अपनी ही सरकार के खिलाफ पूर्व विधायक का मोर्चा: जसपुर में खेल स्टेडियम की मांग को लेकर उपवास

जसपुर, 13 सितंबर 2025 - ( समय बोल रहा ) - जसपुर के खिलाड़ियों और युवाओं के सपनों को पंख लगाने वाली खेल स्टेडियम परियोजना का निर्माण कार्य न होने से आहत होकर, भाजपा के पूर्व विधायक डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल ने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक अनोखा मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वह 14 सितंबर को क्षेत्र के 551 खिलाड़ियों के साथ मिलकर गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक दिवसीय उपवास रखेंगे। यह विरोध प्रदर्शन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा, जिसका उद्देश्य सरकार का ध्यान इस महत्वपूर्ण और लंबित परियोजना की ओर खींचना है। लंबी प्रतीक्षा और अधूरे वादे शुक्रवार को अपने कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में डॉ. सिंघल ने इस मुद्दे की पूरी कहानी बताई। उन्होंने कहा कि यह परियोजना कोई नई नहीं है, बल्कि इसकी मांग और घोषणा 2014 की है। उस समय वह विधायक थे और उनकी मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सूत मिल की खाली पड़ी सात एकड़ भूमि में एक भव्य खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी। इसी के साथ, स्टेडियम की चारदीवारी के लिए एक करोड़ रुपये की राशि भी अवमुक्त की गई थी। डॉ. सिंघल ने बताया कि उस राशि से दीवार तो बन गई, लेकिन उसके बाद से परियोजना पूरी तरह से ठप्प पड़ी है। इसका मुख्य कारण सिडकुल से खेल विभाग को जमीन का हस्तांतरण न होना है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रशासनिक लापरवाही है, जिसके कारण नौ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप पूर्व विधायक ने अपनी ही सरकार से इस मुद्दे पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद से उन्होंने कई बार इस विषय में मुख्यमंत्री से लेकर अन्य वरिष्ठ मंत्रियों से बात की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट से भी इस समस्या को हल करने की मांग की, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। डॉ. सिंघल ने कहा, "यह मेरे लिए व्यक्तिगत निराशा का विषय है। मैंने अपने कार्यकाल में इस परियोजना के लिए अथक प्रयास किए, लेकिन यह देखकर दुख होता है कि अपनी ही सरकार इस वादे को पूरा करने में असफल रही है। हम सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम चाहते हैं कि सरकार हमारे युवाओं के सपनों को समझे और इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करे।" खिलाड़ियों का समर्थन और प्रतीकात्मक उपवास इस विरोध प्रदर्शन में 551 खिलाड़ियों का शामिल होना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है। यह संख्या प्रतीकात्मक है और खिलाड़ियों के बीच मौजूद आक्रोश और निराशा को दर्शाती है। उपवास का यह कदम गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है, जो सरकार को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग मनवाने के लिए दबाव बनाने का एक तरीका है। यह उपवास केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि जसपुर के खेल समुदाय की आवाज है। यह उम्मीद की जाती है कि यह कदम सरकार को इस परियोजना को गंभीरता से लेने के लिए मजबूर करेगा और जल्द ही इस भूमि का हस्तांतरण कर स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, ताकि जसपुर के युवाओं को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर मिल सके।

जसपुर, 13 सितंबर 2025( समय बोल रहा ) – जसपुर के खिलाड़ियों और युवाओं के सपनों को पंख लगाने वाली खेल स्टेडियम परियोजना का निर्माण कार्य न होने से आहत होकर, भाजपा के पूर्व विधायक डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल ने अपनी ही सरकार के खिलाफ एक अनोखा मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने घोषणा की है कि वह 14 सितंबर को क्षेत्र के 551 खिलाड़ियों के साथ मिलकर गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक दिवसीय उपवास रखेंगे। यह विरोध प्रदर्शन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा, जिसका उद्देश्य सरकार का ध्यान इस महत्वपूर्ण और लंबित परियोजना की ओर खींचना है।


लंबी प्रतीक्षा और अधूरे वादे

शुक्रवार को अपने कार्यालय में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में डॉ. सिंघल ने इस मुद्दे की पूरी कहानी बताई। उन्होंने कहा कि यह परियोजना कोई नई नहीं है, बल्कि इसकी मांग और घोषणा 2014 की है। उस समय वह विधायक थे और उनकी मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सूत मिल की खाली पड़ी सात एकड़ भूमि में एक भव्य खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी। इसी के साथ, स्टेडियम की चारदीवारी के लिए एक करोड़ रुपये की राशि भी अवमुक्त की गई थी।

डॉ. सिंघल ने बताया कि उस राशि से दीवार तो बन गई, लेकिन उसके बाद से परियोजना पूरी तरह से ठप्प पड़ी है। इसका मुख्य कारण सिडकुल से खेल विभाग को जमीन का हस्तांतरण न होना है। उन्होंने कहा कि यह एक प्रशासनिक लापरवाही है, जिसके कारण नौ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।


सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

पूर्व विधायक ने अपनी ही सरकार से इस मुद्दे पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद से उन्होंने कई बार इस विषय में मुख्यमंत्री से लेकर अन्य वरिष्ठ मंत्रियों से बात की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट से भी इस समस्या को हल करने की मांग की, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।

डॉ. सिंघल ने कहा, “यह मेरे लिए व्यक्तिगत निराशा का विषय है। मैंने अपने कार्यकाल में इस परियोजना के लिए अथक प्रयास किए, लेकिन यह देखकर दुख होता है कि अपनी ही सरकार इस वादे को पूरा करने में असफल रही है। हम सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम चाहते हैं कि सरकार हमारे युवाओं के सपनों को समझे और इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करे।”


खिलाड़ियों का समर्थन और प्रतीकात्मक उपवास

इस विरोध प्रदर्शन में 551 खिलाड़ियों का शामिल होना यह दर्शाता है कि यह मुद्दा कितना महत्वपूर्ण है। यह संख्या प्रतीकात्मक है और खिलाड़ियों के बीच मौजूद आक्रोश और निराशा को दर्शाती है। उपवास का यह कदम गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है, जो सरकार को शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांग मनवाने के लिए दबाव बनाने का एक तरीका है।

यह उपवास केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि जसपुर के खेल समुदाय की आवाज है। यह उम्मीद की जाती है कि यह कदम सरकार को इस परियोजना को गंभीरता से लेने के लिए मजबूर करेगा और जल्द ही इस भूमि का हस्तांतरण कर स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा, ताकि जसपुर के युवाओं को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर मिल सके।

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