उत्तराखण्ड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव: मतदाता सूची की गंभीर त्रुटियों से मतदाताओं को करना पड़ा भारी परेशानी का सामना; नाम गायब मिलने पर फूटा रोष

जसपुर, 30 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के मतदान के बाद, अब सभी की निगाहें मतगणना पर टिकी हैं। इसी कड़ी में, जसपुर विकास खंड में मतगणना की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। निष्पक्ष और पारदर्शी मतगणना सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने टेबल-वार बूथ सूची जारी कर दी है, जिसमें प्रत्येक मतगणना टेबल पर किस बूथ के मतों की गिनती की जाएगी, इसका विस्तृत विवरण दिया गया है। यह सूची मतगणना प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और त्रुटिरहित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पारदर्शिता के लिए जारी हुई विस्तृत सूची त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, ग्रामीण लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इन चुनावों में प्रत्येक मत का महत्व होता है, और मतगणना प्रक्रिया की पारदर्शिता पर ही पूरे चुनाव की विश्वसनीयता निर्भर करती है। इसी सिद्धांत का पालन करते हुए, जसपुर विकास खंड प्रशासन ने मतगणना के लिए एक विस्तृत और स्पष्ट बूथ-वार सूची तैयार की है। इस सूची में प्रत्येक मतगणना टेबल के लिए निर्धारित बूथ नंबरों का उल्लेख है, जिससे प्रत्याशियों और उनके मतगणना एजेंटों को यह जानने में आसानी होगी कि उनके बूथ के मतों की गिनती किस टेबल पर और किस चरण में की जाएगी। यह कदम मतगणना प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के संदेह या भ्रम को दूर करने में सहायक होगा। जसपुर ब्लॉक में 181 बूथों के लिए 26 टेबलें निर्धारित: जानें किस गाँव की गिनती कब और कहाँ जारी की गई सूची के अनुसार, जसपुर विकास खंड के अंतर्गत कुल 181 बूथों के मतों की गिनती की जाएगी। इन बूथों के लिए मतगणना स्थल पर 26 टेबलें निर्धारित की गई हैं। मतगणना प्रक्रिया को कई चरणों (राउंड) में पूरा किया जाएगा, ताकि भारी संख्या में मतों की गिनती को व्यवस्थित तरीके से संपन्न किया जा सके। यह विस्तृत व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि वोटों की गिनती में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी या गड़बड़ी की संभावना न रहे। प्रत्येक टेबल पर मतगणना कर्मियों की एक टीम तैनात रहेगी, जो कड़ी निगरानी में मतों की गिनती का कार्य करेगी। मतगणना का विस्तृत कार्यक्रम (कुछ प्रमुख उदाहरण): राउंड - 1: टेबिल न० 1: बूथ न० 1 टेबिल न० 3: बूथ न० 2, 3 टेबिल न० 5: बूथ न० 4, 5 टेबिल न० 6: बूथ न० 6 टेबिल न० 7: बूथ न० 7 टेबिल न० 9: बूथ न० 8, 9 टेबिल न० 10: बूथ न० 10 टेबिल न० 11: बूथ न० 11 टेबिल न० 15: बूथ न० 12, 13, 14, 15 टेबिल न० 16: बूथ न० 16 टेबिल न० 17: बूथ न० 17 टेबिल न० 21: बूथ न० 18, 19, 20, 21 टेबिल न० 24: बूथ न० 22, 23, 24 टेबिल न० 25: बूथ न० 25 टेबिल न० 26: बूथ न० 26 ग्राम पंचायतें शामिल: हजीरो, वीरपुरी, पतरामपुर, भोगपुर जसपुर, मनोरथपुर प्रथम, बढियोवाला, आमका, मेघावाला, रामनगर बन। राउंड - 2: टेबिल न० 2: बूथ न० 27, 28 टेबिल न० 4: बूथ न० 29, 30 टेबिल न० 6: बूथ न० 31, 32 टेबिल न० 7: बूथ न० 33 टेबिल न० 10: बूथ न० 34, 35, 36 टेबिल न० 11: बूथ न० 37 टेबिल न० 14: बूथ न० 38, 39, 40, 41 टेबिल न० 16: बूथ न० 42 टेबिल न० 17: बूथ न० 43 टेबिल न० 19: बूथ न० 44, 45 टेबिल न० 20: बूथ न० 46 टेबिल न० 22: बूथ न० 47, 48, 49 टेबिल न० 24: बूथ न० 50 टेबिल न० 26: बूथ न० 51, 52 ग्राम पंचायतें शामिल: रामनगर वन, भगवन्तपुर, निवारमुण्डी, मण्डुआखेड़ा, गूलरगोजी, उमरपुर, अंगदपुर, रायपुर पटटी दिल्ला। राउंड - 3: टेबिल न० 1: बूथ न० 53 टेबिल न० 2: बूथ न० 54 टेबिल न० 4: बूथ न० 55, 56 टेबिल न० 5: बूथ न० 57 टेबिल न० 7: बूथ न० 58, 59 टेबिल न० 8: बूथ न० 60 टेबिल न० 11: बूथ न० 61, 62, 63 टेबिल न० 12: बूथ न० 64 टेबिल न० 13: बूथ न० 65 टेबिल न० 14: बूथ न० 66 टेबिल न० 15: बूथ न० 67 टेबिल न० 16: बूथ न० 68, 69 टेबिल न० 18: बूथ न० 70 टेबिल न० 19: बूथ न० 71 टेबिल न० 21: बूथ न० 72, 73, 7 टेबिल न० 22: बूथ न० 74, 75 टेबिल न० 24: बूथ न० 76 टेबिल न० 26: बूथ न० 77, 78 ग्राम पंचायतें शामिल: दिल्ला पटटी, धर्मपुर, पूरनपुर, नादेही, आसपुर, राजपुर, गढ़ीहुसैन, कलियावाला, कासमपुर। (नोट: यह सूची केवल कुछ प्रमुख राउंड और ग्राम पंचायतों का उदाहरण है। पूरी सूची में सभी 181 बूथों और संबंधित ग्राम पंचायतों का विस्तृत विवरण शामिल है, जो राउंड 7 तक जारी रहेगा, जिसमें मिस्सरवाला, बक्सौरा, गणेशपुर, करनपुर, बैतवाला, नवलपुर, किलावली, बैलजूड़ी जैसे गाँव भी शामिल होंगे।) प्रशासनिक मुस्तैदी: शांतिपूर्ण मतगणना सुनिश्चित करने पर जोर मतगणना दिवस पर किसी भी अप्रिय घटना से बचने और शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। मतगणना स्थल पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस बल की पर्याप्त तैनाती की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की भीड़भाड़ या अव्यवस्था को रोका जा सके। इसके साथ ही, मतगणना हॉल में प्रवेश के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं, जिसमें केवल अधिकृत व्यक्ति, जैसे प्रत्याशी, उनके एजेंट और चुनाव कर्मी ही प्रवेश कर सकेंगे। वरिष्ठ अधिकारी मतगणना प्रक्रिया की लगातार निगरानी करेंगे। मतगणना से पहले सभी मतगणना कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि वे नियमों के अनुसार और बिना किसी त्रुटि के अपना कार्य कर सकें। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मतपेटियों को स्ट्रांग रूम से मतगणना टेबल तक सुरक्षित लाया जाए और गिनती के बाद उन्हें पुनः सुरक्षित रखा जाए। लोकतंत्र के पर्व का अंतिम चरण मतगणना का दिन किसी भी चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण और रोमांचक चरण होता है। यह वह दिन होता है जब जनता के जनादेश का खुलासा होता है और नए जनप्रतिनिधि सामने आते हैं। जसपुर विकास खंड में जारी की गई यह टेबल-वार बूथ सूची, प्रशासन की पारदर्शिता और निष्पक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह कदम न केवल मतगणना प्रक्रिया को सुचारु बनाएगा, बल्कि प्रत्याशियों और आम जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगा कि उनके मतों की गिनती पूरी ईमानदारी और सटीकता से की जा रही है। अब सभी की निगाहें मतगणना दिवस पर टिकी हैं, जब जसपुर के ग्रामीण क्षेत्रों के नए नेतृत्व का निर्धारण होगा।

उत्तराखण्ड, 29 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए हुए मतदान के दौरान कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं को भारी निराशा और परेशानी का सामना करना पड़ा। चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता सूचियों में गंभीर त्रुटियां पाई गईं, जहाँ बड़ी संख्या में योग्य मतदाताओं के नाम सूची से गायब मिले, जिसके कारण वे अपने लोकतांत्रिक अधिकार, मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए। इन शिकायतों के सामने आने के बाद कई स्थानों पर मतदाताओं ने चुनाव अधिकारियों के प्रति गहरा रोष व्यक्त किया।


मतदान केंद्र पर उत्साह से पहुंचे मतदाताओं को करना पड़ा निराशा का सामना

मतदान का दिन लोकतंत्र का पर्व होता है, जिसमें हर नागरिक अपने चुने हुए प्रतिनिधि को चुनने के लिए उत्सुक होता है। गाँव-देहात में होने वाले पंचायत चुनाव तो और भी महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि ये सीधे स्थानीय विकास और सामुदायिक निर्णयों से जुड़े होते हैं। इसी उत्साह के साथ कई ग्रामीण मतदाता सुबह से ही अपने-अपने मतदान केंद्रों पर पहुंचे थे। उन्होंने लंबी कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार किया, लेकिन जब उनका नाम पुकारा गया और सूची में खोजा गया, तो उन्हें यह जानकर गहरा धक्का लगा कि उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज ही नहीं है।

कई मतदाताओं ने बताया कि वे सालों से उसी पते पर रह रहे हैं और उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भी मतदान किया था। उनके नाम पिछली मतदाता सूचियों में शामिल थे, लेकिन इस बार पंचायत चुनाव की सूची से वे रहस्यमय तरीके से गायब पाए गए। यह स्थिति उन मतदाताओं के लिए बेहद निराशाजनक थी, जिन्होंने अपने बहुमूल्य समय और ऊर्जा का निवेश कर मतदान केंद्र तक पहुंचने की जहमत उठाई थी।


नाम गायब मिलने पर मतदाताओं को झेलनी पड़ी परेशानी, फूटा गुस्सा

मतदान सूची से नाम गायब पाए जाने पर मतदाताओं का गुस्सा लाजमी था। कई स्थानों पर मतदाताओं ने खुले तौर पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और चुनाव अधिकारियों से जवाब मांगा। उनका तर्क था कि जब उनके नाम पिछली विधानसभा चुनाव की सूची में थे, तो पंचायत चुनाव की सूची से उन्हें कैसे हटाया जा सकता है, जबकि उन्होंने कोई पता नहीं बदला और न ही कोई अपडेशन के लिए अनुरोध किया था।

एक स्थानीय ग्रामीण ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, “हमारा नाम पहले से ही सूची में था। हम सालों से यहाँ वोट डालते आ रहे हैं। इस बार अचानक हमारा नाम कैसे गायब हो गया? यह हमारी आवाज को दबाने जैसा है।” ऐसे ही कई अन्य मतदाताओं ने भी अपनी निराशा व्यक्त की, जिन्होंने अपने नाम खोजने के लिए मतदान केंद्र के अंदर और बाहर घंटों इंतजार किया, लेकिन अंततः उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। यह स्थिति विशेषकर उन बुजुर्ग मतदाताओं के लिए और भी कठिन थी, जिन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचने में वैसे ही काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।


प्रशासनिक चूक या तकनीकी खामी?

मतदाता सूचियों में इस तरह की बड़ी संख्या में त्रुटियाँ और नामों का गायब होना निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता और दक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही का परिणाम है या फिर सूची अपडेट करने की प्रक्रिया में कोई तकनीकी खामी रही है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होती है कि वह प्रत्येक पात्र मतदाता का नाम सूची में सुनिश्चित करे और उसे मतदान का अवसर प्रदान करे। ऐसी त्रुटियां सीधे तौर पर मतदाताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनके विश्वास को कम कर सकती हैं।

इन शिकायतों के बाद, चुनाव अधिकारियों को तत्काल इस मामले की जांच करनी चाहिए और भविष्य में ऐसी त्रुटियों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। मतदाता सूचियों का शुद्धिकरण और उनका नियमित अद्यतन एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।


लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाली की चुनौती

इस घटना ने उन सभी मतदाताओं के मन में निराशा पैदा की है, जो अपनी स्थानीय सरकार चुनने के लिए उत्सुक थे। पंचायत चुनाव ग्रामीण स्तर पर लोकतंत्र की नींव होते हैं, और इनमें अधिकतम भागीदारी आवश्यक है। यदि मतदाता सूची में ही गड़बड़ी हो, तो यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मूल भावना को कमजोर करता है।

अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन इन शिकायतों पर क्या कार्रवाई करते हैं। मतदाताओं के गुस्से को शांत करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनके विश्वास को बहाल करने के लिए, अधिकारियों को न केवल त्रुटियों को स्वीकार करना होगा, बल्कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर जवाबदेही भी तय करनी होगी। भविष्य के चुनावों में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक मजबूत और त्रुटिरहित प्रणाली विकसित करना समय की मांग है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *