उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनिश्चितता का माहौल बरकरार है। राज्य सरकार फिलहाल चुनाव कराने को लेकर असमंजस की स्थिति में फंसी हुई है, क्योंकि एक तरफ पंचायतीराज एक्ट में अपेक्षित संशोधन अभी तक नहीं हो पाया है, तो दूसरी तरफ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का निर्धारण भी सरकार द्वारा लंबित है। इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, राज्य सरकार की निगाहें इस समय राजभवन पर टिकी हुई हैं, जहां पंचायतीराज एक्ट में संशोधन से संबंधित अध्यादेश स्वीकृति के लिए विचाराधीन है। ऐसे में, उम्मीद जताई जा रही है कि यदि राजभवन से इस अध्यादेश को हरी झंडी मिल जाती है, तो राज्य निर्वाचन आयोग इसी माह के अंत तक पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी कर सकता है। वर्तमान में, उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतें प्रशासकों के भरोसे संचालित हो रही हैं। राज्य सरकार ने ग्राम प्रधानों, क्षेत्र पंचायत प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों को ही प्रशासक के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी है। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है क्योंकि त्रिस्तरीय पंचायतों का पांच वर्ष का संवैधानिक कार्यकाल पिछले वर्ष नवंबर और दिसंबर महीने में ही समाप्त हो चुका था। चुनाव प्रक्रिया को समय पर पूरा न कर पाने के कारण, राज्य सरकार के लिए पंचायतों में प्रशासकों को नियुक्त करना एक मजबूरी बन गया था ताकि स्थानीय स्तर पर शासन और विकास कार्य सुचारू रूप से चलते रहें। उत्तराखंड के 13 जिलों में से हरिद्वार जिले को छोड़कर बाकी सभी 12 जिलों में पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। हरिद्वार जिले में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनावों के साथ ही आयोजित किए जाते हैं। प्रदेश के शेष 12 जिलों में पंचायतों का कार्यकाल 28 नवंबर, 30 नवंबर और 1 दिसंबर को समाप्त हो गया था। इसके बावजूद, राज्य सरकार विभिन्न आवश्यक औपचारिकताओं को समय पर पूरा नहीं कर पाई, जिसके कारण चुनाव प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। पंचायतीराज एक्ट के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, प्रशासकों का कार्यकाल अधिकतम छह महीने का ही हो सकता है। यह छह महीने की समय सीमा इसी महीने मई में समाप्त होने वाली है। स्पष्ट है कि राज्य सरकार को इस समय सीमा के भीतर पंचायत चुनावों को लेकर कोई ठोस निर्णय लेना होगा। यदि सरकार वास्तव में पंचायत चुनाव कराना चाहती है, तो उसे सबसे पहले संशोधित पंचायती राज एक्ट को लागू करवाना होगा। इसके पश्चात ही ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण किया जा सकेगा। सरकार की यह पूरी तैयारी होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए विधिवत अधिसूचना जारी करने की स्थिति में आएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया में हो रही देरी के बावजूद, राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त सुशील कुमार सार्वजनिक रूप से यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि आयोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को संपन्न कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आयोग की ओर से मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है। अब केवल ओबीसी आरक्षण का निर्धारण ही शेष रह गया है। इस प्रकार, पंचायत चुनावों को लेकर जो मुख्य अड़चन है, वह तकनीकी रूप से पंचायती राज एक्ट के संशोधन पर अटकी हुई है। इस संशोधन के लागू होने के बाद ही ओबीसी आरक्षण के निर्धारण पर अंतिम फैसला लिया जा सकेगा। वर्तमान स्थिति यह है कि संशोधन से संबंधित अध्यादेश फिलहाल राज्यपाल के कार्यालय यानी राजभवन में विचाराधीन है, और सरकार को इसकी स्वीकृति का बेसब्री से इंतजार है। राज्य सरकार के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रशासकों का छह महीने का कार्यकाल समाप्त होने से पहले यदि चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं होती है, तो पंचायतों के कामकाज पर और भी अधिक अनिश्चितता का माहौल बन सकता है। इसलिए, सरकार की पूरी कोशिश है कि राजभवन से जल्द ही अध्यादेश को मंजूरी मिल जाए ताकि चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके और स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल किया जा सके। अब सभी की निगाहें राजभवन पर टिकी हुई हैं कि कब वहां से इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को हरी झंडी मिलती है और उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनावों का रास्ता साफ होता है।

अब पंचायत चुनावों की वोटर लिस्ट मिलेगी ऑनलाइन, घर बैठे जांचें अपना नाम – आयोग इस सप्ताह करेगा जारी

देहरादून, 10 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)।उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तैयारी जोरों पर है। इस बार राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को और अधिक सुविधा देने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। आयोग पहली बार पंचायत चुनावों की मतदाता सूची को ऑनलाइन उपलब्ध कराने जा रहा है, ताकि ग्रामीण मतदाता भी डिजिटल…

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देहरादून, 2 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। (आंगनबाड़ी भर्ती ) उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने करीब सात हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है। इस बहुप्रतीक्षित भर्ती प्रक्रिया के तहत हजारों महिलाओं को न केवल रोजगार का अवसर मिलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विकास और पोषण के लिए कार्यरत व्यवस्था को भी सशक्त बनाया जाएगा। जनवरी में निकली थी आंगनबाड़ी भर्ती की विज्ञप्ति वर्ष 2025 की शुरुआत में ही राज्य सरकार द्वारा लगभग 7000 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इन पदों पर आवेदन के लिए प्रदेशभर से हजारों महिलाओं और युवतियों ने ऑनलाइन आवेदन किया। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के पद शामिल हैं, जो बाल विकास परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 20 अप्रैल तक पूरी होगी आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया मंगलवार को विधानसभा भवन के सभागार में आयोजित बैठक के दौरान महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों और परियोजना अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि 20 अप्रैल 2025 तक यह भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। इसके बाद मई महीने में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र वितरित किए जाएंगे। मोबाइल और सिम भी मिलेगा आंगनबाड़ी केंद्र को मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि नई नियुक्त आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी उपलब्ध कराए जाएंगे। यह सिम विशेष रूप से संबंधित आंगनबाड़ी केंद्र को अलॉट किया जाएगा ताकि कार्यकत्रियों के बीच विभागीय संचार बेहतर हो सके। साथ ही प्रत्येक कार्यकत्री को दो हजार रुपये का रिचार्ज भत्ता भी दिया जाएगा और विभाग की ओर से इंटरनेट डाटा खर्च का वहन भी किया जाएगा। कल्याण कोष से आर्थिक सुरक्षा का खाका तैयार बैठक में मंत्री ने यह भी बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए आंगनबाड़ी कल्याण कोष से बेटियों की शिक्षा, विवाह, या हादसे की स्थिति में परिवार को आर्थिक मदद देने हेतु एक विस्तृत योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। यह योजना कार्यकत्रियों और उनके परिवारों को सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी। नई महिला नीति भी जल्द आएगी सामने रेखा आर्या ने बताया कि राज्य की नई महिला नीति लगभग तैयार हो चुकी है, जिसे अगली कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। इस नीति में महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास के लिए व्यापक दिशा-निर्देश और योजनाएं शामिल होंगी। इसमें एकल महिलाओं, विधवाओं और वृद्धावस्था की महिलाओं के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया है। ‘मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना’ में भी होंगे संशोधन बैठक के दौरान मंत्री ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना में कुछ आवश्यक संशोधन किए गए हैं, जिन्हें जल्द ही कैबिनेट से अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। इस योजना के तहत एकल महिलाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण, प्रशिक्षण और विपणन सहायता जैसे लाभ दिए जाएंगे। छह जिलों में बनेगा 50-बेड का महिला छात्रावास महिला शिक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंत्री ने बताया कि प्रदेश के छह जनपदों में 50-बेड के नए महिला आवासीय छात्रावासों की स्थापना के लिए सरकार की मंजूरी मिल चुकी है। ये छात्रावास उन युवतियों के लिए लाभदायक होंगे, जो उच्च शिक्षा के लिए अपने गांवों से दूर जाकर पढ़ाई करती हैं। महिला सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदम उत्तराखंड सरकार का यह कदम राज्य में महिला सशक्तिकरण और बाल विकास की दिशा में एक सशक्त पहल है। जहां एक ओर 7000 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं दूसरी ओर आंगनबाड़ी सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। रेखा आर्या ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व सहायिका भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता बरती जाए, ताकि योग्य अभ्यर्थियों को ही मौका मिल सके।

20 अप्रैल तक पूरी होगी उत्तराखंड की आंगनबाड़ी भर्ती, जानिए कौन होगा चयनित

देहरादून, 2 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा)। (आंगनबाड़ी भर्ती ) उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने करीब सात हजार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं की भर्ती प्रक्रिया को अंतिम चरण में पहुंचा दिया है। इस बहुप्रतीक्षित भर्ती प्रक्रिया के तहत हजारों महिलाओं को न केवल रोजगार का…

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काशीपुर, 18 मई 2025 (समय बोल रहा)  – भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की काशीपुर जिला इकाई ने तीन महत्वपूर्ण मंडलों – भरतपुर मेधवाला, काशीपुर जिले के जसपुर क्षेत्र के जसपुर नगर और महुवाडावरा में अपनी कार्यकारिणी का विस्तार किया है। जिला प्रभारी पुष्कर सिंह काला और जिला अध्यक्ष मनोज पाल की सहमति से यह पुनर्गठन किया गया, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर पार्टी की पकड़ को मजबूत करना और आगामी राजनीतिक गतिविधियों के लिए संगठन को तैयार करना है। भरतपुर मेधवाला मंडल में नई नियुक्तियाँ भरतपुर मेधवाला मंडल में मंडल अध्यक्ष के बाद, निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है: मंडल उपाध्यक्ष: राजू ठाकुर, लक्ष्मी भण्डारी, सुरेश लोहिया, और अनुज शर्मा। मंडल महामंत्री: हरप्रीत सिंह और सत्यपाल जाटव। मंडल मंत्री: पुनीत बाटला, कीर्तन देवी, अंकुर जाटव, और नवल सिंह। मंडल कोषाध्यक्ष: दीपक गिरी। मंडल कार्यालय मंत्री: चरणजीत सिंह। मंडल मीडिया संयोजक: जितेन्द्र यादव। मंडल आईटी संयोजक: भास्कर तिवारी। मंडल सोशल मीडिया संयोजक: हरदीप सिंह। जसपुर नगर मंडल में कार्यकारिणी विस्तार काशीपुर जिले के जसपुर क्षेत्र के जसपुर नगर मंडल में मंडल अध्यक्ष के बाद, निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है: मंडल उपाध्यक्ष: अशोक खन्ना, अनीता पवार, विनोद प्रजापति, और दीपक राणा। मंडल महामंत्री: रविमणि चौहान और विशाल कश्यप। मंडल मंत्री: ललित शर्मा, नीलकंवल, हृदेश चौहान, और गौरव प्रजापति। मंडल कोषाध्यक्ष: संजय अग्रवाल। मंडल कार्यालय मंत्री: श्रीमती मोहिनी शर्मा। मंडल मीडिया संयोजक: रिं तांशु पंडित। मंडल आईटी संयोजक: अंजली रानी। मंडल सोशल मीडिया संयोजक: मनोज कुमार एडवोकेट। महुवाडावरा मंडल में नई नियुक्तियाँ महुवाडावरा मंडल में मंडल अध्यक्ष के बाद, निम्नलिखित पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है: मंडल उपाध्यक्ष: राजेंद्र सिंह, मंदीप चौधरी, मंदीप चौहान, और माया सैनी। मंडल महामंत्री: शुभम चौहान और विमल सागर। मंडल मंत्री: सिंदू सिंह, नीरज मीणा, नीतू चौहान, और ब्रह्मपाल सिंह। मंडल कोषाध्यक्ष: महिपाल गुप्ता जी। मंडल कार्यालय संयोजक: दयाराम सिंह। मंडल मीडिया संयोजक: सीताराम सिंह सैनी। मंडल आईटी संयोजक: अभिषेक चौहान। मंडल सोशल मीडिया संयोजक: खिलेन्द्र सैनी। संगठनात्मक महत्व और पार्टी की रणनीति इन तीनों मंडलों में कार्यकारिणी का विस्तार भाजपा की संगठनात्मक मजबूती को दर्शाता है। जिला अध्यक्ष मनोज पाल ने कहा, "यह नियुक्तियाँ पार्टी को जमीनी स्तर पर और अधिक प्रभावी बनाएंगी। हम सभी नवनियुक्त पदाधिकारियों से अपेक्षा करते हैं कि वे पार्टी की विचारधारा और नीतियों के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करेंगे।" जिला प्रभारी पुष्कर सिंह काला ने इस अवसर पर कहा, "यह संगठनात्मक फेरबदल आगामी राजनीतिक गतिविधियों और चुनावी तैयारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। एक मजबूत मंडल संगठन जमीनी स्तर पर पार्टी की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने और जनसमर्थन जुटाने में सहायक होगा।" राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा का यह कदम उत्तराखंड में अपने सांगठनिक ढांचे को मजबूत करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। आगामी स्थानीय और क्षेत्रीय चुनावों को देखते हुए, पार्टी हर स्तर पर अपनी तैयारियों को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इन तीनों मंडलों में नई टीम पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदाताओं तक पहुंचने और पार्टी की नीतियों को बढ़ावा देने में। नवनियुक्त पदाधिकारियों के समक्ष अब मंडल में पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने, नए सदस्यों को जोड़ने और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होगी। उनकी कार्यशैली और समर्पण ही इन मंडलों में भाजपा की भविष्य की सफलता की दिशा तय करेगी।

“बीजेपी स्थापना दिवस: ‘गांव चलो अभियान’ और विचार गोष्ठी से जनसंपर्क को मिलेगा ऐतिहासिक बढ़ावा”

देहरादून, 2. अप्रैल 2025 (समय बोल रहा) – भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 6 अप्रैल को अपने स्थापना दिवस को व्यापक स्तर पर मनाने जा रही है। इस अवसर पर पार्टी ‘गांव चलो अभियान’ और विधानसभा स्तर पर विचार गोष्ठी का आयोजन करेगी। सप्ताहभर चलने वाले इन कार्यक्रमों के संचालन के लिए प्रदेश टोली का गठन…

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देहरादून,1 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में विभिन्न विभागों के सुचारू संचालन और प्रभावी अनुश्रवण के लिए 20 लोगों को विभिन्न पदों पर दायित्व सौंपे हैं। यह जानकारी सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने दी। विभागीय योजनाओं को मिलेगा लाभ सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि इन दायित्वों के सौंपे जाने से प्रदेश में विभागीय जन कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी और उनकी प्रभावी निगरानी भी संभव होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जिन महानुभावों को दायित्व सौंपे गए हैं, वे विभिन्न जिलों से हैं और अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशाली भूमिका निभाएंगे। नव नियुक्त पदाधिकारियों की सूची मुख्यमंत्री द्वारा दायित्व सौंपे गए प्रमुख व्यक्तियों के नाम और पद निम्नलिखित हैं: हरक सिंह नेगी (चमोली) – उपाध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद ऐश्वर्या रावत (रुद्रप्रयाग) – उपाध्यक्ष, राज्य महिला आयोग गंगा विष्ट (अल्मोड़ा) – उपाध्यक्ष, राज्य महिला उद्यमिता परिषद श्याम अग्रवाल (देहरादून) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड आवास सलाहकार परिषद शांति मेहरा (नैनीताल) – उपाध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद भगवत प्रसाद मकवाना (देहरादून) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड सफाई कर्मचारी आयोग हेमराज विष्ट (पिथौरागढ़) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य स्तरीय खेल परिषद रामचंद्र गौड़ (चमोली) – अध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक कल्याण परिषद पूरन चंद नैलवाल (अल्मोड़ा) – उपाध्यक्ष, प्रवासी उत्तराखंड परिषद रामसुंदर नौटियाल (उत्तरकाशी) – उपाध्यक्ष, भागीरथी नदी घाटी प्राधिकरण सायरा बानो (ऊधमसिंह नगर) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य महिला आयोग रेनू अधिकारी (नैनीताल) – अध्यक्ष, राज्य महिला उद्यमिता परिषद रजनी रावत (देहरादून) – उपाध्यक्ष, समाज कल्याण योजनाएं अनुश्रवण समिति ओम प्रकाश जमदग्नि (हरिद्वार) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड पारिस्थितिकीय पर्यटन सलाहकार परिषद भूपेश उपाध्याय (बागेश्वर) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद कुलदीप कुमार (देहरादून) – अध्यक्ष, उत्तराखंड वन पंचायत सलाहकार परिषद ऋषि कंडवाल (पौड़ी) – उपाध्यक्ष, सिंचाई सलाहकार समिति वीरेंद्र दत्त सेमवाल (टिहरी) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद अजय कोठियाल (टिहरी) – अध्यक्ष, उत्तराखंड राज्य पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार समिति श्याम नारायण पांडे (नैनीताल) – उपाध्यक्ष, उत्तराखंड वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति सरकार की प्राथमिकता – प्रभावी प्रशासन और विकास राज्य सरकार का मानना है कि इन दायित्वों के माध्यम से राज्य में विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी तरीके से होगा। "उत्तराखंड के विकास और जनकल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इन नियुक्तियों से प्रशासनिक ढांचे को मजबूती मिलेगी और योजनाओं के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और तेजी आएगी।" – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया नव नियुक्त पदाधिकारियों के चयन को लेकर जनता और प्रशासनिक विशेषज्ञों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार द्वारा सही लोगों को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे गए हैं, जबकि कुछ ने सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया में और अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता थी। राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सुरेश मिश्रा ने कहा, "इस तरह की नियुक्तियाँ सरकार के प्रशासनिक दृष्टिकोण को मजबूत करती हैं, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन पदों का सदुपयोग हो और जनता को वास्तविक लाभ मिले।" भविष्य की योजनाएँ और अपेक्षाएँ सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में और भी महत्वपूर्ण दायित्व सौंपे जा सकते हैं। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि राज्य की महत्वपूर्ण योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो और राज्य का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित किया जा सके।मुख्यमंत्री द्वारा दायित्व सौंपे गए प्रमुख व्यक्तियों के नाम और पद विभिन्न आयोगों और परिषदों में नियुक्त किए गए सदस्य अपने कार्यक्षेत्र में सुधार लाने और योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने की दिशा में कार्य करेंगे। उत्तराखंड सरकार उत्तराखंड सरकार द्वारा

उत्तराखंड सरकार ने 20 लोगों को सौंपे दायित्व, जन कल्याणकारी योजनाओं को मिलेगी गति

देहरादून,1 अप्रैल 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में विभिन्न विभागों के सुचारू संचालन और प्रभावी अनुश्रवण के लिए 20 लोगों को विभिन्न पदों पर दायित्व सौंपे हैं। यह जानकारी सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने दी। विभागीय योजनाओं को मिलेगा लाभ सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने बताया कि इन दायित्वों के सौंपे…

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देहरादून, 30 मार्च 2025 (समय बोल रहा) - उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के चार जिलों हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के कई स्थानों के नाम बदलने की महत्वपूर्ण घोषणा की है। यह फैसला जन भावनाओं और भारतीय संस्कृति व विरासत के अनुरूप लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बदलाव ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से प्रेरणादायक होगा, जिससे लोग भारतीय मूल्यों को आत्मसात कर सकें। कौन-कौन से स्थानों के नाम बदले गए? मुख्यमंत्री धामी द्वारा घोषित नाम परिवर्तन निम्नलिखित हैं: हरिद्वार जिले में: रुड़की का नाम बदलकर रामनगर रखा गया। भगवानपुर को नया नाम श्रीपुर दिया गया। देहरादून जिले में: रायपुर को अब सूर्यपुर के नाम से जाना जाएगा। डोईवाला का नाम बदलकर शिवपुर कर दिया गया। नैनीताल जिले में: हल्द्वानी का नाम अब गौरव नगर होगा। कालाढूंगी को नया नाम वीरपुर मिला। ऊधमसिंह नगर जिले में: किच्छा का नाम शक्ति नगर रखा गया। रुद्रपुर को धर्मपुर नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने क्या कहा? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मौके पर कहा कि यह फैसला जनभावना के अनुरूप और भारतीय विरासत के सम्मान में लिया गया है। उन्होंने कहा, "देश के अलग-अलग राज्यों में ऐतिहासिक स्थानों के नाम बदले गए हैं। उत्तराखंड भी देवभूमि है और यहां के स्थानों के नाम हमारी संस्कृति और महान महापुरुषों से प्रेरित होने चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि यह परिवर्तन आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगा और उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा। राजनीतिक प्रतिक्रिया इस फैसले के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना की और कहा कि यह उत्तराखंड की ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान को मजबूत करने वाला फैसला है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस निर्णय की आलोचना करते हुए इसे "राजनीतिक स्टंट" बताया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार को नाम बदलने की बजाय बुनियादी विकास कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। सोशल मीडिया पर चर्चा उत्तराखंड सरकार के इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई लोगों ने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए इसे संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कुछ लोगों ने इस नाम परिवर्तन को अनावश्यक बताते हुए कहा कि सरकार को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। आगे की प्रक्रिया सरकार ने घोषणा की है कि इन नाम परिवर्तनों को आधिकारिक रूप से राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। इसके बाद प्रशासनिक और अन्य दस्तावेजों में नए नाम लागू किए जाएंगे। संस्कृति उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित यह नाम परिवर्तन इतिहास, संस्कृति और जन भावनाओं से प्रेरित एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है। हालांकि, इसे लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बहस जारी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले का जनता और प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

उत्तराखंड में कई स्थानों के नाम बदले, मुख्यमंत्री धामी ने किया ऐलान

देहरादून, 31मार्च 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के चार जिलों हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर के कई स्थानों के नाम बदलने की महत्वपूर्ण घोषणा की है। यह फैसला जन भावनाओं और भारतीय संस्कृति व विरासत के अनुरूप लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बदलाव…

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देहरादून, 30 मार्च 2025 (समय बोल रहा) - उत्तराखंड में खनन से जुड़े राजस्व में भारी वृद्धि को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि राजस्व में वृद्धि का मतलब पारदर्शी नीति और चोरी पर अंकुश लगना है, न कि किसी प्रकार का घोटाला। उन्होंने कांग्रेस के आरोपों को अल्प ज्ञान से प्रेरित बताते हुए कहा कि प्रदेश का खनन राजस्व 300 करोड़ से बढ़कर 1000 करोड़ से भी अधिक हो गया है, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पारदर्शी नीतियों की सफलता को दर्शाता है। राजस्व में वृद्धि सरकार की नीतियों का नतीजा भट्ट ने प्रेस से बातचीत में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के नीतिगत सुधार और बेहतर प्रबंधन के कारण ही खनन क्षेत्र से राज्य को अभूतपूर्व राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में माफियाओं के साथ मिलकर खनन नीतियां बनाई जाती थीं, जबकि भाजपा सरकार ने पारदर्शिता और सख्त नियमों के जरिए इस क्षेत्र को सुव्यवस्थित किया है। उन्होंने कहा कि बेवजह इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है, जबकि खनन राज्य की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा बन चुका है। कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि यदि चोरी होती तो राजस्व घटता, बढ़ता नहीं। भाजपा अध्यक्ष चुनाव पर जल्द होगी घोषणा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चुनाव को लेकर भट्ट ने कहा कि शीघ्र ही केंद्रीय नेतृत्व अन्य राज्यों के साथ उत्तराखंड में भी चुनाव तिथि की घोषणा करेगा। राज्य संगठन ने अध्यक्ष चुनाव को लेकर जरूरी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं। 70% से अधिक मंडल अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं और 19 में से 18 सांगठनिक जिलों को अपना नया अध्यक्ष मिल गया है। भट्ट ने जानकारी दी कि चुनाव की अधिकृत सूचना प्रदेश के लिए नियुक्त राष्ट्रीय पर्यवेक्षक द्वारा केंद्रीय नेतृत्व को भेजी जा चुकी है। संसद सत्र की व्यस्तता के कारण इसमें थोड़ा विलंब हुआ, लेकिन जल्द ही चुनाव तिथि पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। रानीखेत जिला अध्यक्ष की नियुक्ति चुनाव के बाद रानीखेत के भाजपा जिला अध्यक्ष की नियुक्ति पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के बाद वहां भी नए अध्यक्ष का चयन किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूर्व में संगठन पर्व के तहत आए नाम उम्र अधिक होने के कारण अस्वीकार किए गए थे। विपक्ष के आरोप निराधार भट्ट ने कहा कि कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार और बदनाम करने की मंशा से प्रेरित हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि शायद कांग्रेस को किसी अपने करीबी खनन माफिया के नुकसान का दर्द महसूस हो रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्व में ऐतिहासिक वृद्धि सरकार की सफलता का प्रमाण है, और उस पर प्रश्न उठाना पूरी तरह अनुचित है। भाजपा प्रवक्ता पर कांग्रेस की शिकायत तर्कहीन भट्ट ने भाजपा प्रवक्ता के खिलाफ कांग्रेस की शिकायत को तथ्यों का जवाब न दे पाने की खीझ करार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता हमेशा संशय में रहते हैं और दोहरी राजनीति करते हैं। उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ताओं की बयानबाजी को अपमानजनक और आधारहीन बताते हुए कहा कि जब भाजपा नेता तर्क सहित जवाब देते हैं, तो कांग्रेस बेबुनियाद आरोप लगाने लगती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने खनन से बढ़े राजस्व को सरकार की उपलब्धि बताया और कांग्रेस के आरोपों को अल्प ज्ञान का परिणाम करार दिया। उन्होंने विपक्ष पर राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित आरोप लगाने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा सरकार पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ प्रदेश को आगे बढ़ा रही है। वहीं, भाजपा अध्यक्ष चुनाव को लेकर भी जल्द ही घोषणा होने की बात कही गई।

खनन में कई गुना राजस्व वृद्धि का मतलब चोरी पर अंकुश, कांग्रेस के आरोप निराधार: महेंद्र भट्ट

देहरादून, 30 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड में खनन से जुड़े राजस्व में भारी वृद्धि को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि राजस्व में वृद्धि का मतलब पारदर्शी नीति और चोरी पर अंकुश लगना है, न कि किसी प्रकार का घोटाला। उन्होंने कांग्रेस के…

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मेरठ, 22 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेरठ में एक अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज का पर्दाफाश किया है, जो वीओआईपी (VoIP) कॉल को लोकल कॉल में बदलकर हर दिन 25 हजार रुपये की अवैध कमाई कर रहा था। चार लाख का इनवेस्टमेंट, देहरादून में ट्रायल से शुरू हुआ गोरखधंधा पुलिस जांच में पता चला है कि इस अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज के लिए चार लाख रुपये का निवेश किया गया था। सबसे पहले देहरादून में ट्रायल के रूप में इसे शुरू किया गया, जिसके बाद मेरठ में इसका पूरा सेटअप तैयार किया गया। कैसे चलता था अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज? पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) राकेश कुमार मिश्रा के अनुसार, इस अवैध एक्सचेंज में वीओआईपी कॉल्स (Voice Over Internet Protocol) को लोकल कॉल में बदलने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता था। इस प्रक्रिया से न केवल टेलीकॉम कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो रहा था। लखीपुरा में छापेमारी, मुख्य आरोपी जुनैद गिरफ्तार मेरठ के लखीपुरा इलाके में स्थित एक घर की ऊपरी मंजिल पर पुलिस ने छापेमारी की, जहां से इस पूरे नेटवर्क को संचालित किया जा रहा था। पुलिस ने इस कार्रवाई में मुख्य आरोपी जुनैद को गिरफ्तार किया है और मौके से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, सर्वर, और मोबाइल फोन जब्त किए हैं। अवैध कॉल एक्सचेंज से क्या नुकसान होता है? राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा – इंटरनेशनल कॉल्स को लोकल में बदलने से खुफिया एजेंसियों की निगरानी प्रणाली विफल हो सकती है। राजस्व का नुकसान – टेलीकॉम कंपनियों को करोड़ों रुपये की हानि होती है। आतंकी गतिविधियों में दुरुपयोग – ऐसे नेटवर्क का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों और आतंकी संचार के लिए हो सकता है। पुलिस की कार्रवाई जारी, अन्य आरोपियों की तलाश में छापेमारी पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क से जुड़े अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इस गोरखधंधे का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला हुआ

मेरठ: अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज का भंडाफोड़, हर दिन हो रही थी 25 हजार की कमाई!

मेरठ, 22 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेरठ में एक अवैध इंटरनेशनल कॉल एक्सचेंज का पर्दाफाश किया है, जो वीओआईपी (VoIP) कॉल को लोकल कॉल में बदलकर हर दिन 25 हजार रुपये की अवैध कमाई कर रहा था। चार लाख का इनवेस्टमेंट, देहरादून में ट्रायल से शुरू हुआ गोरखधंधा पुलिस…

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देहरादून ,16 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ धाम में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा विधायक आशा नौटियाल ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि "कुछ गैर-हिंदू तत्व केदारनाथ धाम की पवित्रता को ठेस पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।" इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि "धार्मिक स्थलों की मर्यादा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि वहां केवल श्रद्धालु ही जाएं, न कि वे लोग जो असामाजिक गतिविधियों में लिप्त हों। यदि कुछ लोगों की गतिविधियों से धाम की छवि खराब हो रही है, तो ऐसे व्यक्तियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना उचित होगा।" विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया विधायक के इस बयान पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि "भाजपा के नेता धार्मिक स्थलों को राजनीति से जोड़कर सनसनीखेज बयान देने की आदत बना चुके हैं। उत्तराखंड देवभूमि है और यहां सभी का स्वागत है। धर्म को इस तरह विभाजित करना सही नहीं है।" समाज के विभिन्न वर्गों ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखी है। कुछ लोगों का मानना है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए, जबकि अन्य इसे धार्मिक भेदभाव की ओर एक कदम मान रहे हैं। चारधाम यात्रा पर असर? गौरतलब है कि यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने वाली है। केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को खुलेंगे और इस बार लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और मर्यादा को लेकर यह बहस जारी है। देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर वास्तव में कोई प्रतिबंध लगेगा या नहीं।

केदारनाथ धाम में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक की मांग तेज, भाजपा विधायक आशा नौटियाल का बयान चर्चा में

देहरादून ,16 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ धाम में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा विधायक आशा नौटियाल ने हाल ही में एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि “कुछ गैर-हिंदू तत्व केदारनाथ धाम की पवित्रता को ठेस पहुंचाने का प्रयास कर…

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उत्तराखंड की धामी सरकार के आदेश पर प्रशासन ने देहरादून के विकासनगर और सहसपुर में 31 अपंजीकृत मदरसों को सील कर दिया है। यह कार्रवाई शिक्षा मानकों के उल्लंघन और बिना पंजीकरण संचालित होने के कारण की गई। रमज़ान के दौरान कार्रवाई पर विरोध प्रशासन की इस कार्रवाई से समुदाय विशेष में नाराजगी देखने को मिल रही है, क्योंकि यह कदम रमज़ान के दौरान उठाया गया। मुस्लिम सेवा संगठन सहित अन्य संगठनों ने इस कार्रवाई का विरोध जताते हुए इसे धार्मिक भावनाओं से जुड़ा मामला बताया। प्रशासन की दलील प्रशासन का कहना है कि बिना पंजीकरण संचालित मदरसे नियमों का उल्लंघन कर रहे थे और इन्हें कई बार सूचना और चेतावनी दी गई थी। सरकार के निर्देशानुसार शिक्षा विभाग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीम ने यह कार्रवाई की। क्या बोले स्थानीय लोग? स्थानीय लोगों का कहना है कि रमज़ान के दौरान इस तरह की कार्रवाई से धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। विरोध के बावजूद प्रशासन अपनी कार्रवाई को सही ठहरा रहा है। सरकार का रुख धामी सरकार पहले

उत्तराखंड में 31 अपंजीकृत मदरसों पर प्रशासन की कार्रवाई, रमज़ान के दौरान सीलिंग से नाराजगी

उत्तराखंड 12  मार्च 2025 (समय बोल रहा) धामी सरकार के आदेश पर प्रशासन ने देहरादून के विकासनगर और सहसपुर में 31 अपंजीकृत मदरसों को सील कर दिया है। यह कार्रवाई शिक्षा मानकों के उल्लंघन और बिना पंजीकरण संचालित होने के कारण की गई। रमज़ान के दौरान कार्रवाई पर विरोध प्रशासन की इस कार्रवाई से समुदाय…

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आबकारी नीति से धार्मिक क्षेत्रों का संरक्षण और रोजगार में वृद्धि – महेंद्र भट्ट

आबकारी नीति से धार्मिक क्षेत्रों का संरक्षण और रोजगार में वृद्धि – महेंद्र भट्ट

देहरादून, 04 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने उत्तराखंड सरकार की नई आबकारी नीति को धार्मिक स्थलों के संरक्षण और राजस्व व रोजगार वृद्धि में सहायक बताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक के निर्णयों का स्वागत करते हुए कहा…

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