ऊधमसिंहनगर, 30 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – ट्रैफिक प्लान त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन-2025 की मतगणना को शांतिपूर्ण, निर्बाध और सकुशल संपन्न कराने के लिए ऊधमसिंहनगर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। मतगणना दिवस, 31 जुलाई 2025 को किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचने के लिए जनपद के 07 प्रमुख मतगणना स्थलों पर यातायात की विशेष व्यवस्था लागू की जाएगी। इस दौरान, सुबह 4:00 बजे से मतगणना कार्यक्रम की समाप्ति तक विभिन्न थाना क्षेत्रों से भारी वाहनों का आवागमन पूर्णतः निषेध रहेगा। यह कदम मतगणना प्रक्रिया की सुरक्षा और सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। जसपुर, 30 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के मतदान के बाद, अब सभी की निगाहें मतगणना पर टिकी हैं। इसी कड़ी में, जसपुर विकास खंड में मतगणना की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। निष्पक्ष और पारदर्शी मतगणना सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने टेबल-वार बूथ सूची जारी कर दी है, जिसमें प्रत्येक मतगणना टेबल पर किस बूथ के मतों की गिनती की जाएगी, इसका विस्तृत विवरण दिया गया है। यह सूची मतगणना प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और त्रुटिरहित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पारदर्शिता के लिए जारी हुई विस्तृत सूची त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इन चुनावों में प्रत्येक मत का महत्व होता है, और मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता पर ही पूरे चुनाव की विश्वसनीयता निर्भर करती है। इसी सिद्धांत का पालन करते हुए, जसपुर विकास खंड प्रशासन ने मतगणना के लिए एक विस्तृत और स्पष्ट बूथ-वार सूची तैयार की है। इस सूची में प्रत्येक मतगणना टेबल के लिए निर्धारित बूथ नंबरों का उल्लेख है, जिससे प्रत्याशियों और उनके मतगणना एजेंटों को यह जानने में आसानी होगी कि उनके बूथ के मतों की गिनती किस टेबल पर और किस चरण में की जाएगी। यह कदम मतगणना प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के संदेह या भ्रम को दूर करने में सहायक होगा। जसपुर ब्लॉक में 181 बूथों के लिए 26 टेबलें निर्धारित: जानें किस गाँव की गिनती कब और कहाँ जारी की गई सूची के अनुसार, जसपुर विकास खंड के अंतर्गत कुल 181 बूथों के मतों की गिनती की जाएगी। इन बूथों के लिए मतगणना स्थल पर 26 टेबलें निर्धारित की गई हैं। मतगणना प्रक्रिया को कई चरणों (राउंड) में पूरा किया जाएगा, ताकि भारी संख्या में मतों की गिनती को व्यवस्थित तरीके से संपन्न किया जा सके। यह विस्तृत व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि वोटों की गिनती में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी या गड़बड़ी की संभावना न रहे। प्रत्येक टेबल पर मतगणना कर्मियों की एक टीम तैनात रहेगी, जो कड़ी निगरानी में मतों की गिनती का कार्य करेगी। मतगणना का विस्तृत कार्यक्रम (कुछ प्रमुख उदाहरण): राउंड - 1: टेबिल न० 1: बूथ न० 1 टेबिल न० 3: बूथ न० 2, 3 टेबिल न० 5: बूथ न० 4, 5 टेबिल न० 6: बूथ न० 6 टेबिल न० 7: बूथ न० 7 टेबिल न० 9: बूथ न० 8, 9 टेबिल न० 10: बूथ न० 10 टेबिल न० 11: बूथ न० 11 टेबिल न० 15: बूथ न० 12, 13, 14, 15 टेबिल न० 16: बूथ न० 16 टेबिल न० 17: बूथ न० 17 टेबिल न० 21: बूथ न० 18, 19, 20, 21 टेबिल न० 24: बूथ न० 22, 23, 24 टेबिल न० 25: बूथ न० 25 टेबिल न० 26: बूथ न० 26 ग्राम पंचायतें शामिल: हजीरो, वीरपुरी, पतरामपुर, भोगपुर जसपुर, मनोरथपुर प्रथम, बढियोवाला, आमका, मेघावाला, रामनगर बन। राउंड - 2: टेबिल न० 2: बूथ न० 27, 28 टेबिल न० 4: बूथ न० 29, 30 टेबिल न० 6: बूथ न० 31, 32 टेबिल न० 7: बूथ न० 33 टेबिल न० 10: बूथ न० 34, 35, 36 टेबिल न० 11: बूथ न० 37 टेबिल न० 14: बूथ न० 38, 39, 40, 41 टेबिल न० 16: बूथ न० 42 टेबिल न० 17: बूथ न० 43 टेबिल न० 19: बूथ न० 44, 45 टेबिल न० 20: बूथ न० 46 टेबिल न० 22: बूथ न० 47, 48, 49 टेबिल न० 24: बूथ न० 50 टेबिल न० 26: बूथ न० 51, 52 ग्राम पंचायतें शामिल: रामनगर वन, भगवन्तपुर, निवारमुण्डी, मण्डुआखेड़ा, गूलरगोजी, उमरपुर, अंगदपुर, रायपुर पटटी दिल्ला। राउंड - 3: टेबिल न० 1: बूथ न० 53 टेबिल न० 2: बूथ न० 54 टेबिल न० 4: बूथ न० 55, 56 टेबिल न० 5: बूथ न० 57 टेबिल न० 7: बूथ न० 58, 59 टेबिल न० 8: बूथ न० 60 टेबिल न० 11: बूथ न० 61, 62, 63 टेबिल न० 12: बूथ न० 64 टेबिल न० 13: बूथ न० 65 टेबिल न० 14: बूथ न० 66 टेबिल न० 15: बूथ न० 67 टेबिल न० 16: बूथ न० 68, 69 टेबिल न० 18: बूथ न० 70 टेबिल न० 19: बूथ न० 71 टेबिल न० 21: बूथ न० 72, 73, 7 टेबिल न० 22: बूथ न० 74, 75 टेबिल न० 24: बूथ न० 76 टेबिल न० 26: बूथ न० 77, 78 ग्राम पंचायतें शामिल: दिल्ला पटटी, धर्मपुर, पूरनपुर, नादेही, आसपुर, राजपुर, गढ़ीहुसैन, कलियावाला, कासमपुर। (नोट: यह सूची केवल कुछ प्रमुख राउंड और ग्राम पंचायतों का उदाहरण है। पूरी सूची में सभी 181 बूथों और संबंधित ग्राम पंचायतों का विस्तृत विवरण शामिल है, जो राउंड 7 तक जारी रहेगा, जिसमें मिस्सरवाला, बक्सौरा, गणेशपुर, करनपुर, बैतवाला, नवलपुर, किलावली, बैलजूड़ी जैसे गाँव भी शामिल होंगे।) प्रशासनिक मुस्तैदी: शांतिपूर्ण मतगणना सुनिश्चित करने पर जोर मतगणना दिवस पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। मतगणना स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की भीड़भाड़ या अव्यवस्था को रोका जा सके। इसके साथ ही, मतगणना हॉल में प्रवेश के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं, जिसमें केवल अधिकृत व्यक्ति, जैसे प्रत्याशी, उनके एजेंट और चुनाव कर्मी ही प्रवेश कर सकेंगे। वरिष्ठ अधिकारी मतगणना प्रक्रिया की लगातार निगरानी करेंगे। मतगणना से पहले सभी मतगणना कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे नियमों के अनुसार और बिना किसी त्रुटि के अपना कार्य कर सकें। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतपेटियों को स्ट्रांग रूम से मतगणना टेबल तक सुरक्षित लाया जाए और गिनती के बाद उन्हें पुनः सुरक्षित रखा जाए। लोकतंत्र के पर्व का अंतिम चरण मतगणना का दिन किसी भी चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण और रोमांचक चरण होता है। यह वह दिन होता है जब जनता के जनादेश का खुलासा होता है और नए जनप्रतिनिधि सामने आते हैं। जसपुर विकास खंड में जारी की गई यह टेबल-वार बूथ सूची, प्रशासन की पारदर्शिता और निष्पक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कदम न केवल मतगणना प्रक्रिया को सुचारु बनाएगा, बल्कि प्रत्याशियों और आम जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगा कि उनके मतों की गिनती पूरी ईमानदारी और सटीकता से की जा रही है। अब सभी की निगाहें मतगणना दिवस पर टिकी हैं, जब जसपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के नए नेतृत्व का निर्धारण होगा। जनपद भर में भारी वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध जिला प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, 31 जुलाई को सुबह 4:00 बजे से मतगणना समाप्त होने तक जनपद के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भारी वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। इन प्रमुख स्थानों में शामिल हैं: सितारगंज: एस०एच० हॉस्पिटल (कोतवाली सितारगंज) और पुलभट्टा (थाना पुलभट्टा)। किच्छा: दरऊ चौक (थाना किच्छा) और लालपुर (थाना किच्छा)। पंतनगर: नगला तिराहा और हल्द्वानी मोड़ (थाना पंतनगर)। रुद्रपुर: बगवाड़ा मंडी कीरतपुर मोड़ (कोतवाली रुद्रपुर) और रामपुर बॉर्डर (कोतवाली रुद्रपुर)। दिनेशपुर: जाफरपुर मोड़ (थाना दिनेशपुर)। गदरपुर: महतोष मोड़ और मोतियापुर मोड़ (थाना गदरपुर)। बाजपुर: स्वार बॉर्डर दोराहा और बरहैनी (थाना बाजपुर)। आई०टी०आई०: लोहियापुल और पैगा (थाना आई०टी०आई०)। काशीपुर: प्रतापपुर चौकी (कोतवाली काशीपुर)। कुंडा: सूर्या बॉर्डर (थाना कुंडा)। जसपुर: धर्मपुर बॉर्डर और नादेही बॉर्डर (कोतवाली जसपुर)। यह व्यापक प्रतिबंध सुनिश्चित करेगा कि मतगणना स्थलों के आसपास किसी भी प्रकार का यातायात जाम न हो और सुरक्षा व्यवस्था में कोई व्यवधान न पड़े। आवश्यक सेवाओं को मिलेगी छूट हालांकि, इस प्रतिबंध से आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छूट दी गई है। दूध, गैस, फल, सब्जी और पेट्रोलियम पदार्थ ले जाने वाले वाहन सामान्य रूप से संचालित हो सकेंगे, ताकि दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित न हो। मतगणना स्थलवार यातायात व्यवस्थायें: विस्तृत विवरण जनपद के प्रत्येक मतगणना स्थल के लिए अलग से विस्तृत यातायात योजना बनाई गई है: 1. मतगणना स्थल वी०एस०वी० इंटर कॉलेज जसपुर: प्रतिबंध: कलियावाला कट से शिवराजपुर पट्टी के बीच सभी प्रकार के वाहनों का आवागमन बंद रहेगा। वैकल्पिक मार्ग: जसपुर से काशीपुर/कुंडा जाने वाले सभी प्रकार के छोटे-बड़े वाहन कलियावाला कट से ब्लॉक रोड, कलियावाला गांव होते हुए हाईवे में निकलेंगे। इसी तरह, काशीपुर/कुंडा की ओर से जसपुर जाने वाले वाहन भी इसी रूट का प्रयोग करेंगे। पार्किंग: मतगणना में लगे कार्मिकों के वाहन वी०एस०वी० इंटर कॉलेज ग्राउंड में पार्क होंगे। प्रत्याशी, एजेंट और अन्य व्यक्तियों के वाहन पशुपति फैक्ट्री कट बैरियर से पीछे जसपुर की तरफ सड़क के दोनों ओर पार्क किए जाएंगे। नो-एंट्री: पशुपति फैक्ट्री कट बैरियर और नारायणपुर की ओर वाले बैरियर के आगे मतगणना ड्यूटी में नियुक्त कार्मिकों के अतिरिक्त अन्य किसी व्यक्ति का वाहन नहीं जाएगा। 2. मतगणना स्थल मंडी काशीपुर: प्रतिबंध: टांडा तिराहे से मंडी चौकी तक सभी प्रकार के भारी वाहन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे। वैकल्पिक मार्ग: जसपुर/ठाकुरद्वारा से रामनगर जाने वाले वाहन मंडी चौक से बैलजूड़ी तिराहा होते हुए स्टेडियम तिराहा से रामनगर को जाएंगे। ठाकुरद्वारा एवं जसपुर जाने वाले वाहन स्टेडियम तिराहे से मानपुर रोड होते हुए बैलजूड़ी मोड़/मंडी चौकी/कुंडा को जाएंगे। पार्किंग: प्रशासनिक अधिकारियों के वाहन मंडी परिसर काशीपुर में फल मंडी में, पुलिस कर्मी/मीडिया/प्रत्याशियों के वाहन अनाज मंडी में तथा निजी वाहन भी अनाज मंडी में पार्क किए जाएंगे। 3. मतगणना स्थल इंटर कॉलेज बाजपुर: प्रतिबंध: कस्बा बाजपुर में दोराहा, केशोवाला, नई सड़क बरहैनी व एसडीएम कोर्ट बाजपुर की ओर से आने वाले समस्त प्रकार के छोटे व बड़े माल वाहक वाहनों का प्रवेश पूर्णतः वर्जित रहेगा। ई-रिक्शा: रेलवे क्रॉसिंग बाजपुर से चीनी मिल रोड होते हुए मंडी तक और केशोवाला की तरफ से आने वाले ई-रिक्शा रामराज रोड से मंडी गेट व बेरिया रोड से आने वाले ई-रिक्शा बेरिया तिराहे तक आ-जा सकेंगे। पार्किंग: मतगणना ड्यूटीरत कार्मिकों के वाहनों की पार्किंग इंटर कॉलेज बाजपुर के पार्किंग ग्राउंड में होगी। समस्त प्रत्याशियों एवं अन्य लोगों के वाहनों की पार्किंग मंडी परिसर बाजपुर में होगी। 4. मतगणना स्थल मंडी गदरपुर: प्रतिबंध: दिनेशपुर मोड़ तथा महतोष तिराहे से मंडी की ओर कोई भारी वाहन नहीं जाएगा। एन०डी०आर०एफ० कट से मंडी, गदरपुर की तरफ भारी वाहनों का प्रवेश निषेध रहेगा। पार्किंग: मतगणना ड्यूटी में नियुक्त समस्त अधिकारी/कर्मचारियों के वाहन मंडी परिसर में बने पार्किंग स्थल में खड़े किए जाएंगे। प्रत्याशियों एवं अन्य लोगों के वाहन मंडी परिसर के पास निर्धारित पार्किंग स्थल में पार्क किए जाएंगे। 5. मतगणना स्थल ए०एन० झा० इंटर कॉलेज रुद्रपुर: प्रतिबंध: रामपुर बॉर्डर से इंदिरा चौक तक भारी वाहन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेंगे। वैकल्पिक मार्ग: रुद्रपुर से रामपुर आने-जाने वाले भारी वाहन मेडिसिटी अस्पताल होकर सोबती होटल होते हुए रामपुर को जाएंगे तथा उसी रूट से वापस आएंगे। पार्किंग: मतगणना ड्यूटी में लगे समस्त कार्मिकों के वाहन आर०टी०ओ० परिसर में पार्क होंगे। प्रत्याशियों व जन सामान्य के वाहन ए०एन० झा० इंटर कॉलेज के सामने बड़े ग्राउंड में पार्क किए जाएंगे। नो-पार्किंग: मतगणना स्थल के पास सड़क के दोनों ओर कोई वाहन पार्क नहीं किए जाएंगे। 6. मतगणना स्थल मंडी सितारगंज: प्रतिबंध: आर०के० ढाबा से अमरिया चौक तक यातायात पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। वैकल्पिक मार्ग: सितारगंज से किच्छा को आने-जाने वाले वाहन एच०एस० चौराहे से होते हुए आर०के० ढाबा होकर किच्छा को जाएंगे तथा इसी रूट से वापस आएंगे। पार्king: मतगणना ड्यूटी में लगे समस्त कार्मिकों के वाहन मंडी परिसर में बने निर्धारित पार्किंग में खड़े किए जाएंगे। प्रत्याशियों व अन्य व्यक्तियों के वाहन आर०के० ढाबा एवं अमरिया चौक के बीच निर्धारित स्थान पर खड़े किए जाएंगे। नो-पार्किंग: मतगणना स्थल मंडी परिसर सितारगंज के उत्तरी एवं पश्चिमी दोनों गेटों के आस-पास सड़क के दोनों ओर कोई वाहन खड़े नहीं होंगे। 7. मतगणना स्थल मंडी खटीमा: पार्किंग: मतगणना ड्यूटी में लगे समस्त कार्मिकों एवं प्रत्याशियों व एजेंटों के वाहन मतगणना स्थल से दूर मंडी परिसर में निर्धारित स्थान पर पार्क किए जाएंगे। अन्य जन सामान्य के वाहन मंडी परिसर के बाहर पार्क होंगे। नो-पार्किंग: मतगणना स्थल के पास सड़क के दोनों ओर कोई वाहन पार्क नहीं किए जाएंगे। सुरक्षा और सुचारु संचालन प्राथमिकता यह विस्तृत ट्रैफिक प्लान 31 जुलाई 2025 को सुबह 4:00 बजे से मतगणना समाप्ति तक लागू रहेगा। जिला प्रशासन ने सभी संबंधित अधिकारियों को इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है, ताकि ऊधमसिंहनगर में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना प्रक्रिया बिना किसी बाधा के शांतिपूर्ण और सकुशल संपन्न हो सके। यह योजना न केवल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि मतगणना में शामिल होने वाले सभी लोगों के लिए सुगम आवागमन भी सुनिश्चित करेगी।

ऊधमसिंहनगर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव मतगणना के लिए कड़ा ट्रैफिक प्लान जारी, 31 जुलाई को सुबह 4 बजे से भारी वाहनों पर प्रतिबंध

ऊधमसिंहनगर, 30 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – ट्रैफिक प्लान त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन-2025 की मतगणना को शांतिपूर्ण, निर्बाध और सकुशल संपन्न कराने के लिए ऊधमसिंहनगर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। मतगणना दिवस, 31 जुलाई 2025 को किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचने के लिए जनपद के 07 प्रमुख मतगणना स्थलों…

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जसपुर, 30 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के मतदान के बाद, अब सभी की निगाहें मतगणना पर टिकी हैं। इसी कड़ी में, जसपुर विकास खंड में मतगणना की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। निष्पक्ष और पारदर्शी मतगणना सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने टेबल-वार बूथ सूची जारी कर दी है, जिसमें प्रत्येक मतगणना टेबल पर किस बूथ के मतों की गिनती की जाएगी, इसका विस्तृत विवरण दिया गया है। यह सूची मतगणना प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और त्रुटिरहित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पारदर्शिता के लिए जारी हुई विस्तृत सूची त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इन चुनावों में प्रत्येक मत का महत्व होता है, और मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता पर ही पूरे चुनाव की विश्वसनीयता निर्भर करती है। इसी सिद्धांत का पालन करते हुए, जसपुर विकास खंड प्रशासन ने मतगणना के लिए एक विस्तृत और स्पष्ट बूथ-वार सूची तैयार की है। इस सूची में प्रत्येक मतगणना टेबल के लिए निर्धारित बूथ नंबरों का उल्लेख है, जिससे प्रत्याशियों और उनके मतगणना एजेंटों को यह जानने में आसानी होगी कि उनके बूथ के मतों की गिनती किस टेबल पर और किस चरण में की जाएगी। यह कदम मतगणना प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के संदेह या भ्रम को दूर करने में सहायक होगा। जसपुर ब्लॉक में 181 बूथों के लिए 26 टेबलें निर्धारित: जानें किस गाँव की गिनती कब और कहाँ जारी की गई सूची के अनुसार, जसपुर विकास खंड के अंतर्गत कुल 181 बूथों के मतों की गिनती की जाएगी। इन बूथों के लिए मतगणना स्थल पर 26 टेबलें निर्धारित की गई हैं। मतगणना प्रक्रिया को कई चरणों (राउंड) में पूरा किया जाएगा, ताकि भारी संख्या में मतों की गिनती को व्यवस्थित तरीके से संपन्न किया जा सके। यह विस्तृत व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि वोटों की गिनती में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी या गड़बड़ी की संभावना न रहे। प्रत्येक टेबल पर मतगणना कर्मियों की एक टीम तैनात रहेगी, जो कड़ी निगरानी में मतों की गिनती का कार्य करेगी। मतगणना का विस्तृत कार्यक्रम (कुछ प्रमुख उदाहरण): राउंड - 1: टेबिल न० 1: बूथ न० 1 टेबिल न० 3: बूथ न० 2, 3 टेबिल न० 5: बूथ न० 4, 5 टेबिल न० 6: बूथ न० 6 टेबिल न० 7: बूथ न० 7 टेबिल न० 9: बूथ न० 8, 9 टेबिल न० 10: बूथ न० 10 टेबिल न० 11: बूथ न० 11 टेबिल न० 15: बूथ न० 12, 13, 14, 15 टेबिल न० 16: बूथ न० 16 टेबिल न० 17: बूथ न० 17 टेबिल न० 21: बूथ न० 18, 19, 20, 21 टेबिल न० 24: बूथ न० 22, 23, 24 टेबिल न० 25: बूथ न० 25 टेबिल न० 26: बूथ न० 26 ग्राम पंचायतें शामिल: हजीरो, वीरपुरी, पतरामपुर, भोगपुर जसपुर, मनोरथपुर प्रथम, बढियोवाला, आमका, मेघावाला, रामनगर बन। राउंड - 2: टेबिल न० 2: बूथ न० 27, 28 टेबिल न० 4: बूथ न० 29, 30 टेबिल न० 6: बूथ न० 31, 32 टेबिल न० 7: बूथ न० 33 टेबिल न० 10: बूथ न० 34, 35, 36 टेबिल न० 11: बूथ न० 37 टेबिल न० 14: बूथ न० 38, 39, 40, 41 टेबिल न० 16: बूथ न० 42 टेबिल न० 17: बूथ न० 43 टेबिल न० 19: बूथ न० 44, 45 टेबिल न० 20: बूथ न० 46 टेबिल न० 22: बूथ न० 47, 48, 49 टेबिल न० 24: बूथ न० 50 टेबिल न० 26: बूथ न० 51, 52 ग्राम पंचायतें शामिल: रामनगर वन, भगवन्तपुर, निवारमुण्डी, मण्डुआखेड़ा, गूलरगोजी, उमरपुर, अंगदपुर, रायपुर पटटी दिल्ला। राउंड - 3: टेबिल न० 1: बूथ न० 53 टेबिल न० 2: बूथ न० 54 टेबिल न० 4: बूथ न० 55, 56 टेबिल न० 5: बूथ न० 57 टेबिल न० 7: बूथ न० 58, 59 टेबिल न० 8: बूथ न० 60 टेबिल न० 11: बूथ न० 61, 62, 63 टेबिल न० 12: बूथ न० 64 टेबिल न० 13: बूथ न० 65 टेबिल न० 14: बूथ न० 66 टेबिल न० 15: बूथ न० 67 टेबिल न० 16: बूथ न० 68, 69 टेबिल न० 18: बूथ न० 70 टेबिल न० 19: बूथ न० 71 टेबिल न० 21: बूथ न० 72, 73, 7 टेबिल न० 22: बूथ न० 74, 75 टेबिल न० 24: बूथ न० 76 टेबिल न० 26: बूथ न० 77, 78 ग्राम पंचायतें शामिल: दिल्ला पटटी, धर्मपुर, पूरनपुर, नादेही, आसपुर, राजपुर, गढ़ीहुसैन, कलियावाला, कासमपुर। (नोट: यह सूची केवल कुछ प्रमुख राउंड और ग्राम पंचायतों का उदाहरण है। पूरी सूची में सभी 181 बूथों और संबंधित ग्राम पंचायतों का विस्तृत विवरण शामिल है, जो राउंड 7 तक जारी रहेगा, जिसमें मिस्सरवाला, बक्सौरा, गणेशपुर, करनपुर, बैतवाला, नवलपुर, किलावली, बैलजूड़ी जैसे गाँव भी शामिल होंगे।) प्रशासनिक मुस्तैदी: शांतिपूर्ण मतगणना सुनिश्चित करने पर जोर मतगणना दिवस पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। मतगणना स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की भीड़भाड़ या अव्यवस्था को रोका जा सके। इसके साथ ही, मतगणना हॉल में प्रवेश के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं, जिसमें केवल अधिकृत व्यक्ति, जैसे प्रत्याशी, उनके एजेंट और चुनाव कर्मी ही प्रवेश कर सकेंगे। वरिष्ठ अधिकारी मतगणना प्रक्रिया की लगातार निगरानी करेंगे। मतगणना से पहले सभी मतगणना कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे नियमों के अनुसार और बिना किसी त्रुटि के अपना कार्य कर सकें। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतपेटियों को स्ट्रांग रूम से मतगणना टेबल तक सुरक्षित लाया जाए और गिनती के बाद उन्हें पुनः सुरक्षित रखा जाए। लोकतंत्र के पर्व का अंतिम चरण मतगणना का दिन किसी भी चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण और रोमांचक चरण होता है। यह वह दिन होता है जब जनता के जनादेश का खुलासा होता है और नए जनप्रतिनिधि सामने आते हैं। जसपुर विकास खंड में जारी की गई यह टेबल-वार बूथ सूची, प्रशासन की पारदर्शिता और निष्पक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कदम न केवल मतगणना प्रक्रिया को सुचारु बनाएगा, बल्कि प्रत्याशियों और आम जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगा कि उनके मतों की गिनती पूरी ईमानदारी और सटीकता से की जा रही है। अब सभी की निगाहें मतगणना दिवस पर टिकी हैं, जब जसपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के नए नेतृत्व का निर्धारण होगा।

उत्तराखण्ड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: मतदाता सूची की गंभीर त्रुटियों से मतदाताओं को करना पड़ा भारी परेशानी का सामना; नाम गायब मिलने पर फूटा रोष

उत्तराखण्ड, 29 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए हुए मतदान के दौरान कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को भारी निराशा और परेशानी का सामना करना पड़ा। चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूचियों में गंभीर त्रुटियां पाई गईं, जहाँ बड़ी संख्या में योग्य मतदाताओं के नाम सूची…

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बन्नाखेड़ा, 25 जुलाई 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के ग्राम बन्नाखेड़ा में गुरुवार देर रात चोरों की अफवाह और आसमान में एक ड्रोन दिखने की घटना ने एक 25 वर्षीय युवक की जान ले ली। गांव में फैली अफवाह के कारण बड़ी संख्या में लोग सड़क पर जमा हो गए थे, तभी एक तेज रफ्तार अनियंत्रित कार ने भीड़ के बीच से गुजरते हुए सोरन कश्यप नामक युवक को रौंद दिया। इस दर्दनाक हादसे में सोरन ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। घटना के बाद शुक्रवार को सोरन की मौत से आक्रोशित परिजनों और ग्रामीणों ने न्याय की मांग को लेकर शव को सड़क पर रखकर जमकर हंगामा किया, आरोपी कार चालक की गिरफ्तारी और उस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही थी। पुलिस द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद ही परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया। रात के सन्नाटे में फैली अफवाह, सड़क पर उमड़ा जनसैलाब घटना गुरुवार देर रात की है, जब ग्राम बन्नाखेड़ा का शांत माहौल अचानक एक अफवाह से गरमा गया। गांव में किसी ने आसमान में एक ड्रोन दिखने की बात फैलाई, और इसके साथ ही चोरों के गांव में घुसने की अफवाह भी तेजी से फैल गई। यह अफवाह आग की तरह पूरे गांव में फैल गई, जिससे ग्रामीण दहशत में आ गए। अपने घरों की सुरक्षा और चोरों को पकड़ने की नियत से बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं, पुरुष और बच्चे अपने घरों से बाहर निकलकर सड़क किनारे जमा हो गए। सभी की निगाहें ड्रोन और चोरों की तलाश में थीं, और वे एक-दूसरे से घटनाक्रम को लेकर बात कर रहे थे। इसी दौरान, बन्नाखेड़ा निवासी 25 वर्षीय सोरन कश्यप पुत्र कन्हई भी अपने परिजनों और अन्य ग्रामीणों के साथ सड़क पर आ गए थे। उन्हें भी गांव की सुरक्षा की चिंता थी और वे अन्य लोगों के साथ मिलकर स्थिति को समझने का प्रयास कर रहे थे। तेज रफ्तार कार ने ली सोरन की जान, हादसा या लापरवाही? ग्रामीणों के सड़क पर जमा होने के इसी नाजुक पल में, एक तेज गति से आती कार ने ग्रामीणों के बीच से निकलने का प्रयास किया। सड़क पर भीड़ और रात के अंधेरे में, कार चालक ने शायद नियंत्रण खो दिया या भीड़ को नजरअंदाज किया, और सीधे 25 वर्षीय सोरन कश्यप को जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि सोरन हवा में उछलकर दूर जा गिरे और गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे के बाद सड़क पर हड़कंप मच गया। लोग चोरों की अफवाह को भूलकर सोरन की ओर दौड़े। पुलिस को तत्काल सूचना दी गई, और लोगों की मदद से गंभीर रूप से घायल सोरन को तुरंत उपचार के लिए स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया। लेकिन अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों ने सोरन कश्यप को मृत घोषित कर दिया। उनकी असामयिक और दर्दनाक मौत ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया। पहली बार हंगामा और पुलिस का हस्तक्षेप सोरन कश्यप की मौत की खबर सुनते ही उनके परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। घटना से आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में ही जमकर हंगामा शुरू कर दिया। वे आरोपी कार चालक पर तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे थे। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए मोर्चा संभाला और परिजनों व ग्रामीणों को समझा-बुझाकर शांत करने का प्रयास किया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जांच शुरू कर दी। पुलिस ने आश्वासन दिया कि जांच के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। न्याय की मांग पर शव रखकर फिर हुआ प्रदर्शन हालांकि, पुलिस के आश्वासन के बावजूद परिजनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। शुक्रवार को, जब सोरन कश्यप का अंतिम संस्कार किया जाना था, परिजनों और ग्रामीणों ने एक बार फिर अपना आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने सोरन के शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। उनकी मांग स्पष्ट थी: जब तक आरोपी कार चालक के खिलाफ केस दर्ज नहीं होगा और उसे पकड़ा नहीं जाएगा, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, गांव में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया। पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने-बुझाने का भरसक प्रयास किया। इस दौरान, प्रभारी निरीक्षक बाजपुर, प्रवीण कोश्यारी, ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि अगर वे तहरीर देते हैं, तो आरोपी के खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद, परिजनों की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात कार चालक के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने और मौत का कारण बनने की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया। केस दर्ज होने के बाद ही परिजनों ने आक्रोशित मन से सोरन कश्यप का अंतिम संस्कार किया। पुलिस की तलाश जारी, क्षेत्र में भय का माहौल प्रभारी निरीक्षक प्रवीण कोश्यारी ने मीडिया को बताया कि "सड़क हादसे में एक युवक की मौत हुई थी। परिजन आरोपी वाहन चालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर आक्रोश दिखा रहे थे। तहरीर के बाद पुलिस ने आरोपी कार चालक के खिलाफ केस दर्ज किया है और उसकी तलाश की जा रही है।" पुलिस टीमें आरोपी कार चालक की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं और घटना के संबंध में साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। यह घटना ग्राम बन्नाखेड़ा में चोरों की अफवाह और ड्रोन के कारण सड़क पर भीड़ जमा होने के अप्रत्याशित परिणाम को दर्शाती है। सोरन कश्यप की दुखद मौत ने न केवल उनके परिवार को तोड़ दिया है, बल्कि पूरे गांव में शोक और भय का माहौल भी पैदा कर दिया है। यह घटना अफवाहों के प्रसार और सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी के गंभीर परिणामों की ओर भी इशारा करती है, जिस पर समाज और प्रशासन दोनों को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन से इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपी चालक को गिरफ्तार करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की है।

उत्तराखंड: चोर की अफवाह ने ली युवक की जान, अनियंत्रित कार ने सड़क पर भीड़ के बीच युवक को रौंदा; परिजनों का हंगामा

बन्नाखेड़ा, 25 जुलाई 2025 (समय बोल रहा) – उत्तराखंड के ग्राम बन्नाखेड़ा में गुरुवार देर रात चोरों की अफवाह और आसमान में एक ड्रोन दिखने की घटना ने एक 25 वर्षीय युवक की जान ले ली। गांव में फैली अफवाह के कारण बड़ी संख्या में लोग सड़क पर जमा हो गए थे, तभी एक तेज…

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देहरादून,17 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल, जिसे जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान और सुशासन के प्रतीक के रूप में लॉन्च किया गया था, अब कुछ असामाजिक तत्वों के लिए अवैध वसूली का जरिया बनता जा रहा है। कुंडा और जसपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री संचालकों और छोटे उद्योगपतियों को इस पोर्टल पर दर्ज कराई जा रहीं झूठी शिकायतों के आधार पर परेशान कर उनसे अवैध वसूली की कोशिशें की जा रही हैं। इस 'गोरखधंधे' ने न केवल व्यवसायों को मुश्किल में डाला है, बल्कि जनता की एक महत्वपूर्ण लोक-केंद्रित सेवा के प्रति विश्वास को भी गहरा नुकसान पहुंचाया है। कैसे हो रहा है 'लोक पोर्टल' का दुरुपयोग? मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल (सीएम पोर्टल) को आम जनता और मुख्यमंत्री के बीच सीधा संवाद स्थापित करने के लिए बनाया गया था, ताकि नागरिक अपनी शिकायतें और सुझाव सीधे उच्च स्तर तक पहुंचा सकें और उनका समाधान हो सके। यह एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था का हिस्सा था। लेकिन, कुछ शातिर और असामाजिक तत्वों ने इसकी इसी पारदर्शिता का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। उनकी सुनियोजित योजना यह है कि वे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, खासकर फैक्ट्रियों और छोटे उद्योगों के खिलाफ पोर्टल पर झूठी और मनगढ़ंत शिकायतें दर्ज कराते हैं। इन शिकायतों में अक्सर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, जैसे: अवैध निर्माण: फैक्ट्री परिसर में बिना अनुमति के निर्माण कार्य करने का आरोप। पर्यावरण नियमों का उल्लंघन: उद्योगों द्वारा प्रदूषण फैलाने या निर्धारित पर्यावरणीय मानकों का पालन न करने की झूठी शिकायतें। भूमि संबंधित विवाद: फैक्ट्री की जमीन पर कब्जा या भूमि से जुड़े विवादों का मनगढ़ंत हवाला देना। ये आरोप इतने गंभीर होते हैं कि ये सीधे संबंधित विभागों जैसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्व विभाग, या स्थानीय प्रशासन को सक्रिय कर सकते हैं, जिससे अधिकारियों द्वारा जांच या कार्रवाई शुरू होने का डर पैदा होता है। डर दिखाकर वसूली: 'अधिकारियों का झांसा देकर' हो रहा है खेल शिकायत दर्ज कराने के बाद, ये असामाजिक तत्व फैक्ट्री संचालकों और व्यवसायियों से संपर्क साधते हैं। वे उन्हें यह कहकर डराते हैं कि उनके खिलाफ सीएम पोर्टल पर गंभीर शिकायत दर्ज की गई है और जल्द ही संबंधित अधिकारी जांच या कार्रवाई के लिए पहुंचेंगे। वे उन्हें यह झांसा देते हैं कि अगर वे "नियमानुसार" मामले को निपटाना चाहते हैं, तो उन्हें पैसे देने पड़ेंगे, अन्यथा जांच और कार्रवाई के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह एक सीधा-साधा ब्लैकमेलिंग का तरीका है, जिसमें पोर्टल की विश्वसनीयता और अधिकारियों की जांच की शक्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है। छोटे व्यवसायियों के पास अक्सर इतना समय या संसाधन नहीं होता कि वे इन झूठी शिकायतों की लंबी कानूनी प्रक्रियाओं में उलझें, और इसी कमजोरी का फायदा उठाकर उनसे अवैध वसूली की जाती है। वे बदनामी और सरकारी कार्रवाई से बचने के लिए पैसे देने को मजबूर हो जाते हैं। देहरादून से जसपुर-काशीपुर तक फैला है यह 'खेल' जनता की आस्था पर चोट: 'विश्वसनीयता को नुकसान', विश्वास डगमगाया सीएम पोर्टल का दुरुपयोग बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यह सीधे तौर पर जनता के विश्वास पर चोट करता है। यह पोर्टल सरकार और जनता के बीच सीधा पुल था, जो शिकायतों के निष्पक्ष और समयबद्ध समाधान का आश्वासन देता था। जब इस तरह के 'लोक केंद्रित पोर्टल' का उपयोग अवैध वसूली के लिए होने लगता है, तो इसकी विश्वसनीयता को भारी नुकसान पहुँचता है। जनता का विश्वास डगमगाता है और उन्हें लगता है कि उनकी वास्तविक समस्याओं को भी गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, क्योंकि झूठी शिकायतों का अंबार लग जाएगा। यह स्थिति सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ है और इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। आवश्यकता है त्वरित और कठोर कार्रवाई की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है: पुलिस की सक्रियता: पुलिस को ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर अभियान चलाना चाहिए। झूठी शिकायतें दर्ज करने वालों और वसूली की कोशिश करने वालों की पहचान कर उन पर तुरंत मुकदमा दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। देहरादून जैसा मामला एक मिसाल कायम कर सकता है। पोर्टल पर तकनीकी सुधार: सरकार को सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में और अधिक सत्यापन के तरीके जोड़ने चाहिए। यह ओटीपी आधारित सत्यापन, शिकायतकर्ता के पहचान पत्र का अनिवार्य अपलोड, या गंभीर शिकायतों के लिए प्रारंभिक सत्यापन कॉल शामिल हो सकते हैं, ताकि झूठी शिकायतों को दर्ज होने से पहले ही रोका जा सके। जागरूकता अभियान: व्यवसायियों और आम जनता को ऐसे ठगों से सतर्क रहने और किसी भी तरह की धमकी या वसूली की कोशिश होने पर तुरंत पुलिस को सूचना देने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। उन्हें डरकर पैसे न देने की सलाह दी जाए। सरकारी विभागों का समन्वय: संबंधित विभागों (जैसे पर्यावरण, राजस्व, स्थानीय निकाय) को सीएम पोर्टल पर आने वाली शिकायतों की गंभीरता और सत्यता की प्रारंभिक जांच के लिए एक त्वरित तंत्र विकसित करना चाहिए, ताकि वे अनावश्यक रूप से परेशान न हों। उत्तराखंड सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि सीएम पोर्टल, जो जनता की भलाई के लिए बनाया गया है, उसका दुरुपयोग न हो। ऐसा करके ही जनता का विश्वास बरकरार रखा जा सकेगा और राज्य में व्यापार के लिए एक सुरक्षित और भयमुक्त माहौल सुनिश्चित किया जा सकेगा।

उत्तराखंड में ‘सीएम पोर्टल’ का दुरुपयोग: फैक्ट्री संचालकों से अवैध वसूली का ‘गोरखधंधा’, जनता का विश्वास डगमगाया

देहरादून,17 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के सीएम पोर्टल, जिसे जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान और सुशासन के प्रतीक के रूप में लॉन्च किया गया था, अब कुछ असामाजिक तत्वों के लिए अवैध वसूली का जरिया बनता जा रहा है। कुंडा और जसपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री संचालकों और…

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बाजपुर, 15 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा ) : वन विभाग और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार को बाजपुर-हल्द्वानी मार्ग पर स्थित एक अमरूद के बगीचे में छापेमारी कर खैर की 11 गिल्टे (गोल लट्ठे) बरामद किए हैं। इस अवैध लकड़ी की अनुमानित कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है। मौके से एक बड़ा तराजू भी बरामद हुआ है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अवैध रूप से काटी गई इस लकड़ी को यहीं पर तौलकर बेचने की तैयारी चल रही थी। हालांकि, छापेमारी दल के पहुंचने से पहले ही आरोपी मौके से फरार होने में सफल रहा, जिसकी तलाश में अब सघन अभियान चलाया जा रहा है। मुखबिर की सूचना पर हुई कार्रवाई यह कार्रवाई वन विभाग को मिली एक खुफिया सूचना के आधार पर की गई। मुखबिर ने बताया था कि हल्द्वानी रोड पर स्थित एक निजी अमरूद के बाग में खैर की भारी मात्रा में अवैध लकड़ी का भंडारण किया गया है, और जल्द ही इसे ठिकाने लगाने की योजना है। सूचना की गंभीरता को देखते हुए, वन विभाग के अधिकारियों ने तत्काल एसओजी टीम के साथ समन्वय स्थापित किया और सोमवार दोपहर बाद बगीचे पर छापा मारने का निर्णय लिया गया। छापेमारी दल जब बगीचे के भीतर दाखिल हुआ, तो उन्हें पेड़ों के झुरमुट में सावधानी से छिपाकर रखे गए खैर के विशालकाय 11 गिल्टे मिले। इन गिल्टों का आकार और गुणवत्ता यह दर्शाती है कि यह लकड़ी काफी मूल्यवान है। एसओजी प्रभारी अशोक टम्टा ने समय बोल रहा को जानकारी देते हुए बताया, "हमें मिली सटीक सूचना पर यह सफल कार्रवाई की गई है। बरामद की गई खैर की लकड़ी की गुणवत्ता काफी अच्छी है, और हमने इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये निर्धारित की है। यह लकड़ी अवैध रूप से काटी गई प्रतीत होती है, और इसकी तस्करी की तैयारी थी।" तस्करी के संकेत और आगे की जांच टम्टा ने आगे स्पष्ट किया, "बरामद लकड़ी के साथ जो तराजू मिला है, वह यह दर्शाता है कि मौके पर ही खरीद-फरोख्त की जा रही थी। हालांकि, हमारे पहुंचने से पहले ही संदिग्ध व्यक्ति फरार हो गया। बरामद खैर की लकड़ी और तराजू को रामनगर स्थित वन विभाग की वर्कशॉप में सुरक्षित रखवा दिया गया है। हम फरार आरोपी की पहचान और उसकी गिरफ्तारी के लिए विभिन्न स्तरों पर जांच कर रहे हैं।" खैर का पेड़ (Acacia catechu) अपनी अत्यंत मूल्यवान लकड़ी के लिए जाना जाता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से कत्था निर्माण, टिकाऊ फर्नीचर, कृषि उपकरण और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इसकी धीमी वृद्धि दर और उच्च आर्थिक मूल्य के कारण, खैर की अवैध कटाई और तस्करी उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में एक गंभीर पर्यावरणीय और कानूनी चुनौती बनी हुई है। अवैध रूप से खैर काटना न केवल वनों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। वन विभाग की अपील और चुनौती वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में वन संपदा की सुरक्षा के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। अवैध लकड़ी के व्यापार में शामिल सिंडिकेट को तोड़ने के लिए खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है और ऐसे मामलों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाती है। इस विशेष मामले में, जांच दल अब आसपास के क्षेत्रों में सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा है और स्थानीय मुखबिरों से और जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है ताकि फरार आरोपी को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके। यह भी पता लगाया जा रहा है कि यह लकड़ी कहां से लाई गई थी और इसका अंतिम गंतव्य क्या था। स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने वन विभाग की इस कार्रवाई का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने सरकार और प्रशासन से वन कानूनों को और मजबूत करने तथा अवैध कटाई को रोकने के लिए निगरानी प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की अपील की है। यह घटना एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डालती है कि उत्तराखंड के वन संसाधनों को बचाने के लिए निरंतर सतर्कता और समुदाय की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।

बाजपुर में 11 गिल्टे खैर की अवैध लकड़ी बरामद; वन विभाग और एसओजी की संयुक्त कार्रवाई, आरोपी फरार

बाजपुर, 15 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा ) : वन विभाग और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार को बाजपुर-हल्द्वानी मार्ग पर स्थित एक अमरूद के बगीचे में छापेमारी कर खैर की 11 गिल्टे (गोल लट्ठे) बरामद किए हैं। इस अवैध लकड़ी की अनुमानित कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है।…

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देहरादून, 14 जुलाई 2025 ( समय बोल रहा )– उत्तराखंड में पंचायत उपचुनावों को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में आज एक बड़ा फैसला आया, जिससे चुनावी प्रक्रिया में आई अनिश्चितता समाप्त हो गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (चुनाव चिन्ह) आवंटन की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बहाल कर दिया है। न्यायालय ने न केवल आयोग को कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी, बल्कि इस तरह के चुनाव को 'सुचारू रूप से जारी रखने' की मंजूरी भी दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव प्रक्रिया अब नहीं रुकेगी। बीते दिन की अनिश्चितता और आज का फैसला दरअसल, रिट याचिका संख्या 503 (एम०बी०) 2025 – शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य में 11 जुलाई 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद, आयोग के सामने कुछ कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता थी। इसी कारण, आयोग ने 13 जुलाई 2025 को आदेश संख्या 1759 के माध्यम से, 14 जुलाई 2025 को होने वाली प्रतीक आवंटन की कार्यवाही को दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था। राज्य भर के उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और आम जनता की नजरें हाई कोर्ट पर टिकी थीं, क्योंकि इस फैसले पर ही चुनाव का भविष्य टिका था। आज, 14 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में, माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए। न्यायालय ने आयोग को आश्वस्त किया कि वह निर्धारित चुनावी प्रक्रिया को जारी रख सकता है। न्यायालय के इस रुख के बाद, निर्वाचन आयोग ने बिना किसी देरी के, चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए संशोधित कार्यक्रम जारी कर दिया। संशोधित कार्यक्रम जारी: आज ही शुरू हुआ काम, कल भी जारी रहेगा उच्च न्यायालय से निर्देश प्राप्त होते ही, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड ने एक संशोधित आदेश जारी किया। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि: आज 14 जुलाई 2025 को दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक निर्वाचन प्रतीक आवंटन की कार्यवाही संचालित की जाएगी। शेष निर्वाचन प्रतीक आवंटन की प्रक्रिया 15 जुलाई 2025 को प्रातः 8:00 बजे से कार्य समाप्ति तक पूरी कराई जाएगी। इस फैसले ने उन हजारों उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत लाई है, जो पिछले 24 घंटों से अनिश्चितता के दौर में थे। प्रतीक आवंटन के बिना, वे अपनी चुनाव प्रचार सामग्री जैसे पोस्टर, बैनर और पैम्फलेट नहीं बनवा पा रहे थे, जिससे उनकी तैयारियों में बाधा आ रही थी। अब प्रक्रिया फिर से शुरू होने से उनके अभियान में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आयोग ने अधिकारियों को दिए तत्काल निर्देश राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना (संशोधित) संख्या 1303, दिनांक 28 जून 2025 को इस सीमा तक संशोधित माना है, जिसका सीधा अर्थ है कि केवल प्रतीक आवंटन का कार्यक्रम बदला है, बाकी सभी चुनावी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न कराई जाएंगी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया अब बिना किसी रुकावट के चलेगी। यह आदेश समस्त जिलाधिकारियों, उप जिला निर्वाचन अधिकारियों, सचिव पंचायतीराज एवं संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से भेज दिया गया है ताकि जमीनी स्तर पर भी किसी तरह का कोई भ्रम न रहे और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जा सके। यह कदम यह भी दर्शाता है कि प्रशासन और न्यायपालिका के बीच बेहतरीन समन्वय है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया जा रहा है। कानूनी प्रक्रिया और लोकतंत्र की जीत यह पूरा घटनाक्रम यह साबित करता है कि भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। भले ही एक याचिका के कारण कुछ समय के लिए चुनावी प्रक्रिया रुकी, लेकिन यह सुनिश्चित किया गया कि पूरी प्रक्रिया कानूनी रूप से सही और न्यायसंगत हो। उच्च न्यायालय ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द सुनवाई की और स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए, जिससे चुनाव में देरी नहीं हुई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के हित में है। अब वे अपने अभियान को बिना किसी कानूनी डर के आगे बढ़ा सकते हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार में तेजी आएगी और मतदाता भी पूरे उत्साह के साथ मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। इस कानूनी उलझन का समाधान होने के बाद, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल फिर से गरमा गया है। अब सभी की निगाहें 15 जुलाई की सुबह पर टिकी हैं, जब शेष उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिन्ह आवंटित होंगे और वे पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे।

ब्रेकिंग न्यूज़: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को हाईकोर्ट की मंजूरी, अब नहीं रुकेगा चुनाव चिन्ह आवंटन

देहरादून, 14 जुलाई 2025 ( समय बोल रहा )– उत्तराखंड में पंचायत उपचुनावों को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में आज एक बड़ा फैसला आया, जिससे चुनावी प्रक्रिया में आई अनिश्चितता समाप्त हो गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (चुनाव चिन्ह) आवंटन की प्रक्रिया को…

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देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के बाद लिया है, जिससे चुनावी मैदान में उतरे हजारों प्रत्याशियों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। उक्त आदेश जारी करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट, उत्तराखंड, नैनीताल में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य के नाम से योजित थी। माननीय न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए दिनांक 11 जुलाई, 2025 को एक आदेश पारित किया था। आयोग के अनुसार, इस आदेश के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता (clarification) प्राप्त करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड द्वारा न्यायालय में एक प्रार्थना-पत्र दाखिल किया गया है। आयोग का यह कदम कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए लिया गया है, और इस पर हाईकोर्ट में 14 जुलाई, 2025 को पूर्वाह्न में सुनवाई होनी नियत हुई है। चूंकि चुनाव चिन्हों का आवंटन और अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं इसी के बाद होनी थीं, इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया कि जब तक न्यायालय से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिल जाता, तब तक चुनाव चिन्ह आवंटन का कार्य रोक दिया जाए। मैदान में उतरे उम्मीदवारों की रणनीति पर 'ब्रेक' चुनाव चिन्हों का आवंटन स्थगित होने से चुनावी मैदान में उतरे सभी उम्मीदवारों की रणनीति पर अचानक 'ब्रेक' लग गया है। चुनाव चिन्ह मिलने के बाद ही कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान को अंतिम रूप देता है। यह चिन्ह ही उसके पोस्टर, बैनर, और डोर-टू-डोर कैंपेन का मुख्य आधार होता है। कई उम्मीदवारों ने तो चुनाव चिन्ह मिलने की तारीख को देखते हुए पहले ही पोस्टर और अन्य प्रचार सामग्री का डिजाइन तैयार करवा लिया था। एक स्थानीय उम्मीदवार, जो अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे, ने बताया, "हम सब कल के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमने अपने समर्थकों को भी तैयार रहने को कहा था। यह खबर हमारे लिए एक बड़ा झटका है। हमें नहीं पता कि अब हम आगे क्या करें।" एक अन्य प्रत्याशी ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस अनिश्चितता से न केवल उनका समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि चुनाव प्रचार में लगाया गया उनका पैसा भी अधर में लटक गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कानूनी चुनौती चुनाव आयोग की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है। उनका कहना है कि याचिका में शायद वार्डों के आरक्षण, मतदाता सूची या अन्य प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर सवाल उठाए गए होंगे। हालांकि, इससे जमीनी स्तर पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए बहुत परेशानी हो रही है। न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका: निष्पक्ष चुनाव की गारंटी यह घटना एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। भले ही यह कदम चुनावी प्रक्रिया में देरी कर रहा हो, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि पूरा चुनाव निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हो। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के बजाय, न्यायालय से स्पष्टता मांगकर एक सही और कानूनी रूप से मजबूत रास्ता चुना है। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने में आसानी होगी। अब सभी की निगाहें सोमवार सुबह हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस सुनवाई का परिणाम ही यह तय करेगा कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का अगला कदम क्या होगा। अगर हाईकोर्ट आयोग के स्पष्टीकरण से संतुष्ट होता है और उसे आगे बढ़ने की अनुमति देता है, तो चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन अगर न्यायालय कोई नया आदेश देता है या किसी विशेष प्रक्रिया में सुधार के लिए कहता है, तो चुनाव की पूरी समय-सारणी में बदलाव हो सकता है। फिलहाल, चुनाव चिन्हों की प्रतीक्षा कर रहे हजारों उम्मीदवार, उनके समर्थक और राजनीतिक दल सभी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। चुनाव की रणभेरी कुछ समय के लिए शांत हो गई है और सभी उम्मीदवार न्याय के देवता के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना बताती है कि पंचायत चुनाव, जो अक्सर ग्रामीण राजनीति का सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है, अब कानूनी और तकनीकी पेचीदगियों से भी प्रभावित होने लगा है।

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया थमी: हाईकोर्ट के आदेश पर चुनाव चिन्ह आवंटन स्थगित, अनिश्चितता के घेरे में हजारों प्रत्याशी

देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला…

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देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे 'देवभूमि' के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते हुए, उत्तराखंड पुलिस ने एक बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने वाले ऐसे ढोंगी बाबाओं के खिलाफ राज्य में 'ऑपरेशन कालनेमि' की शुरुआत की गई है, और इसके पहले ही दिन पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस ऑपरेशन के तहत प्रदेश भर से 38 ढोंगी बाबाओं को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें एक बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल है जो भेष बदलकर रह रहा था। 'कालनेमि': धोखेबाज का प्रतीक, ऑपरेशन का नाम पौराणिक कथाओं में 'कालनेमि' एक ऐसा असुर था, जिसने साधु का वेश धारण कर भगवान हनुमान को धोखा देने का प्रयास किया था। ठीक इसी तरह, 'ऑपरेशन कालनेमि' का नाम ऐसे धोखेबाजों के खिलाफ शुरू किए गए इस अभियान के लिए बिल्कुल सटीक है, जो सनातन धर्म की पवित्रता को ढोंग और धोखाधड़ी से खराब करते हैं। यह ऑपरेशन, पुलिस की तरफ से एक साफ संदेश है कि देवभूमि में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं है, जो धर्म की आड़ में आम जनता को ठगने और उनकी भावनाओं को आहत करने का काम करते हैं। पहले ही दिन 38 गिरफ्तारियां, देहरादून और हरिद्वार मुख्य केंद्र पुलिस ने 'ऑपरेशन कालनेमि' के तहत पहले दिन ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में ताबड़तोड़ कार्रवाई की। इस अभियान के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां दो प्रमुख जिलों से हुईं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र हैं: देहरादून और हरिद्वार। देहरादून में 25 गिरफ्तारियां: राजधानी देहरादून में पुलिस ने सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई और यहां से कुल 25 ढोंगी बाबाओं को हिरासत में लिया। ये लोग बिना किसी ज्ञान के और गलत इरादों के साथ साधु-संतों का वेश धारण किए हुए थे और लोगों को ठग रहे थे। हरिद्वार में 13 गिरफ्तारियां: वहीं, धार्मिक नगरी हरिद्वार, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु और साधु-संत आते हैं, वहां भी पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 13 ढोंगी बाबाओं को पकड़ा। पुलिस ने बताया कि पकड़े गए इन 38 लोगों में से अधिकतर के पास अपनी पहचान या निवास को साबित करने के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं थे। अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: बांग्लादेशी भी पकड़ा गया इस ऑपरेशन के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पकड़े गए लोगों में से एक बांग्लादेशी नागरिक भी है, जो साधु का भेष बदलकर उत्तराखंड में रह रहा था। ऐसे व्यक्तियों का धार्मिक वेश में रहना न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि धर्म की आड़ में अन्य गैरकानूनी गतिविधियां भी चल सकती हैं। इसके अलावा, पुलिस ने यह भी बताया कि पकड़े गए 38 लोगों में से 20 से ज्यादा ऐसे हैं जो उत्तराखंड के निवासी नहीं हैं। वे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम और अन्य राज्यों से आए हुए हैं। ये लोग अलग-अलग धार्मिक स्थलों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर खुद को साधु बताकर रह रहे थे। जब पुलिस ने उनसे दस्तावेज मांगे, तो वे कोई भी वैध कागजात नहीं दिखा पाए, जिससे उनके इरादों पर शक और गहरा हो गया। एसएसपी अजय सिंह का सख्त संदेश: 'सनातन धर्म की आड़ में धोखा बर्दाश्त नहीं' देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने इस ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए कहा कि, "सनातन धर्म की आड़ में ठगी करने वालों के खिलाफ यह अभियान शुरू किया गया है। पुलिस ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई कर रही है जो बिना किसी ज्ञान के साधु-संतों का भेष धारण करके लोगों को ठग रहे हैं। ये लोग न केवल भोले-भाले लोगों को चूना लगाते हैं, बल्कि देवभूमि के स्वरूप को भी खराब करने का काम करते हैं। इससे हिंदुओं की भावना को भी ठेस पहुंचती है।" एसएसपी ने साफ किया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन लोगों को पकड़ना है जो आस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इन सभी गिरफ्तार लोगों से गहन पूछताछ कर रही है और उनके आपराधिक रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये किसी बड़े आपराधिक गिरोह से जुड़े हैं। समाज पर प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां 'ऑपरेशन कालनेमि' की यह शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, जो धर्म के नाम पर हो रही धोखाधड़ी पर लगाम लगाएगा। यह अभियान समाज में यह संदेश भी देगा कि धार्मिक वेशभूषा पहनकर कोई भी व्यक्ति आस्था का दुरुपयोग नहीं कर सकता। यह कार्रवाई उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो वैध दस्तावेजों के बिना, संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इरादे से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं और यहां की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं। पुलिस की यह मुहिम एक लंबी प्रक्रिया है और यह देखना बाकी है कि यह अभियान कितने समय तक चलता है और इससे कितने और ढोंगी बाबाओं को पकड़ा जाता है। लेकिन पहले ही दि

उत्तराखंड में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ का हल्लाबोल! देवभूमि में 38 ढोंगी बाबा दबोचे, एक बांग्लादेशी भी गिरफ्तार; सनातन धर्म की आड़ में धोखाधड़ी पर नकेल!

देहरादून, 12 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड, जिसे ‘देवभूमि’ के नाम से जाना जाता है, अपनी आध्यात्मिक पवित्रता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन, पिछले कुछ समय से इस पवित्र छवि को कुछ ढोंगी और फर्जी बाबाओं द्वारा धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा था। इसी को देखते…

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देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के हित में कई बड़े निर्णय लिए हैं। इनमें राज्य की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी मिलना और विधवा व वृद्धावस्था पेंशन को लेकर लिया गया एक बड़ा सामाजिक निर्णय सबसे अहम हैं, जो सीधे तौर पर आम लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे। पंचायत चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के कारण, इस कैबिनेट बैठक की आधिकारिक ब्रीफिंग नहीं हो पाई। हालांकि, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इन फैसलों को राज्य के विकास और सामाजिक कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। उत्तराखंड की ऊर्जा क्रांति: पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मंजूरी कैबिनेट बैठक का सबसे महत्वपूर्ण फैसला उत्तराखंड की पहली जियोथर्मल एनर्जी पॉलिसी को मंजूरी देना है। यह एक गेमचेंजर पॉलिसी साबित हो सकती है, खासकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए जहां नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की अपार संभावनाएं हैं। जियोथर्मल ऊर्जा, धरती की आंतरिक गर्मी का उपयोग कर बिजली उत्पादन करने की तकनीक है, जो स्वच्छ, निरंतर और पर्यावरण के अनुकूल होती है। उत्तराखंड में भूगर्भीय ताप (जियोथर्मल) की क्षमता व्यापक है, विशेषकर हिमालयी क्षेत्रों में। इस नीति को मंजूरी मिलने से राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के अन्वेषण, विकास और दोहन का रास्ता खुल गया है। यह न केवल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी सहायक होगा। इससे राज्य में नए निवेश आकर्षित होंगे, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। यह फैसला उत्तराखंड को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लाखों परिवारों को राहत: अब बेटे के 18 साल पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन समाज कल्याण विभाग से जुड़ा एक और ऐतिहासिक और मानवीय फैसला कैबिनेट ने लिया है, जो सीधे तौर पर समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबके को राहत पहुंचाएगा। अब तक के नियमों के तहत, विधवा या वृद्धावस्था पेंशन अक्सर तब रोक दी जाती थी जब पेंशन धारक का पुत्र 18 वर्ष का हो जाता था, यह मानते हुए कि अब वह अपनी माँ या बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल कर सकता है। लेकिन, कैबिनेट ने इस नियम में बड़ा बदलाव करते हुए यह निर्णय लिया है कि पुत्र के 18 साल पूरे होने पर भी वृद्धावस्था और विधवा पेंशन मिलती रहेगी। यह उन लाखों माताओं और बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत है जो अक्सर अपने बच्चों के बालिग होने के बाद भी आर्थिक रूप से कमजोर रहते हैं और पेंशन पर ही निर्भर होते हैं। यह फैसला समाज के एक बड़े वर्ग को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगा और उन्हें अनिश्चितता के दौर में आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा। यह धामी सरकार की सामाजिक संवेदनशीलता और कल्याणकारी नीतियों का प्रतीक माना जा रहा है। बुनियादी ढांचे और सुशासन पर भी अहम मुहर कैबिनेट बैठक में केवल ऊर्जा और सामाजिक कल्याण ही नहीं, बल्कि राज्य के बुनियादी ढांचे और सुशासन से जुड़े कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर भी मुहर लगी है। सूत्रों के मुताबिक, इन प्रस्तावों में शामिल हैं: पुलों की वहन क्षमता का उन्नयन: पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) के तहत प्रदेश में 'बी' ग्रेड के पुलों को 'ए' ग्रेड में अपग्रेड किए जाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) की स्थापना को भी मंजूरी दी गई है, जो इन पुलों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए अध्ययन और योजना तैयार करेगी। यह निर्णय पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां मजबूत पुल सड़कें और आवागमन की जीवनरेखा होते हैं। इससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और दुर्घटनाओं का जोखिम भी कम होगा। डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी: राज्य कर विभाग में डिजिटल फॉरेंसिक लेबोरेटरी की स्थापना को मंजूरी दी गई है। यह लैब डिजिटल अपराधों, साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय घोटालों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे राज्य की जांच एजेंसियों की क्षमताएं बढ़ेंगी और वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। वित्त सेवा संवर्ग का पुनर्गठन: उत्तराखंड के वित्त सेवा संवर्ग के पुनर्गठन को भी मंजूरी मिल गई है। यह कदम राज्य के वित्तीय प्रबंधन को और अधिक कुशल और आधुनिक बनाने की दिशा में उठाया गया है। सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण: सतर्कता विभाग के संशोधित ढांचे को मंजूरी दी गई है, जिसके तहत इसमें पदों की संख्या बढ़ाकर 152 कर दी गई है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और राज्य में पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूत करेगा। खनिज अन्वेषण और फाउंडेशन न्यास: उत्तराखंड राज्य खनिज अन्वेषण न्यास, 2025 और उत्तराखंड जिला खनिज फाउंडेशन न्यास, 2025 को प्रख्यापित किए जाने को भी मंजूरी मिली है। यह राज्य के खनिज संसाधनों के अन्वेषण, प्रबंधन और खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के कल्याण के लिए एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान करेगा। धामी सरकार का 'समग्र विकास' विजन ये सभी फैसले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के 'समग्र विकास' और 'सबका साथ, सबका विकास' के विजन को दर्शाते हैं। एक ओर जहां जियोथर्मल पॉलिसी और पुलों का उन्नयन राज्य के आर्थिक और भौतिक विकास को गति देगा, वहीं विधवा/वृद्धा पेंशन में बदलाव और सतर्कता विभाग का सशक्तिकरण सामाजिक न्याय और सुशासन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, पंचायत चुनाव की आचार संहिता के चलते इन फैसलों का विस्तृत विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इन महत्वपूर्ण निर्णयों को जनता के सामने रखेगी और इनके क्रियान्वयन की प्रक्रिया शुरू होगी। यह कैबिनेट बैठक निश्चित रूप से उत्तराखंड के भविष्य के लिए कई नई राहें खोलेगी।

उत्तराखंड कैबिनेट बैठक का ऐतिहासिक फैसला: राज्य की पहली जियोथर्मल पॉलिसी को मिली हरी झंडी, अब बेटे के 18 साल पूरे होने पर भी नहीं रुकेगी विधवा/वृद्धा पेंशन! आम आदमी को बड़ी राहत

देहरादून, 9 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। सचिवालय में सुबह 12 बजे शुरू हुई और लगभग 2 घंटे तक चली इस बैठक में राज्य सरकार ने जनता के…

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देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया है। इन दलों पर आरोप है कि वे पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। आयोग के इस कदम ने इन दलों के लिए 21 जुलाई की शाम 5 बजे तक का अल्टीमेटम दिया है, जिसके बाद उनके अंतिम डीलिस्टिंग (पंजीकरण रद्द करने) का निर्णय लिया जाएगा। यह कार्रवाई उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। क्यों चला आयोग का 'डंडा'? शर्तों पर खरे नहीं उतर रहे कई दल भारत निर्वाचन आयोग, देश में निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक दलों के पंजीकरण और उनके कामकाज पर कड़ी नजर रखता है। आयोग के निर्देशानुसार, उत्तराखंड में कुल 42 पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (RUPPs) हैं। ये वो दल होते हैं, जिन्हें राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त करने के लिए पर्याप्त वोट प्रतिशत या सीटें नहीं मिली होतीं, लेकिन वे चुनाव आयोग के पास पंजीकृत होते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग की जांच में सामने आया है कि इन 42 दलों में से कई ऐसे हैं जो 'पंजीकृत अमान्यता प्राप्त राजनैतिक दल' बने रहने की आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इन शर्तों में मुख्य रूप से शामिल हैं: नियमित आंतरिक चुनाव: दलों को अपने भीतर नियमित रूप से संगठनात्मक चुनाव कराने होते हैं, ताकि आंतरिक लोकतंत्र बना रहे। वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करना: वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दलों को हर साल अपनी आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंपनी होती है। योगदान रिपोर्ट दाखिल करना: दलों को अपने प्राप्त चंदे (कंट्रीब्यूशन) की जानकारी आयोग को देनी होती है। चुनावी गतिविधियों में भागीदारी: दलों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे लगातार चुनाव (विधानसभा या लोकसभा) में भाग लें, भले ही वे सीटें न जीतें। सक्रिय कार्यालय का पता: आयोग ने विशेष रूप से यह भी पाया है कि इन दलों के कार्यालय का कोई सही या सक्रिय पता नहीं है। यानी ये दल केवल कागजों पर मौजूद हैं, जमीनी स्तर पर इनकी कोई सक्रियता नहीं दिख रही है। आयोग ने इन्हीं मानदंडों के आधार पर उत्तराखंड के 6 ऐसे विशिष्ट दलों की पहचान की है, जिन्हें अब नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। अस्तित्व पर खतरा: 21 जुलाई शाम 5 बजे की डेडलाइन नोटिस प्राप्त करने वाले इन 6 दलों को 21 जुलाई, शाम 5 बजे तक अपना जवाब चुनाव आयोग को भेजना होगा। इस जवाब में उन्हें यह साबित करना होगा कि वे आयोग द्वारा निर्धारित सभी शर्तों का पालन कर रहे हैं या क्यों उन्हें डीलिस्ट नहीं किया जाना चाहिए। यदि ये दल निर्धारित समय-सीमा के भीतर संतोषजनक जवाब प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं या अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं दे पाते हैं, तो भारत निर्वाचन आयोग इनकी अंतिम डीलिस्टिंग का निर्णय लेगा। डीलिस्टिंग का अर्थ है कि इन दलों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा, और वे अब चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दल नहीं रह जाएंगे। क्यों महत्वपूर्ण है यह कार्रवाई? पारदर्शिता और जवाबदेही की पहल चुनाव आयोग द्वारा यह कार्रवाई केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है, बल्कि देश भर में ऐसे निष्क्रिय और गैर-अनुपालनकारी राजनीतिक दलों के खिलाफ अभियान का हिस्सा है। आयोग का मुख्य उद्देश्य है कि: राजनीतिक प्रणाली को साफ-सुथरा बनाना: ऐसे दल जो केवल कागजों पर मौजूद हैं और जिनका कोई वास्तविक राजनीतिक उद्देश्य नहीं है, उन्हें प्रणाली से हटाना। फंडिंग में पारदर्शिता: कई बार ऐसे निष्क्रिय दलों का उपयोग धन के लेन-देन या कर चोरी के लिए भी किया जाता है। आयोग ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाना चाहता है। संसाधनों का कुशल उपयोग: चुनाव आयोग के सीमित संसाधनों का उपयोग केवल सक्रिय और वास्तविक राजनीतिक दलों के लिए हो। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना: केवल वास्तविक और सक्रिय दल ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लें, जिससे राजनीतिक प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़े। यह कदम उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक नई बहस छेड़ सकता है, खासकर उन छोटे दलों के बीच जो अपनी पहचान बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रभाव और चुनौतियाँ: क्या खोएंगे ये दल? यदि इन 6 दलों का पंजीकरण रद्द होता है, तो उन्हें कई लाभों से वंचित होना पड़ेगा, जिनमें शामिल हैं: निर्वाचक नामावली (Electoral Rolls) की निःशुल्क प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार। सार्वजनिक प्रसारकों (जैसे दूरदर्शन और आकाशवाणी) पर मुफ्त हवाई समय। चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवारों के लिए साझा चुनाव चिह्न की सुविधा (यदि आयोग द्वारा आवंटित की जाती है)। डीलिस्ट होने के बाद, यदि ये दल भविष्य में चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो उन्हें नए सिरे से पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है। यह चुनौती इन दलों के लिए उनके अस्तित्व को बचाने की आखिरी लड़ाई साबित हो सकती है। चुनाव आयोग का यह कदम स्पष्ट संदेश है कि राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा और केवल कागजों पर पंजीकृत होकर ही राजनीतिक दल बने नहीं रहा जा सकता। उत्तराखंड में जिन दलों को नोटिस मिला है, उन्हें अब 21 जुलाई तक अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूत दलीलें और प्रमाण पेश करने होंगे। इस फैसले से राज्य की छोटी राजनीतिक पार्टियों के कामकाज में निश्चित रूप से अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही देखने को मिलेगी।

उत्तराखंड की सियासत में भूचाल! चुनाव आयोग का ‘डंडा’ चला, 6 राजनीतिक दलों पर लटकी ‘अस्तित्व’ की तलवार, 21 जुलाई तक ‘आखिरी मौका’

देहरादून, 08 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है, जिसने कई छोटे राजनीतिक दलों के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और चुनाव आयोग ने राज्य में पंजीकृत 6 अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) को नोटिस जारी किया…

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