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जसपुर, 18 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – आस्था के केंद्र और शांति के प्रतीक गुरुद्वारे में चोरी की घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। जसपुर के करनपुर स्थित गुरुद्वारे में बीती रात चोरों ने सेंध लगाकर दानपेटी को निशाना बनाया। सुबह जब भक्तजन रोजाना की तरह गुरु का आशीर्वाद लेने पहुंचे, तो गुरुद्वारे का मुख्य द्वार खुला देख उन्हें चोरी की घटना का पता चला, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। सुबह पता चला, मौके पर उमड़ा जनसैलाब जानकारी के अनुसार, विगत रात्रि चोरों ने करनपुर के गुरुद्वारे में धावा बोला। सुबह जब दिन हुआ और भक्तजन गुरुद्वारे में माथा टेकने और गुरु का आशीर्वाद लेने पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि गुरुद्वारे का मुख्य द्वार खुला पड़ा था। अंदर जाकर देखने पर पता चला कि अंदर रखी दानपेटी (गोलक) को भी छेड़ा गया था और उसमें तोड़फोड़ की गई थी। चोरों ने इस दौरान वहां लगी एलईडी (LED) स्क्रीन भी चुरा ली थी। इतना ही नहीं, अपनी पहचान छिपाने के लिए चोरों ने सीसीटीवी की डीवीआर/डीवीडी (DVR/DVD) भी गायब कर दी थी, जिससे उनकी मंशा साफ जाहिर होती है। इस अप्रत्याशित घटना को देखते ही देखते स्थानीय जनता और सिख समुदाय के व्यक्ति बड़ी संख्या में मौके पर एकत्र हो गए। चोरी की इस घटना से सभी में गहरा रोष और चिंता व्याप्त हो गई। गुरुद्वारे जैसे पवित्र स्थान पर चोरी की खबर तेजी से फैली, जिससे मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई। इस मौके पर क्षेत्र पंचायत सदस्य के प्रत्याशी गुरताज भुल्लर और प्रधान पद के प्रत्याशी हरिओम सुधा ,रिशपाल , आदि लोग एकत्र हो गए | पुलिस प्रशासन मौके पर,फॉरेन्सिक इन्वेस्टिगेशन टीम भी बुलाई गई घटना की सूचना तत्काल स्थानीय पुलिस को दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आया और मौके पर पहुंचा। कुंडा के थाना प्रभारी (SO) हरिंदर चौधरी और उपनिरीक्षक (SI) दीपक चौहान ,नवीन जोशी , (SI) गढ़ीनेगी ,सहित कई पुलिसकर्मी घटनास्थल पर मौजूद थे। पुलिस टीम ने सबसे पहले स्थिति का जायजा लिया और गुरुद्वारे के अंदर प्रारंभिक जांच शुरू की। उन्होंने आसपास के क्षेत्र का भी मुआयना किया और साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए और घटना के संवेदनशील पहलू को ध्यान में रखते हुए, पुलिस ने जांच के लिए फॉरेन्सिक इन्वेस्टिगेशन टीम को भी मौके पर बुला लिया है। एसटीएफ की टीम भी अब इस चोरी के प्रकरण की गहन जांच में जुट गई है, जो इस बात का संकेत है कि पुलिस इस मामले को पूरी गंभीरता से ले रही है। गुरुद्वारा प्रबंधक और सदस्य भी रहे मौजूद, सख्त कार्रवाई का आश्वासन चोरी की इस घटना के समय गुरुद्वारा प्रबंधक लखविंदर सिंह और गुरुद्वारा समिति के अन्य सदस्य तथा ग्रंथी (ज्ञानी) भी मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने पुलिस को घटना से संबंधित जानकारी दी और जल्द से जल्द चोरों को पकड़ने की मांग की। सिख समुदाय और स्थानीय लोगों ने इस वारदात को अपनी आस्था पर हमला बताया और पुलिस से त्वरित और सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की। पुलिस ने मौके पर मौजूद सभी लोगों को आश्वासन दिया है कि जांच जारी है और चोरों की तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। पुलिस अधिकारियों ने सख्त से सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं और कहा है कि चोरों के मिलते ही उन पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि यह केवल एक चोरी का मामला नहीं, बल्कि एक धार्मिक स्थल पर हुए अपराध का मामला है, जिसकी जांच विशेष प्राथमिकता से की जा रही है। फिलहाल, एसटीएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें संयुक्त रूप से इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं। इस घटना ने क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी चिंताएं बढ़ा दी हैं, और प्रशासन से ऐसे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग उठने लगी है।

जसपुर: के करनपुर गुरुद्वारे में चोरी से हड़कंप, दानपेटी को बनाया निशाना; पुलिस और फॉरेन्सिक इन्वेस्टिगेशन टीम जांच में जुटी

जसपुर, 18 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – आस्था के केंद्र और शांति के प्रतीक गुरुद्वारे में चोरी की घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। जसपुर के करनपुर स्थित गुरुद्वारे में बीती रात चोरों ने सेंध लगाकर दानपेटी को निशाना बनाया। सुबह जब भक्तजन रोजाना की तरह गुरु का आशीर्वाद…

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जसपुर, 17 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की गहमागहमी के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। जसपुर के नवलपुर क्षेत्र पंचायत में बीडीसी (क्षेत्र पंचायत सदस्य) पद के लिए भाजपा के दो कार्यकर्ताओं के आमने-सामने होने के बाद, पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता द्वारा एक प्रत्याशी के खिलाफ और दूसरे के समर्थन में प्रचार करने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। यह मामला अब पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता और गुटबाजी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। नवलपुर की अनारक्षित सीट पर दो भाजपाई आमने-सामने मामला क्षेत्र पंचायत नवलपुर में बीडीसी पद की अनारक्षित सीट से जुड़ा है। इस महत्वपूर्ण सीट से भाजपा के दो समर्पित कार्यकर्ता चुनावी मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। इनमें एक हैं गुरताज सिंह भुल्लर, जो भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य होने के साथ-साथ निवर्तमान प्रशासक ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख भी हैं। उनके सामने हैं परगट सिंह पन्नू, जो स्वयं भी भाजपा के एक सक्रिय कार्यकर्ता माने जाते हैं और बीडीसी प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। यह स्थिति तब और जटिल हो गई जब सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई कि पार्टी के एक वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता, गुरताज सिंह भुल्लर जैसे पार्टी पदाधिकारी को नजरअंदाज करते हुए, खुले तौर पर उनके विरोधी परगट सिंह पन्नू के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। इस वरिष्ठ नेता की एक जनसभा का वीडियो भी कार्यकर्ताओं के बीच तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी साझा किया जा रहा है। यह वीडियो इस बात का पुख्ता प्रमाण माना जा रहा है कि एक वरिष्ठ नेता पार्टी के भीतर ही अनुशासन का उल्लंघन कर रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश: 'पार्टी विरोधी गतिविधि' का आरोप वरिष्ठ नेता के इस रवैये से स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है। उनका मानना है कि ऐसे कदम से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है। कई कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। मंडल के एक पदाधिकारी ने, गोपनीयता बनाए रखने की शर्त पर, स्पष्ट रूप से कहा कि "वरिष्ठ भाजपा नेता पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होकर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।" कार्यकर्ताओं ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत पार्टी पदाधिकारियों से भी की है। उनकी मांग है कि पार्टी के उच्चाधिकारियों को इस पर गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य के लिए एक नजीर बन सके। कार्यकर्ताओं का तर्क है कि यदि पार्टी के ही बड़े नेता इस तरह से एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करेंगे, तो जनता के बीच पार्टी की एकजुटता का संदेश गलत जाएगा और इसका सीधा नुकसान चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ेगा। जिला अध्यक्ष मनोज पाल का सख्त रुख: अनुशासनहीनता की चेतावनी इस पूरे मामले पर भाजपा के जिला अध्यक्ष मनोज पाल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्वीकार किया कि नवलपुर में पार्टी के दो कार्यकर्ता बीडीसी का चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि "पार्टी ने अभी तक इन दोनों में से किसी भी कार्यकर्ता को चुनाव के लिए अधिकृत नहीं किया है।" जिला अध्यक्ष ने आगे कहा कि "पार्टी के किसी भी बड़े नेता को किसी एक प्रत्याशी के समर्थन में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे दोनों उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच मतभेद पैदा होगा, जो अंततः पार्टी की एकता के लिए हानिकारक है।" उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी, "यदि पार्टी का कोई बड़ा नेता किसी एक प्रत्याशी को चुनाव लड़ाता है या उसका खुले तौर पर समर्थन करता है, तो वह पार्टी के प्रति अनुशासनहीनता की जद में आता है।" मनोज पाल ने यह भी आश्वासन दिया कि यदि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में आता है, तो वह पूरे प्रकरण से प्रदेश नेतृत्व को तत्काल अवगत कराएंगे और उनके निर्देशानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिला अध्यक्ष का यह बयान दर्शाता है कि पार्टी नेतृत्व इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा की 'फजीहत' और खेमों में बंटने का खतरा इस प्रकरण से न केवल भाजपा की 'फजीहत' हो रही है, बल्कि पार्टी 'दो खेमों में बंटती नजर आ रही है'। स्थानीय चुनावों में इस तरह की अंदरूनी कलह पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है, खासकर तब जब पार्टी एकजुटता का संदेश लेकर जनता के बीच जाती है। यह स्थिति मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा करती है और उन्हें पार्टी की नीतियों के प्रति संदेह की स्थिति में डाल सकती है। यह घटना यह भी बताती है कि जमीनी स्तर के चुनावों में, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और स्थानीय प्रतिद्वंद्विताएं अक्सर पार्टी अनुशासन पर भारी पड़ जाती हैं। भाजपा नेतृत्व के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह इन अंदरूनी कलहों को कैसे नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पार्टी की एकता और छवि बनी रहे। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश नेतृत्व इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है और क्या यह कठोर कदम उठाकर भविष्य के लिए एक मजबूत संदेश देता है। पार्टी के निर्णय पर ही नवलपुर और आसपास के क्षेत्रों में भाजपा का भविष्य निर्भर करेगा।

उत्तराखंड: जसपुर के नवलपुर में भाजपा की अंदरूनी कलह उजागर, पार्टी पदाधिकारी के खिलाफ वरिष्ठ नेता के प्रचार से कार्यकर्ताओं में आक्रोश

जसपुर, 18 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की गहमागहमी के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। जसपुर के नवलपुर क्षेत्र पंचायत में बीडीसी (क्षेत्र पंचायत सदस्य) पद के लिए भाजपा के दो कार्यकर्ताओं के आमने-सामने होने के बाद, पार्टी के…

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देहरादून,17 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल, जिसे जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान और सुशासन के प्रतीक के रूप में लॉन्च किया गया था, अब कुछ असामाजिक तत्वों के लिए अवैध वसूली का जरिया बनता जा रहा है। कुंडा और जसपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री संचालकों और छोटे उद्योगपतियों को इस पोर्टल पर दर्ज कराई जा रहीं झूठी शिकायतों के आधार पर परेशान कर उनसे अवैध वसूली की कोशिशें की जा रही हैं। इस 'गोरखधंधे' ने न केवल व्यवसायों को मुश्किल में डाला है, बल्कि जनता की एक महत्वपूर्ण लोक-केंद्रित सेवा के प्रति विश्वास को भी गहरा नुकसान पहुंचाया है। कैसे हो रहा है 'लोक पोर्टल' का दुरुपयोग? मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पोर्टल (सीएम पोर्टल) को आम जनता और मुख्यमंत्री के बीच सीधा संवाद स्थापित करने के लिए बनाया गया था, ताकि नागरिक अपनी शिकायतें और सुझाव सीधे उच्च स्तर तक पहुंचा सकें और उनका समाधान हो सके। यह एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था का हिस्सा था। लेकिन, कुछ शातिर और असामाजिक तत्वों ने इसकी इसी पारदर्शिता का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। उनकी सुनियोजित योजना यह है कि वे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, खासकर फैक्ट्रियों और छोटे उद्योगों के खिलाफ पोर्टल पर झूठी और मनगढ़ंत शिकायतें दर्ज कराते हैं। इन शिकायतों में अक्सर गंभीर आरोप लगाए जाते हैं, जैसे: अवैध निर्माण: फैक्ट्री परिसर में बिना अनुमति के निर्माण कार्य करने का आरोप। पर्यावरण नियमों का उल्लंघन: उद्योगों द्वारा प्रदूषण फैलाने या निर्धारित पर्यावरणीय मानकों का पालन न करने की झूठी शिकायतें। भूमि संबंधित विवाद: फैक्ट्री की जमीन पर कब्जा या भूमि से जुड़े विवादों का मनगढ़ंत हवाला देना। ये आरोप इतने गंभीर होते हैं कि ये सीधे संबंधित विभागों जैसे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्व विभाग, या स्थानीय प्रशासन को सक्रिय कर सकते हैं, जिससे अधिकारियों द्वारा जांच या कार्रवाई शुरू होने का डर पैदा होता है। डर दिखाकर वसूली: 'अधिकारियों का झांसा देकर' हो रहा है खेल शिकायत दर्ज कराने के बाद, ये असामाजिक तत्व फैक्ट्री संचालकों और व्यवसायियों से संपर्क साधते हैं। वे उन्हें यह कहकर डराते हैं कि उनके खिलाफ सीएम पोर्टल पर गंभीर शिकायत दर्ज की गई है और जल्द ही संबंधित अधिकारी जांच या कार्रवाई के लिए पहुंचेंगे। वे उन्हें यह झांसा देते हैं कि अगर वे "नियमानुसार" मामले को निपटाना चाहते हैं, तो उन्हें पैसे देने पड़ेंगे, अन्यथा जांच और कार्रवाई के गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह एक सीधा-साधा ब्लैकमेलिंग का तरीका है, जिसमें पोर्टल की विश्वसनीयता और अधिकारियों की जांच की शक्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है। छोटे व्यवसायियों के पास अक्सर इतना समय या संसाधन नहीं होता कि वे इन झूठी शिकायतों की लंबी कानूनी प्रक्रियाओं में उलझें, और इसी कमजोरी का फायदा उठाकर उनसे अवैध वसूली की जाती है। वे बदनामी और सरकारी कार्रवाई से बचने के लिए पैसे देने को मजबूर हो जाते हैं। देहरादून से जसपुर-काशीपुर तक फैला है यह 'खेल' जनता की आस्था पर चोट: 'विश्वसनीयता को नुकसान', विश्वास डगमगाया सीएम पोर्टल का दुरुपयोग बेहद चिंताजनक है, क्योंकि यह सीधे तौर पर जनता के विश्वास पर चोट करता है। यह पोर्टल सरकार और जनता के बीच सीधा पुल था, जो शिकायतों के निष्पक्ष और समयबद्ध समाधान का आश्वासन देता था। जब इस तरह के 'लोक केंद्रित पोर्टल' का उपयोग अवैध वसूली के लिए होने लगता है, तो इसकी विश्वसनीयता को भारी नुकसान पहुँचता है। जनता का विश्वास डगमगाता है और उन्हें लगता है कि उनकी वास्तविक समस्याओं को भी गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, क्योंकि झूठी शिकायतों का अंबार लग जाएगा। यह स्थिति सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ है और इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। आवश्यकता है त्वरित और कठोर कार्रवाई की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है: पुलिस की सक्रियता: पुलिस को ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ कठोर अभियान चलाना चाहिए। झूठी शिकायतें दर्ज करने वालों और वसूली की कोशिश करने वालों की पहचान कर उन पर तुरंत मुकदमा दर्ज कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। देहरादून जैसा मामला एक मिसाल कायम कर सकता है। पोर्टल पर तकनीकी सुधार: सरकार को सीएम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में और अधिक सत्यापन के तरीके जोड़ने चाहिए। यह ओटीपी आधारित सत्यापन, शिकायतकर्ता के पहचान पत्र का अनिवार्य अपलोड, या गंभीर शिकायतों के लिए प्रारंभिक सत्यापन कॉल शामिल हो सकते हैं, ताकि झूठी शिकायतों को दर्ज होने से पहले ही रोका जा सके। जागरूकता अभियान: व्यवसायियों और आम जनता को ऐसे ठगों से सतर्क रहने और किसी भी तरह की धमकी या वसूली की कोशिश होने पर तुरंत पुलिस को सूचना देने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। उन्हें डरकर पैसे न देने की सलाह दी जाए। सरकारी विभागों का समन्वय: संबंधित विभागों (जैसे पर्यावरण, राजस्व, स्थानीय निकाय) को सीएम पोर्टल पर आने वाली शिकायतों की गंभीरता और सत्यता की प्रारंभिक जांच के लिए एक त्वरित तंत्र विकसित करना चाहिए, ताकि वे अनावश्यक रूप से परेशान न हों। उत्तराखंड सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि सीएम पोर्टल, जो जनता की भलाई के लिए बनाया गया है, उसका दुरुपयोग न हो। ऐसा करके ही जनता का विश्वास बरकरार रखा जा सकेगा और राज्य में व्यापार के लिए एक सुरक्षित और भयमुक्त माहौल सुनिश्चित किया जा सकेगा।

उत्तराखंड में ‘सीएम पोर्टल’ का दुरुपयोग: फैक्ट्री संचालकों से अवैध वसूली का ‘गोरखधंधा’, जनता का विश्वास डगमगाया

देहरादून,17 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड के सीएम पोर्टल, जिसे जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान और सुशासन के प्रतीक के रूप में लॉन्च किया गया था, अब कुछ असामाजिक तत्वों के लिए अवैध वसूली का जरिया बनता जा रहा है। कुंडा और जसपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्री संचालकों और…

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काशीपुर, 16 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने काशीपुर की आईटीआई थाना पुलिस के साथ मिलकर एक बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने आर्य नगर मोहल्ले से एक पॉलीटेक्निक छात्र को गिरफ्तार किया है, जो एक बड़ा हथियार तस्कर निकला। इस छात्र के पास से एक ऑटोमैटिक पिस्टल, दो मैगजीन और कुछ कारतूस मिले हैं। पुलिस ने बताया है कि इस हथियार बेचने वाले गिरोह का मुख्य सरगना न्यूज़ीलैंड में बैठकर ये सारा काम चला रहा था। यह गिरफ्तारी उत्तराखंड में अवैध हथियार बेचने वाले गिरोहों के लिए एक बड़ा झटका है। एसटीएफ के बड़े अफसर नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि उनकी टीम को काफी समय से उत्तराखंड में अवैध हथियारों की जानकारी मिल रही थी। इस पर काम करते हुए, इंस्पेक्टर एमपी सिंह की टीम ने आईटीआई थाना पुलिस के साथ मिलकर योजना बनाई। आर्य नगर में छापा, हर्ष शर्मा गिरफ्तार एसएसपी भुल्लर ने बताया कि पक्की जानकारी मिलने के बाद सोमवार रात को मोहल्ला आर्य नगर की डॉ. सिंह वाली गली में छापा मारा गया। वहां से हर्ष शर्मा नाम के एक शख्स को पकड़ा गया। जब उसकी तलाशी ली गई तो उसके पास से एक नई ऑटोमैटिक पिस्टल, दो मैगजीन और .32 बोर के कारतूस मिले। पुलिस के मुताबिक, हर्ष शर्मा पर पहले से ही इनाम घोषित था, जिससे पता चलता है कि वह कितना खतरनाक अपराधी था। हथियार बेचने वाला छात्र निकला पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि गिरफ्तार आरोपी हर्ष शर्मा एक पॉलीटेक्निक कॉलेज में सिविल ट्रेड का छात्र है। यह बात हैरान करने वाली है कि एक पढ़ा-लिखा छात्र हथियारों के ऐसे अवैध धंधे में शामिल था। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि वह इस गिरोह से कैसे जुड़ा और कब से ये काम कर रहा है। एसटीएफ के सूत्रों ने बताया कि हर्ष शर्मा सिर्फ हथियारों को आगे पहुंचाने का काम कर रहा था। इस पूरे धंधे का असली मुखिया न्यूज़ीलैंड में बैठा है। यह एक मुश्किल चुनौती है क्योंकि विदेश में बैठे अपराधी तक पहुंचना आसान नहीं होता। एसटीएफ अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी मदद लेने के बारे में सोच रही है। आगे की जांच और अपील पुलिस ने बताया कि यह गिरोह सिर्फ उत्तराखंड में ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों में भी अवैध हथियार बेचता था। पकड़ी गई पिस्टल की जांच की जाएगी ताकि पता चले कि इसका इस्तेमाल किसी अपराध में तो नहीं हुआ है। पुलिस हर्ष शर्मा से पूछताछ कर रही है ताकि इस गिरोह के बाकी साथियों, हथियारों के स्रोत और खरीदारों के बारे में जानकारी मिल सके। उम्मीद है कि उसकी मदद से और भी लोग पकड़े जाएंगे। एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने कहा कि एसटीएफ उत्तराखंड को अपराध-मुक्त बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने जनता से भी अपील की कि अगर उन्हें किसी भी अवैध काम या संदिग्ध व्यक्ति के बारे में कोई जानकारी मिले, तो तुरंत पुलिस या एसटीएफ को बताएं। जानकारी देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा। यह गिरफ्तारी उत्तराखंड में अवैध हथियारों के फैलने को रोकने में एक बड़ा कदम है। ऐसे गिरोह युवाओं को गुमराह कर गलत रास्ते पर ले जाते हैं, जिससे समाज में डर का माहौल बनता है। एसटीएफ और पुलिस की यह कार्रवाई दिखाती है कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अपराधियों को पकड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उम्मीद है कि इस मामले में आगे और भी बड़े खुलासे होंगे।

काशीपुर में STF का बड़ा खुलासा: पॉलीटेक्निक छात्र निकला हथियार तस्कर, गैंग का सरगना न्यूज़ीलैंड में!

काशीपुर, 16 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा) — उत्तराखंड की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने काशीपुर की आईटीआई थाना पुलिस के साथ मिलकर एक बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने आर्य नगर मोहल्ले से एक पॉलीटेक्निक छात्र को गिरफ्तार किया है, जो एक बड़ा हथियार तस्कर निकला। इस छात्र के पास से एक ऑटोमैटिक पिस्टल, दो…

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देहरादून, 15 जुलाई 2025 (समय बोल रहा): उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा विभाग में जल्द ही सैकड़ों युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलने जा रहे हैं। विभाग समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत 1556 संविदा पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरने की तैयारी में है। इस महत्वपूर्ण पहल को लेकर विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को एक माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के सख्त निर्देश दिए हैं, जिससे प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ बेरोजगारी कम करने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया जा सके। विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज अपने शासकीय आवास पर समग्र शिक्षा के तहत स्वीकृत संविदा पदों पर भर्ती को लेकर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक के बाद मीडिया को जारी एक बयान में उन्होंने बताया कि प्रदेश में शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से समग्र शिक्षा के तहत रिक्त पदों को शीघ्रता से भरा जाएगा। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इन पदों पर भर्ती के लिए प्रयाग पोर्टल के माध्यम से आउटसोर्स एजेंसी का चयन पहले ही कर लिया गया है, जिससे भर्ती प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। विभिन्न संवर्गों में 1556 पद स्वीकृत राज्य समग्र शिक्षा परियोजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित विभिन्न संवर्गों में कुल 1556 पद स्वीकृत किए गए हैं। इन पदों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए 161 विशेष शिक्षक शामिल हैं, जो समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, प्रशासनिक और वित्तीय कार्यों को सुचारु रूप से चलाने के लिए 324 लेखाकार-सह-सपोर्टिंग स्टाफ के पद भी भरे जाएंगे। युवाओं को सही करियर मार्गदर्शन देने के लिए 95 करियर काउंसलर की नियुक्ति की जाएगी, जो छात्रों को उनके भविष्य के लिए उचित दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे। डिजिटल शिक्षा और डेटा प्रबंधन को मजबूत करने के लिए विद्या समीक्षा केंद्र के 18 पदों पर भी भर्ती होगी। इसके अतिरिक्त, मनोविज्ञानी, मैनेजर (आईसीटी) और मैनेजर (ट्रेनिंग) के एक-एक महत्वपूर्ण पद भी आउटसोर्सिंग के जरिए भरे जाएंगे। मंत्री डॉ. रावत ने स्पष्ट किया कि इन सभी पदों पर युवाओं को मेरिट के आधार पर भर्ती किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता दी जा सके। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को एक माह के भीतर इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं, ताकि शैक्षणिक सत्र में बिना किसी देरी के नए कर्मी अपना योगदान दे सकें। बीआरपी-सीआरपी के 955 पदों पर अंतिम चरण में भर्ती डॉ. धन सिंह रावत ने यह भी बताया कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) और सीआरपी (क्लस्टर रिसोर्स पर्सन) के 955 पदों पर भर्ती प्रक्रिया पहले से ही अंतिम चरण में है। इन पदों पर चयनित युवाओं की तैनाती त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-2025 के दृष्टिगत राज्य में लागू आदर्श आचार संहिता समाप्त होते ही कर दी जाएगी। उन्होंने आउटसोर्स एजेंसी को निर्देश दिए हैं कि काउन्सिलिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से संपादित किया जाए। साथ ही, चयनित अभ्यर्थियों को उनके मण्डल और गृह विकासखंड के अनुरूप तैनाती में वरीयता दी जाए, ताकि उन्हें अपने गृह क्षेत्र के करीब काम करने का अवसर मिल सके। इससे न केवल कर्मचारियों को सुविधा होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर शिक्षा व्यवस्था को समझने और उसमें योगदान देने में भी मदद मिलेगी। शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार पर जोर शिक्षा विभाग का यह कदम प्रदेश में शैक्षणिक गतिविधियों में सुधार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इन भर्तियों से विद्यालयों में स्टाफ की कमी दूर होगी, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षण-अधिगम वातावरण मिल पाएगा। विशेष शिक्षकों की नियुक्ति से दिव्यांग बच्चों की शिक्षा में आ रही बाधाएं कम होंगी, वहीं करियर काउंसलर छात्रों को सही दिशा देने में सहायक होंगे। लेखाकार और अन्य सहायक स्टाफ की नियुक्ति से प्रशासनिक कार्य अधिक सुचारु और कुशल बनेंगे। बैठक में सुश्री दीप्ति सिंह, राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड, कुलदीप गैरोला, अपर राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड, अजीत भण्डारी, उप राज्य परियोजना निदेशक, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड, भगवती प्रसाद मैन्दोली, स्टॉफ ऑफिसर, समग्र शिक्षा उत्तराखण्ड के साथ-साथ चयनित आउटसोर्स एजेंसी के प्रतिनिधि मोर सिंह व हरिओम भी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने मंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने और भर्ती प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का आश्वासन दिया। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो न केवल युवाओं को रोजगार प्रदान करेगी, बल्कि उत्तराखंड के शिक्षा परिदृश्य को मजबूत करने में भी सहायक सिद्ध होगी। इन नियुक्तियों के बाद, उम्मीद है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का स्तर और भी बेहतर होगा, जिसका सीधा लाभ हजारों छात्रों को मिलेगा।

उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में 1556 पदों पर आउटसोर्सिंग से होगी भर्ती, हजारों युवाओं को मिलेगा रोजगार

देहरादून, 15 जुलाई 2025 (समय बोल रहा): उत्तराखंड के विद्यालयी शिक्षा विभाग में जल्द ही सैकड़ों युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलने जा रहे हैं। विभाग समग्र शिक्षा अभियान के तहत स्वीकृत 1556 संविदा पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरने की तैयारी में है। इस महत्वपूर्ण पहल को लेकर विभागीय मंत्री ने अधिकारियों…

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बाजपुर, 15 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा ) : वन विभाग और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार को बाजपुर-हल्द्वानी मार्ग पर स्थित एक अमरूद के बगीचे में छापेमारी कर खैर की 11 गिल्टे (गोल लट्ठे) बरामद किए हैं। इस अवैध लकड़ी की अनुमानित कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है। मौके से एक बड़ा तराजू भी बरामद हुआ है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अवैध रूप से काटी गई इस लकड़ी को यहीं पर तौलकर बेचने की तैयारी चल रही थी। हालांकि, छापेमारी दल के पहुंचने से पहले ही आरोपी मौके से फरार होने में सफल रहा, जिसकी तलाश में अब सघन अभियान चलाया जा रहा है। मुखबिर की सूचना पर हुई कार्रवाई यह कार्रवाई वन विभाग को मिली एक खुफिया सूचना के आधार पर की गई। मुखबिर ने बताया था कि हल्द्वानी रोड पर स्थित एक निजी अमरूद के बाग में खैर की भारी मात्रा में अवैध लकड़ी का भंडारण किया गया है, और जल्द ही इसे ठिकाने लगाने की योजना है। सूचना की गंभीरता को देखते हुए, वन विभाग के अधिकारियों ने तत्काल एसओजी टीम के साथ समन्वय स्थापित किया और सोमवार दोपहर बाद बगीचे पर छापा मारने का निर्णय लिया गया। छापेमारी दल जब बगीचे के भीतर दाखिल हुआ, तो उन्हें पेड़ों के झुरमुट में सावधानी से छिपाकर रखे गए खैर के विशालकाय 11 गिल्टे मिले। इन गिल्टों का आकार और गुणवत्ता यह दर्शाती है कि यह लकड़ी काफी मूल्यवान है। एसओजी प्रभारी अशोक टम्टा ने समय बोल रहा को जानकारी देते हुए बताया, "हमें मिली सटीक सूचना पर यह सफल कार्रवाई की गई है। बरामद की गई खैर की लकड़ी की गुणवत्ता काफी अच्छी है, और हमने इसकी कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपये निर्धारित की है। यह लकड़ी अवैध रूप से काटी गई प्रतीत होती है, और इसकी तस्करी की तैयारी थी।" तस्करी के संकेत और आगे की जांच टम्टा ने आगे स्पष्ट किया, "बरामद लकड़ी के साथ जो तराजू मिला है, वह यह दर्शाता है कि मौके पर ही खरीद-फरोख्त की जा रही थी। हालांकि, हमारे पहुंचने से पहले ही संदिग्ध व्यक्ति फरार हो गया। बरामद खैर की लकड़ी और तराजू को रामनगर स्थित वन विभाग की वर्कशॉप में सुरक्षित रखवा दिया गया है। हम फरार आरोपी की पहचान और उसकी गिरफ्तारी के लिए विभिन्न स्तरों पर जांच कर रहे हैं।" खैर का पेड़ (Acacia catechu) अपनी अत्यंत मूल्यवान लकड़ी के लिए जाना जाता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से कत्था निर्माण, टिकाऊ फर्नीचर, कृषि उपकरण और औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। इसकी धीमी वृद्धि दर और उच्च आर्थिक मूल्य के कारण, खैर की अवैध कटाई और तस्करी उत्तराखंड सहित देश के कई हिस्सों में एक गंभीर पर्यावरणीय और कानूनी चुनौती बनी हुई है। अवैध रूप से खैर काटना न केवल वनों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि जैव विविधता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। वन विभाग की अपील और चुनौती वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में वन संपदा की सुरक्षा के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। अवैध लकड़ी के व्यापार में शामिल सिंडिकेट को तोड़ने के लिए खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है और ऐसे मामलों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाती है। इस विशेष मामले में, जांच दल अब आसपास के क्षेत्रों में सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा है और स्थानीय मुखबिरों से और जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहा है ताकि फरार आरोपी को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके। यह भी पता लगाया जा रहा है कि यह लकड़ी कहां से लाई गई थी और इसका अंतिम गंतव्य क्या था। स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों ने वन विभाग की इस कार्रवाई का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि आरोपी को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने सरकार और प्रशासन से वन कानूनों को और मजबूत करने तथा अवैध कटाई को रोकने के लिए निगरानी प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की अपील की है। यह घटना एक बार फिर इस बात पर प्रकाश डालती है कि उत्तराखंड के वन संसाधनों को बचाने के लिए निरंतर सतर्कता और समुदाय की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।

बाजपुर में 11 गिल्टे खैर की अवैध लकड़ी बरामद; वन विभाग और एसओजी की संयुक्त कार्रवाई, आरोपी फरार

बाजपुर, 15 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा ) : वन विभाग और विशेष अभियान समूह (एसओजी) की एक संयुक्त टीम ने सोमवार को बाजपुर-हल्द्वानी मार्ग पर स्थित एक अमरूद के बगीचे में छापेमारी कर खैर की 11 गिल्टे (गोल लट्ठे) बरामद किए हैं। इस अवैध लकड़ी की अनुमानित कीमत डेढ़ लाख रुपये आंकी गई है।…

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देहरादून, 14 जुलाई 2025 ( समय बोल रहा )– उत्तराखंड में पंचायत उपचुनावों को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में आज एक बड़ा फैसला आया, जिससे चुनावी प्रक्रिया में आई अनिश्चितता समाप्त हो गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (चुनाव चिन्ह) आवंटन की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से बहाल कर दिया है। न्यायालय ने न केवल आयोग को कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी, बल्कि इस तरह के चुनाव को 'सुचारू रूप से जारी रखने' की मंजूरी भी दी, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव प्रक्रिया अब नहीं रुकेगी। बीते दिन की अनिश्चितता और आज का फैसला दरअसल, रिट याचिका संख्या 503 (एम०बी०) 2025 – शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य में 11 जुलाई 2025 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद, आयोग के सामने कुछ कानूनी स्पष्टता की आवश्यकता थी। इसी कारण, आयोग ने 13 जुलाई 2025 को आदेश संख्या 1759 के माध्यम से, 14 जुलाई 2025 को होने वाली प्रतीक आवंटन की कार्यवाही को दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था। राज्य भर के उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और आम जनता की नजरें हाई कोर्ट पर टिकी थीं, क्योंकि इस फैसले पर ही चुनाव का भविष्य टिका था। आज, 14 जुलाई 2025 को हुई सुनवाई में, माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य निर्वाचन आयोग को स्पष्ट निर्देश दिए। न्यायालय ने आयोग को आश्वस्त किया कि वह निर्धारित चुनावी प्रक्रिया को जारी रख सकता है। न्यायालय के इस रुख के बाद, निर्वाचन आयोग ने बिना किसी देरी के, चुनाव चिन्ह आवंटन के लिए संशोधित कार्यक्रम जारी कर दिया। संशोधित कार्यक्रम जारी: आज ही शुरू हुआ काम, कल भी जारी रहेगा उच्च न्यायालय से निर्देश प्राप्त होते ही, राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड ने एक संशोधित आदेश जारी किया। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि: आज 14 जुलाई 2025 को दोपहर 2:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक निर्वाचन प्रतीक आवंटन की कार्यवाही संचालित की जाएगी। शेष निर्वाचन प्रतीक आवंटन की प्रक्रिया 15 जुलाई 2025 को प्रातः 8:00 बजे से कार्य समाप्ति तक पूरी कराई जाएगी। इस फैसले ने उन हजारों उम्मीदवारों के लिए बड़ी राहत लाई है, जो पिछले 24 घंटों से अनिश्चितता के दौर में थे। प्रतीक आवंटन के बिना, वे अपनी चुनाव प्रचार सामग्री जैसे पोस्टर, बैनर और पैम्फलेट नहीं बनवा पा रहे थे, जिससे उनकी तैयारियों में बाधा आ रही थी। अब प्रक्रिया फिर से शुरू होने से उनके अभियान में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। आयोग ने अधिकारियों को दिए तत्काल निर्देश राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना (संशोधित) संख्या 1303, दिनांक 28 जून 2025 को इस सीमा तक संशोधित माना है, जिसका सीधा अर्थ है कि केवल प्रतीक आवंटन का कार्यक्रम बदला है, बाकी सभी चुनावी प्रक्रियाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही संपन्न कराई जाएंगी। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया अब बिना किसी रुकावट के चलेगी। यह आदेश समस्त जिलाधिकारियों, उप जिला निर्वाचन अधिकारियों, सचिव पंचायतीराज एवं संबंधित अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से भेज दिया गया है ताकि जमीनी स्तर पर भी किसी तरह का कोई भ्रम न रहे और पंचायत चुनावों की प्रक्रिया पारदर्शी, निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से पूरी की जा सके। यह कदम यह भी दर्शाता है कि प्रशासन और न्यायपालिका के बीच बेहतरीन समन्वय है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत किया जा रहा है। कानूनी प्रक्रिया और लोकतंत्र की जीत यह पूरा घटनाक्रम यह साबित करता है कि भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। भले ही एक याचिका के कारण कुछ समय के लिए चुनावी प्रक्रिया रुकी, लेकिन यह सुनिश्चित किया गया कि पूरी प्रक्रिया कानूनी रूप से सही और न्यायसंगत हो। उच्च न्यायालय ने भी मामले की गंभीरता को समझते हुए जल्द सुनवाई की और स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए, जिससे चुनाव में देरी नहीं हुई। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के हित में है। अब वे अपने अभियान को बिना किसी कानूनी डर के आगे बढ़ा सकते हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में चुनाव प्रचार में तेजी आएगी और मतदाता भी पूरे उत्साह के साथ मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे। इस कानूनी उलझन का समाधान होने के बाद, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी माहौल फिर से गरमा गया है। अब सभी की निगाहें 15 जुलाई की सुबह पर टिकी हैं, जब शेष उम्मीदवारों को उनके चुनाव चिन्ह आवंटित होंगे और वे पूरी ताकत के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे।

ब्रेकिंग न्यूज़: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव को हाईकोर्ट की मंजूरी, अब नहीं रुकेगा चुनाव चिन्ह आवंटन

देहरादून, 14 जुलाई 2025 ( समय बोल रहा )– उत्तराखंड में पंचायत उपचुनावों को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में आज एक बड़ा फैसला आया, जिससे चुनावी प्रक्रिया में आई अनिश्चितता समाप्त हो गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बाद, राज्य निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन प्रतीक (चुनाव चिन्ह) आवंटन की प्रक्रिया को…

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काशीपुर, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – पत्रकारिता के मूल्यों को स्थापित करने, पत्रकारों के हितों की रक्षा करने और उन्हें एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आज काशीपुर में 'पत्रकार प्रेस परिषद भारत' की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में हुई इस बैठक में परिषद की काशीपुर इकाई का विधिवत गठन किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से विभिन्न पदों पर पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई। बैठक की अध्यक्षता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने की, जिनकी उपस्थिति में संगठन के विस्तार को लेकर महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। अध्यक्ष पद पर अजय सक्सेना का मनोनयन, जिला स्तर पर भी काशीपुर का दबदबा बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष अशोक गुलाटी ने काशीपुर इकाई के अध्यक्ष पद के लिए अजय कुमार सक्सेना के नाम का मनोनयन किया। अजय सक्सेना के नाम की घोषणा होते ही सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, जिससे पता चलता है कि यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था। प्रदेश अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि काशीपुर पत्रकारिता का एक मह

काशीपुर में पत्रकार प्रेस परिषद भारत की नई इकाई का गठन: अजय सक्सेना बने अध्यक्ष, प्रकाश जोशी को मिली जिला सचिव की जिम्मेदारी

काशीपुर, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – पत्रकारिता के मूल्यों को स्थापित करने, पत्रकारों के हितों की रक्षा करने और उन्हें एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आज काशीपुर में ‘पत्रकार प्रेस परिषद भारत’ की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में हुई इस बैठक में परिषद…

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देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला नैनीताल स्थित उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए एक आदेश के बाद लिया है, जिससे चुनावी मैदान में उतरे हजारों प्रत्याशियों के लिए अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। उक्त आदेश जारी करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट, उत्तराखंड, नैनीताल में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। यह याचिका शक्ति सिंह बर्थवाल बनाम राज्य निर्वाचन आयोग एवं अन्य के नाम से योजित थी। माननीय न्यायालय ने इस पर सुनवाई करते हुए दिनांक 11 जुलाई, 2025 को एक आदेश पारित किया था। आयोग के अनुसार, इस आदेश के कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता (clarification) प्राप्त करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तराखंड द्वारा न्यायालय में एक प्रार्थना-पत्र दाखिल किया गया है। आयोग का यह कदम कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के लिए लिया गया है, और इस पर हाईकोर्ट में 14 जुलाई, 2025 को पूर्वाह्न में सुनवाई होनी नियत हुई है। चूंकि चुनाव चिन्हों का आवंटन और अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं इसी के बाद होनी थीं, इसलिए राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया कि जब तक न्यायालय से कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिल जाता, तब तक चुनाव चिन्ह आवंटन का कार्य रोक दिया जाए। मैदान में उतरे उम्मीदवारों की रणनीति पर 'ब्रेक' चुनाव चिन्हों का आवंटन स्थगित होने से चुनावी मैदान में उतरे सभी उम्मीदवारों की रणनीति पर अचानक 'ब्रेक' लग गया है। चुनाव चिन्ह मिलने के बाद ही कोई भी उम्मीदवार अपने प्रचार अभियान को अंतिम रूप देता है। यह चिन्ह ही उसके पोस्टर, बैनर, और डोर-टू-डोर कैंपेन का मुख्य आधार होता है। कई उम्मीदवारों ने तो चुनाव चिन्ह मिलने की तारीख को देखते हुए पहले ही पोस्टर और अन्य प्रचार सामग्री का डिजाइन तैयार करवा लिया था। एक स्थानीय उम्मीदवार, जो अपनी पहचान गुप्त रखना चाहते थे, ने बताया, "हम सब कल के दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हमने अपने समर्थकों को भी तैयार रहने को कहा था। यह खबर हमारे लिए एक बड़ा झटका है। हमें नहीं पता कि अब हम आगे क्या करें।" एक अन्य प्रत्याशी ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस अनिश्चितता से न केवल उनका समय बर्बाद हो रहा है, बल्कि चुनाव प्रचार में लगाया गया उनका पैसा भी अधर में लटक गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कानूनी चुनौती चुनाव आयोग की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम है। उनका कहना है कि याचिका में शायद वार्डों के आरक्षण, मतदाता सूची या अन्य प्रक्रियात्मक खामियों को लेकर सवाल उठाए गए होंगे। हालांकि, इससे जमीनी स्तर पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए बहुत परेशानी हो रही है। न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका: निष्पक्ष चुनाव की गारंटी यह घटना एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। भले ही यह कदम चुनावी प्रक्रिया में देरी कर रहा हो, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि पूरा चुनाव निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हो। राज्य निर्वाचन आयोग ने भी जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के बजाय, न्यायालय से स्पष्टता मांगकर एक सही और कानूनी रूप से मजबूत रास्ता चुना है। इससे भविष्य में किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने में आसानी होगी। अब सभी की निगाहें सोमवार सुबह हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस सुनवाई का परिणाम ही यह तय करेगा कि उत्तराखंड में पंचायत चुनावों का अगला कदम क्या होगा। अगर हाईकोर्ट आयोग के स्पष्टीकरण से संतुष्ट होता है और उसे आगे बढ़ने की अनुमति देता है, तो चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन अगर न्यायालय कोई नया आदेश देता है या किसी विशेष प्रक्रिया में सुधार के लिए कहता है, तो चुनाव की पूरी समय-सारणी में बदलाव हो सकता है। फिलहाल, चुनाव चिन्हों की प्रतीक्षा कर रहे हजारों उम्मीदवार, उनके समर्थक और राजनीतिक दल सभी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। चुनाव की रणभेरी कुछ समय के लिए शांत हो गई है और सभी उम्मीदवार न्याय के देवता के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना बताती है कि पंचायत चुनाव, जो अक्सर ग्रामीण राजनीति का सबसे बड़ा महोत्सव माना जाता है, अब कानूनी और तकनीकी पेचीदगियों से भी प्रभावित होने लगा है।

उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया थमी: हाईकोर्ट के आदेश पर चुनाव चिन्ह आवंटन स्थगित, अनिश्चितता के घेरे में हजारों प्रत्याशी

देहरादून 13 जुलाई, 2025 (समय बोल रहा)– उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने चुनावी प्रक्रिया को फिलहाल के लिए रोक दिया है। कल यानी 14 जुलाई, 2025 को होने वाला चुनाव चिन्ह का आवंटन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला…

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पटना, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – बिहार की राजधानी पटना के पुनपुन प्रखंड में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रभावशाली नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, बल्कि पूरे इलाके में भय और तनाव का माहौल भी पैदा कर दिया है। मृतक की पहचान भाजपा किसान मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र केवट के रूप में हुई है, जिन्हें बाइक सवार दो अज्ञात हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया। दिनदहाड़े वारदात: खेत पर गए थे, घात लगाकर किया हमला यह वारदात उस समय हुई जब सुरेंद्र केवट अपने पुनपुन स्थित खेत पर लगे मोटर को बंद करने के लिए गए थे। यह उनका रोजमर्रा का काम था, जिसकी उन्हें शायद ही कोई आशंका रही होगी। इसी दौरान, एक मोटरसाइकिल पर सवार दो अज्ञात बदमाश घात लगाकर वहाँ पहुँचे। उन्होंने बिना किसी चेतावनी के सुरेंद्र केवट पर ताबड़तोड़ चार गोलियां चला दीं। गोलियों की आवाज सुनकर आसपास के लोग मौके की ओर दौड़े, लेकिन तब तक हमलावर बड़ी फुर्ती से वारदात को अंजाम देकर फरार हो चुके थे। गंभीर रूप से घायल सुरेंद्र केवट खून से लथपथ जमीन पर पड़े थे। उन्हें तुरंत स्थानीय लोगों और परिजनों की मदद से इलाज के लिए पटना एम्स ले जाया गया। हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन शरीर में अधिक खून बह जाने और गंभीर चोटों के कारण इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। इस खबर के मिलते ही, उनके समर्थकों और परिजनों में कोहराम मच गया और अस्पताल परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई। पुलिस की जांच शुरू: सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस में हड़कंप मच गया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुँचे और मामले की गहन छानबीन शुरू कर दी। पुलिस ने सुरेंद्र केवट की हत्या के संबंध में अज्ञात हमलावरों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि किसी भी तरह के तनाव या अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमलावरों की पहचान के लिए घटनास्थल और उसके आस-पास लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। इसके अलावा, पुलिस आसपास के लोगों से भी पूछताछ कर रही है, जो घटना के समय मौजूद थे। पुलिस का मानना है कि सीसीटीवी फुटेज और मुखबिरों से मिली जानकारी के आधार पर जल्द ही हमलावरों तक पहुंचा जा सकेगा और उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। आपसी रंजिश या राजनीतिक दुश्मनी: हत्या के पीछे की वजह? सुरेंद्र केवट की हत्या को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। पुलिस की शुरुआती जांच में आपसी रंजिश या राजनीतिक दुश्मनी को हत्या की मुख्य वजह माना जा रहा है। सुरेंद्र केवट का अपने इलाके में सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव काफी मजबूत था। वे भाजपा के एक सक्रिय और लोकप्रिय नेता थे, जिनकी पहुँच जमीनी स्तर तक थी। उनकी यह सक्रियता कुछ लोगों के लिए परेशानी का सबब हो सकती थी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पंचायत या अन्य स्थानीय चुनावों में किसी तरह की प्रतिद्वंदिता इस जघन्य अपराध की वजह हो सकती है। वहीं, कुछ लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि यह मामला किसी पुराने विवाद या आपसी दुश्मनी का परिणाम हो सकता है। पुलिस दोनों ही पहलुओं पर गहराई से जांच कर रही है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सभी सबूतों को जुटा रही है। भाजपा में आक्रोश: प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग सुरेंद्र केवट की हत्या की खबर मिलते ही भाजपा के स्थानीय और प्रदेश स्तर के नेताओं में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस वारदात को लेकर प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है और दोषियों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इस हत्या की निंदा की है और इसे बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का एक और उदाहरण बताया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि एक ऐसे नेता की हत्या जो अपने खेत पर काम करने गया था, यह दर्शाता है कि अपराधियों में कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने और अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए पुलिस पर दबाव बनाया है। इलाके में भय का माहौल, सुरक्षा पर गहराया संकट सुरेंद्र केवट जैसे एक प्रभावशाली और जाने-माने व्यक्ति की हत्या से पूरे पुनपुन प्रखंड में भय का माहौल बना हुआ है। लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और उनमें सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है। यह घटना आम लोगों के मन में यह सवाल खड़ा करती है कि जब एक राजनीतिक नेता दिनदहाड़े सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक की क्या स्थिति होगी? फिलहाल, पुलिस की टीमें इस मामले की जांच में जुटी हुई हैं और उम्मीद है कि जल्द ही हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जब तक अपराधी पकड़े नहीं जाते, तब तक सुरेंद्र केवट के परिवार, भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता के मन में यह आशंका बनी रहेगी कि इस हत्या के पीछे का सच क्या है और क्या यह एक सोची-समझी साजिश थी। यह घटना बिहार की कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है, जिसका समाधान प्रशासन को जल्द से जल्द करना होगा।

सनसनी: भाजपा नेता की गोली मारकर हत्या! जांच में आपसी रंजिश’ और ‘राजनीतिक दुश्मनी’ की आशंका, आरोपियों की तलाश तेज

पटना, 13 जुलाई, 2025 – (समय बोल रहा ) – बिहार की राजधानी पटना के पुनपुन प्रखंड में शुक्रवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रभावशाली नेता की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में खलबली मचा दी है, बल्कि…

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