गिरध्यामुंशी, काशीपुर: श्री श्री 108 बाबा अजीत सिंह के आगमन में बगीची गुरुद्वारे में भव्य कीर्तन समागम


गिरध्यामुंशी, काशीपुर, 21 मार्च 2025 (समय बोल रहा) – भरतपुर काशीपुर स्थित बगीची गुरुद्वारे में श्री श्री 108 बाबा अजीत सिंह के आगमन में भव्य दीवान सजाया गया। इस पावन अवसर पर शबद कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गुरबाणी का आनंद लिया।
1952 से जारी है आध्यात्मिक परंपरा
यह स्थान 1952 में संत बाबा बसंत सिंह द्वारा तुमरिया नदी के किनारे तपस्या करने के बाद स्थापित किया गया था। तब से यह गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आध्यात्मिक शांति का केंद्र बना हुआ है।
समागम में मौजूद श्रद्धालु
इस धार्मिक आयोजन में जत्थेदार गुरनाम सिंह, जोगा सिंह, जगतार सिंह भुल्लर, छिंदर सिंह, हरजिंदर सिंह सतनाम भुल्लर, कश्मीर सिंह पन्नू, गुरताज भुल्लर (ब्लॉक प्रमुख), जितेंद्र सिंह पन्नू, जगरूप सिंह पन्नू, रवि साहनी, असीम साहनी, उदित सुधा, महेंद्र सिंह, गुरदेव सिंह, हरदेव सिंह, कुलदीप सिंह, तरसेम सिंह, हरनूर भुल्लर, प्रीतम सिंह, चिंदर भुल्लर, तरसेम सिंह सहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित थे।
श्री श्री 108 बाबा अजीत सिंह का संदेश
इस अवसर पर श्री श्री 108 बाबा अजीत सिंह ने संगत को संबोधित करते हुए गुरु गोविंद सिंह के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि साधुओं और संतों का सम्मान करें, नशे से दूर रहें और सच्चे पंथ के मार्ग पर चलें। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की मर्यादा बनाए रखने और मांसाहार छोड़कर शाकाहारी बनने का आह्वान किया।
गुरु गोविंद सिंह और सिख इतिहास
बाबा अजीत सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के बलिदानों और उनकी शिक्षाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने 1699 में बैसाखी के दिन पांच प्यारों की स्थापना की थी, जिन्होंने सिख धर्म की नींव को मजबूत किया। इन पांच प्यारों – भाई साहिब सिंह, भाई धर्म सिंह, भाई हिम्मत सिंह, भाई मोहकम सिंह और भाई दया सिंह ने सिख धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर दुनिया को एक नया संदेश दिया।
उन्होंने संगत को प्रेरित किया कि वे गुरबाणी का अध्ययन करें, रोज़ाना सिमरन और पाठ करें, और गुरु ग्रंथ साहिब में बताए गए मार्ग पर चलें।
श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद
समागम में श्रद्धालुओं ने गुरबाणी कीर्तन का आनंद लिया और गुरुद्वारे में मत्था टेककर श्री श्री 108 बाबा अजीत सिंह का आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरे आयोजन के दौरान भक्तिमय वातावरण बना रहा, जिससे संगत को आध्यात्मिक शांति का अनुभव हुआ।