नैनीताल में भ्रष्टाचार पर धामी सरकार का करारा प्रहार: मुख्य कोषाधिकारी और एकाउंटेंट रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

नैनीताल 10 मई 2025 (समय बोल रहा) उत्तराखंड सरकार का भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार: 'जीरो टॉलरेंस' नीति का दिखा असर नैनीताल में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की 'जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन' नीति के तहत एक और बड़ी कार्रवाई सामने आई है। सतर्कता विभाग (विजिलेंस) की टीम ने नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा और एकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी को ₹1.20 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी शुक्रवार को उस समय हुई, जब दोनों अधिकारी एक कर्मचारी की वार्षिक वेतन वृद्धि (एसीपी) के लिए हस्ताक्षर करने के एवज में गैरकानूनी रूप से धन की मांग कर रहे थे। इस घटना ने राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को एक बार फिर से मजबूती से स्थापित किया है। नैनीताल में भ्रष्टाचार: एसीपी के एवज में रिश्वत की मांग नैनीताल न्यायालय में कार्यरत एक कर्मचारी ने सतर्कता विभाग में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी और उनके पांच अन्य सहयोगियों की एसीपी (वार्षिक वेतन वृद्धि) लंबित है। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसमें से दो सदस्यों ने पहले ही अपने हस्ताक्षर कर दिए थे। हालांकि, मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा अनावश्यक रूप

नैनीताल 10 मई 2025 (समय बोल रहा)

उत्तराखंड सरकार का भ्रष्टाचार पर कड़ा प्रहार: ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का दिखा असर

नैनीताल में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ‘जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन’ नीति के तहत एक और बड़ी कार्रवाई सामने आई है। सतर्कता विभाग (विजिलेंस) की टीम ने नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा और एकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी को ₹1.20 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी शुक्रवार को उस समय हुई, जब दोनों अधिकारी एक कर्मचारी की वार्षिक वेतन वृद्धि (एसीपी) के लिए हस्ताक्षर करने के एवज में गैरकानूनी रूप से धन की मांग कर रहे थे। इस घटना ने राज्य सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को एक बार फिर से मजबूती से स्थापित किया है।

नैनीताल में भ्रष्टाचार: एसीपी के एवज में रिश्वत की मांग

नैनीताल न्यायालय में कार्यरत एक कर्मचारी ने सतर्कता विभाग में शिकायत दर्ज कराई कि उनकी और उनके पांच अन्य सहयोगियों की एसीपी (वार्षिक वेतन वृद्धि) लंबित है। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए एक तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी, जिसमें से दो सदस्यों ने पहले ही अपने हस्ताक्षर कर दिए थे। हालांकि, मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा अनावश्यक रूप से हस्ताक्षर करने में देरी कर रहे थे। जब शिकायतकर्ता ने इस विलंब का कारण जानने का प्रयास किया, तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राणा प्रति व्यक्ति ₹50,000 की रिश्वत की मांग कर रहे थे। इसके पश्चात, अकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी ने शिकायतकर्ता से ₹1.20 लाख की राशि लेकर हस्ताक्षर करवाने की बात कही।

विजिलेंस की त्वरित कार्रवाई: रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए सरकारी कर्मचारी

सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर हल्द्वानी की टीम ने सतर्कता विभाग के एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में इस महत्वपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम दिया। शिकायत की सत्यता की पुष्टि होने के तुरंत बाद, टीम ने एक योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाया और दोनों भ्रष्ट अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ने में सफलता प्राप्त की। गिरफ्तारी के उपरांत, दोनों आरोपियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। सतर्कता विभाग की टीम अब इस मामले की गहन छानबीन कर रही है, ताकि इस भ्रष्टाचार के नेटवर्क की गहराई और इसमें संलिप्त अन्य संभावित व्यक्तियों का पता लगाया जा सके।

धामी सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम: अब तक कई गिरफ्तार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार पिछले कई वर्षों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सतत और निर्णायक संघर्ष कर रही है। इस अवधि में सरकार ने भ्रष्ट आचरण में लिप्त पाए गए व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं, जिसका परिणाम यह है कि अब तक अनेक अधिकारियों, कर्मचारियों और विभिन्न संगठित अपराध में लिप्त व्यक्तियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है। इसमें विभिन्न स्तरों के सरकारी कर्मचारी शामिल हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ किसी भी प्रकार का समझौता करने के पक्ष में नहीं है।

नकल माफिया पर भी शिकंजा: शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता की पहल

भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार की लड़ाई केवल प्रशासनिक स्तर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में भी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। नकल माफिया पर नकेल कसने के लिए बनाए गए सख्त नकल विरोधी कानून के अंतर्गत भी तेजी से कार्रवाई की जा रही है। इस कानून के तहत अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सरकार के इन प्रयासों का ही परिणाम है कि पिछले कुछ समय में बड़ी संख्या में युवाओं को पूर्णतः पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरियां मिली हैं, जिससे राज्य के युवाओं में विश्वास की एक नई किरण जगी है।

उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के कुछ अन्य उदाहरण

हाल के समय में उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के कई अन्य मामले भी सामने आए हैं, जिन पर सरकार ने त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की है। इनमें विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को रिश्वत लेते हुए या रिश्वत मांगते हुए गिरफ्तार किया गया है। इन कार्रवाइयों से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि सरकार भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और भविष्य में भी इस प्रकार के भ्रष्ट आचरण में लिप्त पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जारी रहेगी।

सतर्कता विभाग की अपील: भ्रष्टाचार के खिलाफ नागरिक भागीदारी का आह्वान

सतर्कता विभाग के उच्च अधिकारियों ने नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी और एकाउंटेंट को रंगे हाथों गिरफ्तार करने वाली टीम के उत्कृष्ट कार्य की प्रशंसा करते हुए उन्हें पुरस्कृत करने की घोषणा की है। इसके साथ ही, उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों से भी यह अपील की है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ इस महत्वपूर्ण अभियान में सक्रिय रूप से सहयोग करें और किसी भी प्रकार की भ्रष्ट गतिविधि की जानकारी तुरंत सतर्कता विभाग को दें। नागरिकों की सक्रिय भागीदारी इस लड़ाई को और अधिक प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

मुख्यमंत्री धामी का संदेश: भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का लक्ष्य

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस नवीनतम कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को और अधिक तेज करेगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और इसके लिए हर संभव उपाय किया जाएगा। सरकार का स्पष्ट लक्ष्य उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है और इस दिशा में हर संभव प्रयास जारी रहेगा।

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी

नैनीताल में हुई यह ताजा गिरफ्तारी उत्तराखंड सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति का एक सशक्त प्रमाण है। यह कार्रवाई न केवल भ्रष्ट अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह आम जनता को भी यह विश्वास दिलाती है कि सरकार उनकी मेहनत की कमाई और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में भी राज्य सरकार से इसी प्रकार की कठोर और निर्णायक कार्रवाइयों की अपेक्षा की जाती है, ताकि उत्तराखंड को भ्रष्टाचार के अभिशाप से मुक्त किया जा सके।

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