काशीपुर, 2 जून, 2025 (समय बोल रहा ) - (पर्यावरण दिवस) प्रकृति, जो मानव जीवन की जन्मदात्री और सतत संगिनी रही है, आज मानवीय स्वार्थ और असंतुलन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रही है। यह सर्वविदित है कि सभ्यताएं और संस्कृतियाँ इसी प्रकृति की छांव में विकसित हुई हैं, और जीवन का निरंतर प्रवाह इसके संतुलन पर ही निर्भर करता है। लेकिन जब मनुष्य इस मूल सत्य को भूलकर अपने स्वार्थ के दायरे को लांघता है, तो जीवनदायिनी प्रकृति ही क्षतिग्रस्त होती है। मानव अक्सर यह विस्मृत कर देता है कि वह स्वयं भी इसी प्रकृति का एक अभिन्न अंग है। आज, पर्यावरणीय संकट की गंभीर गूंज वैश्विक चेतना को झकझोर रही है, और इसी गहन अनुभूति के तहत संयुक्त राष्ट्र संघ प्रतिवर्ष 5 जून को 'विश्व पर्यावरण दिवस' का आयोजन करता है, ताकि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया जा सके। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के नेतृत्व में 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' अभियान इस वैश्विक पहल से प्रेरणा लेते हुए, संत निरंकारी मिशन की सामाजिक शाखा, संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन, ने सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के लोकमंगलकारी और दूरदर्शी नेतृत्व में एक अभूतपूर्व कदम उठाया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष निर्धारित थीम 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' (प्लास्टिक प्रदूषण को हराओ) को केंद्र में रखते हुए, फाउंडेशन देशभर के 18 प्रमुख पर्वतीय पर्यटक स्थलों पर एक व्यापक वृक्षारोपण एवं स्वच्छता अभियान का आयोजन कर रही है। यह महा-अभियान 5 जून को प्रातः 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक चलेगा, जिसमें हजारों स्वयंसेवक और नागरिक भागीदारी करेंगे। संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन का यह प्रयास केवल स्वच्छ, हरित और संतुलित पर्यावरण की दिशा में एक सशक्त कदम ही नहीं है, बल्कि यह आज की युवा पीढ़ी को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने और संरक्षण की भावना को उनके व्यवहार में उतारने की एक प्रेरणादायक पहल भी है। यह एक ऐसा अभियान है जो सेवा, सद्भाव और सजगता जैसे मानवीय मूल्यों को जनचेतना से जोड़ता है, जिससे एक सामूहिक और सकारात्मक परिवर्तन की उम्मीद की जा सकती है। निरंतर प्रयास: 2014 से चला आ रहा पर्यावरण कार्यक्रम संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के सचिव श्री जोगिंदर सुखीजा ने इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मिशन वर्ष 2014 से ही संयुक्त राष्ट्र के 'यूनाइटेड नेशन एनवायरनमेंट प्रोग्राम' (UNEP) की थीम पर 'विश्व पर्यावरण दिवस' का आयोजन कर रहा है। यह केवल एक दिवसीय कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक सतत जनचेतना अभियान है जिसका उद्देश्य प्रकृति और मानवता के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध को पुनः सशक्त करना है। मिशन का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण एक निरंतर प्रक्रिया है जिसे केवल एक दिन तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। 18 प्रमुख पर्वतीय एवं पर्यटक स्थल बने अभियान के केंद्र इस महाअभियान के अंतर्गत देश के विविध प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण 18 प्रमुख पर्वतीय एवं पर्यटक स्थलों को सम्मिलित किया गया है। इन स्थलों को विशेष रूप से चुना गया है ताकि पर्यावरण संरक्षण का संदेश व्यापक रूप से फैल सके और इन खूबसूरत प्राकृतिक स्थानों को प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्त किया जा सके। इन प्रमुख स्थलों में शामिल हैं: उत्तराखंड से: मसूरी, ऋषिकेश, लैंसडाउन, नैनीताल, चकराता एवं भवाली। हिमाचल प्रदेश से: शिमला, मनाली और धर्मशाला। गुजरात से: सापुतारा। महाराष्ट्र से: महाबलेश्वर, पंचगनी, खंडाला, लोनावाला, पन्हाला एवं सोमेश्वर। सिक्किम से: गीजिंग। कर्नाटक से: सुरम्य नंदी हिल्स। ये सभी स्थल न केवल प्रकृति की गोद में बसे हुए हैं, बल्कि अब पर्यावरण जागृति के प्रति समर्पित ऐसे केंद्र बिंदु बन रहे हैं जहाँ निष्काम सेवा और सामूहिक सहभागिता एक साथ साकार हो रही हैं। विशेष रूप से, काशीपुर यूनिट नंबर 180 से भी सेवादारों के अंदर इस पर्यावरण दिवस पर स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए भरपूर उत्साह देखने को मिल रहा है, जो स्थानीय स्तर पर भी इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करेगा। जन-जागरूकता के लिए रचनात्मक पहल इस अवसर पर मिशन के स्वयंसेवक, सेवादल सदस्य, श्रद्धालुजन एवं स्थानीय नागरिक एकजुट होकर कार्यक्रम की शुरुआत प्रार्थना के साथ करेंगे। इसके बाद, युवा स्वयंसेवक प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों और उसके समाधान पर जन-जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न रचनात्मक माध्यमों का उपयोग करेंगे। इनमें नुक्कड़ नाटक, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और प्रभावशाली संदेश शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित युक्त तख्तियाँ और बैनर लिए मानव श्रृंखला बनाकर समाज को प्रेरित किया जाएगा। यह प्रभावी तरीका लोगों को सीधे जोड़ने और उन्हें पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने के लिए प्रेरित करेगा। इस विश्व पर्यावरण दिवस पर संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन का यह समर्पित प्रयास एक सार्थक संदेश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति परमात्मा का अमूल्य उपहार है, और उसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। आइए, हम सभी मिलकर पर्यावरण की रक्षा करें और अपनी भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ, सुंदर और संतुलित पृथ्वी का निर्माण करने में योगदान दें।

बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’: संत निरंकारी मिशन का 18 पर्वतीय स्थलों पर महा-अभियान, पर्यावरण दिवस से पहले तैयारी शुरू!

काशीपुर, 2 जून, 2025 (समय बोल रहा ) – (पर्यावरण दिवस) प्रकृति, जो मानव जीवन की जन्मदात्री और सतत संगिनी रही है, आज मानवीय स्वार्थ और असंतुलन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रही है। यह सर्वविदित है कि सभ्यताएं और संस्कृतियाँ इसी प्रकृति की छांव में विकसित हुई हैं, और जीवन का निरंतर…

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नई दिल्ली, 28 मई 2025 (समय बोल रहा): देश भर के स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, और इसी के साथ लाखों लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने या पहाड़ों की ठंडी वादियों में घूमने का प्लान बनाकर निकल पड़े हैं। लेकिन, छुट्टियों के इस खुशनुमा माहौल में भी ट्रेनों की अनियंत्रित लेटलतीफी ने रेल यात्रियों की मुसीबतें कई गुना बढ़ा दी हैं। दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल समेत उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, गोरखपुर और मुजफ्फरनगर जैसे प्रमुख रूटों पर चलने वाली ट्रेनें घंटों देरी से पहुंच रही हैं, जिससे यात्रियों को भीषण गर्मी में प्लेटफॉर्म पर लंबा और थकाऊ इंतजार करने को मजबूर होना पड़ रहा है। राप्तीगंगा एक्सप्रेस की बदहाली: चार घंटे की देरी ने यात्रियों को रुलाया ट्रेनों की देरी का ताजा और सबसे बड़ा उदाहरण गोरखपुर से आने वाली राप्तीगंगा एक्सप्रेस का है। देहरादून रेलवे स्टेशन अधीक्षक रविंद्र कुमार ने बताया कि यह महत्वपूर्ण ट्रेन मंगलवार को अपने निर्धारित समय से करीब चार घंटे की देरी से शाम छह बजे देहरादून पहुंची। इतनी बड़ी देरी के कारण, इस ट्रेन को देहरादून से भी अपने अगले गंतव्य के लिए तीन घंटे 45 मिनट की देरी से रात सात बजे रवाना किया जा सका। ट्रेनों की इस भयावह अनियमितता ने यात्रियों को, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं को, भारी असुविधा में डाल दिया है। मैदानी शहरों की तपिश से पहाड़ों का रुख, पर रेलवे की चुनौती मई-जून का महीना आते ही, मैदानी इलाकों में गर्मी अपने चरम पर पहुंच जाती है। ऐसे में लाखों लोग मैदानी शहरों की तपिश से राहत पाने के लिए पर्वतीय राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की ओर रुख करते हैं। स्कूलों की गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने से यह भीड़ और भी बढ़ जाती है, क्योंकि परिवार बच्चों के साथ हिल स्टेशनों की तरफ पलायन करते हैं। इन पर्यटकों और तीर्थ यात्रियों के लिए रेलवे अक्सर परिवहन का सबसे किफायती और पसंदीदा साधन होता है। लेकिन, ट्रेनों की लगातार देरी उनके सफर को आरामदायक रहने के बजाय एक दुःस्वप्न में बदल रही है। समर स्पेशल ट्रेनों की भी यही कहानी: वेटिंग लिस्ट और निराशा रेलवे विभाग ने गर्मियों के सीजन में यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और उनकी सुविधा के लिए कई समर स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। ये ट्रेनें यूपी के कई शहरों सहित दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात और राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण रूटों पर अतिरिक्त सेवाएं प्रदान कर रही हैं। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से, इन समर स्पेशल ट्रेनों में भी सीटों की वेटिंग लिस्ट काफी लंबी है। इसका मतलब है कि यात्रियों को, विशेषकर जो आखिरी समय में टिकट बुक करते हैं, कंफर्म सीट नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति उन लोगों के लिए और भी मुश्किल पैदा कर रही है, जिन्होंने पहले से अपनी छुट्टियों की योजना बना रखी है और अब टिकट न मिलने के कारण अपनी यात्रा रद्द करने या महंगी वैकल्पिक व्यवस्था करने पर मजबूर हैं। रेलवे को सुधारने होंगे इंतजाम: यात्रियों को चाहिए समयबद्ध और आरामदायक सफर ट्रेनों की यह लगातार लेटलतीफी सीधे तौर पर लाखों यात्रियों की यात्रा योजनाओं को प्रभावित कर रही है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ रहा है। खासकर ऐसे समय में जब बच्चे छुट्टी पर होते हैं और परिवार एक साथ यात्रा करना चाहते हैं, ट्रेनों का समय पर न चलना निराशाजनक है। रेलवे प्रशासन को इस गंभीर समस्या पर तुरंत और गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। उन्हें ट्रेनों के संचालन को सुचारु बनाने और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए युद्धस्तर पर प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। समय पर ट्रेनों का चलना न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि इससे रेलवे की विश्वसनीयता और छवि भी मजबूत होगी।

सावधान! गर्मियों की छुट्टियों में सफर बना आफत: ट्रेनों की लेटलतीफी ने छीनी यात्रियों की ‘खुशी’, अब प्लेटफॉर्म पर घंटों इंतजार!

नई दिल्ली, 28 मई 2025 (समय बोल रहा): देश भर के स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, और इसी के साथ लाखों लोग अपने रिश्तेदारों से मिलने या पहाड़ों की ठंडी वादियों में घूमने का प्लान बनाकर निकल पड़े हैं। लेकिन, छुट्टियों के इस खुशनुमा माहौल में भी ट्रेनों की अनियंत्रित लेटलतीफी…

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नई दिल्ली, 26 मई 2025 ( समय बोल रहा ): भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक पटल पर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। नवीनतम आंकड़ों और आर्थिक विश्लेषणों के अनुसार, भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जो इसकी बढ़ती आर्थिक ताकत, लचीलेपन और वैश्विक व्यापार में लगातार मजबूत होती भूमिका का एक स्पष्ट प्रमाण है। यह महत्वपूर्ण मील का पत्थर न केवल देश के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि यह भविष्य में एक अग्रणी आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरने की इसकी प्रबल क्षमता को भी रेखांकित करता है। यह उपलब्धि भारत के आर्थिक सुधारों और दूरदर्शी नीतियों का सीधा परिणाम है, जिसने देश को वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद लगातार प्रगति करने में सक्षम बनाया है। अभूतपूर्व आर्थिक विस्तार: एक दशक की ऐतिहासिक छलांग पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय अर्थव्यवस्था ने वास्तव में अभूतपूर्व गति से विकास किया है, जिसने विश्व को आश्चर्यचकित किया है। एक दशक से भी पहले, भारत अभी भी शीर्ष दस अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन आज यह कई स्थापित और विकसित देशों को पीछे छोड़ते हुए चौथे स्थान पर आ गया है। इस तीव्र और टिकाऊ विकास दर ने वैश्विक आर्थिक विश्लेषकों, प्रमुख वित्तीय संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का ध्यान समान रूप से भारत की ओर आकर्षित किया है। वे अब भारत को निवेश, व्यापार और दीर्घकालिक साझेदारी के लिए एक अत्यंत आकर्षक और विश्वसनीय गंतव्य के रूप में देख रहे हैं। यह विकास दर न केवल संख्यात्मक है, बल्कि यह एक अरब से अधिक लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी ला रही है। भारत की आर्थिक सफलता के आधार स्तंभ: प्रमुख कारक भारत की इस असाधारण आर्थिक सफलता के पीछे कई परस्पर जुड़े हुए और महत्वपूर्ण कारकों का योगदान रहा है, जिन्होंने मिलकर एक मजबूत नींव तैयार की है: व्यापक आर्थिक सुधार: केंद्र सरकार द्वारा पिछले कुछ वर्षों में किए गए साहसिक और दूरगामी संरचनात्मक सुधारों ने अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान की है। वस्तु एवं सेवा कर (GST) का सफल कार्यान्वयन, जिसने पूरे देश में एक समान अप्रत्यक्ष कर प्रणाली बनाई, व्यापार की जटिलताओं को कम किया है। दिवालियापन संहिता (IBC) ने बैंकों के फंसे हुए कर्जों की वसूली में मदद की है और व्यापारिक दिवालियापन के मामलों को सुलझाने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया है। इसके अतिरिक्त, रक्षा, रेलवे, कोयला खनन और बीमा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियमों का लगातार सरलीकरण किया गया है, जिससे विदेशी पूंजी का प्रवाह बढ़ा है और निवेश के लिए एक अत्यधिक अनुकूल माहौल बना है। डिजिटल क्रांति और समावेशन: 'डिजिटल इंडिया' जैसी महत्वाकांक्षी पहल ने देश में एक अभूतपूर्व डिजिटल क्रांति ला दी है। यूपीआई (UPI) जैसे डिजिटल भुगतान प्रणालियों ने वित्तीय लेनदेन को अत्यधिक सुगम और पारदर्शी बनाया है, जिससे वित्तीय समावेशन बढ़ा है। ई-गवर्नेंस सेवाओं का विस्तार हुआ है, जिससे भ्रष्टाचार में कमी आई है और सरकारी सेवाओं तक नागरिकों की पहुंच बढ़ी है। यह डिजिटलीकरण अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में दक्षता और पारदर्शिता ला रहा है। बुनियादी ढांचे का अभूतपूर्व विकास: सरकार ने देश के बुनियादी ढांचे के विकास पर लगातार और भारी निवेश किया है। राष्ट्रीय राजमार्गों, एक्सप्रेसवे, रेलवे नेटवर्क, आधुनिक बंदरगाहों और नए हवाई अड्डों का तेजी से निर्माण हुआ है। इस बुनियादी ढांचे के विकास ने न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, बल्कि वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन की लागत को भी कम किया है, जिससे भारतीय उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बन रहे हैं। मजबूत घरेलू मांग का आधार: भारत की विशाल और बढ़ती आबादी, साथ ही मध्यम वर्ग की बढ़ती क्रय शक्ति, ने एक मजबूत और स्थिर घरेलू मांग को बनाए रखा है। यह घरेलू मांग वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और बाहरी झटकों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को लगातार गति प्रदान कर रही है, जिससे यह वैश्विक मंदी के प्रभावों से अपेक्षाकृत सुरक्षित रही है। विनिर्माण और निर्यात प्रोत्साहन: 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी प्रमुख पहलों ने घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन दिया है। उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं ने विभिन्न उद्योगों में निवेश आकर्षित किया है और उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है। इन प्रयासों से न केवल भारत की आयात पर निर्भरता कम हुई है, बल्कि इसके निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की हिस्सेदारी और महत्व बढ़ा है। वैश्विक मंच पर बढ़ती साख और प्रभाव दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का उदय वैश्विक मंच पर इसकी साख और प्रभाव को कई गुना बढ़ा रहा है। यह उपलब्धि भारत को विभिन्न महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों और बहुपक्षीय संगठनों, जैसे G20, ब्रिक्स (BRICS), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और संयुक्त राष्ट्र में एक मजबूत और अधिक मुखर आवाज़ प्रदान करेगी। भारत अब वैश्विक आर्थिक नीतियों, व्यापार नियमों और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को आकार देने में अधिक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगा। यह बढ़ी हुई साख निश्चित रूप से विदेशी निवेशकों के लिए भारत को और भी आकर्षक बनाती है, जिससे देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष निवेश बढ़ेगा और रोजगार के लाखों नए अवसर सृजित होंगे। चुनौतियाँ और आगे का रास्ता: सतत विकास की राह हालांकि, इस शानदार आर्थिक उपलब्धि के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं, जिन पर भारत को निरंतर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इनमें प्रति व्यक्ति आय को और अधिक बढ़ाना, आय और संपत्ति की असमानता को कम करना, गुणवत्तापूर्ण रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार करना, और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंकाएं, भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार संरक्षणवाद और आपूर्ति श्रृंखला में संभावित व्यवधान जैसी बाहरी चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, अधिकांश आर्थिक विशेषज्ञ भारत के दीर्घकालिक आर्थिक भविष्य को लेकर अत्यधिक आशावादी हैं। सरकार की दूरदर्शी नीतियां, भारत की युवा और कार्यशील आबादी का जनसांख्यिकीय लाभ, और तकनीकी नवाचार तथा अनुसंधान एवं विकास के प्रति बढ़ता रुझान भारत को आने वाले दशकों में एक निर्विवाद वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखते हैं। 'अमृत काल' के महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण के साथ, भारत एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र बनने के अपने लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर है। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना इस लंबी और महत्वपूर्ण यात्रा में एक मील का पत्थर है, जो देश को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रेरित करेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका को और अधिक मजबूत करेगा।

भारत ने रचा इतिहास: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर!

नई दिल्ली, 26 मई 2025 ( समय बोल रहा ): भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक पटल पर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की है। नवीनतम आंकड़ों और आर्थिक विश्लेषणों के अनुसार, भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, जो इसकी बढ़ती आर्थिक ताकत, लचीलेपन और वैश्विक व्यापार में लगातार मजबूत होती भूमिका…

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नई दिल्ली, 11 मई 2025  (समय बोल रहा) पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में किए गए कायराना सीजफायर उल्लंघन पर भारत ने कठोर प्रत्युत्तर दिया है। उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक के बाद, भारत सरकार ने सीमा पर जवाबी सैन्य कार्रवाई तेज करने और पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं|'ऑपरेशन सिंदूर' जारी रहेगा, जिसके तहत पाकिस्तानी सेना को उसकी हरकतों का प्रभावी जवाब दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, भारत ने अपने हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी एयरलाइन के किसी भी विमान के आवागमन के लिए तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। 'ऑपरेशन सिंदूर': सीमा पर पाकिस्तान को मिलेगा करारा जवाब पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी सेक्टरों में अकारण गोलीबारी और मोर्टार हमलों के बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय में एक आपातकालीन उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक हुई। इस बैठक में रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित शीर्ष सैन्य और खुफिया अधिकारियों ने भाग लिया। गहन विचार-विमर्श के बाद, भारत ने पाकिस्तान को उसकी उकसावे वाली कार्रवाई का करारा जवाब देने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की। बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि भारत सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को तत्काल प्रभाव से जारी रखने का निर्णय लिया है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य सीमा पर पाकिस्तान की किसी भी दुस्साहसपूर्ण कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देना और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकना है। भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को निगरानी बढ़ाने, गश्त तेज करने और किसी भी शत्रुता का प्रभावी प्रत्युत्तर देने का पूर्ण अधिकार दिया गया है। आवश्यकतानुसार सीमा पर अतिरिक्त सैन्य बलों और उन्नत हथियारों की तैनाती भी हो सकती है। आसमान भी सील: पाकिस्तानी विमानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद पाकिस्तान के खिलाफ एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए, भारत सरकार ने अपने संपूर्ण हवाई क्षेत्र को पाकिस्तानी एयरलाइन के किसी भी विमान के लिए तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। इस कठोर निर्णय का उद्देश्य पाकिस्तान पर कूटनीतिक और आर्थिक दबाव बढ़ाना है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, पाकिस्तान की किसी भी उड़ान को भारतीय हवाई क्षेत्र से गुजरने या उतरने की अनुमति नहीं होगी। इस फैसले से पाकिस्तानी एयरलाइनों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए लंबे और महंगे वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करना होगा, जिससे परिचालन लागत बढ़ेगी और यात्रियों को असुविधा होगी। भारत का यह कदम ICAO नियमों के अनुरूप है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान को उसकी गैर-जिम्मेदाराना हरकतों का स्पष्ट संदेश देगा। देशव्यापी समर्थन: पाकिस्तान के खिलाफ एकजुट भारत भारत सरकार के इन कड़े कदमों को पूरे देश में व्यापक समर्थन मिल रहा है। राजनीतिक दलों और आम नागरिकों ने पाकिस्तान की इस हरकत की निंदा की है और सरकार के प्रत्युत्तर का समर्थन किया है। लोगों का मानना है कि पाकिस्तान को उसकी हरकतों का सबक सिखाना जरूरी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया पर नजर भारत सरकार ने इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उठाने का फैसला किया है। विभिन्न देशों के राजनयिकों को घटनाक्रम से अवगत कराया जा रहा है और पाकिस्तान पर शांति बनाए रखने के लिए दबाव बनाने की अपील की जा रही है। पाकिस्तान को मिलेगा गद्दारी का जवाब पाकिस्तान के बार-बार

पाकिस्तान की नापाक हरकत का करारा जवाब: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी, भारतीय हवाई क्षेत्र पाकिस्तानी विमानों के लिए बंद

नई दिल्ली, 11 मई 2025  (समय बोल रहा) पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में किए गए कायराना सीजफायर उल्लंघन पर भारत ने कठोर प्रत्युत्तर दिया है। उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक के बाद, भारत सरकार ने सीमा पर जवाबी सैन्य कार्रवाई तेज करने और पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं|‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी रहेगा,…

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भारत 10 मई 2025 (समय बोल रहा ) भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर आज सुबह लागू हुआ सीजफायर (युद्धविराम) कुछ ही घंटों में तार-तार हो गया। पाकिस्तान ने एक बार फिर विश्वासघात करते हुए जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में अकारण गोलीबारी और मोर्टार दागना शुरू कर दिया, जिससे शांति की उम्मीदें पल भर में काफूर हो गईं और सीमा पर तनाव का माहौल फिर से गहरा गया। इस कायराना हरकत ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को एक और गहरा आघात पहुंचाया है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले निर्दोष नागरिकों के मन में भी भय और असुरक्षा की भावना को और मजबूत कर दिया है। सुबह की शांति, दोपहर का उल्लंघन: जम्मू-कश्मीर के किन इलाकों में हुई फायरिंग? आज सुबह, दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हॉटलाइन पर हुई सकारात्मक बातचीत के बाद सीमा पर शांति स्थापित करने पर सहमति बनी थी। इस सद्भावनापूर्ण पहल से जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली थी, जो लंबे समय से नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) पर जारी तनाव और गोलाबारी से त्रस्त थे। हालांकि, यह अल्पकालिक शांति पाकिस्तान के नापाक इरादों के आगे टिक नहीं पाई। लगभग दोपहर के आसपास, जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों के सीमावर्ती इलाकों में तैनात भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान की ओर से बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से अंधाधुंध गोलीबारी शुरू करने की सूचना दी। इसके तुरंत बाद, पाकिस्तानी सैनिकों ने मोर्टार के गोले भी दागने शुरू कर दिए, सीधे भारतीय सैन्य चौकियों और कुछ असैन्य इलाकों को निशाना बनाते हुए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी रेंजर्स ने पहले छोटे हथियारों से फायरिंग की, जिसके बाद मोर्टार दागे गए, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में दहशत फैल गई। भारतीय सेना की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया: मुंहतोड़ जवाब, स्थिति नियंत्रण में पाकिस्तान की इस उकसावे वाली कार्रवाई पर भारतीय सेना और बीएसएफ के जवानों ने त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पाकिस्तानी फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें अपनी हरकतों का करारा एहसास कराया। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, "आज सुबह दोनों पक्षों की सहमति से सीमा पर शांति स्थापित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों के भीतर जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी सेक्टरों में अकारण गोलीबारी शुरू कर दी। हमारे बहादुर जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। वर्तमान में स्थिति हमारे नियंत्रण में है और हम हर स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं।" भारत की कड़ी आपत्ति: पाकिस्तान को चुकानी होगी कीमत भारत सरकार ने पाकिस्तान के इस गैर-जिम्मेदाराना और विश्वासघाती कृत्य पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को तत्काल तलब कर इस घोर उल्लंघन पर कड़ा विरोध दर्ज कराया जाएगा। भारत पाकिस्तान से भविष्य में इस तरह की शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों को तुरंत रोकने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ठोस और सत्यापन योग्य कदम उठाने की मांग करेगा। भारत का स्पष्ट संदेश है कि सीमा पर शांति भंग करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी होगी। सीमावर्ती निवासियों में फिर से डर का माहौल: सुरक्षा पर मंडराता खतरा सीजफायर की खबर से उत्साहित जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों के नागरिक पाकिस्तान के इस विश्वासघाती कदम से एक बार फिर गहरे सदमे और डर के माहौल में डूब गए हैं। कुछ घंटों की बहुमूल्य शांति के बाद अचानक हुई गोलीबारी ने उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। जो लोग पहले से ही दशकों से सीमा पर जारी संघर्ष की त्रासदी झेल रहे हैं, उनके लिए यह घटना एक और मनोवैज्ञानिक आघात है। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा आघात: शांति की राह और मुश्किल भारत और पाकिस्तान के बीच यह सीजफायर का उल्लंघन ऐसे नाजुक समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच संबंध पहले से ही विभिन्न जटिल मुद्दों पर तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस घटना ने द्विपक्षीय बातचीत और संबंधों को सामान्य बनाने की किसी भी संभावना को और भी कमजोर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त कर रहा है और दोनों देशों से संयम बरतने तथा सीमा पर शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है। हालांकि, पाकिस्तान का बार-बार इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी विश्वसनीयता को गंभीर रूप से कमजोर करता है। आगे की राह: पाकिस्तान के रवैये पर टिकी निगाहें अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान इस स्पष्ट और अकारण उल्लंघन पर क्या आधिकारिक स्पष्टीकरण देता है और भविष्य में जम्मू-कश्मीर की सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए क्या विश्वसनीय कदम उठाता है। भारत, अतीत के कड़वे अनुभवों को देखते हुए, इस मामले पर कड़ी निगरानी रखेगा और अपनी सीमा की सुरक्षा तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा। फिलहाल, पाकिस्तान के इस विश्वासघाती कृत्य ने दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है और शांति की राह पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।

एक और बार पाकिस्तान ने तोड़ी कसम: सीजफायर के चंद घंटों बाद जम्मू-कश्मीर में फिर की गोलीबारी

भारत 10 मई 2025 (समय बोल रहा ) भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर आज सुबह लागू हुआ सीजफायर (युद्धविराम) कुछ ही घंटों में तार-तार हो गया। पाकिस्तान ने एक बार फिर विश्वासघात करते हुए जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में अकारण गोलीबारी और मोर्टार दागना शुरू कर दिया, जिससे शांति की उम्मीदें पल भर…

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नई दिल्ली, 08 मई 2025 (समय बोल रहा ) – भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। भारतीय सेना द्वारा "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह करने के बाद, बौखलाए पाकिस्तान ने 7/8 मई की रात भारत के 15 शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले करने की नाकाम कोशिश की। लेकिन भारतीय वायुसेना ने अपने अत्याधुनिक एस-400 सुदर्शन चक्र एयर डिफेंस सिस्टम की मदद से पाकिस्तान के इन मंसूबों को पूरी तरह विफल कर दिया। भारत के एस-400 सुदर्शन चक्र का पहला उपयोग भारतीय वायुसेना ने इस हमले को रोकने के लिए पहली बार रूस में निर्मित एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम का इस्तेमाल किया, जिसे भारत में "सुदर्शन चक्र" नाम दिया गया है। यह नाम भगवान विष्णु के अमोघ अस्त्र सुदर्शन चक्र से प्रेरित है, जो तेज़, सटीक और दुश्मनों का विनाश करने वाला माना जाता है। एस-400 सिस्टम एक समय में 80 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 36 लक्ष्यों पर एकसाथ हमला करने की क्षमता रखता है। यह 600 किमी दूर तक के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है और 400 किमी तक की मारक क्षमता रखता है। भारतीय वायुसेना ने इस सिस्टम की बदौलत पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन को सीमा पार करते ही मार गिराया। पाकिस्तान का नापाक प्लान फेल पाकिस्तानी सेना ने 7 मई की रात करीब 11:45 बजे भारत के 15 शहरों—जैसे कि जम्मू, पठानकोट, श्रीनगर, जयपुर, लुधियाना, अमृतसर, दिल्ली के बाहरी इलाके और लखनऊ—को निशाना बनाने की कोशिश की। इन हमलों में मिसाइलों और स्वदेशी ड्रोन का उपयोग किया गया। लेकिन भारत की हवाई सुरक्षा इतनी सशक्त साबित हुई कि एक भी मिसाइल अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाई। भारतीय खुफिया एजेंसियों का कहना है कि यह हमला पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क के समर्थन में किया गया था, जिनके ठिकाने हाल ही में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत ध्वस्त किए थे। भारत का जवाब: रावलपिंडी स्टेडियम तक पहुंचे ड्रोन पाकिस्तान की हरकतों का जवाब देते हुए भारत ने 8 मई की सुबह सटीक ड्रोन हमले किए, जिनमें कराची, लाहौर, बहावलपुर, अटक और रावलपिंडी जैसे शहर शामिल थे। रावलपिंडी में एक बड़ा ड्रोन हमला हुआ, जिससे वहां स्थित स्टेडियम को भारी नुकसान पहुंचा। इस स्टेडियम में पाकिस्तान प्रीमियर लीग का मैच होना था, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। पाकिस्तान का चीनी डिफेंस सिस्टम फेल भारत के जवाबी ड्रोन हमलों ने पाकिस्तान के चीनी डिफेंस सिस्टम HQ-9 को भी बेअसर कर दिया। यह सिस्टम चीन का दावा था कि यह AESA रडार, मल्टी-ट्रैकिंग और मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट क्षमता रखता है, लेकिन भारतीय ड्रोन ने इसे भी भेद दिया। पाकिस्तान का यह डिफेंस सिस्टम पूरी तरह फेल साबित हुआ है। कूटनीतिक हलचल और वैश्विक प्रतिक्रिया भारत के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा और आतंकवाद के खात्मे के लिए की गई है। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव और अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। भारत की हवाई सुरक्षा और रणनीतिक क्षमता का प्रदर्शन भारत ने पाकिस्तान की किसी भी नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता साबित कर दी है। एस-400 सुदर्शन चक्र के सफल इस्तेमाल और पाकिस्तान के चीनी सिस्टम को मात देने से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि दुश्मन के मंसूबों को जन्म से ही कुचलने की नीति पर चल पड़ा है। ड्रोन हमलों ने पाकिस्तान के चीनी डिफेंस सिस्टम HQ-9 को भी बेअसर कर दिया। यह सिस्टम चीन का दावा था कि यह AESA रडार, मल्टी-ट्रैकिंग और मल्टी-टारगेट एंगेजमेंट क्षमता रखता है, लेकिन भारतीय ड्रोन ने इसे भी भेद दिया। पाकिस्तान का यह

बड़ी खबर: पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर हमला किया, वायुसेना ने हमले को विफल किया, पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

नई दिल्ली, 08 मई 2025 (समय बोल रहा ) – भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। भारतीय सेना द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह करने के बाद, बौखलाए पाकिस्तान ने 7/8 मई की रात भारत के 15 शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले करने…

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नई दिल्ली, 8 मई 2025 (समय बोल रहा ) रावलपिंडी स्टेडियम तबाह पाकिस्तान की नापाक हरकतों के खिलाफ भारत ने एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत करारा और निर्णायक जवाब दिया है। बीते 24 घंटे में जो कुछ हुआ, उसने पूरे दक्षिण एशिया को हिला कर रख दिया है। जहां पाकिस्तान ने सोमवार शाम भारत के कई सीमावर्ती और आंतरिक क्षेत्रों को निशाना बनाकर भीषण गोलीबारी और मिसाइल हमले किए, वहीं भारत ने मंगलवार सुबह सटीक और शक्तिशाली ड्रोन हमलों से पाकिस्तान के कई प्रमुख शहरों में तबाही मचा दी। पाकिस्तान की बर्बर हरकत: 15 निर्दोषों की मौत, मिसाइल हमले नाकाम सोमवार शाम पाकिस्तान की ओर से की गई अकारण और बर्बर गोलीबारी में भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में 15 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। यह हमला जम्मू-कश्मीर के पुंछ, राजौरी और कठुआ जैसे क्षेत्रों के साथ-साथ कुछ रिहायशी इलाकों तक सीमित नहीं रहा। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत के नौ शहरों को निशाना बनाकर मिसाइल हमले करने की भी कोशिश की, लेकिन भारत की अत्याधुनिक एयर डिफेंस प्रणाली ने सभी मिसाइलों को रास्ते में ही नष्ट कर दिया। भारतीय S-400 एयर डिफेंस सिस्टम, जो रूस से आयातित सबसे उन्नत प्रणाली है, ने पाकिस्तान के मिसाइल हमले को पूरी तरह निष्फल कर दिया। भारत की सैन्य एजेंसियों ने इसे एक बड़ी कामयाबी माना है और इसे "हमारे रक्षा तंत्र की मजबूती का प्रमाण" बताया है। भारत का जवाब: ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर कहर पाकिस्तान की इस दुस्साहसिक कार्रवाई के बाद भारत ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” को अंजाम दिया। यह ऑपरेशन भारत की तीनों सेनाओं – थलसेना, वायुसेना और नौसेना – के संयुक्त समन्वय से संचालित किया गया। मंगलवार सुबह भारत ने कराची, लाहौर, रावलपिंडी, सियालकोट, बहावलपुर, अटक, छोर और म्यानू जैसे शहरों पर ड्रोन से सर्जिकल स्ट्राइक की। इन हमलों में पाकिस्तान की कई सामरिक और संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाया गया। रक्षा सूत्रों के अनुसार, इन हमलों में पाकिस्तान की कई रडार और कम्युनिकेशन बेस, हथियार डिपो और सैनिक अड्डे नष्ट हुए हैं। रावलपिंडी स्टेडियम पर बड़ा हमला: PSL मैच रद्द सबसे सनसनीखेज हमला रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम पर हुआ, जहां मंगलवार शाम को पाकिस्तान प्रीमियर लीग (PSL) का एक बड़ा मैच आयोजित होना था। भारत के सटीक ड्रोन हमले से स्टेडियम पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। PSL मैच को रद्द करना पड़ा और खिलाड़ी तथा दर्शकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। रावलपिंडी स्टेडियम पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। भारत के इस सर्जिकल ड्रोन अटैक से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी बड़ा असर पड़ा है। पाकिस्तान में मचा हड़कंप, सेना हाई अलर्ट पर भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। रिपोर्टों के अनुसार, पूरे पाकिस्तान में सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। लाहौर, कराची, और इस्लामाबाद के एयरबेस पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। आम नागरिकों से कहा गया है कि वे घरों में रहें और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहें। भारत का स्पष्ट संदेश: आतंक का जवाब आतंक से नहीं, ताकत से भारत सरकार ने इस ऑपरेशन के बाद स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई किसी देश के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंक के अड्डों और उनकी शह देने वाले तत्वों के खिलाफ है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हम शांति के पक्षधर हैं, लेकिन यदि कोई देश हमारी जनता को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा, तो हम मूकदर्शक नहीं रहेंगे। भारत की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।" अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भारत के इस ऑपरेशन को लेकर विश्व समुदाय की भी नजरें टिकी हैं। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, जबकि रूस और फ्रांस ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को उचित ठहराया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की यह कार्रवाई केवल सामरिक नहीं, बल्कि रणनीतिक रूप से भी एक मजबूत संदेश है। भारत की सैन्य क्षमताओं “ऑपरेशन सिंदूर” भारत की सैन्य क्षमताओं और राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रमाण है। पाकिस्तान की ओर से की गई आतंक प्रेरित कार्रवाइयों का जवाब भारत ने न केवल सटीकता से दिया, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब नई दिल्ली पुरानी नीति नहीं अपनाएगी। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि पाकिस्तान इस करारी चोट के बाद क्या रुख अपनाता है।

“ऑपरेशन सिंदूर: भारत के ड्रोन अटैक से रावलपिंडी स्टेडियम तबाह, PSL मैच रद्द”

नई दिल्ली, 8 मई 2025 (समय बोल रहा ) रावलपिंडी स्टेडियम तबाह पाकिस्तान की नापाक हरकतों के खिलाफ भारत ने एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत करारा और निर्णायक जवाब दिया है। बीते 24 घंटे में जो कुछ हुआ, उसने पूरे दक्षिण एशिया को हिला कर रख दिया…

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भारत 10 मई 2025 (समय बोल रहा ) भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर आज सुबह लागू हुआ सीजफायर (युद्धविराम) कुछ ही घंटों में तार-तार हो गया। पाकिस्तान ने एक बार फिर विश्वासघात करते हुए जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में अकारण गोलीबारी और मोर्टार दागना शुरू कर दिया, जिससे शांति की उम्मीदें पल भर में काफूर हो गईं और सीमा पर तनाव का माहौल फिर से गहरा गया। इस कायराना हरकत ने न केवल द्विपक्षीय संबंधों को एक और गहरा आघात पहुंचाया है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले निर्दोष नागरिकों के मन में भी भय और असुरक्षा की भावना को और मजबूत कर दिया है। सुबह की शांति, दोपहर का उल्लंघन: जम्मू-कश्मीर के किन इलाकों में हुई फायरिंग? आज सुबह, दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच हॉटलाइन पर हुई सकारात्मक बातचीत के बाद सीमा पर शांति स्थापित करने पर सहमति बनी थी। इस सद्भावनापूर्ण पहल से जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों में रहने वाले लोगों ने राहत की सांस ली थी, जो लंबे समय से नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (IB) पर जारी तनाव और गोलाबारी से त्रस्त थे। हालांकि, यह अल्पकालिक शांति पाकिस्तान के नापाक इरादों के आगे टिक नहीं पाई। लगभग दोपहर के आसपास, जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी जिलों के सीमावर्ती इलाकों में तैनात भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान की ओर से बिना किसी उकसावे के छोटे हथियारों से अंधाधुंध गोलीबारी शुरू करने की सूचना दी। इसके तुरंत बाद, पाकिस्तानी सैनिकों ने मोर्टार के गोले भी दागने शुरू कर दिए, सीधे भारतीय सैन्य चौकियों और कुछ असैन्य इलाकों को निशाना बनाते हुए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी रेंजर्स ने पहले छोटे हथियारों से फायरिंग की, जिसके बाद मोर्टार दागे गए, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में दहशत फैल गई। भारतीय सेना की त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया: मुंहतोड़ जवाब, स्थिति नियंत्रण में पाकिस्तान की इस उकसावे वाली कार्रवाई पर भारतीय सेना और बीएसएफ के जवानों ने त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने पाकिस्तानी फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें अपनी हरकतों का करारा एहसास कराया। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा, "आज सुबह दोनों पक्षों की सहमति से सीमा पर शांति स्थापित करने का प्रयास किया गया था, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों के भीतर जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी सेक्टरों में अकारण गोलीबारी शुरू कर दी। हमारे बहादुर जवानों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया है। वर्तमान में स्थिति हमारे नियंत्रण में है और हम हर स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं।" भारत की कड़ी आपत्ति: पाकिस्तान को चुकानी होगी कीमत भारत सरकार ने पाकिस्तान के इस गैर-जिम्मेदाराना और विश्वासघाती कृत्य पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग को तत्काल तलब कर इस घोर उल्लंघन पर कड़ा विरोध दर्ज कराया जाएगा। भारत पाकिस्तान से भविष्य में इस तरह की शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों को तुरंत रोकने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए ठोस और सत्यापन योग्य कदम उठाने की मांग करेगा। भारत का स्पष्ट संदेश है कि सीमा पर शांति भंग करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पाकिस्तान को इसकी कीमत चुकानी होगी। सीमावर्ती निवासियों में फिर से डर का माहौल: सुरक्षा पर मंडराता खतरा सीजफायर की खबर से उत्साहित जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती जिलों के नागरिक पाकिस्तान के इस विश्वासघाती कदम से एक बार फिर गहरे सदमे और डर के माहौल में डूब गए हैं। कुछ घंटों की बहुमूल्य शांति के बाद अचानक हुई गोलीबारी ने उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। जो लोग पहले से ही दशकों से सीमा पर जारी संघर्ष की त्रासदी झेल रहे हैं, उनके लिए यह घटना एक और मनोवैज्ञानिक आघात है। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा आघात: शांति की राह और मुश्किल भारत और पाकिस्तान के बीच यह सीजफायर का उल्लंघन ऐसे नाजुक समय में हुआ है जब दोनों देशों के बीच संबंध पहले से ही विभिन्न जटिल मुद्दों पर तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस घटना ने द्विपक्षीय बातचीत और संबंधों को सामान्य बनाने की किसी भी संभावना को और भी कमजोर कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त कर रहा है और दोनों देशों से संयम बरतने तथा सीमा पर शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है। हालांकि, पाकिस्तान का बार-बार इस तरह का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी विश्वसनीयता को गंभीर रूप से कमजोर करता है। आगे की राह: पाकिस्तान के रवैये पर टिकी निगाहें अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान इस स्पष्ट और अकारण उल्लंघन पर क्या आधिकारिक स्पष्टीकरण देता है और भविष्य में जम्मू-कश्मीर की सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए क्या विश्वसनीय कदम उठाता है। भारत, अतीत के कड़वे अनुभवों को देखते हुए, इस मामले पर कड़ी निगरानी रखेगा और अपनी सीमा की सुरक्षा तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा। फिलहाल, पाकिस्तान के इस विश्वासघाती कृत्य ने दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है और शांति की राह पहले से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।

देशभर में 7 मई को बजेंगे हवाई हमले की चेतावनी वाले सायरन, केंद्र सरकार ने राज्यों को मॉक ड्रिल के दिए निर्देश

नई दिल्ली, 05 मई 2025 (समय बोल रहा ):  हवाई हमले  जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा उपायों को और सख्त कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए हैं कि वे आगामी 7 मई 2025 को एक…

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नई दिल्ली, 29 मार्च 2025 (समय बोल रहा) - दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बरामद कैश कांड का रहस्य गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। हर पहलू को ध्यान में रखते हुए आग लगने के कारणों और कैश मिलने की कड़ी को जोड़ा जा रहा है। जस्टिस वर्मा, उनके घरेलू कर्मचारी, परिवार के सदस्य और दिल्ली फायर सर्विस की टीम इस जांच के दायरे में आ गई है। कैसे हुआ कैश कांड का खुलासा? दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज यशवंत वर्मा के आवास पर 14 मार्च 2025 को अचानक आग लगने की खबर सामने आई थी। इस आगजनी के बाद कैश बरामदगी का मामला उजागर हुआ, जिसने प्रशासन और न्याय व्यवस्था में हलचल मचा दी। जस्टिस वर्मा का कहना है कि आग लगने के वक्त वह घर पर मौजूद नहीं थे और किसी व्यक्तिगत कारण से दिल्ली से बाहर थे। उनके मुताबिक, घर में सिर्फ उनके परिवार के सदस्य और सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। जिस कमरे में आग लगी, वह एक स्टोर रूम था, जहां कथित रूप से बड़ी मात्रा में कैश रखा गया था। इस आग के बाद वहां से जले हुए नोटों के बंडल मिलने की खबर सामने आई, जिसने इस मामले को और पेचीदा बना दिया। फायर ब्रिगेड के बदलते बयान, बढ़ता संदेह दिल्ली फायर ब्रिगेड प्रमुख के बदलते बयानों ने इस रहस्य को और गहरा कर दिया है। आमतौर पर आग लगने के बाद फायर सर्विस द्वारा कारणों की जांच की जाती है, लेकिन इस मामले में फायर टीम पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए है। आमतौर पर आगजनी की घटनाओं में शॉर्ट सर्किट, बीड़ी-सिगरेट, किसी ज्वलनशील पदार्थ के कारणों का खुलासा होता है, लेकिन जस्टिस वर्मा के घर में हुई आग के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है। सूत्रों के अनुसार, जिस कमरे में आग लगी, वहां कोई एयर कंडीशनर, स्विच बोर्ड या हाई वोल्टेज उपकरण नहीं था, जिससे शॉर्ट सर्किट होने की संभावना कम लगती है। क्या यह महज संयोग था या साजिश? इस मामले में अब कई सवाल खड़े हो गए हैं – आखिर आग अपने आप लगी या किसी ने जानबूझकर लगाई? क्या यह कैश किसी अपराध से जुड़ा हुआ था? दिल्ली फायर सर्विस इस बारे में खुलकर कुछ क्यों नहीं कह रही? सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय कमेटी इस केस की हर एंगल से जांच कर रही है। यह भी पता चला है कि कुछ सुरक्षा कैमरा फुटेज गायब हैं, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि कहीं यह सुनियोजित साजिश तो नहीं थी। पुलिस जांच और हाई-प्रोफाइल कनेक्शन इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। जांच के दायरे में कुछ हाई-प्रोफाइल लोग भी शामिल हो सकते हैं। यह भी पता चला है कि पुलिस अधिकारियों के कुछ मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं, जिससे और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में कुछ बैंकिंग ट्रांजैक्शन और संपत्ति से जुड़े दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। इसके अलावा, कई अधिकारियों और कर्मचारियों से गुप्त रूप से पूछताछ की जा रही है। क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी? सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम इस बात की जांच कर रही है कि आगजनी और कैश बरामदगी का आपस में कोई संबंध है या नहीं। इसके लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट और फायर डिपार्टमेंट की विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अगर यह साबित होता है कि आग लगाई गई थी, तो इसमें कई बड़े नामों के शामिल होने की संभावना है। इस पूरे प्रकरण पर देशभर की नजरें टिकी हुई हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बड़ा फैसला ले सकते हैं। नेताओं और कानून विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाएं इस पूरे मामले पर नेताओं और कानून विशेषज्ञों की भी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ लोग इसे न्यायिक भ्रष्टाचार से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कुछ का मानना है कि यह जस्टिस वर्मा के खिलाफ एक राजनीतिक षड्यंत्र हो सकता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस मामले की तेजी से जांच करने की मांग की है, वहीं विपक्षी दलों ने इस घटना को गंभीर न्यायिक संकट करार दिया है। कैश कांड जस्टिस यशवंत वर्मा के घर लगी रहस्यमयी आग ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। कैश कांड की सच्चाई क्या है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन दिल्ली फायर सर्विस की खामोशी और पुलिस की गहन जांच इस केस को और भी पेचीदा बना रही है। आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और भी कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आग लगी या लगाई गई? फायर सर्विस की खामोशी ने बढ़ाया संदेह

नई दिल्ली, 29 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से बरामद कैश कांड का रहस्य गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है। हर पहलू को ध्यान में रखते हुए आग लगने…

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दिल्ली, 27 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – अगर आप एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो अब आपको अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एटीएम से नकद निकासी पर नए नियम लागू किए हैं, जिनके तहत मुफ्त ट्रांजेक्शन की सीमा पार करने के बाद ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। क्या है नया नियम? भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, अब किसी भी बैंक के ग्राहक मुफ्त लेन-देन की निर्धारित सीमा के बाद एटीएम से पैसे निकालने पर अतिरिक्त शुल्क चुकाएंगे। नए नियम के तहत: मासिक मुफ्त लेन-देन की सीमा – किसी भी बैंक के ग्राहकों को मेट्रो शहरों में 3 और गैर-मेट्रो शहरों में 5 बार तक मुफ्त निकासी की सुविधा मिलेगी। अतिरिक्त निकासी पर शुल्क – निर्धारित सीमा के बाद प्रति ट्रांजेक्शन ₹23 तक का शुल्क लिया जाएगा। नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन – बैलेंस चेक या मिनी स्टेटमेंट जैसी सेवाओं के लिए भी एक निश्चित संख्या तक मुफ्त सुविधा होगी, इसके बाद चार्ज लिया जाएगा। ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर? इस नए नियम के लागू होने से उन ग्राहकों को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा, जो बार-बार एटीएम से नकद पैसे निकालते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा और लोग कैशलेस लेन-देन की ओर प्रेरित होंगे। क्यों लिया गया यह फैसला? आरबीआई ने कहा है कि एटीएम के रखरखाव की बढ़ती लागत और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के लिए यह कदम उठाया गया है। इस फैसले से बैंकों को एटीएम के संचालन में मदद मिलेगी और डिजिटल ट्रांजेक्शन को भी बढ़ावा मिलेगा। महत्वपूर्ण बातें – जानिए नए नियम की मुख्य बातें मेट्रो शहरों में: 3 मुफ्त ट्रांजेक्शन के बाद ₹23 प्रति निकासी। गैर-मेट्रो शहरों में: 5 मुफ्त ट्रांजेक्शन के बाद ₹23 प्रति निकासी। नॉन-फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन: फ्री लिमिट पार होने पर अतिरिक्त शुल्क। राशि निकालने की सीमा: एक बार में अधिकतम ₹25,000 तक की निकासी संभव। ग्राहकों के लिए सुझाव डिजिटल पेमेंट का अधिक इस्तेमाल करें। मुफ्त ट्रांजेक्शन की सीमा को समझकर ही एटीएम से पैसे निकालें। नेट बैंकिंग और UPI जैसी सुविधाओं का लाभ उठाएं। आरबीआई के नए नियम 1 मई 2025 से पूरे देश में लागू हो जाएंगे। अतः ग्राहक अपने बैंक की नीतियों को समझकर ही नकद निकासी करें ताकि अतिरिक्त शुल्क से बचा जा सके। समय बोल रहा से विशेष रिपोर्ट।

एटीएम से पैसे निकालने पर अब लगेगा अतिरिक्त शुल्क – जानिए नए नियम

दिल्ली, 27 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – अगर आप एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो अब आपको अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एटीएम से नकद निकासी पर नए नियम लागू किए हैं, जिनके तहत मुफ्त ट्रांजेक्शन की सीमा पार करने के बाद ग्राहकों से अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। क्या है…

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