उत्तराखंड: जसपुर के नवलपुर में भाजपा की अंदरूनी कलह उजागर, पार्टी पदाधिकारी के खिलाफ वरिष्ठ नेता के प्रचार से कार्यकर्ताओं में आक्रोश


जसपुर, 18 जुलाई 2025 – (समय बोल रहा ) – उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की गहमागहमी के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। जसपुर के नवलपुर क्षेत्र पंचायत में बीडीसी (क्षेत्र पंचायत सदस्य) पद के लिए भाजपा के दो कार्यकर्ताओं के आमने-सामने होने के बाद, पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता द्वारा एक प्रत्याशी के खिलाफ और दूसरे के समर्थन में प्रचार करने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है। यह मामला अब पार्टी के भीतर अनुशासनहीनता और गुटबाजी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
नवलपुर की अनारक्षित सीट पर दो भाजपाई आमने-सामने
मामला क्षेत्र पंचायत नवलपुर में बीडीसी पद की अनारक्षित सीट से जुड़ा है। इस महत्वपूर्ण सीट से भाजपा के दो समर्पित कार्यकर्ता चुनावी मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। इनमें एक हैं गुरताज सिंह भुल्लर, जो भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य होने के साथ-साथ निवर्तमान प्रशासक ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख भी हैं। उनके सामने हैं परगट सिंह पन्नू, जो स्वयं भी भाजपा के एक सक्रिय कार्यकर्ता माने जाते हैं और बीडीसी प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
यह स्थिति तब और जटिल हो गई जब सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई कि पार्टी के एक वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता, गुरताज सिंह भुल्लर जैसे पार्टी पदाधिकारी को नजरअंदाज करते हुए, खुले तौर पर उनके विरोधी परगट सिंह पन्नू के पक्ष में वोट मांग रहे हैं। इस वरिष्ठ नेता की एक जनसभा का वीडियो भी कार्यकर्ताओं के बीच तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी साझा किया जा रहा है। यह वीडियो इस बात का पुख्ता प्रमाण माना जा रहा है कि एक वरिष्ठ नेता पार्टी के भीतर ही अनुशासन का उल्लंघन कर रहा है।
पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश: ‘पार्टी विरोधी गतिविधि’ का आरोप
वरिष्ठ नेता के इस रवैये से स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश है। उनका मानना है कि ऐसे कदम से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है। कई कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। मंडल के एक पदाधिकारी ने, गोपनीयता बनाए रखने की शर्त पर, स्पष्ट रूप से कहा कि “वरिष्ठ भाजपा नेता पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होकर पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।”
कार्यकर्ताओं ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत पार्टी पदाधिकारियों से भी की है। उनकी मांग है कि पार्टी के उच्चाधिकारियों को इस पर गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए और ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य के लिए एक नजीर बन सके। कार्यकर्ताओं का तर्क है कि यदि पार्टी के ही बड़े नेता इस तरह से एक दूसरे के खिलाफ प्रचार करेंगे, तो जनता के बीच पार्टी की एकजुटता का संदेश गलत जाएगा और इसका सीधा नुकसान चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ेगा।
जिला अध्यक्ष मनोज पाल का सख्त रुख: अनुशासनहीनता की चेतावनी
इस पूरे मामले पर भाजपा के जिला अध्यक्ष मनोज पाल ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने स्वीकार किया कि नवलपुर में पार्टी के दो कार्यकर्ता बीडीसी का चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “पार्टी ने अभी तक इन दोनों में से किसी भी कार्यकर्ता को चुनाव के लिए अधिकृत नहीं किया है।”
जिला अध्यक्ष ने आगे कहा कि “पार्टी के किसी भी बड़े नेता को किसी एक प्रत्याशी के समर्थन में नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इससे दोनों उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के बीच मतभेद पैदा होगा, जो अंततः पार्टी की एकता के लिए हानिकारक है।” उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी, “यदि पार्टी का कोई बड़ा नेता किसी एक प्रत्याशी को चुनाव लड़ाता है या उसका खुले तौर पर समर्थन करता है, तो वह पार्टी के प्रति अनुशासनहीनता की जद में आता है।”
मनोज पाल ने यह भी आश्वासन दिया कि यदि ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में आता है, तो वह पूरे प्रकरण से प्रदेश नेतृत्व को तत्काल अवगत कराएंगे और उनके निर्देशानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिला अध्यक्ष का यह बयान दर्शाता है कि पार्टी नेतृत्व इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भाजपा की ‘फजीहत’ और खेमों में बंटने का खतरा
इस प्रकरण से न केवल भाजपा की ‘फजीहत’ हो रही है, बल्कि पार्टी ‘दो खेमों में बंटती नजर आ रही है’। स्थानीय चुनावों में इस तरह की अंदरूनी कलह पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है, खासकर तब जब पार्टी एकजुटता का संदेश लेकर जनता के बीच जाती है। यह स्थिति मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा करती है और उन्हें पार्टी की नीतियों के प्रति संदेह की स्थिति में डाल सकती है।
यह घटना यह भी बताती है कि जमीनी स्तर के चुनावों में, व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और स्थानीय प्रतिद्वंद्विताएं अक्सर पार्टी अनुशासन पर भारी पड़ जाती हैं। भाजपा नेतृत्व के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह इन अंदरूनी कलहों को कैसे नियंत्रित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि पार्टी की एकता और छवि बनी रहे। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रदेश नेतृत्व इस मामले पर क्या कार्रवाई करता है और क्या यह कठोर कदम उठाकर भविष्य के लिए एक मजबूत संदेश देता है। पार्टी के निर्णय पर ही नवलपुर और आसपास के क्षेत्रों में भाजपा का भविष्य निर्भर करेगा।