निरंकारी मिशन की उप-प्रधान राज वासदेव ब्रह्मलीन: मिशन को समर्पित रहा पूरा जीवन

काशीपुर, 15 सितंबर 2025 – (रिपोर्ट: समय बोल रहा ) – निरंकारी मिशन की उप-प्रधान और मिशन के इतिहास में एक प्रेरणादायी अध्याय बनी पूजनीय राज वासदेव अब निरंकार प्रभु में ब्रह्मलीन हो गई हैं। 12 सितंबर की देर रात्रि को, उन्होंने अपने गुरु चरणों में सेवा करते हुए अंतिम सांस ली। उनका जीवन त्याग, तपस्या और संपूर्ण समर्पण का प्रतीक रहा। मिशन के सभी अनुयायी उनके निधन से गहरे शोक में हैं। उनकी अंतिम यात्रा 13 सितंबर को दिल्ली में संपन्न हुई, और उनकी सेवाओं को याद करने के लिए 14 सितंबर को एक विशेष 'प्रेरणा दिवस' का आयोजन किया गया। एक समर्पित जीवन की यात्रा राज वासदेव का जन्म 5 मई 1941 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था। उनका मूल नाम रजिन्दर कौर था। गुरु परिवार से बचपन से ही जुड़ाव के कारण वे एक समर्पित गुरूसिख थीं। बाद में, उनका विवाह वासदेव सिंह से हुआ और लेखन तथा सेवाओं के क्षेत्र में वह राज वासदेव के नाम से प्रसिद्ध हुईं, जो उनकी पहचान बन गया। उन्होंने शहंशाह बाबा अवतार सिंह से ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया और उनका पूरा परिवार ही निरंकारी मिशन के रंग में पूर्णतः रंगा हुआ था। यही कारण था कि उनकी सोच और कर्म में समर्पित भाव, निर्भयता और इश्क हकीकी का जुनून स्पष्ट दिखाई देता था। शिक्षा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता दिलाई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अंबाला कैंट के खालसा हाई स्कूल में प्राप्त की और होम नर्सिंग प्रतियोगिता में सफलता हासिल की। मैट्रिक के बाद, उन्होंने अंबाला कैंट के पंजाब नेशनल स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य करना शुरू किया। अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए. किया और बाद में होशियारपुर के देव कॉलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर बन गईं। जीवन में अनेक बार विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी वे कभी नहीं रुकीं, जिसने उनके व्यक्तित्व में अदम्य साहस और तपस्या की झलक बनाए रखी। सेवा और नेतृत्व का नया अध्याय राज वासदेव ने मिशन के प्रचार-प्रसार को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनका मानना था कि मिशन का हर बच्चा एक प्रचारक बने, और इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने देश-विदेश में सत्संग और आध्यात्मिक जागरूकता का कार्य किया। 1990 से उन्होंने मिशन की पत्रिकाओं और प्रकाशनों में नियमित रूप से योगदान देना शुरू किया। उनके लेखन की शैली सरल, गहन और हृदयस्पर्शी थी, जो पाठकों को मिशन की शिक्षाओं से गहराई से जोड़ देती थी। उनकी लगन और समर्पण को देखते हुए, सतगुरु बाबा हरदेव सिंह ने 2002 की जनरल बॉडी मीटिंग में उन्हें संत निरंकारी मंडल की कार्यकारिणी समिति में एडिशनल मेंबर इंचार्ज नियुक्त किया। यह ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि वे इस समिति की पहली महिला सदस्य बनीं, जिसने मिशन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को एक नया आयाम दिया। 2005 से 2009 तक, उन्हें प्रकाशन विभाग और मिशन के पब्लिक स्कूलों की सेवाएं सौंपी गईं, जिसे उन्होंने बड़ी ही निष्ठा और कुशलता से निभाया। 2013 में उन्हें प्रचार विभाग की जिम्मेदारी दी गई और उसी वर्ष उनके नेतृत्व में मिशन का प्रथम महिला संत समागम पूजनीय निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन मिशन की महिलाओं के लिए एक नई प्रेरणा बना। 2015 में उनके मार्गदर्शन में पहला अंग्रेजी माध्यम समागम आयोजित किया गया, जिसका विषय "Youth Guided by Truth" था, और इसमें सतगुरु बाबा हरदेव सिंह की पावन उपस्थिति रही। युवाओं को मिशन से जोड़ने के लिए उन्होंने कई कार्यशालाएं और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए, जो आज भी उनके योगदान की अमिट छाप छोड़ते हैं। उप-प्रधान के रूप में अंतिम सेवा उनकी सेवाओं का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। वर्ष 2018 में उन्हें ब्रांच प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी दी गई, जिसमें हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे बड़े राज्यों का समावेश था। 2019 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की शाखा प्रशासन सेवा भी उन्हें सौंपी गई। अंततः, 2022 में सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज द्वारा उन्हें संत निरंकारी मंडल की उप-प्रधान नियुक्त किया गया। उन्होंने जीवन की अंतिम सांस तक इस दायित्व को पूर्ण निष्ठा से निभाया। राज वासदेव सदैव सतगुरु के आदेशों के प्रति समर्पित रहीं। उनके कार्यों में कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि निष्काम सेवा का भाव था। वे हर सेवा को अपना सौभाग्य मानकर निभाती थीं। उनका जीवन न केवल एक साधिका का जीवन था, बल्कि मिशन की आत्मा से जुड़े एक ऐसे तपस्विनी व्यक्तित्व की कहानी है, जो युगों तक स्मरणीय रहेगी। उनका अंतिम संस्कार 13 सितंबर को निगम बोध घाट, दिल्ली में किया गया। उनकी प्रेरणादायी सेवाओं और जीवन को याद करने के लिए निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा ने बताया कि सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के आशीर्वाद से, निरंकारी राजपिता रमित की अध्यक्षता में 'प्रेरणा दिवस' का आयोजन 14 सितंबर 2025 को ग्राउंड नंबर 8, बुराड़ी रोड, दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर मिशन के संतजन उनके प्रेरणादायी जीवन से सीख लेते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।

काशीपुर, 15 सितंबर 2025(रिपोर्ट: समय बोल रहा ) – निरंकारी मिशन की उप-प्रधान और मिशन के इतिहास में एक प्रेरणादायी अध्याय बनी पूजनीय राज वासदेव अब निरंकार प्रभु में ब्रह्मलीन हो गई हैं। 12 सितंबर की देर रात्रि को, उन्होंने अपने गुरु चरणों में सेवा करते हुए अंतिम सांस ली। उनका जीवन त्याग, तपस्या और संपूर्ण समर्पण का प्रतीक रहा। मिशन के सभी अनुयायी उनके निधन से गहरे शोक में हैं। उनकी अंतिम यात्रा 13 सितंबर को दिल्ली में संपन्न हुई, और उनकी सेवाओं को याद करने के लिए 14 सितंबर को एक विशेष ‘प्रेरणा दिवस’ का आयोजन किया गया।


एक समर्पित जीवन की यात्रा

राज वासदेव का जन्म 5 मई 1941 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था। उनका मूल नाम रजिन्दर कौर था। गुरु परिवार से बचपन से ही जुड़ाव के कारण वे एक समर्पित गुरूसिख थीं। बाद में, उनका विवाह वासदेव सिंह से हुआ और लेखन तथा सेवाओं के क्षेत्र में वह राज वासदेव के नाम से प्रसिद्ध हुईं, जो उनकी पहचान बन गया। उन्होंने शहंशाह बाबा अवतार सिंह से ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया और उनका पूरा परिवार ही निरंकारी मिशन के रंग में पूर्णतः रंगा हुआ था। यही कारण था कि उनकी सोच और कर्म में समर्पित भाव, निर्भयता और इश्क हकीकी का जुनून स्पष्ट दिखाई देता था।

शिक्षा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता दिलाई। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अंबाला कैंट के खालसा हाई स्कूल में प्राप्त की और होम नर्सिंग प्रतियोगिता में सफलता हासिल की। मैट्रिक के बाद, उन्होंने अंबाला कैंट के पंजाब नेशनल स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य करना शुरू किया। अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए उन्होंने अंग्रेजी में एम.ए. किया और बाद में होशियारपुर के देव कॉलेज में अंग्रेजी की प्रोफेसर बन गईं। जीवन में अनेक बार विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी वे कभी नहीं रुकीं, जिसने उनके व्यक्तित्व में अदम्य साहस और तपस्या की झलक बनाए रखी।


सेवा और नेतृत्व का नया अध्याय

राज वासदेव ने मिशन के प्रचार-प्रसार को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। उनका मानना था कि मिशन का हर बच्चा एक प्रचारक बने, और इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने देश-विदेश में सत्संग और आध्यात्मिक जागरूकता का कार्य किया। 1990 से उन्होंने मिशन की पत्रिकाओं और प्रकाशनों में नियमित रूप से योगदान देना शुरू किया। उनके लेखन की शैली सरल, गहन और हृदयस्पर्शी थी, जो पाठकों को मिशन की शिक्षाओं से गहराई से जोड़ देती थी।

उनकी लगन और समर्पण को देखते हुए, सतगुरु बाबा हरदेव सिंह ने 2002 की जनरल बॉडी मीटिंग में उन्हें संत निरंकारी मंडल की कार्यकारिणी समिति में एडिशनल मेंबर इंचार्ज नियुक्त किया। यह ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि वे इस समिति की पहली महिला सदस्य बनीं, जिसने मिशन में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को एक नया आयाम दिया। 2005 से 2009 तक, उन्हें प्रकाशन विभाग और मिशन के पब्लिक स्कूलों की सेवाएं सौंपी गईं, जिसे उन्होंने बड़ी ही निष्ठा और कुशलता से निभाया।

2013 में उन्हें प्रचार विभाग की जिम्मेदारी दी गई और उसी वर्ष उनके नेतृत्व में मिशन का प्रथम महिला संत समागम पूजनीय निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन मिशन की महिलाओं के लिए एक नई प्रेरणा बना। 2015 में उनके मार्गदर्शन में पहला अंग्रेजी माध्यम समागम आयोजित किया गया, जिसका विषय “Youth Guided by Truth” था, और इसमें सतगुरु बाबा हरदेव सिंह की पावन उपस्थिति रही। युवाओं को मिशन से जोड़ने के लिए उन्होंने कई कार्यशालाएं और प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए, जो आज भी उनके योगदान की अमिट छाप छोड़ते हैं।


उप-प्रधान के रूप में अंतिम सेवा

उनकी सेवाओं का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। वर्ष 2018 में उन्हें ब्रांच प्रशासन विभाग की जिम्मेदारी दी गई, जिसमें हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे बड़े राज्यों का समावेश था। 2019 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की शाखा प्रशासन सेवा भी उन्हें सौंपी गई। अंततः, 2022 में सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज द्वारा उन्हें संत निरंकारी मंडल की उप-प्रधान नियुक्त किया गया। उन्होंने जीवन की अंतिम सांस तक इस दायित्व को पूर्ण निष्ठा से निभाया।

राज वासदेव सदैव सतगुरु के आदेशों के प्रति समर्पित रहीं। उनके कार्यों में कोई प्रदर्शन नहीं, बल्कि निष्काम सेवा का भाव था। वे हर सेवा को अपना सौभाग्य मानकर निभाती थीं। उनका जीवन न केवल एक साधिका का जीवन था, बल्कि मिशन की आत्मा से जुड़े एक ऐसे तपस्विनी व्यक्तित्व की कहानी है, जो युगों तक स्मरणीय रहेगी।

उनका अंतिम संस्कार 13 सितंबर को निगम बोध घाट, दिल्ली में किया गया। उनकी प्रेरणादायी सेवाओं और जीवन को याद करने के लिए निरंकारी मीडिया प्रभारी प्रकाश खेड़ा ने बताया कि सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के आशीर्वाद से, निरंकारी राजपिता रमित की अध्यक्षता में ‘प्रेरणा दिवस’ का आयोजन 14 सितंबर 2025 को ग्राउंड नंबर 8, बुराड़ी रोड, दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर मिशन के संतजन उनके प्रेरणादायी जीवन से सीख लेते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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