शहर में पीसीपीएनडीटी टीम की छापेमारी: 7 अल्ट्रासाउंड केंद्रों में मिली अनियमितताएं, कागजी खामियों पर दी गई सख्त हिदायतें

जिलाधिकारी के निर्देश पर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की पीसीपीएनडीटी (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques) टीम ने शहर के सात अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर औचक छापेमार कार्रवाई की। छापेमारी के दौरान कई अल्ट्रासाउंड केंद्रों में अनियमितताएं पाई गईं, वहीं कुछ केंद्रों में व्यवस्थाएं संतोषजनक रहीं। जिन केंद्रों में कागजी खामियां मिलीं, उन्हें जल्द सुधार करने की चेतावनी दी गई है। इस कार्रवाई का नेतृत्व पीसीपीएनडीटी के जिला नोडल अधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने किया। उनके साथ टीम में जिला समन्वयक प्रदीप महर, राजस्व उपनिरीक्षक नीरज जोशी, प्रदीप चंद्र चौबे सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। अमृत चिकित्सालय में फॉर्म F में खामियां कार्रवाई की शुरुआत अमृत चिकित्सालय से हुई। यहां टीम को अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर अवकाश पर मिले। केंद्र में कुल चार अल्ट्रासाउंड मशीनें पंजीकृत हैं, जिनमें से एक पोर्टेबल मशीन खराब होने के कारण पहले ही सील की जा चुकी है। निरीक्षण के दौरान Form F में कई प्रकार की कमियां देखी गईं। टीम ने अस्पताल प्रशासन को सख्त निर्देश दिए कि फॉर्म भरने में लापरवाही न बरती जाए और रिकॉर्ड को सही तरीके से व्यवस्थित रखा जाए। HB हॉस्पिटल में भी पोर्टेबल मशीन की स्थिति खराब इसके बाद टीम HB हॉस्पिटल पहुंची, जहां एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन खराब हालत में पाई गई। अस्पताल प्रशासन ने अनुरोध किया कि मशीन को अस्थायी रूप से सील कर दिया जाए, जिस पर टीम ने सहमति जताई और मशीन को सील कर दिया गया। चरवी चिकित्सालय में डॉक्टर नहीं, मशीन पहले से सील चरवी चिकित्सालय में डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण पूर्व में अल्ट्रासाउंड मशीन सील कर दी गई थी। निरीक्षण टीम ने इस केंद्र का भी दौरा किया और सील की गई मशीन का निरीक्षण किया। टीम ने केंद्र संचालक को निर्देश दिया कि जब तक योग्य अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं होती, तब तक मशीन का उपयोग नहीं किया जाए। साथ ही, डॉक्टर की नियुक्ति के बाद नए सिरे से आवेदन देने को कहा गया। अन्य केंद्रों की व्यवस्था रही दुरुस्त पंत अस्पताल, संजीवनी अस्पताल, SBR अल्ट्रासाउंड केंद्र और श्रीराम नर्सिंग होम जैसे अन्य अल्ट्रासाउंड केंद्रों में व्यवस्थाएं संतोषजनक पाई गईं। कागजी कार्रवाई, मशीनों की स्थिति और फॉर्म F का रखरखाव इन संस्थानों में अपेक्षाकृत बेहतर मिला। टीम ने दी चेतावनी डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड केंद्रों को सख्त मानकों का पालन करना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन केंद्रों में खामियां पाई गई हैं, उन्हें जल्द से जल्द सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि अगली जांच में भी अनियमितताएं पाई गईं तो संबंधित केंद्रों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता से मचा हड़कंप इस छापेमारी के बाद शहर के अल्ट्रासाउंड केंद्रों में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई को भ्रूण लिंग जांच की रोकथाम के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है। टीम का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और नियमित अंतराल पर निरीक्षण किया जाएगा। पीसीपीएनडीटी अधिनियम की भूमिका गौरतलब है कि पीसीपीएनडीटी एक्ट भारत सरकार द्वारा 1994 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य भ्रूण में लिंग जांच को रोकना है। इसके तहत कोई भी अल्ट्रासाउंड केंद्र गर्भस्थ शिशु के लिंग की जानकारी नहीं दे सकता और इसके लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। इस अधिनियम का सख्ती से पालन कराना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। जिलाधिकारी के निर्देश पर की गई इस छापेमारी से यह स्पष्ट हो गया है कि स्वास्थ्य विभाग भ्रूण लिंग जांच जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पूरी तरह गंभीर है और कागजी कार्रवाई में कोताही बरतने वाले केंद्रों को अब सतर्क रहना होगा।

रुद्रपुर  24 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा ) 

जिलाधिकारी के निर्देश पर मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की पीसीपीएनडीटी (Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques) टीम ने शहर के सात अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर औचक छापेमार कार्रवाई की। छापेमारी के दौरान कई अल्ट्रासाउंड केंद्रों में अनियमितताएं पाई गईं, वहीं कुछ केंद्रों में व्यवस्थाएं संतोषजनक रहीं। जिन केंद्रों में कागजी खामियां मिलीं, उन्हें जल्द सुधार करने की चेतावनी दी गई है।

इस कार्रवाई का नेतृत्व पीसीपीएनडीटी के जिला नोडल अधिकारी डॉ. एसपी सिंह ने किया। उनके साथ टीम में जिला समन्वयक प्रदीप महर, राजस्व उपनिरीक्षक नीरज जोशी, प्रदीप चंद्र चौबे सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

अमृत चिकित्सालय में फॉर्म F में खामियां

कार्रवाई की शुरुआत अमृत चिकित्सालय से हुई। यहां टीम को अल्ट्रासाउंड करने वाले डॉक्टर अवकाश पर मिले। केंद्र में कुल चार अल्ट्रासाउंड मशीनें पंजीकृत हैं, जिनमें से एक पोर्टेबल मशीन खराब होने के कारण पहले ही सील की जा चुकी है। निरीक्षण के दौरान Form F में कई प्रकार की कमियां देखी गईं। टीम ने अस्पताल प्रशासन को सख्त निर्देश दिए कि फॉर्म भरने में लापरवाही न बरती जाए और रिकॉर्ड को सही तरीके से व्यवस्थित रखा जाए।

HB हॉस्पिटल में भी पोर्टेबल मशीन की स्थिति खराब

इसके बाद टीम HB हॉस्पिटल पहुंची, जहां एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन खराब हालत में पाई गई। अस्पताल प्रशासन ने अनुरोध किया कि मशीन को अस्थायी रूप से सील कर दिया जाए, जिस पर टीम ने सहमति जताई और मशीन को सील कर दिया गया।

चरवी चिकित्सालय में डॉक्टर नहीं, मशीन पहले से सील

चरवी चिकित्सालय में डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण पूर्व में अल्ट्रासाउंड मशीन सील कर दी गई थी। निरीक्षण टीम ने इस केंद्र का भी दौरा किया और सील की गई मशीन का निरीक्षण किया। टीम ने केंद्र संचालक को निर्देश दिया कि जब तक योग्य अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं होती, तब तक मशीन का उपयोग नहीं किया जाए। साथ ही, डॉक्टर की नियुक्ति के बाद नए सिरे से आवेदन देने को कहा गया।

अन्य केंद्रों की व्यवस्था रही दुरुस्त

पंत अस्पताल, संजीवनी अस्पताल, SBR अल्ट्रासाउंड केंद्र और श्रीराम नर्सिंग होम जैसे अन्य अल्ट्रासाउंड केंद्रों में व्यवस्थाएं संतोषजनक पाई गईं। कागजी कार्रवाई, मशीनों की स्थिति और फॉर्म F का रखरखाव इन संस्थानों में अपेक्षाकृत बेहतर मिला।

टीम ने दी चेतावनी

डॉ. एसपी सिंह ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड केंद्रों को सख्त मानकों का पालन करना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिन केंद्रों में खामियां पाई गई हैं, उन्हें जल्द से जल्द सुधार करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि अगली जांच में भी अनियमितताएं पाई गईं तो संबंधित केंद्रों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता से मचा हड़कंप

इस छापेमारी के बाद शहर के अल्ट्रासाउंड केंद्रों में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई को भ्रूण लिंग जांच की रोकथाम के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है। टीम का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और नियमित अंतराल पर निरीक्षण किया जाएगा।

पीसीपीएनडीटी अधिनियम की भूमिका

गौरतलब है कि पीसीपीएनडीटी एक्ट भारत सरकार द्वारा 1994 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य भ्रूण में लिंग जांच को रोकना है। इसके तहत कोई भी अल्ट्रासाउंड केंद्र गर्भस्थ शिशु के लिंग की जानकारी नहीं दे सकता और इसके लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। इस अधिनियम का सख्ती से पालन कराना स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है।


जिलाधिकारी के निर्देश पर की गई इस छापेमारी से यह स्पष्ट हो गया है कि स्वास्थ्य विभाग भ्रूण लिंग जांच जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पूरी तरह गंभीर है और कागजी कार्रवाई में कोताही बरतने वाले केंद्रों को अब सतर्क रहना होगा।जिन केंद्रों में कागजी खामियां मिलीं, उन्हें जल्द सुधार करने की चेतावनी दी गई है।

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