कृष्णा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की लापरवाही से मासूम की जान पर बन आई, हाथ काटने की नौबत

kashipur news bache ki hath katne ki nobat dr ki lapervahi
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काशीपुर 16 फरवरी 2025( समय बोल रहा): उत्तराखंड के काशीपुर स्थित कृष्णा हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बाजपुर के सुल्तानपुर पट्टी निवासी सरताज आलम ने आरोप लगाया है कि उनके बेटे मोहम्मद शम्स को गलत इलाज दिया गया, जिससे अब उसका हाथ काटने की नौबत आ गई है।

कैसे हुई लापरवाही?

परिजनों के अनुसार, 18 जनवरी 2025 को मोहम्मद शम्स को उल्टी-दस्त की शिकायत हुई थी। उसे इलाज के लिए काशीपुर के कृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर आनंद मोहन ने उसका इलाज शुरू किया। मरीज को एनएसएफ 500 की बोतल चढ़ाई गई और आईसोफ्यूट नामक इंजेक्शन दिया गया।

आईसीयू-एनआईसीयू में लापरवाही से मासूम की जान पर खतरा

परिजनों का कहना है कि बच्चे को आईसीयू (ICU) और एनआईसीयू (NICU) में भर्ती किए जाने के बावजूद उसकी हालत लगातार बिगड़ती रही, लेकिन डॉक्टरों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

  • डॉक्टरों की अनदेखी: जब बच्चे के हाथ में सूजन बढ़ने लगी और असहनीय दर्द होने लगा, तब भी डॉक्टरों ने इसे मामूली प्रतिक्रिया बताकर टाल दिया।
  • संक्रमण को नजरअंदाज किया: धीरे-धीरे बच्चे की उंगलियां ठंडी पड़ने लगीं और हाथ काला होने लगा, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने समय पर जरूरी कदम नहीं उठाए।
  • गैंग्रीन का पता तब चला, जब देर हो चुकी थी: जब परिजन बच्चे को दूसरे अस्पताल लेकर गए, तो वहां डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को गैंग्रीन हो गया है। अब संक्रमण को रोकने के लिए उसका हाथ काटना पड़ सकता है।

परिजनों ने डॉक्टरों पर लगाया गंभीर आरोप

परिजनों ने डॉ. मयंक अग्रवाल, डॉ. आनंद मोहन और डॉ. अंकित अवतार पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि यदि सही समय पर इलाज किया जाता, तो बच्चे की जान को इतना बड़ा खतरा नहीं होता।

पुलिस ने की जांच शुरू

परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अगर डॉक्टरों की लापरवाही साबित होती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

🔴 बड़ा सवाल: क्या कृष्णा हॉस्पिटल के डॉक्टरों की लापरवाही पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा? या फिर मासूम की जिंदगी बर्बाद होने के बावजूद मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? जनता की निगाहें अब प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर टिकी हैं।

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