरूप को भी खराब करने का काम करते हैं। इससे हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचती है।" एसएसपी ने साफ किया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना है जो आस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इन सभी गिरफ्तार लोगों से गहन पूछताछ कर रही है और उनके आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये किसी बड़े आपराधिक गिरोह से जुड़े हैं। समाज पर प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां 'ऑपरेशन कालनेमि' की यह शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, जो धर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा। यह अभियान समाज में यह संदेश भी देगा कि धार्मिक वेशभूषा पहनकर कोई भी व्यक्ति आस्था का दुरुपयोग नहीं कर सकता। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो वैध दस्तावेजों के बिना, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इरादे से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं और यहां की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। पुलिस की यह मुहिम एक लंबी प्रक्रिया है और यह देखना बाकी है कि यह अभियान कितने समय तक चलता है और इससे कितने और ढोंगी बाबाओं को पकड़ा जाता है। लेकिन पहले ही दि

देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते हुए, उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने वाले ऐसे ढोंगी बाबाओं के खिलाफ राज्य में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ की शुरुआत की गई है, और इसके पहले ही दिन पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस ऑपरेशन के तहत प्रदेश भर से 38 ढोंगी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है जो भेष बदलकर रह रहा था।


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‘कालनेमि’: धोखेबाज का प्रतीक, ऑपरेशन का नाम

पौराणिक कथाओं में ‘कालनेमि’ एक ऐसा असुर था, जिसने साधु का वेश धारण कर भगवान हनुमान को धोखा देने का प्रयास किया था। ठीक इसी तरह, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का नाम ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ शुरू किए गए इस अभियान के लिए बिल्कुल सटीक है, जो सनातन धर्म की पवित्रता को ढोंग और धोखाधड़ी से खराब करते हैं। यह ऑपरेशन, पुलिस की तरफ से एक साफ संदेश है कि देवभूमि में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है, जो धर्म की आड़ में आम जनता को ठगने और उनकी भावनाओं को आहत करने का काम करते हैं।


पहले ही दिन 38 गिरफ्तारियां, देहरादून और हरिद्वार मुख्य केंद्र

पुलिस ने ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के तहत पहले दिन ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इस अभियान के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां दो प्रमुख जिलों से हुईं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र हैं: देहरादून और हरिद्वार।

  • देहरादून में 25 गिरफ्तारियां: राजधानी देहरादून में पुलिस ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई और यहां से कुल 25 ढोंगी बाबाओं को हिरासत में लिया। ये लोग बिना किसी ज्ञान के और गलत इरादों के साथ साधु-संतों का वेश धारण किए हुए थे और लोगों को ठग रहे थे।
  • हरिद्वार में 13 गिरफ्तारियां: वहीं, धार्मिक नगरी हरिद्वार, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं, वहां भी पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 13 ढोंगी बाबाओं को पकड़ा।

पुलिस ने बताया कि पकड़े गए इन 38 लोगों में से अधिकतर के पास अपनी पहचान या निवास को साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे।


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अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: बांग्लादेशी भी पकड़ा गया

इस ऑपरेशन के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पकड़े गए लोगों में से एक बांग्लादेशी नागरिक भी है, जो साधु का भेष बदलकर उत्तराखंड में रह रहा था। ऐसे व्यक्तियों का धार्मिक वेश में रहना न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्म की आड़ में अन्य गैरकानूनी गतिविधियां भी चल सकती हैं।

इसके अलावा, पुलिस ने यह भी बताया कि पकड़े गए 38 लोगों में से 20 से ज्यादा ऐसे हैं जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं। वे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और अन्य राज्यों से आए हुए हैं। ये लोग अलग-अलग धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खुद को साधु बताकर रह रहे थे। जब पुलिस ने उनसे दस्तावेज मांगे, तो वे कोई भी वैध कागजात नहीं दिखा पाए, जिससे उनके इरादों पर शक और गहरा हो गया।


एसएसपी अजय सिंह का सख्त संदेश: ‘सनातन धर्म की आड़ में धोखा बर्दाश्त नहीं’

देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि, “सनातन धर्म की आड़ में ठगी करने वालों के खिलाफ यह अभियान शुरू किया गया है। पुलिस ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है जो बिना किसी ज्ञान के साधु-संतों का भेष धारण करके लोगों को ठग रहे हैं। ये लोग न केवल भोले-भाले लोगों को चूना लगाते हैं, बल्कि देवभूमि के स्वरूप को भी खराब करने का काम करते हैं। इससे हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचती है।”

एसएसपी ने साफ किया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना है जो आस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इन सभी गिरफ्तार लोगों से गहन पूछताछ कर रही है और उनके आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये किसी बड़े आपराधिक गिरोह से जुड़े हैं।


समाज पर प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां

‘ऑपरेशन कालनेमि’ की यह शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, जो धर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा। यह अभियान समाज में यह संदेश भी देगा कि धार्मिक वेशभूषा पहनकर कोई भी व्यक्ति आस्था का दुरुपयोग नहीं कर सकता। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो वैध दस्तावेजों के बिना, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इरादे से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं और यहां की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं।

पुलिस की यह मुहिम एक लंबी प्रक्रिया है और यह देखना बाकी है कि यह अभियान कितने समय तक चलता है और इससे कितने और ढोंगी बाबाओं को पकड़ा जाता है। लेकिन पहले ही दिन की यह सफलता बताती है कि उत्तराखंड पुलिस इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। यह उम्मीद की जा सकती है कि यह ऑपरेशन न केवल कानून व्यवस्था को सुधारेगा, बल्कि देवभूमि की पवित्रता को भी पुनः स्थापित करेगा।

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