उत्तरकाशी में भीषण बाढ़: 274 लोग बचाए गए, 35 साल बाद मिले 24 दोस्तों का ग्रुप लापता; ‘ऑपरेशन जिंदगी’ जारी

उत्तरकाशी, 07 अगस्त 2025 – (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के उत्तरकाशी में आई भीषण बाढ़ के बाद ‘ऑपरेशन जिंदगी’ युद्धस्तर पर जारी है। इस भयावह प्राकृतिक आपदा ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है, और बचाव दल लगातार लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब तक 274 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी लापता हैं। लापता लोगों को तलाशने के लिए भारतीय सेना, आईटीबीपी (ITBP), एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें लगातार खोज और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। इस आपदा का एक बेहद मार्मिक पहलू यह है कि लापता लोगों में वो 24 दोस्त भी शामिल हैं, जो करीब 35 साल बाद एक साथ मिलकर ‘चार धाम यात्रा’ पर निकले थे।
35 साल बाद मिले दोस्तों पर आपदा का कहर
यह कहानी है 1990 बैच के उन 24 दोस्तों की, जिन्होंने अपनी दसवीं कक्षा के बाद पहली बार मिलकर उत्तराखंड आने का फैसला किया था। इनमें से एक, आवासारी खुर्द निवासी अशोक भोर के बेटे आदित्य ने बताया कि उनके पिता और उनके 23 दोस्त 35 साल बाद ‘चार धाम यात्रा’ के लिए एक साथ मिले थे। ये लोग 1 अगस्त को मुंबई से ट्रेन पकड़कर निकले थे और इनकी वापसी 12 अगस्त को फ्लाइट से होनी थी। अशोक भोर के परिवार से आखिरी बार सोमवार शाम करीब 7 बजे बात हुई थी। उस समय वे सभी गंगोत्री से लगभग 10 किलोमीटर दूर थे और एक छोटे भूस्खलन के कारण फंसे हुए थे। आदित्य ने बताया कि अब उनके फोन भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे संपर्क पूरी तरह टूट गया है। ये सभी 5 अगस्त को उत्तरकाशी में रुककर अगले दिन गौरीकुंड जाने वाले थे। उन्होंने यात्रा के लिए हरिद्वार से एक बस बुक की थी। उनके बैचमेट मल्हारी अभंग ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार सोमवार दोपहर को उनसे वीडियो कॉल पर बात की थी।
महाराष्ट्र के 149 पर्यटक फंसे, 75 के फोन बंद
आपदा में फंसे पर्यटकों की संख्या भी काफी अधिक है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, उत्तराखंड में महाराष्ट्र के कम से कम 149 पर्यटक फंसे हुए हैं। इन पर्यटकों में से 76 मुंबई से, 17 छत्रपति संभाजीनगर से, 15 पुणे से, 13 जलगाँव से, 11 नांदेड़ से, पांच ठाणे से, नासिक और सोलापुर से चार-चार, मालेगाँव से तीन और अहिल्य से एक पर्यटक है। मुंबई के लगभग 61 पर्यटक सुरक्षित रूप से हनुमान आश्रम में हैं। हालांकि, इन 149 पर्यटकों में से करीब 75 के फोन अभी भी बंद हैं और उनका नेटवर्क से बाहर होना चिंता का विषय बना हुआ है। महाराष्ट्र प्रशासन लगातार उत्तराखंड प्रशासन के संपर्क में है और फंसे हुए लोगों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रयास कर रहा है।
एसडीआरएफ का बयान: मलबे में दबे हो सकते हैं लापता लोग
राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के महानिरीक्षक, अरुण मोहन जोशी ने बचाव कार्य में आ रही चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता आज उन्नत उपकरणों को हवाई मार्ग के जरिए मौके पर पहुंचाना है। उन्नत उपकरणों के साथ आ रही उनकी टीम बुधवार को सड़कों के अवरुद्ध होने के कारण आगे नहीं बढ़ सकी। उन्होंने बताया कि धराली में 50 से 60 फुट ऊंचा मलबे का ढेर है और इस आपदा में लापता हुए लोग उसी मलबे के नीचे फंसे हो सकते हैं। जोशी ने कहा कि उन्नत उपकरण विशाल मलबे में लापता लोगों की तलाश करने में बचाव कर्मियों की मदद करेंगे।
300-400 श्रद्धालु फंसे, मजदूरों के भी लापता होने की आशंका
अरुण मोहन जोशी ने बताया कि उनकी दूसरी प्राथमिकता अवरुद्ध मार्गों के कारण विभिन्न स्थानों पर फंसे श्रद्धालुओं को बाहर निकालना है। उन्होंने अनुमान लगाया कि इन फंसे हुए लोगों की संख्या 300-400 हो सकती है। अधिकारियों ने बताया कि सुबह 10 बजे तक 61 लोगों को हेलीकॉप्टर से आईटीबीपी मातली लाया जा चुका है। बाहर निकाले गए लोगों को उनके गंतव्य तक भेजने के लिए प्रबंध भी किए जा रहे हैं। लापता लोगों में केवल पर्यटक ही नहीं, बल्कि मजदूर भी हो सकते हैं, क्योंकि बाढ़ आने के समय धराली में कई होटल निर्माणाधीन थे और सेब के बागानों में भी मजदूर काम कर रहे थे। प्रशासन का कहना है कि बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है और हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि जल्द से जल्द सभी लापता लोगों को ढूंढा जा सके और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।